Class 9 : Social Science (In Hindi) – Lesson 2. यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति
पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन
🔶 परिचय:
19वीं सदी में जब यूरोप में औद्योगिक क्रांति का विस्तार हो रहा था, तब पूंजीपतियों का प्रभाव बढ़ता गया और श्रमिकों की हालत खराब होती गई। इसी पृष्ठभूमि में समाजवाद का विचार उभरा, जिसमें एक ऐसे समाज की कल्पना की गई जहाँ उत्पादन के साधनों पर सबका समान अधिकार हो। यह विचार बाद में रूस में 1917 की क्रांति के रूप में साकार हुआ, जिसने दुनिया की पहली समाजवादी सरकार को जन्म दिया।
🔷 1. पूंजीवाद और श्रमिक वर्ग:
औद्योगीकरण से उत्पादन बढ़ा लेकिन श्रमिक वर्ग का शोषण भी तेज हुआ।
लंबे समय तक काम, कम वेतन और बुरी परिस्थितियाँ आम थीं।
इन स्थितियों ने नए विचारों की मांग को जन्म दिया: समता, समान अधिकार और संपत्ति पर सार्वजनिक स्वामित्व।
🔶 2. समाजवाद का उदय:
समाजवाद एक ऐसा विचार है जिसमें माना जाता है कि पूंजीपतियों के बजाय समाज को मिलकर उत्पादन पर नियंत्रण करना चाहिए ताकि सबको बराबरी का अवसर मिले।
प्रमुख समाजवादी विचारक:
कार्ल मार्क्स:
सबसे प्रभावशाली समाजवादी विचारक।
‘पूँजीवाद का पतन निश्चित है’ — यह उन्होंने अपनी पुस्तक “दास कैपिटल” में बताया।
उन्होंने कहा कि वर्ग संघर्ष से ही क्रांति होगी, जिसमें श्रमिक पूंजीपतियों को हटा देंगे।
फ्रेडरिक एंगेल्स:
मार्क्स के सहयोगी, जिन्होंने “कम्युनिस्ट घोषणापत्र” लिखा।
उन्होंने समाजवादी सिद्धांत को विस्तार से समझाया।
🔷 3. यूरोप में समाजवादी आंदोलन:
यूरोप के कई देशों में समाजवादी दल बने जैसे – जर्मनी, रूस, इटली, फ्रांस।
कई जगहों पर समाजवादी पार्टियों ने संसद में भाग लेना शुरू किया और मजदूरों की भलाई की माँगें उठाईं।
🔶 4. रूस में सामाजिक व्यवस्था (क्रांति से पहले):
(क) ज़ार शासन:
रूस में ज़ार निकोलस द्वितीय का निरंकुश शासन था।
बोलने की स्वतंत्रता, राजनीतिक दलों और प्रेस पर प्रतिबंध थे।
(ख) समाज की स्थिति:
किसान गरीबी में जीवन बिताते थे।
मज़दूर वर्ग लंबे समय तक काम करता और हड़तालों का सहारा लेता।
शिक्षित मध्यवर्ग राजनीतिक बदलाव चाहता था।
🔷 5. क्रांति की ओर बढ़ते कदम:
🟥 1905 की क्रांति:
ब्लडी संडे (रक्तरविवार): एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर सैनिकों द्वारा गोलीबारी, सैकड़ों मरे।
इससे ज़ार के विरुद्ध गुस्सा बढ़ा।
जनता ने संसद (डूमा) की माँग की, जिसे ज़ार ने मजबूरी में स्वीकार किया।
🟥 1914–1917: प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव:
रूस ने जर्मनी से युद्ध किया जिससे आर्थिक संकट, भूखमरी, और जनता में असंतोष बढ़ा।
सैनिकों की भारी मृत्यु और महँगाई से ज़ार की लोकप्रियता कम हो गई।
🔶 6. 1917 की रूसी क्रांति:
🔴 फरवरी क्रांति (मार्च 1917):
महिलाओं व श्रमिकों ने भोजन की कमी के खिलाफ हड़ताल की।
सैनिकों ने ज़ार का आदेश मानने से इनकार कर दिया।
ज़ार निकोलस द्वितीय को गद्दी छोड़नी पड़ी।
एक अंतरिम सरकार (Provisional Government) बनी।
🔴 अक्टूबर क्रांति (नवंबर 1917):
व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने अंतरिम सरकार को हटा दिया।
सोवियत (श्रमिक परिषद) को सत्ता सौंपी गई।
यह दुनिया की पहली समाजवादी सरकार थी।
🔷 7. बोल्शेविक सरकार की नीतियाँ:
ज़मीन किसानों में बाँटी गई।
कारखानों पर श्रमिकों का नियंत्रण लागू किया गया।
बैंक और संचार व्यवस्था राष्ट्रीयकृत की गई।
मजदूरों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की योजनाएँ बनीं।
🔶 8. गृहयुद्ध और विरोध:
1918–1920 के बीच बोल्शेविकों (लाल सेना) और विरोधियों (श्वेत सेना) के बीच गृहयुद्ध हुआ।
लेनिन की सरकार ने कड़ी नीतियाँ अपनाईं जिन्हें “रेड टेरर” कहा गया।
अंततः बोल्शेविक विजयी हुए।
🔷 9. समाजवाद का विस्तार:
1922 में रूस का नया नाम “सोवियत संघ (USSR)” रखा गया।
लेनिन के बाद जोसेफ स्टालिन सत्ता में आया जिसने तेज औद्योगीकरण और सामूहिकीकरण की नीतियाँ अपनाईं।
सोवियत संघ एक वैश्विक समाजवादी मॉडल बन गया।
🔶 10. निष्कर्ष:
रूसी क्रांति ने यह दिखाया कि समाजवाद केवल एक विचार नहीं बल्कि व्यवहार में लाया जा सकता है। इस क्रांति ने न केवल रूस, बल्कि पूरे विश्व की राजनीति को प्रभावित किया। परंतु समाजवादी शासन में भी कई कठिनाइयाँ रहीं जैसे – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कमी, तानाशाही प्रवृत्ति और आर्थिक संकट।
✅ महत्वपूर्ण शब्दावली:
समाजवाद: संपत्ति और उत्पादन के साधनों पर समाज का सामूहिक अधिकार
बोल्शेविक: कट्टर समाजवादी जो क्रांति के पक्षधर थे
ज़ार: रूस का सम्राट
सोवियत: श्रमिकों की परिषद
लेनिन: बोल्शेविक क्रांति के नेता
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पाठ्यपुस्तक के प्रश
🔷 1. रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे?
🟢 उत्तर:
1905 से पहले रूस में हालात अत्यंत दयनीय थे:
➤ सामाजिक स्थिति:
रूस का समाज दो भागों में बंटा था – कुलीन वर्ग (जमींदार, अधिकारी) और किसान/मजदूर।
किसान सामंती जमींदारों के अधीन काम करते थे, जिनके पास ज़मीनें थीं।
कामगार वर्ग (औद्योगिक श्रमिक) के पास मजदूरी के अलावा कोई अधिकार नहीं था।
➤ आर्थिक स्थिति:
रूस कृषि प्रधान देश था, लेकिन औद्योगीकरण की शुरुआत हो चुकी थी।
मज़दूरों को कम वेतन, लंबे घंटे और कठोर परिस्थितियों में काम करना पड़ता था।
किसानों पर करों का भारी बोझ था।
➤ राजनीतिक स्थिति:
राजा ज़ार निकोलस द्वितीय के अधीन पूर्णत: निरंकुश शासन था।
लोगों को बोलने, संगठित होने, विरोध करने और मतदान का अधिकार नहीं था।
राजा की आलोचना करने पर जेल भेजा जाता था।
➤ कुल मिलाकर रूस में गहरी असमानता, राजनीतिक दमन, और आर्थिक शोषण व्याप्त था।
🔷 2. 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन–किन स्तरों पर भिन्न थी?
🟢 उत्तर:
1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप से कई स्तरों पर भिन्न थी:
➤ औद्योगिक संरचना:
रूस में औद्योगीकरण धीमा था और उद्योग यूरोप की तुलना में कम विकसित थे।
➤ मज़दूरों की दशा:
रूसी कामगारों के पास कोई यूनियन नहीं थी, जबकि यूरोप में ट्रेड यूनियन आंदोलन प्रबल था।
रूस में मज़दूरों को बुनियादी अधिकार नहीं मिले थे।
➤ शिक्षा और प्रशिक्षण:
रूस के कामगारों में शिक्षा का स्तर बहुत कम था।
➤ राजनीतिक भागीदारी:
यूरोप के कुछ देशों में श्रमिकों को राजनीतिक अधिकार प्राप्त हो चुके थे, लेकिन रूस में उन्हें कोई अधिकार नहीं थे।
➤ कृषि की स्थिति:
रूस में अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर थे, और किसान ज़मींदारों के अधीन काम करते थे। यूरोप में यह सामंती व्यवस्था समाप्त हो चुकी थी।
🔷 3. 1917 में ज़ार का शासन क्यों खत्म हो गया?
🟢 उत्तर:
ज़ार निकोलस द्वितीय का शासन 1917 की फरवरी क्रांति के बाद समाप्त हो गया। इसके कई कारण थे:
➤ प्रथम विश्व युद्ध:
रूस युद्ध में शामिल हुआ, जिससे भारी आर्थिक संकट और सैनिक हताहत हुए।
➤ भ्रष्टाचार और अक्षमता:
राजकीय प्रशासन असक्षम था, जनता की समस्याओं की अनदेखी की जाती थी।
➤ जनता का असंतोष:
भूख, बेरोज़गारी, महँगाई और शोषण ने जनता को क्रोधित कर दिया।
➤ राजनीतिक चेतना:
जनता में समानता, स्वतंत्रता और समाजवाद के विचार फैल चुके थे।
➤ लेनिन और बोल्शेविकों की भूमिका:
इन नेताओं ने जनता को संगठित किया और ज़ार के खिलाफ विद्रोह किया।
➤ अंततः फरवरी 1917 में ज़ार को सत्ता छोड़नी पड़ी और रूस राजशाही से गणराज्य की ओर बढ़ा।
🔷 4. दो सूचियाँ बनाइए:
एक सूची में फरवरी क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को लिखिए।
दूसरी सूची में अक्टूबर क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए।
🟢 उत्तर:
🔸 सूची – 1: फरवरी क्रांति (1917)
◉ युद्ध से असंतोष, सैनिकों का विद्रोह
◉ पेत्रोग्राद में रोटी की माँग पर आंदोलन
◉ ज़ार के प्रति विश्वास की समाप्ति
◉ ज़ार निकोलस द्वितीय का त्यागपत्र
◉ अस्थायी सरकार की स्थापना
प्रभाव:
✔ ज़ारशाही समाप्त
✔ बोलने और संगठित होने की आज़ादी
✔ मजदूर संगठनों की मान्यता
🔸 सूची – 2: अक्टूबर क्रांति (1917)
◉ अस्थायी सरकार की विफलता
◉ बोल्शेविकों का नेतृत्व – लेनिन
◉ रेड गार्ड्स द्वारा सरकारी इमारतों पर कब्ज़ा
◉ अस्थायी सरकार को हटाकर सोवियत सरकार की स्थापना
प्रभाव:
✔ साम्यवादी शासन की शुरुआत
✔ भूमि का पुनर्वितरण
✔ उद्योगों का राष्ट्रीयकरण
✔ विरोधियों पर नियंत्रण
🔷 5. बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रांति के फ़ौरन बाद कौन–कौन–से प्रमुख परिवर्तन किए?
🟢 उत्तर:
➤ भूमि का वितरण किसानों में किया गया।
➤ उद्योगों और बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ।
➤ निजी व्यापार को समाप्त कर दिया गया।
➤ श्रमिकों को कारखानों में नियंत्रण दिया गया।
➤ रूस को युद्ध से बाहर निकालने के लिए ब्रेस्ट-लितोव्स्क की संधि की गई।
➤ संविधान में सभी वर्गों को समान अधिकार दिए गए।
➤ समाजवाद को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए गए।
🔷 6. निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिए:
🔹 कुलक (Kulak):
ये ऐसे संपन्न किसान थे जिनके पास बड़ी ज़मीनें और उत्पादन के संसाधन थे। बोल्शेविकों ने इन्हें वर्ग-शत्रु घोषित कर के इनकी संपत्ति ज़ब्त कर ली।
🔹 ड्यूमा (Duma):
यह रूस की एक निर्वाचित संसद थी जिसे ज़ार ने 1905 की क्रांति के बाद स्थापित किया। परंतु ज़ार ने इसके अधिकार सीमित कर दिए और असहमति पर इसे भंग भी कर दिया।
🔹 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार:
इस अवधि में रूस में महिलाएँ भी औद्योगिक श्रमिक बनीं। उन्हें कम वेतन, लंबे समय तक कार्य और सीमित अधिकार मिलते थे। क्रांति के बाद उन्हें कुछ अधिकार और समानता प्राप्त हुई।
🔹 उदारवादी (Liberal):
यह वो वर्ग था जो संवैधानिक राजशाही, चुनाव और व्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करता था। वे लोकतंत्र चाहते थे लेकिन समाजवाद नहीं।
🔹 स्टालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम (Collectivisation):
स्टालिन ने कृषि में सुधार लाने हेतु किसानों की व्यक्तिगत भूमि को मिलाकर सामूहिक खेत (Collective Farms) बनाए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य खाद्य उत्पादन बढ़ाना और राज्य का नियंत्रण सुनिश्चित करना था। विरोध करने पर किसानों को दंडित किया गया।
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अतिरिक्त महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
1. फ्रांसीसी क्रांति का दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: फ्रांसीसी क्रांति ने सामाजिक संरचना के क्षेत्र में आमूल परिवर्तन की संभावनाओं का सूत्रपात किया। यूरोप और एशिया सहित दुनिया के बहुत सारे हिस्सों में व्यक्तिगत अधिकारों के स्वरूप और सामाजिक सत्ता पर नियंत्रण पर चर्चा छिड़ गई। भारत में भी राजा राममोहन रॉय और डेरोजियो ने फ्रांसीसी क्रांति के महत्व का उल्लेख किया।
2. समाजवाद क्या था?
उत्तर: समाजवाद उन्नीसवीं सदी के मध्य तक यूरोप में एक जाना-पहचाना विचार था। समाजवादी निजी संपत्ति के विरोधी थे। उनका कहना था कि संपत्ति के निजी स्वामित्व की व्यवस्था ही सारी समस्याओं की जड़ है। वे सामूहिक स्वामित्व और समानता पर आधारित समाज चाहते थे।
3. कार्ल मार्क्स के समाजवाद पर क्या विचार थे?
उत्तर: कार्ल मार्क्स (1818-1882) और फ्रेडरिक एंगेल्स (1820-1895) ने समाजवाद में नए तर्क पेश किए। मार्क्स का विचार था कि औद्योगिक समाज ‘पूंजीवादी’ समाज है। उनका निष्कर्ष था कि जब तक निजी पूंजीपति मुनाफे का संचय करते रहेंगे तब तक मजदूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता। उन्होंने भविष्य के समाज को साम्यवादी (कम्युनिस्ट) समाज का नाम दिया।
4. रूसी क्रांति का वैश्विक प्रभाव क्या था?
उत्तर: रूसी क्रांति के वैश्विक प्रभाव:
मेहनतकशों के राज्य की स्थापना की संभावना ने दुनिया भर के लोगों में नई उम्मीद जगाई
बहुत सारे देशों में कम्युनिस्ट पार्टियों का गठन किया गया
बोल्शेविकों ने उपनिवेशों की जनता को भी उनके रास्ते का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित किया
कॉमिन्टर्न की स्थापना हुई
द्वितीय विश्व युद्ध तक समाजवाद को वैश्विक पहचान मिल चुकी थी
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
🔶 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) – उत्तर सहित
प्रश्न 1: ‘कम्युनिस्ट घोषणापत्र’ किसने लिखा था?
(a) रूसो
(b) मार्क्स और एंगेल्स
(c) लेनिन
(d) स्टालिन
उत्तर: (b) मार्क्स और एंगेल्स
प्रश्न 2: रूस में ज़ार शासन कब समाप्त हुआ?
(a) 1914
(b) 1917
(c) 1922
(d) 1905
उत्तर: (b) 1917
प्रश्न 3: बोल्शेविक पार्टी का नेता कौन था?
(a) मार्क्स
(b) लेनिन
(c) ट्रॉट्स्की
(d) स्टालिन
उत्तर: (b) लेनिन
प्रश्न 4: रूस का नया नाम 1922 में क्या रखा गया?
(a) रूसी महासंघ
(b) सोवियत रूस
(c) USSR (सोवियत संघ)
(d) लाल रूस
उत्तर: (c) USSR (सोवियत संघ)
प्रश्न 5: ‘ब्लडी संडे’ की घटना किस वर्ष हुई थी?
(a) 1905
(b) 1917
(c) 1914
(d) 1920
उत्तर: (a) 1905
🔷 बहुत लघु उत्तरीय प्रश्न (1 पंक्ति या शब्द में उत्तर)
प्रश्न 6: समाजवाद किसके अधिकार की बात करता है?
उत्तर: समाज द्वारा उत्पादन के साधनों पर समान अधिकार।
प्रश्न 7: रूस में ज़ार कौन था?
उत्तर: निकोलस द्वितीय
प्रश्न 8: मार्क्स की प्रसिद्ध पुस्तक का नाम बताइए।
उत्तर: दास कैपिटल
प्रश्न 9: 1917 की अक्टूबर क्रांति किस पार्टी ने की?
उत्तर: बोल्शेविक पार्टी
प्रश्न 10: ‘सोवियत’ शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर: श्रमिकों की परिषद
🔶 लघु उत्तरीय प्रश्न (30–40 शब्दों में उत्तर)
प्रश्न 11: समाजवाद क्या है?
उत्तर: समाजवाद एक ऐसा विचार है जिसमें सभी संसाधनों और उत्पादन के साधनों पर समाज का समान अधिकार होता है। इसका उद्देश्य सभी को समान अवसर और सामाजिक न्याय देना है
प्रश्न 12: रूस में 1905 की क्रांति क्यों हुई?
उत्तर: 1905 में ‘ब्लडी संडे’ के दौरान ज़ार के सैनिकों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जिससे जनाक्रोश भड़का और ज़ार के शासन के विरुद्ध आंदोलन तेज हुआ।
प्रश्न 13: फरवरी क्रांति 1917 के क्या कारण थे?
उत्तर: प्रथम विश्व युद्ध में रूस की हार, खाद्य संकट, आर्थिक बदहाली और ज़ार की नीतियों से जनता में असंतोष फैला, जिससे फरवरी क्रांति हुई और ज़ार को गद्दी छोड़नी पड़ी।
प्रश्न 14: बोल्शेविक सरकार द्वारा किए गए दो सुधार बताइए।
उत्तर:
ज़मीनों का पुनर्वितरण – किसानों में बाँटी गई।
कारखानों पर मज़दूरों का नियंत्रण लागू हुआ।
🔷 मध्यम उत्तरीय प्रश्न (80–100 शब्दों में उत्तर)
प्रश्न 15: कार्ल मार्क्स के प्रमुख विचार क्या थे?
उत्तर:
कार्ल मार्क्स का मानना था कि समाज दो वर्गों में बँटा है – पूंजीपति और श्रमिक। पूंजीपति वर्ग श्रमिकों का शोषण करता है। मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ का सिद्धांत दिया और कहा कि एक दिन श्रमिक वर्ग क्रांति करके पूंजीपतियों को उखाड़ फेंकेगा और समाजवादी शासन की स्थापना करेगा, जहाँ समानता होगी और शोषण नहीं होगा।
प्रश्न 16: अक्टूबर क्रांति की घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अक्टूबर 1917 में लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविकों ने अंतरिम सरकार को हटा दिया। उन्होंने पेट्रोग्राड में सरकारी इमारतों और रेलवे स्टेशनों पर कब्जा कर लिया। इसके बाद सोवियत (श्रमिक परिषदों) को सत्ता सौंपी गई। यह दुनिया की पहली समाजवादी सरकार बनी।
प्रश्न 17: प्रथम विश्व युद्ध का रूस पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के कारण रूस में खाद्यान्न संकट, महँगाई और बेरोजगारी बढ़ गई। लाखों सैनिक मारे गए, जिससे जनता का भरोसा ज़ार पर से उठ गया। यह युद्ध क्रांति के लिए मुख्य कारण बना।
प्रश्न 18: स्टालिन की नीतियाँ क्या थीं?
उत्तर:
स्टालिन ने ‘पाँच वर्षीय योजनाओं’ के तहत भारी उद्योगों का विकास किया। खेती को सामूहिक किया गया जिसे सामूहिकीकरण कहा गया। उसने विपक्षियों को दंडित करने के लिए कड़े कदम उठाए जिसे ‘रेड टेरर’ कहा गया।
प्रश्न 19: 1917 की क्रांति का वैश्विक प्रभाव क्या पड़ा?
उत्तर:
रूसी क्रांति ने अन्य देशों को समाजवादी विचारों से प्रभावित किया। कई देशों में श्रमिक संगठनों और कम्युनिस्ट पार्टियों का गठन हुआ। यह क्रांति उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलनों के लिए भी प्रेरणा बनी।
🔶 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (150+ शब्दों में उत्तर)
प्रश्न 20: रूस में 1917 की क्रांति के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
रूस में 1917 की क्रांति के कई प्रमुख कारण थे:
ज़ार का निरंकुश शासन: निकोलस द्वितीय का शासन पूर्ण रूप से तानाशाही था। जनता की कोई भागीदारी नहीं थी और विरोधियों को जेल में डाला जाता था।
आर्थिक बदहाली: किसानों और मजदूरों को न्यूनतम वेतन और खराब कार्यस्थितियाँ मिलती थीं। खाद्य संकट और महँगाई ने आमजन का जीवन कठिन बना दिया।
1905 की क्रांति और ब्लडी संडे: इस घटना ने जनता में गुस्सा और राजनीतिक चेतना को जन्म दिया।
प्रथम विश्व युद्ध: युद्ध में भारी जनहानि, संसाधनों की कमी और भूखमरी ने सरकार के खिलाफ असंतोष को और बढ़ा दिया।
समाजवादी विचारों का प्रसार: मार्क्स, लेनिन और ट्रॉट्स्की जैसे नेताओं के विचारों ने जनता को संगठित किया और क्रांति के लिए तैयार किया।
इन सभी कारणों ने मिलकर फरवरी व अक्टूबर 1917 में क्रांति को जन्म दिया और रूस में ज़ार शासन का अंत हुआ।
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एक पृष्ठ में पुनरावृत्ति
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🔶 महत्वपूर्ण तिथियाँ और घटनाएँ:
1848: यूरोप में समाजवादी आंदोलनों की शुरुआत
1905: रूस में पहली क्रांति (ब्लडी संडे)
1914: प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत
फरवरी 1917: ज़ार निकोलस द्वितीय का गद्दी त्याग
अक्टूबर 1917: बोल्शेविक क्रांति
1922: USSR (सोवियत संघ) की स्थापना
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🔷 प्रमुख विचारक और उनके विचार:
कार्ल मार्क्स:
वर्ग संघर्ष से क्रांति संभव
पूँजीवाद का अंत और समाजवाद की स्थापना
पुस्तक: दास कैपिटल
फ्रेडरिक एंगेल्स:
मार्क्स के सहयोगी
कम्युनिस्ट घोषणापत्र के सह-लेखक
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🔶 रूस की सामाजिक-आर्थिक स्थिति (क्रांति से पहले):
ज़ार का निरंकुश शासन
किसानों और श्रमिकों का शोषण
शिक्षा और स्वतंत्रता की कमी
सेना में असंतोष
प्रथम विश्व युद्ध से बढ़ा संकट
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🔷 क्रांति के चरण:
1️⃣ फरवरी क्रांति (1917):
ज़ार का पतन
अंतरिम सरकार का गठन
जनता की भागीदारी बढ़ी
2️⃣ अक्टूबर क्रांति (1917):
लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक सत्ता में आए
पहली समाजवादी सरकार बनी
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🔶 बोल्शेविक सरकार के प्रमुख कार्य:
ज़मीनों का पुनर्वितरण
बैंकों, रेलवे, उद्योगों का राष्ट्रीयकरण
श्रमिकों को अधिकार
शिक्षा और स्वास्थ्य पर बल
USSR की स्थापना
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🔷 प्रभाव और निष्कर्ष:
✅ पूंजीवाद को चुनौती
✅ समाजवाद की शुरुआत
✅ अन्य देशों में प्रेरणा
✅ लोकतांत्रिक अधिकारों की माँग
✅ स्टालिन के काल में तानाशाही प्रवृत्ति
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📌 महत्वपूर्ण शब्दावली:
समाजवाद: सामाजिक समानता का सिद्धांत
बोल्शेविक: कट्टरपंथी समाजवादी
ज़ार: रूसी सम्राट
सोवियत: श्रमिकों की परिषद
गृहयुद्ध: लाल सेना (समर्थक) बनाम श्वेत सेना (विरोधी)
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मानचित्र
रूस विश्व मानचित्र में

रूस यूरोप मानचित्र में
