Class 9, Hindi

Class : 9 – Hindi : Lesson 10. कैदी और कोकिला

संक्षिप्त लेखक परिचय


🔵 🧬 जीवन परिचय:
🔹 पूरा नाम: माखनलाल चतुर्वेदी
🔹 जन्म तिथि: 4 अप्रैल 1889
🔹 जन्म स्थान: बाबई, होशंगाबाद (मध्यप्रदेश)
🔹 मुख्य भूमिका: कवि, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी
🔹 प्रेरणा स्रोत: महात्मा गांधी के विचार
🔹 प्रसिद्ध पत्रिकाएँ: ‘प्रताप’, ‘कर्मवीर’ (संपादन किया)
🔹 निधन: 30 जनवरी 1968
🌿 वे साहित्य और स्वाधीनता संग्राम—दोनों में समान रूप से सक्रिय रहे।

🟣 📚 साहित्यिक योगदान:
🌟 माखनलाल चतुर्वेदी को हिंदी साहित्य में राष्ट्रकवि के रूप में जाना जाता है।
✍️ वे छायावाद युग के उन कवियों में रहे जिन्होंने काव्य को देशभक्ति से जोड़ा।
📖 उनकी कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ आज भी राष्ट्रप्रेम का प्रतीक है।
📝 उन्होंने जनमानस में चेतना जागृत करने के लिए साहित्य को संघर्ष का माध्यम बनाया।
📚 उनकी प्रमुख रचनाएँ:
  🔸 हिम किरीटिनी
  🔸 सहिता
  🔸 अमर राष्ट्र
  🔸 समर्पण


🗣️ उनकी रचनाएँ ओज, आत्मगौरव, और स्वतंत्रता के भाव से परिपूर्ण हैं।
🏅 उन्हें ‘साहित्य वाचस्पति’ और ‘पद्मभूषण’ जैसे सम्मान प्राप्त हुए।
🌺 उनका साहित्य एक जीवंत प्रेरणा स्रोत है जो आज भी नवयुवकों को देशसेवा की प्रेरणा देता है।

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पाठ का विश्लेषण  एवं  विवेचन


📜 कविता की पृष्ठभूमि
🟣 ‘कैदी और कोकिला’ कविता माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा जेल में रहते हुए रची गई थी।
🔵 1921 के असहयोग आंदोलन के दौरान जबलपुर में झंडा सत्याग्रह का नेतृत्व करने के कारण उन्हें जेल में डाल दिया गया था।
🟢 जेल की काली दीवारों पर कोयले से लिखी गई यह कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महान कृतियों में से एक है।


🎯 कविता का प्रतिपाद्य विषय
🟡 यह कविता ब्रितानी शासन द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर किए गए अमानवीय अत्याचारों का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करती है।
🔴 कविता में एक कैदी और कोकिला के मध्य रात्रि में हुए काल्पनिक संवाद के माध्यम से जेल की यातनाओं, वेदना और स्वतंत्रता की आकांक्षा को दर्शाया गया है।
🟣 कवि को रात के अंधकार में कोयल की करुण पुकार सुनाई देती है।
🔵 वह समझ जाता है कि कोयल भी देश की दुर्दशा से दुखी है और अपनी वेदना व्यक्त कर रही है।
🟢 कैदी कोयल से विभिन्न प्रश्न पूछता है और अपनी यातनाभरी स्थिति का वर्णन करता है।


🌌 काव्य विषय का विस्तृत विवेचन
🌿 प्रथम प्रश्न-श्रृंखला: कोयल की करुण पुकार
🔷 कविता की शुरुआत कैदी के प्रश्नों से होती है — तुम क्या गा रही हो? क्यों रुक जाती हो? किसका संदेश लाई हो?
🟩 कोयल स्वतंत्रता, आशा और प्रकृति का प्रतीक है।
🟠 कैदी अपनी स्थिति का वर्णन करते हुए कहता है — वह ऊँची काली दीवारों में डाकुओं, चोरों और लुटेरों के साथ बंद है।
🟣 उसे भरपेट खाना नहीं मिलता और न ही मरने दिया जाता है।


🔗 जेल की दुर्दशा और मानसिक यातना
🟥 कवि कहता है — जीवन पर दिन-रात कड़ा पहरा है।
🟦 चंद्रमा भी निराश करता है, रात्रि भी काली लगती है।
🟨 इस अंधेरे में कोयल क्यों जाग रही है? — यह कैदी की मानसिक व्यथा का संकेत है।


💔 कोयल की वेदना और हूक
🟩 कैदी को कोयल की आवाज़ में पीड़ा सुनाई देती है — क्यों हूक पड़ी है?
🟪 कोयल की मधुर आवाज़ उसका वैभव थी — अब वह करुणा से भरी है।
🟧 यह सांस्कृतिक संपदा के लुप्त होने का संकेत है।


🩸 कैदी की शारीरिक और मानसिक यातना
🔵 कैदी कहता है — क्या तुम हमारी जंजीरें नहीं देख सकतीं?
🟠 हथकड़ियाँ ‘ब्रिटिश राज का गहना’ हैं।
🔷 कोल्हू की चर्रक-चूं उसकी जीवन-तान है।
🟨 गिट्टी पर अंगुलियों से गान लिखे गए हैं।


💪 कैदी का संघर्ष और दृढ़ता
🟥 कैदी कहता है — पेट पर जुआ बांधकर मोट खींचता हूँ।
🟩 ब्रिटिश अकड़ का कुआँ खाली करता हूँ।
🟦 यहाँ उसकी राष्ट्रभक्ति और अदम्य इच्छाशक्ति झलकती है।


🌑 कालेपन का प्रतीकवाद
🟣 कोयल काली है, रात काली है, शासन काला है।
🟡 कल्पना, कालकोठरी, टोपी-कमली, जंजीरें, पहरेदार की हुंकार — सब काले हैं।
🔴 ‘काला’ रंग यहाँ अंधकार, अत्याचार, निराशा का प्रतीक है।


🆚 स्वतंत्रता और परतंत्रता की तुलना
🟢 कोयल को हरी डालियाँ, पूरा आकाश मिला है।
🟠 कैदी को मिली है काली कोठरी और दस फुट की दुनिया।
🔵 कोयल के गीतों की वाहवाही होती है, उसका रोना भी अपराध है।


🙏 गांधी जी का संदर्भ और आह्वान
🟣 कैदी पूछता है — मोहन (गांधी जी) के व्रत पर प्राणों का आसव कहाँ भरें?
🟥 यह राष्ट्र के लिए जीवन अर्पित करने की भावना है।


📝 काव्य शिल्प और भाषा
🗣️ भाषा की विशेषताएं
🟡 सरल, सहज और प्रवाहपूर्ण खड़ी बोली।
🟢 तत्सम-तद्भव शब्दों का सुंदर मिश्रण — ‘कोकिला’, ‘आली’, ‘हिमकर’ आदि।
💎 अलंकार योजना
🔷 अनुप्रास — ‘काली तू, रजनी भी काली’
🟩 रूपक — ‘हथकड़ियाँ ब्रिटिश राज का गहना’


📏 छंद विधान
🟠 मुक्त छंद में लेखन, परन्तु लयबद्धता मौजूद।
🟣 ‘कोकिल बोलो तो’ की आवृत्ति से संगीतमयता उत्पन्न।


🌈 प्रतीक विधान
🔵 कोकिला — स्वतंत्रता और आशा
🟡 काला रंग — अंधकार और अत्याचार
🟥 जंजीरें — गुलामी
🟩 रात्रि — अंध युग
🏛️ सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भ
✊ स्वतंत्रता संग्राम का चित्रण
🟠 कविता असहयोग आंदोलन (1920-21) की पृष्ठभूमि पर आधारित है।
🟣 हजारों सेनानियों को जेल में डाला गया था — यह कविता उस युग का दस्तावेज है।


🚫 जेल व्यवस्था की क्रूरता
🔵 राजनीतिक कैदी आम अपराधियों के साथ रखे जाते थे।
🟩 उन्हें भरपेट भोजन नहीं, कठिन परिश्रम और मानसिक पीड़ा दी जाती थी।


🇮🇳 राष्ट्रीय भावना का उदबोधन
🟡 कैदी की वेदना और संघर्ष स्वतंत्रता के लिए प्रेरणा देता है।
🟥 यह कविता युवाओं को जागरूक करने वाली रचना है।


🧭 काव्य की प्रासंगिकता और संदेश
📆 तत्कालीन प्रासंगिकता
🟩 प्रताप पत्रिका में प्रकाशित — सेनानियों का मनोबल बढ़ाती थी।
🟣 जनसाधारण में चेतना जगाने का कार्य करती थी।


🔥 शाश्वत संदेश
🟥 अत्याचार व अन्याय के विरुद्ध संघर्ष की प्रेरणा देती है।
🔵 स्वतंत्रता के मूल्य और बलिदान का महत्व स्पष्ट करती है।
📚 साहित्यिक महत्व
🟢 यह कविता राष्ट्रीय धारा की अमूल्य कृति है।
🟡 व्यक्तिगत पीड़ा को सामाजिक चेतना में बदलने का श्रेष्ठ उदाहरण।


✅ निष्कर्ष
🔴 ‘कैदी और कोकिला’ केवल कविता नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम का ऐतिहासिक दस्तावेज है।
🟣 इसमें कोकिला के प्रतीक के माध्यम से स्वतंत्रता की गूंज सुनाई देती है।
🟠 सहज भाषा और गहन भाव इसका स्थायी आकर्षण है।
🟢 माखनलाल चतुर्वेदी की यह कृति उन्हें ‘एक भारतीय आत्मा’ के रूप में प्रतिष्ठित करती है।

📝 सारांश (100 शब्दों में)
🟪 माखनलाल चतुर्वेदी की ‘कैदी और कोकिला’ स्वतंत्रता संग्राम की महान कृति है।
🟨 जेल में बंद कैदी रात के अंधकार में कोयल से संवाद करता है।
🟧 वह अपनी यातनाओं, जंजीरों और कष्टों का वर्णन करता है।


🟥 कोयल स्वतंत्रता का प्रतीक है जबकि काला रंग अत्याचार का प्रतीक है।
🟩 कैदी और कोयल की परिस्थितियों की तुलना में स्वतंत्रता की महत्ता उजागर होती है।
🔷 कविता में ब्रिटिश शासन की क्रूरता और स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष का मार्मिक चित्रण है।
🟦 यह राष्ट्रीय चेतना जगाने वाली अमर कृति है।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


❓ प्रश्न 1. कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?
🔸 उत्तर: कोयल की कूक सुनकर कवि को लगा कि वह मानो उसे कुछ कहना चाहती है। या तो वह उसे निरंतर लड़ते रहने की प्रेरणा देना चाहती है या उसकी यातनाओं के दर्द को बाँटना चाहती है। उसे लगता है कि कोकिल कवि के कष्टों को देखकर आँसू बहा रही है और चुपचाप अँधेरे को बेधकर विद्रोह की चेतना जगा रही है। इसलिए अंत में कवि उसके इशारों पर आत्म-बलिदान करने को तैयार हो जाता है।

❓ प्रश्न 2. कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई?
🔸 उत्तर: कवि ने कोकिल के बोलने पर निम्नलिखित कारणों की संभावना जताई है:
🔹 कोयल जेल में बंद क्रांतिकारियों को देशवासियों की दुर्दशा के बारे में बताने आई है
🔹 कोयल कैदी क्रांतिकारियों को धैर्य बँधाने एवं दिलासा देने आई है
🔹 कोयल कैदी क्रांतिकारियों के दुखों पर मरहम लगाने आई है
🔹 कोयल ने दावानल की ज्वालाएं देख ली हैं और उसकी सूचना देने आई है
🔹 कोयल पागल हो गई है जो आधी रात में चीख रही है

❓ प्रश्न 3. किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों?
🔸 उत्तर: ब्रिटिश शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है। क्योंकि ब्रिटिश शासकों ने बेकसूर भारतीयों पर घोर अत्याचार किए। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को कारागृह में तरह-तरह की यातनाएं दीं। उन्हें कोल्हू के बैल की तरह जोता गया। अंग्रेज सरकार की कार्यप्रणाली अंधकार की तरह काली थी। यहाँ अंधकार का मतलब अन्याय से है – अंग्रेज शासन प्रणाली अन्यायपूर्ण थी।

❓ प्रश्न 4. कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।
🔸 उत्तर: पराधीन भारत की जेलों में भारतीयों को पशुओं की भाँति रखा जाता था। उन्हें ऐसी यातनाएं दी जाती थीं कि सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं:
🔹 उन्हें ऊँची-ऊँची दीवार वाली जेलों में रखा जाता था
🔹 उन्हें दस फुट की छोटी-छोटी कोठरियों में रखा जाता था
🔹 उन्हें भरपेट खाना नहीं दिया जाता था
🔹 उनके साथ पशुओं-सा व्यवहार किया जाता था
🔹 उन्हें बात-बात पर गालियाँ दी जाती थीं
🔹 उन्हें तड़प-तड़पकर मरने के लिए छोड़ दिया जाता था
🔹 कैदियों से पशुओं की तरह काम करवाया जाता था
🔹 अँधेरी कोठरियों में कैदियों को जंजीरों से बाँधकर रखा जाता था
🔹 क्रांतिकारियों को चोर, लुटेरे और डाकूओं के साथ रखा जाता था

❓ प्रश्न 5. भाव स्पष्ट कीजिए
🔹 (क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो!
🔸 उत्तर: कवि के अनुसार, वैसे तो संसार में कष्ट-ही-कष्ट हैं। यदि कहीं कुछ मृदुलता और सरसता बची है तो वह कोयल के मधुर स्वर में बची है। अतः कोयल मृदुलता की रखवाली करने वाली है। वह उससे पूछता है कि आखिर वह जेल में अपना मधुर स्वर गुँजाकर उसे क्या कहना चाहती है!


🔹 (ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ।
🔸 उत्तर: इसमें जेल की असहनीय यातनाएँ झेलता हुआ कवि स्वाभिमानपूर्वक कहता है कि वह अपने पेट पर कोल्हू का जूआ बाँधकर चरसा चला रहा है। आशय यह है कि उससे पशुओं जैसा सख्त काम लिया जा रहा है। फिर भी वह हार नहीं मान रहा। इससे ब्रिटिश सरकार की अकड़ ढीली पड़ रही है। अंग्रेज़ों को बोध हो गया है कि अब अत्याचार करने से भी वे सफल नहीं हो सकते।

❓ प्रश्न 6. अर्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है?
🔸 उत्तर: आधी रात में कोयल की चीख सुनकर कवि को यह अंदेशा होता है कि उसने भारतीयों के आक्रोश एवं असंतोष की ज्वाला देख ली होगी। यह ज्वाला जंगल में लगने वाली आग के समान भयंकर रही होगी। कोयल उसी ज्वाला (क्रांति) की सूचना देने जेल परिसर के पास आई है।

❓ प्रश्न 7. कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है?
🔸 उत्तर: कवि को कोयल से इसलिए ईर्ष्या हो रही है क्योंकि कोयल स्वतंत्र है, जबकि कवि बंदी है। कोयल हरियाली का आनंद ले रही है, जबकि कवि दस फुट की अँधेरी कोठरी में जीने के लिए विवश है। कोयल के गान की सभी सराहना करते हैं, जबकि कवि के लिए रोना भी गुनाह हो गया है।

❓ प्रश्न 8. कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है?
🔸 उत्तर: कवि के स्मृति पटल पर कोयल की कर्णप्रिय अत्यंत मधुर स्वर की स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें अब वह नष्ट करने पर तुली है। कवि के अनुसार कोयल मधुर गान करती है परंतु आधी रात को उसका चीखना उसके मधुर गान के विपरीत है। इस प्रकार जो कोमल स्मृतियां कवि के मन में थी वह अब नष्ट होने के कगार पर है।

❓ प्रश्न 9. हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है?
🔸 उत्तर: गहना उस आभूषण को कहते हैं, जो धारणकर्ता का गौरव और सौंदर्य बढ़ाए। पं. माखनलाल चतुर्वेदी जैसे क्रांतिकारी, जिन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए स्वयं प्रेरणा से संघर्ष का मार्ग अपनाया था, जेल को अपना प्रिय आवास तथा हथकड़ियों को गहना समझते थे। उन्हें किसी गलत कार्य के लिए हथकड़ी नहीं पहननी पड़ी। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के महान उद्देश्य के लिए हथकड़ियाँ स्वीकार कीं, अतः उनसे उनका गौरव बढ़ा। समाज ने उन्हें उन हथकड़ियों के लिए प्रतिष्ठा दी। इसलिए उन्होंने हथकड़ियों को गहना कहा।

❓ प्रश्न 10. ‘काली तू … ऐ आली!’ – इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
🔸 उत्तर: ‘काली तू … ऐ आली!’ इन पंक्तियों में काली शब्द की आवृत्ति हुई है। इस शब्द का अर्थ भी उसके संदर्भानुसार है। संदर्भ के अनुसार काली शब्द के निम्नलिखित अनेक अर्थ हैं:
🔹 हथकड़ियाँ, रात, कोयल आदि का रंग काला बताने के लिए
🔹 अंग्रेजों के अन्यायपूर्ण कारनामें बताने के लिए
🔹 पराधीन भारतीयों का भविष्य अंधकारमय बताने के लिए
🔹 अंग्रेज़ों के प्रति भारतीयों के मन में उठने वाले आक्रोश के संबंध में

❓ प्रश्न 11. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
🔹 (क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?
🔸 उत्तर:
🔹 इस काव्य-पंक्ति में जेल की यातनाओं को दावानल की ज्वालाएँ कहा गया है
🔹 ब्रिटिश जेलों की असहनीय यातनाओं के लिए यह उपमान सटीक बन पड़ा है
🔹 इसमें कोयल की कूक को चीख मानकर कवि उससे प्रश्न कर रहा है
🔹 कोयल का मानवीकरण प्रभावी बन पड़ा है
🔹 ‘दावानल की ज्वालाएँ’ में रूपकातिशयोक्ति तथा अनुप्रास अलंकार है
🔹 प्रश्न शैली का प्रयोग प्रभावी बन पड़ा है


🔹 (ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह! देख विषमता तेरी-मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!
🔸 उत्तर:
🔹 इसमें कोयल की मधुर तान और जेल में बंद कवि की यातनाओं का तुलनात्मक वर्णन बहुत मार्मिक बन पड़ा है
🔹 कोयल सब जगह प्रशंसा पाती है, जबकि कवि के लिए रोना भी संभव नहीं है
🔹 कोयल का मानवीकरण बहुत सुंदर बन पड़ा है
🔹 कवि को प्रतीत होता है कि कोयल रणभेरी बजाने वाली स्वतंत्रता-सेनानी है
🔹 अपनी कूक द्वारा संघर्ष की प्रेरणा दे रही है
🔹 भाषा अत्यंत सरल, प्रवाहमयी, संगीतात्मक तथा तुकांत है
🔹 ‘तेरी-मेरी’ में अनुप्रास और स्वरमैत्री का संगम है

✍️ रचना एवं अभिव्यक्ति
❓ प्रश्न 12. कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है?
🔸 उत्तर: अन्य पक्षियों का चहकना सुनकर भी कवि केवल कोयल से ही बातें करता है क्योंकि कोयल का स्वर अन्य पक्षियों की अपेक्षा मधुर एवं कर्णप्रिय होता है। कोयल ही आधी रात के सुनसान में कूक रही थी। कोयल की कूक में ही उसे क्रांतिकारियों का संदेश होने की संभावना लगी।

❓ प्रश्न 13. आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा?
🔸 उत्तर: ब्रिटिश सरकार भारत की स्वतंत्रता के विरोध में थी। वह क्रांतिकारियों को दबाना चाहती थी। इसलिए वह उन्हें शारीरिक तथा मानसिक रूप से पीड़ित करती थी। उन्हें मानसिक रूप से तोड़ने के लिए उन्हें चोरों, अपराधियों, बटमारों के साथ रखती थी तथा आम अपराधियों जैसा दुर्व्यवहार करती थी।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

❓ प्रश्न 1. माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म कब हुआ था?
🔘 (क) 4 मार्च 1889
🔘 (ख) 4 अप्रैल 1889
🔘 (ग) 4 मई 1889
🔘 (घ) 4 जून 1889
✅ उत्तर: (ख) 4 अप्रैल 1889

❓ प्रश्न 2. ‘कैदी और कोकिला’ कविता कहाँ लिखी गई थी?
🔘 (क) घर में
🔘 (ख) आश्रम में
🔘 (ग) जेल में
🔘 (घ) स्कूल में
✅ उत्तर: (ग) जेल में

❓ प्रश्न 3. माखनलाल चतुर्वेदी को किस नाम से जाना जाता है?
🔘 (क) एक भारतीय आत्मा
🔘 (ख) राष्ट्रकवि
🔘 (ग) युगदृष्टा
🔘 (घ) क्रांतिकारी कवि
✅ उत्तर: (क) एक भारतीय आत्मा

❓ प्रश्न 4. ‘कैदी और कोकिला’ कविता में कोयल किसका प्रतीक है?
🔘 (क) प्रकृति का
🔘 (ख) स्वतंत्रता का
🔘 (ग) प्रेम का
🔘 (घ) संदेश का
✅ उत्तर: (ख) स्वतंत्रता का

❓ प्रश्न 5. माखनलाल चतुर्वेदी की मृत्यु कब हुई?
🔘 (क) 30 जनवरी 1967
🔘 (ख) 30 जनवरी 1968
🔘 (ग) 30 जनवरी 1969
🔘 (घ) 30 जनवरी 1970
✅ उत्तर: (ख) 30 जनवरी 1968

🟨 5 लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर
❓ प्रश्न 1. ‘कैदी और कोकिला’ कविता में जेल की स्थिति का वर्णन कीजिए।
🔸 उत्तर: कैदी और कोकिला कविता में जेल की दुर्दशा का मार्मिक चित्रण है। जेल में ऊँची काली दीवारें हैं जो कैदियों को घेरे हुए हैं। स्वतंत्रता सेनानियों को डाकू, चोर, बटमारों के साथ रखा गया है। उन्हें भरपेट खाना नहीं दिया जाता है और न ही मरने दिया जाता है। दिन-रात कड़ा पहरा रहता है। कैदियों को कोल्हू के बैल की तरह काम करना पड़ता है। जेल की अंधकारमय कोठरियाँ और कठोर व्यवस्था उनकी स्वतंत्रता को कुचल रही थी।

❓ प्रश्न 2. कैदी कोकिला से क्या प्रश्न पूछता है और क्यों?
🔸 उत्तर: कैदी कोकिला से पूछता है कि तुम क्या गाती हो? क्यों बार-बार रुक जाती हो? किसका संदेश लेकर आई हो? यह प्रश्न इसलिए पूछता है क्योंकि आधी रात में कोकिला की कूक सुनकर उसे लगता है कि यह कोई सामान्य गान नहीं है। कोकिला का गीत उसमें वेदना और पीड़ा भरा लगता है। उसे अनुभव होता है कि कोकिला भी देश की दुर्दशा से दुखी है और स्वतंत्रता सेनानियों को कोई संदेश देने आई है। इसलिए वह उससे यह प्रश्न करता है।

❓ प्रश्न 3. कविता में ‘काले’ रंग का प्रयोग किस भाव को व्यक्त करने के लिए किया गया है?
🔸 उत्तर: कविता में ‘काले’ रंग का प्रयोग दुख, निराशा, अत्याचार और अन्याय के प्रतीक के रूप में किया गया है। “काली तू, रजनी भी काली, शासन की करनी भी काली” में कवि ने दिखाया है कि कोकिला काली है, रात भी काली है और ब्रिटिश शासन के कारनामे भी काले यानी बुरे हैं। काली कल्पना, काली कोठरी, काली जंजीरें, काला कंबल – सब कुछ दुखदायी और निराशाजनक स्थिति को दर्शाता है। यह रंग पराधीनता के अंधकार को भी व्यक्त करता है।

❓ प्रश्न 4. कैदी हथकड़ियों को ‘गहना’ क्यों कहता है?
🔸 उत्तर: कैदी हथकड़ियों को ‘ब्रिटिश राज का गहना’ कहता है क्योंकि स्वतंत्रता सेनानियों के लिए यह हथकड़ियाँ अपमान या दंड नहीं बल्कि गर्व का विषय हैं। वे किसी व्यक्तिगत अपराध के लिए नहीं बल्कि देश की स्वतंत्रता के लिए जेल आए हैं। उन्होंने राष्ट्र सेवा के लिए यह बंधन स्वीकार किया है। इसलिए यह जंजीरें उनके त्याग और बलिदान की निशानी हैं। जिस प्रकार गहने व्यक्ति का सम्मान बढ़ाते हैं, उसी प्रकार यह हथकड़ियाँ भी उनका गौरव बढ़ाती हैं।

❓ प्रश्न 5. कविता में कैदी और कोकिला के बीच क्या समानता है?
🔸 उत्तर: कैदी और कोकिला दोनों में देश की दुर्दशा को लेकर वेदना और पीड़ा का भाव है। दोनों ही ब्रिटिश शासन की क्रूरता से दुखी हैं। कैदी जेल में बंद होकर यातनाएं झेल रहा है तो कोकिला भी आधी रात में करुण स्वर में कूक रही है। दोनों स्वतंत्रता की आकांक्षा रखते हैं। कैदी शारीरिक रूप से बंधा है तो कोकिला मानसिक रूप से पीड़ित है। दोनों का उद्देश्य देश की मुक्ति और स्वतंत्रता है। यही कारण है कि कैदी कोकिला से अपनी पीड़ा साझा करता है।

🟦 4 मध्यम उत्तरीय प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1. ‘कैदी और कोकिला’ कविता में स्वतंत्रता संग्राम के समय की जेल व्यवस्था का चित्रण किस प्रकार किया गया है?
🔷 उत्तर: ‘कैदी और कोकिला’ कविता में माखनलाल चतुर्वेदी ने ब्रिटिश काल की जेल व्यवस्था का मर्मस्पर्शी चित्रण प्रस्तुत किया है।
🔹 भौतिक परिस्थितियाँ:
जेल में ऊँची और काली दीवारें हैं जो कैदियों को चारों ओर से घेरे हुए हैं। कैदियों को दस फुट की छोटी अंधकारमय कोठरियों में रखा जाता है। यह कोठरियाँ इतनी छोटी हैं कि व्यक्ति ठीक से खड़ा भी नहीं हो सकता।


🔹 सामाजिक अपमान:
स्वतंत्रता सेनानियों को सामान्य अपराधियों जैसे डाकू, चोर, बटमारों के साथ रखा जाता है। इससे उनका मानसिक अपमान होता है क्योंकि वे राष्ट्र सेवा के लिए जेल आए हैं, किसी व्यक्तिगत अपराध के लिए नहीं।


🔹 भोजन की कमी:
कैदियों को भरपेट भोजन नहीं दिया जाता। “जीने को देते नहीं पेट भर खाना, मरने भी देते नहीं तड़प रह जाना” से स्पष्ट होता है कि उन्हें भूखा रखकर तड़पाया जाता है।


🔹 कठोर श्रम:
कैदियों से कोल्हू के बैल की तरह काम लिया जाता है। “हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ” से पता चलता है कि उनसे पशुओं जैसा कार्य कराया जाता है।


🔹 निरंतर निगरानी:
“जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है” से स्पष्ट होता है कि कैदियों पर लगातार कड़ी निगरानी रखी जाती है। उन्हें एक पल की भी स्वतंत्रता नहीं मिलती।
🔸 यह चित्रण ब्रिटिश शासन की क्रूरता और अमानवीयता को उजागर करता है तथा स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और त्याग को दर्शाता है।

प्रश्न 2. कविता में कैदी की मनोदशा का विस्तार से वर्णन करते हुए उसकी पीड़ा के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
🔷 उत्तर: ‘कैदी और कोकिला’ कविता में कैदी की मनोदशा अत्यंत जटिल और पीड़ाजनक है।
🔹 शारीरिक पीड़ा:
कैदी को हथकड़ियाँ पहनाई गई हैं और उसे कोल्हू के बैल की तरह कठिन श्रम करना पड़ता है। भरपेट भोजन नहीं मिलता जिससे वह शारीरिक कष्ट में रहता है। अंधकारमय कोठरी में रहने से उसका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है।


🔹 मानसिक व्यथा:
स्वतंत्रता सेनानी होने के बावजूद उसे अपराधियों के साथ रखा गया है। यह मानसिक अपमान उसे गहराई तक व्यथित करता है। स्वतंत्रता की आकांक्षा और वर्तमान परतंत्रता के बीच संघर्ष उसे परेशान करता है।


🔹 निराशा और हताशा:
चारों ओर अंधकार और दुख देखकर कभी-कभी निराशा भावना उत्पन्न होती है। “काली कल्पना” और “काली रजनी” से उसकी निराशा प्रकट होती है।


🔹 देशभक्ति की पीड़ा:
देश की दुर्दशा देखकर उसका हृदय विचलित रहता है। वह जानता है कि बाहर भी अत्याचार हो रहे हैं परंतु वह कुछ नहीं कर सकता।


🔹 कोकिला से तादात्म्य:
आधी रात में कोकिला की कूक सुनकर उसे लगता है कि वह भी उसी की तरह पीड़ित है। इससे उसकी एकाकिता कम होती है परंतु वेदना और बढ़ जाती है।


🔹 संघर्ष की भावना:
इतनी पीड़ा के बावजूद उसमें संघर्ष की भावना जीवित है। वह ब्रिटिश अकड़ को चूर-चूर करने की बात करता है। गांधी जी के व्रत में अपने प्राण अर्पित करने की इच्छा भी व्यक्त करता है।
🔸 यह मनोदशा एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी की है जो कष्टों के बावजूद अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होता।

प्रश्न 3. ‘कैदी और कोकिला’ कविता की भाषा-शैली और काव्य सौंदर्य की विशेषताओं का विश्लेषण कीजिए।
🔷 उत्तर: ‘कैदी और कोकिला’ कविता में माखनलाल चतुर्वेदी की भाषा-शैली और काव्य सौंदर्य की अनेक विशेषताएं हैं।
🔹 भाषा की विशेषताएं:
कवि ने सरल, सहज और प्रवाहमान खड़ी बोली का प्रयोग किया है। भाषा में तत्सम, तद्भव और देशज शब्दों का संतुलित मिश्रण है। “कोकिला”, “हिमकर”, “कालिमामयी” जैसे संस्कृतनिष्ठ शब्दों से काव्य में गरिमा आई है। “चर्रक-चूं”, “हूक”, “आली” जैसे देशी शब्दों से भाषा में जीवंतता है।


🔹 शैली की विशेषताएं:
कविता में प्रश्नोत्तर शैली का प्रयोग है जो पाठकों को बांधे रखती है। “कोकिल बोलो तो” की आवृत्ति से लयबद्धता आई है। संवादात्मक शैली से कविता में नाटकीयता है। भावात्मक शैली से पाठकों के हृदय को छूती है।


🔹 अलंकार योजना:
अनुप्रास अलंकार का व्यापक प्रयोग है – “काली तू, रजनी भी काली”, “कोल्हू का चर्रक-चूं”। रूपक अलंकार में हथकड़ियों को “ब्रिटिश राज का गहना” कहा गया है। मानवीकरण अलंकार से कोकिला को मानवीय गुण दिए गए हैं।


🔹 प्रतीक योजना:
व्यापक प्रतीक विधान है। कोकिला स्वतंत्रता की प्रतीक है। काला रंग अत्याचार और निराशा का प्रतीक है। जंजीरें परतंत्रता की प्रतीक हैं। रात अंधकार युग की प्रतीक है।


🔹 छंद विधान:
यद्यपि मुक्त छंद है परंतु इसमें निश्चित लयबद्धता है। “कोकिल बोलो तो” की आवृत्ति से संगीतात्मकता आई है।


🔹 भाव सौंदर्य:
कविता में देशप्रेम, वेदना, संघर्ष, आशा-निराशा के भाव सुंदरता से व्यक्त हुए हैं। व्यक्तिगत पीड़ा को राष्ट्रीय भावना से जोड़ा गया है।
🔸 यह सभी विशेषताएं कविता को कालजयी बनाती हैं।

प्रश्न 4. कविता में निहित राष्ट्रीय चेतना और स्वतंत्रता संग्राम की भावना का विस्तृत विवेचन कीजिए।
🔷 उत्तर: ‘कैदी और कोकिला’ कविता स्वतंत्रता संग्राम की प्रामाणिक अभिव्यक्ति है जिसमें गहरी राष्ट्रीय चेतना निहित है।
🔹 स्वतंत्रता संग्राम का यथार्थ चित्रण:
कविता उस समय की परिस्थितियों का वास्तविक चित्रण है जब हजारों स्वतंत्रता सेनानी जेलों में बंद थे। 1921 के असहयोग आंदोलन की पृष्ठभूमि में यह रची गई थी। कवि स्वयं जेल में था इसलिए यह अनुभूत यथार्थ है।


🔹 अत्याचार के विरुद्ध विद्रोह:
कविता में ब्रिटिश शासन के अत्याचारों का तीखा विरोध है। जेल की दुर्दशा, कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार, मानसिक यातना – सब कुछ का चित्रण करके ब्रिटिश शासन की कलई खोली गई है।


🔹 राष्ट्रप्रेम की भावना:
“ब्रिटिश अकड़ का कुआं खाली करना” से राष्ट्रप्रेम की प्रबल भावना दिखाई देती है। कैदी कष्ट झेलकर भी अंग्रेजों के घमंड को चूर-चूर करने की बात करता है। यह उसकी देशभक्ति को दर्शाता है।


🔹 त्याग और बलिदान की भावना:
हथकड़ियों को “गहना” कहकर कवि ने दिखाया है कि स्वतंत्रता सेनानी अपने त्याग पर गर्व करते हैं। वे व्यक्तिगत सुख-दुख से ऊपर उठकर राष्ट्र हित में सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हैं।


🔹 गांधी जी के प्रति श्रद्धा:
“मोहन के व्रत पर प्राणों का आसव कहाँ भर दूँ” में महात्मा गांधी के प्रति अपार श्रद्धा और उनके आदर्शों के लिए प्राण देने की तत्परता दिखाई गई है।


🔹 जन-जागरण का स्वर:
कविता केवल व्यक्तिगत वेदना नहीं बल्कि सामूहिक संघर्ष की आवाज है। यह जनमानस को जगाने और प्रेरित करने का काम करती है।


🔹 आशा और विश्वास:
इतनी यातनाओं के बावजूद कैदी में हार की भावना नहीं है। वह भविष्य में स्वतंत्रता प्राप्ति का विश्वास रखता है।
🔸 यह कविता स्वतंत्रता संग्राम की अमर गाथा है जो आज भी प्रासंगिक है।

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