Class 9, Hindi

Class : 9 – Hindi : Lesson 17. रीढ़ की हड्डी

संक्षिप्त लेखक परिचय

🎭 जगदीश चंद्र माथुर – एकांकीकार

🌟 जीवन परिचय
🌅 जन्म: 16 जुलाई, 1917 ई०, खुर्जा, बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)
💫 मृत्यु: 14 मई, 1978 ई०
🎓 शिक्षा: प्रयाग विश्वविद्यालय से M.A. (अंग्रेजी साहित्य), 1939 में
🏛️ सेवा: ICS अधिकारी (1941), आकाशवाणी महानिदेशक (1955-1962), शिक्षा सचिव बिहार
🏆 उपलब्धियां: आकाशवाणी का नामकरण, दूरदर्शन नाम सुझाव, कालिदास पुरस्कार

📚 साहित्यिक योगदान
⭐ एकांकी संग्रह
🌟 भोर का तारा (1946) – पाँच एकांकी नाटकों का संग्रह
💭 ओ मेरे सपने (1950) – मध्यवर्गीय समस्याओं का चित्रण
🎪 मेरे श्रेष्ठ रंग एकांकी – रंगमंचीय प्रयोग

🏛️ प्रसिद्ध नाटक
🎭 कोणार्क (1951) – उड़ीसा के सूर्य मंदिर पर आधारित ऐतिहासिक नाटक
🍂 शारदीया (1959) – 18वीं सदी के कलाकार की त्रासदी
👑 पहला राजा (1969) – पौराणिक पृष्ठभूमि पर आधारित

🎯 साहित्यिक विशेषताएं
✨ प्रयोगशीलता: पारंपरिक और आधुनिक तत्वों का समन्वय
🌈 विषय वैविध्य: ऐतिहासिक घटनाओं में समसामयिक समस्याओं का प्रतिबिंब
🎨 रंगमंच सुधारक: नई नाट्य शैली के सूत्रधार, प्रयोगात्मक नाट्य तकनीक
💡 सामाजिक चेतना: मध्यवर्गीय संघर्ष, कलाकार की समस्याएं
📻 मीडिया योगदान: रेडियो नाटकों के माध्यम से हिंदी साहित्य का प्रसार
🎪 नाट्य दर्शन: कला और संस्कृति की चिरंतन उपेक्षा का विद्रोहपूर्ण संदेश

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पाठ का विश्लेषण  एवं  विवेचन



🎭 एकांकी की व्याख्या
‘रीढ़ की हड्डी’ जगदीशचंद्र माथुर द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण सामाजिक एकांकी है जो भारतीय समाज की कुरीतियों, विशेषकर विवाह संस्था में व्याप्त रूढ़िवादिता पर करारा प्रहार करती है। यह एकांकी न केवल नारी शिक्षा के विरोध की मानसिकता को उजागर करता है बल्कि आत्मसम्मान और व्यक्तित्व के महत्व को भी रेखांकित करता है।

🎪 कथानक विश्लेषण
🌷 केंद्रीय पात्र उमा एक पढ़ी-लिखी लड़की है।
🌷 उसके पिता रामस्वरूप विवाह के लिए चिंतित हैं।
🌷 लड़के वाले गोपाल प्रसाद और पुत्र शंकर कम पढ़ी-लिखी बहू चाहते हैं।
🌷 रामस्वरूप अपनी पुत्री की B.A. की डिग्री छुपाकर केवल मैट्रिक पास बताते हैं।
🌷 क्लाइमेक्स – उमा अपना आत्मसम्मान जगाकर अपनी असली डिग्री प्रकट करती है और शंकर की कमजोरियों का पर्दाफाश करती है।
🌷 वह शंकर को “रीढ़ की हड्डी” न होने का ताना देती है।

🎨 पात्र विश्लेषण
🌸 उमा – मुख्य नायिका, आदर्श नारी चरित्र, शिक्षित, संस्कारित, आत्मसम्मानी। उसमें साहस, दृढ़ता और स्वाभिमान है। वह समाज की रूढ़ियों के विरुद्ध खड़ी होती है।
🌸 रामस्वरूप – परंपरावादी पिता, पुत्री से प्रेम करते हैं लेकिन सामाजिक दबाव में उसकी योग्यताओं को छुपाते हैं।
🌸 गोपाल प्रसाद – पुरुषवादी मानसिकता का प्रतीक। शिक्षित होते हुए भी नारी शिक्षा का विरोधी। विवाह को “बिजनेस” मानता है।
🌸 शंकर – कमजोर व्यक्तित्व और चरित्रहीनता का प्रतीक। उसमें आत्मविश्वास और स्वतंत्र निर्णय की क्षमता नहीं है।

🎯 प्रतीकात्मक अर्थ
🌟 “रीढ़ की हड्डी” = आत्मसम्मान, दृढ़ता और व्यक्तित्व।
🌟 जिस प्रकार रीढ़ की हड्डी के बिना व्यक्ति सीधा खड़ा नहीं हो सकता, उसी प्रकार आत्मसम्मान के बिना व्यक्ति समाज में अपनी पहचान नहीं बना सकता।

📚 सामाजिक संदेश
🔵 नारी शिक्षा का विरोध – पढ़ी-लिखी लड़कियों के प्रति पूर्वाग्रह।
🟢 विवाह में व्यापारिक दृष्टिकोण – लड़की को “सामान” मानने की प्रवृत्ति।
🟣 पुरुषवादी मानसिकता – “मोर के पंख होते हैं मोरनी के नहीं” जैसी सोच।
🔴 आत्मसम्मान का महत्व – व्यक्तित्व निर्माण में स्वाभिमान की भूमिका।

🎭 नाट्य तत्व
🌸 एकता का सिद्धांत – समय, स्थान और कार्य की एकता।
🌸 संवाद – स्वाभाविक और प्रभावशाली, पात्रों के चरित्र को उजागर करते हैं।
🌸 द्वंद्व और संघर्ष – परंपरा बनाम आधुनिकता, शिक्षा बनाम अशिक्षा, स्वाभिमान बनाम समझौता।

🌟 साहित्यिक महत्व
✨ यह एकांकी हिंदी साहित्य में नारी चेतना के विकास में महत्वपूर्ण।
✨ लेखक ने प्रयोगशील तकनीक से समसामयिक समस्याओं को प्रस्तुत किया।
✨ भाषा – सरल, सहज, प्रवाहमान और मध्यवर्गीय परिवेश को सजीव बनाती है।
✨ व्यंग्य और विडंबना का सफल प्रयोग।

🌷 निष्कर्ष
‘रीढ़ की हड्डी’ एक कालजयी रचना है जो आज भी समसामयिक प्रासंगिकता रखती है। यह नारी स्वाधीनता, शिक्षा का महत्व और आत्मसम्मान के मूल्यों को स्थापित करती है।

📝 सारांश
‘रीढ़ की हड्डी’ जगदीशचंद्र माथुर का सामाजिक एकांकी है। इसमें उमा नामक शिक्षित लड़की के विवाह प्रसंग से समाज के दोहरे मापदंड उजागर होते हैं। पिता रामस्वरूप उसकी B.A. की डिग्री छुपाते हैं क्योंकि लड़के वाले कम पढ़ी-लिखी बहू चाहते हैं। उमा अपने आत्मसम्मान को जगाकर अपनी शिक्षा प्रकट करती है और शंकर की कमजोरी का भंडाफोड़ करती है। यह एकांकी नारी स्वाभिमान, शिक्षा का महत्व और रूढ़ियों के विरोध का संदेश देता है।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


प्रश्न 1: रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा ज़माना था…..” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
🔍 उत्तर:
यह तुलना केवल एक पक्षीय और अतार्किक है।
उचित मानदंडों का उपयोग होना चाहिए।
आज के समय की तरक्की और बदलाव को भी मानना चाहिए।
निष्पक्ष तुलना ही दोनों युगों के अंतर को स्पष्ट कर सकती है।

प्रश्न 2: रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?
🔍 उत्तर:
यह उनकी रूढ़िवादी समाज के दबाव के सामने विवशता को दर्शाता है।
वे समाजिक अवधारणाओं के कारण अपनी सही सोच छुपा रहे हैं।
उनकी विवशता बताती है कि परंपराओं के भय में वे सच्चाई स्वीकार नहीं कर पा रहे।

प्रश्न 3: अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है?
🔍 उत्तर:
वे चाहते हैं कि बेटी अपनी उच्च शिक्षा का आचरण छोड़कर झूठा रूप धारण करे।
यह एक शिक्षित महिला के आत्मसम्मान के विरुद्ध है।
पुरुष वर्चस्व स्वीकार करने की मांग करना असमानता है।
जबकि विधि के अनुसार सभी समान अधिकारों के अधिकारी हैं।

प्रश्न 4: गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिज़नेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं?
🔍 उत्तर:
🎯 गोपाल प्रसाद की सोच विवाह को व्यापार और दहेज प्रथा से जोड़ती है।
🎯 यह विवाह की गरिमा और मधुरता को घटाता है।
🎯 वहीं रामस्वरूप भी अपराधी हैं क्योंकि वे बेटी को लड़ने की प्रेरणा देने की बजाय शिक्षा छुपा रहे हैं।
🎯 दोनों ही अपने-अपने ढंग से समाज की कुरीतियों को बनाए रखने में दोषी हैं।

प्रश्न 5: “…आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं…” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?
🔍 उत्तर:
🎯 चारित्रिक दुर्बलता – लड़कियों के हॉस्टल के चक्कर लगाते पकड़ा गया।
🎯 स्वतंत्र व्यक्तित्व का अभाव – पिता की आज्ञा पर ही चलता है।
🎯 शारीरिक कमजोरी – सीधा बैठ भी नहीं पाता।
🎯 इस कथन से उसकी संपूर्ण निर्बलता और निकृष्टता उजागर होती है।

प्रश्न 6: शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की – समाज को कैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है?
🔍 उत्तर:
🌟 समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है।
🌟 स्पष्टवादी, स्वाभिमानी और साहसी लोग ही समाज की जड़ता तोड़कर परिवर्तन ला सकते हैं।
🌟 शंकर जैसे लोग पढ़े-लिखे होकर भी रूढ़िवाद और निर्बलता के प्रतीक हैं।
🌟 ऐसे लोग समाज के लिए अवरोधक हैं, उपयोगी नहीं।

प्रश्न 7: ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
🔍 उत्तर:
🟢 रीढ़ की हड्डी शरीर के लिए आधार है।
🟢 उसी प्रकार आत्मसम्मान समाज के लिए आधार है।
🟢 यदि स्त्री-पुरुष दोनों को समान अधिकार न मिले तो समाज स्वस्थ नहीं रह सकता।
🟢 इसलिए यह शीर्षक पूरी तरह प्रतीकात्मक और उपयुक्त है।

प्रश्न 8: कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
🔍 उत्तर:
🌸 मुख्य पात्र उमा है।
🌸 वह महिलाओं की प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत है।
🌸 वह स्पष्टवादी, आत्मसम्मानी और साहसी है।
🌸 अनुचित बातों का विरोध करती है और शिक्षित नारी की गरिमा को बनाए रखती है।

प्रश्न 9: एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
🔍 उत्तर:
🎭 रामस्वरूप
आधुनिक सोच रखते हैं और बेटी को पढ़ाना चाहते हैं।
परंतु उसकी शिक्षा छिपाते हैं – यह उनकी कायरता और विवशता को दिखाता है।
🎭 गोपाल प्रसाद
संकीर्ण और रूढ़िवादी।
पुरुष-नारी समानता को अस्वीकार करते हैं।
विवाह को केवल बिज़नेस और दहेज से जोड़ते हैं।
यह उनकी पुरुषवादी और तुच्छ मानसिकता को दर्शाता है।

प्रश्न 10: इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।
🔍 उत्तर:
🎯 नारी शिक्षा के विरोध को उजागर करना।
🎯 दहेज प्रथा के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना।
🎯 स्त्री-पुरुष समानता की स्थापना करना।
🎯 महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार दिलाने का संदेश देना।

प्रश्न 11: समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
🔍 उत्तर:
💡 महिलाओं की शिक्षा हेतु अभियान चलाना और विद्यालय खोलना।
💡 लोगों को जागरूक करना कि विधि और ईश्वर के समक्ष सब समान हैं।
💡 दहेज प्रथा के नुकसान बताकर समाज से इसका विरोध कराना।
💡 महिलाओं को रोज़गार और स्वावलंबन के अवसर दिलाना।
💡 गृहकार्य को भी मान्यता दिलाकर महिलाओं के श्रम को सम्मानित करना।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न



🎯 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) – 5 प्रश्न
प्रश्न 1: उमा के पिता रामस्वरूप उसकी शैक्षणिक योग्यता के बारे में क्या झूठ बोलते हैं?
(A) वह अशिक्षित है
(B) वह केवल हाई स्कूल पास है
(C) वह केवल मैट्रिक पास है
(D) वह केवल इंटरमीडिएट पास है
✅ उत्तर: (C) वह केवल मैट्रिक पास है

प्रश्न 2: गोपाल प्रसाद विवाह को किस रूप में देखते हैं?
(A) पवित्र बंधन के रूप में
(B) व्यापारिक सौदे के रूप में
(C) सामाजिक रीति के रूप में
(D) धार्मिक संस्कार के रूप में
✅ उत्तर: (B) व्यापारिक सौदे के रूप में

प्रश्न 3: “मोर के पंख होते हैं मोरनी के नहीं” – यह कथन किसका है?
(A) रामस्वरूप का
(B) उमा का
(C) गोपाल प्रसाद का
(D) शंकर का
✅ उत्तर: (C) गोपाल प्रसाद का

प्रश्न 4: एकांकी में शंकर की मुख्य कमजोरी क्या दिखाई गई है?
(A) वह अशिक्षित है
(B) उसमें आत्मविश्वास की कमी है
(C) वह गरीब है
(D) वह अभद्र व्यवहार करता है
✅ उत्तर: (B) उसमें आत्मविश्वास की कमी है

प्रश्न 5: उमा के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?
(A) सुंदरता
(B) स्वाभिमान और आत्मसम्मान
(C) धन-संपत्ति
(D) पारिवारिक पृष्ठभूमि
✅ उत्तर: (B) स्वाभिमान और आत्मसम्मान

📝 लघु उत्तरीय प्रश्न (5 प्रश्न)
प्रश्न 1: रामस्वरूप अपनी पुत्री की B.A. की डिग्री क्यों छुपाते हैं?
🔍 उत्तर: रामस्वरूप अपनी पुत्री की B.A. की डिग्री इसलिए छुपाते हैं क्योंकि गोपाल प्रसाद और शंकर कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहते हैं। वे मानते हैं कि ज्यादा पढ़ी-लिखी लड़की उनकी बात नहीं मानेगी और घर में अशांति फैलाएगी। सामाजिक दबाव के कारण रामस्वरूप को यह झूठ बोलना पड़ता है।

प्रश्न 2: उमा के व्यक्तित्व की दो मुख्य विशेषताएं लिखिए।
🔍 उत्तर:
आत्मसम्मान – उमा में प्रबल आत्मसम्मान की भावना है।
स्पष्टवादिता – उमा झूठ और दिखावे का विरोध करती है तथा हर स्थिति में सत्य का साथ देती है।

प्रश्न 3: गोपाल प्रसाद की नारी शिक्षा के प्रति क्या धारणा है?
🔍 उत्तर: गोपाल प्रसाद की नारी शिक्षा के प्रति नकारात्मक धारणा है। वे मानते हैं कि स्त्रियों को अधिक शिक्षा की आवश्यकता नहीं है। उनके अनुसार “मोर के पंख होते हैं मोरनी के नहीं” अर्थात् पुरुष को सजने-संवरने का अधिकार है, स्त्री को नहीं। वे शिक्षित स्त्री को अपने परिवार के लिए खतरा मानते हैं।

प्रश्न 4: एकांकी में दहेज प्रथा का चित्रण कैसे हुआ है?
🔍 उत्तर: एकांकी में दहेज प्रथा का यथार्थपरक चित्रण हुआ है। गोपाल प्रसाद विवाह को “बिजनेस” मानते हैं और कहते हैं कि कम पढ़ी लड़की मिले तो दहेज भी कम देना पड़ेगा। यह दिखाया गया है कि कैसे लड़की की शिक्षा को उसकी “कीमत” से जोड़कर देखा जाता है।

प्रश्न 5: शंकर के चरित्र की दो मुख्य कमजोरियां बताइए।
🔍 उत्तर:
निर्णयहीनता – शंकर हमेशा अपने पिता की राय पर निर्भर रहता है।
चारित्रिक दुर्बलता – वह लड़कियों के हॉस्टल में चक्कर लगाता है और उसकी नैतिकता पर प्रश्नचिह्न लगे हैं।

📖 मध्यम उत्तरीय प्रश्न (4 प्रश्न)
प्रश्न 1: उमा के आत्मसम्मान जगाने वाले कारकों का विश्लेषण करते हुए बताइए कि वह अपने रिश्ते से क्यों मना कर देती है?
🔍 उत्तर: उमा को अपनी डिग्री छुपाने का अपमान, गोपाल प्रसाद और शंकर की नारी विरोधी टिप्पणियां, और शंकर की चारित्रिक कमजोरी – ये सब उसके आत्मसम्मान को जगाते हैं। उमा समझ जाती है कि इस रिश्ते में उसकी गरिमा का हनन होगा। इसलिए वह आत्मसम्मान की रक्षा के लिए रिश्ते से मना कर देती है।

प्रश्न 2: एकांकी में चित्रित मध्यवर्गीय परिवारों की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
🔍 उत्तर:
आर्थिक दबाव – शिक्षित लड़की के लिए अधिक दहेज देना।
सामाजिक दिखावा – “लोग क्या कहेंगे” की चिंता।
नई-पुरानी विचारधारा का संघर्ष – शिक्षा दिलाने के बावजूद परंपरा निभाना।
लैंगिक भेदभाव – लड़कियों की शिक्षा को बोझ मानना।

प्रश्न 3: रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद के व्यक्तित्व की तुलनात्मक समीक्षा करते हुए बताइए कि दोनों में कौन अधिक दोषी है?
🔍 उत्तर:
रामस्वरूप – आधुनिक सोच वाले हैं, बेटी को पढ़ाते हैं, पर सामाजिक दबाव में विवश हैं।
गोपाल प्रसाद – नारी शिक्षा विरोधी, विवाह को व्यापार मानते हैं, पुरुषवादी सोच रखते हैं।
➡️ तुलनात्मक रूप से गोपाल प्रसाद अधिक दोषी हैं क्योंकि वे सचेत रूप से कुरीतियों को बढ़ावा देते हैं।

प्रश्न 4: एकांकी के माध्यम से लेखक ने समाज सुधार का कौन सा संदेश दिया है?
🔍 उत्तर:
नारी शिक्षा का महत्व – लड़कियों को समान शिक्षा का अधिकार।
दहेज प्रथा का विरोध – विवाह को व्यापार न मानकर पवित्र बंधन मानना।
आत्मसम्मान का महत्व – उमा के माध्यम से स्वाभिमान का संदेश।
सामाजिक साहस – कुरीतियों के विरुद्ध खड़े होने का आह्वान।

📚 विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (1 प्रश्न)
प्रश्न:1 ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करते हुए इस बात का विश्लेषण करिए कि यह कृति किस प्रकार आज के युग में भी प्रासंगिक है। साथ ही बताइए कि एकांकी का मुख्य संदेश क्या है और वह समसामयिक संदर्भों में कैसे उपयोगी है?


🔍 विस्तृत उत्तर:
🎯 शीर्षक की सार्थकता
रीढ़ की हड्डी शरीर का आधार है, इसके बिना मनुष्य खड़ा नहीं रह सकता।
प्रतीकात्मक दृष्टि से यह आत्मसम्मान और दृढ़ता का प्रतीक है।
शंकर में यह रीढ़ नहीं है – न शारीरिक रूप से, न ही चारित्रिक रूप से।
उमा के आत्मसम्मान और स्वाभिमान में ही वास्तविक “रीढ़ की हड्डी” है।

🌟 समसामयिक प्रासंगिकता
आज भी “अधिक पढ़ी-लिखी लड़की का रिश्ता नहीं मिलता” जैसी सोच बनी हुई है।
दहेज प्रथा आज भी मौजूद है।
कार्यक्षेत्र में महिलाओं को पुरुषों से बराबर अवसर नहीं मिलते।
समाज आज भी “लोग क्या कहेंगे” के दबाव में जी रहा है।

🎭 मुख्य संदेश
नारी सशक्तिकरण – महिलाओं को शिक्षा और स्वतंत्रता का समान अधिकार।
आत्मसम्मान का महत्व – गलत परंपराओं के विरुद्ध खड़े होना।
सामाजिक साहस – रूढ़ियों को तोड़ने का साहस आवश्यक।
शिक्षा की शक्ति – व्यक्तित्व विकास का आधार शिक्षा है।

💡 समसामयिक उपयोगिता
“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियानों को बल।
केवल कानून नहीं, बल्कि सामाजिक मानसिकता बदलने की आवश्यकता।
परिवार और समाज को लैंगिक समानता की शिक्षा देनी चाहिए।
साहित्य और मीडिया समाज में चेतना जगाने का साधन हैं।

✨ निष्कर्ष: ‘रीढ़ की हड्डी’ एक कालजयी एकांकी है जो नारी गरिमा, शिक्षा और आत्मसम्मान का सशक्त संदेश देती है और आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। ✨1

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