Class 12 : History (Hindi) – Lesson 4 विचारक, विश्वास और इमारतें
पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन
🔵 प्रस्तावना
इस अध्याय ‘विचारक, विश्वास और इमारतें’ में मध्यकालीन भारत के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश को समझाया गया है। यह अध्याय बताता है कि कैसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च केवल पूजा स्थल नहीं थे, बल्कि वे राजनीतिक शक्ति, सामाजिक प्रतिष्ठा और सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक भी थे। साथ ही यह अध्याय यह भी स्पष्ट करता है कि इमारतें विचारधाराओं और विश्वासों को स्थायित्व प्रदान करने का कार्य करती थीं।
🟢 धार्मिक संरचनाओं की विविधता और उनका महत्त्व
➡️ भारत में विभिन्न धर्मों के लोग रहते थे, जिनकी धार्मिक परंपराएँ अलग थीं।
➡️ हिंदू, बौद्ध, जैन, इस्लाम, सिख और ईसाई धर्म के लिए अलग-अलग प्रकार की इमारतों का निर्माण होता था।
➡️ इन इमारतों में धार्मिक पूजा के साथ-साथ समाज में राजनीतिक शक्ति और धन के प्रदर्शन का भी स्थान था।
🔴 मुख्य प्रकार की इमारतें :
1️⃣ मंदिर
2️⃣ मस्जिद
3️⃣ गुरुद्वारा
4️⃣ दरगाह
5️⃣ चर्च
🧠 महत्त्व :
✔️ सामाजिक एकजुटता का केंद्र
✔️ राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव का परिचायक
✔️ सांस्कृतिक पहचान का माध्यम
🟡 मंदिरों का सामाजिक और राजनीतिक महत्त्व
➡️ मंदिरों को राजाओं और धनी व्यापारियों द्वारा बनवाया जाता था।
➡️ इन्हें सत्ता, धन और धार्मिक विश्वास के प्रतीक के रूप में देखा जाता था।
➡️ इनका निर्माण केवल पूजा के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए भी होता था।
🔵 मुख्य विशेषताएँ :
1️⃣ स्थापत्य कला की उत्कृष्टता
2️⃣ मूर्तिकला और चित्रांकन में कौशल
3️⃣ धार्मिक अनुष्ठानों के केंद्र
✏️ नोट : मंदिरों पर आक्रमण और उन्हें तोड़ना केवल धार्मिक नहीं, राजनीतिक शक्ति के प्रदर्शन का तरीका था।
🟢 इस्लामिक स्थापत्य : मस्जिदें और मकबरे
➡️ मस्जिद इस्लाम धर्म में सामूहिक प्रार्थना का स्थान होती थी।
➡️ इनमें मीनार, गुंबद, मेहराब जैसी विशेष स्थापत्य शैलियाँ दिखाई देती थीं।
➡️ कुतुब मीनार परिसर, कुआत-उल-इस्लाम मस्जिद आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
🔴 मस्जिदों की विशेषताएँ :
1️⃣ मीनारें – अजान के लिए
2️⃣ गुंबद – वास्तुकला में भव्यता का प्रतीक
3️⃣ मिहराब – क़िबला की दिशा बताने हेतु
🧠 सामाजिक प्रभाव :
✔️ राजनीतिक सत्ता और धार्मिक अधिकार का प्रदर्शन
✔️ स्थानीय समाज पर प्रभाव जमाने का साधन
🟡 ईसाई और सिख स्थापत्य
➡️ चर्च – ईसाई धर्म का पूजा स्थल, जहाँ सामूहिक प्रार्थना होती थी।
➡️ गुरुद्वारा – सिख धर्म का पवित्र स्थल, जहाँ गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति होती है।
🔵 मुख्य उदाहरण :
✔️ गोल्डन टेम्पल, अमृतसर
✔️ गोवा के चर्च
🧠 सांस्कृतिक भूमिका :
✔️ एकता और समानता का संदेश
✔️ समाज सेवा, शिक्षा और लंगर जैसी परंपराएँ
🔴 स्थापत्य कला में विविधता के कारण
➡️ स्थापत्य कला पर स्थान, समाज, राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति का गहरा प्रभाव था।
➡️ दक्षिण भारत में द्रविड़ शैली, उत्तर भारत में नागरा शैली, इस्लाम में अरबी-ईरानी प्रभाव स्पष्ट दिखते हैं।
🟢 मुख्य तत्व :
✔️ स्थल चयन
✔️ सामग्री (पत्थर, ईंट, चूना आदि)
✔️ निर्माण तकनीक
✔️ समाज और धर्म का प्रभाव
💡 महत्त्वपूर्ण तथ्य : स्थापत्य केवल सौंदर्य या पूजा के लिए नहीं, बल्कि शक्ति और संस्कृति का स्थायी प्रतीक था।
🟡 संरचनाओं का सामाजिक और राजनीतिक सन्देश
➡️ राजाओं ने विशाल इमारतें बनवाकर अपनी सत्ता को अमर बनाने का प्रयास किया।
➡️ मंदिर, मस्जिद, किला, महल इन सबका उद्देश्य केवल पूजा या निवास नहीं, बल्कि सत्ता, सम्पत्ति और वैभव का प्रदर्शन था।
➡️ इमारतों से शासकों का नाम और प्रभाव चिरस्थायी हो जाता था।
🔵 महत्त्वपूर्ण उदाहरण और विश्लेषण
१️⃣ कुतुब मीनार परिसर
✔️ दिल्ली स्थित इस परिसर में कुतुब मीनार के अलावा कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद है।
✔️ यह स्थापत्य मुस्लिम सत्ता के आरंभिक प्रदर्शन का प्रतीक है।
२️⃣ तंजावुर का राजराजेश्वर मंदिर
✔️ चोल वंश द्वारा बनवाया गया, द्रविड़ शैली का उत्कृष्ट उदाहरण।
✔️ मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि प्रशासनिक और आर्थिक केंद्र भी था।
३️⃣ फतेहपुर सीकरी
✔️ अकबर द्वारा निर्मित, इसमें भारतीय और इस्लामी शैलियों का मिश्रण है।
✔️ यहाँ जामा मस्जिद, बुलंद दरवाज़ा, दीवान-ए-आम जैसी इमारतें शामिल हैं।
🔴 स्थापत्य और विचारधारा का संबंध
➡️ स्थापत्य ने धर्म, राजनीति और समाज तीनों के बीच गहरा संबंध स्थापित किया।
➡️ इमारतें समाज को एकजुट करने और सत्ता को वैध ठहराने का साधन बनीं।
➡️ स्थापत्य में प्रतीकात्मकता (गुंबद, मीनार, मूर्तियाँ) का विशेष महत्त्व था।
🟢 वास्तुकला और स्थानीयता का संबंध
➡️ स्थानीय संसाधनों और परंपराओं ने स्थापत्य को प्रभावित किया।
➡️ उदाहरण : राजस्थान में बलुआ पत्थर, दक्षिण भारत में ग्रेनाइट का प्रयोग।
✔️ स्थापत्य कला में परंपरा और नवीनता दोनों का मेल हुआ।
🌿 यह पाठ क्यों महत्त्वपूर्ण है?
✔️ यह अध्याय बताता है कि कैसे धर्म, सत्ता और समाज स्थापत्य के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े थे।
✔️ यह समझने में मदद करता है कि इमारतें केवल पत्थर नहीं, बल्कि विचारधाराओं का स्थायी स्वरूप थीं।
✔️ आज भी स्थापत्य हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को बनाए रखता है।
📝 त्वरित पुनरावृत्ति :
🔵 मंदिर – सत्ता और धर्म का प्रतीक
🟢 मस्जिद – सामूहिकता और शक्ति का प्रतीक
🟡 गुरुद्वारा – सेवा और समानता का केंद्र
🔴 चर्च – धार्मिक आस्था का स्थल
🟢 स्थापत्य में स्थानीय संसाधनों और परंपरा का प्रभाव
🟡 स्थापत्य से शासक और समाज की पहचान स्थायी
सारांश (लगभग 300 शब्दों में)
➡️ इस अध्याय में भारत की विविध धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्थापत्य परंपरा को समझाया गया है।
➡️ मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे केवल पूजा स्थल नहीं थे, वे समाज में सत्ता, संस्कृति और धन का प्रतीक थे।
➡️ मंदिरों का निर्माण राजा और व्यापारी अपने वैभव और धार्मिक कर्तव्यों को दिखाने के लिए कराते थे।
➡️ मस्जिदें इस्लामिक समाज में धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक शक्ति का केंद्र थीं।
➡️ गुरुद्वारों और चर्चों ने समाज को सेवा, समानता और एकता का संदेश दिया।
➡️ स्थापत्य कला पर स्थानीय परंपरा, संसाधन और सामाजिक स्थिति का गहरा प्रभाव था।
➡️ कुतुब मीनार, तंजावुर का मंदिर, फतेहपुर सीकरी जैसे उदाहरण स्थापत्य और सत्ता के संबंध को स्पष्ट करते हैं।
➡️ स्थापत्य केवल वास्तु या सौंदर्य नहीं, बल्कि विचारधारा और पहचान का स्थायी रूप था।
➡️ यह अध्याय आज के भारत को उसकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ता है और स्थापत्य के महत्व को रेखांकित करता है।
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1 स्पष्ट कीजिए कि विशेष परिवारों में पितृवंशिकता क्यों महत्वपूर्ण रही होगी?
उत्तर 1
🔵 पितृवंशिकता, पिता से पुत्र, पौत्र आदि के वंश का पता लगाने की एक प्रणाली है।
🟢 विशेष रूप से कुलीन परिवारों के बीच इसके महत्वपूर्ण होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
✔️ पितृवंशिकता में पुत्र पिता की मृत्यु के बाद उनके संसाधनों पर (राजाओं के संदर्भ में सिंहासन भी) अधिकार जमा सकते थे।
✔️ कभी पुत्र के न होने पर एक भाई दूसरे का उत्तराधिकारी हो जाता था तो कभी बंधु-बांधव सिंहासन पर अपना अधिकार जमाते थे।
✔️ कुछ विशेष परिस्थितियों में स्त्रियाँ जैसे प्रभावशाली गुप्त सत्ता का उपयोग करती थीं।
प्रश्न 2 क्या आरंभिक राज्यों में शासक निश्चित रूप से क्षत्रिय ही होते थे? चर्चा कीजिए।
उत्तर 2
🔵 शास्त्रों के अनुसार केवल क्षत्रिय राजा हो सकते थे। किंतु अनेक महत्वपूर्ण राजवंशों की उत्पत्ति अन्य वर्णों से भी हुई थी।
🟢 मौर्य वंश जिसने एक विशाल साम्राज्य पर शासन किया, के उद्भव पर गर्वोक्ति से बहस होती रही है। बाद के बौद्ध ग्रंथों में यह इंगित किया गया कि वे क्षत्रिय थे किंतु ब्राह्मणीय शास्त्र उन्हें ‘निम्न’ कुल का मानते हैं।
🟡 शुंग और कण्व जो मौर्यों के उत्तराधिकारी थे, ब्राह्मण थे।
🔴 वस्तुतः राजनीतिक सत्ता का उपयोग हर वह व्यक्ति कर सकता था जो समर्थन और संसाधन जुटा सके।
✔️ राज्यत्व क्षत्रिय कुल में जन्म लेने पर शायद ही निर्भर करता था।
प्रश्न 3 द्रोण, हिडिंबा और मातंग की कथाओं में धर्म के मानदंडों की तुलना कीजिए व उनके अंतर को भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 3
🔵 द्रोण : एक बार ब्राह्मण द्रोण के पास, जो कुरु वंश के राजकुमारों को धनुर्विद्या की शिक्षा देते थे, एकलव्य नामक वनवासी निषाद (शिकारी समुदाय) आया।
🟢 द्रोण ने जो धर्म समझते थे, उसे शिष्य के रूप में स्वीकार करने से मना कर दिया।
🟡 एकलव्य ने वन में लौट कर मिट्टी से द्रोण की प्रतिमा बनाई तथा उसे अपना गुरु मान कर स्वंय ही तीर चलाने का अभ्यास करने लगा।
🔴 समय के साथ वह तीर चलाने में सिद्धस्त हो गया।
✔️ द्रोण ने गुरु दक्षिणा के रूप में एकलव्य से उसके दाहिने हाथ का अंगूठा माँग लिया।
🟢 इस तरह द्रोण ने अर्जुन को दिए वचन का पालन किया।
✔️ हिडिंबा : एक नरभक्षी राक्षस को पांडवों की मानुष गंध ने विचलित किया और उसने अपनी बहन हिडिंबा को उन्हें पकड़कर लाने के लिए भेजा।
प्रश्न 4 किन मायनों में सामाजिक अनुबंध की बौद्ध अवधारणा समाज के उस ब्राह्मणीय दृष्टिकोण से भिन्न थी जो ‘पुरुषसूक्त’ पर आधारित था।
उत्तर 4
🔵 ऋग्वेद में पुरुषसूक्त का उल्लेख किया गया है, जिसमें पुरुष के बलिदान का वर्णन है।
🟢 ब्राह्मणवादी दृष्टिकोण के अनुसार समाज को चार श्रेणियों या वर्णों में विभाजित किया गया था : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।
🟡 ब्राह्मण ज्ञान और शिक्षा प्रदान करने वाले होते थे, क्षत्रिय युद्ध करने वाले, वैश्य व्यापार करने वाले और शूद्रों को केवल एक व्यवस्था सौंपी गई थी।
🔴 अन्य तीन वर्णों की सेवा का।
✔️ जबकि, सामाजिक अनुबंध की बौद्ध अवधारणा उक्त अवधारणा से अलग है। इसमें जन्म के आधार पर सामाजिक स्थिति के निर्धारण के विचार का समर्थन नहीं किया गया है।
प्रश्न 5 निम्नलिखित अवतरण महाभारत से है जिसमें ज्येष्ठ पांडव युधिष्ठिर दूत संजय को संबोधित कर रहे हैं :
उत्तर 5
🔵 इस सूची को बनाने के आधारों की पहचान कीजिए – उम्र, लिंग, भेद व बंधुत्व के संदर्भ में।
🟢 इसमें सबसे पहले ब्राह्मणों व पुरोहितों को स्थान दिया गया है।
🟡 इसके बाद गुरु, गुरु के बाद राजा, फिर युवाओं का, फिर अपने भाइयों, पुत्रों, पौत्रों का, फिर सेवकों व दासों का, वृद्धों, गणिकाओं, विकलांगों और असहाय जनों का।
✔️ प्रत्येक श्रेणी के लिए सूची में उन्हें एक विशेष स्थान पर रखा गया है ताकि सामाजिक श्रेणीकरण स्पष्ट हो।
🟢 यह श्रेणी उम्र, लिंग, बंधुत्व और सामाजिक स्थिति के आधार पर तय की गई है।
प्रश्न 6 सांची की मूर्तिकला को समझने में बौद्ध साहित्य के ज्ञान से कहाँ तक सहायता मिलती है?
उत्तर 6
🔵 सांची की मूर्तिकला को समझने में बौद्ध साहित्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है क्योंकि बौद्ध साहित्य में उन कथाओं, प्रतीकों और प्रसंगों का विस्तार से उल्लेख मिलता है जो इन मूर्तियों में अंकित किए गए हैं।
🟢 बौद्ध साहित्य में जातक कथाओं, भगवान बुद्ध के जीवन प्रसंगों, उनके पूर्वजन्मों, उपदेशों तथा धार्मिक प्रतीकों जैसे अशोकचक्र, सिंह, पद्म आदि का उल्लेख मिलता है।
🟡 इन प्रतीकों और कथाओं का चित्रण सांची की तोरणों और स्तूपों में मूर्तियों के माध्यम से किया गया है।
🔴 अतः बौद्ध साहित्य के अध्ययन से इन मूर्तियों के अर्थ, संदर्भ और संदेश को भली-भाँति समझा जा सकता है।
प्रश्न 7 चित्र 4.32 और 4.33 में सांची से लिए गए जो परिदृश्य दिए गए हैं। आपको इनमें क्या नजर आता है? वाणिज्यिक, कृषि-उद्योग, और जानवरों को ध्यान से देखकर बताइए कि इनमें से किस प्रकार के काम-धंधों को दर्शाया कर यह बताया कि इनमें से कौन से ग्रामीण और कौन से शहरी परिदृश्य हैं?
उत्तर 7
🔵 चित्र 4.32 और 4.33 में स्पष्ट रूप से वाणिज्य, कृषि और पशुपालन के दृश्य दिखाई देते हैं।
🟢 चित्रों में पशुओं को लाते-ले जाते, बाजार में व्यापार करते, कृषि कार्य में लगे हुए लोगों के चित्र दिखाई देते हैं।
🟡 यह संकेत करता है कि सांची की मूर्तियों में केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक जीवन का भी चित्रण था।
🔴 ग्रामीण परिदृश्य में खेत, हल, बैल, गाय आदि दर्शाए गए हैं।
✔️ शहरी परिदृश्य में व्यापार, बाजार, भवन निर्माण आदि के दृश्य प्रमुख हैं।
प्रश्न 8 वैष्णववाद और शैववाद के उदय से जुड़ी वाक्पटुता और मूर्तिकला के विकास को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 8
🔵 वैष्णववाद और शैववाद के उदय के साथ धार्मिक मूर्तिकला में विविधता आई।
🟢 मूर्तिकला में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों (वराह, नरसिंह, वामन, मत्स्य) और भगवान शिव के विभिन्न रूपों (नटराज, लिंग, अर्धनारीश्वर) का चित्रण हुआ।
🟡 इन संप्रदायों की वाक्पटुता ने धार्मिक प्रतीकों को नए रूप दिए।
🔴 मूर्तिकला में गुफाएँ, मंदिर, मूर्तियाँ तथा स्थापत्य शिल्प विकसित हुआ।
✔️ इन प्रतीकों से समाज में धार्मिक चेतना और भक्ति की भावना का विकास हुआ।
प्रश्न 9 स्तूप क्यों और कैसे बनाए जाते थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 9
🔵 स्तूपों का निर्माण बौद्ध धर्म में विशेष महत्त्व रखता था।
🟢 इन्हें बुद्ध के अवशेषों या उनकी स्मृति में बनाया जाता था।
🟡 स्तूप गोल आकार के होते थे, जिनमें केंद्र में अवशेष रखे जाते थे और चारों ओर परिक्रमा के लिए स्थान बनाया जाता था।
🔴 स्तूपों के चारों ओर तोरण और रेलिंग होती थी, जिन पर मूर्तिकला से सजावट की जाती थी।
✔️ स्तूप बौद्ध धर्म के प्रचार, स्मृति चिन्ह तथा भक्ति के केंद्र के रूप में कार्य करते थे।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
(CBSE MODEL प्रश्न पत्र)
सिर्फ इसी पाठ से निर्मित CBSE MODEL प्रश्न पत्र।
प्रश्न 1
सांची का स्तूप किस धर्म से संबंधित है?
(अ) बौद्ध धर्म
(ब) जैन धर्म
(स) हिंदू धर्म
(द) ईसाई धर्म
उत्तर : (अ) बौद्ध धर्म
प्रश्न 2
सांची के तोरणों पर कौन सी कथा चित्रित होती है?
(अ) जातक कथाएँ
(ब) महाभारत
(स) रामायण
(द) पुराण
उत्तर : (अ) जातक कथाएँ
प्रश्न 3
अशोक के समय स्तूपों का निर्माण किस उद्देश्य से होता था?
(अ) बुद्ध के अवशेषों को रखने के लिए
(ब) युद्ध स्मारक के लिए
(स) प्रशासन के लिए
(द) धार्मिक ग्रंथ संग्रह करने के लिए
उत्तर : (अ) बुद्ध के अवशेषों को रखने के लिए
प्रश्न 4
स्तूप का कौन-सा भाग बौद्ध धर्म के प्रतीक के रूप में माना जाता था?
(अ) गुंबद
(ब) प्रवेश द्वार
(स) रेलिंग
(द) तोरण
उत्तर : (अ) गुंबद
प्रश्न 5
किस शैली में दक्षिण भारत के मंदिर बनाए गए?
(अ) द्रविड़ शैली
(ब) नागर शैली
(स) बेसर शैली
(द) गुप्त शैली
उत्तर : (अ) द्रविड़ शैली
प्रश्न 6
मस्जिदों में किबला किस दिशा को दर्शाता है?
(अ) मक्का की दिशा
(ब) येरुशलम की दिशा
(स) काशी की दिशा
(द) लंका की दिशा
उत्तर : (अ) मक्का की दिशा
प्रश्न 7
कुतुब मीनार किस शासक द्वारा आरंभ करवाई गई थी?
(अ) कुतुबुद्दीन ऐबक
(ब) इल्तुतमिश
(स) अकबर
(द) औरंगजेब
उत्तर : (अ) कुतुबुद्दीन ऐबक
प्रश्न 8
फतेहपुर सीकरी का निर्माण किसने करवाया?
(अ) अकबर
(ब) बाबर
(स) शाहजहाँ
(द) जहाँगीर
उत्तर : (अ) अकबर
प्रश्न 9
बौद्ध धर्म में स्तूप किसका प्रतीक है?
(अ) निर्वाण
(ब) जन्म
(स) युद्ध
(द) शिक्षा
उत्तर : (अ) निर्वाण
प्रश्न 10
इस्लाम धर्म की कौन-सी इमारत सामूहिक प्रार्थना स्थल होती है?
(अ) मस्जिद
(ब) दरगाह
(स) मकबरा
(द) इमामबाड़ा
उत्तर : (अ) मस्जिद
प्रश्न 11
तोरण किस वास्तु संरचना में पाए जाते हैं?
(अ) सांची स्तूप
(ब) आगरा किला
(स) गोल गुम्बद
(द) चारमीनार
उत्तर : (अ) सांची स्तूप
प्रश्न 12
चर्च का निर्माण किस धर्म से जुड़ा है?
(अ) ईसाई धर्म
(ब) इस्लाम धर्म
(स) जैन धर्म
(द) बौद्ध धर्म
उत्तर : (अ) ईसाई धर्म
प्रश्न 13
सिखों का धार्मिक स्थल क्या कहलाता है?
(अ) गुरुद्वारा
(ब) मस्जिद
(स) स्तूप
(द) चर्च
उत्तर : (अ) गुरुद्वारा
प्रश्न 14
स्तूपों में मूर्तिकला के माध्यम से किसे दर्शाया गया?
(अ) जातक कथाएँ
(ब) ग्रीक देवता
(स) रामायण
(द) महाभारत
उत्तर : (अ) जातक कथाएँ
प्रश्न 15
प्राचीन भारतीय स्थापत्य में स्थानीय सामग्री का प्रमुख स्थान था। दक्षिण भारत में कौन-सा पत्थर प्रमुखता से प्रयोग हुआ?
(अ) ग्रेनाइट
(ब) संगमरमर
(स) बलुआ पत्थर
(द) चूना पत्थर
उत्तर : (अ) ग्रेनाइट
प्रश्न 16
मीनार का प्रयोग प्राचीन इमारतों में किसके लिए होता था?
(अ) अजान के लिए
(ब) युद्ध के लिए
(स) कृषि के लिए
(द) व्यापार के लिए
उत्तर : (अ) अजान के लिए
प्रश्न 17
इस्लामी स्थापत्य में कौन-सा तत्व प्रमुख है?
(अ) मेहराब
(ब) खंभा
(स) चबूतरा
(द) रंगोली
उत्तर : (अ) मेहराब
प्रश्न 18
गोल्डन टेम्पल कहाँ स्थित है?
(अ) अमृतसर
(ब) लुधियाना
(स) पटियाला
(द) दिल्ली
उत्तर : (अ) अमृतसर
प्रश्न 19 सांची के स्तूप का सामाजिक महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 19
सांची का स्तूप धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक एकजुटता का भी प्रतीक था। यह स्थान तीर्थयात्रियों, व्यापारियों और सामान्य जन के लिए भक्ति, दान और सांस्कृतिक मिलन का केंद्र था। यहाँ मूर्तिकला में लोक जीवन का भी चित्रण हुआ।
प्रश्न 20 मस्जिदों के निर्माण में कौन-कौन से स्थापत्य तत्त्व होते थे?
उत्तर 20
मस्जिदों में सामान्यतः मीनार, गुंबद, मिहराब, मेहराब, सहन और नमाज़ के लिए खुला आंगन होता था। मिहराब किबला की दिशा दिखाने हेतु मुख्य तत्त्व होता था।
प्रश्न 21 मंदिरों के निर्माण में राजाओं की क्या भूमिका थी?
उत्तर 21
राजाओं ने मंदिरों का निर्माण अपनी धार्मिक आस्था के साथ-साथ अपनी सत्ता, वैभव और वैधता स्थापित करने के लिए करवाया। यह उनके राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव का प्रतीक भी था।
प्रश्न 22 फतेहपुर सीकरी के निर्माण के पीछे अकबर की क्या मंशा थी?
उत्तर 22
फतेहपुर सीकरी का निर्माण अकबर ने अपनी धार्मिक नीति, शांति और न्याय के प्रतीक रूप में करवाया। यह भारतीय और फारसी स्थापत्य शैली का संगम था।
प्रश्न 23 स्तूप के तोरणों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 23
तोरणों पर जातक कथाओं और बुद्ध के जीवन प्रसंगों का चित्रण होता था। यह धार्मिक शिक्षाओं के प्रचार और लोककथाओं के माध्यम से समाज को जोड़ने का कार्य करते थे।
प्रश्न 24 बौद्ध धर्म में स्तूपों का धार्मिक महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 24
स्तूप बौद्ध धर्म में श्रद्धा का केंद्र होते थे। यहाँ बुद्ध के अवशेष रखे जाते थे। स्तूप प्रतीक थे निर्वाण, ध्यान और बुद्धत्व के। श्रद्धालु यहाँ परिक्रमा करते और दान देते। यह स्थायी स्मृति चिन्ह थे।
प्रश्न 25 प्राचीन भारत की स्थापत्य कला में स्थानीयता का क्या योगदान था?
उत्तर 25
स्थानीय संसाधनों जैसे दक्षिण भारत में ग्रेनाइट, उत्तर भारत में बलुआ पत्थर का उपयोग होता था। स्थापत्य में स्थानीय शैलियों, धर्मों और परंपराओं का प्रभाव स्पष्ट दिखता था।
प्रश्न 26 गुरुद्वारों के निर्माण का समाज में क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर 26
गुरुद्वारे केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि सेवा, समानता और एकता के केंद्र बने। लंगर, शरण और शिक्षा जैसी परंपराओं से समाज में समरसता बढ़ी।
प्रश्न 27 मस्जिद और मंदिर के निर्माण का शासक वर्ग के लिए क्या अर्थ था?
उत्तर 27
मस्जिद और मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि शासक वर्ग के वैभव, शक्ति और राजनीतिक वैधता के प्रतीक थे। यह उनके साम्राज्य की स्थायित्व की पहचान थी।
प्रश्न 28 ईसाई स्थापत्य शैली की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 28
चर्चों में लंबवत संरचना, ऊँचे बुर्ज, रंगीन काँच की खिड़कियाँ, घंटाघर और विशाल प्रार्थना कक्ष होते थे। इनका निर्माण भव्यता और आध्यात्मिकता के लिए होता था।
प्रश्न 29 (अभिलेख आधारित प्रश्न)
सांची के स्तूप के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क) सांची का स्तूप किस प्रकार के सामाजिक जीवन को दर्शाता है?
(ख) वहाँ की मूर्तिकला में किस प्रकार के प्रसंग चित्रित होते हैं?
उत्तर 29
(क) सांची का स्तूप धार्मिक स्थल होते हुए भी सामाजिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र था। वहाँ तीर्थयात्री, व्यापारी, साधु-संत सभी एकत्र होते थे। स्तूप परिक्रमा पथ, तोरण, मूर्तियों के माध्यम से समाज के जीवन का प्रतिबिंब था।
(ख) मूर्तिकला में जातक कथाएँ, बुद्ध के जीवन प्रसंग, व्यापारिक जीवन, पशुपालन, ग्रामीण और शहरी जीवन के चित्र प्रमुखता से अंकित थे।
प्रश्न 30 (प्रकरण आधारित प्रश्न)
मस्जिदों के निर्माण के पीछे क्या उद्देश्य होते थे? निम्नलिखित के उत्तर दीजिए –
(क) मस्जिदों में कौन-कौन से स्थापत्य तत्त्व प्रमुख होते हैं?
(ख) मस्जिदें राजनीतिक शक्ति का किस प्रकार प्रतीक थीं?
उत्तर 30
(क) मस्जिदों में मीनार, गुंबद, मिहराब, आंगन, सहन, जलाशय और मेहराब प्रमुख तत्त्व होते थे।
(ख) मस्जिदों का निर्माण शासकों की शक्ति, प्रभाव और धार्मिक निष्ठा का प्रदर्शन था। इससे उनकी प्रशासनिक शक्ति और सामाजिक प्रभुत्व का भी प्रचार होता था।
प्रश्न 31 (प्रकरण आधारित प्रश्न)
प्राचीन और मध्यकालीन स्थापत्य शैली में स्थानीय प्रभावों को स्पष्ट कीजिए –
(क) स्थानीय परंपराओं का स्थापत्य पर क्या प्रभाव था?
(ख) सामग्री और तकनीक के संदर्भ में स्थानीयता का योगदान स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 31
(क) स्थानीय परंपराओं ने मंदिरों, मस्जिदों, स्तूपों की शैली, आकृति, रंग-रूप और मूर्तिकला को प्रभावित किया। नागर, द्रविड़ और बेसर शैलियाँ इसका उदाहरण हैं।
(ख) दक्षिण भारत में ग्रेनाइट, उत्तर भारत में बलुआ पत्थर, चूना, ईंट आदि का स्थानीय स्तर पर उपयोग हुआ। निर्माण तकनीक भी क्षेत्र विशेष की परंपरा से जुड़ी थी।
खंड – E (प्रश्न 32 से 35, प्रत्येक 5 अंक)
प्रश्न 32 फतेहपुर सीकरी के स्थापत्य की विशेषताएँ विस्तार से लिखिए।
उत्तर 32
फतेहपुर सीकरी का निर्माण अकबर ने करवाया। यहाँ भारतीय और फारसी स्थापत्य का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है।
मुख्य विशेषताएँ –
बुलंद दरवाज़ा : विजय और शक्ति का प्रतीक
दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास : शासकीय सभाओं हेतु
जामा मस्जिद : धार्मिक केंद्र
पंचमहल : अद्वितीय संरचना, स्तंभों पर आधारित
लाल बलुआ पत्थर का व्यापक उपयोग
यह स्थापत्य अकबर की धार्मिक सहिष्णुता, प्रशासनिक कुशलता और सांस्कृतिक दृष्टिकोण का प्रतीक था।
प्रश्न 33 मंदिर निर्माण पर राजनीति और धर्म के प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 33
प्राचीन भारत में मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, सत्ता और राजनीति का केंद्र भी थे।
राजाओं ने मंदिरों का निर्माण अपनी शक्ति और वैभव दिखाने हेतु कराया।
दान, भूमि अनुदान से ब्राह्मणों और पुरोहितों को संरक्षण मिला।
मंदिर प्रशासन का केंद्र भी होता था, जिसमें कृषि, शिक्षा, कला आदि शामिल थे।
स्थापत्य में वास्तुकला, मूर्तिकला के साथ सामाजिक चेतना का विकास हुआ।
इस प्रकार मंदिर धर्म और राजनीति के मेल से निर्मित सामाजिक-सांस्कृतिक केंद्र बन गए।
प्रश्न 34 सांची के स्तूपों में मूर्तिकला के माध्यम से धार्मिक और लोक जीवन का चित्रण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 34
सांची के स्तूपों में मूर्तिकला अद्वितीय है।
धार्मिक चित्रण –
बुद्ध के जीवन प्रसंग (सिंह, अशोक चक्र, व्रक्ष, खाली आसन द्वारा प्रतीकात्मक चित्रण)
जातक कथाओं का प्रस्तुतीकरण
परिक्रमा, पूजा आदि के दृश्य
लोक जीवन –
पशुपालन, कृषि, व्यापार के दृश्य
नगर और ग्राम जीवन के चित्र
महिलाओं की भूमिका और उनके कार्यों का चित्रण
यह मूर्तिकला धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन का सम्पूर्ण प्रतिबिंब प्रस्तुत करती है।
प्रश्न 35 मस्जिदों के स्थापत्य में सामुदायिक एकता और शासकीय प्रभाव कैसे प्रकट होते हैं? विस्तार से समझाइए।
उत्तर 35
मस्जिद इस्लाम धर्म में सामूहिक प्रार्थना स्थल के रूप में विकसित हुईं।
सामुदायिक एकता –
सहन, जलाशय, मीनार, मिहराब सभी मिलकर समुदाय को एक स्थान पर एकत्रित करते।
मस्जिदें धार्मिक और सामाजिक मेलजोल का केंद्र थीं।
शासकीय प्रभाव –
शासकों द्वारा बनवाई गई मस्जिदें उनकी शक्ति और वैधता का प्रतीक थीं।
स्थापत्य में भव्यता, मीनार, गुंबद शासन की स्थायित्व का संकेत देते।
मस्जिदों के माध्यम से शासकों ने समाज में अपना प्रभाव स्थायी किया।
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प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न
🔵 Q1. ‘चैत्य’ का क्या अर्थ होता है?
(A) बौद्ध सभा भवन
(B) बौद्ध मठ
(C) पूजा स्थल
(D) स्तूप प्रांगण
✅ उत्तर: (C) पूजा स्थल
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2013
📝 व्याख्या: चैत्य वे पूजा भवन होते थे जिनमें स्तूप होते थे।
🔵 Q2. ‘विहार’ का क्या अर्थ है?
(A) बौद्ध प्रार्थना स्थल
(B) भिक्षुओं के लिए मठ
(C) मंदिर स्थापत्य शैली
(D) जैन तीर्थ स्थल
✅ उत्तर: (B) भिक्षुओं के लिए मठ
📅 परीक्षा: SSC CHSL 2016
📝 व्याख्या: विहार भिक्षुओं के निवास हेतु बनते थे।
🔵 Q3. बुद्ध का कौन-सा मुद्रा पृथ्वी को साक्षी बनाने का संकेत है?
(A) धर्मचक्र मुद्रा
(B) भूमि स्पर्श मुद्रा
(C) ध्यान मुद्रा
(D) अभय मुद्रा
✅ उत्तर: (B) भूमि स्पर्श मुद्रा
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2012
📝 व्याख्या: बोधगया में बुद्ध के ज्ञान का प्रतीक।
🔵 Q4. ‘सत्यमेव जयते’ किससे लिया गया है?
(A) ऋग्वेद
(B) मुण्डक उपनिषद
(C) भगवद्गीता
(D) मनुस्मृति
✅ उत्तर: (B) मुण्डक उपनिषद
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2015
📝 व्याख्या: अर्थ — ‘सत्य की ही विजय होती है’।
🔵 Q5. प्रथम बौद्ध संगीति कहाँ हुई थी?
(A) राजगृह
(B) वैशाली
(C) सारनाथ
(D) बोधगया
✅ उत्तर: (A) राजगृह
📅 परीक्षा: SSC MTS 2017
📝 व्याख्या: बुद्ध के निर्वाण के बाद बुलाई गई।
🔵 Q6. भारतीय दर्शन की छठी प्रणाली ‘वेदान्त’ किससे सम्बंधित है?
(A) कर्म
(B) ब्रह्म
(C) स्वर्ग
(D) केवल माया
✅ उत्तर: (B) ब्रह्म
📅 परीक्षा: SSC CGL 2017
📝 व्याख्या: आत्मा और ब्रह्म के एकत्व पर केंद्रित।
🔵 Q7. उपनिषदों को क्या कहा जाता है?
(A) स्मृति
(B) श्रुति
(C) महाकाव्य
(D) सूत्र
✅ उत्तर: (B) श्रुति
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2017
📝 व्याख्या: वेदों का दार्शनिक भाग माने जाते हैं।
🔵 Q8. अजंता की चित्रकारी किन गुफाओं में पाई जाती है?
(A) 1, 2, 16, 17
(B) 10, 11, 20, 21
(C) 5, 6, 12, 15
(D) 3, 4, 18, 19
✅ उत्तर: (A) 1, 2, 16, 17
📅 परीक्षा: SSC CHSL 2016
📝 व्याख्या: कथाएँ — जातक कथाओं पर आधारित।
🔵 Q9. नागर, द्राविड़, वेसर स्थापत्य किससे संबंधित हैं?
(A) मूर्तिकला शैली
(B) मंदिर निर्माण शैली
(C) हथियारों की शैली
(D) बौद्ध सम्प्रदाय
✅ उत्तर: (B) मंदिर निर्माण शैली
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2012
📝 व्याख्या: उत्तर, दक्षिण और मिश्रित स्थापत्य रूप।
🔵 Q10. ‘गंगा का अवतरण’ शिल्प कहाँ स्थित है?
(A) अजंता
(B) एलोरा
(C) मामल्लपुरम्
(D) बादामी
✅ उत्तर: (C) मामल्लपुरम्
📅 परीक्षा: SSC JE 2016
📝 व्याख्या: विशाल शिला पर खुदाई का दृश्य।
🔵 Q11. लोकायत दर्शन किससे सम्बंधित है?
(A) तर्क
(B) भौतिकवाद
(C) अध्यात्म
(D) कर्म
✅ उत्तर: (B) भौतिकवाद
📅 परीक्षा: SSC CGL 2017
📝 व्याख्या: वेदों को नकारकर केवल भौतिकता पर बल।
🔵 Q12. धौली के हाथी प्रस्तर शिल्प किसने बनवाया?
(A) अशोक
(B) हर्ष
(C) चंद्रगुप्त
(D) कनिष्क
✅ उत्तर: (A) अशोक
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2014
📝 व्याख्या: धम्म के शिलालेखों का प्रतीक।
🔵 Q13. भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर किसके द्वारा बनवाया गया?
(A) हर्षवर्धन
(B) ययाति
(C) पुलकेशिन
(D) राजेन्द्र चोल
✅ उत्तर: (B) ययाति
📅 परीक्षा: SSC CHSL 2016
📝 व्याख्या: 11वीं शताब्दी के शासक ययाति द्वारा निर्मित।
🔵 Q14. बौद्ध धर्म का प्रसार मुख्यतः किसके माध्यम से हुआ?
(A) संघ
(B) चैत्य
(C) महाविहार
(D) बोधगया
✅ उत्तर: (A) संघ
📅 परीक्षा: SSC GD 2018
📝 व्याख्या: संघ यानी भिक्षु संगठनों के माध्यम से।
🔵 Q15. बौद्ध और जैन धर्म दोनों ने किसका विरोध किया?
(A) कर्मकांड
(B) सन्यास
(C) ध्यान
(D) दान
✅ उत्तर: (A) कर्मकांड
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2012
📝 व्याख्या: वैदिक अनुष्ठानों का विरोध।
🔵 Q16. प्रारंभिक वैदिक आर्यों का धर्म आधारित था:
(A) भक्ति पर
(B) प्रकृति पूजा और यज्ञों पर
(C) मूर्ति पूजा पर
(D) प्रतिमा पूजा पर
✅ उत्तर: (B) प्रकृति पूजा और यज्ञों पर
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2012
📝 व्याख्या: इन्द्र, अग्नि आदि की पूजा होती थी।
🔵 Q17. श्रेणियों (Guilds) के अधिकार किस पर होते थे?
(A) मुद्रा
(B) व्यापार नियम
(C) कर
(D) न्याय व्यवस्था
✅ उत्तर: (B) व्यापार नियम
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2012
📝 व्याख्या: मूल्य, मजदूरी और नियम तय करने का अधिकार।
🔵 Q18. चैत्य और विहार में अंतर क्या है?
(A) चैत्य पूजन हेतु, विहार निवास हेतु
(B) विहार पूजन हेतु, चैत्य निवास हेतु
(C) दोनों समान
(D) इनमें कोई नहीं
✅ उत्तर: (A) चैत्य पूजन हेतु, विहार निवास हेतु
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2013
📝 व्याख्या: संरचनात्मक भिन्नता स्पष्ट।
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दृश्य सामग्री
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