Class 12 : History (Hindi) – Lesson 8 किसान, ज़मींदार और राज्य
पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन
🌾 परिचय
🔷 मध्यकालीन भारत के कृषि–संबंध, भूमि–स्वामित्व और राजस्व व्यवस्था को समझने के लिए यह अध्याय अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
🔶 इस अध्याय में हम देखते हैं कि किसान, ज़मींदार और राज्य के बीच आर्थिक व सामाजिक रिश्ते कैसे विकसित हुए और इनसे मुग़ल प्रशासन की संरचना व स्थिरता कैसे प्रभावित हुई।
🏛 1. कृषि आधार और समाज
⭐ • अधिकांश जनसंख्या कृषि–आधारित थी, उत्पादन पर निर्भर करती थी।
🍀 • किसान भूमि जोतते, सिंचाई और बीज जैसी चुनौतियों से जूझते थे।
💎 • उत्पादन में विविधता: धान, गेहूँ, ज्वार–बाजरा, कपास, नील आदि।
🌸 • नहरें, तालाब और कुएँ जल–आपूर्ति के महत्त्वपूर्ण साधन थे।
🌾 2. ज़मींदारों की भूमिका
⭐ • ज़मींदार स्थानीय अभिजात वर्ग थे जिनके पास भूमि पर पारंपरिक अधिकार या प्रभाव था।
🍀 • वे कर–संग्रह, कानून–व्यवस्था और ग्रामीण विवाद निपटान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
💎 • ज़मींदार किसानों और राज्य के बीच मध्यस्थ थे।
🕊 • उनका सामाजिक–धार्मिक प्रतिष्ठान भी गाँवों के सांस्कृतिक जीवन से जुड़ा था।
⚔ 3. राज्य और राजस्व नीति
⭐ • मुग़ल शासन ने भू–मापन (आइन–ए–अकबरी में वर्णित) द्वारा कर प्रणाली को संगठित किया।
🍀 • फ़सल के औसत उत्पादन के आधार पर लगान दरें तय की गईं।
💎 • ज़ाब्ती और दशाला पद्धति ने राजस्व स्थिरता सुनिश्चित की।
🌸 • कर वसूली प्रायः नकद में होती थी, जिससे बाज़ार और मुद्रा प्रचलन बढ़ा।
🧭 4. कृषि तकनीक और श्रम
⭐ • हल–जोती, बैलगाड़ी, सिंचाई टैंक, और नहरों का उपयोग आम था।
🍀 • श्रम–शक्ति में किसान परिवार, बंधुआ मज़दूर और अस्थायी मजदूर शामिल थे।
💎 • उर्वरक के रूप में हरी खाद और पशु–गोबर का प्रयोग किया जाता था।
🌟 • ग्रामीण उत्सव और मेलों से श्रम–वितरण व सहयोग को बल मिलता था।
📚 5. ग्रामीण बाज़ार और व्यापार
⭐ • ग्रामीण साप्ताहिक हाट कृषि उपज के आदान–प्रदान के केंद्र थे।
🍀 • मंडियाँ और कस्बे क्षेत्रीय व्यापार को जोड़ते थे।
💎 • नील, मसाले और कपास जैसे वाणिज्यिक फ़सलें निर्यात से जुड़ी थीं।
🌸 • ग्रामीण कारीगर (बढ़ई, लोहार) कृषि अर्थव्यवस्था को सहारा देते थे।
🏺 6. समाज में परिवर्तन और प्रतिरोध
⭐ • राजस्व दबाव और सूखे से किसान विद्रोह समय–समय पर हुए।
🍀 • ज़मींदारों की शक्ति में वृद्धि से कुछ स्थानों पर संघर्ष उत्पन्न हुए।
💎 • कुछ ज़मींदार स्थानीय संस्कृति व स्थापत्य के संरक्षक बने।
🌟 • किसान समुदायों ने पारंपरिक रीति–रिवाज़ व सामुदायिक समर्थन से अस्तित्व बनाए रखा।
🕊 7. कृषि पर जलवायु और भूगोल का प्रभाव
⭐ • मानसून की अनिश्चितता ने उत्पादन को प्रभावित किया।
🍀 • उपजाऊ मैदानी इलाक़े (गंगा–यमुना दोआब) ने उच्च उत्पादन दिया।
💎 • शुष्क क्षेत्रों में टैंक सिंचाई और नहरें महत्वपूर्ण बनीं।
🌸 8. प्रशासनिक स्रोत और ऐतिहासिक प्रमाण
⭐ • आइन–ए–अकबरी और मुग़ल अभिलेख कृषि उत्पादन व कर–व्यवस्था पर विस्तृत आँकड़े देते हैं।
🍀 • यात्रियों (जैसे बर्नियर) के विवरण ग्रामीण जीवन की झलक दिखाते हैं।
💎 • राजस्व अभिलेख से सामाजिक ढाँचा व किसान–राज्य संबंधों की जानकारी मिलती है।
✨ 300 शब्द का सारांश
🔷 किसान, ज़मींदार और राज्य अध्याय मुग़ल कालीन कृषि संरचना को उजागर करता है।
🔶 कृषि भारतीय समाज का आधार थी — किसान उत्पादन के ज़रिए राज्य को लगान देते थे।
🔷 ज़मींदार मध्यस्थ के रूप में कर–संग्रह, स्थानीय प्रशासन और सामाजिक जीवन में केंद्रीय भूमिका निभाते थे।
🔶 मुग़ल राजस्व नीति (ज़ाब्ती व दशाला) ने भू–मापन व औसत उपज के आधार पर कर तय कर व्यवस्था को संगठित किया।
🔷 ग्रामीण हाट, मंडियाँ और वाणिज्यिक फ़सलें स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से जुड़ी थीं।
🔶 तकनीक, सिंचाई और श्रम–वितरण ने उत्पादन को बनाए रखा।
🔷 विद्रोह व संघर्ष कर–दबाव व स्वायत्तता की खींचतान को दर्शाते हैं।
🔶 आइन–ए–अकबरी, यात्रियों के विवरण और राजस्व अभिलेख इस युग के महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत हैं।
🔷 इस प्रकार किसान, ज़मींदार और राज्य के जटिल रिश्तों ने मुग़ल साम्राज्य की स्थिरता, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार दिया।
📝 Quick Recap (त्वरित पुनरावृत्ति)
✔️ किसान कृषि–आधार पर समाज की रीढ़ थे।
✔️ ज़मींदार राज्य और किसान के बीच मध्यस्थ बने।
✔️ मुग़ल राजस्व नीति ने भू–मापन और औसत उपज से कर निर्धारण किया।
✔️ ग्रामीण बाज़ार व वाणिज्यिक फ़सलें व्यापार से जुड़ीं।
✔️ विद्रोह व संघर्ष ने शक्ति–संतुलन को प्रभावित किया।
✔️ आइन–ए–अकबरी व यात्रियों के विवरण मुख्य ऐतिहासिक स्रोत हैं।
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
📚 उत्तर दीजिए (लगभग 100–150 शब्द)
🔷 प्रश्न 1
कृषि इतिहास लिखने के लिए आयन को स्रोत के रूप में इस्तेमाल करने में कौन–सी समस्याएँ हैं? इतिहासकार इन समस्याओं से कैसे निपटते हैं?
🧭 उत्तर
⭐ • आयन (जैसे आइन–ए–अकबरी) शाही दृष्टिकोण से लिखे गये थे, इसलिए इनमें किसानों की वास्तविक स्थिति या क्षेत्रीय विविधता कम दिखती है।
🍀 • आँकड़े अक्सर आदर्श स्थितियाँ दर्शाते हैं, व्यवहारिक कठिनाइयाँ छिपी रहती हैं।
💎 • इतिहासकार इन स्रोतों की तुलना भूमि–राजस्व अभिलेख, यात्रियों के विवरण, पुरातात्त्विक साक्ष्य व स्थानीय परम्पराओं से करते हैं।
🌸 • इस प्रकार विभिन्न साक्ष्यों का मिलान कर अधिक संतुलित कृषि इतिहास तैयार किया जाता है।
🔷 प्रश्न 2
सोलहवीं–सत्रहवीं शताब्दी में कृषि उत्पादन के किन रूपों का मुग़ल राज्य के लिए खेती कह सकते हैं? अपने उत्तर के कारण स्पष्ट कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • नगद फ़सलें जैसे कपास, नील, मसाले और अनाज (धान, गेहूँ) – ये सब राजस्व व व्यापार के लिए अनिवार्य थे।
🍀 • इन फ़सलों से शाही खज़ाना भरता और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बल मिलता था।
💎 • राज्य ने सिंचाई टैंक, नहरें और कर–व्यवस्था से इनके उत्पादन को प्रोत्साहित किया।
🌟 • इसलिए इन्हें मुग़ल राज्य की “राज्य–खेती” कह सकते हैं।
🔷 प्रश्न 3
कृषि उत्पादन में महिलाओं की भूमिका का विवेचन कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • महिलाएँ बोवाई, निराई–गुड़ाई, फ़सल काटने व अनाज पीसने तक हर कार्य में सक्रिय थीं।
🍀 • घरेलू दायित्वों के साथ वे पशुपालन, बीज–संरक्षण व छोटे उद्यमों में योगदान देती थीं।
💎 • उनका श्रम ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ था, परन्तु अभिलेखों में उनका उल्लेख कम मिलता है।
🌸 • इतिहासकार मौखिक परम्पराओं व लोकगीतों से उनके योगदान को पहचानते हैं।
🔷 प्रश्न 4
विज्ञापनधर्मी कला में मौद्रिक कार्यों के कौन–से दृश्यात्मक उदाहरण देखे जा सकते हैं?
🧭 उत्तर
⭐ • चित्रों व भित्तिचित्रों में साहूकारों, ज़मींदारों और राजस्व वसूली के दृश्य मिलते हैं।
🍀 • बाज़ार, मुद्रा गिनते व्यापारी, और धान तौलते किसान जैसे दृश्य मौद्रिक लेन–देन को दर्शाते हैं।
💎 • ये उदाहरण दिखाते हैं कि नगदी अर्थव्यवस्था और व्यापार ग्रामीण जीवन का हिस्सा थे।
🔷 प्रश्न 5
उन सूचियों को जाँच करिए जो बताते हैं कि विजयनगर की राजस्व व्यवस्था के लिए पू–राजस्व (पूर्व राजस्व) क्यों महत्त्वपूर्ण था।
🧭 उत्तर
⭐ • पू–राजस्व आँकड़ों से राज्य को फ़सल की औसत उपज और कर निर्धारण की जानकारी मिलती थी।
🍀 • यह कर–संग्रह की स्थिरता व प्रशासनिक दक्षता का आधार था।
💎 • इसके अभिलेख नीतियों के मूल्यांकन व तुलना हेतु ऐतिहासिक स्रोत बने।
✍️ निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए (लगभग 250–300 शब्द)
🔷 प्रश्न 6
आपके अनुसार कृषि समाज में सामाजिक व आर्थिक संबंधों को प्रभावित करने में जाति किस हद तक एक कारक थी?
🧭 उत्तर
⭐ • जाति व्यवस्था ने भूमिधारकों, कृषकों व श्रमिकों के कार्य विभाजन को निर्धारित किया।
🍀 • ऊँची जातियाँ प्रायः ज़मींदार या कर–संग्राहक बनीं, जबकि निचली जातियों ने खेतिहर मज़दूरी की।
💎 • विवाह, आवागमन और बाज़ार लेन–देन पर भी जातिगत नियमों का प्रभाव था।
🌸 • फिर भी आर्थिक आवश्यकता ने कई बार जातिगत सीमाएँ तोड़ीं—जैसे व्यापार या सैन्य सेवा में।
🕊 • अतः जाति एक महत्त्वपूर्ण परन्तु एकमात्र कारक नहीं थी; भौगोलिक व आर्थिक स्थितियाँ भी प्रभावशाली रहीं।
🔷 प्रश्न 7
सोलहवीं और सत्रहवीं सदी में जंगल वासियों की ज़िंदगियाँ किस तरह बदलीं?
🧭 उत्तर
⭐ • जंगलों को कृषि भूमि में बदलने की नीतियों ने उनके पारंपरिक आवास व जीविकोपार्जन को सीमित किया।
🍀 • कई समुदाय नायक या सैनिक बने, कुछ ने व्यापार या पशुपालन अपनाया।
💎 • कर–व्यवस्था और शाही नियंत्रण ने उनकी स्वायत्तता घटाई, परन्तु कुछ ने बगावत या समझौता कर अनुकूलन किया।
🌸 • इस प्रक्रिया ने भारतीय समाज के विविधतापूर्ण ढाँचे को नया रूप दिया।
🔷 प्रश्न 8
मुग़ल भारत में ज़मींदारों की भूमिका का विवेचन कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • ज़मींदार राज्य और किसान के बीच मध्यस्थ थे, कर–संग्रह और शांति–व्यवस्था के जिम्मेदार।
🍀 • उन्होंने सैन्य सहायता, स्थानीय प्रशासन और ग्रामीण विवाद निपटान में भाग लिया।
💎 • वे सामाजिक–धार्मिक प्रतिष्ठान के संरक्षक थे, अक्सर मंदिर या मस्जिदों को दान देते थे।
🌟 • उनकी शक्ति कभी–कभी विद्रोह व कर–सुधार आंदोलनों का कारण भी बनी।
🕊 • इस प्रकार ज़मींदार मुग़ल राजस्व प्रणाली की स्थिरता और गाँवों की संरचना दोनों में केन्द्रीय थे।
🔷 प्रश्न 9
पंचायत और गाँव की सभा ग्रामीण समाज का किस तरह से नियम निर्धारण करती थीं? विवेचना कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • पंचायत भूमि बँटवारे, कर–विवाद, विवाह–विवाद और श्रम–वितरण जैसे मुद्दों पर निर्णय लेती थी।
🍀 • गाँव की सभा सामाजिक आचार, उत्सव और सामूहिक कार्यों के नियम तय करती थी।
💎 • ये संस्थाएँ स्थानीय स्तर पर न्याय व प्रशासन का संचालन करती थीं।
🌸 • शाही हस्तक्षेप सीमित था; अधिकांश विवाद पंचायत–सभा से ही सुलझते थे।
🕊 • इससे ग्रामीण समाज में स्व–शासन और सामूहिक जिम्मेदारी की परम्परा मजबूत रही।
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
🏺 अनुभाग A – बहुविकल्पी प्रश्न (Q1–Q21, 1 अंक प्रत्येक)
🔷 प्रश्न 1
मुग़ल कालीन कृषि अर्थव्यवस्था का मूल आधार क्या था?
🔵 1. भूमि–राजस्व व्यवस्था
🟢 2. समुद्री व्यापार
🔴 3. धातु–उत्पादन
🟡 4. शाही दान
✔️ उत्तर : 1
🔶 प्रश्न 2
आइन–ए–अकबरी के लेखक कौन थे?
🟢 1. अबुल फ़ज़ल
🔵 2. बदायूँनी
🟡 3. बर्नियर
🔴 4. फिरदौसी
✔️ उत्तर : 1
🔶 प्रश्न 3
दशाला पद्धति का संबंध किससे है?
🟡 1. सैनिक भर्ती
🔴 2. भूमि–मापन के औज़ार
🟢 3. औसत उपज के आधार पर लगान निर्धारण
🔵 4. शाही सिक्का ढलाई
✔️ उत्तर : 3
🔶 प्रश्न 4
ज़ाब्ती का तात्पर्य है—
🔵 1. कर–मुक्त दान भूमि
🟢 2. भू–मापन कर लगान निर्धारण
🟡 3. वन–कर
🔴 4. सीमा–शुल्क
✔️ उत्तर : 2
🔶 प्रश्न 5 (कथन–कारक)
A: ग्राम पंचायत स्थानीय विवादों का निपटारा करती थी।
R: पंचायत शाही सिक्कों की ढलाई भी करती थी।
🟢 A. दोनों सही, R A को समझाता है
🔵 B. दोनों सही, R A को नहीं समझाता
🟡 C. A सही, R ग़लत
🔴 D. A ग़लत, R सही
✔️ उत्तर : C
🔶 प्रश्न 6
खुदक़ाश्त का अर्थ है—
🟡 1. आव्रजक काश्तकार
🔴 2. अस्थायी मज़दूर
🟢 3. गाँव का स्थायी काश्तकार
🔵 4. शाही अधिकारी
✔️ उत्तर : 3
🔶 प्रश्न 7
नगद फ़सल का उपयुक्त उदाहरण है—
🔵 1. ज्वार
🟢 2. नील
🟡 3. जौ
🔴 4. बाजरा
✔️ उत्तर : 2
🔶 प्रश्न 8
मुग़ल काल में प्रमुख सिंचाई साधन थे—
🟢 1. टैंक/तालाब और नहरें
🔵 2. ट्यूबवेल
🟡 3. भूमिगत पाइप
🔴 4. विद्युत पम्प
✔️ उत्तर : 1
🔶 प्रश्न 9
‘रैयत’ शब्द प्रायः किसके लिए प्रयुक्त हुआ?
🔴 1. ज़मींदार
🟢 2. काश्तकार
🔵 3. शाही सैनिक
🟡 4. नगर व्यापारी
✔️ उत्तर : 2
🔶 प्रश्न 10
‘खालसा’ भूमि से आशय है—
🟡 1. धार्मिक दान भूमि
🔵 2. गाँव की सामूहिक भूमि
🟢 3. शाही प्रत्यक्ष नियंत्रण वाली भूमि
🔴 4. वन भूमि
✔️ उत्तर : 3
🔶 प्रश्न 11
परगना का प्रधान राजस्व अधिकारी कहलाता था—
🔵 1. कोतवाल
🟢 2. शीखदार/अमीन
🟡 3. क़ाज़ी
🔴 4. सुभेदार
✔️ उत्तर : 2
🔶 प्रश्न 12
ग्राम पंचायत का प्रमुख सामान्यतः कौन होता था?
🟢 1. मुकद्दम/मुखिया
🔵 2. फौजदार
🟡 3. दीवान
🔴 4. दरोग़ा
✔️ उत्तर : 1
🔶 प्रश्न 13
महिलाओं का कृषि कार्यों में योगदान प्रमुखतः दिखाई देता है—
🔵 1. सिक्का ढलाई
🟡 2. फ़सल कटाई–निराई तथा बीज–संरक्षण
🟢 3. घुड़साल प्रबंधन
🔴 4. कर–निर्धारण
✔️ उत्तर : 2
🔶 प्रश्न 14
वनवासियों के लिए नया विकल्प कौन–सा उभरा?
🟢 1. नायक/सैनिक सेवा
🔵 2. शाही लेखा–जोखा
🟡 3. दरबार कवित्व
🔴 4. खज़ाना ढलाई
✔️ उत्तर : 1
🔶 प्रश्न 15 (कथन–कारक)
A: नगद कर–वसूली ने बाज़ार का विस्तार किया।
R: नगद कर से अनाज का विनिमय अनिवार्य बना।
🟢 A. दोनों सही, R A को समझाता है
🟡 B. दोनों सही, R A को नहीं समझाता
🔴 C. A सही, R ग़लत
🔵 D. A ग़लत, R सही
✔️ उत्तर : C
🔶 प्रश्न 16
नील के प्रसार से किस वर्ग की भूमिका बढ़ी?
🟢 1. साहूकार–व्यापारी
🔵 2. क़ाज़ी
🟡 3. सूफ़ी
🔴 4. कारीगर
✔️ उत्तर : 1
🔶 प्रश्न 17
दशाला पद्धति का संचालन किस प्रशासनिक सुधारक से जुड़ा है?
🟢 1. टोडरमल
🔵 2. शाहजहाँ
🟡 3. बहलोल लोदी
🔴 4. शिवाजी
✔️ उत्तर : 1
🔶 प्रश्न 18
कृषक विद्रोह का एक सामान्य कारण—
🔵 1. सिक्का निर्माण
🟢 2. कर–दबाव व सूखा
🟡 3. महल निर्माण
🔴 4. दरबारी उत्सव
✔️ उत्तर : 2
🔶 प्रश्न 19
कौन–सा अनाज उत्तरी मैदानी क्षेत्र में व्यापक रहा?
🟢 1. गेहूँ
🔵 2. मक्का
🟡 3. बाजरा
🔴 4. कोदो
✔️ उत्तर : 1
🔶 प्रश्न 20
बर्नियर के विवरण उपयोगी हैं क्योंकि—
🟡 1. वे शाही सिक्का–विशेषज्ञ थे
🔴 2. उन्होंने ग्रामीण जीवन व राजस्व–व्यवस्था का प्रत्यक्ष चित्रण किया
🟢 3. वे सूबेदार थे
🔵 4. उन्होंने काव्य–रचना की
✔️ उत्तर : 2
🔶 प्रश्न 21
भूमि–मापन की सामान्य इकाई कही जाती थी—
🔵 1. मन
🟢 2. बीघा
🟡 3. सेर
🔴 4. गज़
✔️ उत्तर : 2
🏛 अनुभाग B – लघु उत्तर (Q22–Q25, 3 अंक प्रत्येक)
🔷 प्रश्न 22
दशाला और ज़ाब्ती का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • ज़ाब्ती : भू–मापन व औसत उपज के आधार पर लगान दर तय करने की प्रक्रिया।
🍀 • दशाला : कई वर्षों की औसत उपज–कीमत लेकर स्थिर दर निर्धारण, संग्रह में उतार–चढ़ाव घटा।
💎 • दोनों ने राजस्व–व्यवस्था को नियमित, तुलनात्मक और क्षेत्रानुसार व्यावहारिक बनाया।
🔷 प्रश्न 23
ज़मींदार की ग्राम समाज में भूमिका स्पष्ट कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • कर–संग्रह, शांति–व्यवस्था और शाही आदेशों का प्रवर्तन।
🍀 • सामाजिक–धार्मिक संरक्षण, मेलों–स्थापनाओं को दान; विवाद–निपटान में प्रभाव।
💎 • राज्य और कृषकों के बीच मध्यस्थ; कभी–कभी शक्ति–संतुलन बिगड़ने पर संघर्ष भी।
🔷 प्रश्न 24
ग्राम पंचायत के प्रमुख कार्य लिखिए।
🧭 उत्तर
⭐ • भूमि–बँटवारा, सीमांकन, जल–स्रोत व मार्ग जैसे सामुदायिक मामलों का संचालन।
🍀 • वैवाहिक/आचार सम्बन्धी नियम, दंड–विनियम और श्रम–वितरण का निर्धारण।
💎 • छोटे–मोटे विवादों का त्वरित समाधान; ग्राम–स्वशासन की परम्परा को मज़बूती।
🔷 प्रश्न 25
कृषि विस्तार का वनवासियों पर क्या प्रभाव पड़ा?
🧭 उत्तर
⭐ • पारंपरिक आवास व आजीविका सीमित; शिकार–उत्पाद व वन–उत्पादन पर दबाव।
🍀 • कुछ समुदायों ने नायक/सैनिक, पशुपालक या व्यापारी भूमिकाएँ अपनाईं।
💎 • कर–नियंत्रण व शाही दख़ल से स्वायत्तता घटी, पर अनुकूलन–समझौते भी बने।
🏺 अनुभाग B (जारी) – लघु उत्तर
🔷 प्रश्न 26A (विकल्प)
कृषक विद्रोह के तीन प्रमुख कारण लिखिए।
🧭 उत्तर
⭐ • कर–दबाव में वृद्धि तथा वसूली की कठोरता।
🍀 • सूखा/अनाज–किल्लत और अनिवार्य देनदारियाँ।
💎 • स्थानीय अभिजात/ज़मींदार के साथ टकराव व अन्याय की अनुभूति।
🔷 प्रश्न 26B (विकल्प)
ज़मींदार के दो अधिकार और एक सीमा लिखिए।
🧭 उत्तर
⭐ • अधिकार: कर–संग्रह, शांति–व्यवस्था में भागीदारी।
🍀 • अधिकार: ग्राम–समाज पर सामाजिक–धार्मिक प्रभाव।
💎 • सीमा: शाही फ़रमान व दीवानी नियंत्रण के अधीन; अवज्ञा पर दमन।
🔷 प्रश्न 27
सिंचाई की दो विधियाँ और एक आर्थिक प्रभाव लिखिए।
🧭 उत्तर
⭐ • नहरें/जल–मार्ग।
🍀 • टैंक/तालाब।
💎 • आर्थिक प्रभाव: स्थिर उत्पादन से बाज़ार और लगान वसूली में नियमितता।
⚔ अनुभाग C – दीर्घ उत्तर
🔶 प्रश्न 28A (विकल्प)
ज़ाब्ती तथा दशाला पद्धति का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • ज़ाब्ती: भू–मापन व औसत उपज के आधार पर दर तय; क्षेत्रानुसार संगति।
🍀 • दशाला: कई वर्षों की औसत उपज–कीमत लेकर स्थिर दर; उतार–चढ़ाव कम हुआ।
💎 • परिणाम: राजस्व–नियमितता, तुलनात्मक आँकड़े, नक़दी लेन–देन को बल।
🌸 • सीमा: विविध भौगोलिक–जलवायु स्थितियों में समान दरें सब पर समान रूप से उपयुक्त नहीं।
🕊 • निष्कर्ष: प्रशासनिक स्थिरता बढ़ी, पर स्थानीय लचीलेपन की आवश्यकता बनी रही।
🔶 प्रश्न 28B (विकल्प)
आइन–ए–अकबरी को स्रोत के रूप में उपयोग करने की उपयोगिता और सीमाएँ बताइए।
🧭 उत्तर
⭐ • उपयोगिता: फ़सल, उपज, दरें, प्रशासनिक ढाँचा—समकालीन सम्पूर्ण चित्र।
🍀 • उपयोगिता: भू–मापन, परगना/सूबा स्तर पर तुलना सम्भव।
💎 • सीमा: शाही दृष्टि; आदर्श–स्थितियों का आग्रह; किसान–जीवन की विषमताएँ कम दिखती हैं।
🌸 • उपाय: यात्रियों के विवरण, स्थानीय अभिलेख, पुरातात्त्विक साक्ष्यों से तुलना–पुष्टि।
🔷 प्रश्न 29A (विकल्प)
ग्राम पंचायत की कार्य–प्रणाली, शक्तियाँ और सीमाएँ स्पष्ट कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • कार्य–प्रणाली: भूमि–सीमांकन, जल–स्रोत, श्रम–वितरण, दंड–विनियम पर निर्णय।
🍀 • शक्तियाँ: त्वरित विवाद–निपटान, सामुदायिक आचार–नियम निर्धारण, कर–सहयोग।
💎 • सीमाएँ: शाही/दीवानी हस्तक्षेप; अभिजात प्रभाव; जाति/वर्ग के कारण असमानता।
🌟 • निष्कर्ष: ग्राम–स्वशासन की परम्परा मज़बूत, पर समान न्याय चुनौति।
🔷 प्रश्न 29B (विकल्प)
वन क्षेत्रों के ‘कृषि–समेकन’ की प्रक्रिया और उसके व्यापक प्रभावों की चर्चा कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • प्रक्रिया: जंगल भूमि का जोत में रूपान्तरण; बसाहट/मार्ग/बाज़ार का विस्तार।
🍀 • प्रभाव: वन–सम्पदा पर दबाव; वनवासियों की जीविका में परिवर्तन, नयी रोज़गार–भूमिकाएँ।
💎 • प्रशासन: कर–दायित्व, शाही निगरानी; सुरक्षा–व्यवस्था का प्रसार।
🌸 • समाज–अर्थ: विविधता–सम्बन्धों में नये तनाव व नये अवसर साथ–साथ।
🔶 प्रश्न 30
महिला श्रम की ‘अदृश्यता’ और इतिहास–लेखन पर उसके प्रभाव का विवेचन कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • अदृश्यता: बोवाई, निराई, कटाई, बीज–संरक्षण, पशुपालन—पर अभिलेखों में कम उल्लेख।
🍀 • कारण: शाही–प्रशासनिक स्रोतों का औपचारिक कर–केंद्रित दृष्टिकोण; घरेलू श्रम का अवमूल्यन।
💎 • इतिहास–लेखन: मौखिक परम्पराएँ/लोकगीत/स्थानीय स्मृतियाँ जोड़कर समग्र चित्र सम्भव।
🌟 • निष्कर्ष: महिला श्रम कृषि–अर्थव्यवस्था की रीढ़—उसकी पहचान से इतिहास अधिक संतुलित।
🏛 अनुभाग D – स्रोताधारित/अध्ययनांश
🔷 प्रश्न 31
स्रोत: “भू–मापन व दाम–सूची के आधार पर परगना–दर निर्धारित कर नियमित वसूली की जाए।”
🧭 उत्तर
⭐ • कथन–पहचान: राजस्व–व्यवस्था का औपचारिक निर्देश—ज़ाब्ती/दशाला का भाव।
🍀 • आशय: औसत उपज–कीमत से स्थिर दर; मनमानी घटे, तुल्यता बढ़े।
💎 • महत्त्व: परगना–स्तर पर संगति; दीवानी लेखे–जोखे का सुदृढ़ीकरण।
🔷 प्रश्न 32
स्रोत: “ग्राम–सभा ने जल–स्रोत और मार्ग–मरम्मत हेतु सामुदायिक श्रम निर्धारित किया, उल्लंघन पर दंड।”
🧭 उत्तर
⭐ • कथन–पहचान: पंचायत का सामुदायिक कार्य–नियमन।
🍀 • आशय: सार्वजनिक संसाधनों की देखभाल; नियमों से समान भागीदारी।
💎 • महत्त्व: ग्राम–स्वशासन की क्षमता; कृषि–उत्पादन की स्थिरता का आधार।
🔷 प्रश्न 33
स्रोत: “अकाल में कर–राहत व बीज–सहाय का प्रावधान किया जाए।”
🧭 उत्तर
⭐ • कथन–पहचान: शाही/दीवानी संवितरण–नीति की संवेदनशीलता।
🍀 • आशय: असाधारण परिस्थिति में भार–न्यूनन; उत्पादकता की पुनर्बहाली।
💎 • महत्त्व: राज्य–कृषक सम्बन्ध का संतुलन; दीर्घकालीन राजस्व हित की रक्षा।
🗺 अनुभाग E – नक्शा–कार्य
🔷 प्रश्न 34.1
गंगा–यमुना दोआब चिह्नित करें (उच्च कृषि–उत्पादन व राजस्व–केंद्र)।
🔷 प्रश्न 34.2
पश्चिमी भारत की कपास पट्टी (गुजरात–मालवा क्षेत्र) चिह्नित करें।
🔷 प्रश्न 34.3
दक्षिण में टैंक/तालाब आधारित सिंचाई–प्रदेश (कर्नाटक–आन्ध्र पठार) चिह्नित करें।
🔷 प्रश्न 34.4
किसी दो चिन्हित क्षेत्रों का महत्त्व लिखिए।
🧭 उत्तर
⭐ • गंगा–यमुना दोआब: उर्वर मैदानी क्षेत्र; अनाज–उत्पादन का केंद्र; स्थिर लगान–आधार।
🍀 • गुजरात–मालवा कपास पट्टी: वाणिज्यिक फ़सल–आधार; सूत/वस्त्र–व्यापार से मुद्रा–प्रवाह।
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्न
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
एक पृष्ठ में पुनरावृत्ति
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
मस्तिष्क मानचित्र
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
दृश्य सामग्री
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————