Class 9, Social Science (Hindi)

Class 9 : Social Science (In Hindi) – Lesson 1. फ्रांसीसी क्रांति

पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन



परिचय:
फ्रांसीसी क्रांति (1789) यूरोप और विश्व इतिहास की एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना थी। यह केवल एक राजनीतिक सत्ता परिवर्तन नहीं था, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और वैचारिक स्तर पर भी एक गहरी क्रांति थी। इसने यूरोप में सामंती व्यवस्था को चुनौती दी और स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व के सिद्धांतों को जन्म दिया।

क्रांति से पूर्व फ्रांस की स्थिति:
(क) समाज की संरचना: तीन वर्गों में विभाजन
फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों (एस्टेट्स) में बंटा हुआ था:
प्रथम एस्टेट – पादरी वर्ग (Clergy): चर्च से संबंधित लोग थे। इन्हें विशेषाधिकार प्राप्त थे और ये कर नहीं देते थे।
द्वितीय एस्टेट – कुलीन वर्ग (Nobility): राजा के दरबारी और बड़े ज़मींदार इसमें आते थे। इन्हें भी करों से छूट थी और ये किसानों से लगान व श्रम वसूलते थे।
तृतीय एस्टेट – आम जनता: किसान, व्यापारी, श्रमिक, दस्तकार, बुद्धिजीवी आदि इसमें आते थे। इन पर सभी प्रकार के करों का बोझ था और इन्हें कोई विशेषाधिकार नहीं थे।


(ख) आर्थिक संकट:
लगातार युद्धों (विशेषकर सात वर्षीय युद्ध और अमेरिकी क्रांति में भागीदारी) के कारण राजकोष खाली हो चुका था।
विलासी शाही जीवनशैली से भी खर्च बढ़ा।
खाद्यान्न संकट और अकाल के कारण गरीबों की हालत और बदतर हो गई।


(ग) राजा और प्रशासन:
राजा लुई सोलहवां (Louis XVI) का शासन निरंकुश था।
करों में वृद्धि करने के लिए उसने ‘एस्टेट्स जनरल’ नामक सभा बुलाई जो 175 वर्षों बाद आयोजित हुई थी।

नए विचारों का प्रभाव:
फ्रांस में नई सोच विकसित हो रही थी जो कि समानता, स्वतंत्रता और गणराज्य की मांग करती थी। इन विचारों का प्रचार प्रसार कुछ प्रमुख दार्शनिकों द्वारा किया गया:
जॉन लॉक: शासन की वैधता जनसहमति से होनी चाहिए।
रूसो: “सामाजिक संविदा” का सिद्धांत – सत्ता जनता की होनी चाहिए।
मोंतेस्क्यू: शक्तियों के विभाजन का सिद्धांत – कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को अलग रखा जाए।
इन विचारों को किताबों, पर्चों और चर्चा सभाओं के माध्यम से फैलाया गया।

क्रांति की शुरुआत:
1789 में जब एस्टेट्स जनरल की बैठक हुई, तो तृतीय एस्टेट के प्रतिनिधियों को वोट देने का समान अधिकार नहीं दिया गया। उन्होंने अपना अलग राष्ट्रीय सभा (National Assembly) बनाकर संविधान बनाने की घोषणा की। इस घटना को क्रांति की शुरुआत माना जाता है।
14 जुलाई 1789 को बास्तील किले (राजनीतिक बंदियों का कारागार) पर जनता ने हमला कर दिया। यह दिन फ्रांसीसी क्रांति का प्रतीक बन गया।



मुख्य घटनाएं और चरण:
(क) संविधान निर्माण (1791):
संविधान द्वारा राजा के अधिकार सीमित किए गए।
फ्रांस को संवैधानिक राजतंत्र बनाया गया।
कर लगाने का अधिकार केवल संसद को दिया गया।


(ख) राजा का पलायन और गणराज्य की घोषणा (1792):
राजा और रानी भागने की कोशिश में पकड़े गए।
1792 में राजशाही समाप्त कर गणराज्य की स्थापना हुई।


(ग) राजा और रानी को मृत्युदंड (1793):
राजा लुई सोलहवां और रानी मेरी एंटोनेट को राजद्रोह के आरोप में गिलोटिन द्वारा मृत्युदंड दिया गया।


(घ) जैकोबिन शासन और रोब्स्पिएर का आतंककाल:
मैक्सिमिलियन रोब्स्पिएर के नेतृत्व में जैकोबिन क्लब सत्ता में आया।
गरीबों के पक्ष में कई सुधार किए गए।
परंतु असहमति रखने वालों को दंडित किया जाने लगा, जिसे आतंक का शासन (Reign of Terror) कहा गया।
अंततः 1794 में रोब्स्पिएर को भी मृत्युदंड मिला।

क्रांति के प्रभाव:
(क) राजनीतिक प्रभाव:
राजशाही का अंत हुआ और गणराज्य की स्थापना हुई।
नागरिक अधिकारों को मान्यता मिली: स्वतंत्रता, समानता, संपत्ति का अधिकार।


(ख) सामाजिक प्रभाव:
जातिगत भेदभाव समाप्त हुआ।
किसानों को भूमि पर अधिकार मिला।
करों की विषमता समाप्त की गई।


(ग) वैश्विक प्रभाव:
फ्रांसीसी क्रांति के विचार यूरोप, लैटिन अमेरिका और एशिया तक फैले।
उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलनों और लोकतांत्रिक आंदोलनों को बल मिला।

महिलाओं की भूमिका और स्थिति:
महिलाओं ने क्रांति में भाग लिया – बास्तील के हमले, भोजन के लिए जुलूस आदि।
महिलाओं ने शिक्षा, मताधिकार और समान वेतन की मांग की।
परंतु 1791 के संविधान में महिलाओं को मताधिकार नहीं दिया गया।
ओलंप डी गूज जैसी महिलाओं ने समान अधिकारों की घोषणा लिखी, परंतु उन्हें भी मृत्युदंड मिला।

क्रांति का अंत और नेपोलियन का उदय:
1799 में नेपोलियन बोनापार्ट ने सत्ता पर अधिकार कर लिया और स्वयं को सम्राट घोषित कर दिया। इस प्रकार क्रांति समाप्त हुई, परंतु उसके विचार लंबे समय तक जीवित रहे।

निष्कर्ष:
फ्रांसीसी क्रांति ने आधुनिक विश्व को लोकतंत्र, समानता और मानवाधिकारों का मार्ग दिखाया। यह एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है जिसने संपूर्ण विश्व की राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था को गहराई से प्रभावित किया।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


🔷 1. फ्रांस में क्रांति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई?
🟢 उत्तर:
फ्रांस में 18वीं शताब्दी के अंत तक राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियाँ बहुत ही विषम थीं।
मुख्य कारण थे:
➤ समाज त्रैतीय वर्ग (किसान, श्रमिक, मध्यवर्ग) पर करों का अत्यधिक बोझ, जबकि पहले और दूसरे वर्ग (पादरी और कुलीन) करमुक्त थे।
➤ राजा लुई सोलहवें की खर्चीली नीतियाँ और दरबारी जीवनशैली ने खजाने को खाली कर दिया था।
➤ अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में फ्रांस की आर्थिक भागीदारी से देश कर्ज में डूब गया।
➤ 1780 के दशक में सूखा, खाद्य संकट और महंगाई के कारण जनता में असंतोष फैल गया।
➤ प्रबोधन युग के विचारकों जैसे रूसो, वोल्टेयर और लॉक ने समानता, स्वतंत्रता और जनसत्ता के विचारों से लोगों को प्रेरित किया।
इन सभी कारणों ने मिलकर 1789 में फ्रांसीसी क्रांति की चिंगारी भड़का दी।

🔷 2. फ्रांसीसी समाज के किन तबकों को क्रांति का फायदा मिला? कौन–से समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए? क्रांति के नतीजों से समाज के किन समूहों को निराशा हुई होगी?
🟢 उत्तर:
➤ क्रांति से तीसरा वर्ग — विशेषकर मध्यवर्ग, किसान, दस्तकारों और व्यापारियों को सबसे अधिक लाभ मिला। उन्हें करों से राहत मिली और समानता के अधिकार प्राप्त हुए।
➤ पहला (पादरी वर्ग) और दूसरा वर्ग (कुलीन वर्ग) को अपने विशेषाधिकार छोड़ने पड़े और उन्हें सत्ता से वंचित होना पड़ा।
➤ महिलाओं, गुलामों, और ग़रीब वर्गों को अपेक्षित अधिकार नहीं मिले जिससे वे क्रांति के बाद भी हाशिये पर ही रहे।
➤ कुल मिलाकर क्रांति ने न्याय और समानता की नींव रखी लेकिन समाज के सभी वर्गों को समान रूप से लाभ नहीं मिल सका।

🔷 3. उन्नीसवीं और बीसवीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रांति कौन–सी विरासत छोड़ गई?
🟢 उत्तर:
➤ फ्रांसीसी क्रांति ने आधुनिक लोकतंत्र की नींव रखी। इसने पूरे विश्व में ‘समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व’ जैसे मूल्यों को लोकप्रिय बनाया।
➤ क्रांति के दौरान पारित मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा (1789) ने मौलिक अधिकारों की अवधारणा को जन्म दिया।
➤ गणराज्य की स्थापना, संविधान आधारित शासन और सत्ता के विकेंद्रीकरण के विचारों ने भविष्य की सरकारों को दिशा दी।
➤ उपनिवेशों में क्रांति की गूँज सुनाई दी, जिससे एशिया और अफ्रीका में स्वतंत्रता संग्रामों को प्रेरणा मिली।
➤ राजनीति, समाज और शिक्षा में समान अवसर और धर्मनिरपेक्षता जैसे सिद्धांतों को बढ़ावा मिला।
इस प्रकार फ्रांसीसी क्रांति ने दुनिया भर में जनतंत्र, न्याय और मानवाधिकारों की चेतना को स्थायी रूप से जगा दिया।

🔷 4. उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाइए जो आज हमें मिले हुए हैं और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रांति में है।
🟢 उत्तर:
➤ फ्रांसीसी क्रांति से पहले समाज में अधिकार केवल उच्च वर्ग तक सीमित थे। क्रांति ने जनतंत्र के आधारभूत अधिकारों की माँग को सामने लाया।
आज जो अधिकार हमें प्राप्त हैं, उनमें से कई की जड़ें फ्रांसीसी क्रांति से जुड़ी हैं:
समानता का अधिकार – जाति, धर्म या वर्ग के आधार पर भेदभाव नहीं
स्वतंत्रता का अधिकार – विचार, भाषण, प्रेस और धर्म की स्वतंत्रता
न्याय का अधिकार – कानून के समक्ष समानता और निष्पक्ष सुनवाई
मतदान का अधिकार – अपने प्रतिनिधियों को चुनने की शक्ति
संपत्ति का अधिकार – निजी संपत्ति रखने की स्वतंत्रता
विरोध का अधिकार – अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ उठाने का अधिकार
➤ ये सभी अधिकार आज के लोकतांत्रिक संविधान का मूल हिस्सा हैं।

🔷 5. क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतर्विरोध थे?
🟢 उत्तर:
➤ हाँ, मैं सहमत हूँ। फ्रांसीसी क्रांति ने सार्वभौमिक अधिकारों की घोषणा की लेकिन उसका पालन संपूर्णता में नहीं हुआ।
मुख्य अंतर्विरोध थे:
महिलाओं को मताधिकार नहीं दिया गया, जबकि उन्हें समानता का अधिकार चाहिए था।
उपनिवेशों के लोगों को इन अधिकारों से वंचित रखा गया – जैसे हैती के गुलाम।
धनाढ्य वर्ग को अधिक राजनीतिक अधिकार मिले, जबकि गरीब वर्ग पिछड़ा रहा।
राज्य की नीतियों में स्वतंत्रता की सीमाएँ दिखाई दीं – विरोधियों को दबाया गया।
➤ इस प्रकार क्रांति का आदर्श “सभी मनुष्य समान हैं” व्यवहार में पूरी तरह लागू नहीं हो पाया। यही इसकी सबसे बड़ी विचारात्मक विसंगति थी।

🔷 6. नेपोलियन के उदय को कैसे समझा जा सकता है?
🟢 उत्तर:
➤ नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांसीसी क्रांति के बाद की अराजकता, अस्थिरता और असंतोष से जन्मा एक शक्तिशाली नेता था।
उसका उदय तीन कारणों से समझा जा सकता है:
राजनीतिक स्थिरता की आवश्यकता – क्रांति के बाद फ्रांस में अस्थिरता थी, जिसे नेपोलियन ने नियंत्रित किया।
प्रशासनिक सुधार – उसने समान नागरिक संहिता (Napoleonic Code) लागू की, जिससे संपत्ति, शिक्षा और व्यवसाय में समानता आई।
विस्तारवादी नीति – वह यूरोप भर में क्रांति के विचारों को फैलाता गया, परंतु साथ ही तानाशाह भी बन गया।
➤ नेपोलियन ने एक ओर क्रांति के मूल्यों को मजबूत किया, वहीं दूसरी ओर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सीमित भी किया। अतः उसका उदय एक मिश्रित परिणाम था – सुधार और अधिनायकवाद दोनों का मेल।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) – उत्तर सहित
प्रश्न 1: फ्रांस की क्रांति किस वर्ष प्रारंभ हुई थी?
(a) 1776
(b) 1789
(c) 1792
(d) 1804
उत्तर: (b) 1789


प्रश्न 2: बास्तील किला किसका प्रतीक था?
(a) आज़ादी का
(b) रोटी का
(c) राजशाही अत्याचार का
(d) धर्म का
उत्तर: (c) राजशाही अत्याचार का


प्रश्न 3: फ्रांस का अंतिम निरंकुश राजा कौन था?
(a) लुई चौदहवां
(b) लुई पंद्रहवां
(c) लुई सोलहवां
(d) नेपोलियन
उत्तर: (c) लुई सोलहवां


प्रश्न 4: जैकोबिन क्लब का नेता कौन था?
(a) रूसो
(b) मोंतेस्क्यू
(c) नेपोलियन
(d) रोब्स्पिएर
उत्तर: (d) रोब्स्पिएर


प्रश्न 5: फ्रांस में प्रथम एस्टेट किसे कहा जाता था?
(a) आम जनता
(b) कुलीन वर्ग
(c) पादरी वर्ग
(d) व्यापारी वर्ग
उत्तर: (c) पादरी वर्ग

बहुत लघु उत्तरीय प्रश्न (1 पंक्ति या शब्द में उत्तर)
प्रश्न 6: ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ किस क्रांति का नारा था?
उत्तर: फ्रांसीसी क्रांति


प्रश्न 7: तृतीय एस्टेट में कौन-कौन आते थे?
उत्तर: किसान, मजदूर, व्यापारी, दस्तकार, बुद्धिजीवी


प्रश्न 8: ‘सामाजिक संविदा’ नामक पुस्तक किसने लिखी?
उत्तर: रूसो


प्रश्न 9: बास्तील दिवस किस तिथि को मनाया जाता है?
उत्तर: 14 जुलाई


प्रश्न 10: फ्रांसीसी क्रांति के बाद किस प्रकार की शासन प्रणाली स्थापित हुई?
उत्तर: गणराज्य

लघु उत्तरीय प्रश्न (30-40 शब्दों में)
प्रश्न 11: फ्रांस में तीन एस्टेट्स की व्यवस्था क्या थी?
उत्तर: फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों में बंटा था — प्रथम एस्टेट (पादरी), द्वितीय एस्टेट (कुलीन) और तृतीय एस्टेट (आम जनता)। पहले दो एस्टेट कर नहीं देते थे जबकि सारा बोझ तृतीय एस्टेट पर था।


प्रश्न 12: बास्तील का पतन क्यों महत्वपूर्ण था?
उत्तर: बास्तील किला राजा की शक्ति और तानाशाही का प्रतीक था। 14 जुलाई 1789 को इसके पतन ने क्रांति की शुरुआत की और जनता की जीत का प्रतीक बन गया।


प्रश्न 13: रोब्स्पिएर की नीतियों को आतंक का शासन क्यों कहा गया?
उत्तर: रोब्स्पिएर ने विरोधियों को गिलोटिन से मरवाना शुरू किया, जिससे भय का वातावरण बना। इसी कारण उसके शासन को आतंक का शासन कहा गया।


प्रश्न 14: फ्रांसीसी क्रांति के सामाजिक प्रभाव क्या थे?
उत्तर: जातिगत भेदभाव समाप्त हुआ, किसानों को भूमि अधिकार मिले, कर व्यवस्था में समानता आई और सभी नागरिकों को समान अधिकार मिले।

मध्यम उत्तरीय प्रश्न (80-100 शब्दों में)
प्रश्न 15: महिलाओं की भूमिका फ्रांसीसी क्रांति में क्या रही?
उत्तर: महिलाओं ने क्रांति में भाग लिया, रोटियों के लिए जुलूस निकाले, राजनीतिक क्लब बनाए और शिक्षा व मताधिकार की मांग की। ‘ओलंप डी गूज’ जैसी महिलाओं ने समानता की घोषणा की। हालांकि, संविधान में महिलाओं को मताधिकार नहीं दिया गया और ओलंप डी गूज को मृत्युदंड दिया गया।


प्रश्न 16: जैकोबिन क्लब कौन था और इसके प्रमुख कार्य क्या थे?
उत्तर: जैकोबिन क्लब क्रांति का कट्टरपंथी संगठन था जिसकी अगुवाई रोब्स्पिएर ने की। उन्होंने अमीरों की संपत्ति जब्त की, अनाज की कीमतें तय कीं और गरीबों को लाभ पहुंचाया। परंतु असहमति रखने वालों को दंडित कर आतंक का शासन स्थापित कर दिया।


प्रश्न 17: फ्रांसीसी क्रांति के क्या वैश्विक प्रभाव हुए?
उत्तर: क्रांति के विचार (स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व) यूरोप और अमेरिका तक फैले। उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलनों को बल मिला। लैटिन अमेरिका, एशिया और अफ्रीका में स्वतंत्रता संग्रामों को प्रेरणा मिली।


प्रश्न 18: नेपोलियन का उदय कैसे हुआ?
उत्तर: 1799 में राजनीतिक अस्थिरता के कारण सेना के जनरल नेपोलियन ने तख्तापलट कर सत्ता हथिया ली और 1804 में स्वयं को सम्राट घोषित किया। उसने क्रांति के कई विचारों को कानून के रूप में लागू किया।


प्रश्न 19: फ्रांसीसी क्रांति की विफलताएं क्या थीं?
उत्तर: क्रांति के बावजूद महिलाओं को अधिकार नहीं मिले, आतंक का शासन स्थापित हुआ, आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं हुई, और अंततः नेपोलियन ने तानाशाही स्थापित कर दी।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (150+ शब्दों में – विस्तार से, क्रमबद्ध)
प्रश्न 20: फ्रांसीसी क्रांति के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
फ्रांसीसी क्रांति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे:
सामाजिक असमानता: फ्रांस का समाज तीन एस्टेट्स में बंटा था। प्रथम और द्वितीय एस्टेट को विशेषाधिकार प्राप्त थे जबकि तृतीय एस्टेट को कर देना पड़ता था और उन्हें कोई अधिकार नहीं थे।
आर्थिक संकट: युद्धों और शाही खर्चों ने खजाना खाली कर दिया था। आम जनता पर करों का बोझ बढ़ता गया, जिससे असंतोष गहराता गया।
विचारकों का प्रभाव: रूसो, मोंतेस्क्यू, वॉल्टेयर जैसे दार्शनिकों ने स्वतंत्रता, समानता और लोकतंत्र की अवधारणा को फैलाया।
राजा की असफलता: लुई सोलहवां निरंकुश था, और उसने सुधारों की अनदेखी की। एस्टेट्स जनरल की असफलता से भी क्रांति को बल मिला।
भोजन की कमी: फसलें खराब होने से खाद्यान्न संकट हो गया। रोटी जैसी बुनियादी जरूरतें पूरी न होने से जनता सड़कों पर उतर आई।
इन सभी कारणों ने मिलकर 1789 में फ्रांसीसी क्रांति को जन्म दिया।

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एक पृष्ठ में पुनरावृत्ति

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🔶 मुख्य तिथि और घटनाएँ:

5 मई 1789: एस्टेट्स जनरल की बैठक वर्साय में

14 जुलाई 1789: बास्तील किले पर जनता का हमला

1791: संविधान की घोषणा (संवैधानिक राजतंत्र)

1792: गणराज्य की स्थापना

1793: राजा लुई सोलहवां को गिलोटिन द्वारा मृत्युदंड

1793–1794: आतंक का शासन (Reign of Terror)

1799: नेपोलियन का उदय

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🔷 फ्रांस की सामाजिक संरचना (तीन एस्टेट्स):
1️⃣ प्रथम एस्टेट: पादरी वर्ग – करों से छूट
2️⃣ द्वितीय एस्टेट: कुलीन वर्ग – विशेषाधिकार प्राप्त
3️⃣ तृतीय एस्टेट: आम जनता – करों का बोझ, कोई अधिकार नहीं

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🔶 महत्वपूर्ण विचारक और उनके विचार:

रूसो: सामाजिक संविदा – जनसत्ता का सिद्धांत

मोंतेस्क्यू: शक्तियों का विभाजन – कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका

वॉल्टेयर: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

लॉक: शासन जनता की सहमति से

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🔷 महत्वपूर्ण संगठन/व्यक्ति:

नेशनल असेंबली: तृतीय एस्टेट द्वारा गठित

जैकोबिन क्लब: गरीबों का प्रतिनिधि संगठन, रोब्स्पिएर नेता

ओलंप डी गूज: महिला अधिकारों की समर्थक

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🔶 महत्वपूर्ण सिद्धांत (नारे):
📣 स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
➡ क्रांति का मूलमंत्र

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🔷 प्रभाव और परिणाम:
✅ राजशाही का अंत
✅ गणराज्य की स्थापना
✅ करों में समानता
✅ महिलाओं व आम जनता में अधिकारों की जागरूकता
✅ वैश्विक लोकतांत्रिक आंदोलनों को प्रेरणा

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📌 प्रतीक चिन्ह:
🏰 बास्तील किला: तानाशाही का प्रतीक
🔪 गिलोटिन: मृत्युदंड का उपकरण
📜 घोषणा-पत्र: नागरिक अधिकारों की घोषणा

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मानचित्र

फ्रांस विश्व मानचित्र में

फ्रांस यूरोप मानचित्र में

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