Class 12 : History (Hindi) – Lesson 3 बंधुत्व, जाति तथा वर्ग
पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन
🔵 प्रस्तावना
इस अध्याय ‘बंधुत्व, जाति और वर्ग’ में प्राचीन भारत के समाज को समझाने का प्रयास किया गया है। भारतीय समाज प्रारम्भ से ही परिवार, बंधुत्व, जाति और वर्ग पर आधारित रहा है। समाज की रचना में इन सभी पहलुओं की भूमिका गहन रही है। यह अध्याय हमें बताता है कि किस प्रकार समाज में संबंधों, कार्य विभाजन और जन्म आधारित श्रेणियों से सामाजिक ढांचा तैयार हुआ।
🟢 बंधुत्व का अर्थ और सामाजिक भूमिका
➡️ बंधुत्व का सामान्य अर्थ होता है – समान गोत्र, रक्त-संबंध या विवाह से जुड़ा संबंध।
➡️ प्राचीन समाज में लोगों की पहचान उनके परिवार, गोत्र और जाति के आधार पर होती थी।
➡️ एक ही वंश, एक ही गोत्र या एक ही पूर्वज को मानने वाले लोग बंधु कहलाते थे।
🔴 बंधुत्व के प्रमुख लक्षण :
1️⃣ समान रक्त या पूर्वज
2️⃣ विवाह के संबंध द्वारा जुड़ाव
3️⃣ सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक सहयोग
➡️ बंधुत्व से समाज में सुरक्षा, सहयोग और संगठन की भावना बनी रहती थी।
✏️ नोट : बंधुत्व केवल रक्त संबंध तक सीमित नहीं था, बल्कि सामाजिक और आर्थिक संबंधों में भी यह दिखाई देता था।
🟡 जाति व्यवस्था का उद्भव और विकास
➡️ जाति व्यवस्था भारतीय समाज की विशेषता रही है।
➡️ आरंभ में समाज में वर्ण व्यवस्था के आधार पर श्रेणी विभाजन था — ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
🔵 प्रारंभिक वर्ण व्यवस्था के लक्षण :
1️⃣ जन्म पर आधारित नहीं, कर्म आधारित।
2️⃣ कार्य-विभाजन के अनुसार सम्मान।
➡️ धीरे-धीरे वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित जाति व्यवस्था में परिवर्तित हो गई।
🔴 जाति व्यवस्था के लक्षण :
1️⃣ जन्म आधारित
2️⃣ विवाह, भोजन, रहन-सहन का पृथक्करण
3️⃣ जातियों के लिए विशिष्ट कार्य निर्धारित
🟡 जाति व्यवस्था ने सामाजिक असमानता और ऊँच-नीच को जन्म दिया।
🔵 वर्ग और जाति में अंतर
🧠 वर्ग का आधार : आर्थिक स्थिति, कार्य, शिक्षा, संपत्ति।
🧠 जाति का आधार : जन्म, गोत्र, परंपरा।
➡️ वर्ग में बदलाव संभव, जाति में नहीं।
➡️ वर्ग खुला ढांचा, जाति बंद ढांचा।
🟢 परिवार और गोत्र व्यवस्था
➡️ परिवार समाज की आधारभूत इकाई था।
➡️ पितृसत्तात्मक व्यवस्था — पिता या पुरूष मुखिया होता था।
➡️ गोत्र, कुल, वंश के आधार पर पहचान।
🔴 गोत्र के नियम :
1️⃣ समान गोत्र में विवाह निषिद्ध।
2️⃣ गोत्र पहचान का माध्यम।
3️⃣ धार्मिक अनुष्ठानों में गोत्र अनिवार्य।
🟡 महिलाओं की स्थिति
➡️ स्त्रियों की स्थिति प्रारंभ में सम्मानजनक थी।
➡️ विवाह, संपत्ति, शिक्षा पर अधिकार सीमित थे।
➡️ कन्यादान, सती प्रथा, पर्दा आदि के कारण स्त्री पर नियंत्रण।
🔴 अपवाद : कुछ क्षेत्रों में मातृसत्तात्मक व्यवस्था भी थी।
🔵 धर्म और जाति व्यवस्था
➡️ धर्म ने जाति को मजबूती दी।
➡️ ब्राह्मणों ने धर्मग्रंथों में वर्ण व्यवस्था को धार्मिक आधार दिया।
➡️ कर्म सिद्धांत — वर्तमान जीवन का कर्म अगले जन्म की जाति तय करता है।
🟢 व्यापार और शिल्प में जाति
➡️ शिल्प, दस्तकारी, व्यापार विशेष जातियों के अधिकार में।
➡️ शूद्र, अछूत जातियाँ निम्न श्रम में।
➡️ व्यापारी वर्ग ने श्रेणी बनाई।
🟡 सामाजिक असमानता और जाति
➡️ जाति व्यवस्था से ऊँच-नीच, भेदभाव बढ़ा।
➡️ छुआछूत, सामाजिक बहिष्कार।
➡️ प्रत्येक जाति के लिए अलग गाँव, कुआँ, मंदिर।
🔴 जाति सुधार और विरोध
➡️ बौद्ध, जैन, भक्ति आंदोलन ने जाति प्रथा का विरोध किया।
➡️ समानता, करुणा, दया का प्रचार।
🌿 आधुनिक युग में परिवर्तन
➡️ ब्रिटिश काल में जाति आधारित जनगणना।
➡️ संविधान में जातिवाद के खिलाफ प्रावधान।
➡️ आरक्षण व्यवस्था से पिछड़ों को अधिकार।
⚡ यह पाठ क्यों महत्वपूर्ण है?
✔️ यह अध्याय भारतीय समाज की संरचना, भेदभाव और विकास को समझने में सहायक है।
✔️ आज भी जाति, वर्ग के प्रश्न सामाजिक और राजनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं।
✔️ बंधुत्व से समाज में सहयोग की भावना उत्पन्न होती है।
📝 त्वरित पुनरावृत्ति :
🔵 बंधुत्व — रक्त, गोत्र, विवाह आधारित
🟢 जाति — जन्म आधारित, कर्म, धर्म से जुड़ी
🟡 वर्ग — आर्थिक, कार्य, शिक्षा आधारित
🔴 परिवार — पितृसत्तात्मक, गोत्र आधारित
🟢 धर्म — वर्ण व्यवस्था का आधार
🔴 असमानता — छुआछूत, भेदभाव
🟡 विरोध — बौद्ध, भक्ति आंदोलन
🔵 आधुनिक सुधार — संविधान, आरक्षण
सारांश (लगभग 300 शब्दों में)
➡️ इस अध्याय में भारतीय समाज के मूल ढांचे — बंधुत्व, जाति और वर्ग — का विस्तार से वर्णन किया गया है।
➡️ बंधुत्व का अर्थ था रक्त, विवाह या गोत्र आधारित संबंध, जिससे समाज में सुरक्षा और सहयोग बना।
➡️ जाति व्यवस्था का प्रारंभिक आधार कर्म था, लेकिन समय के साथ यह जन्म आधारित हो गई। जातियों के अनुसार कार्य, रहन-सहन, विवाह तय हो गए।
➡️ वर्ग व्यवस्था आर्थिक, कार्य, शिक्षा पर आधारित थी, जिसमें बदलाव संभव था। वर्ग व्यवस्था लचीली थी, जाति नहीं।
➡️ परिवार पितृसत्तात्मक था और गोत्र के आधार पर समाज में पहचान होती थी। समान गोत्र में विवाह वर्जित था।
➡️ महिलाओं की स्थिति कमजोर होती गई। धर्म ने वर्ण व्यवस्था को धार्मिक मान्यता दी। कर्म सिद्धांत ने जाति को और मजबूत किया।
➡️ व्यापार, शिल्प, कृषि सभी कार्य जातियों में बँटे थे। सामाजिक असमानता, छुआछूत, भेदभाव फैला।
➡️ बौद्ध, जैन, भक्ति आंदोलन ने इसका विरोध किया। आधुनिक युग में संविधान और आरक्षण से सुधार हुए।
➡️ आज भी जाति, वर्ग का प्रश्न राजनीति, समाज में महत्वपूर्ण है। इस अध्याय से समाज की गहराई से समझ बनती है।
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1 स्पष्ट कीजिए कि विभिन्न परिवारों में पितृसत्तात्मकता क्यों महत्वपूर्ण रही होगी?
उत्तर 1
🔵 प्राचीन भारतीय समाज में पितृसत्तात्मक व्यवस्था का आधार संपत्ति और उत्तराधिकार से जुड़ा था।
🟢 पुरुष को ही संपत्ति का स्वामी माना जाता था और उसी के नाम से वंश चलता था।
🟡 परिवार के प्रमुख निर्णय जैसे विवाह, शिक्षा, व्यवसाय, धार्मिक अनुष्ठान आदि में पुरुष का अधिकार होता था।
🔴 पितृसत्तात्मकता के कारण स्त्रियों की भूमिका सीमित और पुरुष के अधीन रही।
प्रश्न 2 क्या आरंभिक राज्यों में शासक निरंकुश रूप से शासन करते थे? चर्चा कीजिए।
उत्तर 2
🔵 आरंभिक राज्यों में शासक पूर्ण रूप से निरंकुश नहीं होते थे।
🟢 राजा के अधिकार सीमित थे और उसे सलाहकार सभा (सभासद), पुरोहित, सेनापति आदि का सहयोग लेना पड़ता था।
🟡 जनता के कल्याण, दंड व्यवस्था और कर वसूली में राजा उत्तरदायी था।
🔴 कई बार राजा को धार्मिक अनुष्ठान व परंपराओं का भी पालन करना होता था।
प्रश्न 3 ब्राह्मण, क्षत्रिय और महिलाओं की कथाओं में धर्म के मायनों की तुलना कीजिए व उनके अंतर को भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 3
🔵 ब्राह्मणों के लिए धर्म का अर्थ यज्ञ, वेद अध्ययन, शिक्षा व पूजा-पाठ था।
🟢 क्षत्रियों के लिए धर्म का अर्थ था राज्य की रक्षा, युद्ध, न्याय व प्रजा पालन।
🟡 महिलाओं के लिए धर्म गृहस्थी के पालन, पति की सेवा, संतान पालन व संयम में था।
🔴 तीनों में धर्म के अर्थ भिन्न थे परंतु सब में कर्तव्य व मर्यादा का महत्व था।
प्रश्न 4 किन मायनों में सामाजिक अनुभव की बौद्ध अवधारणा समाज के उस ब्राह्मण दृष्टिकोण से भिन्न थी जो वर्ण व्यवस्था पर आधारित था।
उत्तर 4
🔵 बौद्ध धर्म में व्यक्ति की पहचान उसके कर्म से थी, जन्म से नहीं।
🟢 बौद्धों ने समानता, दया और अहिंसा पर बल दिया, वर्ण व्यवस्था का विरोध किया।
🟡 ब्राह्मण दृष्टिकोण में जाति जन्म आधारित थी, पर बौद्धों के लिए कर्म प्रधान था।
🔴 बौद्ध धर्म में स्त्री-पुरुष, ऊँच-नीच सबको समान माना गया।
प्रश्न 5 निम्नलिखित अंशवत् महाभारत से है जिसमें उल्लेख पांडव युधिष्ठिर द्वारा सबको नमस्कार करने हेतु सूची बनाई गई है। इस सूची का चयन किन आधारों पर किया गया है — उम्र, लिंग, भेद व बंधुत्व के संदर्भ में? तथा क्या कोई अन्य आधार भी थे? प्रत्येक श्रेणी के लिए स्पष्ट कीजिए कि सूची में उन्हें किस विशेष स्थान पर क्यों रखा गया है?
उत्तर 5
🔵 युधिष्ठिर द्वारा बनाई सूची में सबसे पहले आयु और विद्वत्ता का ध्यान रखा गया।
🟢 वृद्ध, कुलपुरोहित, आचार्य, गुरु, माता-पिता को पहले स्थान पर रखा गया।
🟡 उसके बाद कुल, धर्म और बंधुत्व के अनुसार सम्मान दिया गया।
🔴 स्त्री-पुरुष में भेद था, स्त्रियों को पुरुषों से अलग स्थान।
🟡 वर्ण और कर्म के अनुसार भी स्थान तय था।
✔️ इस व्यवस्था में आयु, अनुभव, ज्ञान, कर्म और परंपरा का महत्व था।
प्रश्न 6 भारतीय साहित्य के प्रसिद्ध इतिहासकार मोरिस विन्सेंटस्टीज ने महाभारत के बारे में लिखा था कि : “यदि महाभारत सम्पूर्ण भारतीय साहित्य का प्रतिनिधित्व करता है… बहुत सारी और अनेक प्रकार की चीजें उसमें निहित हैं।” (कुछ भारतीयों की आत्मा की जगह गहराई तक उसे अंशतः प्रकट करता है।) स्पष्ट कीजिए। (लगभग 500 शब्दों में)
उत्तर 6
🔵 महाभारत केवल युद्ध कथा नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारतीय समाज का प्रतिबिंब है।
🟢 इसमें वर्ण व्यवस्था, बंधुत्व, धर्म, कर्म, परिवार, राज्य, स्त्री-पुरुष संबंध, नीति-अनीति सबका चित्रण है।
🟡 इसमें राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक हर स्तर की कहानियाँ और संवाद शामिल हैं।
🔴 महाभारत में स्त्री पात्रों की स्थिति, युद्ध की विभीषिका, धर्म-संकट, दान, तपस्या आदि सब कुछ है।
🟢 यह ग्रंथ भारतीय जीवन के हर पक्ष को छूता है।
✔️ इस कारण इसे भारतीय समाज की आत्मा कहा गया।
प्रश्न 7 क्या यह संभव है कि महाभारत का एक ही संस्करण था? चर्चा कीजिए।
उत्तर 7
🔵 महाभारत का कोई एक निश्चित संस्करण नहीं था।
🟢 यह मौखिक परंपरा से पीढ़ी-दर-पीढ़ी बदला गया।
🟡 अलग-अलग क्षेत्रों में भाषाओं, कहानियों और पात्रों में विविधता आई।
🔴 लेखन में समय-समय पर परिवर्धन और संपादन हुआ।
✔️ आज जो महाभारत है, वह अनेक रचनाओं का संयुक्त रूप है।
प्रश्न 8 प्राचीन समाज में स्त्री-पुरुष के संबंधों की विसंगतियाँ कितनी महत्वपूर्ण थीं? क्या साहित्य इसका साक्ष्य देता है?
उत्तर 8
🔵 स्त्रियों की स्थिति समाज में सीमित थी, उन्हें स्वतंत्रता नहीं थी।
🟢 पितृसत्तात्मक व्यवस्था में स्त्री पति या पिता पर निर्भर थी।
🟡 साहित्य में द्रौपदी, कुन्ती जैसी स्त्रियों के उदाहरण मिलते हैं जिनकी स्थिति अस्पष्ट रही।
🔴 शिक्षा, संपत्ति और धर्म के कार्य में स्त्री की भूमिका कम रही।
✔️ साहित्य ने स्त्रियों की पीड़ा और मर्यादा दोनों को दर्शाया है।
प्रश्न 9 उस सामाजिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए जो यह दर्शाती है कि विविध जातियाँ विशेष श्रेणियों यथार्थतः जिन कार्यों के हेतु अनुशासित नहीं होती थीं।
उत्तर 9
🔵 समाज में जातियों के लिए कार्य निर्धारित थे, पर हमेशा पालन नहीं होता था।
🟢 शूद्रों को कृषि, मजदूरी, सेवा कार्य में रखा गया पर कुछ अन्य कार्य भी करते थे।
🟡 व्यापारी वर्ग में नई जातियाँ जुड़ीं, कारीगर वर्ग में भी बदलाव आया।
🔴 वर्ण व्यवस्था सैद्धांतिक थी, व्यवहार में अपवाद मिलते थे।
✔️ यह दर्शाता है कि सामाजिक व्यवस्था लचीली थी और हमेशा नियमों का पालन नहीं होता था।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
(CBSE MODEL प्रश्न पत्र)
सिर्फ इसी पाठ से निर्मित CBSE MODEL प्रश्न पत्र।
खंड – A (प्रश्न 1 से 18, प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का)
प्रश्न 1
प्राचीन समाज में बंधुत्व किस आधार पर निर्मित होता था?
(अ) जन्म और रक्त संबंध
(ब) व्यापार
(स) शिक्षा
(द) धर्म
उत्तर : (अ) जन्म और रक्त संबंध
प्रश्न 2
प्राचीन भारत में किसके आधार पर गोत्र की पहचान होती थी?
(अ) माता के नाम से
(ब) पिता के नाम से
(स) भाई के नाम से
(द) दादा के नाम से
उत्तर : (ब) पिता के नाम से
प्रश्न 3
गोत्र का मुख्य नियम क्या था?
(अ) समान गोत्र में विवाह वर्जित
(ब) गोत्र बदल सकते थे
(स) गोत्र केवल महिलाओं के लिए था
(द) गोत्र केवल ब्राह्मणों के लिए था
उत्तर : (अ) समान गोत्र में विवाह वर्जित
प्रश्न 4
प्राचीन भारत में किस व्यवस्था ने सामाजिक असमानता को जन्म दिया?
(अ) जाति व्यवस्था
(ब) व्यापार व्यवस्था
(स) सैन्य व्यवस्था
(द) राजनीतिक व्यवस्था
उत्तर : (अ) जाति व्यवस्था
प्रश्न 5
वर्ग किस आधार पर बनते थे?
(अ) जन्म आधारित
(ब) धन, शिक्षा, कार्य
(स) धर्म आधारित
(द) गोत्र आधारित
उत्तर : (ब) धन, शिक्षा, कार्य
प्रश्न 6
वर्ण व्यवस्था प्रारंभ में किस पर आधारित थी?
(अ) जन्म
(ब) कर्म
(स) धन
(द) गोत्र
उत्तर : (ब) कर्म
प्रश्न 7
ब्राह्मणों का कर्तव्य क्या था?
(अ) युद्ध
(ब) शासन
(स) यज्ञ, शिक्षा, वेद पाठ
(द) व्यापार
उत्तर : (स) यज्ञ, शिक्षा, वेद पाठ
प्रश्न 8
क्षत्रियों का मुख्य कार्य क्या था?
(अ) युद्ध, रक्षा, न्याय
(ब) यज्ञ
(स) शिल्प
(द) कृषि
उत्तर : (अ) युद्ध, रक्षा, न्याय
प्रश्न 9
शूद्रों को किन कार्यों में रखा जाता था?
(अ) सेवा कार्य
(ब) शिक्षा
(स) पुरोहित
(द) शासन
उत्तर : (अ) सेवा कार्य
प्रश्न 10
प्राचीन समाज में स्त्रियों की भूमिका कैसी थी?
(अ) स्वतंत्र
(ब) पुरुष पर निर्भर
(स) सैनिक
(द) शासक
उत्तर : (ब) पुरुष पर निर्भर
प्रश्न 11
बौद्ध धर्म का दृष्टिकोण किस पर आधारित था?
(अ) जन्म
(ब) कर्म और समानता
(स) वर्ण
(द) व्यापार
उत्तर : (ब) कर्म और समानता
प्रश्न 12
ब्राह्मण व्यवस्था में स्त्री को किस रूप में देखा गया?
(अ) स्वतंत्र
(ब) पति के अधीन
(स) संपत्ति की स्वामिनी
(द) पुरोहित
उत्तर : (ब) पति के अधीन
प्रश्न 13 (तथ्य – कारण आधारित)
कथन : जाति व्यवस्था जन्म आधारित थी।
कारण : जाति में बदलाव संभव नहीं था।
(अ) दोनों सत्य, कारण सही है।
(ब) दोनों सत्य, कारण गलत है।
(स) कथन सत्य, कारण गलत।
(द) दोनों गलत।
उत्तर : (अ) दोनों सत्य, कारण सही है।
प्रश्न 14 (केस आधारित प्रश्न)
वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मणों को क्यों सर्वोच्च स्थान दिया गया?
(अ) वेद अध्ययन और शिक्षा के कारण
(ब) व्यापार के कारण
(स) कृषि के कारण
(द) युद्ध के कारण
उत्तर : (अ) वेद अध्ययन और शिक्षा के कारण
प्रश्न 15 गोत्र व्यवस्था किसके लिए अनिवार्य थी?
(अ) धार्मिक अनुष्ठान
(ब) युद्ध
(स) व्यापार
(द) कृषि
उत्तर : (अ) धार्मिक अनुष्ठान
प्रश्न 16 पितृसत्तात्मक व्यवस्था में कौन मुखिया होता था?
(अ) पिता
(ब) माता
(स) दादा
(द) पुरोहित
उत्तर : (अ) पिता
प्रश्न 17 प्राचीन समाज में कौन-सा कार्य महिलाओं के लिए स्वीकार्य था?
(अ) संतान पालन
(ब) युद्ध
(स) शासन
(द) व्यापार
उत्तर : (अ) संतान पालन
प्रश्न 18 ब्राह्मणों के लिए मुख्य कर्म क्या था?
(अ) यज्ञ, शिक्षा, वेद अध्ययन
(ब) युद्ध
(स) व्यापार
(द) कृषि
उत्तर : (अ) यज्ञ, शिक्षा, वेद अध्ययन
खंड – B (प्रश्न 19 से 23, प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का)
प्रश्न 19 बंधुत्व का समाज में क्या महत्त्व था?
उत्तर 19
🔵 बंधुत्व से समाज में एकता, सहयोग और सुरक्षा की भावना बनी रहती थी।
🟢 बंधुत्व के कारण व्यक्ति अपने कुल, गोत्र और जाति के आधार पर सामाजिक पहचान पाता था।
प्रश्न 20 गोत्र व्यवस्था के दो प्रमुख नियम लिखिए।
उत्तर 20
🔵 समान गोत्र में विवाह करना वर्जित था।
🟢 धार्मिक अनुष्ठानों में गोत्र का स्पष्ट उल्लेख करना अनिवार्य था।
प्रश्न 21 जाति व्यवस्था के दो महत्त्वपूर्ण लक्षण लिखिए।
उत्तर 21
🔵 जाति जन्म आधारित होती थी, इसमें बदलाव संभव नहीं था।
🟢 हर जाति के लिए विशेष कार्य, भोजन, विवाह और रहन-सहन के नियम निर्धारित थे।
प्रश्न 22 वर्ग और जाति में दो प्रमुख भिन्नताएँ लिखिए।
उत्तर 22
🔵 वर्ग में परिवर्तन व्यक्ति के धन, शिक्षा और कार्य से संभव था।
🟢 जाति जन्म पर आधारित होती थी, इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता था।
प्रश्न 23 ब्राह्मणों और क्षत्रियों के कार्य में दो मुख्य भिन्नताएँ क्या थीं?
उत्तर 23
🔵 ब्राह्मण यज्ञ, वेदाध्ययन और शिक्षा से संबंधित कार्य करते थे।
🟢 क्षत्रिय युद्ध, शासन और रक्षा कार्यों में लगे रहते थे।
खंड – C (प्रश्न 24 से 28, प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का)
प्रश्न 24 बंधुत्व के आधार पर समाज में किन-किन संबंधों की स्थापना होती थी? तीन बिंदुओं में लिखिए।
उत्तर 24
🔵 बंधुत्व के आधार पर रक्त संबंध, विवाह संबंध और कुल-गोत्र संबंध बनाए जाते थे।
🟢 इससे लोगों में पारस्परिक सहयोग और विश्वास की भावना उत्पन्न होती थी।
🟡 बंधुत्व ने परिवार, कबीले और समाज को संगठित रखा।
प्रश्न 25 प्राचीन समाज में स्त्रियों की स्थिति स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 25
🔵 स्त्रियाँ पितृसत्तात्मक समाज में पिता या पति के अधीन रहती थीं।
🟢 शिक्षा, संपत्ति और निर्णय लेने में उनका अधिकार सीमित था।
🟡 विवाह, संतान पालन, घरेलू कार्यों में उनकी प्रमुख भूमिका थी।
प्रश्न 26 जाति व्यवस्था के आधार पर सामाजिक असमानता कैसे बढ़ी? तीन बिंदुओं में लिखिए।
उत्तर 26
🔵 जाति व्यवस्था में ऊँच-नीच का भेद जन्म से ही तय हो गया।
🟢 निम्न जातियों को समाज में अलग किया गया, उनके लिए विशेष अधिकार नहीं थे।
🟡 छुआछूत, सामाजिक बहिष्कार जैसी कुरीतियों ने असमानता को और बढ़ाया।
प्रश्न 27 वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था में तीन भिन्नताएँ लिखिए।
उत्तर 27
🔵 वर्ण व्यवस्था कर्म आधारित थी, जबकि जाति जन्म आधारित थी।
🟢 वर्ण व्यवस्था में परिवर्तन संभव था, जाति में नहीं।
🟡 वर्ण व्यवस्था में चार श्रेणियाँ थीं, जाति व्यवस्था में असंख्य जातियाँ बनीं।
प्रश्न 28 बौद्ध धर्म ने किस प्रकार जाति व्यवस्था का विरोध किया? तीन बिंदुओं में उत्तर दीजिए।
उत्तर 28
🔵 बौद्ध धर्म ने समानता, करुणा और दया का प्रचार किया।
🟢 उसने जन्म पर आधारित भेदभाव का विरोध किया।
🟡 कर्म को मुख्य माना, न कि जाति या जन्म को।
खंड – D (प्रश्न 29 से 31, प्रत्येक प्रश्न 4 अंक का)
प्रश्न 29 (अध्याय आधारित प्रश्न)
प्राचीन भारतीय समाज में बंधुत्व की अवधारणा के चार महत्त्वपूर्ण लक्षण लिखिए।
उत्तर 29
🔵 बंधुत्व समाज में रक्त, गोत्र और विवाह के संबंध से निर्मित होता था।
🟢 बंधुत्व से लोगों में सामाजिक सहयोग, सुरक्षा और उत्तरदायित्व की भावना उत्पन्न होती थी।
🟡 यह भावना परिवार, कबीला और समाज को संगठित और एकजुट रखती थी।
🔴 बंधुत्व के आधार पर ही समाज में संपत्ति, उत्तराधिकार और धार्मिक कार्यों का बंटवारा होता था।
प्रश्न 30 (अध्याय आधारित प्रश्न)
गोत्र व्यवस्था के चार प्रमुख नियम स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 30
🔵 समान गोत्र में विवाह करना पूर्णतः वर्जित था।
🟢 गोत्र पिता के नाम से पहचाना जाता था, न कि माता के नाम से।
🟡 धार्मिक अनुष्ठानों में गोत्र का उल्लेख अनिवार्य था।
🔴 गोत्र का प्रयोग सामाजिक पहचान और वंश परंपरा के संरक्षण हेतु होता था।
प्रश्न 31 (अध्याय आधारित प्रश्न)
वर्ग और जाति में चार प्रमुख अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 31
🔵 वर्ग संपत्ति, कार्य, शिक्षा के आधार पर बनते थे, जबकि जाति जन्म आधारित थी।
🟢 वर्ग में व्यक्ति अपने कर्म और परिश्रम से स्थान बदल सकता था, जाति में यह संभव नहीं था।
🟡 वर्ग लचीला और परिवर्तनशील होता था, जाति पूर्णतः स्थायी और बंद व्यवस्था थी।
🔴 वर्ग में कोई ऊँच-नीच नहीं था, जाति में भेदभाव, छुआछूत और असमानता थी।
खंड – E (प्रश्न 32 से 35, प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का)
प्रश्न 32 वर्ण व्यवस्था के विकास और उसके समाज पर प्रभाव का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर 32
🔵 प्रारंभ में वर्ण व्यवस्था कर्म आधारित थी जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र के कार्य स्पष्ट थे।
🟢 धीरे-धीरे यह व्यवस्था जन्म आधारित जाति में परिवर्तित हो गई।
🟡 ब्राह्मणों ने वेदों, धर्मग्रंथों के माध्यम से इसे धार्मिक आधार प्रदान किया।
🔴 वर्ण व्यवस्था के कारण समाज में ऊँच-नीच, भेदभाव और छुआछूत फैला।
🟢 वर्ण व्यवस्था ने सामाजिक असमानता को जन्म दिया और निम्न जातियों को शोषण व अपमान सहना पड़ा।
प्रश्न 33 प्राचीन समाज में महिलाओं की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर 33
🔵 प्राचीन समाज में महिलाओं की स्थिति पितृसत्तात्मक व्यवस्था में सीमित थी।
🟢 स्त्रियों को शिक्षा, संपत्ति, निर्णय में स्वतंत्रता नहीं थी।
🟡 विवाह, संतान पालन, गृहस्थी उनकी मुख्य जिम्मेदारी मानी जाती थी।
🔴 धार्मिक अनुष्ठानों में उनका स्थान गौण था और पति के बिना महत्व नहीं था।
🟢 कुछ स्थानों पर मातृसत्तात्मक व्यवस्था अपवाद स्वरूप देखी गई।
प्रश्न 34 बौद्ध धर्म ने जाति प्रथा का किस प्रकार विरोध किया, विस्तार से लिखिए।
उत्तर 34
🔵 बौद्ध धर्म ने कर्म को प्रधानता दी, जन्म को नहीं।
🟢 बौद्ध धर्म ने समानता, दया, करुणा और अहिंसा का प्रचार किया।
🟡 बौद्ध संघ में किसी भी जाति के लोग शामिल हो सकते थे।
🔴 उसने छुआछूत, भेदभाव को नकारा और सबको समान अवसर देने की बात कही।
🟢 जाति प्रथा के स्थान पर बौद्ध धर्म ने नैतिक आचरण और सच्चाई को महत्व दिया।
प्रश्न 35 सामाजिक असमानता के प्रमुख कारणों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर 35
🔵 जन्म आधारित जाति व्यवस्था सामाजिक असमानता का मुख्य कारण थी।
🟢 वर्ण व्यवस्था से निम्न वर्गों को शोषित रखा गया।
🟡 महिलाओं को पुरुषों से निम्न स्थान दिया गया और उनके अधिकार सीमित थे।
🔴 छुआछूत, पृथक गाँव, पृथक कुआँ जैसी प्रथाओं ने भेदभाव बढ़ाया।
🟢 शिक्षा, संपत्ति और रोजगार में भेदभाव ने असमानता को मजबूत किया।
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प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न
🔵 Q1. धर्मशास्त्रों की रचना मुख्यतः किसने की?
(A) क्षत्रिय
(B) ब्राह्मण
(C) वैश्य
(D) शूद्र
✅ उत्तर: (B) ब्राह्मण
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2016
📝 व्याख्या: ब्राह्मणों ने सामाजिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु धर्मशास्त्र लिखे।
🔵 Q2. मनुस्मृति के अनुसार महिलाओं को क्या उपदेश दिया गया?
(A) अविवाहित रहना
(B) पति के अधीन रहना
(C) स्वतंत्र रूप से शासन करना
(D) विदुषी बनना
✅ उत्तर: (B) पति के अधीन रहना
📅 परीक्षा: SSC CHSL 2016
📝 व्याख्या: मनुस्मृति में महिलाओं के लिए पितृसत्तात्मक नियम तय किए गए।
🔵 Q3. अंतः विवाह (Endogamy) अर्थात् विवाह:
(A) जाति के बाहर
(B) अपनी ही जाति में
(C) विदेशियों से
(D) अपने ही गाँव में
✅ उत्तर: (B) अपनी ही जाति में
📅 परीक्षा: SSC CGL 2017
📝 व्याख्या: एंडोगैमी का अर्थ होता है अपनी ही जाति, समुदाय या वर्ग में विवाह करना ताकि जाति की शुद्धता बनी रहे।
🔵 Q4. बाह्य विवाह (Exogamy) अर्थात् विवाह:
(A) अपने गोत्र में
(B) गोत्र के बाहर
(C) जाति में
(D) अपने ही परिवार में
✅ उत्तर: (B) गोत्र के बाहर
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2017
📝 व्याख्या: एक्सोगैमी का अर्थ होता है अपने गोत्र, कुल या वंश के बाहर विवाह करना, ताकि रक्त संबंधों में विवाह न हो।
🔵 Q5. गोत्र की परंपरा मुख्यतः किससे जुड़ी थी?
(A) महिलाएँ
(B) राजा
(C) ब्राह्मण वंश
(D) कारीगर
✅ उत्तर: (C) ब्राह्मण वंश
📅 परीक्षा: SSC JE 2017
📝 व्याख्या: गोत्र परंपरा विशेषकर ब्राह्मणों में वंश पहचान के लिए मानी जाती थी।
🔵 Q6. महाभारत किसका प्रमुख स्रोत है?
(A) मौर्य साम्राज्य
(B) वैदिक धर्म
(C) वंश और रिश्तों का सामाजिक इतिहास
(D) गुप्त साम्राज्य
✅ उत्तर: (C) वंश और रिश्तों का सामाजिक इतिहास
📅 परीक्षा: SSC CGL 2015
📝 व्याख्या: महाभारत में पारिवारिक संबंधों, उत्तराधिकार और समाज की अनेक बातें मिलती हैं।
🔵 Q7. महाभारत के अनुसार आदर्श राजा कौन होता था?
(A) केवल योद्धा
(B) धर्म का रक्षक
(C) धार्मिक नेता
(D) व्यापारी
✅ उत्तर: (B) धर्म का रक्षक
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2014
📝 व्याख्या: राजा का कर्तव्य धर्म की रक्षा और पालन करना था।
🔵 Q8. जाति व्यवस्था की कठोरता किससे अधिक बढ़ी?
(A) बौद्ध प्रभाव
(B) औपनिवेशिक शासन
(C) ब्राह्मण ग्रंथ
(D) विदेशी आक्रमण
✅ उत्तर: (C) ब्राह्मण ग्रंथ
📅 परीक्षा: SSC CHSL 2017
📝 व्याख्या: स्मृति, धर्मशास्त्र जैसे ग्रंथों ने जाति को कठोरता से लागू कराया।
🔵 Q9. ब्राह्मणों को भूमि दान किस काल में अधिक मिला?
(A) मौर्य काल
(B) गुप्त काल
(C) हड़प्पा काल
(D) मुगल काल
✅ उत्तर: (B) गुप्त काल
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2015
📝 व्याख्या: ब्राह्मणों को गुप्तकाल में कर-मुक्त भूमि अनुदान अधिक मिला।
🔵 Q10. मनुस्मृति किस परंपरा से संबंधित है?
(A) बौद्ध ग्रंथ
(B) जैन ग्रंथ
(C) धर्मशास्त्र परंपरा
(D) वेद
✅ उत्तर: (C) धर्मशास्त्र परंपरा
📅 परीक्षा: SSC CGL 2017
📝 व्याख्या: यह नैतिक, विधिक व सामाजिक आचार-संहिता का प्रमुख स्रोत था।
🔵 Q11. वर्ण व्यवस्था किस आधार पर वर्गीकरण करती थी?
(A) व्यवसाय
(B) त्वचा का रंग
(C) आर्थिक स्थिति
(D) धर्म
✅ उत्तर: (A) व्यवसाय
📅 परीक्षा: SSC MTS 2015
📝 व्याख्या: जन्म व व्यवसाय के आधार पर समाज का विभाजन होता था।
🔵 Q12. ब्राह्मणवादी पितृसत्ता किसे बढ़ावा देती थी?
(A) महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकार
(B) पुरुष प्रधानता
(C) विधवा पुनर्विवाह
(D) महिलाओं के समान अधिकार
✅ उत्तर: (B) पुरुष प्रधानता
📅 परीक्षा: SSC CHSL 2016
📝 व्याख्या: पुरुषों के अधिकार को सर्वोपरि रखा गया और महिलाओं की स्वतंत्रता सीमित थी।
🔵 Q13. शूद्रों को कौन-सा कर्तव्य सौंपा गया था?
(A) शासन करना
(B) शिक्षा देना
(C) ऊँची जातियों की सेवा करना
(D) व्यापार
✅ उत्तर: (C) ऊँची जातियों की सेवा करना
📅 परीक्षा: SSC CPO 2017
📝 व्याख्या: शूद्रों को समाज में सबसे निम्न स्थान व सेवा कार्य निर्धारित थे।
🔵 Q14. ब्राह्मणवादी उत्तराधिकार किस पर आधारित था?
(A) मातृवंशीय
(B) पितृवंशीय
(C) दोनों समान
(D) केवल जाति आधारित
✅ उत्तर: (B) पितृवंशीय
📅 परीक्षा: SSC CHSL 2018
📝 व्याख्या: सम्पत्ति का उत्तराधिकार पितृवंश के माध्यम से ही चलता था।
🔵 Q15. ब्राह्मणों ने समाज में ऊँच-नीच को किससे न्यायोचित ठहराया?
(A) दैवी उत्पत्ति
(B) व्यापार से अर्जित धन
(C) सैनिक शक्ति
(D) विदेशी संबंध
✅ उत्तर: (A) दैवी उत्पत्ति
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2013
📝 व्याख्या: ब्रह्मा से उत्पत्ति की परिकल्पना द्वारा सामाजिक भेद को वैध ठहराया गया।
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दृश्य सामग्री
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