Class : 9 – Hindi : Lesson 4. साँवले सपनों की याद
संक्षिप्त लेखक परिचय
🔹 पूरा नाम: जाबिर हुसैन
🔹 जन्म: सन् 1945, गाँव नौन्हीं, राजगीर, ज़िला नालंदा, बिहार
🔹 शिक्षा और प्रारंभिक जीवन:
जाबिर हुसैन ने अंग्रेज़ी भाषा और साहित्य का अध्ययन किया तथा वे इसी विषय के प्राध्यापक भी रहे।
🔹 राजनीतिक जीवन:
वर्ष 1977 में वे मुंगेर से बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और मंत्री बने।
सन् 1995 में वे बिहार विधान परिषद के सभापति बने।
🔹 भाषा और साहित्य का योगदान:
वे हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी तीनों भाषाओं में समान अधिकार के साथ लेखन करते हैं।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं:
जो अग्नि में जन्मे
डोला बीवी का मज़ार
अतीत का चेहरा
लोगों
एक नदी तेरे भीतर
🔹 लेखन शैली:
आम आदमी से जुड़े अनुभवों को उन्होंने संवेदनशीलता से लिखा।
गद्य-साहित्य में डायरी लेखन को उन्होंने एक नवीन रूप में प्रस्तुत किया।
उनकी डायरी विधा की रचनाएँ प्रस्तुति, शैली और शिल्प की दृष्टि से अत्यंत प्रभावशाली और नवीन मानी जाती हैं।
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पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन
📜 विषयवस्तु और कथ्य
🌸 काव्यात्मक प्रारंभ
🟢 पाठ की शुरुआत अत्यंत काव्यात्मक भाषा के साथ होती है – “सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार सांवले सपनों का एक हुजूम मौत की खामोश वादी की तरफ अग्रसर है”।
🔵 यह वाक्य सलीम अली की अंतिम यात्रा का काव्यात्मक चित्रण है जहाँ वे सैलानियों की तरह अंतहीन सफर पर निकल पड़े हैं।
🟠 इस बार का सफर उनका आखिरी सफर है क्योंकि अब वे वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो गए हैं।
🕊️ सलीम अली का व्यक्तित्व चित्रण
🟢 प्रकृति प्रेम: सलीम अली का मानना था कि लोग पक्षियों को आदमी की नजर से देखना चाहते हैं, यह उनकी भूल है।
🔵 वे चाहते थे कि पक्षियों को प्रकृति की नजर से देखा जाए।
🟠 केवल सलीम अली ही पक्षियों की आवाज का मधुर संगीत सुनकर अपने भीतर रोमांच का सोता फूटता महसूस कर सकते थे।
🟢 वैज्ञानिक दृष्टिकोण: डा. सलीम अली भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सम्पूर्ण भारत में व्यवस्थित रूप से पक्षी सर्वेक्षण किया।
🔵 उन्हें ‘भारत का बर्डमैन’ के नाम से जाना जाता है।
🟠 बचपन में एक घायल गौरैया की घटना ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी और वे पक्षी विज्ञानी बन गए।
🌿 वृंदावन का प्रसंग
🟢 लेखक ने बहुत ही कुशलता से वृंदावन और कृष्ण की लीलाओं का प्रसंग जोड़कर सलीम अली के व्यक्तित्व को और भी गहराई दी है।
🔵 जिस प्रकार आज भी वृंदावन में यमुना का सांवला पानी श्रीकृष्ण की सारी लीलाओं की याद दिला देता है और वृंदावन कभी कृष्ण की बांसुरी के जादू से खाली नहीं हुआ,
🟠 उसी प्रकार सलीम अली भी हमेशा पक्षी प्रेम के रूप में याद किए जाएंगे।
⏳ जीवन के अंतिम दिन
🟢 सलीम अली की उम्र सौ वर्ष के करीब थी जब वे मृत्यु को प्राप्त हुए।
🔵 यात्राओं की थकान ने उनके शरीर को कमजोर कर दिया था लेकिन फिर भी उनके अंदर पक्षियों को खोजने का जुनून सवार था।
🟠 दूरबीन उनकी आंखों पर या गरदन में पड़ी ही रहती थी और उनकी नजर दूर-दूर तक फैले आकाश में पक्षियों को ढूंढती रहती थी।
🌏 पर्यावरणीय चेतना
🟢 सलीम अली ने केरल की ‘साइलेंट वैली’ को रेगिस्तानी हवा के झोंकों से बचाने का अनुरोध लेकर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले थे।
🔵 चौधरी साहब गाँव की मिट्टी से जुड़े हुए थे इसलिए सलीम अली की पर्यावरण सुरक्षा संबंधी बातें सुनकर भावुक हो गए थे।
🟠 आज ये दोनों व्यक्ति नहीं हैं और लेखक चिंता करता है कि अब हिमालय के घने जंगलों, बर्फ से ढकी चोटियों तथा लेह-लद्दाख की बर्फीली जमीनों पर रहने वाले पक्षियों की चिंता कौन करेगा?
🖋️ शिल्प और भाषा की विशेषताएं
📚 भाषा की विशेषताएं
🟢 जाबिर हुसैन की भाषा में हिंदी के साथ-साथ उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग मिलता है।
🔵 भाषा अत्यंत सरल और सहज है।
🟠 लेखक ने अभिव्यक्ति शैली का सहारा लिया है।
🟡 ‘हुजूम’, ‘खामोश वादी’, ‘अग्रसर’, ‘रासलीला’, ‘वाटिका’ जैसे शब्दों का प्रयोग भाषा को समृद्ध बनाता है।
🎨 शैली की विशेषताएं
🟢 डायरी शैली: यह संस्मरण डायरी शैली में लिखा गया है जो व्यक्तिगत अनुभवों और भावनाओं को व्यक्त करने में सहायक है।
🔵 काव्यात्मक गद्य: लेखक ने गद्य को काव्यात्मक बनाया है। ‘सुनहरे परिंदों के पंखों पर सांवले सपनों का हुजूम’ जैसी भाषा काव्यात्मकता का उदाहरण है।
🟠 प्रतीकात्मकता: ‘सांवले सपने’ दुःख और अवसाद के प्रतीक हैं। ‘मौत की खामोश वादी’ मृत्यु के शांत क्षेत्र का प्रतीक है।
🎯 मुख्य संदेश और उद्देश्य
🌳 प्रकृति संरक्षण का संदेश
🟢 पाठ का मुख्य संदेश प्रकृति और पक्षी संरक्षण है।
🔵 सलीम अली जैसे पर्यावरण प्रेमियों की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
🟠 आज जब पर्यावरण संकट गहरा रहा है, तब सलीम अली जैसे व्यक्तित्व की और भी अधिक जरूरत है।
💡 व्यक्तित्व की महत्ता
🟢 लेखक ने दिखाया है कि कैसे एक व्यक्ति अपने समर्पण से पूरे क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है।
🔵 सलीम अली का प्रकृति प्रेम और वैज्ञानिक दृष्टिकोण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक है।
🤝 मित्रता और स्मृति का महत्व
🟢 यह पाठ सच्ची मित्रता का भी उदाहरण है।
🔵 लेखक ने अपने मित्र की मृत्यु के बाद उन्हें अत्यंत भावुकता से याद किया है।
🟠 अंत में वे कहते हैं – “मेरी आँखें नम हैं, सलीम अली, तुम लौटोगे ना!” यह वाक्य मित्रता की गहराई को दर्शाता है।
📌 समसामयिक प्रासंगिकता
🟢 आज के समय में जब पर्यावरणीय संकट गहराता जा रहा है, जैव विविधता का क्षरण हो रहा है और पक्षियों की प्रजातियाँ विलुप्त होती जा रही हैं,
🔵 तब सलीम अली जैसे प्रकृति प्रेमियों का योगदान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
🟠 यह पाठ हमें प्रकृति संरक्षण के लिए प्रेरित करता है और वैज्ञानिक सोच विकसित करने की प्रेरणा देता है।
✅ निष्कर्ष
🟢 ‘सांवले सपनों की याद’ केवल एक संस्मरण नहीं है बल्कि यह प्रकृति प्रेम, मित्रता, वैज्ञानिक चेतना और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाली कृति है।
🔵 जाबिर हुसैन ने अपनी काव्यात्मक भाषा और भावुक शैली के माध्यम से सलीम अली के व्यक्तित्व को जीवंत कर दिया है।
🟠 यह पाठ आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति संरक्षण की दिशा में प्रेरित करता रहेगा।
📄 सारांश (100 शब्दों में)
🟢 ‘सांवले सपनों की याद’ जाबिर हुसैन द्वारा प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डा. सलीम अली की स्मृति में लिखा गया संस्मरण है।
🔵 पाठ में लेखक ने सलीम अली की अंतिम यात्रा का काव्यात्मक चित्रण किया है।
🟠 सलीम अली को ‘भारत का बर्डमैन’ कहा जाता था और वे प्रकृति प्रेमी थे।
🟡 उन्होंने भारत में व्यवस्थित पक्षी सर्वेक्षण किया और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास किए।
🟤 लेखक ने वृंदावन के उदाहरण से दिखाया कि जिस प्रकार यमुना का पानी कृष्ण की याद दिलाता है, उसी प्रकार सलीम अली हमेशा पक्षी प्रेम के रूप में याद किए जाएंगे।
⚪ पाठ प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है।
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1. किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?
उत्तर: 🕊️ एक बार बचपन में सालिम अली की एयरगन से एक गौरैया घायल होकर गिर पड़ी।
💖 इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया।
🔍 वे गौरैया की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में जुट गए।
🌿 उसके बाद उनकी रुचि पूरे पक्षी-संसार की ओर मुड़ गई।
🐦 वे पक्षी-प्रेमी बन गए।
प्रश्न 2. सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?
उत्तर: 🌬️ सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के सामने रेगिस्तानी हवा के गरम झोकों और उसके दुष्प्रभावों का उल्लेख किया।
⚠️ यदि इस हवा से केरल की साइलेंट वैली को न बचाया गया तो उसके नष्ट होने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
🌱 उन्होंने बताया कि रेगिस्तानी हवा के कारण वहाँ का पर्यावरण दूषित हो रहा था और जैव-विविधता खतरे में पड़ सकती थी।
🏞️ पक्षियों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो सकते थे।
💧 प्रकृति के प्रति ऐसा प्रेम और चिंता देखकर चौधरी चरण सिंह की आँखें नम हो गईं।
प्रश्न 3. लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है”?
उत्तर: 🐦 लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा जानती थी कि लॉरेंस को गौरैया से बहुत प्रेम था।
🕰️ वे अपना काफी समय गौरैया के साथ बिताते थे।
🤝 गौरैया भी उनके साथ अंतरंग साथी जैसा व्यवहार करती थी।
😊 लॉरेंस का व्यक्तित्व बिल्कुल साधारण तथा इतना खुला-खुला सा था कि उनके बारे में किसी से कुछ छिपा नहीं था।
🌿 वे प्रकृति के इतने निकट थे कि पक्षी भी उनकी दिनचर्या, आदतें और स्वभाव को समझ गए थे।
💬 उनके इसी पक्षी-प्रेम और खुले स्वभाव को उद्घाटित करने के लिए फ्रीडा ने यह वाक्य कहा।
प्रश्न 4. आशय स्पष्ट कीजिए:
(क) वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
उत्तर: 🌿 लॉरेंस बनावट से दूर रहकर प्राकृतिक जीवन जीते थे।
💚 वे प्रकृति से प्रेम करते हुए उसकी रक्षा के लिए चिंतित रहते थे।
🌱 इसी तरह सालिम अली ने भी प्रकृति की सुरक्षा, देखभाल के लिए प्रयास करते हुए सीधा एवं सरल जीवन जिया था।
🏞️ वे शहरी चकाचौंध से दूर रहकर प्रकृति के साथ तादात्म्य स्थापित करके जीते थे।
✨ उनका जीवन कृत्रिमता से रहित, सहज और प्राकृतिक था।
(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा!
उत्तर: ⚰️ मृत्यु ऐसा सत्य है जिसके प्रभाव स्वरूप मनुष्य सांसारिकता से दूर होकर चिर निद्रा और विश्राम प्राप्त कर लेता है।
🚫 उसका हँसना-गाना, चलना-फिरना सब बंद हो जाता है।
🕊️ मौत की गोद में विश्राम कर रहे सालिम अली की भी यही स्थिति थी।
🔄 अब उन्हें किसी तरह से पहले जैसी अवस्था में नहीं लाया जा सकता था।
📜 मृत्यु अटल सत्य है जिसे कोई भी शक्ति वापस नहीं ला सकती।
(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।
उत्तर: 🏝️ टापू समुद्र में उभरा हुआ छोटा भू-भाग होता है जबकि सागर अत्यंत विशाल और विस्तृत होता है।
📚 सालिम अली भी प्रकृति और पक्षियों के बारे में थोड़ी-सी जानकारी से संतुष्ट होने वाले नहीं थे।
🌊 वे इनके बारे में असीमित ज्ञान प्राप्त करके अथाह सागर-सा बन जाना चाहते थे।
🌐 उन्होंने अपने ज्ञान को किसी सीमित क्षेत्र में कैद नहीं किया बल्कि व्यापक और गहन अध्ययन किया।
प्रश्न 5. इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: ‘साँवले सपनों की याद’ नामक पाठ की भाषा-शैली संबंधी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
🌸 मिश्रित शब्दावली का प्रयोग: इस पाठ में उर्दू, तद्भव और संस्कृत शब्दों का सम्मिश्रण है। लेखक ने उर्दू शब्दों का अधिक प्रयोग किया है।
उदाहरण – जिंदगी, परिंदा, खूबसूरत, हुजूम, खामोश, सैलानी, सफर, तमाम, आखिरी, माहौल, खुद।
संस्कृत शब्दों का प्रयोग भी प्रचुरता से हुआ है जैसे – संभव, अंतहीन, पक्षी, वर्ष, इतिहास, वाटिका, विश्राम, संगीतमय, प्रतिरूप।
🌼 जटिल वाक्यों का प्रयोग: जाबिर हुसैन की वाक्य-रचना बंकिम और जटिल है। वे सरल-सीधे वाक्यों का प्रयोग नहीं करते।
उदाहरण – “सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार साँवले सपनों का एक हुजूम मौत की खामोश वादी की तरफ अग्रसर है।”
🌺 अलंकारों का प्रयोग: उपमा, रूपक इनके प्रिय अलंकार हैं।
उदाहरण – “अब तो वो उस वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं।” (उपमा)
“रोमांच का सोता फूटता महसूस कर सकता है?” (रूपक)
🌻 भावानुरूप भाषा: भाव के अनुरूप शब्दों और वाक्यों की प्रकृति बदलना।
कभी छोटे वाक्य – “आज सालिम अली नहीं हैं।”
कभी प्रश्न शैली – “क्या कोई रोमांच का सोता फूटता महसूस कर सकता है?”
प्रश्न 6. इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
💠 सालिम अली प्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी और प्रकृति-प्रेमी थे।
💠 बचपन में उनकी एयरगन से नीले कंठवाली गौरैया घायल हुई, जिसकी देखभाल ने उन्हें पक्षियों के प्रति जिज्ञासु बना दिया।
💠 वे दूर-दराज जाकर पक्षियों की जानकारी एकत्र करते और उनकी सुरक्षा के लिए कार्य करते थे।
💠 केरल की साइलेंट वैली को रेगिस्तानी हवा से बचाने के लिए प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले।
💠 वे प्रकृति की दुनिया के “अथाह सागर” बन गए थे।
💠 लगभग सौ वर्ष की आयु, दुबली-पतली काया, और आँखों पर हमेशा दूरबीन – यही उनका जीवन-चित्र था।
प्रश्न 7. ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
🌟 यह शीर्षक रहस्यात्मक और जिज्ञासा उत्पन्न करने वाला है – कैसे सपने? किसके सपने? क्यों साँवले?
🌟 ‘साँवले सपने’ मनमोहक इच्छाओं के प्रतीक हैं, जो प्रसिद्ध पक्षी-प्रेमी सालिम अली से जुड़े हैं।
🌟 वे सुनहरे पक्षियों की खोज, सुरक्षा और उनके सपनों में खोए रहते थे।
🌟 उनकी मृत्यु के बाद लेखक को उन्हीं सपनों की याद आती है।
🌟 शीर्षक गहरा, सार्थक और अर्थ-प्राप्ति के लिए चंदन की तरह घिसना पड़ता है।
प्रश्न 8. प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?
उत्तर:
🌱 अपने आस-पास खाली भूमि पर अधिकाधिक पेड़-पौधे लगाना।
🌿 पेड़-पौधों की कटाई रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना।
💧 जल-स्रोतों को प्रदूषण से बचाना।
🏭 कारखानों के अपशिष्ट को जल-स्रोतों में जाने से रोकना।
♻️ प्लास्टिक वस्तुओं का कम से कम प्रयोग करना।
🗑️ कूड़ा-करकट इधर-उधर न फेंकना और दूसरों को भी रोकना।
🔄 बार-बार प्रयोग की जा सकने वाली वस्तुओं का उपयोग बढ़ाना।
🔥 सूखी पत्तियों और कचरे को जलाने से बचना।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
🎯 1 से 5 – MCQ (बहुविकल्पीय प्रश्न)
1 सलीम अली को ‘भारत का बर्डमैन’ क्यों कहा जाता है?
🔹 (a) वे पक्षियों के साथ उड़ते थे
🔹 (b) उन्होंने पक्षी संग्रहालय बनाया था
🔹 (c) उन्होंने भारत में पक्षी विज्ञान को लोकप्रिय बनाया
🔹 (d) वे चिड़ियाघर के संचालक थे
✅ उत्तर: (c) उन्होंने भारत में पक्षी विज्ञान को लोकप्रिय बनाया
2 ‘साइलेंट वैली’ किस राज्य में स्थित है?
🔹 (a) तमिलनाडु
🔹 (b) केरल
🔹 (c) असम
🔹 (d) महाराष्ट्र
✅ उत्तर: (b) केरल
3 सलीम अली की तुलना पाठ में किस पश्चिमी लेखक से की गई है?
🔹 (a) विलियम वर्ड्सवर्थ
🔹 (b) डी.एच. लॉरेंस
🔹 (c) जॉर्ज ऑरवेल
🔹 (d) रस्किन बांड
✅ उत्तर: (b) डी.एच. लॉरेंस
4 लेखक ने सलीम अली के जीवन की तुलना किससे की है?
🔹 (a) उड़ते हुए बाज से
🔹 (b) बुझते दीपक से
🔹 (c) अथाह सागर से
🔹 (d) अकेले वृक्ष से
✅ उत्तर: (c) अथाह सागर से
5 ‘सांवले सपनों की याद’ किस विधा में लिखा गया है?
🔹 (a) कहानी
🔹 (b) आत्मवृत्त
🔹 (c) संस्मरण
🔹 (d) निबंध
✅ उत्तर: (c) संस्मरण
✏ 6 से 10 – लघु उत्तरीय प्रश्न
6 ‘सांवले सपने’ का क्या आशय है?
🌿 सलीम अली के पक्षी प्रेम और प्रकृति संरक्षण के अधूरे ख्वाबों का प्रतीक।
7 लेखक ने वृंदावन का उदाहरण क्यों दिया है?
🌿 जैसे वृंदावन में कृष्ण की स्मृति है, वैसे ही सलीम अली की भी।
8 सलीम अली की दूरबीन का महत्व क्या था?
🌿 वे हर समय दूरबीन से पक्षियों का निरीक्षण करते थे, यही उनकी पहचान थी।
9 चौधरी चरण सिंह की आंखें क्यों नम हो गईं?
🌿 सलीम अली की पर्यावरण चिंता सुनकर वे भावुक हो गए।
10 लेखक को सलीम अली की कौन सी बात सबसे प्रभावित करती थी?
🌿 पक्षियों के प्रति समर्पण, संवेदनशीलता और पर्यावरण संरक्षण की गहन चिंता।
📜 11 से 14 – मध्यम उत्तरीय प्रश्न
11 पाठ की भाषा शैली की विशेषताएं बताइए।
💠 भाषा में हिंदी-उर्दू का सुंदर समन्वय है।
💠 शैली काव्यात्मक, भावनात्मक और वर्णनात्मक है।
💠 उपमा, रूपक, प्रतीक आदि अलंकारों का प्रभावी प्रयोग।
💠 वाक्य-रचना कलात्मक और आत्मीय, जो पाठक को बांध लेती है।
12 सलीम अली के व्यक्तित्व की मुख्य विशेषताएं बताइए।
💠 वे प्रकृति प्रेमी, सरल, संवेदनशील और पर्यावरण के सजग प्रहरी थे।
💠 भारत में पक्षियों पर व्यवस्थित अध्ययन किया और ‘भारत का बर्डमैन’ कहलाए।
💠 वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण हेतु दृढ़ संकल्प।
💠 उनका जीवन प्रेरणादायी उदाहरण है।
13 पाठ में प्रकृति चित्रण कैसे किया गया है?
💠 प्रकृति को मानवीय भावों से जोड़ा गया है।
💠 सुनहरे परिंदे, गौरैया, साइलेंट वैली, हिमालय का उल्लेख।
💠 वृंदावन का जिक्र स्मृति और भावना से जुड़ा।
💠 प्रकृति को पाठ का केंद्रीय पात्र के रूप में प्रस्तुत किया गया।
14 ‘सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार सांवले सपनों का हुजूम’ का अर्थ बताइए।
💠 सुनहरे परिंदे — पक्षी प्रेम का प्रतीक।
💠 सांवले सपने — अधूरे ख्वाबों का प्रतीक।
💠 हुजूम — स्मृतियों की भीड़ जो मृत्यु पर लेखक को घेर लेती है।
💠 वाक्य में गहरी संवेदनशीलता और प्रतीकात्मकता।
🌟 15 – विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
संस्मरण में प्रकृति प्रेम और मानवीय संवेदनाओं का चित्रण बताइए।
🌿 लेखक ने सलीम अली को मित्र के साथ-साथ प्रकृति के सच्चे रक्षक के रूप में प्रस्तुत किया।
🌿 पक्षियों के प्रति उनका समर्पण, दूरबीन से अवलोकन, ‘साइलेंट वैली’ बचाने की मुहिम — सब उनकी पर्यावरण चेतना दर्शाते हैं।
🌿 लेखक उनके जाने को “वन-पक्षी का प्रकृति में विलीन होना” कहते हैं।
🌿 लॉरेंस की गौरैया से तुलना, वृंदावन का स्मरण — पाठ में गहरी संवेदना जगाते हैं।
🌿 यह संस्मरण पर्यावरण चेतना और सच्ची मित्रता का संवेदनशील दस्तावेज है।
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