Class 12, Poltical Science (Hindi)

Class 12 : Poltical Science (Hindi) – Lesson 13.लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट

पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन


🧭 व्याख्या

🔹 परिचय
स्वतंत्रता के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनी राजनीतिक व्यवस्था के रूप में अपनाया। 1950 में संविधान लागू हुआ और 1952 में पहला आम चुनाव हुआ। प्रारंभिक वर्षों में भारतीय लोकतंत्र ने उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की, परंतु 1970 के दशक में उसे गंभीर संकट का सामना करना पड़ा। यह संकट केवल राजनीतिक नहीं था बल्कि सामाजिक, आर्थिक और नैतिक स्तर पर भी था। यह पाठ उसी काल (1971–1977) की परिस्थितियों का विश्लेषण करता है, जिसमें लोकतंत्र की नींव हिलती हुई दिखाई दी, परंतु अंततः जनता के निर्णय से उसकी पुनर्स्थापना भी हुई।

🟢 1. संकट की पृष्ठभूमि (1970 का दशक)
1️⃣ 1971 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने ‘गरीबी हटाओ’ नारे के साथ भारी बहुमत प्राप्त किया।
2️⃣ परंतु जल्द ही आर्थिक असंतुलन, बेरोजगारी, मूल्यवृद्धि और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ने लगी।
3️⃣ 1973–74 तक तेल संकट, विदेशी मुद्रा संकट, और कृषि संकट ने जनता में असंतोष बढ़ाया।
4️⃣ विपक्ष ने सरकार की नीतियों की आलोचना की और छात्रों, श्रमिकों ने आंदोलनों का नेतृत्व किया।

🟡 2. सामाजिक व आर्थिक असंतोष के कारण
1️⃣ बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और भ्रष्टाचार के कारण जनविश्वास कमजोर हुआ।
2️⃣ बिहार, गुजरात जैसे राज्यों में छात्र आंदोलनों ने सरकार के विरुद्ध माहौल बनाया।
3️⃣ आर्थिक नीतियाँ अपेक्षित परिणाम नहीं दे सकीं—गरीबों में असंतोष और मध्यम वर्ग में अस्थिरता।

🔴 3. राजनीतिक विरोध और आंदोलन
1️⃣ गुजरात आंदोलन (1974): नवनिर्माण आंदोलन—भ्रष्टाचार और मूल्यवृद्धि के खिलाफ छात्र-जनता आंदोलन।
2️⃣ बिहार आंदोलन (1974–75): जयप्रकाश नारायण (जेपी) के नेतृत्व में भ्रष्टाचार-विरोधी जनांदोलन।
3️⃣ जेपी ने ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ का आह्वान किया—लोकतांत्रिक सुधार, सामाजिक समानता और नैतिक राजनीति की मांग।

🟣 4. न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच टकराव
1️⃣ केशवानंद भारती मामला (1973): सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान की मूल संरचना को सुरक्षित घोषित किया।
2️⃣ प्रधानमंत्री बनाम न्यायपालिका विवाद: सरकार ने न्यायपालिका पर नियंत्रण की कोशिश की।
3️⃣ इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय (1975): इंदिरा गांधी को रायबरेली निर्वाचन में भ्रष्ट आचरण का दोषी ठहराया और अयोग्य घोषित किया।
4️⃣ इस निर्णय से राजनीतिक संकट गहराया।

🟢 5. आपातकाल (Emergency) 1975–77
1️⃣ घोषणा: 25 जून 1975 को राष्ट्रपति ने आंतरिक अशांति के आधार पर आपातकाल की घोषणा की।
2️⃣ कारण: न्यायिक निर्णय, विपक्षी आंदोलन, राजनीतिक अस्थिरता।
3️⃣ प्रभाव:
नागरिक अधिकार निलंबित
विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी
प्रेस सेंसरशिप
राजनीतिक विरोध पर अंकुश

🟡 6. आपातकाल की विशेषताएँ
1️⃣ इंदिरा गांधी का अधिनायकवादी शासन।
2️⃣ 20-सूत्री कार्यक्रम और विकास योजनाएँ।
3️⃣ जनसंख्या नियंत्रण अभियान, जबरन नसबंदी।
4️⃣ राजनीतिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति पर नियंत्रण।

🔴 7. लोकतंत्र पर संकट
1️⃣ संविधानिक मूल्यों—स्वतंत्रता, समानता, न्याय—का हनन।
2️⃣ न्यायपालिका, प्रेस और विपक्ष की भूमिका सीमित।
3️⃣ नागरिक अधिकारों का निलंबन—लोकतंत्र का स्वरूप कमजोर हुआ।

🟣 8. विपक्ष और जनता की प्रतिक्रिया
1️⃣ आपातकाल के विरोध में जनता में असंतोष।
2️⃣ प्रेस, साहित्य और सामाजिक संगठनों ने दमन के बावजूद प्रतिरोध व्यक्त किया।
3️⃣ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचना—लोकतंत्र पर खतरे की आशंका।

🟢 9. 1977 के चुनाव और लोकतंत्र की पुनर्स्थापना
1️⃣ 1977 में आपातकाल हटाकर चुनाव की घोषणा।
2️⃣ विपक्षी दलों का विलय—जनता पार्टी का गठन।
3️⃣ इंदिरा गांधी और कांग्रेस की पराजय; पहली बार केंद्र में गैर-कांग्रेसी सरकार बनी।
4️⃣ जनता ने लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्ष में मतदान किया—लोकतंत्र की जीत।

🟡 10. लोकतंत्र की दृढ़ता के संकेत
1️⃣ आपातकाल जैसे अनुभव से जनता सजग हुई।
2️⃣ सत्ता परिवर्तन की संभावना—लोकतंत्र की मजबूती।
3️⃣ नागरिक अधिकारों और न्यायपालिका की भूमिका का पुनर्मूल्यांकन।
4️⃣ जनता का अंतिम निर्णय सर्वोपरि सिद्ध हुआ।

🔴 11. आपातकाल का मूल्यांकन
सकारात्मक पक्ष:
अनुशासन, योजनाबद्ध कार्य, 20 सूत्री कार्यक्रम।
नकारात्मक पक्ष:
नागरिक स्वतंत्रता का दमन, भय का वातावरण, लोक-विरोधी निर्णय।
➡️ निष्कर्ष:
आपातकाल ने यह सिद्ध किया कि लोकतंत्र में जनमत सर्वोच्च होता है। राजनीतिक संकट के बावजूद भारत ने लोकतांत्रिक मूल्यों को पुनः स्थापित किया।

📘 सारांश (200 शब्द)
1970 के दशक में भारत में आर्थिक संकट, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और राजनीतिक अस्थिरता से जनता में असंतोष बढ़ा। बिहार और गुजरात में छात्र आंदोलनों के साथ जयप्रकाश नारायण का सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन उभरा। न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संघर्ष ने स्थिति को गंभीर बना दिया। 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा गांधी को दोषी ठहराए जाने के बाद उन्होंने आपातकाल की घोषणा की। इस अवधि में नागरिक स्वतंत्रता समाप्त, प्रेस पर नियंत्रण और विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी हुई। लोकतंत्र पर गहरा संकट आया। 1977 में चुनाव कराए गए और जनता ने इंदिरा गांधी को पराजित कर लोकतंत्र को पुनर्स्थापित किया। जनता पार्टी की सरकार बनी और भारत का लोकतंत्र पहले से अधिक मजबूत होकर उभरा। यह अध्याय दर्शाता है कि भारतीय लोकतंत्र संकटों से गुजरकर भी जीवंत और सशक्त बना रहा।

📝 त्वरित पुनरावृत्ति (100 शब्द)
🔹 1970 का दशक: आर्थिक असंतोष, राजनीतिक अस्थिरता।
🔹 जे.पी. आंदोलन, सम्पूर्ण क्रांति की माँग।
🔹 न्यायपालिका–कार्यपालिका विवाद।
🔹 25 जून 1975: आपातकाल की घोषणा।
🔹 नागरिक अधिकार निलंबित, प्रेस सेंसरशिप।
🔹 विरोधी नेताओं की गिरफ्तारी।
🔹 1977 चुनाव: कांग्रेस की पराजय।
🔹 लोकतंत्र की पुनर्स्थापना, जनता की सर्वोच्चता सिद्ध।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न



🔵 प्रश्न 1: बताइए कि आपातकाल के बारे में निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत।
🟢 उत्तर:
(क) ✅ सही — आपातकाल की घोषणा 1975 में इंदिरा गांधी ने की थी।
(ख) ✅ सही — आपातकाल में सभी मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे।
(ग) ✅ सही — बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति के मद्देनज़र आपातकाल की घोषणा की गई थी।
(घ) ✅ सही — आपातकाल के दौरान विपक्ष के अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
(ङ) ❌ गलत — सी.पी.आई. ने आपातकाल की घोषणा का समर्थन किया था (यह कथन सही है),
परंतु कुछ दलों ने विरोध भी किया था, अतः पूर्ण रूप से समर्थन नहीं कहा जा सकता।

🔵 प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन-सा आपातकाल की घोषणा के संदर्भ में सही नहीं ठहरता है?
1️⃣ ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ का आह्वान
2️⃣ 1974 का रेल-हड़ताल
3️⃣ नक्सलबाड़ी आंदोलन
4️⃣ इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला
🟢 उत्तर:
✔️ सही उत्तर है — (3) नक्सलबाड़ी आंदोलन
➡️ क्योंकि नक्सलबाड़ी आंदोलन (1967) का सीधा संबंध आपातकाल से नहीं था, जबकि अन्य घटनाएँ (जेपी आंदोलन, रेल हड़ताल, न्यायालय का निर्णय) आपातकाल की पृष्ठभूमि से जुड़ी थीं।

🔵 प्रश्न 3: निम्नलिखित का मेल बैठाइए —
1️⃣ सम्पूर्ण क्रान्ति
2️⃣ गरीबी हटाओ
3️⃣ छात्र आंदोलन
4️⃣ रेल हड़ताल
(i) इंदिरा गांधी
(ii) जयप्रकाश नारायण
(iii) बिहार आंदोलन
(iv) जॉर्ज फर्नांडीस
🟢 उत्तर:
1️⃣ सम्पूर्ण क्रान्ति ➡️ (ii) जयप्रकाश नारायण
2️⃣ गरीबी हटाओ ➡️ (i) इंदिरा गांधी
3️⃣ छात्र आंदोलन ➡️ (iii) बिहार आंदोलन
4️⃣ रेल हड़ताल ➡️ (iv) जॉर्ज फर्नांडीस

🔵 प्रश्न 4: किन कारणों से 1980 में मध्यावधि चुनाव करवाने पड़े?
🟢 उत्तर:
➡️ जनता पार्टी की आंतरिक मतभेद और विभाजन के कारण सरकार अस्थिर हो गई।
➡️ प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को समर्थन खोना पड़ा।
➡️ जनता पार्टी के कई गुट अलग हो गए, जिससे बहुमत समाप्त हुआ।
➡️ सरकार चलाना कठिन हो गया, अतः 1980 में लोकसभा भंग कर चुनाव कराए गए।

🔵 प्रश्न 5: जनता पार्टी ने 1977 में शाह आयोग की नियुक्ति क्यों की? इस आयोग की नियुक्ति किन उद्देश्यों से की गई और इसके क्या निष्कर्ष निकले?
🟢 उत्तर:
➡️ उद्देश्य: आपातकाल (1975–77) के दौरान नागरिक अधिकारों के हनन और सरकारी दुरुपयोग की जांच करना।
➡️ आयोग ने सरकारी अधिकारियों, पुलिस, और नौकरशाही की दमनात्मक कार्रवाइयों का खुलासा किया।
➡️ निष्कर्ष:
1️⃣ नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हुआ।
2️⃣ राजनीतिक विरोधियों की गिरफ्तारी अवैधानिक थी।
3️⃣ सत्ता का केंद्रीकरण और दुरुपयोग सिद्ध हुआ।

🔵 प्रश्न 6: 1975 में सरकार द्वारा आपातकाल की घोषणा करते हुए इसके क्या कारण बताए गए थे?
🟢 उत्तर:
➡️ आंतरिक अशांति का हवाला दिया गया।
➡️ विपक्षी आंदोलनों से अस्थिरता।
➡️ न्यायपालिका के निर्णय से उत्पन्न संकट।
➡️ राष्ट्रीय सुरक्षा और अनुशासन की आवश्यकता का तर्क दिया गया।

🔵 प्रश्न 7: 1977 के चुनावों के बाद पहली बार केंद्र में गैर-कांग्रेसी सरकार बनी। ऐसा किन कारणों से संभव हुआ?
🟢 उत्तर:
➡️ आपातकाल की नीतियों से जनता में असंतोष।
➡️ नागरिक अधिकारों पर अंकुश, प्रेस सेंसरशिप, विपक्ष की गिरफ्तारी।
➡️ विभिन्न विपक्षी दलों का एकजुट होकर जनता पार्टी का गठन।
➡️ जनता ने लोकतंत्र की बहाली के लिए कांग्रेस को सत्ता से हटाया।

🔵 प्रश्न 8: हमारी राज्यव्यवस्था के निम्नलिखित पक्षों पर आपातकाल का क्या असर हुआ?
🟢 उत्तर:
1️⃣ नागरिक अधिकार — निलंबित; अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाप्त।
2️⃣ कार्यपालिका व न्यायपालिका — कार्यपालिका प्रभावशाली, न्यायपालिका की भूमिका सीमित।
3️⃣ जनसंचार माध्यम — सेंसरशिप, प्रेस पर नियंत्रण।
4️⃣ पुलिस व नौकरशाही — विपक्षी नेताओं के दमन में प्रयोग।

🔵 प्रश्न 9: भारत की स्तरीय प्रणाली पर आपातकाल का किस तरह असर हुआ? अपने उत्तर की पुष्टि उदाहरण से करें।
🟢 उत्तर:
➡️ केंद्र सरकार का प्रभुत्व बढ़ा, राज्यों की स्वायत्तता घटी।
➡️ सभी निर्णय केंद्र स्तर पर हुए, संघीय संतुलन बिगड़ा।
➡️ उदाहरण: राज्य सरकारों को केंद्र के निर्देशों का पालन करना पड़ा; कई स्थानों पर राज्य विधानसभाओं को निलंबित किया गया।

🔵 प्रश्न 10: 1977 के चुनावों के बाद दो-स्तरीय प्रणाली की पुनर्बहाली क्यों नहीं हुई?
🟢 उत्तर:
➡️ जनता पार्टी में आंतरिक कलह और विचारधारात्मक मतभेद रहे।
➡️ दलों का विलय अस्थायी था, साझा कार्यक्रम की कमी थी।
➡️ क्षेत्रीय आकांक्षाएँ और सत्ता संघर्ष ने दो-स्तरीय सहयोग को कमजोर किया।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न


🔷 SECTION – A (प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है)
🔵 प्रश्न 1: आपातकाल की घोषणा कब की गई थी?
1️⃣ 25 जून 1975
2️⃣ 15 अगस्त 1971
3️⃣ 26 जनवरी 1976
4️⃣ 2 अक्टूबर 1974
🟢 उत्तर: 1️⃣ 25 जून 1975

🔵 प्रश्न 2: किस नेता ने ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ का आह्वान किया था?
1️⃣ जयप्रकाश नारायण
2️⃣ इंदिरा गांधी
3️⃣ मोरारजी देसाई
4️⃣ वी.पी. सिंह
🟢 उत्तर: 1️⃣ जयप्रकाश नारायण

🔵 प्रश्न 3: आपातकाल की घोषणा के समय भारत की प्रधानमंत्री कौन थीं?
1️⃣ इंदिरा गांधी
2️⃣ लाल बहादुर शास्त्री
3️⃣ मोरारजी देसाई
4️⃣ राजीव गांधी
🟢 उत्तर: 1️⃣ इंदिरा गांधी

🔵 प्रश्न 4: शाह आयोग की स्थापना किस सरकार ने की थी?
1️⃣ कांग्रेस
2️⃣ जनता पार्टी
3️⃣ भारतीय जनता पार्टी
4️⃣ समाजवादी पार्टी
🟢 उत्तर: 2️⃣ जनता पार्टी

🔵 प्रश्न 5: किस आंदोलन के कारण सरकार ने आपातकाल घोषित किया?
1️⃣ बिहार आंदोलन
2️⃣ नक्सलबाड़ी आंदोलन
3️⃣ असम आंदोलन
4️⃣ चिपको आंदोलन
🟢 उत्तर: 1️⃣ बिहार आंदोलन

🔵 प्रश्न 6: आपातकाल में किस अधिकार को निलंबित नहीं किया गया था?
1️⃣ मौलिक अधिकार
2️⃣ शिक्षा का अधिकार
3️⃣ जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार
4️⃣ धर्म की स्वतंत्रता
🟢 उत्तर: 3️⃣ जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार


🔶 SECTION – B (प्रत्येक प्रश्न 2 अंकों का है)
🔵 प्रश्न 7: आपातकाल की घोषणा के दो प्रमुख कारण लिखिए।
🟢 उत्तर:
1️⃣ इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय, जिसमें इंदिरा गांधी का निर्वाचन अमान्य घोषित हुआ।
2️⃣ देश में राजनीतिक अस्थिरता और जे.पी. आंदोलन से उत्पन्न आंतरिक अशांति।

🔵 प्रश्न 8: आपातकाल में प्रेस की क्या स्थिति थी?
🟢 उत्तर:
1️⃣ प्रेस पर सख़्त सेंसरशिप लगाई गई।
2️⃣ सरकार की अनुमति के बिना समाचार प्रकाशित नहीं किए जा सकते थे।

🔵 प्रश्न 9: ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ का उद्देश्य क्या था?
🟢 उत्तर:
➡️ भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और तानाशाही समाप्त कर जनसहभागिता से लोकतंत्र को मज़बूत करना।
➡️ समाज में नैतिकता, समानता और पारदर्शिता स्थापित करना।

🔵 प्रश्न 10: आपातकाल में किन नागरिक अधिकारों को निलंबित किया गया था?
🟢 उत्तर:
➡️ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)
➡️ विरोध प्रदर्शन और सभा का अधिकार
➡️ प्रेस की स्वतंत्रता

🔵 प्रश्न 11: 1977 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी की पराजय क्यों हुई?
🟢 उत्तर:
➡️ आपातकाल की नीतियों से जनता असंतुष्ट थी।
➡️ नागरिक अधिकारों का हनन और विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी।

🔵 प्रश्न 12: शाह आयोग का मुख्य उद्देश्य क्या था?
🟢 उत्तर:
➡️ आपातकाल के दौरान हुए अधिकार उल्लंघनों की जाँच।
➡️ सत्ता के दुरुपयोग और प्रशासनिक अतिरेक की पड़ताल।

🔶 SECTION – C (प्रत्येक प्रश्न 3 अंकों का है)
🔵 प्रश्न 13: आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकारों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर:
1️⃣ 1975 में आपातकाल की घोषणा के साथ ही संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए गए।
2️⃣ प्रेस पर सेंसरशिप लागू कर दी गई; स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार समाप्त कर दिया गया।
3️⃣ असहमति प्रकट करने वाले विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।
➡️ इस प्रकार नागरिकों की स्वतंत्रता, विचार व्यक्त करने और विरोध करने की क्षमता सीमित हो गई।

🔵 प्रश्न 14: आपातकाल के विरोध में कौन-कौन से समूह सक्रिय थे?
🟢 उत्तर:
1️⃣ जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में विभिन्न दलों ने ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ का आह्वान किया।
2️⃣ भारतीय लोकदल, समाजवादी पार्टी, भारतीय जनसंघ और कांग्रेस (O) प्रमुख विपक्षी दल थे।
3️⃣ विद्यार्थी परिषद, ट्रेड यूनियन और पत्रकारों ने भी विरोध में आवाज उठाई।

🔵 प्रश्न 15: 1977 के चुनावों में जनता पार्टी की विजय के कारण बताइए।
🟢 उत्तर:
1️⃣ आपातकाल से जनता में असंतोष।
2️⃣ नागरिक स्वतंत्रताओं का हनन, सेंसरशिप, गिरफ्तारियाँ।
3️⃣ विपक्षी दलों का एकजुट होकर जनता पार्टी का गठन।
4️⃣ लोकतंत्र की बहाली की जनता की इच्छा।

🔵 प्रश्न 16: शाह आयोग की स्थापना का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
🟢 उत्तर:
1️⃣ आपातकाल के दौरान सत्ता के दुरुपयोग की जांच करना।
2️⃣ नागरिक अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की समीक्षा।
3️⃣ भविष्य के लिए सुधारात्मक सुझाव प्रस्तुत करना।

🔵 प्रश्न 17: ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ का सामाजिक और राजनीतिक उद्देश्य बताइए।
🟢 उत्तर:
1️⃣ समाज में नैतिकता, समानता और पारदर्शिता स्थापित करना।
2️⃣ भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और असमानता समाप्त करना।
3️⃣ लोकतंत्र में जनता की भागीदारी और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना।

🔵 प्रश्न 18: आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र को किस प्रकार प्रभावित किया?
🟢 उत्तर:
1️⃣ लोकतंत्र की संस्थाएँ जैसे न्यायपालिका और प्रेस कमजोर पड़ीं।
2️⃣ कार्यपालिका का प्रभुत्व बढ़ा, सत्ता का केंद्रीकरण हुआ।
3️⃣ जनता में लोकतांत्रिक चेतना और अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ी।

🔵 प्रश्न 19: 1977 के बाद लोकतांत्रिक प्रणाली में क्या सुधार हुए?
🟢 उत्तर:
1️⃣ नागरिक अधिकारों की पुनर्स्थापना की गई।
2️⃣ 44वां संविधान संशोधन लागू हुआ।
3️⃣ सत्ता के दुरुपयोग की पुनरावृत्ति रोकने के उपाय किए गए।

🔵 प्रश्न 20: आपातकाल की घोषणा में किन संवैधानिक प्रावधानों का प्रयोग हुआ?
🟢 उत्तर:
1️⃣ अनुच्छेद 352 – राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा।
2️⃣ अनुच्छेद 358 व 359 – मौलिक अधिकारों का निलंबन।
3️⃣ राष्ट्रपति की स्वीकृति से प्रधानमंत्री द्वारा लागू किया गया।

🔵 प्रश्न 21: आपातकाल की आलोचना किन आधारों पर की गई?
🟢 उत्तर:
1️⃣ नागरिक अधिकारों का उल्लंघन।
2️⃣ न्यायपालिका, प्रेस और विपक्ष पर नियंत्रण।
3️⃣ राजनीतिक विरोधियों की गिरफ्तारियाँ।
4️⃣ लोकतंत्र के मूल्यों की अवहेलना।

🔵 प्रश्न 22: आपातकाल से कौन-कौन से सबक मिले?
🟢 उत्तर:
1️⃣ लोकतंत्र में नागरिक स्वतंत्रता आवश्यक है।
2️⃣ सत्ता का केंद्रीकरण खतरनाक हो सकता है।
3️⃣ संस्थागत संतुलन और स्वतंत्रता का संरक्षण जरूरी है।


🔷 SECTION – D (प्रत्येक प्रश्न 4 अंकों का है)
🔵 प्रश्न 23: आपातकाल के राजनीतिक परिणामों की विवेचना कीजिए।
🟢 उत्तर:
1️⃣ कांग्रेस की लोकप्रियता में गिरावट और विपक्षी एकता।
2️⃣ जनता पार्टी की स्थापना और सत्ता परिवर्तन।
3️⃣ लोकतंत्र की पुनर्स्थापना।
4️⃣ नागरिक अधिकारों और संस्थाओं की रक्षा के लिए सुधारों की शुरुआत।

🔵 प्रश्न 24: प्रेस, न्यायपालिका और विपक्ष की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
🟢 उत्तर:
➡️ प्रेस: सेंसरशिप के कारण स्वतंत्रता समाप्त, सरकार की आलोचना असंभव।
➡️ न्यायपालिका: कार्यपालिका के दबाव में कुछ निर्णय, लेकिन बाद में आत्ममंथन।
➡️ विपक्ष: गिरफ्तारियाँ होने के बावजूद लोकतंत्र की बहाली का आह्वान जारी रखा।

🔵 प्रश्न 25: आपातकाल ने भारतीय राजनीति को किस प्रकार परिवर्तित किया?
🟢 उत्तर:
1️⃣ सत्ता के केंद्रीकरण की प्रवृत्ति सामने आई
2️⃣ विपक्षी दलों में सहयोग की भावना विकसित हुई।
3️⃣ जनता की लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता बढ़ी।
4️⃣ राजनीतिक दलों ने संविधानिक सीमाओं का महत्व समझा।

🔵 प्रश्न 26: आपातकाल के आर्थिक प्रभावों का वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर:
1️⃣ योजनाओं का संचालन प्रभावित हुआ।
2️⃣ औद्योगिक उत्पादन घटा।
3️⃣ बेरोजगारी और मुद्रास्फीति बढ़ी।
4️⃣ जनता में असंतोष के कारण नीतियों की आलोचना हुई।

🔵 प्रश्न 27:
1977 के चुनाव परिणामों से लोकतंत्र की मजबूती कैसे सिद्ध होती है?
🟢 विस्तृत उत्तर:
1️⃣ जनता की सर्वोच्चता:
1977 में जनता ने शांतिपूर्ण मतदान द्वारा सत्तारूढ़ कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया, जिससे स्पष्ट हुआ कि जनता ही लोकतंत्र की असली शक्ति है।
2️⃣ लोकतांत्रिक प्रक्रिया की स्थिरता:
सत्ता परिवर्तन संविधान के अंतर्गत हुआ; कोई हिंसा या अस्थिरता नहीं हुई।
3️⃣ राजनीतिक चेतना:
जनता ने दमनकारी शासन को नकारकर राजनीतिक परिपक्वता प्रदर्शित की।
4️⃣ संविधान में आस्था:
जनता ने विरोध के लिए लोकतांत्रिक साधन चुना।
➡️ निष्कर्ष: 1977 का चुनाव लोकतंत्र की जीवंतता और जनता की शक्ति का प्रतीक था।

🔵 प्रश्न 28:
आपातकाल के दौरान जनसंख्या नियंत्रण नीति पर आलोचना क्यों हुई?
🟢 विस्तृत उत्तर:
1️⃣ बलपूर्वक नसबंदी अभियान: बिना सहमति लोगों को नसबंदी के लिए बाध्य किया गया।
2️⃣ मानवाधिकारों का उल्लंघन: नीति में स्वैच्छिकता का अभाव था, जिससे असंतोष फैला।
3️⃣ गरीब वर्गों पर असर: अधिकतर गरीब और ग्रामीण जनता प्रभावित हुई।
4️⃣ राजनीतिक प्रभाव: नीति सरकार के विरुद्ध जनमत का कारण बनी।
➡️ निष्कर्ष: नीति उद्देश्यपूर्ण थी परंतु क्रियान्वयन दमनकारी था जिससे सरकार अलोकप्रिय हुई।

🔵 प्रश्न 29:
44वां संविधान संशोधन क्यों और कैसे महत्वपूर्ण है?
🟢 विस्तृत उत्तर:
1️⃣ आपातकाल की शर्तों में संशोधन: केवल ‘सशस्त्र विद्रोह’ की स्थिति में ही आपातकाल संभव।
2️⃣ मौलिक अधिकारों की रक्षा: अनुच्छेद 20 और 21 को निलंबित नहीं किया जा सकेगा।
3️⃣ संसद की स्वीकृति आवश्यक: घोषणा से पहले संसद में अनुमोदन अनिवार्य।
4️⃣ संविधान की सर्वोच्चता: संशोधन ने कार्यपालिका पर नियंत्रण और लोकतंत्र को मज़बूती दी।

🔵 प्रश्न 30:
आपातकाल की घटनाओं से लोकतंत्र के कौन से मूल्य पुष्ट हुए?
🟢 विस्तृत उत्तर:
1️⃣ नागरिक स्वतंत्रता का महत्व:
स्वतंत्रता और अधिकारों के बिना लोकतंत्र अधूरा है।
2️⃣ जनता की सर्वोच्चता:
जनता के निर्णय से सरकार बदलना लोकतंत्र का आधार है।
3️⃣ संविधान और संस्थाओं की भूमिका:
संविधान में निहित मूल्य और संस्थागत स्वतंत्रता आवश्यक हैं।
4️⃣ उत्तरदायित्व और जवाबदेही:
सत्ता पर नियंत्रण और पारदर्शिता लोकतांत्रिक शासन की पहचान है।
➡️ निष्कर्ष: आपातकाल ने यह सिखाया कि लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए जनता, संस्थाएँ और संविधान तीनों आवश्यक हैं।

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प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्न

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एक पृष्ठ में पुनरावृत्ति

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मस्तिष्क मानचित्र

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दृश्य सामग्री

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