Class 12, Poltical Science (Hindi)

Class 12 : Poltical Science (Hindi) – Lesson 6.पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधन

पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन

आग से वन विनाश


🔶 परिचय
समकालीन विश्व में पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन मानव अस्तित्व, विकास और सुरक्षा से जुड़े सबसे महत्त्वपूर्ण विषय बन गए हैं। औद्योगिकीकरण, तकनीकी प्रगति और जनसंख्या वृद्धि ने जहाँ जीवन स्तर में सुधार किया है, वहीं पर्यावरणीय असंतुलन और संसाधनों की कमी की चुनौती भी उत्पन्न की है।
आज पर्यावरणीय संकट वैश्विक समस्या है, जो किसी एक देश या क्षेत्र तक सीमित नहीं है। वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन क्षय, प्रदूषण, जल संकट आदि ने मानवता के सामने अस्तित्व का प्रश्न खड़ा कर दिया है। इसलिए, पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों का न्यायसंगत वितरण विश्व राजनीति का मुख्य विषय बन चुका है।

🔶 पर्यावरण की अवधारणा
पर्यावरण में वे सभी जैविक और अजैविक घटक शामिल हैं जो पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाते हैं—
🌿 वायु, जल, भूमि, जीव-जंतु, ऊर्जा, खनिज, वन आदि।
💡 मानव और पर्यावरण का सम्बन्ध परस्पर-निर्भर है।
पर्यावरणीय समस्या तब उत्पन्न होती है जब:
1️⃣ संसाधनों का अत्यधिक दोहन होता है।
2️⃣ प्रदूषण बढ़ता है।
3️⃣ प्रकृति और विकास के बीच संतुलन बिगड़ता है।

🔶 मुख्य पर्यावरणीय संकट
1️⃣ जलवायु परिवर्तन – वैश्विक तापमान में वृद्धि, वर्षा चक्र का असंतुलन।
2️⃣ ग्लोबल वार्मिंग – ग्रीनहाउस गैसों (CO₂, CH₄) के कारण तापमान में वृद्धि।
3️⃣ ओजोन परत क्षय – क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) से हानिकारक पराबैंगनी किरणों का खतरा।
4️⃣ वनों की कटाई – जैव विविधता का नुकसान, मिट्टी कटाव।
5️⃣ जल संकट – भूजल का क्षय, प्रदूषित नदियाँ।
6️⃣ औद्योगिक प्रदूषण – वायु, जल और भूमि की गुणवत्ता में गिरावट।

🔶 प्राकृतिक संसाधनों की अवधारणा
प्राकृतिक संसाधन वे तत्व हैं जो प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए हैं और मानव की आवश्यकता पूरी करते हैं।
प्रकार:
🟢 नवीकरणीय संसाधन – जल, वन, मृदा, सौर ऊर्जा।
🔵 अवनवीकरणीय संसाधन – पेट्रोलियम, कोयला, खनिज।
💡 संसाधनों की कमी और असमान वितरण से राजनीतिक विवाद व संघर्ष भी उत्पन्न होते हैं।

🔶 पर्यावरणीय संकट के कारण
1️⃣ औद्योगिकीकरण और शहरीकरण।
2️⃣ जनसंख्या वृद्धि।
3️⃣ उपभोग की बढ़ती प्रवृत्ति।
4️⃣ संसाधनों का अनुचित दोहन।
5️⃣ तकनीकी विकास और अपशिष्ट।

🔶 पर्यावरणीय राजनीति के मुख्य मुद्दे
1️⃣ विकास बनाम पर्यावरण – आर्थिक प्रगति और पर्यावरण संरक्षण में टकराव।
2️⃣ उत्तर-दक्षिण विवाद – विकसित देशों द्वारा संसाधनों का अधिक उपयोग और विकासशील देशों पर पर्यावरणीय दबाव।
3️⃣ न्यायपूर्ण वितरण – वैश्विक स्तर पर जिम्मेदारी और संसाधन उपयोग का समान बंटवारा।

🔶 वैश्विक पर्यावरणीय सम्मेलन
🌍 स्टॉकहोम सम्मेलन (1972):
🔹 पहली बार पर्यावरण को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा घोषित किया गया।
🔹 “Only One Earth” का नारा दिया गया।
🌍 रियो सम्मेलन (1992):
🔹 सतत विकास (Sustainable Development) की अवधारणा प्रस्तुत की गई।
🔹 एजेंडा 21 अपनाया गया।
🌍 क्योटो प्रोटोकॉल (1997):
🔹 ग्रीनहाउस गैसों में कमी के लक्ष्य तय किए गए।
🌍 पेरिस समझौता (2015):
🔹 वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C से नीचे रखने का लक्ष्य।

🔶 भारत और पर्यावरण
भारत की नीति पर्यावरणीय संतुलन और सतत विकास पर आधारित है।
1️⃣ संविधान में अनुच्छेद 48A – पर्यावरण संरक्षण का राज्य का कर्तव्य।
2️⃣ अनुच्छेद 51A (g) – नागरिकों का पर्यावरण संरक्षण का दायित्व।
3️⃣ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986।
4️⃣ नदियों और वनों की रक्षा हेतु नीतियाँ।
भारत अंतरराष्ट्रीय समझौतों जैसे क्योटो और पेरिस समझौते में सक्रिय भूमिका निभाता है।

🔶 सतत विकास (Sustainable Development)
💡 अर्थ: ऐसा विकास जो वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति करे पर भविष्य की पीढ़ियों की क्षमता से समझौता न करे।
मुख्य घटक:
1️⃣ आर्थिक प्रगति
2️⃣ सामाजिक न्याय
3️⃣ पर्यावरणीय संरक्षण

🔶 उत्तर-दक्षिण विवाद
1️⃣ विकसित देश – औद्योगिक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार परंतु नियंत्रण का दबाव विकासशील देशों पर डालते हैं।
2️⃣ विकासशील देश – गरीबी और विकास की आवश्यकता के कारण संसाधन उपयोग में लचीलापन चाहते हैं।
🟢 समाधान: सामान्य लेकिन विभेदित दायित्व (CBDR)।

🔶 वैश्विक पर्यावरणीय राजनीति में भारत की भूमिका
1️⃣ जलवायु परिवर्तन पर संवाद में सक्रिय।
2️⃣ पेरिस समझौते में नेतृत्व।
3️⃣ अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का निर्माण।
4️⃣ पारंपरिक जीवनशैली को संरक्षण का मॉडल मानना।

🔶 निष्कर्ष
पर्यावरणीय संकट अब केवल विज्ञान का नहीं, बल्कि राजनीति और नैतिकता का विषय बन गया है।
मानव सुरक्षा अब केवल सैन्य या आर्थिक नहीं बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता पर निर्भर है।
सतत विकास और वैश्विक सहयोग ही मानवता को सुरक्षित भविष्य दे सकते हैं।

🟩 संक्षिप्त सारांश (लगभग 200 शब्द)
पर्यावरणीय संकट 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौती है। जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिकीकरण और संसाधनों का असमान उपयोग इस समस्या के मूल कारण हैं। वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, और जल संकट ने वैश्विक स्थिरता को खतरे में डाला है।
रियो, क्योटो, और पेरिस समझौतों ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को दिशा दी है। भारत ने अपने संविधान में पर्यावरण संरक्षण को मौलिक कर्तव्य बनाया है। सतत विकास, जिसमें आर्थिक वृद्धि, सामाजिक समानता और पर्यावरणीय संरक्षण साथ-साथ चलते हैं, इस संकट का समाधान है।
उत्तर-दक्षिण देशों के बीच दायित्वों का समान और न्यायसंगत वितरण जरूरी है।

📝 त्वरित पुनरावृत्ति (Quick Recap)
1️⃣ पर्यावरणीय संकट – जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, जल संकट।
2️⃣ वैश्विक प्रयास – स्टॉकहोम (1972), रियो (1992), क्योटो (1997), पेरिस (2015)।
3️⃣ भारत की भूमिका – संविधानिक प्रावधान, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।
4️⃣ सतत विकास – आर्थिक, सामाजिक,

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


🔵 प्रश्न 1.
पर्यावरण के प्रति बढ़ती सरोकारों का क्या कारण है?
उत्तर:
मानव की गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक हानि हुई है और यह संकट अब पृथ्वी के प्रत्येक भाग तक पहुँच चुका है। इसीलिए पर्यावरणीय संकट के प्रति जागरूकता बढ़ी है और इसे वैश्विक स्तर पर गंभीर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
✅ सही विकल्प: (ग) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह अब हर हिस्से तक पहुँच गया है।

🔵 प्रश्न 2.
निम्नलिखित कथनों में प्रत्येक के आगे सही (✔️) या ग़लत (❌) का चिन्ह लगाएँ —
(क) पृथ्वी शिखर सम्मेलन में 170 देशों, हज़ारों स्वयंसेवी संस्थाओं तथा कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भाग लिया। — ✔️
(ख) यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में हुआ। — ✔️
(ग) पहली बार पर्यावरणीय मुद्दों को राजनीतिक स्तर पर दृढ़ता से उठाया गया। — ✔️
(घ) यह एक शिखर सम्मेलन था। — ✔️

🔵 प्रश्न 3.
‘विश्व की साझी विरासत’ के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ग़लत है?
उत्तर:
(ग) ‘विश्व की साझी विरासत’ के संसाधन किसी भी देश की संप्रभुता में नहीं आते — ❌
सही कथन: यह सभी देशों की साझी जिम्मेदारी मानी जाती है, लेकिन इन पर किसी एक देश का अधिकार नहीं होता।

🔵 प्रश्न 4.
रियो सम्मेलन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
1️⃣ सतत विकास की अवधारणा को अपनाया गया।
2️⃣ पर्यावरणीय संरक्षण को विकास नीति का अभिन्न भाग माना गया।
3️⃣ एजेंडा 21 तैयार किया गया।
4️⃣ उत्तर-दक्षिण देशों के बीच पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बाँटने पर सहमति बनी।

🔵 प्रश्न 5.
‘विश्व की साझी विरासत’ का क्या अर्थ है? इसका दोहन और प्रदूषण कैसे होता है?
उत्तर:
‘विश्व की साझी विरासत’ का आशय उन संसाधनों से है जो किसी एक देश की सीमा में नहीं आते, जैसे—पृथ्वी का वायुमंडल, अंटार्कटिका, बाह्य अंतरिक्ष, महासागर आदि।
इनका दोहन अत्यधिक मछली पकड़ने, समुद्री खनन, प्रदूषण, औद्योगिक अपशिष्ट और रासायनिक उत्सर्जन से होता है।

🔵 प्रश्न 6.
‘साझे परंतु अलग-अलग दायित्व’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
इस सिद्धांत का अर्थ है कि पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी सभी देशों की है, परंतु उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर यह दायित्व अलग-अलग होगा।
विकसित देश, जिन्होंने पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुँचाया है, उन्हें अधिक जिम्मेदारी निभानी होगी।

🔵 प्रश्न 7.
वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़ी हुई 1990 की शुरुआत में विभिन्न देशों की प्राथमिकताएँ क्यों अलग थीं?
उत्तर:
क्योंकि विकसित देशों का ध्यान प्रदूषण कम करने पर था जबकि विकासशील देशों का ध्यान गरीबी, बेरोज़गारी और विकास की आवश्यकताओं पर। इसलिए पर्यावरणीय नीतियों में मतभेद रहे।

🔵 प्रश्न 8.
पृथ्वी को बचाने के लिए ज़रूरी है कि विभिन्न देश सुखद और सहयोगी नीति अपनाएँ। पर्यावरण के सवाल पर उत्तर और दक्षिण देशों के बीच हुई वार्ताओं की रोशनी में इस कथन का विश्लेषण करें।
उत्तर:
1️⃣ विकसित देशों को तकनीकी और वित्तीय सहयोग देना चाहिए।
2️⃣ विकासशील देशों को सतत विकास अपनाना चाहिए।
3️⃣ दोनों समूहों को साझा दायित्वों पर सहमति बनानी होगी।

🔵 प्रश्न 9.
विभिन्न देशों के सामने सबसे गंभीर चुनौती वैश्विक पर्यावरण को पहुँचा नुकसान और आर्थिक विकास का संकट है। यह कैसे हल हो सकता है?
उत्तर:
✔️ सतत विकास के सिद्धांत द्वारा।
✔️ नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग।
✔️ अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समझौते (रियो, क्योटो, पेरिस)।
✔️ प्रदूषण नियंत्रण तकनीकें और नीति सुधार।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न



✳️ Section A – वस्तुनिष्ठ प्रश्न (प्रत्येक 1 अंक)
🔵 प्रश्न 1. पर्यावरण के प्रति बढ़ती चिंताओं का प्रमुख कारण क्या है?
🟠 (1) विकसित देश प्रकृति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं।
🟢 (2) पर्यावरण की सुरक्षा आदिवासियों और स्थानीय समुदायों के लिए आवश्यक है।
🔴 (3) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक क्षति पहुँची है।
🟣 (4) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
✔️ उत्तर: (3)

🔵 प्रश्न 2. पृथ्वी शिखर सम्मेलन किस वर्ष आयोजित हुआ था?
🟠 (1) 1990
🟢 (2) 1992
🔴 (3) 1995
🟣 (4) 2000
✔️ उत्तर: (2)

🔵 प्रश्न 3. ‘विश्व की साझी विरासत’ में निम्न में से कौन-से शामिल हैं?
🟠 (1) वायुमंडल, अंटार्कटिका, महासागर
🟢 (2) केवल महासागर
🔴 (3) केवल वायुमंडल
🟣 (4) केवल अंटार्कटिका
✔️ उत्तर: (1)

🔵 प्रश्न 4. पृथ्वी शिखर सम्मेलन का आयोजन कहाँ हुआ था?
🟠 (1) क्योटो
🟢 (2) पेरिस
🔴 (3) रियो डी जेनेरियो
🟣 (4) न्यूयॉर्क
✔️ उत्तर: (3)

🔵 प्रश्न 5. ‘साझे परंतु अलग-अलग दायित्व’ सिद्धांत का तात्पर्य क्या है?
🟠 (1) सभी देशों के समान दायित्व
🟢 (2) सभी देशों की भिन्न क्षमता के अनुसार जिम्मेदारी
🔴 (3) केवल विकसित देशों की जिम्मेदारी
🟣 (4) केवल विकासशील देशों की जिम्मेदारी
✔️ उत्तर: (2)

🔵 प्रश्न 6. रियो सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
🟠 (1) केवल प्रदूषण नियंत्रण
🟢 (2) सतत विकास को अपनाना
🔴 (3) युद्ध को समाप्त करना
🟣 (4) पर्यावरण कर लगाना
✔️ उत्तर: (2)

🔵 प्रश्न 7. ‘विश्व की साझी विरासत’ का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
🟠 (1) किसी देश का अधिकार
🟢 (2) साझा उपयोग और संरक्षण
🔴 (3) निजी स्वामित्व
🟣 (4) उत्पादन हेतु दोहन
✔️ उत्तर: (2)

🔵 प्रश्न 8. पृथ्वी शिखर सम्मेलन में कितने देशों ने भाग लिया था?
🟠 (1) 100
🟢 (2) 120
🔴 (3) 150
🟣 (4) 170
✔️ उत्तर: (4)

🔵 प्रश्न 9. किस सिद्धांत ने उत्तर-दक्षिण देशों के बीच सहमति स्थापित करने का प्रयास किया?
🟠 (1) साझा परंतु समान दायित्व
🟢 (2) साझा परंतु अलग-अलग दायित्व
🔴 (3) उत्तर-दक्षिण विभाजन
🟣 (4) शीत युद्ध सिद्धांत
✔️ उत्तर: (2)

🔵 प्रश्न 10. पर्यावरणीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए किस अंतरराष्ट्रीय मंच की स्थापना हुई?
🟠 (1) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम
🟢 (2) विश्व स्वास्थ्य संगठन
🔴 (3) विश्व बैंक
🟣 (4) आईएमएफ
✔️ उत्तर: (1)

🔵 प्रश्न 11. रियो सम्मेलन में पारित मुख्य दस्तावेज़ कौन-सा था?
🟠 (1) एजेंडा 21
🟢 (2) क्योटो प्रोटोकॉल
🔴 (3) पेरिस समझौता
🟣 (4) रियो घोषणा
✔️ उत्तर: (1)

🔵 प्रश्न 12. पर्यावरणीय समस्याओं का कारण क्या है?
🟠 (1) औद्योगिकीकरण
🟢 (2) असमान विकास
🔴 (3) जनसंख्या वृद्धि
🟣 (4) उपर्युक्त सभी
✔️ उत्तर: (4)

🔵 प्रश्न 13. किस वर्ष पर्यावरण संरक्षण को वैश्विक एजेंडा बनाया गया?
🟠 (1) 1972
🟢 (2) 1992
🔴 (3) 1997
🟣 (4) 2015
✔️ उत्तर: (2)

🔵 प्रश्न 14. ‘वैश्विक साझी विरासत’ का प्रयोग पहली बार कब हुआ?
🟠 (1) रियो सम्मेलन
🟢 (2) स्टॉकहोम सम्मेलन
🔴 (3) क्योटो सम्मेलन
🟣 (4) पेरिस समझौता
✔️ उत्तर: (2)

🔵 प्रश्न 15. सतत विकास का मुख्य उद्देश्य क्या है?
🟠 (1) आर्थिक वृद्धि
🟢 (2) वर्तमान की आवश्यकताओं की पूर्ति बिना भविष्य से समझौता किए
🔴 (3) केवल तकनीकी प्रगति
🟣 (4) पर्यावरण की उपेक्षा
✔️ उत्तर: (2)

🔵 प्रश्न 16. ‘एजेंडा 21’ का क्या अर्थ है?
🟠 (1) 21 देशों का समझौता
🟢 (2) 21वीं सदी के लिए पर्यावरणीय कार्ययोजना
🔴 (3) 21 मुद्दों की सूची
🟣 (4) कोई नहीं
✔️ उत्तर: (2)

🔵 प्रश्न 17. किस संस्था ने ‘साझे परंतु अलग-अलग दायित्व’ का विचार प्रस्तुत किया?
🟠 (1) संयुक्त राष्ट्र
🟢 (2) विश्व बैंक
🔴 (3) WTO
🟣 (4) IMF
✔️ उत्तर: (1)

🔵 प्रश्न 18. पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान क्या है?
🟠 (1) युद्ध
🟢 (2) अंतरराष्ट्रीय सहयोग
🔴 (3) औद्योगिकीकरण
🟣 (4) कोई नहीं
✔️ उत्तर: (2)

🔷 खंड C — लघु/मध्यम उत्तरीय (प्रत्येक 3 अंक)
🔵 प्रश्न 19 : रियो सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्ष क्या थे?
🟢 उत्तर :
🔹 रियो घोषणापत्र में 27 सिद्धान्त स्वीकृत हुए जिनमें सतत विकास, सावधानी सिद्धान्त, प्रदूषक-भुगतान सिद्धान्त और जन-भागीदारी प्रमुख थे।
🔹 एजेंडा 21 नाम से 21वीं शताब्दी के लिये विस्तृत कार्य-योजना अपनाई गयी; इसमें गरीबी उन्मूलन, स्वच्छ ऊर्जा, वन-संरक्षण, जैव-विविधता तथा कचरा प्रबन्धन के अध्याय शामिल थे।
🔹 तीन महत्त्वपूर्ण अभिसमय खोलने के लिये सहमति बनी— संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा अभिसमय, जैव-विविधता अभिसमय, और वन सिद्धान्त; इनके क्रियान्वयन की निगरानी के लिये संस्थागत तंत्र और वित्त-सहयोग की रूपरेखा भी बनी।

🔵 प्रश्न 20 : ‘विश्व की साझी विरासत’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
🟢 उत्तर :
🔹 यह वे वैश्विक संसाधन हैं जिन पर किसी एक राष्ट्र का स्वामित्व नहीं—जैसे वायुमण्डल, खुले महासागर, अंटार्कटिका और बाह्य अन्तरिक्ष।
🔹 इसके मूल तत्व हैं— सार्वभौमिक पहुँच, पीढ़ीगत न्याय (आने वाली पीढ़ियों के लिये संरक्षण), अव्यक्तिगत स्वामित्व (निजीकरण निषिद्ध) तथा सामूहिक प्रबन्धन।
🔹 सम्बद्ध व्यवस्थाएँ— समुद्र के क़ानून, अंटार्कटिक संधि-प्रणाली, प्रदूषण-नियन्त्रण नियम। दुरुपयोग के उदाहरण— दूर-समुद्री अतिमत्स्यन, समुद्री-प्लास्टिक, ऊष्माघर गैसों का अत्यधिक उत्सर्जन।

🔵 प्रश्न 21 : ‘सामान्य परन्तु विभेदित दायित्व’ सिद्धान्त क्यों आवश्यक है?
🟢 उत्तर :
🔹 ऐतिहासिक उत्तरदायित्व— औद्योगीकरण से सर्वाधिक उत्सर्जन विकसित देशों ने किया; अतः उनका दायित्व अधिक ठहराया गया।
🔹 क्षमता-आधारित न्याय— वित्त, प्रौद्योगिकी और संस्थागत क्षमता विकसित देशों में अधिक है, इसलिए वे अधिक भार वहन करें।
🔹 उदाहरण— क्योटो-प्रणाली में विकसित देशों के लिये विशेष दायित्व; पेरिस-व्यवस्था में राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान का लचीला, पर उत्तरदायी, ढाँचा।

🔵 प्रश्न 22 : सतत विकास की अवधारणा और प्रमुख स्तम्भ लिखिए।
🟢 उत्तर :
🔹 परिभाषा— वर्तमान की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए भविष्य की पीढ़ियों की क्षमताओं से समझौता न करना।
🔹 तीन स्तम्भ— (1) आर्थिक समृद्धि, (2) सामाजिक न्याय, (3) पर्यावरणीय संरक्षण।
🔹 क्रियान्वयन के उपाय— संसाधन-कुशल तकनीक, नवीकरणीय ऊर्जा, जल-संरक्षण, परिपत्र अर्थव्यवस्था, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और पर्यावरणीय प्रभाव-आकलन।

🔵 प्रश्न 23 : पर्यावरणीय सुरक्षा के प्रमुख घटक क्या हैं?
🟢 उत्तर :
🔹 जोखिम-आकलन व चेतावनी तंत्र, ताकि आपदा-जनित क्षति घटे।
🔹 कानूनी-संस्थागत ढाँचा— स्वच्छ वायु-जल मानक, उत्सर्जन-नियम, पारदर्शी अनुमति-प्रणाली।
🔹 वित्त व प्रौद्योगिकी— हरित वित्त, स्वच्छ तकनीक का हस्तान्तरण।
🔹 पर्यावरणीय न्याय— प्रभावित समुदायों के अधिकारों की रक्षा और जन-सुनवाई।

🔵 प्रश्न 24 : ‘एजेंडा 21’ की संरचना और उद्देश्य बताइए।
🟢 उत्तर :
🔹 40 अध्यायों की कार्य-योजना जिसमें गरीबी, जन-स्वास्थ्य, शिक्षा, टिकाऊ उपभोग, ऊर्जा-दक्षता, जैव-विविधता, भूमि-मृदा, समुद्री संसाधन, शहरी प्रबन्धन व कचरा-नियन्त्रण शामिल हैं।
🔹 स्थानीय एजेंडा 21 की धारणा— नगर-निकाय और पंचायत स्तर पर लक्ष्य निर्धारण व क्रियान्वयन।
🔹 समग्र उद्देश्य— विकास और संरक्षण में संतुलन बना कर वैश्विक-स्थानीय स्तर पर समन्वित कार्य।

🔵 प्रश्न 25 : रियो सम्मेलन में भारत की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
🟢 उत्तर :
🔹 भारत ने विकास के अधिकार और सामान्य परन्तु विभेदित दायित्व पर बल दिया— अर्थात् उत्सर्जन-कटौती के साथ-साथ गरीबी-निवारण, ऊर्जा-पहुंच और रोज़गार सृजन को समान महत्व।
🔹 भारत ने पारम्परिक/स्थानीय आजीविकाओं, वन-समुदायों और सस्ती स्वच्छ तकनीक के प्रसार पर ज़ोर दिया; साथ ही हरित-वित्त व प्रौद्योगिकी-हस्तान्तरण की माँग को वैध ठहराया।

🔷 खंड D — दीर्घ उत्तरीय (प्रत्येक 4 अंक)
🔵 प्रश्न 26 : पर्यावरणीय सुरक्षा वैश्विक एजेंडा क्यों बनी? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
🟢 उत्तर :
🔹 परस्पर-निरपेक्षता— ग्रीनहाउस गैसें सीमा-रहित हैं; एक क्षेत्र का उत्सर्जन विश्व-व्यापी तापवृद्धि लाता है।
🔹 समेकित खतरे— समुद्र-स्तर वृद्धि, चरम-मौसम, जल-संकट, खाद्य-असुरक्षा, स्वास्थ्य-महामारी, जल-वायु-प्रवास।
🔹 आर्थिक प्रभाव— आपदा-नुकसान, आपूर्ति-श्रृंखला बाधाएँ, बीमा-जोखिम।
🔹 उदाहरण— द्वीपीय देशों का डूबान-जोखिम; हिमानी-पिघलन से नदी-प्रवाह परिवर्तन; सीमा-पार धूम-कुहासा।
इसलिए समन्वित वैश्विक नियम, निगरानी और साझा वित्त की आवश्यकता अनिवार्य बनी।

🔵 प्रश्न 27 : विकासशील देशों के लिये संरक्षण-नीति लागू करना कठिन क्यों है?
🟢 उत्तर :
🔹 वित्त-कमी व तकनीकी अंतर— स्वच्छ ऊर्जा, कचरा-प्रबन्धन व परिवहन सुधार महँगे हैं।
🔹 ऊर्जा-निर्भरता— कोयला/तेल पर अधिक निर्भरता; त्वरित परिवर्तन सामाजिक-आर्थिक तनाव बढ़ा सकता है।
🔹 आजीविका-सम्बन्ध— कृषि, वनों व खनन पर जनसंख्या निर्भर; कठोर प्रतिबन्ध तात्कालिक आय घटाते हैं।
🔹 संस्थागत क्षमता— निगरानी, डेटा, प्रवर्तन और शहरी नियोजन में कमी।
समाधान— हरित-वित्त, तकनीक-हस्तान्तरण, चरणबद्ध लक्ष्य, न्यायोचित संक्रमण और समुदाय-भागीदारी।

🔵 प्रश्न 28 : रियो सम्मेलन के ठोस निर्णयों का समग्र विवरण दीजिए।
🟢 उत्तर :
🔹 रियो घोषणापत्र— पर्यावरण-न्याय, सावधानी सिद्धान्त, सूचना-अधिकार।
🔹 एजेंडा 21— वैश्विक से स्थानीय स्तर तक कार्य-सूची।
🔹 जलवायु परिवर्तन रूपरेखा अभिसमय— उत्सर्जन-स्थिरीकरण, सामान्य परन्तु विभेदित दायित्व।
🔹 जैव-विविधता अभिसमय— संरक्षण, न्यायपूर्ण लाभ-विभाजन।
🔹 वन सिद्धान्त— टिकाऊ वन-प्रबन्धन के दिशानिर्देश।
इनके क्रियान्वयन हेतु वित्त-व्यवस्था और क्षमता-निर्माण पर भी सहमति बनी।

🔵 प्रश्न 29 : ‘साझी विरासत’ सिद्धान्त की आलोचनात्मक समीक्षा प्रस्तुत कीजिए।
🟢 उत्तर :
🔹 बल— संसाधनों के निजीकरण पर रोक, पीढ़ीगत न्याय, वैश्विक सहयोग को बढ़ावा।
🔹 सीमाएँ— प्रवर्तन-तंत्र कमज़ोर; उत्तर-दक्षिण असमानताओं के कारण दायित्व-वितरण विवादित; वैज्ञानिक-अनिश्चितता के चलते लक्ष्य-निर्धारण कठिन।
🔹 व्यावहारिक चुनौती— “सामुदायिक संसाधनों की त्रासदी” जैसी प्रवृत्ति— कोई भी पक्ष न्यूनतम लागत पर अधिकतम लाभ चाहता है। समाधान— पारदर्शी कोटा-प्रणाली, स्वतंत्र निगरानी, उल्लंघन-दण्ड और न्यायसंगत वित्त-व्यवस्था।

🔵 प्रश्न 30 : पर्यावरणीय संकट के स्थायी समाधान सुझाइए।
🟢 उत्तर :
🔹 क़ानूनी सुदृढ़ीकरण— उत्सर्जन-मानक, प्रभाव-आकलन, उल्लंघन-दण्ड।
🔹 हरित वित्त व मूल्य-संकेत— स्वच्छ परियोजनाओं को प्रोत्साहन, प्रदूषण-कर, कार्बन-मूल्य निर्धारण।
🔹 प्रौद्योगिकी-हस्तान्तरण— नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा-दक्षता, स्वच्छ परिवहन, कचरा-से-संसाधन।
🔹 परिपत्र अर्थव्यवस्था— पुनर्चक्रण, पुनःउपयोग, टिकाऊ उपभोग।
🔹 समुदाय-केंद्रित शासन— वन अधिकार, जल-उपयोगी संघ, शहरी-स्थानीय निकायों का सशक्तीकरण।
🔹 शिक्षा व जन-सहभागिता— सूचना-अधिकार, खुला डेटा, विद्यालय-महाविद्यालय स्तर पर पर्यावरण-अध्ययन।

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