Class 12 : History (Hindi) – Lesson 6 भक्ति–सूफी परंपराएँ
पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन
🔵 प्रस्तावना
🌿 मध्यकालीन भारत के धार्मिक व सांस्कृतिक इतिहास में भक्ति तथा सूफ़ी परंपराएँ अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं। इन्होंने समाज को प्रेम, समानता, सहिष्णुता तथा आध्यात्मिक अनुभव का संदेश दिया। ये दोनों धाराएँ अलग पृष्ठभूमि से आईं, पर इनके मूल भाव – ईश्वर के प्रति समर्पण व सामाजिक सुधार – समान थे।
🏛 1. भक्ति आंदोलन का उद्भव और विकास
📚 • भक्ति का अर्थ – ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत प्रेमपूर्ण समर्पण।
📚 • प्रारम्भ – 7वीं से 12वीं शताब्दी में दक्षिण भारत।
📚 • अलवार (विष्णु भक्त) और नायनार (शिव भक्त) कवि–संतों ने तमिल भाषा में भक्ति पदों के माध्यम से आंदोलन की नींव रखी।
📚 • कर्मकाण्ड, जाति–पाँति व बाहरी आडंबरों का विरोध।
📚 • मंदिरों के स्थान पर व्यक्तिगत भक्ति व भजन–कीर्तन पर बल।
✨ अलवार और नायनार संतों के योगदान
🌾 • सरल लोकभाषा प्रयोग कर संदेश दिया।
🌾 • स्थानीय समाज में धार्मिक समानता व सामाजिक न्याय का विचार फैलाया।
🌾 • उनके पद बाद में ‘नालायिर दिव्य प्रबन्धम्’ व ‘तेवरम्’ जैसे संकलनों में संग्रहित।
⚔ 2. उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन
📜 • 15वीं–16वीं शताब्दी में भक्ति धारा उत्तर भारत में फैली।
📜 • प्रमुख संत – रामानंद, कबीर, गुरु नानक, तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई।
📜 • कबीर व नानक ने निर्गुण भक्ति (निराकार ईश्वर) पर बल दिया।
📜 • तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई ने सगुण भक्ति (साकार रूप) को लोकप्रिय बनाया।
📜 • सभी ने सामाजिक भेदभाव, जाति व्यवस्था और बाह्य अनुष्ठानों की आलोचना की।
📜 • लोकभाषाओं (अवधी, ब्रज, पंजाबी) में रचनाएँ कर जनसाधारण तक पहुँच बनाई।
🧭 3. सूफ़ी परंपरा : उत्पत्ति व विशेषताएँ
🏛 • सूफ़ी मत इस्लाम की रहस्यवादी शाखा है, जिसका उद्देश्य ईश्वर से प्रेम व निकटता प्राप्त करना था।
🏛 • सूफ़ी संत सरल जीवन, सेवा, सहिष्णुता और मानवीय करुणा के प्रतीक बने।
🏛 • भारत में प्रमुख सूफ़ी सिलसिले – चिश्ती, सुहरवर्दी, क़ादिरी, नक्शबंदी।
🏛 • ख़ानक़ाहें (सूफ़ी आश्रम) समाज सेवा व आध्यात्मिक शिक्षा के केन्द्र बने।
🏛 • सूफ़ी संगीत (कव्वाली) व दरगाह संस्कृति का विकास हुआ।
🔸 ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (अजमेर)
📚 • चिश्ती सिलसिले के अग्रणी संत।
📚 • गरीब नवाज़ कहलाए – सबके लिए प्रेम व सेवा का संदेश दिया।
🌿 4. भक्ति और सूफ़ी परंपराओं का परस्पर प्रभाव
📜 • दोनों ने धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया।
📜 • लोकभाषाओं और क्षेत्रीय संस्कृतियों को समृद्ध किया।
📜 • मंदिरों व दरगाहों ने स्थानीय समाजों को जोड़ा।
📜 • सामाजिक एकीकरण और नैतिक सुधार का माध्यम बने।
🏺 5. सामाजिक–सांस्कृतिक योगदान
🌾 • जातिगत असमानता व धार्मिक कट्टरता को चुनौती।
🌾 • भक्ति पद, सूफ़ी कव्वालियाँ व भजन–कीर्तन से संगीत परंपरा समृद्ध।
🌾 • स्थापत्य शैली पर प्रभाव – दरगाहें व मंदिर स्थापत्य के नए रूप।
🌾 • लोककला व उत्सवों को नया स्वरूप मिला।
⚔ 6. राजनीतिक व आर्थिक संदर्भ
📚 • दिल्ली सल्तनत और मुग़लकालीन साम्राज्य में सामाजिक तनावों के बीच भक्ति–सूफ़ी धाराएँ सुलह–सामंजस्य का माध्यम बनीं।
📚 • शासकों ने दरगाहों व मंदिरों को दान देकर अपनी वैधता मज़बूत की।
📚 • सूफ़ी ख़ानक़ाहों ने आर्थिक मदद और भोजन सेवा से गरीब तबकों का सहयोग किया।
✨ 7. वर्तमान सन्दर्भ में प्रासंगिकता
🌾 • धार्मिक बहुलता और सामाजिक समरसता का सन्देश आज भी उतना ही आवश्यक।
🌾 • भक्ति–सूफ़ी विचार हमें प्रेम, सेवा और समानता के मूल्यों की याद दिलाते हैं।
🌾 • सांप्रदायिक सौहार्द व सांस्कृतिक एकता के लिए प्रेरणा स्रोत।
📋 सारांश (लगभग 200 शब्द)
🔹 भक्ति आंदोलन दक्षिण भारत से प्रारम्भ होकर पूरे देश में फैला। अलवार व नायनार संतों ने ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत भक्ति व समानता का संदेश दिया। उत्तर भारत में रामानंद, कबीर, गुरु नानक, मीराबाई, सूरदास, तुलसीदास ने भक्ति धारा को व्यापक बनाया। निर्गुण व सगुण दोनों धाराओं ने कर्मकाण्ड व जातिगत भेदभाव का विरोध किया।
🔸 सूफ़ी परंपरा इस्लाम की रहस्यवादी धारा है। चिश्ती, सुहरवर्दी, क़ादिरी, नक्शबंदी जैसे सिलसिलों ने प्रेम, सेवा, सहिष्णुता व ईश्वर से निकटता पर बल दिया। ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती और अन्य सूफ़ी पीरों ने ख़ानक़ाहों के माध्यम से गरीबों की सहायता व आध्यात्मिक शिक्षा दी।
🔹 भक्ति और सूफ़ी परंपराओं ने लोकभाषाओं, संगीत, साहित्य व स्थापत्य को समृद्ध किया। उन्होंने सामाजिक असमानता व धार्मिक कट्टरता को चुनौती दी। इन धाराओं ने मध्यकालीन भारतीय समाज में समरसता व एकता को बढ़ाया और आज के बहुलतावादी समाज के लिए स्थायी संदेश दिए।
📝 त्वरित पुनरावलोकन (लगभग 100 शब्द)
🌿 • भक्ति = व्यक्तिगत भक्ति, जातिगत भेदभाव का विरोध।
🏛 • अलवार–नायनार = दक्षिण भारत के अग्रणी संत।
📜 • कबीर, नानक = निर्गुण भक्ति; तुलसी, सूर, मीराबाई = सगुण भक्ति।
⚔ • सूफ़ी मत = इस्लाम की रहस्यवादी धारा, चिश्ती प्रमुख सिलसिला।
🗺 • ख़ानक़ाह = सेवा व आध्यात्मिक शिक्षा के केंद्र।
📚 • दोनों धाराओं ने सहिष्णुता, एकता, लोकभाषाओं व सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा दिया।
🌾 • आज भी प्रेम, सेवा और समानता के आदर्श प्रासंगिक।
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
🔵 प्रश्न 1
उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए कि संदर्भ के सम्बन्ध से इतिहासकार क्या अर्थ निकालते हैं।
🟢 उत्तर
🌿 • इतिहासकार किसी कथन, शिलालेख, ग्रंथ या घटना का अर्थ केवल शब्दों से नहीं बल्कि उसके समय, स्थान और सामाजिक–राजनीतिक परिस्थिति से जोड़कर समझते हैं।
🌿 • सन्दर्भ बताता है कि लेखक या वक्ता किन परिस्थितियों में विचार प्रकट कर रहा था और उस समय समाज में कौन से मुद्दे प्रबल थे।
🌿 • उदाहरण: कबीर के दोहे ‘‘जाति न पूछो साधु की’’ को देखें। उस समय जातिगत भेदभाव गहरा था, अतः यह कथन सामाजिक समानता और धार्मिक सहिष्णुता का सशक्त संदेश था। यदि यही पंक्ति आधुनिक लोकतांत्रिक संदर्भ में पढ़ी जाए तो उसका तीखापन कम प्रतीत होगा।
🌿 • इसी प्रकार, सूफ़ी मलफ़ूज़ात या अलवार–नायनार पदों को उनके समय के धार्मिक तनाव और लोकभाषाओं के उदय के संदर्भ में समझना आवश्यक है। संदर्भ को नज़रअंदाज़ करने से इतिहास की व्याख्या अधूरी या भ्रामक हो सकती है।
🔵 प्रश्न 2
किस हद तक उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली मस्जिदों का स्थापत्य स्थानीय परम्पराओं और सामूहिक आवश्यकताओं का प्रतिबिम्ब है?
🟢 उत्तर
🌿 • मस्जिद स्थापत्य मूलतः इस्लामी शैली (गुंबद, मेहराब, मीनार) पर आधारित था, पर भारतीय उपमहाद्वीप में इसे स्थानीय कला–परम्पराओं ने गहराई से प्रभावित किया।
🌿 • बंगाल की ईंट–निर्मित मस्जिदों में टेराकोटा सजावट और झुके हुए छत (ढालू छत) स्थानीय वर्षा–प्रधान जलवायु के अनुकूल थे।
🌿 • गुजरात की मस्जिदों में हिंदू–जैन मंदिरों जैसी झरोखा नक्काशी और स्तम्भन दिखाई देती है।
🌿 • राजस्थान व मालवा में मस्जिदों ने स्थानीय पत्थर और नक़्क़ाशी शैली अपनाई।
🌿 • मस्जिदें केवल उपासना स्थल नहीं थीं; वे शिक्षा, सामूहिक विचार–विमर्श, समाज सेवा और निर्णय लेने के केन्द्र के रूप में काम करती थीं।
🌿 • इस प्रकार उनका रूप और उपयोग दोनों समाज की सामूहिक आवश्यकताओं और सांस्कृतिक मिश्रण को दर्शाते हैं।
🔵 प्रश्न 3
वे शैव और शैव–सूफ़ी परम्परा के बीच एकरूपता और अंतर, दोनों को स्पष्ट कीजिए।
🟢 उत्तर
🌿 • समानताएँ:
ईश्वर से व्यक्तिगत प्रेम और भक्ति पर बल।
बाहरी कर्मकाण्ड, मूर्तिपूजा के अत्यधिक आडंबर और जातिगत ऊँच–नीच का विरोध।
लोकभाषाओं में उपदेश देकर सामान्य जन तक पहुँचना।
समाज में सहिष्णुता और नैतिक सुधार को महत्त्व देना।
🌿 • अंतर:
शैव परम्परा हिंदू धर्म के ढाँचे में स्थित रही, शिव को साकार रूप में पूजती थी, मंदिरों और तीर्थ–स्थलों का बड़ा महत्व था।
सूफ़ी परम्परा इस्लाम के रहस्यवाद से सम्बद्ध थी, अल्लाह के निराकार स्वरूप को मानती थी, ख़ानक़ाह और दरगाहें इसके केन्द्र बने।
🌿 • इस प्रकार दोनों धाराओं ने समान मानवीय मूल्यों को साझा किया पर धार्मिक पहचान और संस्थागत ढाँचा अलग रहा।
🔵 प्रश्न 4
चर्चा कीजिए कि अलवार, नयनार और वीरशैवों ने किस प्रकार जाति प्रथा की आलोचना प्रस्तुत की।
🟢 उत्तर
🌿 • अलवार (विष्णु भक्त) और नयनार (शिव भक्त) संतों ने 7वीं–9वीं शताब्दी में अपने भक्ति पदों के माध्यम से कहा कि ईश्वर तक पहुँचने के लिए जन्म या जाति नहीं, बल्कि भक्ति और प्रेम ही पर्याप्त हैं।
🌿 • उन्होंने ब्राह्मणवादी कर्मकाण्ड और मंदिर–केन्द्रित विशेषाधिकारों को चुनौती दी।
🌿 • वीरशैव (बारहवीं शताब्दी, कर्नाटक) ने कठोर जाति–व्यवस्था का विरोध किया, स्त्री–पुरुष समानता की बात की, मंदिर पूजा के बजाय व्यक्तिगत भक्ति पर बल दिया।
🌿 • उन्होंने सामाजिक समरसता, श्रम के सम्मान और नैतिक जीवन को श्रेष्ठ माना।
🌿 • इन आंदोलनों ने धीरे–धीरे जातिगत भेदभाव को कमजोर करने और व्यापक समाज में समानता का विचार फैलाने में योगदान दिया।
🔵 प्रश्न 5
कबीर अथवा बाबा गुरु नानक के मुख्य उपदेशों का वर्णन कीजिए। इन उपदेशों का किस तरह सम्प्रेषण हुआ।
🟢 उत्तर
🌿 • कबीर: निर्गुण ईश्वर की भक्ति, जाति–पाँति व कर्मकाण्ड का विरोध, हिन्दू–मुस्लिम एकता पर जोर, सच्चे आचरण और आंतरिक भक्ति को प्रधानता।
🌿 • गुरु नानक: एकेश्वरवाद, सत्य, ईमानदारी, श्रम, सेवा, संगत–पंगत की परम्परा, और सभी मनुष्यों में समानता।
🌿 • संप्रेषण: दोनों ने अपनी वाणी लोकभाषाओं में दी। कबीर ने साखियाँ और दोहे रचे जो मौखिक परंपरा से फैले और बाद में बीजक में संकलित हुए। गुरु नानक की बाणी शिष्यों ने संग्रहीत कर गुरु ग्रंथ साहिब का रूप दिया।
🌿 • भजन, कीर्तन, कव्वालियाँ, यात्राएँ और शिष्य मंडलियों के माध्यम से उनके विचार व्यापक समाज में पहुंचे।
🔵 प्रश्न 6
सूफ़ी मत के मुख्य धार्मिक विश्वासों और आचारों की व्याख्या कीजिए।
🟢 उत्तर
🌿 • सूफ़ी मत ईश्वर से प्रेमपूर्ण निकटता, आत्मशुद्धि और मानवता की सेवा को सर्वोपरि मानता है।
🌿 • यह कठोर शरियत नियमों की बजाय आन्तरिक आध्यात्मिक अनुभव पर बल देता है।
🌿 • प्रमुख आचार: ज़िक्र (ईश्वर का स्मरण), ध्यान, तपस्या, सेवा, कव्वाली और सामूहिक प्रार्थना।
🌿 • सूफ़ी ख़ानक़ाहें गरीबों की सहायता, शिक्षा और समाज सुधार के केन्द्र बनीं।
🌿 • प्रेम, सहिष्णुता, दया और करुणा को धर्म से ऊपर रखकर, सूफ़ियों ने हिन्दू–मुस्लिम एकता को प्रोत्साहन दिया।
🔵 प्रश्न 7
क्यों और किस तरह शासकों ने नयनार और सूफ़ी संतों से अपने सम्बन्ध बनाने का प्रयास किया?
🟢 उत्तर
🌿 • भक्ति और सूफ़ी संत जनमानस में अत्यधिक लोकप्रिय थे। उनका समर्थन शासकों को राजनीतिक वैधता, सामाजिक स्वीकृति और स्थिरता देता था।
🌿 • शासकों ने मंदिरों व दरगाहों को दान दिए, सूफ़ी पीरों की ख़ानक़ाहों पर हाज़िरी लगाई और संतों के उपदेशों की सराहना की।
🌿 • मुग़ल बादशाह अकबर ने सूफ़ी दरगाह अजमेर शरीफ़ की बार–बार यात्रा की। दक्षिण के राजाओं ने नयनार संतों के सम्मान में मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया।
🌿 • यह संबंध केवल आस्था नहीं, बल्कि शासन और जनता के बीच विश्वास का पुल था।
🔵 प्रश्न 8
उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए कि क्यों भक्ति और सूफ़ी चिन्तकों ने अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए विभिन्न भाषाओं का प्रयोग किया।
🟢 उत्तर
🌿 • लक्ष्य था कि उनका संदेश सामान्य जनता तक पहुँचे, इसलिए उन्होंने संस्कृत या फ़ारसी जैसी अभिजात भाषाओं पर निर्भर न रहकर लोकभाषाओं को अपनाया।
🌿 • कबीर ने अवधी/भोजपुरी मिश्रित दोहे लिखे; गुरु नानक ने पंजाबी में बाणी दी; मीराबाई ने ब्रजभाषा अपनाई; सूफ़ी संतों ने फ़ारसी के साथ–साथ हिन्दवी, राजस्थानी, बंगाली आदि भाषाओं में कव्वालियाँ रचीं।
🌿 • लोकभाषाओं से संदेश सरल, जीवंत और प्रभावशाली हुआ।
🌿 • इस विविधता ने क्षेत्रीय साहित्य और संस्कृति को समृद्ध किया तथा धार्मिक–सामाजिक विचारों के व्यापक प्रसार को सम्भव बनाया।
🔵 प्रश्न 9
इस अध्याय में प्रमुख भक्ति और सूफ़ी स्रोतों का अध्ययन कीजिए और उनमें निहित सामाजिक व धार्मिक विचारों पर टिप्पणी कीजिए।
🟢 उत्तर
🌿 • भक्ति स्रोत: अलवार–नायनार के पद, कबीर–तुलसी–सूर के भजन, मीराबाई के पद, गुरु ग्रंथ साहिब।
🌿 • सूफ़ी स्रोत: मलफ़ूज़ात (सूफ़ी वार्तालाप संग्रह), दरगाह अभिलेख, कव्वालियाँ व सूफ़ी काव्य।
🌿 • इन स्रोतों से स्पष्ट है कि संतों ने जातिगत भेदभाव, धार्मिक कट्टरता और कर्मकाण्ड का विरोध किया।
🌿 • उन्होंने प्रेम, समानता, सहिष्णुता, सेवा और आन्तरिक भक्ति पर बल दिया।
🌿 • ये रचनाएँ उस समय के सामाजिक तनाव, हिन्दू–मुस्लिम सम्बन्ध, क्षेत्रीय भाषाओं के विकास और लोकसंस्कृति के बारे में भी मूल्यवान संकेत देती हैं।
🌿 • अतः ये स्रोत न केवल धार्मिक आस्था बल्कि सामाजिक इतिहास को समझने के लिए भी महत्त्वपूर्ण हैं।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
🏛 अनुभाग A – बहुविकल्पी प्रश्न (Q1–Q21, 1 अंक प्रत्येक)
🔷 प्रश्न 1
भक्ति आंदोलन की सबसे प्रारम्भिक लहर कहाँ से उठी?
🟢 A. उत्तर भारत
🟡 B. दक्षिण भारत
🔴 C. बंगाल
💠 D. गुजरात
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 2
अलवार संत किस देवता के प्रति समर्पित थे?
🟢 A. शिव
🟡 B. विष्णु
🔴 C. बुद्ध
💠 D. राम
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 3
नायनार संत किसकी उपासना करते थे?
🟢 A. विष्णु
🟡 B. शिव
🔴 C. कृष्ण
💠 D. गणेश
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 4
निर्गुण भक्ति के प्रसिद्ध कवि–सन्त कौन हैं?
🟢 A. तुलसीदास
🟡 B. सूरदास
🔴 C. कबीर
💠 D. मीराबाई
✨ उत्तर: C
🔶 प्रश्न 5
ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह स्थित है:
🟢 A. दिल्ली
🟡 B. अजमेर
🔴 C. लाहौर
💠 D. आगरा
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 6
वीरशैव आन्दोलन का प्रमुख क्षेत्र था:
🟢 A. कर्नाटक
🟡 B. बंगाल
🔴 C. गुजरात
💠 D. कश्मीर
✨ उत्तर: A
🔶 प्रश्न 7
सूफ़ी परम्परा किस धर्म की रहस्यवादी शाखा है?
🟢 A. बौद्ध धर्म
🟡 B. जैन धर्म
🔴 C. इस्लाम
💠 D. सिख धर्म
✨ उत्तर: C
🔶 प्रश्न 8
भक्ति–सूफ़ी परम्पराओं का प्रमुख संदेश था:
🟢 A. युद्ध व विस्तार
🟡 B. प्रेम व समानता
🔴 C. कर–वसूली
💠 D. व्यापारिक लाभ
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 9
गुरु नानक की वाणी किस ग्रन्थ में संगृहीत है?
🟢 A. बीजक
🟡 B. गुरु ग्रन्थ साहिब
🔴 C. रामचरितमानस
💠 D. तेजोमहालय
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 10
सूफ़ी ख़ानक़ाह का मुख्य कार्य था:
🟢 A. युद्ध–नीति बनाना
🟡 B. कर संग्रह
🔴 C. समाज सेवा व आध्यात्मिक शिक्षा
💠 D. दरबार सजाना
✨ उत्तर: C
🔶 प्रश्न 11
अलवार–नायनार संत किस भाषा में रचनाएँ करते थे?
🟢 A. संस्कृत
🟡 B. तमिल
🔴 C. फ़ारसी
💠 D. पाली
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 12
अजमेर दरगाह की यात्राओं से प्रसिद्ध मुग़ल बादशाह कौन था?
🟢 A. अकबर
🟡 B. औरंगज़ेब
🔴 C. शेरशाह
💠 D. अलाउद्दीन खिलजी
✨ उत्तर: A
🔶 प्रश्न 13 (कथन–कारक)
A: भक्ति संतों ने कर्मकाण्ड को अस्वीकार किया।
R: वे मानते थे कि सच्ची भक्ति हृदय की पवित्रता से होती है, बाहरी आडम्बर से नहीं।
🟢 A. दोनों सही, R A को समझाता है
🟡 B. दोनों सही, R A को नहीं समझाता
🔴 C. A सही, R ग़लत
💠 D. A ग़लत, R सही
✨ उत्तर: A
🔶 प्रश्न 14
सूफ़ी कव्वालियाँ संदेश प्रसारित करती थीं मुख्यतः:
🟢 A. स्थापत्य
🟡 B. संगीत
🔴 C. चित्रकला
💠 D. युद्ध–नृत्य
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 15
भक्ति–सूफ़ी परम्पराओं ने क्षेत्रीय भाषाओं पर क्या प्रभाव डाला?
🟢 A. उन्हें नष्ट किया
🟡 B. उनका विकास व समृद्धि की
🔴 C. केवल संस्कृत अपनाई
💠 D. केवल फ़ारसी अपनाई
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 16
किस संत ने संगत–पंगत की परम्परा दी?
🟢 A. कबीर
🟡 B. गुरु नानक
🔴 C. तुलसीदास
💠 D. सूरदास
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 17
ख़ानक़ाहों का सामाजिक महत्व था:
🟢 A. कर–वसूली
🟡 B. गरीबों की सहायता व शिक्षा
🔴 C. युद्ध योजना
💠 D. व्यापार केंद्र
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 18
मीराबाई की भक्ति का स्वरूप था:
🟢 A. निर्गुण
🟡 B. सगुण (कृष्ण–भक्ति)
🔴 C. वीरशैव
💠 D. सूफ़ीवाद
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 19
भक्ति आंदोलन ने किस सामाजिक कुरीति पर प्रहार किया?
🟢 A. दहेज–प्रथा
🟡 B. जाति–पाँति व ऊँच–नीच
🔴 C. गुलामी व्यापार
💠 D. शराबबंदी
✨ उत्तर: B
🔶 प्रश्न 20
सूफ़ियों ने ईश्वर तक पहुँच का कौन–सा मार्ग सर्वाधिक माना?
🟢 A. हिंसा
🟡 B. ज्ञान–योग
🔴 C. प्रेम व सेवा
💠 D. कर्मकाण्ड
✨ उत्तर: C
🔶 प्रश्न 21
किसे “भक्ति आन्दोलन का अमर कवि” कहा जाता है?
🟢 A. सूरदास
🟡 B. कबीर
🔴 C. मीराबाई
💠 D. तुलसीदास
✨ उत्तर: B
🏺 अनुभाग B – लघु उत्तर (Q22–Q25, 3 अंक प्रत्येक)
🔷 प्रश्न 22
अलवार व नायनार संतों के दो योगदान लिखिए और उनका प्रभाव बताइए।
🧭 उत्तर
⭐ • दक्षिण भारत में भक्ति आन्दोलन की नींव डाली।
🍀 • तमिल में पद रचकर जाति–भेद व कर्मकाण्ड को चुनौती दी।
💎 • प्रभाव: सामाजिक समानता व भक्ति का संदेश जन–जन तक पहुँचा।
🔷 प्रश्न 23
वीरशैव आन्दोलन के दो विचार लिखिए और उसका एक सामाजिक प्रभाव बताइए।
🧭 उत्तर
⭐ • जाति–व्यवस्था व मूर्तिपूजा का विरोध।
🍀 • श्रम की प्रतिष्ठा व नैतिक जीवन पर बल।
💎 • प्रभाव: परम्परागत सत्ता–संरचना हिली और सुधार की लहर फैली।
🔷 प्रश्न 24
सूफ़ी ख़ानक़ाहों के दो कार्य और एक सांस्कृतिक योगदान बताइए।
🧭 उत्तर
⭐ • गरीबों व यात्रियों को भोजन व आश्रय देना।
🍀 • आध्यात्मिक शिक्षा व सामाजिक सेवा केन्द्र के रूप में कार्य करना।
💎 • योगदान: कव्वालियाँ व दरगाह–उत्सव ने सामुदायिक सद्भाव को प्रोत्साहित किया।
🔷 प्रश्न 25
कबीर या गुरु नानक के दो उपदेश और उनका प्रसार–माध्यम लिखिए।
🧭 उत्तर
⭐ • ईश्वर एक है, जाति–पाँति व्यर्थ है।
🍀 • सत्य, सेवा व ईमानदारी सर्वोपरि हैं।
💎 • माध्यम: साखी, भजन, कीर्तन व शिष्य–परम्परा से विचार फैले।
🏺 अनुभाग B (जारी) – लघु उत्तर
🔶 प्रश्न 26A (विकल्प)
विभाजन ने संविधान निर्माण को तीन तरीकों से कैसे प्रभावित किया?
🧭 उत्तर
⭐ • अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता सामने आई।
🍀 • राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिये मज़बूत केन्द्र के पक्ष में तर्क प्रबल हुए।
💎 • विस्थापित व कमजोर समूहों के लिए विशेष प्रावधान जोड़ने की प्रेरणा मिली।
🔶 प्रश्न 26B (विकल्प)
संविधान सभा के विरुद्ध तीन आलोचनाएँ लिखिए।
🧭 उत्तर
⭐ • सदस्य प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा नहीं चुने गए थे—जनप्रतिनिधित्व सीमित रहा।
🍀 • कांग्रेस का प्रभुत्व विविध विचारों को कम कर देता था।
💎 • बहसों में कभी–कभी जमीनी आवाज़ें अनसुनी रह गईं और अभिजात वर्ग पर ध्यान रहा।
🔶 प्रश्न 27
रियासतों के एकीकरण ने संवैधानिक बहसों को किन दो रूपों में प्रभावित किया और एक उपाय बताइए।
🧭 उत्तर
⭐ • समान कानूनों की आवश्यकता ने मज़बूत केन्द्र की माँग को बढ़ाया।
🍀 • स्वायत्तता बनाम एकता पर प्रश्न उठे।
💎 • उपाय: सरदार पटेल की नीतियाँ व अनुच्छेद 370 जैसी व्यवस्थाएँ अपनाई गईं।
⚔ अनुभाग C – दीर्घ उत्तर
🔷 प्रश्न 28A (विकल्प)
संविधान में सामाजिक व आर्थिक न्याय को किस प्रकार संबोधित किया गया, विश्लेषण कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • मौलिक अधिकारों ने अस्पृश्यता समाप्त कर कानून के समक्ष समानता दी।
🍀 • अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण से हाशिये के समूहों को सशक्त किया गया।
💎 • नीतिनिर्देशक तत्त्वों ने भूमि सुधार, उचित मजदूरी और कल्याणकारी नीतियों का मार्गदर्शन किया।
🌸 • संगठन की स्वतंत्रता का अधिकार मज़दूरों को संगठित होने की शक्ति देता है।
🕊 • ये प्रावधान त्वरित रूप से लागू न सही, पर लोकतांत्रिक सुधारों की दिशा स्पष्ट करते हैं।
⚡ • अधिकारों और तत्त्वों का संतुलन आदर्शवाद व व्यावहारिकता का मेल दिखाता है।
🔷 प्रश्न 28B (विकल्प)
संघवाद और केन्द्रीय सत्ता पर हुए विमर्श का मूल्यांकन कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • कुछ सदस्यों को अति–केन्द्रीयकरण से क्षेत्रीय विविधता की अनदेखी का भय था।
🍀 • समर्थकों ने विभाजन की हिंसा व रियासतों के एकीकरण की चुनौती के चलते मज़बूत केन्द्र का समर्थन किया।
💎 • समझौता: आपातकालीन स्थितियों में इकाई–झुकाव वाला संघीय ढाँचा चुना गया।
🌸 • यह मॉडल एकता के साथ राज्यों की पहचान को भी सम्मान देता है।
🔷 प्रश्न 29A (विकल्प)
भाषा–प्रश्न और उसके समाधान पर चर्चा कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • हिन्दी समर्थक इसे राष्ट्रीय पहचान मानते थे, अन्य को हाशिये पर जाने का भय था।
🍀 • गांधी की ‘हिंदुस्तानी’ अवधारणा समावेशी थी।
💎 • मुनशी–अय्यंगार समझौता: हिन्दी को आधिकारिक भाषा, अंग्रेज़ी को संक्रमणकालीन भाषा व राज्यों को क्षेत्रीय भाषा का अधिकार।
🌸 • इससे भाषायी विवाद टला और प्रशासनिक निरंतरता बनी रही।
🔷 प्रश्न 29B (विकल्प)
विश्व घटनाओं ने भारत के संविधान को कैसे प्रभावित किया, स्पष्ट कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • अमेरिकी ‘बिल ऑफ राइट्स’ ने मौलिक अधिकारों को प्रेरित किया।
🍀 • आयरिश नीतिनिर्देशक तत्त्वों ने कल्याणकारी लक्ष्यों को आकार दिया।
💎 • द्वितीय विश्वयुद्ध और संयुक्त राष्ट्र चार्टर ने मानवाधिकारों पर बल दिया।
🌸 • वेइमर गणराज्य की अस्थिरता और ब्रिटिश संसदीय परंपराओं ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं व सुरक्षा उपायों को प्रभावित किया।
🔷 प्रश्न 30
भारतीय लोकतंत्र को समझने के लिए संविधान सभा की बहसें क्यों महत्त्वपूर्ण हैं, आकलन कीजिए।
🧭 उत्तर
⭐ • ये बहसें विभिन्न दृष्टिकोणों—धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय, संघवाद—की झलक देती हैं।
🍀 • ये एकता व विविधता के संतुलन को दर्शाती हैं।
💎 • विभाजन व उपनिवेशवाद के भय को उजागर करती हैं।
🌸 • इतिहासकार इन्हीं बहसों से लोकतांत्रिक मूल्यों और राजनीतिक संस्कृति के विकास का अध्ययन करते हैं।
🏛 अनुभाग D – स्रोत/केस आधारित
🔶 प्रश्न 31
स्रोत: “सभा को सभी आवाज़ों का प्रतिनिधित्व करना चाहिए, वरना यह भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करेगी।”
🧭 उत्तर
⭐ (क) समावेशी प्रतिनिधित्व की आवश्यकता दर्शाता है।
🍀 (ख) छोटे समूहों की चिंताओं को परिलक्षित करता है।
💎 (ग) लोकतंत्र विविध भागीदारी से ही सशक्त होता है।
🔶 प्रश्न 32
स्रोत: “विभाजन के बाद भारत को एकजुट रखने के लिए मज़बूत केन्द्र आवश्यक है।”
🧭 उत्तर
⭐ (क) विखंडन के भय को रेखांकित करता है।
🍀 (ख) आपात स्थिति में केन्द्रीय शक्तियों को उचित ठहराता है।
💎 (ग) स्वायत्तता व स्थिरता के संतुलन को दर्शाता है।
🔶 प्रश्न 33
स्रोत: “समानता सुनिश्चित करने के लिए संविधान को अस्पृश्यता समाप्त करनी चाहिए।”
🧭 उत्तर
⭐ (क) सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता दिखाता है।
🍀 (ख) अनुच्छेद 17 के निर्माण को प्रभावित किया।
💎 (ग) भेदभाव समाप्त करने की नैतिक तात्कालिकता को दर्शाता है।
🗺 अनुभाग E – नक्शा कार्य
🔶 प्रश्न 34.1
दिल्ली—संविधान सभा की बैठक का स्थल चिह्नित करें।
🔶 प्रश्न 34.2
पटियाला—भारतीय संघ में विलय हुई रियासत चिह्नित करें।
🔶 प्रश्न 34.3
हैदराबाद—जिसका विलय केन्द्रीय सत्ता के लिए चुनौती था, चिह्नित करें।
🔶 प्रश्न 34.4
दो चिन्हित केन्द्रों को पहचानें और उनका महत्व लिखें।
🧭 उत्तर
⭐ • दिल्ली—यहीं पर स्वतंत्र भारत के भविष्य को आकार देने वाली बहसें व निर्णय हुए।
🍀 • हैदराबाद—इसका सफल विलय केन्द्र की निर्णायक भूमिका और राष्ट्रीय एकता को दर्शाता है।
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प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्न
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एक पृष्ठ में पुनरावृत्ति
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मस्तिष्क मानचित्र
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दृश्य सामग्री
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