Class 12, History (Hindi)

Class 12 : History (Hindi) – Lesson 9. उपनिवेशवाद और देहात

पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन


🌟 परिचय
🔷 ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान देहाती समाज, कृषि संरचना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में हुए गहरे परिवर्तनों को समझना इस अध्याय का लक्ष्य है।
🔶 यहाँ हम देखेंगे कि कैसे राजस्व नीतियों, नई फ़सलों, बाजारों और सत्ता–संरचना ने किसानों व जमींदारों के रिश्तों को बदला।

🏛 1. औपनिवेशिक राजस्व नीतियाँ
⭐ • 1793 की स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) ने ज़मींदारों को कर–वसूली की स्थिर जिम्मेदारी दी।
🍀 • महालवारी और रैयतवारी व्यवस्थाओं में भूमि–मापन व सीधा कर संग्रह अपनाया गया।
💎 • उच्च लगान–दरें और नकदी भुगतान की बाध्यता से किसानों पर दबाव बढ़ा।
🌸 • कर–अवधि व बकाया पर कठोर दंड के कारण कृषक विद्रोह व बगावतें उभरीं।

🌾 2. वाणिज्यिक फ़सलों का प्रसार
⭐ • नील, कपास, गन्ना, चाय और अफ़ीम जैसी फ़सलें बढ़ती मांग हेतु बोयी गईं।
🍀 • परंपरागत खाद्यान्न क्षेत्र सिकुड़े, अकाल की संभावना बढ़ी।
💎 • नील की खेती के विरोध में 1859–60 का नील विद्रोह (Bengal Indigo Revolt) महत्वपूर्ण घटना रहा।
🌟 • वैश्विक बाज़ार से जुड़ाव ने किसानों को लाभ के साथ जोखिम में भी डाला।

⚔ 3. बाजार और देहाती समाज
⭐ • रेल और सड़कों ने ग्रामीण उत्पाद को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुँचाया।
🍀 • साहूकारों और बिचौलियों की भूमिका मज़बूत हुई, ऋण–निर्भरता बढ़ी।
💎 • ग्रामीण मेलों व साप्ताहिक हाट ने स्थानीय व्यापार को बनाए रखा।
🌸 • बाजार की अनिश्चितता ने किसान परिवारों की आजीविका को अस्थिर किया।

🧭 4. जमींदार और मध्यस्थ
⭐ • स्थायी बंदोबस्त में ज़मींदार राजस्व लक्ष्य न पाने पर भूमि खो सकते थे, जिससे उन्होंने किसानों पर दबाव डाला।
🍀 • महालवारी व्यवस्था में गाँव के मुखिया (लंबरदार) महत्त्वपूर्ण मध्यस्थ बने।
💎 • कई ज़मींदार देहाती समाज में सांस्कृतिक–धार्मिक संरक्षक भी रहे।
🌟 • औपनिवेशिक न्यायालयों ने परम्परागत पंचायत–नियमों को कई बार कमजोर किया।

🌾 5. किसान आंदोलनों और प्रतिरोध
⭐ • नील विद्रोह (1859–60), पाबना किसान विद्रोह (1873), देccan riots (1875) जैसे आंदोलनों ने उपनिवेशवाद की शोषणकारी प्रकृति को उजागर किया।
🍀 • इन विद्रोहों ने ब्रिटिश प्रशासन को कुछ सुधार करने को विवश किया।
💎 • जाति, क्षेत्र और धार्मिक विविधता के बावजूद, साझा आर्थिक कष्टों ने किसानों को संगठित किया।
🌟 • कई विद्रोह स्थानीय नेतृत्व और लोक–संस्कृति से प्रेरित थे।

🏺 6. ग्रामीण उद्योग और हस्तकला पर असर
⭐ • मशीन–निर्मित वस्त्रों ने देसी बुनकरों को प्रतिस्पर्धा में पिछाड़ा।
🍀 • पारंपरिक कारीगरों की आजीविका प्रभावित हुई; कई किसान मजदूरी या बंधुआ श्रम में धकेले गये।
💎 • ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विविध आधार सिकुड़ा, कृषि–निर्भरता बढ़ी।

🕊 7. औपनिवेशिक नीतियाँ और पर्यावरण
⭐ • जंगलों को कृषि या वाणिज्यिक फ़सलों के लिए साफ़ किया गया।
🍀 • सिंचाई परियोजनाएँ (नहरें, बाँध) नई संभावनाएँ लाईं, पर स्थानीय पारिस्थितिकी बदली।
💎 • चराई क्षेत्र घटने से पशुपालन संकट में पड़ा।

🌸 8. सांस्कृतिक–सामाजिक प्रभाव
⭐ • ग्रामीण समाज में वर्ग और जाति की खाई और चौड़ी हुई।
🍀 • ऋण–दबाव व भूमि–विहीनता ने पलायन को प्रेरित किया।
💎 • धार्मिक सुधार आंदोलनों ने किसानों के असंतोष को नई व्याख्या दी।
🌟 • औपनिवेशिक ज्ञान–उत्पादन (सर्वे, रिपोर्टें) ने देहात की समझ को प्रशासनिक दृष्टि तक सीमित किया।

📚 9. इतिहास–लेखन और स्रोत
⭐ • औपनिवेशिक अभिलेख (राजस्व रिपोर्ट, सर्वे) नीतियों के औपचारिक दृष्टिकोण को दिखाते हैं।
🍀 • किसानों की आवाज़ लोकगीतों, कहावतों, मौखिक परम्पराओं और विद्रोही घोषणाओं में मिलती है।
💎 • यात्रियों व भारतीय सुधारकों के लेखन से वैकल्पिक दृष्टिकोण उभरता है।
🌟 • आधुनिक इतिहासकार बहु–स्रोत पद्धति से संतुलित चित्र प्रस्तुत करते हैं।

✨ 300 शब्द का सारांश
🔷 ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने देहाती समाज की आर्थिक–सामाजिक संरचना बदल डाली।
🔶 स्थायी बंदोबस्त, महालवारी व रैयतवारी जैसी राजस्व नीतियों ने ज़मींदारों और किसानों के सम्बन्धों को नया रूप दिया।
🔷 नकदी फ़सलों के प्रसार ने खाद्यान्न क्षेत्र सिकुड़ाए, अकाल की आशंका बढ़ी।


🔶 रेल–सड़क–बाज़ार विस्तार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को वैश्विक पूँजी से जोड़ा, पर अस्थिरता भी लाई।
🔷 साहूकार व बिचौलियों का प्रभुत्व बढ़ा, ऋण–निर्भरता व शोषण तीव्र हुआ।
🔶 किसानों ने नील विद्रोह, पाबना आंदोलन, देक्कन दंगे आदि से विरोध जताया।


🔷 ग्रामीण उद्योग–हस्तकला मशीन–उत्पादन से प्रभावित हुए, पारिस्थितिकी बदली।
🔶 जाति व वर्ग विभाजन गहरा, सामाजिक सुधार आंदोलनों व मौखिक परम्पराओं ने असंतोष को आवाज़ दी।
🔷 इतिहास–लेखन के लिए औपनिवेशिक अभिलेखों के साथ लोकस्रोतों और यात्रियों के विवरण की तुलना ज़रूरी है।


🌟 इस प्रकार उपनिवेशवाद और देहात अध्याय हमें दिखाता है कि कृषि, समाज, पर्यावरण और संस्कृति पर उपनिवेशी हस्तक्षेप कितने व्यापक और जटिल थे।

📝 Quick Recap
✔️ स्थायी बंदोबस्त, महालवारी, रैयतवारी – औपनिवेशिक कर–व्यवस्थाएँ।
✔️ नील, कपास, चाय – वाणिज्यिक फ़सलों का प्रसार और संकट।
✔️ रेल–बाज़ार–साहूकार – ग्रामीण अर्थव्यवस्था का वैश्विक जुड़ाव।
✔️ नील विद्रोह, पाबना आंदोलन, देक्कन दंगे – किसान प्रतिरोध।
✔️ हस्तकला पतन, पर्यावरणीय बदलाव और सामाजिक विभाजन।
✔️ बहु–स्रोत पद्धति से इतिहास–लेखन का संतुलन।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


📚 उत्तर दीजिए (लगभग 100–150 शब्द)
🔷 प्रश्न 1
ग्रामीण बंगाल के बहुत से इलाकों में जोटदार एक ताकतवर हस्ती क्यों था?
🧭 उत्तर
⭐ • जोटदार बड़े कृषक या ग्रामीण महाजन थे, जो ज़मींदारों के नीचे और छोटे किसानों के ऊपर की स्थिति में थे।
🍀 • वे स्थानीय कृषकों से अनौपचारिक कर वसूलते और ज़मींदारों को लगान अदा करते थे।
💎 • साहूकारी और भूमि–किराये से उन्होंने आर्थिक शक्ति अर्जित की।
🌸 • ग्रामीण विवादों में उनका प्रभाव सामाजिक–राजनीतिक ताक़त का आधार बना।


🔷 प्रश्न 2
ज़मींदार लोग अपनी ज़मींदारियों पर किस प्रकार नियंत्रण बनाए रखते थे?
🧭 उत्तर
⭐ • वे लगान वसूली और किसानों पर दबाव डालकर राजस्व लक्ष्य सुनिश्चित करते थे।
🍀 • अदालतों व ब्रिटिश प्रशासन से नजदीकी रखकर अपनी ज़मीनें बचाते थे।
💎 • कई बार ताक़तवर सशस्त्र अनुचरों का सहारा लेकर विद्रोही कृषकों को डराते थे।
🌸 • सांस्कृतिक संरक्षण व दान–पुण्य से भी ग्रामीण समर्थन बनाए रखते थे।


🔷 प्रश्न 3
पहाड़ीया लोगों ने बाहरी लोगों के आगमन पर कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?
🧭 उत्तर
⭐ • पहाड़ीया समुदायों ने प्रारम्भ में व्यापारिक संपर्क रखा, लेकिन अत्यधिक हस्तक्षेप पर प्रतिरोध किया।
🍀 • जंगल–भूमि में शिकार–जीवन पर दबाव पड़ने से वे हमलावर दल बनाकर रास्ते रोकते थे।
💎 • ब्रिटिश और राजस्व अधिकारियों से संघर्ष की घटनाएँ हुईं।
🌸 • अंततः कई समूह गहरे जंगलों या ऊँचाई वाले इलाक़ों में चले गए।


🔷 प्रश्न 4
संतालों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह क्यों किया?
🧭 उत्तर
⭐ • साहूकारों व ज़मींदारों द्वारा शोषण और भूमि छीनने से संतप्त थे।
🍀 • ब्रिटिश प्रशासन उनके पारंपरिक अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहा।
💎 • कर–दबाव, जबरन वसूली और सांस्कृतिक दमन ने विद्रोह को जन्म दिया।
🌟 • 1855–56 का संताल विद्रोह इसी असंतोष का परिणाम था।


🔷 प्रश्न 5
रकम के देन–देन ऋणग्रस्तताओं के प्रति कृषक चुप क्यों रहते थे?
🧭 उत्तर
⭐ • ग्रामीण समाज में साहूकारों का सामाजिक दबदबा था, विरोध जोखिमपूर्ण था।
🍀 • अदालतें प्रायः साहूकारों के पक्ष में निर्णय देतीं।
💎 • कर्ज़ अदायगी न करने पर भूमि या आजीविका खोने का भय था।
🌸 • सामूहिक संगठन की कमी ने भी कृषकों को मौन रहने पर मजबूर किया।

✍️ निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए (लगभग 250–300 शब्द)
🔷 प्रश्न 6
इस्तमारी बंदोबस्त के बाद बहुत–सी ज़मींदारियाँ क्यों नीलाम कर दी गईं?
🧭 उत्तर
⭐ • स्थायी बंदोबस्त में ज़मींदारों को निर्धारित समय पर निश्चित कर अदा करना अनिवार्य था।
🍀 • यदि वे कर अदा न कर पाए, तो ज़मींदारियों की नीलामी होती थी।
💎 • आर्थिक मंदी, प्राकृतिक आपदाओं और लगान वसूली में असफलता से कई ज़मींदार चूक गये।
🌟 • नीलामी से नए खरीदार–जोटदार या व्यापारी–साहूकार वर्ग उभरे, जिससे ग्रामीण सत्ता–संतुलन बदला।
🕊 • इसने परम्परागत अभिजात वर्ग की शक्ति को कमजोर किया और ब्रिटिश प्रशासन को नए सहयोगी मिले।


🔷 प्रश्न 7
पहाड़ीया लोगों की आजीविका संगठनों को औपनिवेशिक शासन ने किस रूप में बदल दिया?
🧭 उत्तर
⭐ • जंगल भूमि पर नियंत्रण व कृषि विस्तार से उनका शिकार–आधारित जीवन बाधित हुआ।
🍀 • उन्हें जबरन बसाहटों या मज़दूरी कार्यों में धकेला गया।
💎 • कुछ समूह निचले इलाक़ों में बसाकर कर–देय किसान बनाए गये।
🌸 • उनकी सांस्कृतिक–सामाजिक स्वायत्तता सीमित हुई और प्रतिरोध आंदोलनों का उदय हुआ।


🔷 प्रश्न 8
अमेरिकी गृहयुद्ध ने भारत में देहात समुदाय के जीवन को कैसे प्रभावित किया?
🧭 उत्तर
⭐ • अमेरिकी गृहयुद्ध (1861–65) से अमेरिकी कपास की आपूर्ति रुकी।
🍀 • भारतीय कपास की मांग बढ़ी, जिससे कपास उत्पादक क्षेत्रों में लाभ हुआ।
💎 • कई किसानों ने कपास उगाकर लाभ कमाया, परंतु बाद में मांग घटने से संकट आया।
🌟 • अस्थिर कीमतों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अस्थिरता और ऋण–निर्भरता बढ़ाई।


🔷 प्रश्न 9
किसानों का इतिहास लिखते समय इतिहासकारों को स्रोतों के उपयोग में क्या समस्याएँ आती हैं?
🧭 उत्तर
⭐ • औपनिवेशिक अभिलेख प्रायः प्रशासनिक या कर–केंद्रित दृष्टिकोण देते हैं।
🍀 • किसानों की आवाज़ सीधे रूप में कम दर्ज हुई है।
💎 • मौखिक परम्पराओं व लोकगीतों को सत्यापित करना कठिन है।
🌸 • विभिन्न स्रोतों में पक्षपात व सीमाएँ होने से तुलनात्मक दृष्टि आवश्यक है।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न


🏺 अनुभाग A – बहुविकल्पी प्रश्न (Q1–Q21, 1 अंक प्रत्येक)
🔷 प्रश्न 1
स्थायी बंदोबस्त कब लागू किया गया था?
🔵 1. 1793 ई.
🟢 2. 1859 ई.
🟡 3. 1861 ई.
🔴 4. 1905 ई.
✔️ उत्तर : 1


🔶 प्रश्न 2
जोटदार कौन थे?
🟡 1. ब्रिटिश अधिकारी
🔵 2. बड़े कृषक व साहूकार वर्ग
🟢 3. नील व्यापारी
🔴 4. पुलिस अधिकारी
✔️ उत्तर : 2


🔶 प्रश्न 3
रैयतवारी व्यवस्था मुख्यतः कहाँ लागू की गई थी?
🔴 1. बंगाल
🟡 2. मद्रास और बॉम्बे प्रेसीडेंसी
🟢 3. बिहार
🔵 4. उड़ीसा
✔️ उत्तर : 2


🔶 प्रश्न 4 (कथन–कारक)
A: महालवारी व्यवस्था गाँव समुदायों के माध्यम से कर वसूली पर आधारित थी।
R: इससे किसानों पर बोझ बिल्कुल समाप्त हो गया।
🔵 A. दोनों सही, R A को समझाता है
🟡 B. दोनों सही, R A को नहीं समझाता
🔴 C. A सही, R ग़लत
🟢 D. A ग़लत, R सही
✔️ उत्तर : C


🔶 प्रश्न 5
नील विद्रोह किस वर्ष हुआ?
🟡 1. 1857 ई.
🔴 2. 1859–60 ई.
🔵 3. 1865 ई.
🟢 4. 1875 ई.
✔️ उत्तर : 2


🔶 प्रश्न 6
अमेरिकी गृहयुद्ध ने किस फ़सल की मांग बढ़ाई?
🔵 1. नील
🟢 2. कपास
🟡 3. चाय
🔴 4. अफ़ीम
✔️ उत्तर : 2


🔶 प्रश्न 7
स्थायी बंदोबस्त के तहत ज़मींदार असफल रहे तो क्या हुआ?
🟢 1. उन्हें पदोन्नति मिली
🔵 2. उनकी ज़मींदारियाँ नीलाम की गईं
🟡 3. कर माफ़ कर दिया गया
🔴 4. वे कृषक बने रहे
✔️ उत्तर : 2


🔶 प्रश्न 8
संताल विद्रोह कब हुआ?
🔴 1. 1855–56 ई.
🟢 2. 1859–60 ई.
🔵 3. 1861 ई.
🟡 4. 1873 ई.
✔️ उत्तर : 1


🔶 प्रश्न 9
महालवारी व्यवस्था में कर निर्धारण का आधार था—
🔵 1. परगना स्तर पर औसत उपज
🟡 2. व्यक्तिगत किसान की उपज
🟢 3. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
🔴 4. चांदी का भंडार
✔️ उत्तर : 1


🔶 प्रश्न 10
पहाड़ीया लोगों ने ब्रिटिश हस्तक्षेप पर कैसी प्रतिक्रिया दी?
🟢 1. उन्होंने शांतिपूर्वक कर अदा किया
🔵 2. उन्होंने प्रतिरोध और हमले किये
🟡 3. वे सहयोगी बने
🔴 4. वे शहरीकरण में लगे
✔️ उत्तर : 2


🔶 प्रश्न 11 (कथन–कारक)
A: रेल और सड़कों ने ग्रामीण उत्पाद को दूरस्थ बाजारों तक पहुँचाया।
R: इससे किसानों को हमेशा स्थिर लाभ मिला।
🔵 A. दोनों सही, R A को समझाता है
🟡 B. दोनों सही, R A को नहीं समझाता
🔴 C. A सही, R ग़लत
🟢 D. A ग़लत, R सही
✔️ उत्तर : C


🔶 प्रश्न 12
नील की खेती मुख्यतः क्यों विवादास्पद बनी?
🟡 1. उच्च कीमतों के कारण
🔵 2. किसानों पर जबरन नील बोने का दबाव
🟢 3. ब्रिटिश सरकार के निषेध
🔴 4. साहूकारों की हानि
✔️ उत्तर : 2


🔶 प्रश्न 13
जोटदारों की भूमिका थी—
🔵 1. कर वसूली और किसानों पर प्रभाव
🟢 2. विदेशी व्यापार नियंत्रण
🟡 3. सैनिक नेतृत्व
🔴 4. कानूनी सलाह
✔️ उत्तर : 1


🔶 प्रश्न 14
रैयतवारी व्यवस्था में कर किससे सीधे वसूला गया?
🟢 1. किसानों (रैयत) से
🔵 2. जोटदारों से
🟡 3. पंचायत से
🔴 4. महाल से
✔️ उत्तर : 1


🔶 प्रश्न 15 (कथन–कारक)
A: अमेरिकी गृहयुद्ध ने भारतीय कपास के दाम बढ़ा दिये।
R: इसलिए सभी भारतीय किसान दीर्घकाल में लाभान्वित हुए।
🟡 A. दोनों सही, R A को समझाता है
🔵 B. दोनों सही, R A को नहीं समझाता
🔴 C. A सही, R ग़लत
🟢 D. A ग़लत, R सही
✔️ उत्तर : C


🔶 प्रश्न 16
संताल विद्रोह का एक कारण था—
🟡 1. शाही कर माफी
🔵 2. साहूकार–ज़मींदारों का शोषण
🟢 3. उद्योगीकरण
🔴 4. प्राकृतिक आपदा
✔️ उत्तर : 2


🔶 प्रश्न 17
ब्रिटिश सर्वेक्षण और रिपोर्टें अक्सर क्या प्रदर्शित करती थीं?
🟢 1. प्रशासनिक दृष्टिकोण
🔵 2. किसानों की पूरी वास्तविकता
🟡 3. लोक–परम्पराओं का सम्मान
🔴 4. ग्रामीण स्वायत्तता
✔️ उत्तर : 1


🔶 प्रश्न 18
पाबना आंदोलन किससे सम्बद्ध था?
🔵 1. नील व्यापारी
🟡 2. किरायेदारी विवाद
🟢 3. रेल कर
🔴 4. अफ़ीम व्यापार
✔️ उत्तर : 2


🔶 प्रश्न 19
पहाड़ीया लोगों की आजीविका मुख्यतः किस पर आधारित थी?
🟢 1. शिकार और जंगल–उत्पाद
🔵 2. औद्योगिक मजदूरी
🟡 3. कपास उत्पादन
🔴 4. चाय बागान
✔️ उत्तर : 1


🔶 प्रश्न 20
इस्तमारी बंदोबस्त के बाद नीलामियों से कौन–सा नया वर्ग उभरा?
🟢 1. जोटदार–साहूकार
🔵 2. संताली व्यापारी
🟡 3. अंग्रेज़ सैनिक
🔴 4. महाल प्रमुख
✔️ उत्तर : 1


🔶 प्रश्न 21
ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान किस उद्योग को सबसे अधिक क्षति हुई?
🔴 1. पारंपरिक वस्त्र बुनाई
🟢 2. रेल निर्माण
🟡 3. चाय उत्पादन
🔵 4. खनन
✔️ उत्तर : 1

🧭 अनुभाग B – लघु उत्तर (Q22–Q25, 3 अंक प्रत्येक)
🔷 प्रश्न 22
स्थायी बंदोबस्त और महालवारी व्यवस्था में एक अंतर स्पष्ट कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • स्थायी बंदोबस्त में कर–दर स्थायी थी और ज़मींदारों को तय राशि देनी होती थी।
🍀 • महालवारी व्यवस्था में कर निर्धारण गाँव (महाल) के आधार पर होता था और समय–समय पर संशोधित किया जा सकता था।
💎 • इस प्रकार महालवारी व्यवस्था ने स्थानीय भागीदारी अधिक रखी, जबकि स्थायी बंदोबस्त ने ज़मींदार शक्ति को बढ़ाया।


🔷 प्रश्न 23
अमेरिकी गृहयुद्ध के बाद कपास किसानों की स्थिति क्यों बिगड़ी?
🧭 उत्तर
⭐ • युद्ध समाप्त होते ही अमेरिकी कपास बाज़ार में लौट आया, जिससे भारतीय कपास के दाम गिर गये।
🍀 • किसानों पर ऋण–दबाव बढ़ा और कई कंगाल हो गये।
💎 • बाजार की अस्थिरता ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया।


🔷 प्रश्न 24
नील विद्रोह ने ब्रिटिश प्रशासन को किस प्रकार प्रभावित किया?
🧭 उत्तर
⭐ • प्रशासन ने नील ठेकेदारों के अत्याचारों की जाँच हेतु आयोग गठित किया।
🍀 • कुछ सुधार उपाय अपनाये गये जिससे किसानों पर दबाव कुछ कम हुआ।
💎 • विद्रोह ने दिखाया कि संगठित किसान प्रतिरोध से नीतियों में बदलाव सम्भव है।


🔷 प्रश्न 25
कृषक ऋण–जाल में क्यों फँसे रहते थे?
🧭 उत्तर
⭐ • नकद कर–भुगतान और बाजार की अस्थिरता ने साहूकारों पर निर्भरता बढ़ाई।
🍀 • ऊँचे ब्याज़ दरों और न्यायालयी समर्थन से साहूकारों की शक्ति बढ़ी।
💎 • भूमि खोने के भय ने कृषकों को चुप रहकर कर्ज़ चुकाने पर मजबूर किया।


🔷 प्रश्न 26A (विकल्प)
जोटदारों की ग्रामीण सत्ता के दो कारण और एक परिणाम लिखिए।
🧭 उत्तर
⭐ • कारण: साहूकारी–ऋण व भूमि किराये पर पकड़।
🍀 • कारण: ज़मींदार व ब्रिटिश अधिकारियों से समीप सम्बन्ध।
💎 • परिणाम: किसानों पर आर्थिक व सामाजिक दबदबा, ग्रामीण राजनीति में प्रभाव।


🔷 प्रश्न 26B (विकल्प)
संताल विद्रोह के दो कारण और एक परिणाम बताइए।
🧭 उत्तर
⭐ • कारण: साहूकारों व ज़मींदारों का शोषण।
🍀 • कारण: पारंपरिक अधिकारों का हनन और कर–दबाव।
💎 • परिणाम: ब्रिटिश प्रशासन को सैन्य दमन व नीति–पुनर्विचार के लिए विवश होना पड़ा।


🔷 प्रश्न 27
अमेरिकी गृहयुद्ध का भारतीय कपास अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
🧭 उत्तर
⭐ • युद्ध से अमेरिकी कपास आपूर्ति बाधित होने पर भारतीय कपास की मांग बढ़ी।
🍀 • किसानों ने कपास उगाकर अस्थायी लाभ कमाया।
💎 • युद्ध समाप्ति के बाद मांग गिरने से ग्रामीण संकट व ऋण–जाल बढ़ा।

⚔ अनुभाग C – दीर्घ उत्तर
🔶 प्रश्न 28A (विकल्प)
स्थायी बंदोबस्त की विशेषताएँ और उसकी आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • विशेषता: 1793 ई. में लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा लागू; कर–दर स्थायी।
🍀 • विशेषता: ज़मींदारों को कर वसूली की स्थिर जिम्मेदारी।
💎 • लाभ: राजस्व अनुमान में स्थिरता; ब्रिटिश प्रशासन को सहयोगी वर्ग।
🌸 • हानि: ज़मींदारों का शोषणकारी रवैया; किसानों की दशा बिगड़ी।
🕊 • निष्कर्ष: स्थिरता तो मिली पर सामाजिक न्याय और उत्पादन सुधार प्रभावित।


🔶 प्रश्न 28B (विकल्प)
महालवारी और रैयतवारी व्यवस्थाओं की तुलना और उनके प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • महालवारी: गाँव समुदाय से कर वसूली; समय–समय पर दर संशोधन।
🍀 • रैयतवारी: सीधे किसान से कर वसूली; व्यक्तिगत भूमि–अधिकार पर बल।
💎 • प्रभाव: दोनों व्यवस्थाओं ने ग्रामीण समाज को नकद कर और साहूकारों पर निर्भर बनाया।
🌟 • परिणाम: ग्रामीण असंतोष, विद्रोह और सामाजिक बदलाव।


🔶 प्रश्न 29A (विकल्प)
नील विद्रोह के कारण, स्वरूप और परिणाम का वर्णन कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • कारण: ठेकेदारों द्वारा जबरन नील बोने का दबाव; कम भुगतान।
🍀 • स्वरूप: बंगाल में 1859–60 ई. संगठित प्रतिरोध; किसानों ने नील बोने से इंकार किया।
💎 • परिणाम: ब्रिटिश ने जाँच आयोग गठित किया; कुछ सुधार किये गये।
🌸 • प्रभाव: संगठित किसान शक्ति का प्रथम उदाहरण।


🔶 प्रश्न 29B (विकल्प)
ग्रामीण समाज पर रेल और बाजार के विस्तार के प्रभावों का विश्लेषण कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • प्रभाव: देहाती उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुँचे।
🍀 • लाभ: किसानों को नकद आय और नए व्यापारिक अवसर।
💎 • हानि: मूल्य–अस्थिरता, ऋण–जाल और खाद्यान्न क्षेत्र में कमी।
🌟 • परिणाम: ग्रामीण जीवन में असुरक्षा और साहूकारों की पकड़ मजबूत।


🔶 प्रश्न 30
पहाड़ीया लोगों की आजीविका में औपनिवेशिक नीतियों से आये बदलाव का विवेचन कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • शिकार–जंगल उत्पाद पर निर्भरता घटाई गई; कृषि विस्तार ने उनके क्षेत्र छीने।
🍀 • कई समूहों को जबरन बसाहटों या मजदूरी कार्यों में लगाया गया।
💎 • कुछ ने प्रतिरोध या पलायन चुना; सांस्कृतिक स्वायत्तता कमजोर हुई।
🌸 • निष्कर्ष: औपनिवेशिक हस्तक्षेप ने पहाड़ीया समाज के परम्परागत ढाँचे को तोड़ डाला।

🏛 अनुभाग D – स्रोताधारित/केस अध्ययन
🔷 प्रश्न 31
स्रोत: “किसानों ने ठेकेदारों से कहा—हम नील नहीं बोयेंगे।”
🧭 उत्तर
⭐ • पहचान: नील विद्रोह, 1859–60 ई.।
🍀 • आशय: किसानों ने शोषण का प्रतिरोध किया।
💎 • महत्त्व: उपनिवेशकालीन भारत में संगठित किसान आंदोलन का सशक्त उदाहरण।


🔷 प्रश्न 32
स्रोत: “रेलमार्गों ने कपास और नील को बंदरगाहों तक पहुँचाया।”
🧭 उत्तर
⭐ • आशय: औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था का वैश्विक बाज़ार से जुड़ाव।
🍀 • प्रभाव: किसानों को अस्थायी लाभ, परंतु अस्थिरता व साहूकारी दबाव।
💎 • महत्त्व: ग्रामीण समाज में व्यापारिक संबंधों की गहराई और नए तनाव।


🔷 प्रश्न 33
स्रोत: “नीलामियों ने नए खरीदारों को ग्रामीण सत्ता दी।”
🧭 उत्तर
⭐ • आशय: स्थायी बंदोबस्त के तहत असफल ज़मींदारियों की नीलामी।
🍀 • परिणाम: जोटदार–साहूकार वर्ग का उदय; शक्ति–संतुलन परिवर्तन।
💎 • महत्त्व: पारंपरिक ज़मींदार कमजोर हुए, ग्रामीण समाज का ढाँचा बदला।

🗺 अनुभाग E – नक्शा कार्य
🔷 प्रश्न 34.1
बंगाल–बिहार कपास व नील क्षेत्र चिह्नित करें।


🔷 प्रश्न 34.2
संताल परगना क्षेत्र चिह्नित करें।


🔷 प्रश्न 34.3
महाराष्ट्र–देccan क्षेत्र के कपास पट्टे चिह्नित करें।


🔷 प्रश्न 34.4
दो चिन्हित क्षेत्रों का महत्व लिखिए।
🧭 उत्तर
⭐ • बंगाल–बिहार नील क्षेत्र: नील उत्पादन व विद्रोहों का केंद्र; ब्रिटिश वाणिज्य का आधार।
🍀 • संताल परगना: संताली संस्कृति व 1855–56 के विद्रोह का ऐतिहासिक क्षेत्र; ग्रामीण प्रतिरोध का प्रतीक।

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