Class 9, Social Science (Hindi)

Class 9 : Social Science (In Hindi) – Lesson 5. आधुनिक विश्व में चरवाहे

पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन


🌟 विस्तृत व्याख्या
🔵 परिचय
🌾 “आधुनिक विश्व में चरवाहे” अध्याय हमें यह बताता है कि कैसे परंपरागत घुमंतू चरवाहा समुदाय आधुनिक काल में उपनिवेशवाद, औद्योगिकीकरण और राष्ट्र-राज्यों के उदय के कारण प्रभावित हुए।
🍚 चरवाहे वे लोग थे जो पशुओं को चराकर, ऋतु के अनुसार स्थान बदलकर, और सामुदायिक चरागाहों पर निर्भर रहकर अपनी आजीविका चलाते थे।
📊 यूरोप, अफ्रीका, एशिया और अमेरिका के चरवाहा समाजों ने बदलते आर्थिक और राजनीतिक ढाँचों के साथ तालमेल बिठाया, पर कई बार संघर्ष भी किया।

🔴 परंपरागत चरवाहा जीवन की विशेषताएँ
🌾 घुमंतू या अर्ध-घुमंतू जीवनशैली—मौसम के अनुसार स्थान बदलना।
🍚 सामुदायिक चरागाहों का उपयोग—भूमि को निजी संपत्ति न मानना।
🏭 स्थानीय बाजारों से ऊन, दूध और मांस का व्यापार करना।
📦 प्रकृति के संतुलन और संसाधनों के सतत उपयोग पर विश्वास।

🟡 उपनिवेशवाद और चरवाहों पर प्रभाव
🌾 यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों ने अफ्रीका, एशिया और अमेरिका में विशाल भूमि पर कब्ज़ा किया।
🍚 कर प्रणाली, सीमाएँ और जंगल कानून ने चरवाहों की आवाजाही पर रोक लगाई।
🏭 सामुदायिक चरागाहों को निजी संपत्ति या नकदी फ़सलों के खेतों में बदला गया।
📊 इसने चरवाहों को मजदूरी, कृषि या प्रवासी श्रमिक बनने पर मजबूर किया।

🟢 अफ्रीका में चरवाहों के अनुभव
🌾 मासी (पूर्वी अफ्रीका) जैसे समूहों की भूमि अंग्रेज़ और जर्मन उपनिवेशवादियों ने हथिया ली।
🍚 उनके चरागाहों को खेती और बागानों में बदला गया।
🏭 मवेशी रोगों और सूखे ने उनकी स्थिति और कठिन की।
📦 मासी लोगों को कर चुकाकर सीमित क्षेत्रों में रहना पड़ा।

🔴 मध्य एशिया और मंगोलिया के चरवाहे
🌾 रूसी साम्राज्य और बाद में सोवियत शासन ने घुमंतू पशुपालन को नियंत्रित किया।
🍚 सामूहिक कृषि (कोलखोज) और राज्य फार्मों के कारण पारंपरिक चरवाहों की स्वतंत्रता कम हुई।
🏭 चरवाहों को स्थायी बस्तियों में बसाकर औद्योगिक अर्थव्यवस्था से जोड़ा गया।

🟡 भारत में चरवाहे समुदाय
🌾 गद्दी (हिमाचल), बकरवाल (जम्मू-कश्मीर), भोटिया और रेबारी (राजस्थान व गुजरात) जैसे समुदाय मौसम के अनुसार प्रवास करते थे।
🍚 ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन ने जंगल कानून, कर और आरक्षित वनों के माध्यम से उनकी गतिशीलता सीमित की।
🏭 नकदी फ़सलों की खेती और रेल विस्तार ने चरागाह क्षेत्रों को घटा दिया।
📊 कई समूहों को खेती, मजदूरी या ऊन-व्यापार में नए तरीके अपनाने पड़े।

🟢 आधुनिकरण और वैश्विक बाज़ार के प्रभाव
🌾 औद्योगिकीकरण और व्यापार के विस्तार ने ऊन और मांस की मांग बढ़ाई।
🍚 कुछ चरवाहों ने नए व्यापारिक अवसरों का लाभ उठाया—जैसे ऑस्ट्रेलिया में ऊन उद्योग।
🏭 लेकिन कई क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण, सीमाएँ और पर्यावरणीय बदलावों ने चरवाहों की स्थिति कठिन कर दी।
📦 आधुनिक परिवहन ने उनकी पारंपरिक मार्गों को बाधित किया, पर कुछ ने बाज़ारों से जुड़कर नए अवसर पाए।

🔴 प्रतिरोध और अनुकूलन
🌾 कई चरवाहा समुदायों ने करों, कानूनों और भूमि हानि के खिलाफ विद्रोह किया।
🍚 कुछ समूहों ने नई आर्थिक गतिविधियाँ अपनाकर जीविका के विकल्प खोजे।
🏭 इस प्रक्रिया में उनकी संस्कृति और परंपराएँ आंशिक रूप से बदलीं, पर पहचान बनी रही।

🔵 निष्कर्ष
🌾 आधुनिक काल में चरवाहों का इतिहास केवल संघर्ष का नहीं, बल्कि अनुकूलन का भी है।
🍚 उपनिवेशवाद और राष्ट्र-राज्यों ने उनकी गतिशीलता सीमित की, पर उन्होंने नए अवसर भी अपनाए।
🏭 यह अध्याय बताता है कि पारंपरिक समाज कैसे वैश्विक परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाते हैं।
📦 चरवाहों का अनुभव हमें स्थानीय ज्ञान और टिकाऊ संसाधन प्रबंधन के महत्व की याद दिलाता है।

📝 सारांश
🌾 चरवाहे पारंपरिक रूप से घुमंतू जीवन और सामुदायिक चरागाहों पर निर्भर थे।
🍚 औपनिवेशिक शासन और आधुनिक राष्ट्र-राज्यों ने उनकी गतिशीलता व अधिकार सीमित किए।
🏭 अफ्रीका के मासी, मध्य एशिया के मंगोल चरवाहे और भारत के गद्दी-बकरवाल सभी प्रभावित हुए।
📊 कुछ ने प्रतिरोध किया, कुछ ने नए व्यापारिक अवसर अपनाए।
📦 आधुनिक विश्व ने उनके जीवन को चुनौती दी, पर उनकी संस्कृति और कौशल अब भी महत्त्वपूर्ण हैं।

⚡ त्वरित पुनरावृत्ति
🌾 चरवाहे — घुमंतू जीवन, सामुदायिक चरागाह।
🍚 उपनिवेशवाद — कर, सीमाएँ, भूमि अधिग्रहण।
🏭 मासी, गद्दी, रेबारी — प्रभावित समुदाय।
📊 अनुकूलन और प्रतिरोध दोनों दिखे।
📦 चरवाहों का ज्ञान आज भी पर्यावरणीय संतुलन के लिए आवश्यक है।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


🔵 प्रश्न 1: स्पष्ट कीजिए कि घुमंतू समुदायों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह क्यों जाना पड़ता है? इस निरंतर आवागमन से पर्यावरण को क्या लाभ है?
🟢 उत्तर: 🌾 घुमंतू समुदाय अपने पशुओं के लिए ताज़ा चरागाह खोजने हेतु मौसम और संसाधनों के अनुसार स्थान बदलते हैं। 🍚 एक स्थान पर लंबे समय तक रहने से चरागाह खत्म हो जाता और भूमि बंजर हो सकती थी। 🏭 लगातार स्थान परिवर्तन से घास और वनस्पति को पुनः उगने का समय मिलता है। 📊 यह प्रणाली मिट्टी का कटाव रोकती, प्राकृतिक संतुलन बनाए रखती और पर्यावरण को स्थायी रूप से सुरक्षित करती थी। 📦 इस तरह उनका आवागमन पर्यावरणीय संरक्षण का पारंपरिक उपाय था।

🔵 प्रश्न 2: औपनिवेशिक सरकार ने निम्नलिखित कानून क्यों बनाए? इनसे चरवाहों के जीवन पर क्या असर पड़ा :
➤ परती भूमि नियमावली
➤ वन अधिनियम
➤ आपराधिक जनजाति अधिनियम
➤ चराई कर
🟢 उत्तर: 🌾 परती भूमि नियमावली: सरकार ने परती भूमि को कृषि व राजस्व के लिए नियंत्रित किया, जिससे चरवाहों के चरागाह घटे।
🍚 वन अधिनियम: वनों पर औपनिवेशिक नियंत्रण कर लकड़ी व संसाधन शोषण बढ़ाया; चरवाहों की स्वतंत्रता सीमित हुई।
🏭 आपराधिक जनजाति अधिनियम: घुमंतू समूहों को संदेहास्पद मानकर निगरानी में रखा गया, जिससे उनका सामाजिक सम्मान कम हुआ।
📊 चराई कर: पशुपालकों से राजस्व वसूलने के लिए लगाया गया कर; चरवाहों की आर्थिक स्थिति पर बोझ पड़ा।
📦 इन सभी कानूनों ने उनकी आजीविका कठिन कर दी और कई को खेती या मजदूरी अपनानी पड़ी।

🔵 प्रश्न 3: मासी समुदाय के चरागाह उससे क्यों छिन गए? कारण बताइए।
🟢 उत्तर: 🌾 पूर्वी अफ्रीका में अंग्रेज़ और जर्मन उपनिवेशवादियों ने मासी भूमि पर कब्ज़ा कर बागान और बसाहटें बसाईं। 🍚 उपजाऊ भूमि यूरोपीय किसानों को दी गई और मासी को सीमित क्षेत्रों तक सिमटा दिया गया। 🏭 औपनिवेशिक सरकार ने राष्ट्रीय उद्यान और आरक्षित क्षेत्र बनाए, जहाँ मासी को चराई की अनुमति नहीं थी। 📊 पशु रोग, सूखा और करों ने उनकी समस्या बढ़ाई। 📦 इससे मासी की पारंपरिक आजीविका और संस्कृति गहराई से प्रभावित हुई।

🔵 प्रश्न 4: आधुनिक विश्व में भारत और पूर्वी अफ्रीकी चरवाहा समुदायों के जीवन में जिन परिवर्तनों का जन्म हुआ उनमें समानताएँ थीं। ऐसे दो परिवर्तनों को लिखिए जो भारतीय चरवाहों और मासी गड़रियों, दोनों के बीच समान रूप से मौजूद थे।
🟢 उत्तर: 🌾 पहला परिवर्तन: औपनिवेशिक शासन ने दोनों क्षेत्रों में चरागाहों को सीमित कर दिया—भारत में जंगल कानून और अफ्रीका में आरक्षित क्षेत्र बने। 🍚 दूसरा परिवर्तन: कर, बागानों का विस्तार और नकदी फ़सलों की खेती के कारण चरवाहों की गतिशीलता और पारंपरिक जीवन प्रभावित हुआ। 🏭 दोनों समूहों को मजदूरी, खेती या अन्य पेशे अपनाने पर मजबूर होना पड़ा। 📊 इन परिवर्तनों ने उनकी सांस्कृतिक पहचान को भी चुनौती दी।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न



खंड A — बहुविकल्पी प्रश्न (1 अंक प्रत्येक)
🔵 प्रश्न 1: घुमंतू चरवाहों का मुख्य कार्य क्या था?
(a) स्थायी कृषि
(b) पशुपालन और चराई
(c) खनन कार्य
(d) औद्योगिक श्रम
🟢 उत्तर: 🌾 (b) पशुपालन और चराई


🔵 प्रश्न 2: मासी चरवाहे किस महाद्वीप के हैं?
(a) एशिया
(b) अफ्रीका
(c) यूरोप
(d) ऑस्ट्रेलिया
🟢 उत्तर: 🍚 (b) अफ्रीका


🔵 प्रश्न 3: औपनिवेशिक सरकार ने चराई कर क्यों लगाया?
(a) पर्यावरण संरक्षण के लिए
(b) राजस्व प्राप्ति के लिए
(c) पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए
(d) चरवाहों को प्रोत्साहन देने के लिए
🟢 उत्तर: 🏭 (b) राजस्व प्राप्ति के लिए


🔵 प्रश्न 4: भारत के किन क्षेत्रों के गद्दी और बकरवाल चरवाहों का उल्लेख है?
(a) हिमाचल और जम्मू-कश्मीर
(b) गुजरात और महाराष्ट्र
(c) राजस्थान और मध्यप्रदेश
(d) बिहार और ओडिशा
🟢 उत्तर: 📦 (a) हिमाचल और जम्मू-कश्मीर


🔵 प्रश्न 5: मासी समुदाय के चरागाह क्यों घटाए गए?
(a) बाढ़ नियंत्रण
(b) यूरोपीय बागान व बसाहट
(c) प्राकृतिक आपदा
(d) स्थानीय संघर्ष
🟢 उत्तर: 🌾 (b) यूरोपीय बागान व बसाहट


🔵 प्रश्न 6: औपनिवेशिक काल में किस अधिनियम ने वनों पर नियंत्रण स्थापित किया?
(a) आपराधिक जनजाति अधिनियम
(b) वन अधिनियम
(c) भूमि अधिनियम
(d) व्यापार अधिनियम
🟢 उत्तर: 🍚 (b) वन अधिनियम


🔵 प्रश्न 7: चरवाहों का बार-बार स्थान बदलना पर्यावरण को क्या लाभ देता था?
(a) मिट्टी का क्षरण
(b) वन विनाश
(c) चरागाहों का पुनर्जनन
(d) प्रदूषण
🟢 उत्तर: 🏭 (c) चरागाहों का पुनर्जनन


🔵 प्रश्न 8: मासी चरवाहों की आजीविका पर सबसे अधिक असर किससे पड़ा?
(a) रेलवे निर्माण
(b) सिंचाई परियोजनाएँ
(c) कर और भूमि हानि
(d) शिकार पर रोक
🟢 उत्तर: 📦 (c) कर और भूमि हानि


🔵 प्रश्न 9: भारत के रेबारी समुदाय का मुख्य क्षेत्र कौन-सा है?
(a) मध्यप्रदेश
(b) हिमाचल
(c) गुजरात और राजस्थान
(d) ओडिशा
🟢 उत्तर: 🌾 (c) गुजरात और राजस्थान


🔵 प्रश्न 10: औपनिवेशिक शासन ने घुमंतू चरवाहों को किस अधिनियम के तहत निगरानी में रखा?
(a) परती भूमि नियमावली
(b) आपराधिक जनजाति अधिनियम
(c) वन अधिनियम
(d) व्यापार अधिनियम
🟢 उत्तर: 🍚 (b) आपराधिक जनजाति अधिनियम

खंड B — अति संक्षिप्त उत्तर (2 अंक प्रत्येक)
🔵 प्रश्न 11: मासी चरवाहों की भूमि किस प्रकार छीनी गई?
🟢 उत्तर: 🌾 यूरोपीय उपनिवेशवादियों ने उपजाऊ चरागाह बागानों और बसाहटों में बदले, तथा आरक्षित क्षेत्र बनाकर मासी को सीमित स्थानों तक सीमित किया।


🔵 प्रश्न 12: परती भूमि नियमावली ने चरवाहों को कैसे प्रभावित किया?
🟢 उत्तर: 🍚 इस नियम ने परती भूमि के उपयोग को नियंत्रित कर चराई क्षेत्रों को घटा दिया, जिससे चरवाहों को नए मार्ग और आजीविका खोजनी पड़ी।


🔵 प्रश्न 13: घुमंतू चरवाहों को स्थान बदलने की आवश्यकता क्यों थी?
🟢 उत्तर: 🏭 मौसम के अनुसार ताज़ा चरागाह और जल स्रोत पाने के लिए, ताकि भूमि का अत्यधिक दोहन न हो और घास-पात पुनः उग सके।


🔵 प्रश्न 14: माजी माजी और मासी विद्रोहों में एक समानता बताइए।
🟢 उत्तर: 📦 दोनों औपनिवेशिक करों और भूमि कब्ज़े के खिलाफ स्थानीय समुदायों का संघर्ष थे।


🔵 प्रश्न 15: भारत में बकरवाल और गद्दी चरवाहों के प्रवास मार्ग किन क्षेत्रों में थे?
🟢 उत्तर: 🌾 हिमालयी क्षेत्र—गर्मी में ऊपरी घाटियों और सर्दी में निचले मैदानों तक उनका प्रवास होता था।


🔵 प्रश्न 16: चराई कर ने चरवाहों के जीवन को कैसे कठिन किया?
🟢 उत्तर: 🍚 अतिरिक्त आर्थिक बोझ ने चरवाहों को गरीबी और कर्ज़ में डाला, जिससे कई को मजदूरी या खेती करनी पड़ी।


🔵 प्रश्न 17: औपनिवेशिक सरकार ने आपराधिक जनजाति अधिनियम क्यों बनाया?
🟢 उत्तर: 🏭 घुमंतू समूहों को संदिग्ध मानकर उनकी गतिविधियों पर निगरानी और नियंत्रण रखने हेतु।


🔵 प्रश्न 18: भारत और पूर्वी अफ्रीका के चरवाहों के अनुभवों में एक समानता बताइए।
🟢 उत्तर: 📦 दोनों ने भूमि हानि, कर, और औपनिवेशिक कानूनों के कारण अपनी पारंपरिक गतिशीलता और आजीविका खोई।


🌟 खंड C — लघु उत्तर (3 अंक)
🔵 प्रश्न 19: घुमंतू चरवाहों के निरंतर आवागमन से पर्यावरण को क्या लाभ हुआ?
🟢 उत्तर: 🌾 चरवाहे मौसम व चरागाह की उपलब्धता के अनुसार अपने पशु झुंडों के साथ लगातार स्थान बदलते थे। 🍚 इससे एक ही क्षेत्र पर अत्यधिक चराई का दबाव नहीं पड़ता था, घास-पौधों को पुनः उगने का समय मिलता था और मिट्टी की नमी बनी रहती थी। 🏭 विविध क्षेत्रों के बीच पशु चराने से वनस्पति की प्रजातीय विविधता संरक्षित रहती थी तथा स्थानीय जलस्रोतों पर दबाव कम होता था। 📊 यह तरीका मिट्टी का कटाव रोकने, चरागाहों के पुनरुत्पादन और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायक था। 📦 इस आवागमन ने प्राकृतिक संसाधनों के टिकाऊ उपयोग की पारंपरिक समझ को मजबूत किया।


🔵 प्रश्न 20: औपनिवेशिक वन अधिनियम का चरवाहों पर क्या प्रभाव पड़ा?
🟢 उत्तर: 🌾 वन अधिनियमों ने कई वनों को “आरक्षित” घोषित किया, जिनमें चरवाहों के प्रवेश और चराई पर रोक लगी। 🍚 इस नियंत्रण से उनके पारंपरिक मार्ग बाधित हुए, जिससे मौसमी प्रवास कठिन हो गया। 🏭 उन्हें कर और लाइसेंस लेने पड़े, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर अतिरिक्त बोझ पड़ा। 📊 कई चरवाहों को नए पेशे अपनाने, खेती या मजदूरी करने पर मजबूर होना पड़ा। 📦 सामाजिक रूप से भी यह कदम उनके समुदायों के आत्मसम्मान और परंपराओं पर प्रहार था।


🔵 प्रश्न 21: परती भूमि नियमावली ने चरवाहों की आजीविका को कैसे प्रभावित किया?
🟢 उत्तर: 🌾 इस नियमावली के तहत सरकार ने परती व अनुपयोगी भूमि को राजस्व हेतु नियंत्रित किया और उस पर कृषि विस्तार किया। 🍚 चरागाह घटने से चरवाहों को लंबी दूरी तय करनी पड़ी। 🏭 इससे पशुओं की सेहत और उत्पादकता प्रभावित हुई, तथा चरवाहों के खर्चे बढ़े। 📊 कई बार उन्हें स्थानीय किसानों या बागानों के साथ संघर्ष भी झेलना पड़ा। 📦 धीरे-धीरे उन्हें पशुपालन छोड़कर वैकल्पिक काम अपनाना पड़ा।

🌟 खंड D — मध्यम उत्तर (5 अंक)
🔵 प्रश्न 22: मासी समुदाय के चरागाह उनसे क्यों छीने गए? कारण स्पष्ट करें।
🟢 उत्तर: 🌾 पूर्वी अफ्रीका में ब्रिटिश व जर्मन उपनिवेशवादियों ने उपजाऊ चरागाहों को यूरोपीय किसानों और बागानों के लिए अधिग्रहित कर लिया। 🍚 उन्होंने राष्ट्रीय उद्यान और आरक्षित क्षेत्र बनाए, जिनमें मासी को चराई की अनुमति नहीं थी। 🏭 मासी को कर चुकाने और सीमित क्षेत्रों में रहने पर मजबूर किया गया। 📊 पशु रोगों व सूखे ने उनकी समस्याएँ और बढ़ाईं। 📦 इन कारणों से उनकी परंपरागत जीवनशैली, सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक स्वतंत्रता पर गहरा प्रहार हुआ।


🔵 प्रश्न 23: आपराधिक जनजाति अधिनियम के प्रावधानों का चरवाहों पर क्या प्रभाव पड़ा?
🟢 उत्तर: 🌾 इस अधिनियम ने घुमंतू समूहों को “संदिग्ध” घोषित कर उन्हें अपराधी की तरह निगरानी में रखा। 🍚 उन्हें पुलिस में पंजीकरण कराना, रिपोर्ट देना और निर्धारित क्षेत्रों में रहना अनिवार्य हुआ। 🏭 इससे उनकी स्वतंत्रता छिन गई और समाज में भेदभाव बढ़ा। 📊 रोजगार के अवसर घटे और कई समूह हाशिये पर चले गए। 📦 इससे औपनिवेशिक शासन और चरवाहों के बीच गहरा अविश्वास पैदा हुआ।


🔵 प्रश्न 24: भारतीय गद्दी चरवाहों और मासी चरवाहों के अनुभवों में समानताएँ बताइए।
🟢 उत्तर: 🌾 दोनों समुदायों को औपनिवेशिक करों और भूमि हानि का सामना करना पड़ा। 🍚 उनके पारंपरिक प्रवास मार्गों और चरागाहों को सीमित या अधिग्रहित किया गया। 🏭 दोनों को आजीविका के नए साधन खोजने पड़े—किसी ने मजदूरी अपनाई तो किसी ने व्यापार से जुड़ाव बढ़ाया। 📊 सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराएँ भी दबाव में आईं। 📦 प्रतिरोध और अनुकूलन दोनों ने उन्हें जीवित रहने में मदद की।

🌟 खंड E — दीर्घ एवं केस आधारित उत्तर (5 अंक)
🔵 प्रश्न 25: औपनिवेशिक कर और चराई कर ने चरवाहों की स्थिति को कैसे बदला?
🟢 उत्तर: 🌾 करों ने चरवाहों की आर्थिक रीढ़ तोड़ दी। 🍚 चराई कर से उनके पारंपरिक मार्गों पर चराई महंगी और सीमित हो गई। 🏭 कई चरवाहों को अपने पशु झुंड घटाने या बेचने पड़े। 📊 उन्हें मजबूरन मजदूरी या खेती करनी पड़ी। 📦 इससे उनकी सामुदायिक एकता और पारंपरिक स्वतंत्रता पर नकारात्मक असर पड़ा।


🔵 प्रश्न 26: भारतीय और मासी चरवाहों ने औपनिवेशिक नीतियों का सामना किन तरीकों से किया?
🟢 उत्तर: 🌾 दोनों समुदायों ने विरोध प्रदर्शन और कभी-कभी हिंसक विद्रोह किए। 🍚 कुछ समूहों ने कर चुकाने से इनकार किया या नियमों का उल्लंघन किया। 🏭 उन्होंने नई आर्थिक गतिविधियों जैसे ऊन-व्यापार या खेती को अपनाया। 📊 सांस्कृतिक परंपराओं को बचाने के प्रयास भी जारी रखे। 📦 इस अनुकूलन और प्रतिरोध ने उनकी पहचान बनाए रखी।


🔵 प्रश्न 27: औपनिवेशिक वन प्रबंधन से पर्यावरण पर क्या असर पड़ा?
🟢 उत्तर: 🌾 अंधाधुंध कटाई से जैव विविधता घट गई। 🍚 मिट्टी का कटाव और जलचक्र प्रभावित हुए। 🏭 नकदी फ़सलों ने भूमि की उर्वरता कम कर दी। 📊 वन्य जीवों की संख्या में भारी कमी आई। 📦 इस असंतुलन ने पारंपरिक चरवाहों और स्थानीय समाज को संकट में डाल दिया।


🔵 प्रश्न 28: केस आधारित—मासी समुदाय को राष्ट्रीय उद्यानों से क्यों निकाला गया?
🟢 उत्तर: 🌾 उपनिवेशवादियों ने राष्ट्रीय उद्यान बनाकर वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन के नाम पर मासी को हटाया। 🍚 यूरोपीय किसानों और बागानों को लाभ दिलाने हेतु उपजाऊ भूमि कब्जाई गई। 🏭 चराई पर प्रतिबंध से मासी की अर्थव्यवस्था टूट गई। 📊 उनके सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध भी कमजोर हुए। 📦 यह औपनिवेशिक शोषण और असमानता का उदाहरण है।


🔵 प्रश्न 29: मासी विद्रोह के प्रमुख कारण और परिणाम लिखिए।
🟢 उत्तर: 🌾 कारण: भूमि हानि, कर, पशु रोग, चराई प्रतिबंध और औपनिवेशिक दमन। 🍚 परिणाम: मासी की भूमि और शक्ति और कम हुई। 🏭 औपनिवेशिक सरकार का नियंत्रण मजबूत हुआ। 📊 विद्रोह ने भविष्य के आंदोलनों को प्रेरणा दी। 📦 इसने शोषण के खिलाफ जनचेतना को बढ़ाया।


🔵 प्रश्न 30: आधुनिक विश्व में चरवाहों के अनुभव से दो महत्त्वपूर्ण सबक लिखिए।
🟢 उत्तर: 🌾 पहला सबक: प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग आवश्यक है। 🍚 दूसरा: स्थानीय समुदायों और उनके ज्ञान का सम्मान करना चाहिए। 🏭 यह अनुभव दिखाता है कि जबरन परिवर्तन समाज को असंतुलित कर सकता है। 📊 लचीला अनुकूलन बदलावों से निपटने का मार्ग दिखाता है। 📦 प्रकृति के साथ संतुलन ही दीर्घकालिक समाधान है।


🔵 प्रश्न 31: भारत और अफ्रीका के चरवाहों के लिए नकदी फ़सलों का क्या प्रभाव पड़ा?
🟢 उत्तर: 🌾 नकदी फ़सलों ने पारंपरिक खेती और चरागाहों को कम किया। 🍚 खाद्यान्न संकट उत्पन्न हुआ। 🏭 चरवाहे औपनिवेशिक बाजारों पर निर्भर हो गए। 📊 सामाजिक ताने-बाने पर दबाव बढ़ा। 📦 कई समूहों को प्रवासी मजदूरी अपनानी पड़ी।


🔵 प्रश्न 32: आपराधिक जनजाति अधिनियम को क्यों अनुचित माना गया?
🟢 उत्तर: 🌾 इसने निर्दोष समुदायों को अपराधी मानकर सामाजिक अन्याय किया। 🍚 इसने स्वतंत्र आवागमन पर रोक लगाई। 🏭 रोजगार और सम्मान दोनों छिन गए। 📊 कानून ने औपनिवेशिक शासन और जनजातीय समुदायों के बीच विश्वास तोड़ा। 📦 यह मानवाधिकारों के विपरीत था।


🔵 प्रश्न 33: औपनिवेशिक नीतियों के विरुद्ध चरवाहों के प्रतिरोध का महत्त्व समझाइए।
🟢 उत्तर: 🌾 प्रतिरोध ने शोषण के खिलाफ जागरूकता पैदा की। 🍚 इसने दिखाया कि स्थानीय समुदाय अपने अधिकारों के लिए एकजुट हो सकते हैं। 🏭 औपनिवेशिक शासन को चुनौती देकर सुधार की राह खोली। 📊 यह सांस्कृतिक पहचान और आत्मसम्मान की रक्षा का प्रतीक था। 📦 ऐसे संघर्ष हमें स्थानीय ज्ञान के महत्व और समानता के सिद्धांत की सीख देते हैं।

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एक पृष्ठ में पुनरावृत्ति

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मस्तिष्क मानचित्र

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