Class : 9 – Hindi : Lesson 23. रचना
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अनुच्छेद लेखन
अनुच्छेद 1: पर्यावरण की आत्मा—वृक्ष
पर्यावरण वह समग्र तंत्र है जिसमें पृथ्वी, जल, वायुमंडल, प्राणी और मानव परस्पर जुड़े रहते हैं। वृक्ष इस तंत्र की आत्मा हैं, क्योंकि वे वायु को शुद्ध करते हैं, वर्षा चक्र को संतुलित रखते हैं और असंख्य जीवों का आश्रय बनते हैं। वनों के क्षय से मिट्टी का अपरदन, जलस्रोतों का सूखना और तापमान में वृद्धि जैसी समस्याएँ उभरती हैं। अतः सामुदायिक वृक्षारोपण अभियान आवश्यक है—विद्यालय, पंचायत और नगर निकाय मिलकर वर्षा से पहले गड्ढे तैयार करें, देशी प्रजातियाँ लगाएँ, संरक्षण हेतु ट्री-गार्ड व जलसिंचन सुनिश्चित करें। प्रत्येक नागरिक वर्ष में कम से कम 1 पौधा रोपे और उसकी देखभाल का संकल्प ले। वृक्षों के प्रति संवेदना ही हरित, स्वस्थ और सुखद पृथ्वी का आधार है।
अनुच्छेद 2: डिजिटल इंडिया—अवधारणा, लाभ और पहल
डिजिटल इंडिया का अर्थ है शासन, शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार के कार्यों को आभासी माध्यमों से सरल, पारदर्शी और सुलभ बनाना। इसके लाभ व्यापक हैं—सेवाएँ घर-घर पहुँचती हैं, कागजी औपचारिकताएँ घटती हैं, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता है और युवाओं को नवाचार व उद्यम के अवसर मिलते हैं। देश में आधार आधारित पहचान, डिजिलॉकर, भीम, उज्ज्वला व छात्रवृत्तियों का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, भारतनेट से ग्राम कनेक्टिविटी, और उमंग जैसे मंच इस दिशा के महत्वपूर्ण कदम हैं। साथ ही, नागरिकों को साइबर-सावधानी, पासवर्ड सुरक्षा और डिजिटल भुगतान की शिष्टाचार सीखनी चाहिए। जब तकनीक का उपयोग समान अवसर और उत्तरदायी नागरिकता के साथ जुड़ता है, तभी डिजिटल इंडिया वास्तव में समावेशी विकास का सेतु बनता है।
अनुच्छेद 3: डेंगू बुखार की मार—कारण, लक्षण और बचाव
डेंगू एक विषाणुजनित रोग है जो मुख्यतः एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर साफ, रुके हुए पानी में पनपता है, अतः घर-आँगन में रखे खुले ड्रम, कूलर, गमले और टायर उसके प्रजनन स्थल बन जाते हैं। तेज बुखार, सरदर्द, आँखों के पीछे दर्द, बदन में पीड़ा, लाल चकत्ते और प्लेटलेट घटने की आशंका इसके प्रमुख लक्षण हैं। बचाव ही सबसे बड़ा उपचार है—प्रत्येक सप्ताह जलजमाव हटाएँ, कूलर खाली कर सुखाएँ, शरीर को ढकने वाले वस्त्र पहनें, मच्छरदानी व रिपेलेंट का उपयोग करें तथा सामुदायिक फॉगिंग में सहयोग दें। किसी भी लक्षण पर चिकित्सकीय परामर्श लें और स्वयं औषधि न लें। स्वच्छ परिवेश और सजग नागरिकता से डेंगू की श्रृंखला तोड़ी जा सकती है।
अनुच्छेद 4: जल संरक्षण—आवश्यकता और उपाय
जल जीवन का मूल है, परंतु भूजल दोहन, अकाल वर्षा और प्रदूषण के कारण जलसंकट बढ़ रहा है। इस संकट का समाधान सामूहिक जल संरक्षण है। घरों में टपकते नल ठीक करना, कम प्रवाह वाले नलिका-यंत्र अपनाना और स्नान में अनावश्यक जल व्यय रोकना सरल कदम हैं। शहरी क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन के ढांचे अनिवार्य हों, छतों से पाइप द्वारा जल भूमिगत टैंकों में भेजा जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब पुनर्जीवन, कंटूर-बण्डिंग, मेड़बन्दी और सूक्ष्म सिंचाई से बड़ा परिवर्तन सम्भव है। उद्योगों को पुनर्चक्रण और शोधन संयंत्र चलाने चाहिए। “बूँद-बूँद से सागर” का सिद्धांत अपनाकर हम आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित जल-भविष्य निर्मित कर सकते हैं।
अनुच्छेद 5: स्वच्छ भारत—जनभागीदारी का उत्सव
स्वच्छता केवल अभियान नहीं, सभ्यता का संस्कार है। कचरे का वैज्ञानिक प्रबंधन, घर-घर शौचालय और सार्वजनिक स्थलों की नियमित सफाई इसके आधार स्तम्भ हैं। गीले-सूखे कचरे का पृथक्करण, कम्पोस्ट-गड्ढों का निर्माण और प्लास्टिक के जिम्मेदार उपयोग से नगर स्वच्छ बनते हैं। विद्यालय स्वच्छता क्लब, स्वयं सहायता समूह और वार्ड समितियाँ मिलकर श्रमदान व जागरूकता रैलियाँ आयोजित करें। सफाई कर्मियों के सम्मान और सुरक्षित उपकरणों की व्यवस्था भी उतनी ही आवश्यक है। जब नागरिक सड़क पर कचरा फेंकने से बचते हैं, थूकने की आदत छोड़ते हैं और सार्वजनिक शौचालयों की स्वच्छता बनाए रखते हैं, तभी स्वच्छ भारत “मेरी गली-मेरा दायित्व” की जीवंत संस्कृति बनता है।
अनुच्छेद 6: सड़क सुरक्षा—जीवन सर्वोपरि
सड़क दुर्घटनाएँ असावधानी, तेज गति, नशे में वाहन चलाने, मोबाइल पर बात करने और नियमों की अनदेखी से होती हैं। सड़क सुरक्षा का पहला नियम है—जीवन सर्वोपरि। वाहन चलाते समय सीट-बेल्ट और दो-पहिया पर सिर-रक्षा अनिवार्य रखें, गति सीमा का पालन करें और पैदलचलियों को प्राथमिकता दें। स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और विशेष आवश्यकता वाले व्यक्तियों के लिए ज़ेब्रा क्रॉसिंग और रैम्प उपयुक्त हों। सड़क संकेतक स्पष्ट हों, गड्ढे समय पर भरें और रात्रि में परावर्तक चिन्ह लगाए जाएँ। चालक प्रशिक्षण, नियमित स्वास्थ्य जाँच और वाहन-फिटनेस भी आवश्यक है। “सावधानी हटी, दुर्घटना घटी” केवल नारा नहीं, हर परिवार की सुरक्षा की चाबी है।
अनुच्छेद 7: नशामुक्ति—स्वस्थ समाज की शर्त
नशा व्यक्ति की सोच, स्वास्थ्य, अर्थ और संबंध—सबको नष्ट कर देता है। प्रारम्भ अक्सर जिज्ञासा, साथियों के दबाव या तनाव से होता है और धीरे-धीरे लत बन जाती है। नशामुक्ति के लिए परिवार का सहयोग, मित्र-मंडली का सकारात्मक साथ और पेशेवर परामर्श अनिवार्य है। स्कूल-कॉलेज में जीवन-कौशल शिक्षा, खेल-संगीत जैसी रचनात्मक गतिविधियाँ तथा कड़े नियमन से नशे के स्रोतों पर रोक लगती है। सफल उपचार के साथ पुनर्वास—रोज़गार प्रशिक्षण और आत्म-सम्मान की बहाली—लंबी लड़ाई का निर्णायक चरण है। जब समाज नशे को “दिखावा” नहीं, बीमारी मानकर उपचार और सहानुभूति देता है, तभी स्वस्थ, उत्पादक और खुशहाल समुदाय बनता है।
अनुच्छेद 8: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ—समता की राह
लिंग असमानता किसी भी राष्ट्र की प्रगति को रोकती है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का लक्ष्य कन्या-भ्रूण-हत्या पर रोक, बालिकाओं की शिक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। परिवार में बेटियों को समान भोजन, स्वास्थ्य और उत्तराधिकार दिए जाएँ। विद्यालय स्तर पर शौचालय, सुरक्षित परिवहन और छात्रवृत्ति जैसी सुविधाएँ उनकी निरंतरता बढ़ाती हैं। समुदाय बाल विवाह के विरुद्ध एकजुट हो, बालिकाओं के खेल-विज्ञान-प्रौद्योगिकी में अवसर खोले। जब बेटियाँ उच्च शिक्षा लेकर प्रशासन, उद्यम, सेना और शोध में आगे बढ़ती हैं, तो समाज अधिक संवेदनशील और समृद्ध होता है। हर घर का संकल्प होना चाहिए—“पढ़ेगी बेटी, बढ़ेगा देश।”
अनुच्छेद 9: प्लास्टिक-मुक्त भारत—प्रकृति की रक्षा
एकल-उपयोग प्लास्टिक का कचरा नदियों, समुद्र और मिट्टी को दीर्घकालिक हानि पहुँचाता है। सूक्ष्म-कण भोजन-शृंखला में प्रवेश कर स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालते हैं। समाधान है—पर्याप्त विकल्प और जिम्मेदार आदतें। कपड़े/जूट के थैले, स्टील/काँच की बोतलें, तथा पुनर्चक्रण-योग्य पैकेजिंग को बढ़ावा दें। दुकानों पर “अपना थैला लाएँ” संस्कृति विकसित हो, नगर निकाय प्लास्टिक कर/जुर्माना प्रभावी रूप से लागू करें और उद्योग जैव-अपघटनीय विकल्प अपनाएँ। विद्यालय प्रकल्पों में कचरा बैंकों की स्थापना हो, जहाँ छँटाई कर पुनर्चक्रण इकाइयों तक सामग्री पहुँचे। स्वच्छ भविष्य के लिए आज ही प्लास्टिक पर निर्भरता घटाना हमारा पर्यावरणीय कर्तव्य है।
अनुच्छेद 10: फिट इंडिया—स्वास्थ्य, अनुशासन और आनंद
स्वस्थ नागरिक ही सक्षम राष्ट्र का निर्माण करते हैं। फिट इंडिया का आशय है कि प्रत्येक व्यक्ति दैनिक जीवन में सक्रियता, संतुलित आहार और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे। सुबह-शाम तेज चाल से चलना, योग-प्राणायाम, खेल-कूद, सीढ़ियाँ चढ़ना और स्क्रीन-समय सीमित करना सरल उपाय हैं। थाली में अनाज, दाल, हरी सब्जियाँ, फल और पर्याप्त जल शामिल हों; तले-भुने और अति-मीठे खाद्य घटाएँ। कार्यालयों-विद्यालयों में फिटनेस-घंटा, चरण-गणना प्रतियोगिता और स्वास्थ्य जाँच नियमित हो। परिवार के साथ-साथ समुदाय भी पार्कों व खेल मैदानों का संरक्षण करे। निरंतरता और अनुशासन से तन-मन प्रसन्न रहता है और कार्यक्षमता में स्पष्ट वृद्धि होती है—यही सच्चा फिट इंडिया है।
अनुच्छेद 11: ऊर्जा संरक्षण—स्मार्ट उपयोग की संस्कृति
ऊर्जा आधुनिक जीवन का आधार है, किंतु असीमित उपभोग पृथ्वी के संसाधनों पर भार बढ़ाता है। ऊर्जा संरक्षण का अर्थ केवल बचत नहीं, बल्कि समझदारी से उपयोग है। घरों में दिन के प्रकाश का अधिकतम प्रयोग, वायु-परिसंचरण के अनुरूप खिड़कियों का विन्यास, कम खपत वाले बल्ब, समय पर पंखे-दियों को बंद करना तथा उपकरणों की नियमित देखरेख सरल उपाय हैं। रसोई में प्रेशर कुकर, ढक्कन का प्रयोग और ईंधन का विवेकपूर्ण चयन भी प्रभावी है। सामुदायिक भवनों में सौर-ऊर्जा, वर्षा जल-संचयन और हरित छतें ऊर्जा माँग घटाती हैं। विद्यालयों में “ऊर्जा प्रहरी” दल बनाकर निगरानी व जागरूकता अभियान चलाए जा सकते हैं। छोटा प्रयास बड़ी बचत में बदलता है और पर्यावरण पर दबाव कम होता है—यही जिम्मेदार नागरिकता है।
अनुच्छेद 12: नागरिक शिष्टाचार—जनजीवन की मर्यादा
सड़क, बस, दफ्तर, पार्क और बाज़ार—सार्वजनिक स्थल सभी के हैं। नागरिक शिष्टाचार इन जगहों पर पारस्परिक सम्मान और अनुशासन की सजग भावना है। कतार का पालन, धीरे बोलना, थूक-कचरा न फैलाना, दिव्यांग और बुजुर्गों को प्राथमिकता देना, यातायात संकेतों का आदर करना और शिकायत को सभ्य ढंग से रखना इसकी मूल बातें हैं। सामाजिक माध्यमों पर भी संयमित भाषा और सत्यापन का अभ्यास आवश्यक है ताकि अफवाह न फैले। विद्यालय और परिवार मिलकर बच्चों में नम्र अभिवादन, धन्यवाद, क्षमा-याचना और सहयोग जैसे व्यवहार विकसित करें। जब समाज का प्रत्येक व्यक्ति “मेरी स्वतंत्रता, दूसरे की सीमा” को समझता है, तब टकराव घटते हैं और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनता है—यही सच्ची संस्कृति है।
अनुच्छेद 13: दूरस्थ शिक्षा—अवसर और सावधानियाँ
दूरस्थ शिक्षा ने सीखने के अवसरों को घर-घर तक पहुँचाया है। ग्रामीण विद्यार्थी, कार्यरत युवा और गृहिणियाँ भी अपने समय के अनुसार अध्ययन कर पाते हैं। रिकॉर्ड किए गए व्याख्यान, स्वमूल्यांकन प्रश्न और गुरु-संवाद से विषय स्पष्ट होता है। किन्तु निरंतर स्क्रीन-समय, ध्यान-भंग और आत्म-अनुशासन की कमी बाधाएँ बनती हैं। सफल होने के लिए लक्ष्य-निर्धारण, अध्ययन-समय सारिणी, छोटे-छोटे विराम, लिखित नोट्स और साप्ताहिक पुनरावृत्ति सहायक है। संदेह समाधान के लिए समूह-चर्चा तथा शिक्षक से नियमित संवाद आवश्यक है। अभिभावकों का दायित्व है कि वे उपयुक्त अध्ययन-कोना, पर्याप्त प्रकाश और शांत वातावरण दें। दूरस्थ शिक्षा तभी सशक्त बनती है जब वह अनुशासित दिनचर्या और व्यवहारिक अभ्यास से जुड़ती है।
अनुच्छेद 14: मानसिक स्वास्थ्य—तनाव प्रबंधन की कुंजी
तेज़ जीवन-गति में चिंता, असफलता का भय और प्रतिस्पर्धा तनाव बढ़ाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है भावनात्मक संतुलन, आत्म-स्वीकार और परिस्थितियों का स्वस्थ सामना। प्रतिदिन नियत समय पर विश्राम, गहरी श्वास, ध्यान, रूचिकर पढ़ाई, संगीत-साधना या प्रकृति-संग आत्मबल बढ़ाते हैं। अपेक्षाएँ यथार्थ हों और तुलना की प्रवृत्ति सीमित हो—यह आवश्यक है। कठिन भावनाएँ साझा करना कमजोरी नहीं, परिपक्वता है; इसलिए परिवार के विश्वसनीय सदस्य या परामर्शदाता से संवाद करें। नियमित सैर-व्यायाम, संतुलित आहार और पर्याप्त नींद मन-मस्तिष्क को सुदृढ़ करते हैं। पढ़ाई या कार्य में छोटे-छोटे लक्ष्य और आत्म-प्रोत्साहन से आत्मविश्वास बनता है। स्वस्थ मन ही सृजनशीलता का आधार है और वही दीर्घकालीन सफलता दिलाता है।
अनुच्छेद 15: योग और ध्यान—समग्र आरोग्य का पथ
योग केवल आसनों का अभ्यास नहीं, जीवन-दृष्टि है। यम-नियम, आसन, प्राणायाम और ध्यान का क्रम शरीर, श्वास और मन को संतुलित करता है। नियमित अभ्यास से रीढ़ लचीली होती है, पाचन-तंत्र सुधरता है और ध्यान-केन्द्रितता बढ़ती है। भ्रामरी, अनुलोम-विलोम और नाड़ी-शोधन मन को शांत करते हैं; शवासन थकान दूर करता है। अभ्यास में अति-उत्साह नहीं होना चाहिए—शरीर की क्षमता के अनुसार क्रमशः प्रगति करना हितकर है। योग्य प्रशिक्षक का मार्गदर्शन, खाली पेट अभ्यास, स्वच्छ वातावरण और सूती वस्त्र अनुकरणीय हैं। ध्यान के कुछ मिनट कृतज्ञता और जागरूक श्वसन पर केन्द्रित हों तो दिनभर की चंचलता घटती है। योग-ध्यान का सतत अभ्यास व्यक्ति को स्वस्थ, प्रसन्न और संतुलित बनाता है।
अनुच्छेद 16: जैव-विविधता—प्रकृति की सुरक्षा कवच
पृथ्वी पर वनस्पति, जीव-जंतु, सूक्ष्मजीव और मानव—सब मिलकर जैव-विविधता का विराट संसार बनाते हैं। प्रत्येक प्रजाति पारिस्थितिक संतुलन की कड़ी है; किसी का नाश पूरी शृंखला को कमजोर करता है। प्राकृतिक आवासों का विघटन, अंधाधुंध शिकार, प्रदूषण और बाह्य प्रजातियों का अनियंत्रित प्रसार इसके लिए खतरा हैं। संरक्षण हेतु संरक्षित वन, सामुदायिक अभयारण्य, बीज-बैंक और विलुप्तप्राय प्रजातियों के प्रजनन कार्यक्रम महत्वपूर्ण हैं। स्थानीय समुदायों के पारम्परिक ज्ञान का सम्मान, सतत पर्यटन और पर्यावरण-अनुकूल कृषि जैव-विविधता को संजीवनी देते हैं। विद्यालय स्तर पर “एक-प्रजाति-एक विद्यार्थी” योजना से बच्चों में संरक्षण की भावना विकसित हो सकती है। समृद्ध जैव-विविधता ही जल, मृदा, जलवायु और मानव जीवन की सुरक्षा कवच है।
अनुच्छेद 17: ग्रामोदय—ग्रामीण उद्यम का मार्ग
भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। ग्रामोदय का अर्थ है—कृषि के साथ-साथ सूक्ष्म-उद्योग, हस्तशिल्प, खाद्य-प्रसंस्करण और पशुपालन जैसे उद्यमों से गाँव का समग्र उत्थान। स्व-सहायता समूह, सहकारी समितियाँ और कुटीर-उद्योग वित्त, प्रशिक्षण और विपणन के माध्यम से युवाओं को रोज़गार देते हैं। स्थानीय संसाधनों पर आधारित मूल्य-वर्द्धन—जैसे शहद, दुग्ध-उत्पाद, मसाले, बांस-उत्पाद—अच्छी आय दिलाते हैं। ग्राम पंचायतें कौशल-विकास केंद्र, सामान्य कार्य-स्थल और उत्पाद प्रदर्शन मेलों की व्यवस्था करें। सड़क, शीत-भंडारण और संचार जैसी बुनियादी सुविधाएँ बाजार से जोड़ती हैं। जब गाँव आत्मनिर्भर बनते हैं, तब शहरों पर दबाव घटता है और समावेशी विकास संभव होता है—यही वास्तविक ग्रामोदय है।
अनुच्छेद 18: जलवायु परिवर्तन—अनुकूलन और संवेदनशीलता
बदलती जलवायु के कारण चरम मौसम, अनियमित वर्षा और समुद्र-स्तर में वृद्धि जैसी चुनौतियाँ बढ़ रही हैं। शमन के साथ-साथ अनुकूलन भी उतना ही आवश्यक है। कृषि में फसल विविधीकरण, सूखा-सहनशील किस्में, सूक्ष्म सिंचाई और मौसम-आधारित सलाहकारी सेवाएँ जोखिम घटाती हैं। तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव संरक्षण, बाढ़-प्रबन्धन तथा ऊँचे प्लेटफॉर्म पर आवास सुरक्षित विकल्प हैं। नगरों में हरित पट्टियाँ, छायादार पेड़, वर्षा जल-संग्रह और ऊष्मा-रोधी छतें ताप-द्वीप प्रभाव कम करती हैं। समुदाय स्तर पर आपदा-पूर्व चेतावनी, जोखिम-नक्शा और राहत-अभ्यास जीवन बचाते हैं। जलवायु न्याय का अर्थ है—कमजोर समुदायों की विशेष सुरक्षा। सामूहिक संकल्प ही धरती को संतुलित और रहने योग्य बनाए रख सकता है।
अनुच्छेद 19: मताधिकार—जिम्मेदार नागरिक का संकल्प
लोकतंत्र की शक्ति मतदाता के हाथ में है। मताधिकार केवल अधिकार नहीं, दायित्व भी है। मत देने से पूर्व प्रत्याशियों के कार्य, घोषणापत्र, आचरण और स्थानीय मुद्दों की समझ का मूल्यांकन करना चाहिए। जाति-धर्म या लालच के आधार पर निर्णय लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करता है, इसलिए जागरूक नागरिक तथ्य-आधारित विकल्प चुनता है। युवा मतदाताओं का नामांकन, विकलांग-अनुकूल मतदान केन्द्र और शत-प्रतिशत भागीदारी लोकतंत्र को मजबूत बनाती है। निर्वाचन के बाद जनप्रतिनिधियों से संवाद, जनहित याचिकाएँ और सामाजिक लेखा-जोखा भी नागरिक जिम्मेदारी का अंग है। स्वच्छ, शिक्षित और उत्तरदायी मतदाताओं के कारण ही शासन पारदर्शी बनता है और विकास जनहितोन्मुख होता है—यही सच्ची लोकतांत्रिक चेतना है।
अनुच्छेद 20: आपदा प्रबंधन—भूकम्प सुरक्षा की तैयारी
भूकम्प अचानक आता है, पर उसकी क्षति को तैयारी से कम किया जा सकता है। भूकम्प-रोधी मानकों से निर्मित भवन, लचीली संरचनाएँ और उचित सामग्री जीवन-रक्षा की पहली ढाल हैं। घर में भारी अलमारियाँ दीवार से जकड़ी हों, गैस-सिलेंडर और विद्युत-तंत्र सुरक्षित रहें। झटके लगते ही खिड़की-काँच, पंखे और लटकती वस्तुओं से दूर रहें, सिर-घुटनों को ढककर मजबूत मेज के नीचे बैठें और दरवाज़े-सीढ़ियों पर भीड़ न करें। खुली जगह मिलते ही विद्युत-तारों, दीवारों और पेड़ों से दूरी रखें। परिवार का आपदा-किट—पीने का जल, सूखा खाद्य, प्राथमिक उपचार, टॉर्च और आवश्यक दस्तावेज—सुलभ स्थान पर रहे। विद्यालय एवं कार्यालय में नियमित अभ्यास से घबराहट घटती है और जान-माल की रक्षा सम्भव होती है।
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पत्र लेखन
1) पत्र-लेखन क्या है
पत्र-लेखन किसी व्यक्ति/संस्था तक अपनी बात औपचारिक या अनौपचारिक रूप से पहुँचाने का लिखित माध्यम है। इसका उद्देश्य सूचना देना, अनुरोध/शिकायत/प्रार्थना करना, विचार प्रकट करना या आमंत्रण/धन्यवाद आदि भेजना होता है।
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2) पत्र के प्रकार
(क) औपचारिक पत्र – कार्यालयी/अर्द्ध-सरकारी/सार्वजनिक हित के पत्र
प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र, आवेदन-पत्र
संपादक को पत्र (जन-जागरण/समस्या-समाधान)
किसी विभाग/नगर निगम/बैंक/रेलवे आदि को शिकायत/अनुरोध-पत्र
(ख) अनौपचारिक पत्र – निजी/पारिवारिक/मित्रों को पत्र
शुभकामना, संवेदना, हालचाल, पारिवारिक सूचना आदि
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3) पत्र कैसे लिखें (मानक प्रारूप – चरणबद्ध)
1.प्रेषक (लिखने वाले) का पता – बाएँ ऊपर।
2.तिथि – पते के नीचे (दिवस–माह–वर्ष)।
3.प्राप्तकर्ता का नाम/पद व पता – बाएँ, तिथि के नीचे।
4.विषय – एक पंक्ति में संक्षेप (औपचारिक पत्रों में अनिवार्य)।
5.संबोधन – “महोदय/महोदया/माननीय/प्रिय …” प्रकारानुसार।
6.मुख्य भाग – छोटे-छोटे अनुच्छेद:
(i) प्रस्तावना/विषय का परिचय
(ii) समस्या/तथ्य/युक्ति
(iii) अनुरोध/समाधान/प्रतिवेदन
(iv) सौम्य समापन-वाक्य
7.समापन – “भवदीय/सदैव आपका/सादर” आदि।
8.हस्ताक्षर/नाम – औपचारिक पत्रों में नाम के साथ कक्षा/अनुक्रमांक/पद भी।
9.संलग्नक (यदि हों) – अंत में “संलग्नक:” लिखकर सूची।
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4) मुख्य बिंदु (अंक-उन्मुख)
>प्रारूप सही: पते–तिथि–विषय–संबोधन–मुख्य भाग–समापन–हस्ताक्षर।
>विषय-वस्तु ठोस: तथ्य, उदाहरण, समाधान/निवेदन।
>भाषा सुस्पष्ट: शुद्ध वर्तनी, उचित विराम-चिह्न, छोटे वाक्य।
>अनुच्छेद-विन्यास साफ: हर विचार अलग अनुच्छेद में।
>शैली विनम्र, तर्कपूर्ण, बिना अतिरंजना के।
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5) सावधानियाँ (करें/न करें)
करें
1.केवल आवश्यक तथ्य, स्पष्ट व संक्षिप्त वाक्य।
2.औपचारिक पत्र में सम्मानजनक संबोधन व समापन।
3.तिथि/नाम/स्थान/अंक/समय बिल्कुल सही।
4.समाधान/अनुरोध स्पष्ट—“कृपया … करने की कृपा करें” जैसे वाक्य।
न करें
1.बोलचाल/कटाक्ष/आक्रामक भाषा, भावनात्मक अतिशयोक्ति।
2.अनावश्यक विस्तार, असत्य तथ्य, वर्तनी-त्रुटि।
3.प्रारूप की गड़बड़ी—विषय या हस्ताक्षर भूलना।
4.बिना निष्कर्ष के पत्र समाप्त करना।
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6) उपयोगी संबोधन–समापन (जल्दी याद रखने हेतु)
औपचारिक:
संबोधन— “महोदय/महोदया,” | समापन— “भवदीय/सधन्यवाद/सादर”
अनौपचारिक:
संबोधन— “प्रिय मित्र/आदरणीय चाचा जी,” | समापन— “सप्रेम/आपका स्नेहिल”
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पत्र 1 : प्रधानाचार्य को – पुस्तकालय में हिंदी पत्रिकाएँ मंगाने के संबंध में
प्रेषक का पता: कक्षा 10 ‘सी’, ज्ञानकुंज पब्लिक स्कूल, दिलशाद गार्डन, दिल्ली
तिथि: 28 नवम्बर 2025
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय/महोदया,
ज्ञानकुंज पब्लिक स्कूल, दिल्ली
विषय: पुस्तकालय में हिंदी पत्रिकाओं की कमी के संबंध में
महोदय/महोदया,
विनम्र निवेदन है कि मैं कक्षा 10 का छात्र हूँ। हमारे विद्यालय के पुस्तकालय में अनेक पुस्तकें एवं अंग्रेज़ी पत्र-पत्रिकाएँ उपलब्ध हैं, किंतु हिंदी पत्रिकाओं की संख्या अत्यन्त कम है। हिंदी में रुचि रखने वाले छात्र निराश होकर लौट जाते हैं। परिणामस्वरूप भाषा-ज्ञान, लेखन-कौशल तथा समसामयिक ज्ञान का विकास बाधित होता है।
अतः प्रार्थना है कि ‘बालहंस’, ‘पराग’, ‘नंदन’, ‘विज्ञान प्रगति’ जैसी हिंदी पत्रिकाएँ नियमित मंगाने की कृपा करें, जिससे विद्यार्थियों में पठन-रुचि बढ़े और परीक्षा/प्रतियोगिताओं में लाभ मिले। हमें विश्वास है कि आपका यह कदम हिंदी के प्रति अनुराग और अध्ययन-परक वातावरण को बल देगा।
सधन्यवाद,
आपका आज्ञाकारी छात्र
उत्कर्ष (अनुक्रमांक–13), कक्षा 10 ‘सी’
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पत्र 2 : प्रधानाचार्य को – खेल-कूद के नए सामान की मांग
प्रेषक का पता: कक्षा 10 ‘ए’, राघव बाल विद्यालय, मंगोलपुरी, दिल्ली
तिथि: 28 अक्टूबर 2025
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय/महोदया,
राघव बाल विद्यालय, दिल्ली
विषय: खेल-कूद का नया सामान खरीदने के संबंध में
महोदय/महोदया,
मैं कक्षा 10 का छात्र तथा क्रिकेट टीम का कप्तान हूँ। विद्यालय का मैदान व्यापक है, परंतु खेल-सामग्री पुरानी होने से अभ्यास में कठिनाई आती है। फटे जाल, टूटे बल्ले व घिसे फुटबॉल के कारण तैयारी अधूरी रह जाती है और प्रतियोगिताओं में प्रदर्शन प्रभावित होता है।
अतः निवेदन है कि विद्यालय के लिए क्रिकेट बल्ले व गेंदें, फुटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन रैकेट-जाली, स्टॉपवॉच आदि सामग्री शीघ्र उपलब्ध कराई जाए ताकि छात्र नियमित अभ्यास कर सकें और विद्यालय का नाम रोशन हो।
भवदीय,
आपका आज्ञाकारी छात्र
प्रत्युष कुमार, कक्षा 10 ‘ए’ (कप्तान–क्रिकेट टीम)
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पत्र 3 : संपादक को – दूरदर्शन पर अशोभनीय/हिंसक कार्यक्रमों पर रोक की अपील
प्रेषक का पता: 29/5 संस्कार अपार्टमेंट, सेक्टर–14, रोहिणी, दिल्ली
तिथि: 25 जुलाई 2025
सेवा में,
संपादक महोदय,
राष्ट्रीय सहारा (दैनिक), नई दिल्ली
विषय: दूरदर्शन पर प्रसारित आपत्तिजनक कार्यक्रमों पर रोक के संबंध में
महोदय,
आपके लोकप्रिय पत्र के माध्यम से ध्यान दिलाना चाहता/चाहती हूँ कि इन दिनों अनेक चैनलों पर ऐसे धारावाहिक व कार्यक्रम दिखाए जा रहे हैं जिनमें हिंसा, मार-धाड़, अश्लील संवाद तथा हथियारों का अनावश्यक प्रदर्शन है। किशोरों के मन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है—छेड़छाड़, आक्रामकता और असामाजिक घटनाओं में वृद्धि की आशंका बनी रहती है।
अतः प्रसारण मंत्रालय व चैनल संचालकों से अनुरोध है कि उचित श्रेणीकरण, समय-सीमा, चेतावनी तथा शिक्षा–संस्कृति उन्नयन वाले कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाए। समाज के हित में ऐसी सामग्री पर कठोर निगरानी आवश्यक है।
भवदीय,
अंकर वर्मा
(रोहिणी, दिल्ली)
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पत्र 4 : प्रधानाचार्य को – अंग्रेज़ी व गणित की अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित करने हेतु
प्रेषक का पता: कक्षा 10 ‘बी’, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नं. 2, शक्ति नगर, दिल्ली
तिथि: 17 अगस्त 2025
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय/महोदया,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नं. 2, दिल्ली
विषय: अंग्रेज़ी एवं गणित की अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित करने के संबंध में
महोदय/महोदया,
विनम्र निवेदन है कि हमारी एस.ए.–1 परीक्षाएँ निकट हैं, किन्तु उपर्युक्त विषयों का पाठ्यक्रम समय पर पूरा नहीं हो पाया। कुछ अध्यापकों के अवकाश के कारण कक्षाएँ बाधित रहीं। परिणामस्वरूप अनेक छात्रों में घबराहट है।
कृपया आगामी दो सप्ताह प्रतिदिन विद्यालय-समय के बाद एक–एक घंटे की अतिरिक्त कक्षाएँ, पुनरावृत्ति-पत्रक एवं प्रश्नाभ्यास की व्यवस्था कराई जाए। इससे पाठ्यक्रम पूर्ण होगा और विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
सधन्यवाद,
आपका आज्ञाकारी छात्र
क्षितिज (मॉनिटर – कक्षा 10 ‘बी’)
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पत्र 5 : नगरीय निकाय को – टूटे सीवर/गड्ढे की मरम्मत हेतु प्रार्थना
प्रेषक का पता: मकान नं. 36, शर्मा सोसाइटी, राजेन्द्र नगर, जयपुर
तिथि: 12 सितम्बर 2025
सेवा में,
अधिशासी अभियंता,
नगरीय विकास विभाग, जयपुर
विषय: मुख्य नाले/सीवर के क्षतिग्रस्त होने पर त्वरित मरम्मत के संबंध में
महोदय,
हमारी सोसाइटी के मुख्यमार्ग पर सीवर लाइन टूट जाने से गंदा पानी सड़क पर बह रहा है, जिससे दुर्गंध, कीट-पतंगों की बढ़ोतरी तथा बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। बच्चों व बुजुर्गों का आवागमन अत्यंत कठिन है। शिकायत पंजी में प्रविष्टि होने के बावजूद कार्यवाही नहीं हुई।
अतः निवेदन है कि स्थल का निरीक्षण कर तुरंत मरम्मत, सफाई व कीट-नाशी छिड़काव कराया जाए तथा मार्ग को सुरक्षित बनाया जाए। यह जनहित का प्रश्न है, कृपया शीघ्र समाधान करें।
भवदीय,
सुरेश कुमार (वार्ड–12, निवासी प्रतिनिधि)
चलदूरभाष: 98XXXXXX40
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ईमेल लेखन
भाग 1 : ई-मेल क्या है
ई-मेल एक औपचारिक/अनौपचारिक डिजिटल पत्र है जिसमें विषय स्पष्ट, भाषा शुद्ध, और संदेश संक्षिप्त होकर प्रेषक से प्राप्तकर्ता तक पहुँचता है।
भाग 2 : आधारभूत रूपरेखा
1.प्रेषक (ई-मेल पता)
2.प्राप्तकर्ता/प्रेषिती (ई-मेल पता)
3.सीसी/प्रतिलिपि (आवश्यक हो तो)
4.बीसीसी/गोपनीय प्रतिलिपि (आवश्यक हो तो)
5.विषय (संक्षिप्त व सटीक)
6.अभिवादन/संबोधन
7.मुख्य भाग (1–3 छोटे अनुच्छेद, स्पष्ट बात)
8.समापन/शुभकामना
9.संलग्नक का उल्लेख: “संलग्नक देखें”
10.हस्ताक्षर: नाम, कक्षा/पद, संपर्क (यदि आवश्यक)
भाग 3 : ई-मेल के प्रकार
1.औपचारिक (Formal): विद्यालय, कार्यालय, विभाग, अधिकारी के लिए. भाषा विनम्र, मर्यादित, शुद्ध।
2.अर्द्ध-औपचारिक (Semi-formal): शिक्षक, कोच, पड़ोसी समिति आदि; शैली सरल पर शिष्ट।
3.अनौपचारिक (Informal): मित्र/परिजन; शैली आत्मीय, सहज, पर शिष्टाचार बना रहे।
भाग 4 : मुख्य बिंदु व सावधानियाँ
1.विषय पंक्ति सटीक रखें; 6–8 शब्दों में उद्देश्य स्पष्ट हो।
2.सही ई-मेल पते लिखें; नाम/कक्षा/अनुभाग जैसे परिचय आरम्भ में दें।
3.एक विचार = एक अनुच्छेद; बहुत लम्बे वाक्य न लिखें।
4.भाषा शुद्ध, मर्यादित और सम्मानजनक रखें; कटाक्ष/आदेशात्मक शैली न हो।
5.संक्षेप/शॉर्ट-फॉर्म से बचें; “संलग्नक देखें” लिखें, “PFA” न लिखें।
6.वर्तनी-विराम-चिह्न जाँचकर भेजें; भेजने से पहले एक बार अवश्य पढ़ें।
7.CC/BCC सोच-समझकर प्रयोग करें; अनावश्यक “सबको उत्तर” से बचें।
8.उपयुक्त समापन लिखें: “धन्यवाद।”/“भवदीय।”/“शुभकामनाएँ।”
9.उत्तर समय पर दें; तुरंत उत्तर संभव न हो तो सूचित करें।
10.अपमानजनक/असभ्य टिप्पणी, (ALL CAPS), इमोजी का अति-प्रयोग—इनसे बचें।
भाग 5 : विद्यार्थियों द्वारा होने वाली सामान्य गलतियाँ
1.प्रेषक/प्राप्तकर्ता का ई-मेल पता या विषय पंक्ति लिखना भूल जाना।
2.अनावश्यक लम्बा, असंगठित लेखन; पैराग्राफ न बनाना।
3.वर्तनी व विराम-चिह्न की त्रुटियाँ; तिथि/कक्षा न देना।
4.हस्ताक्षर/नाम न लिखना; समापन न देना।
5.CC/BCC का गलत प्रयोग; निजी जानकारी सबको भेज देना।
6.अंग्रेज़ी शॉर्ट-फॉर्म, अपमानजनक भाषा, या “फॉरवर्ड” की गई सामग्री भेज देना।
भाग 6 : 5 मॉडल ई-मेल (कक्षा 10 स्तर)
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मॉडल 1 (औपचारिक): पुस्तकालय में नई पुस्तकें उपलब्ध कराने का अनुरोध
प्रेषक: rahul10@schoolmail.in
प्राप्तकर्ता: librarian@schoolmail.in
विषय: पुस्तकालय में संदर्भ-पुस्तकों की उपलब्धता बढ़ाने हेतु
अभिवादन: महोदय/महोदया,
मुख्य भाग: मैं कक्षा 10, अनुभाग A का छात्र राहुल हूँ। आगामी बोर्ड तैयारी के लिए विज्ञान व सामाजिक विज्ञान की नवीन संदर्भ-पुस्तकों की आवश्यकता अनुभव हो रही है। वर्तमान संग्रह में नवीन संस्करण सीमित हैं, जिससे तैयारी पर प्रभाव पड़ता है। कृपया “एनसीईआरटी एग्ज़ेम्प्लर”, “पिछले वर्षों के प्रश्न” तथा “एटलस” की प्रतियाँ जोड़ने की कृपा करें। संलग्नक में आवश्यक शीर्षकों की सूची दी है—संलग्नक देखें।
समापन: इस विषय पर शीघ्र कार्यवाही हेतु कृतज्ञ रहूँगा।
हस्ताक्षर: राहुल, कक्षा 10-A, रोल नंबर 17
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मॉडल 2 (औपचारिक): नगर निगम को नाले की मरम्मत हेतु आवेदन
प्रेषक: residents.association@colony.in
प्राप्तकर्ता: health.officer@nagarnigam.gov.in
विषय: मुख्य नाले की तत्काल मरम्मत व सफाई के संबंध में
अभिवादन: महोदय,
मुख्य भाग: हमारी गोकुल कॉलोनी के मुख्य नाले की दीवार टूटी होने से गंदा पानी सड़क पर फैल रहा है। दुर्गंध व मच्छरों के कारण रोग फैलने की आशंका है। कृपया शीघ्र मरम्मत, नियमित सफाई व दवा-छिड़काव कराएँ। समस्या का चित्र व स्थान-मानचित्र संलग्न है—संलग्नक देखें।
समापन: त्वरित कार्यवाही हेतु निवेदन।
हस्ताक्षर: कॉलोनी निवासी संघ, सचिव—सुमित वर्मा, संपर्क: 98xxxxxx12
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मॉडल 3 (अर्द्ध-औपचारिक): शिक्षक को शैक्षिक भ्रमण हेतु अनुमति
प्रेषक: priya10A@schoolmail.in
प्राप्तकर्ता: class.teacher10A@schoolmail.in
विषय: विज्ञान संग्रहालय शैक्षिक भ्रमण हेतु अनुमति प्रार्थना
अभिवादन: आदरणीय सर/मैडम,
मुख्य भाग: विज्ञान क्लब ने 25 अक्टूबर को नगर विज्ञान संग्रहालय का भ्रमण प्रस्तावित किया है। यह हमारी भौतिकी-रसायन इकाइयों के लिए उपयोगी होगा। कृपया कक्षा 10-A के विद्यार्थियों को भाग लेने की अनुमति प्रदान करें। मेरे अभिभावक की सहमति-पर्ची संलग्न है—संलग्नक देखें।
समापन: कृपा होगी।
हस्ताक्षर: प्रिया शर्मा, कक्षा 10-A, क्लब सचिव
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मॉडल 4 (अनौपचारिक): मित्र को जन्मदिन का निमंत्रण
प्रेषक: ankit2009@mail.in
प्राप्तकर्ता: raghav@mail.in
विषय: मेरे जन्मदिन की पार्टी का निमंत्रण
अभिवादन: प्रिय राघव,
मुख्य भाग: आशा है तुम स्वस्थ हो। मैं 10 नवम्बर को अपना जन्मदिन मना रहा हूँ। पार्टी हमारे घर की छत पर शाम 6 से 8 बजे तक होगी। सरल खेल, संगीत और हल्का नाश्ता रहेगा। तुम्हारे बिना मज़ा अधूरा होगा, अवश्य आना। यदि चाहो तो गिटार साथ लाना।
समापन: मिलने की प्रतीक्षा में।
हस्ताक्षर: तुम्हारा मित्र—अंकित
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मॉडल 5 (औपचारिक): नए बस मार्ग की माँग
प्रेषक: citizensforum@vikaspuri.in
प्राप्तकर्ता: transport@state.gov.in
विषय: विकासपुरी डी-ब्लॉक तक नया बस मार्ग आरम्भ करने हेतु अनुरोध
अभिवादन: महोदय,
मुख्य भाग: हमारी बस्ती से निकटतम बस स्टॉप 2 किमी दूर है, जिससे छात्रों व वरिष्ठ नागरिकों को कठिनाई होती है। कार्यालय व विद्यालय पहुँचने में अतिरिक्त समय व खर्च होता है। कृपया डी-ब्लॉक से मेट्रो स्टेशन तक एक फीडर बस मार्ग चलाने पर विचार करें। निवासी हस्ताक्षर-सूची व सुझाए गए समय-सारिणी संलग्न है—संलग्नक देखें।
समापन: सकारात्मक निर्णय की अपेक्षा।
हस्ताक्षर: नागरिक मंच, संयोजक—नेहा सिंघल, संपर्क: 99xxxxxx45
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लघुकथा लेखन
🔵 लघुकथा का अर्थ
संक्षिप्त, घटनाक्रमक, प्रभावशाली और शिक्षाप्रद रचना, जिसमें सीमित शब्दों में जीवन-संबंधी अनुभव या समस्या का समाधान प्रस्तुत किया जाता है। भाषा सरल होती है, पात्र कम होते हैं और अंत में स्पष्ट संदेश मिलता है।
🟢 लघुकथा के तत्व
कथानक • पात्र • संवाद/वर्णन • परिवेश • टकराव व समाधान • संदेश
🟣 मुख्य बिंदु
आरंभ आकर्षक हो। • अनावश्यक विवरण न हो। • घटनाएँ क्रमबद्ध हों। • भाषा स्वाभाविक व सटीक हो। • अंत में सीख स्पष्ट हो। • शीर्षक सार्थक हो।
🟠 प्रकार
नैतिक • व्यंग्यात्मक • हास्य • प्रेरणादायक • सामाजिक
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❓ प्रश्न 1) : एक लापरवाह विद्यार्थी मेहनत और अनुशासन अपनाकर कैसे बदलता है, दिखाइए।
✅ उत्तर – लघुकथा: “मेहनत का उत्सव”
आदित्य को खेलना-पढ़ना सब चाहिए था, पर नियम किसी का नहीं। प्रथम त्रैमासिक परीक्षा में अंक गिर गए तो माँ ने कहा, रोज़ का छोटा प्रयास बड़ा फल देता है। आदित्य ने अगले दिन से समय-सारिणी बनाकर चलना शुरू किया। सुबह जल्दी उठना, विद्यालय में ध्यान से सुनना, गृहकार्य समय पर करना और रात को दिनभर का संक्षेप लिखना उसकी आदत बन गया। सप्ताह भर में अध्यापक ने परिवर्तन देखा और उसे कक्षा प्रतिनिधि बना दिया। वार्षिक परीक्षा में आदित्य के बहुत अच्छे अंक आए। परिणाम देखकर उसने समझा कि भाग्य नहीं, तैयारी बोलती है।
शिक्षा – निरंतर मेहनत से ही सफलता मिलती है।
❓ प्रश्न 2) : बार-बार झूठ बोलने वाले बालक के साथ ऐसी घटना घटे कि उसे सच का मूल्य समझ आए।
✅ उत्तर – लघुकथा: “विश्वास की कीमत”
कुनाल छोटे-छोटे लाभ के लिए झूठ बोल देता था। कभी बीमारी का बहाना, कभी गृहकार्य खोने की कहानी। मित्रों ने हँसकर सह लिया, पर मन में खटास जमा होती गई। एक दिन घर लौटते समय उसका पर्स बस में कहीं गिर गया। वह घबराकर चौकी पर पहुँचा और आवेदन लिखवाया। अधिकारी ने पूछा, क्या कोई पहचान है। मित्र विवेक वहीं मिला; पर कुनाल की आदत याद कर उसने कहा, पहले भी कई बहाने बनते देखे हैं। निराश कुनाल घर लौटा। शाम को चालक ने पर्स लौटाया, क्योंकि उसमें पता लिखा था। कुनाल ने सबके सामने क्षमा माँगी और ठान लिया कि अब केवल सच कहेगा।
शिक्षा – विश्वास टूटे तो संबंध सूख जाते हैं।
❓ प्रश्न 3): समय का मूल्य न समझने वाला विद्यार्थी देर के कारण अवसर खो दे, फिर सुधरे।
✅ उत्तर – लघुकथा: “समय की धड़कन”
मीरा सुबह देर तक सोती और काम टालती रहती थी। भाषण प्रतियोगिता के लिए वह चुनी गई, पर भाषण लिखने में देर लगाती रही। प्रतियोगिता वाले दिन बस छूट गई; स्कूल पहुँचते-पहुँचते मंच पर दूसरा प्रतिभागी खड़ा हो चुका था। मीरा के हाथ से अवसर निकल गया। घर आकर उसने घड़ी टाँगने के पास एक पर्ची चिपकाई—“समय पहले, काम बाद में नहीं।” अगले सप्ताह विज्ञान प्रदर्शनी थी। इस बार उसने योजना समय पर बनाई, सामग्री जुटाई और अभ्यास किया। प्रदर्शनी में उसके मॉडल ने पहला स्थान पाया। मीरा मुस्कराई—अवसर समय पर दस्तक देता है, देर करने पर लौट नहीं आता।
शिक्षा – समय-साधन से ही सफलता आती है।
❓ प्रश्न 4): दयालु सहायता का फल अप्रत्याशित रूप से लौटकर आए, ऐसा प्रसंग रचिए।
✅ उत्तर – लघुकथा: “भलाई की वापसी”
रवि बाज़ार से लौट रहा था। बरसात में फिसलकर एक बुज़ुर्ग सब्ज़ीवाले की टोकरी बिखर गई। लोग देखकर निकल गए, पर रवि ने भीगते हुए सब्ज़ियाँ समेटीं, सूखा कपड़ा दिया और घर तक छोड़ आया। बुज़ुर्ग ने आशीर्वाद देकर कहा, कभी ज़रूरत पड़े तो याद करना। कुछ महीनों बाद रवि की प्रवेश-परीक्षा का प्रवेश-पत्र रास्ते में खो गया। वह परेशान होकर उसी गली से लौटा। वही बुज़ुर्ग मिले; टोकरी में रखा एक लिफ़ाफ़ा दिखाकर बोले, यह तुम्हारा काग़ज़ सड़क पर मिला था, नाम पहचानकर रख लिया। रवि ने कृतज्ञता से उनका हाथ थामा। परीक्षा समय पर दी और चयनित हुआ।
शिक्षा – की गई मदद किसी न किसी रूप में लौटती है।
❓ प्रश्न 5 ): लालच के कारण व्यापार में हानि हो, फिर सच्चाई अपनाकर सुधार दिखे।
✅ उत्तर – लघुकथा: “मोल ईमान का”
ग्राम के चौराहे पर शंकर की किराने की दुकान चलती थी। पहले वह तौल ठीक रखता, पर लाभ बढ़ाने के लालच में बाट हल्का कर दिया। आरंभ में किसी को पता न चला, पर कुछ ग्राहकों ने समान कम निकलते देखा और बात फैल गई। लोग दूसरी दुकान की ओर मुड़ गए। महीना बीता तो गल्ला खाली और शटर आधा गिरा हुआ। शंकर को पिता की बात याद आई—कमाई नहीं, कमाई का तरीका नाम बनाता है। उसने बाट बदलवाए, तख्ते पर दर लिखकर तौल खुले में रखने लगा और पुराने ग्राहकों से क्षमा माँगी। धीरे-धीरे भीड़ लौट आई।
शिक्षा – ईमानदार व्यापार ही स्थायी होता है।
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संवाद लेखन
🔷 संवाद लेखन परिचय
संवाद लेखन दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाली सार्थक बातचीत को लिखित रूप में प्रस्तुत करना है। इसमें बोलचाल की स्वाभाविक भाषा, पात्रों के नाम, प्रसंग और घटनाक्रम क्रमबद्ध रूप से आते हैं ताकि पाठक बिना कठिनाई पूरी बात समझ सके।
🔶 संवाद लेखन के मुख्य बिंदु:
🟣 1. प्रसंग स्पष्ट रखें: बातचीत किस विषय/स्थिति पर है, शुरुआत में संकेत दें।
🔵 2. पात्रों के नाम लिखें: प्रत्येक पंक्ति से पहले पात्र का नाम, फिर कोलन।
🟢 3. बोलचाल की सरल भाषा: स्वाभाविक, संक्षिप्त, दैनिक जीवन के शब्द।
🟠 4. क्रमबद्धता: आरंभ–मध्य–समाप्ति; हर पंक्ति पिछले से जुड़ी हो।
🟡 5. संवाद-संतुलन: सभी प्रमुख पात्रों को बोलने का यथोचित अवसर।
🟤 6. प्रभावी भाव: जहाँ उचित हो, हर्ष/आश्चर्य/खेद आदि भाव शब्दों व विरामचिह्नों से दिखाएँ।
🔴 7. यथार्थता: स्थिति, स्थान, समय का संकेत; जरूरत हो तो (कोष्ठक) में मंच-संकेत लिखें।
🟩 8. शैली: छोटे वाक्य, सटीक मुहावरे/लोकोक्तियाँ, अप्रासंगिक विवरण नहीं।
🟧 9. वर्तनी–विरामचिह्न शुद्ध: प्रश्नवाचक, विस्मयादिबोधक, अल्पविराम का सही प्रयोग।
🟪 10. शब्द-सीमा: शिक्षक/प्रश्नपत्रानुसार; सामान्यतः संक्षिप्त और केन्द्रित।
🔷 सावधानियाँ:
🟢 1. कठिन/अप्रचलित शब्दों की भरमार न करें।
🔵 2. अनावश्यक उपदेश, वर्णन या कहानी-सा विस्तार न दें।
🟣 3. पात्रों के नाम/सम्बोधन बदलते न रहें; एकरूपता रखें।
🟠 4. काल–वचन की त्रुटि न हो (भूत/वर्तमान/भविष्य समय में संगति)।
🟡 5. विषय से न भटकें; हर पंक्ति उद्देश्य को आगे बढ़ाए।
🟤 6. अपमानजनक/अशिष्ट/असम्मानजनक भाषा से बचें।
🔴 7. मंच-संकेत (जैसे: [मुस्कुराते हुए]) कम और जहाँ आवश्यक हों वहीं।
🟩 8. ‘लंबे पैराग्राफ’ न बनाएं; हर वक़्ता नई पंक्ति से।
🟧 9. तथ्यात्मक त्रुटियाँ (तिथि, स्थान, कक्षा आदि) न रहें।
🟪 10. अंत में निष्कर्ष/निर्णय/संदेश अवश्य उभरे।
🌟 5 मॉडल संवाद
🟣 1.विषय: परीक्षा की तैयारी — छात्र और शिक्षक
शिक्षक: रोहन, विज्ञान की तैयारी कैसी चल रही है?
रोहन: सर, पुनरावृत्ति हो रही है, पर संख्यात्मक प्रश्नों में अटक जाता हूँ।
शिक्षक: प्रतिदिन 20 मिनट सूत्र लिखो और 10 प्रश्न हल करो।
रोहन: क्या मैं पहले आसान फिर मध्यम प्रश्न करूँ?
शिक्षक: हाँ, और गलती वाली कॉपी अलग बनाओ।
रोहन: समय-सारिणी बना लूँ?
शिक्षक: बिल्कुल, शाम 7 से 8 गणित, 8 से 8:30 विज्ञान संख्यात्मक।
रोहन: धन्यवाद सर, कल से नई योजना शुरू करूँगा।
शिक्षक: उत्तम! कल प्रगति बताना।
[रोहन सिर हिलाकर सहमति जताता है]
🟢2. विषय: सब्ज़ी के दाम — ग्राहक और सब्ज़ीवाला
ग्राहक: टमाटर कितने के हैं?
सब्ज़ीवाला: आज 40 रुपए किलो।
ग्राहक: कल तो 30 थे! कुछ कम कर दीजिए।
सब्ज़ीवाला: आज मंडी में भाव तेज हैं, पर आपको 36 दे दूँगा।
ग्राहक: एक किलो टमाटर और आधा किलो भिंडी तौल दीजिए।
सब्ज़ीवाला: और कुछ?
ग्राहक: हाँ, धनिया भी रख दीजिए।
सब्ज़ीवाला: कुल 60 रुपए हुए।
ग्राहक: ये लीजिए, धन्यवाद।
सब्ज़ीवाला: फिर आइएगा!
🟠3. विषय: समय प्रबंधन — दो मित्र
अंजलि: परीक्षा नज़दीक है, समय कैसे बाँट रही हो?
नेहा: सुबह 6 से 7 अंग्रेज़ी, स्कूल के बाद 1 घंटा गणित।
अंजलि: मोबाइल का क्या?
नेहा: तैयारी के समय नोटिफिकेशन बंद, केवल 15 मिनट ब्रेक में।
अंजलि: बढ़िया! क्या हम शाम को साथ में नमूना-पेपर हल करें?
नेहा: हाँ, रोज 7:30 पर वीडियो-कॉल कर लेते हैं।
अंजलि: चलो, आज से शुरू।
नेहा: तय रहा—एक-दूसरे को दिन के लक्ष्य बताएँगे।
अंजलि: पक्का!
🟡4. विषय: स्वास्थ्य पर सलाह — डॉक्टर और रोगी
रोगी: डॉक्टर साहब, दो दिन से हल्का बुखार और खाँसी है।
डॉक्टर: तापमान मापा?
रोगी: 99.5 रहा।
डॉक्टर: अधिक पानी पीजिए, भाप लें, गरारे करें; यह मौसमी संक्रमण लग रहा है।
रोगी: दवा की आवश्यकता?
डॉक्टर: हल्की दवा और आराम पर्याप्त होंगे; 3 दिन में सुधार न हो तो दिखाइए।
रोगी: भोजन में परहेज़?
डॉक्टर: तली-भुनी चीज़ें न लें, गर्म सूप/दलिया ठीक रहेगा।
रोगी: ठीक है, धन्यवाद।
डॉक्टर: शीघ्र स्वस्थ हों!
🟤5. विषय: वार्षिकोत्सव की तैयारी — छात्र–समिति बैठक
सचिव: कार्यक्रम की उद्घोषणा कौन करेगा?
स्वाति: मैं उद्घोषणा करूँगी, ड्राफ्ट तैयार है।
अरुण: सांस्कृतिक प्रस्तुति में समूह-गीत जोड़ें?
सचिव: अच्छा विचार, रिहर्सल शाम 5 बजे।
रोहित: अतिथियों के लिए स्वागत-बैनर मैंने डिज़ाइन कर दिया।
स्वाति: पुरस्कार सूची प्रिंट हो गई है।
अरुण: मंच-सज्जा कल सुबह होगी।
सचिव: बढ़िया! सभी टीमें समय पर पहुँचें।
सब: सहमत।
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संदेश लेखन
🌸 सूचना लेखन
🔹 1. सूचना क्या है?
सूचना एक संक्षिप्त औपचारिक लेखन है जिसके द्वारा किसी आयोजन, कार्य या घटना की महत्वपूर्ण जानकारी (जैसे समय, तिथि, स्थान) सार्वजनिक रूप से विद्यार्थियों या सदस्यों को दी जाती है।
🔹 2. सूचना कैसे बनती है?
🟢 सबसे ऊपर केंद्र में “सूचना” शीर्षक लिखा जाता है।
🔵 संस्था या विभाग का नाम लिखा जाता है।
🟡 दिनांक का उल्लेख किया जाता है।
🟣 विषय लिखा जाता है।
🟠 मुख्य विवरण दिया जाता है (क्या, कब, कहाँ, किसके लिए)।
🔴 अंत में सूचना जारी करने वाले का नाम और पद लिखा जाता है।
🔹 3. सूचना के मुख्य तत्व
🟢 शीर्षक (सूचना)
🔵 संस्था/विद्यालय का नाम
🟡 दिनांक
🟣 विषय
🟠 मुख्य विवरण (समय, स्थान, गतिविधि)
🔴 पद और नाम (सूचना जारी करने वाले का)
🟤 (वैकल्पिक) पता
🔹 4. पाँच उदाहरण सूचनाएँ
🟢 सूचना संख्या 1
सूचना
विद्यालय छात्र परिषद
दिनांक: 01/09/2025
स्वच्छता अभियान
सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि 05/09/2025 को प्रातः 08:00 से 10:00 बजे तक विद्यालय में स्वच्छता अभियान आयोजित होगा। इच्छुक छात्र भाग ले सकते हैं।
पद: छात्र परिषद सचिव
नाम: आर्यन वर्मा
🔵 सूचना संख्या 2
सूचना
विद्यालय पुस्तकालय समिति
दिनांक: 10/09/2025
नई पुस्तक आगमन
सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि पुस्तकालय में कक्षा 9-12 हेतु गणित व विज्ञान की नई पुस्तकें उपलब्ध हैं। इच्छुक छात्र पुस्तकालय से प्राप्त करें।
पद: पुस्तकालय प्रमुख
नाम: साक्षी राणा
🟡 सूचना संख्या 3
सूचना
विद्यालय स्वास्थ्य विभाग
दिनांक: 15/09/2025
स्वास्थ्य जांच शिविर
सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि 20/09/2025 को विद्यालय प्रांगण में 09:00 से 12:00 बजे तक स्वास्थ्य शिविर आयोजित होगा। सभी छात्र उपस्थित रहें।
पद: स्वास्थ्य संयोजक
नाम: मीनाक्षी शर्मा
🟣 सूचना संख्या 4
सूचना
विद्यालय सांस्कृतिक समिति
दिनांक: 18/09/2025
नाटक प्रतियोगिता
सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि 25/09/2025 को विद्यालय मंच पर नाटक प्रतियोगिता होगी। इच्छुक छात्र 22/09/2025 तक नाम दर्ज कराएँ।
पद: सांस्कृतिक समिति सचिव
नाम: आदित्य मिश्रा
🟠 सूचना संख्या 5
सूचना
विद्यालय खेल विभाग
दिनांक: 20/09/2025
क्रिकेट अभ्यास सत्र
कक्षा 9 और 10 के छात्रों को सूचित किया जाता है कि 23/09/2025 को सुबह 07:00 से 09:00 बजे तक खेल मैदान में क्रिकेट अभ्यास होगा। इच्छुक छात्र भाग लें।
पद: खेल सचिव
नाम: नेहा चौहान
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