Class 12, History (Hindi)

Class 12 : History (Hindi) – Lesson 2. राजा, किसान और नगर

पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन


🔵 प्रस्तावना
इस अध्याय ‘राजा, किसान और नगर’ के माध्यम से विद्यार्थियों को प्राचीन भारत की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संरचना की गहराई से जानकारी दी गई है। यह अध्याय मौर्य साम्राज्य के पश्चात गुप्त काल तक के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को प्रस्तुत करता है। इसमें यह बताया गया है कि राजा, किसान और नगर आपस में किस प्रकार जुड़े हुए थे और किस प्रकार इनके आपसी संबंधों से तत्कालीन भारत का स्वरूप निर्मित हुआ।

🟢 प्रारम्भिक राज्य और कर व्यवस्था
➡️ प्राचीन भारत में राजा ही सर्वोच्च सत्ता का प्रतीक था।
➡️ राजा का कार्य केवल शासन करना नहीं था, बल्कि वह कृषि, व्यापार और धर्म की भी सुरक्षा करता था।
➡️ राजाओं ने अपने राज्य की रक्षा और संचालन के लिए कर प्रणाली का विकास किया।
🔴 करों के प्रकार :
१️⃣ भूमि कर (उपज का भाग)
२️⃣ पशुपालन कर
३️⃣ व्यापार कर
४️⃣ दस्तकारी पर कर
💡 ध्यान दें: कर वसूली के लिए राजस्व अधिकारी नियुक्त होते थे जो ग्राम प्रमुख के सहयोग से कार्य करते थे।

🔵 कृषक वर्ग और कृषि व्यवस्था
➡️ भारत की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि था।
➡️ किसान भूमि पर परिश्रम करता था, लेकिन उसका बड़ा हिस्सा भूस्वामी, राजा या सामंतों को कर रूप में देना पड़ता था।
🟢 भूमि के प्रकार :
🔵 राजा की भूमि
🔵 सामंतों की भूमि
🔵 ग्रामों के समूह की साझा भूमि
➡️ किसान वर्षभर परिश्रम कर अनाज, फल, सब्जी आदि उपजाता था।
➡️ सिंचाई हेतु कुएँ, तालाब, नहरों का प्रयोग होता था।
✏️ नोट: मौसम, बाढ़, सूखा किसान की स्थिति को सीधा प्रभावित करता था।

🟡 शिल्पकार और दस्तकार वर्ग
➡️ शिल्पकार और दस्तकार भी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
➡️ इनके द्वारा वस्त्र, मिट्टी के बर्तन, धातु के औजार, आभूषण आदि बनाए जाते थे।
➡️ दस्तकारी के केंद्र नगर होते थे जहाँ व्यापार और उत्पादन एक साथ होता था।
🔴 प्रमुख शिल्प :
१️⃣ सूती वस्त्र निर्माण
२️⃣ धातु शिल्प (सोना, चांदी, तांबा)
३️⃣ मिट्टी के पात्र
४️⃣ मूर्तिकला

🔵 नगर और व्यापार का विकास
➡️ नगर केवल प्रशासनिक केंद्र नहीं थे, वे व्यापार और शिल्प के केंद्र भी थे।
➡️ नगरों में बाजार, मंडी, गोदाम, व्यापारिक संघ आदि होते थे।
➡️ नगरों का विकास नदी किनारे, व्यापारिक मार्गों के पास अधिक होता था।
🟡 प्रसिद्ध नगर : पाटलिपुत्र, उज्जैन, मथुरा, वाराणसी, ताम्रलिप्ति।
➡️ व्यापारी वर्ग ने समुद्री और स्थल व्यापार में भी भाग लिया।
➡️ विदेशों से व्यापार के लिए बंदरगाहों का विकास हुआ जैसे — मुसिरिस, अरिकमेडु, ताम्रलिप्ति।

🟢 व्यापारिक संघ और व्यापारिक मार्ग
➡️ व्यापारिक गतिविधियों को सुचारु रूप से चलाने के लिए श्रेणी/संघ बनाए गए।
➡️ श्रेणियां व्यापारी, शिल्पकार, दस्तकार सभी के हितों की रक्षा करती थीं।
🔴 मुख्य व्यापारिक मार्ग :
१️⃣ उत्तर से दक्षिण — पाटलिपुत्र से ताम्रलिप्ति
२️⃣ समुद्री मार्ग — भारत से रोम, मिश्र, चीन तक
🌿 विनिमय का माध्यम : सोने, चांदी, तांबे के सिक्के

🟡 धार्मिक स्थलों और मंदिरों की भूमिका
➡️ मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि धन संग्रह और भूमि स्वामी भी होते थे।
➡️ मंदिरों के पास अपनी भूमि, पशु, अनाज भंडार, सोना, आभूषण होते थे।
➡️ किसान और व्यापारी दोनों ही मंदिरों को दान करते थे।
💡 मंदिरों का प्रभाव: सामाजिक-सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित।

🔴 सामाजिक ढांचा और जाति व्यवस्था
➡️ समाज में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र के आधार पर वर्गीकरण था।
➡️ भूमिस्वामी, व्यापारी, पुजारी ऊँची जाति में आते थे।
➡️ दस्तकार, किसान, मजदूर निम्न वर्ग में थे।
✔️ सामाजिक भिन्नता आर्थिक स्थिति और पेशे से जुड़ी थी।

🔵 दस्तावेज और अभिलेख
➡️ भूमि दान, व्यापार, कर, प्रशासन के लिए अभिलेख तैयार किए जाते थे।
➡️ ताम्रपत्र, पत्थर, लेखनी, शिलालेख प्रमुख माध्यम थे।
➡️ भूमि दान के लिए विशेष अभिलेख बनाए जाते थे, जिससे दानकर्ता को विशेष सम्मान मिलता था।
🧠 प्रसिद्ध अभिलेख : प्रयाग प्रशस्ति, गुहिल प्रशस्ति, नासिक शिलालेख।

🟢 ग्राम व्यवस्था और प्रशासन
➡️ ग्राम सभा का निर्माण होता था जिसमें बुजुर्ग निर्णय लेते थे।
➡️ ग्राम प्रमुख (मुखिया) कर वसूलता था और शासन से सम्पर्क में रहता था।
➡️ ग्राम में ही सिंचाई, सड़क, जलस्रोत, मंदिर आदि की व्यवस्था होती थी।
✏️ ग्राम : सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक इकाई का केंद्र।

🟡 राजा और सामंतों का संबंध
➡️ राजा के नीचे सामंत होते थे जिनके पास बड़ी भूमि और शक्ति थी।
➡️ सामंत कर वसूली, सुरक्षा, स्थानीय प्रशासन देखते थे।
➡️ सामंतों ने कभी-कभी राजा के विरुद्ध भी विद्रोह किए।
✔️ भूमि दान के बदले सामंतों को उपाधि दी जाती थी।

🔴 विदेशी संबंध और व्यापार
➡️ भारत का व्यापार रोम, मिश्र, चीन से होता था।
➡️ रोम से सोने के सिक्के भारत में आते थे।
➡️ भारत से मसाले, रेशम, मोती, हाथी दाँत, कपड़ा निर्यात होता था।
⚡ विदेशी व्यापार से नगर समृद्ध हुए।

🌿 वास्तविक जीवन में उपयोगिता
➡️ आज भी कृषि, व्यापार, ग्राम प्रशासन, कर व्यवस्था में इन परंपराओं की झलक दिखती है।
➡️ आर्थिक असमानता, सामाजिक भेदभाव, प्रशासनिक ढांचे के प्रारंभिक रूप इस काल में बने।

⚡ यह पाठ क्यों महत्वपूर्ण है?
✔️ यह हमें भारत के प्रारंभिक आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक ढांचे को समझने में सहायता करता है।
✔️ कृषि, व्यापार और नगरों के विकास की कड़ी आज तक बनी हुई है।
✔️ यह बताता है कि शासन और समाज किस प्रकार एक-दूसरे से जुड़े थे।

📝 त्वरित पुनरावृत्ति :
🔵 राजा – कर वसूली, सुरक्षा, दान।
🟢 किसान – कृषि, सिंचाई, उपज।
🟡 नगर – व्यापार, शिल्प, श्रेणी।
🔴 ग्राम – सभा, मुखिया, स्वशासन।
🟢 व्यापारी – आंतरिक, विदेशी व्यापार।
🔴 सामंत – प्रशासन, शक्ति, विद्रोह।
🟡 मंदिर – धन, भूमि, प्रभाव।

सारांश (लगभग 300 शब्दों में)
➡️ इस पाठ में प्राचीन भारत के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक ढांचे का अध्ययन किया गया है। राजा शासन करता था और कर वसूलता था। कर भूमि, पशुपालन, व्यापार से आता था।
➡️ कृषि मुख्य आधार थी। किसान परिश्रम कर फसल उगाता था और उपज का भाग कर में देता था। भूमि पर अधिकार राजा, सामंत और मंदिरों का था। सिंचाई हेतु कुएँ, तालाब, नहरें प्रयोग होती थीं।
➡️ शिल्पकार और दस्तकार नगरों में रहकर उत्पादन करते थे। नगर व्यापार और दस्तकारी के केंद्र थे। पाटलिपुत्र, उज्जैन, मथुरा, ताम्रलिप्ति आदि प्रमुख नगर थे।


➡️ व्यापार स्थल और समुद्री दोनों मार्गों से होता था। विदेशों से संबंध रोम, मिश्र, चीन से थे। व्यापार के लिए श्रेणियां बनाई जाती थीं।
➡️ मंदिर केवल धार्मिक नहीं, आर्थिक केंद्र भी थे। उनके पास भूमि, धन, पशु होते थे। वे समाज पर प्रभावशाली होते थे।
➡️ समाज में जाति व्यवस्था थी। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र का स्थान अलग था। दस्तकार, किसान निम्न वर्ग में आते थे।


➡️ ग्राम व्यवस्था मजबूत थी। ग्राम सभा, मुखिया, सिंचाई, सड़क, मंदिर की व्यवस्था देखती थी।
➡️ राजा और सामंतों का संबंध भूमि दान, कर और प्रशासन से जुड़ा था।
➡️ यह अध्याय आज भी भारत की कृषि, व्यापार, ग्राम और कर प्रणाली को समझने में सहायक है।

————————————————————————————————————————————————————————————————————————————

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न



प्रश्न 1 आर्थिक पुरातात्त्विक साक्ष्यों में शिल्पकला के उत्पादों के प्रमाणों की चर्चा कीजिए। हड़प्पा के नगरों के प्रमाण से ये प्रमाण कितने भिन्न हैं?
उत्तर 1
🔵 आर्थिक पुरातात्त्विक साक्ष्यों में शिल्पकला के अंतर्गत मृदभांड, धातु उपकरण, मूर्तियाँ, आभूषण आदि के प्रमाण मिलते हैं।
🟢 इन प्रमाणों से ज्ञात होता है कि तत्कालीन समाज में शिल्पकला, उत्पादन एवं व्यापार का महत्वपूर्ण स्थान था।
🟡 हड़प्पा सभ्यता में भी मनके, मुहर, धातु मूर्तियाँ, मिट्टी के बर्तन मिलते हैं, जो विकसित शिल्प परंपरा के द्योतक हैं।
🔴 भिन्नता यह है कि उत्तर-वैदिक तथा गुप्तकालीन नगरों में निर्माण की शैली अधिक परिष्कृत, तकनीकी दृष्टि से उन्नत तथा विस्तृत व्यापारिक नेटवर्क आधारित रही।



प्रश्न 2 महाजनपदों के विशेष अभिलक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर 2
🔵 महाजनपदों का उदय छठी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ।
🟢 इनके प्रमुख विशेष लक्षण इस प्रकार हैं –
१️⃣ स्थायी सीमाएँ एवं राजधानी।
२️⃣ कराधान प्रणाली का विकास।
३️⃣ सैनिक शक्ति का विस्तार।
४️⃣ शासक व प्रशासन के अधिकार स्थायी।
५️⃣ नगरीकरण, वाणिज्य, कृषि का विकास।
🔴 महाजनपदों ने भारतीय राजनीतिक इतिहास में राज्य-व्यवस्था का प्रारूप स्थापित किया।



प्रश्न 3 सामान्य लोगों के जीवन का पुनर्निर्माण इतिहासकार कैसे करते हैं?
उत्तर 3
🔵 इतिहासकार पुरातात्त्विक साक्ष्य, साहित्य, शिलालेख, मुद्रा, चित्र, अभिलेखों के आधार पर सामान्य लोगों के जीवन का पुनर्निर्माण करते हैं।
🟢 मृदभांड, आभूषण, मकान के अवशेष, कृषि उपकरण, मुहरें दैनिक जीवन, रहन-सहन, कार्यप्रणाली को दर्शाते हैं।
🟡 साहित्य में आम जन की स्थिति, उनके दुख-दर्द, व्यापार, कर व्यवस्था का उल्लेख होता है।
🔴 इन साक्ष्यों से कृषक, दस्तकार, व्यापारी वर्ग का जीवन, उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति उजागर होती है।



प्रश्न 4 सातवाहन शासन (छात्र ३) के दो जाने वाले वस्त्रों को तुलना युग्म तालिका (छात्र ८) की दृष्टि से कीजिए। आपको क्या समानताएँ और असमानताएँ दिखाई देती हैं?
उत्तर 4
🔵 सातवाहन शासनकाल में मुख्य दो वस्त्र – उत्तरीय (ऊपरी वस्त्र) व अधोवस्त्र।
🟢 उत्तरीय – शरीर के ऊपरी भाग को ढकने हेतु, हल्के, मुलायम।
🟡 अधोवस्त्र – कमर के नीचे, प्रायः सूती, रंगीन वस्त्र।
समानताएँ :
१️⃣ दोनों वस्त्र सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रतीक।
२️⃣ दोनों का निर्माण स्थानीय कारीगर करते थे।
असमानताएँ :
१️⃣ उत्तरीय धार्मिक, आधिकारिक अवसरों में मुख्य।
२️⃣ अधोवस्त्र दैनिक कार्य हेतु आवश्यक।



प्रश्न 5 अभिलेखशास्त्रियों की कुछ समस्याओं की सूची बनाइए।
उत्तर 5
🔵 अभिलेखशास्त्रियों को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है –
🟢 लेख लिपि अपूर्ण या नष्ट होना।
🟡 लेखों का अर्थ संदर्भ के बिना स्पष्ट न होना।
🔴 एक ही अभिलेख में विभिन्न भाषाओं का प्रयोग।
🔵 लेखन शैली का समय के साथ बदलना।
🟢 लिपियों के पाठ्यक्रम में भिन्नता।
🟡 कुछ लेख प्रतीकात्मक, जिनका आशय समझना कठिन।



प्रश्न 6 मौर्य शासन के प्रमुख अभिलक्षणों का वर्णन कीजिए। अशोक के अभिलेखों में इनमें से किन-किन से संबंधित प्रमाण मिलते हैं? (लगभग 500 शब्दों में)

उत्तर 6
🔵 मौर्य शासन के प्रमुख अभिलक्षण :
मौर्य शासन प्राचीन भारत का पहला संगठित, सुदृढ़ और केन्द्रीयकृत साम्राज्य था। इसका प्रशासनिक ढांचा, कर व्यवस्था, सैन्य संगठन, न्याय प्रणाली और समाज सुधार के प्रयास इसे अन्य समकालीन राज्यों से भिन्न बनाते हैं।
प्रमुख विशेषताएँ :
🟢 केन्द्रीय शासन व्यवस्था – सम्राट के अधीन समस्त शक्ति केन्द्रीकृत थी।
🟡 प्रशासनिक विभाजन – साम्राज्य को प्रान्तों, जनपदों में बाँटा गया था। प्रत्येक प्रान्त के प्रमुख ‘कुमार’ अथवा ‘महामात्र’ होते थे।
🔴 कर प्रणाली – कृषि कर, व्यापार कर, पशुपालन कर प्रमुख थे।
🟢 सैन्य संगठन – स्थायी सेना के साथ गुप्तचरों का नेटवर्क, हाथी, घोड़े, रथ आदि।
🔵 न्यायिक व्यवस्था – दण्डनीति आधारित, अपराध के लिए कठोर दण्ड।
🟡 नगर प्रशासन – मेगस्थनीज के विवरणानुसार समितियाँ, अधिकारी, नगर नियोजन।
अशोक के अभिलेखों में प्रमाण :
🔴 धम्म नीति – समाज में धार्मिक सहिष्णुता, करुणा, अहिंसा, दया के प्रचार का उल्लेख।
🟢 न्याय प्रणाली – दण्ड में विवेक, बार-बार क्षमा की नीति।
🟡 प्रशासनिक नीति – धम्म महामात्र की नियुक्ति, जनहितकारी योजनाओं का वर्णन।
🔵 सार्वजनिक कार्य – सड़कों के किनारे वृक्षारोपण, कुएँ, विश्राम गृह।
🟢 विदेश नीति – पड़ोसी राज्यों व यूनानी राज्यों से सौहार्दपूर्ण संबंध।
➡️ अशोक के अभिलेखों से स्पष्ट होता है कि मौर्य प्रशासन न केवल राजनीतिक शक्ति तक सीमित था, बल्कि जनकल्याण, धर्म और सामाजिक सुधारों में भी सक्रिय था। मौर्य शासन के अभिलेख तत्कालीन शासन के विविध पक्षों का दर्पण हैं।



प्रश्न 7 यह बीसवीं शताब्दी के एक सुप्रसिद्ध अभिलेखशास्त्री, डी.सी. सरकार का कथन है : भारतीयों के जीवन, संस्कृति, और गतिविधियों का ऐसा कोई पक्ष नहीं है जिसकी प्रतिध्वनि अभिलेखों में न मिलती हो। इस कथन को स्पष्ट कीजिए। (लगभग 500 शब्दों में)
उत्तर 7
🔵 डी.सी. सरकार का कथन का आशय :
अभिलेख इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इनसे तत्कालीन काल की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक सभी गतिविधियों की जानकारी मिलती है।
स्पष्टिकरण :
🟢 राजनीतिक जीवन :
राजाओं के आदेश, भूमि दान, युद्ध विजय, शासन व्यवस्था के विवरण। उदाहरण – अशोक के शिलालेख, गुप्तकालीन प्रशस्तियाँ।
🟡 सामाजिक जीवन :
वर्ण व्यवस्था, स्त्रियों की स्थिति, शिल्पकार, कृषक वर्ग, दासों की दशा के प्रमाण।
🔴 आर्थिक जीवन :
कर व्यवस्था, व्यापारिक संघ, कृषक संगठन, सिक्कों, माप-तौल के उल्लेख। भूमि दान से उत्पादन और राजस्व व्यवस्था का अनुमान।
🟢 धार्मिक जीवन :
बौद्ध, जैन, वैदिक, ब्राह्मण धर्म का प्रचार। धार्मिक स्थलों, मूर्तियों, स्तूपों के निर्माण की जानकारी।
🔵 सांस्कृतिक पक्ष :
शिल्प, वास्तुकला, भाषा, लिपि, साहित्य, कला के साक्ष्य। ब्राह्मी, खरोष्ठी जैसी लिपियों का विकास।
🟡 न्याय और प्रशासन :
शासन प्रणाली, न्यायाधीश, प्रशासक, ग्राम व्यवस्था का उल्लेख।
➡️ निष्कर्ष :
डी.सी. सरकार का यह कथन प्रमाणित होता है कि अभिलेखों में भारतीयों के जीवन का प्रत्येक पक्ष प्रतिबिंबित है। अभिलेख बिना किसी पक्षपात के यथार्थ इतिहास प्रस्तुत करते हैं।



प्रश्न 8 उत्तर-मौर्य काल में विकसित राज्य व्यवस्था की तुलना मौर्य शासन से कीजिए। किस हद तक परिवर्तन हुए? (लगभग 500 शब्दों में)
उत्तर 8
🔵 मौर्य शासन की विशेषताएँ :
🟢 केन्द्रीयकृत शासन, सम्राट के अधीन सम्पूर्ण शक्ति।
🟡 सुनियोजित प्रशासनिक व्यवस्था, गुप्तचर तंत्र, दण्डनीति आधारित न्याय।
🔴 संगठित कर प्रणाली, सेना, स्थायी अधिकारियों की नियुक्ति।

उत्तर-मौर्य काल में परिवर्तन :
🟢 राजनीतिक व्यवस्था :
मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद छोटे-छोटे राज्य उभरे। कोई केन्द्रीय सत्ता नहीं रही।
शुंग, सातवाहन, कुषाण, गुप्त जैसे क्षेत्रीय वंशों का उदय।
🟡 प्रशासनिक व्यवस्था :
प्रान्तों की सत्ता स्थानीय शासकों के पास। भूमि दान प्रथा का प्रचलन बढ़ा।
सामंतवाद की ओर संक्रमण।
🔴 सैनिक संगठन :
स्थायी सेना के स्थान पर सामंतों द्वारा सैन्य सहायता। शासक की शक्ति सीमित।
🟢 आर्थिक परिवर्तन :
व्यापार, कृषि, शिल्प में वृद्धि।
नगरों का पुनर्विकास, व्यापारिक संघों का उदय।
भूमि दान से करमुक्त क्षेत्र।
🟡 धार्मिक स्थिति :
बौद्ध, जैन, वैदिक धर्म के साथ भागवत, शैव धर्म का विस्तार।

निष्कर्ष :
मौर्य काल में केन्द्र में सम्राट, संगठित प्रशासन था। उत्तर-मौर्य काल में सत्ता विखंडित, सामंतवादी प्रवृत्ति, भूमि दान प्रथा, क्षेत्रीय विविधता बढ़ी। परन्तु व्यापार, नगर, धर्म-संस्कृति में निरंतर प्रगति हुई।

————————————————————————————————————————————————————————————————————————————

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न



खंड – A (प्रश्न 1 से 18, प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का)

प्रश्न 1
अशोक के शिलालेखों में किस नीति का उल्लेख मिलता है?
(अ) धम्म नीति
(ब) युद्ध नीति
(स) कृषि नीति
(द) व्यापार नीति
उत्तर : (अ) धम्म नीति

प्रश्न 2
किस यूनानी लेखक ने पाटलिपुत्र का वर्णन किया?
(अ) प्लूटार्क
(ब) मेगस्थनीज
(स) हेरोडोटस
(द) स्ट्रैबो
उत्तर : (ब) मेगस्थनीज

प्रश्न 3
मौर्य प्रशासन में कर वसूली हेतु कौन अधिकारी नियुक्त था?
(अ) ग्रामाध्यक्ष
(ब) प्रमुख
(स) कराध्यक्ष
(द) सामंत
उत्तर : (स) कराध्यक्ष

प्रश्न 4
सातवाहन शासकों ने किस धर्म को विशेष संरक्षण दिया?
(अ) बौद्ध धर्म
(ब) जैन धर्म
(स) वैदिक धर्म
(द) इस्लाम धर्म
उत्तर : (अ) बौद्ध धर्म

प्रश्न 5
लोथल किसलिए प्रसिद्ध था?
(अ) किला
(ब) गोदी
(स) स्तूप
(द) महल
उत्तर : (ब) गोदी

प्रश्न 6
मौर्य साम्राज्य की राजधानी कौन-सी थी?
(अ) तक्षशिला
(ब) पाटलिपुत्र
(स) कौशाम्बी
(द) उज्जैन
उत्तर : (ब) पाटलिपुत्र

प्रश्न 7
सातवाहन शासनकाल में व्यापार का केंद्र कौन-सा नगर था?
(अ) ताम्रलिप्ति
(ब) अरिकमेडु
(स) कांचीपुरम
(द) प्रतीष्ठान
उत्तर : (द) प्रतीष्ठान

प्रश्न 8
प्राचीन भारत में व्यापारिक संघों को क्या कहा जाता था?
(अ) समिति
(ब) श्रेणी
(स) सभा
(द) पंचायत
उत्तर : (ब) श्रेणी

प्रश्न 9
अशोक के अभिलेख किस लिपि में लिखे गए हैं?
(अ) ब्राह्मी
(ब) खरोष्ठी
(स) नागरी
(द) रोमन
उत्तर : (अ) ब्राह्मी

प्रश्न 10
निम्न में से कौन उत्तर भारत का प्रसिद्ध व्यापारिक नगर था?
(अ) पाटलिपुत्र
(ब) ताम्रलिप्ति
(स) लोथल
(द) कांचीपुरम
उत्तर : (अ) पाटलिपुत्र

प्रश्न 11
सातवाहन शासकों के काल में किस धातु के सिक्के प्रचलित थे?
(अ) चाँदी
(ब) सोना
(स) तांबा
(द) सीसा
उत्तर : (द) सीसा

प्रश्न 12
मौर्य काल में जल प्रबंधन के लिए क्या बनवाए जाते थे?
(अ) तालाब
(ब) नहर
(स) कुएँ
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर : (द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 13 (निरूपण – कारण)
कथन : अशोक ने धम्म महामात्रों की नियुक्ति की।
कारण : जनता के कल्याण हेतु धार्मिक नीति का प्रचार करना।
(अ) दोनों सही, कारण सही है।
(ब) दोनों सही, कारण गलत।
(स) कथन सही, कारण गलत।
(द) दोनों गलत।
उत्तर : (अ) दोनों सही, कारण सही है।

प्रश्न 14 (केस आधारित प्रश्न)
अशोक के शिलालेखों में धम्म नीति का प्रचार किया गया, जिससे समाज में अहिंसा, करुणा, सहिष्णुता फैली।
इससे क्या निष्कर्ष निकलता है?
(अ) समाज सुधार की भावना
(ब) युद्ध का समर्थन
(स) कठोर कर प्रणाली
(द) केवल सैनिक विस्तार
उत्तर : (अ) समाज सुधार की भावना

प्रश्न 15
मौर्य साम्राज्य के किस शासक ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया?
(अ) चंद्रगुप्त मौर्य
(ब) बिंदुसार
(स) अशोक
(द) शुंग
उत्तर : (स) अशोक

प्रश्न 16
व्यापार के लिए समुद्री मार्ग किस बंदरगाह से जुड़ा था?
(अ) ताम्रलिप्ति
(ब) अरिकमेडु
(स) लोथल
(द) सभी
उत्तर : (द) सभी

प्रश्न 17
सामंत किसके अधीन कार्य करते थे?
(अ) शासक
(ब) ग्रामप्रधान
(स) व्यापारी
(द) पुरोहित
उत्तर : (अ) शासक

प्रश्न 18
ग्राम सभा में कौन निर्णय लेता था?
(अ) मुखिया
(ब) बुजुर्ग
(स) व्यापारी
(द) सैनिक
उत्तर : (ब) बुजुर्ग



खंड – B (प्रश्न 19 से 23, प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का)

प्रश्न 19 अशोक के अभिलेखों के आधार पर धम्म नीति के दो प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर 19
🔵 धम्म नीति में सामाजिक समरसता, सहिष्णुता और दया का प्रचार किया गया।
🟢 अशोक ने धम्म महामात्रों की नियुक्ति की जो जनकल्याण और नैतिक आचरण को बढ़ावा देते थे।

प्रश्न 20 सातवाहन शासनकाल में किस प्रकार की मुद्राओं का प्रचलन था? दो बिंदुओं में लिखिए।
उत्तर 20
🔵 सातवाहन काल में मुख्यतः सीसा (लेड) की मुद्राओं का प्रचलन था।
🟢 व्यापार हेतु तांबे और चाँदी के सिक्कों का भी प्रयोग होता था।

प्रश्न 21 मेगस्थनीज के अनुसार पाटलिपुत्र के प्रशासन के दो प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर 21
🔵 पाटलिपुत्र के प्रशासन के लिए ६ समितियों का गठन होता था।
🟢 हर समिति का कार्य क्षेत्र अलग था – जैसे नागरिक व्यवस्था, व्यापार, कर वसूली, सड़कें आदि।

प्रश्न 22 श्रेणियों का व्यापार और उत्पादन में क्या योगदान था? दो बिंदुओं में उत्तर दीजिए।
उत्तर 22
🔵 श्रेणियां व्यापारियों और शिल्पकारों के संगठन थे जो व्यापार और उत्पादन की गुणवत्ता सुनिश्चित करते थे।
🟢 श्रेणियां अपने सदस्यों के आर्थिक हितों की रक्षा करती थीं।

प्रश्न 23 प्राचीन भारत के दो प्रसिद्ध व्यापारिक नगरों के नाम लिखिए।
उत्तर 23
🔵 पाटलिपुत्र
🟢 ताम्रलिप्ति

खंड – C (प्रश्न 24 से 28, प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का)

प्रश्न 24 अशोक के प्रशासन में धम्म महामात्रों की क्या भूमिका थी?
उत्तर 24
🔵 धम्म महामात्र अशोक द्वारा नियुक्त विशेष अधिकारी थे।
🟢 उनका कार्य समाज में धम्म का प्रचार करना, धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देना, जनहितकारी कार्य करना था।
🟡 वे वृद्धों, स्त्रियों, बच्चों और अन्य कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करते थे।

प्रश्न 25 महाजनपदों के तीन प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर 25
🔵 स्थायी राजधानी और सीमाओं के साथ संगठित राज्य व्यवस्था।
🟢 कर प्रणाली और स्थायी सैनिक व्यवस्था का विकास।
🟡 शहरीकरण, व्यापार, कृषि के विकास के साथ प्रशासनिक विस्तार।

प्रश्न 26 नगरों के विकास में व्यापार का क्या योगदान था? तीन बिंदुओं में उत्तर दीजिए।
उत्तर 26
🔵 व्यापार से नगरों में आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ीं और समृद्धि आई।
🟢 व्यापारिक मार्गों के किनारे बसे नगर केंद्र बने।
🟡 नगरों में बाजार, मंडी, गोदाम, श्रेणियां विकसित हुईं।

प्रश्न 27 सातवाहन शासन में भूमि दान की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर 27
🔵 भूमि दान ब्राह्मणों, बौद्ध भिक्षुओं को दिया जाता था।
🟢 भूमि के साथ गाँव, जलस्रोत, पशु भी दान में सम्मिलित होते थे।
🟡 ताम्रपत्र या शिलालेख द्वारा इसका प्रमाण दिया जाता था।

प्रश्न 28 उत्तर-मौर्य कालीन प्रशासन में हुए तीन परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर 28
🔵 केन्द्रीय सत्ता के स्थान पर क्षेत्रीय सामंतों का प्रभाव बढ़ा।
🟢 भूमि दान की परंपरा के कारण करमुक्त क्षेत्र बढ़े।
🟡 स्थायी सेना के स्थान पर सामंतों द्वारा सेना उपलब्ध कराई जाने लगी।


खंड – D (प्रश्न 29 से 31, प्रत्येक प्रश्न 4 अंक का)

प्रश्न 29 अशोक के शिलालेखों के आधार पर धम्म नीति का समाज पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 29
🔵 अशोक के शिलालेखों में धम्म नीति को जनता के कल्याण के लिए अनिवार्य बताया गया है।
🟢 धम्म नीति से समाज में अहिंसा, करुणा, सहिष्णुता, दया और संयम को बढ़ावा मिला।
🟡 इससे विभिन्न धर्मों और जातियों में सौहार्द्र स्थापित हुआ।
🔴 अशोक ने धम्म महामात्रों की नियुक्ति कर जनहितकारी कार्यों को सुनिश्चित कराया।
➡️ जनता के कल्याण हेतु अस्पताल, कुएँ, सड़क किनारे वृक्ष, विश्रामगृह जैसी सुविधाओं का विकास हुआ।

प्रश्न 30 नगरों के विकास में व्यापारिक मार्गों और समुद्री मार्गों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 30
🔵 प्राचीन भारत के नगर व्यापारिक मार्गों के किनारे बसे, जिससे व्यापार और आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ीं।
🟢 स्थल मार्गों से उत्तर भारत के नगर दक्षिण भारत, पश्चिमी भारत से जुड़े।
🟡 समुद्री मार्गों के माध्यम से भारत का संपर्क रोम, मिश्र, चीन आदि देशों से हुआ।
🔴 लोथल, ताम्रलिप्ति, अरिकमेडु जैसे बंदरगाह नगर समुद्री व्यापार में प्रमुख केंद्र बने।
➡️ व्यापार के कारण नगरों में शिल्प, निर्माण, मुद्रा, श्रेणी आदि का विकास हुआ।

प्रश्न 31 ग्राम व्यवस्था के प्रमुख लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर 31
🔵 ग्राम प्राचीन भारत की मूल प्रशासनिक इकाई थी।
🟢 ग्राम सभा या पंचायत स्थानीय विवाद सुलझाती थी और कर वसूली की व्यवस्था करती थी।
🟡 ग्राम मुखिया कर वसूलकर राजा तक पहुँचाता था।
🔴 सिंचाई, सड़क, जलस्रोत, मंदिर आदि के कार्य ग्राम स्तर पर ही होते थे।
➡️ ग्राम सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र था।

खंड – E (प्रश्न 32 से 35, प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का)

प्रश्न 32 मौर्य शासन की प्रशासनिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर 32
🔵 मौर्य शासन के अंतर्गत केन्द्रीय सत्ता राजा के अधीन थी।
🟢 प्रशासनिक व्यवस्था सुचारु संचालन हेतु प्रांतों और जनपदों में विभाजित थी।
🟡 प्रत्येक प्रांत में कुमार या महामात्र नियुक्त होते थे।
🔴 कराधान, न्याय व्यवस्था, सैनिक संगठन सुनियोजित था।
➡️ नगर प्रशासन में समितियों द्वारा नागरिक व्यवस्था, व्यापार, कर वसूली, यातायात आदि कार्य देखे जाते थे।
➡️ गुप्तचर तंत्र और दण्डनीति पर आधारित शासन व्यवस्था प्रभावी थी।

प्रश्न 33 सातवाहन शासन के सामाजिक और आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
उत्तर 33
🔵 सातवाहन शासन में वर्ण व्यवस्था प्रचलित थी – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
🟢 स्त्रियों की स्थिति सम्मानजनक थी, विशेषतः मातृसत्तात्मक परंपरा का प्रभाव था।
🟡 आर्थिक जीवन कृषि, शिल्प, व्यापार पर आधारित था।
🔴 भूमि दान, कर व्यवस्था, श्रेणी (व्यापारी संगठन) महत्त्वपूर्ण भूमिका में थे।
➡️ समुद्री और स्थल व्यापार में वृद्धि हुई, ताम्रलिप्ति, अरिकमेडु जैसे बंदरगाह नगर उन्नत हुए।
➡️ मुद्रा प्रणाली में सीसे के सिक्के विशेष रूप से प्रचलित थे।

प्रश्न 34 उत्तर-मौर्य काल में नगरों के विकास के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर 34
🔵 उत्तर-मौर्य काल में व्यापार, शिल्प और कृषि की वृद्धि के कारण नगरों का विकास हुआ।
🟢 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए बंदरगाह नगरों का विकास हुआ, जैसे ताम्रलिप्ति, अरिकमेडु।
🟡 नगरों में व्यापारिक संघ, मंडी, गोदाम आदि स्थापित हुए।
🔴 मुद्रा प्रचलन से आर्थिक लेन-देन सुगम हुआ।
➡️ धार्मिक केंद्रों (स्तूप, मंदिर) के इर्द-गिर्द भी नगरों का विकास हुआ।
➡️ प्रशासन, न्याय और संस्कृति के केंद्र के रूप में नगरों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 35 अभिलेखों के महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर 35
🔵 अभिलेख इतिहास के विश्वसनीय स्रोत होते हैं।
🟢 यह शासकों की राजनीतिक, प्रशासनिक, धार्मिक नीतियों का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।
🟡 भूमि दान, कर व्यवस्था, युद्ध, संधि, सामाजिक स्थितियों का विवरण मिलता है।
🔴 ब्राह्मी, खरोष्ठी, नागरी आदि लिपियों में लिखे अभिलेख तत्कालीन भाषा, लिपि, संस्कृति के द्योतक हैं।
➡️ अशोक के शिलालेख, गुप्तकालीन प्रशस्ति, सातवाहन ताम्रपत्र से शासन की जानकारी मिलती है।
➡️ अभिलेखों से सामान्य जनता, स्त्रियों, शिल्पकारों, व्यापारियों के जीवन का भी पता चलता है।





————————————————————————————————————————————————————————————————————————————

प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न



🔵 Q1. मौर्य साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
(A) चंद्रगुप्त मौर्य
(B) अशोक
(C) बिंदुसार
(D) बिंबिसार
✅ उत्तर: (A) चंद्रगुप्त मौर्य
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2016
📝 व्याख्या: चंद्रगुप्त ने मौर्य वंश की स्थापना की थी।


🔵 Q2. ‘अर्थशास्त्र’ किसने लिखा था?
(A) कौटिल्य
(B) चाणक्य
(C) विष्णुगुप्त
(D) उपरोक्त सभी
✅ उत्तर: (D) उपरोक्त सभी
📅 परीक्षा: SSC CHSL 2015
📝 व्याख्या: ये तीनों नाम एक ही व्यक्ति के हैं।


🔵 Q3. अशोक के अभिलेखों की भाषा मुख्यतः कौन-सी थी?
(A) संस्कृत
(B) तमिल
(C) पाली-प्राकृत
(D) फारसी
✅ उत्तर: (C) पाली-प्राकृत
📅 परीक्षा: SSC CGL 2016
📝 व्याख्या: अभिलेख स्थानीय प्राकृत भाषा में थे।


🔵 Q4. अशोक स्वयं को ‘देवानांप्रिय प्रियदर्शी’ क्यों कहता था?
(A) देवताओं का राजा
(B) देवताओं का प्रिय
(C) शत्रुओं का विनाशक
(D) पृथ्वी का सम्राट
✅ उत्तर: (B) देवताओं का प्रिय
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2014
📝 व्याख्या: अभिलेखों में यह उपाधि पाई जाती है।


🔵 Q5. अशोक के साम्राज्य की राजधानी क्या थी?
(A) पाटलिपुत्र
(B) तक्षशिला
(C) उज्जैन
(D) राजगृह
✅ उत्तर: (A) पाटलिपुत्र
📅 परीक्षा: SSC CPO 2017
📝 व्याख्या: मौर्य शासनकाल में राजधानी थी।


🔵 Q6. मेगस्थनीज ने किस ग्रंथ की रचना की?
(A) इंडिका
(B) अर्थशास्त्र
(C) राजतरंगिणी
(D) पुराण
✅ उत्तर: (A) इंडिका
📅 परीक्षा: SSC CGL 2017
📝 व्याख्या: मौर्यकालीन भारत पर लेखन।


🔵 Q7. भारत में प्रयुक्त प्रारंभिक सिक्के कौन-से थे?
(A) ठप्पा लगे सिक्के (पंचमार्क्ड)
(B) गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्राएँ
(C) रजत दिनार
(D) तांबे के पैसे
✅ उत्तर: (A) ठप्पा लगे सिक्के (पंचमार्क्ड)
📅 परीक्षा: SSC MTS 2015
📝 व्याख्या: महाजनपदों में प्रचलित थे।


🔵 Q8. सातवाहन किस क्षेत्र पर शासन करते थे?
(A) उत्तर भारत
(B) दक्कन
(C) कश्मीर
(D) बंगाल
✅ उत्तर: (B) दक्कन
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2015
📝 व्याख्या: दक्कन के प्रमुख शासक।


🔵 Q9. राजाओं द्वारा भूमि अनुदान का उद्देश्य था:
(A) योद्धाओं को इनाम देना
(B) कृषि को प्रोत्साहन देना
(C) ब्राह्मणों को सहायता देना
(D) मंदिर निर्माण
✅ उत्तर: (C) ब्राह्मणों को सहायता देना
📅 परीक्षा: SSC CHSL 2016
📝 व्याख्या: ब्राह्मणिक प्रभुत्व को बल मिला।


🔵 Q10. सप्तमातृका किससे संबंधित हैं?
(A) कृषि
(B) स्त्री देवियाँ
(C) व्यापार संघ
(D) मौर्य प्रशासन
✅ उत्तर: (B) स्त्री देवियाँ
📅 परीक्षा: SSC JE 2017
📝 व्याख्या: सात माताओं का समूह देवी स्वरूप में पूजित।


🔵 Q11. ह्वेनसांग भारत किसके काल में आया था?
(A) हर्षवर्धन
(B) अशोक
(C) समुद्रगुप्त
(D) चंद्रगुप्त प्रथम
✅ उत्तर: (A) हर्षवर्धन
📅 परीक्षा: SSC CGL 2015
📝 व्याख्या: हर्ष के समय भारत आया।


🔵 Q12. प्रयाग प्रशस्ति किसकी प्रशंसा करती है?
(A) समुद्रगुप्त
(B) चंद्रगुप्त
(C) हर्ष
(D) बिंबिसार
✅ उत्तर: (A) समुद्रगुप्त
📅 परीक्षा: SSC CPO 2016
📝 व्याख्या: समुद्रगुप्त की विजय गाथाओं का वर्णन।


🔵 Q13. ‘हर्षचरित’ किसने लिखा?
(A) बाणभट्ट
(B) कल्हण
(C) कालिदास
(D) मेगस्थनीज
✅ उत्तर: (A) बाणभट्ट
📅 परीक्षा: SSC CHSL 2017
📝 व्याख्या: हर्षवर्धन की जीवनी।


🔵 Q14. गुप्त शासकों द्वारा प्रचलित सिक्के प्रायः किस धातु के थे?
(A) सोने के
(B) तांबे के
(C) चांदी के
(D) लोहे के
✅ उत्तर: (A) सोने के
📅 परीक्षा: SSC CGL 2016
📝 व्याख्या: समृद्धि का प्रतीक।


🔵 Q15. महाजनपद शब्द किससे संबंधित है?
(A) छोटे गाँव
(B) प्रारंभिक गणराज्य
(C) बड़े राज्य
(D) वैदिक यज्ञ
✅ उत्तर: (C) बड़े राज्य
📅 परीक्षा: UPSC Prelims 2017
📝 व्याख्या: 16 महाजनपद माने जाते हैं।


🔵 Q16. फाह्यान भारत किसके काल में आया?
(A) हर्षवर्धन
(B) चंद्रगुप्त द्वितीय
(C) अशोक
(D) समुद्रगुप्त
✅ उत्तर: (B) चंद्रगुप्त द्वितीय
📅 परीक्षा: SSC CHSL 2015
📝 व्याख्या: गुप्त समाज का विवरण दिया।


🔵 Q17. श्रेणी (Guild) का क्या अर्थ था?
(A) योद्धाओं का समूह
(B) व्यापारिक संघ
(C) धार्मिक संस्था
(D) राजनीतिक दल
✅ उत्तर: (B) व्यापारिक संघ
📅 परीक्षा: SSC MTS 2017
📝 व्याख्या: व्यापार व शिल्प नियंत्रण में।


🔵 Q18. गुप्तकाल किसके लिए प्रसिद्ध है?
(A) व्यापार का पतन
(B) संस्कृत साहित्य का उत्थान
(C) यूनानी आक्रमण
(D) लोहे के उपकरण
✅ उत्तर: (B) संस्कृत साहित्य का उत्थान
📅 परीक्षा: SSC CGL 2017
📝 व्याख्या: शास्त्रीय संस्कृत काव्य का उत्कर्ष।


🔵 Q19. अशोक के अभिलेख किस पर लिखे गए?
(A) ताड़पत्र
(B) शिलाओं व स्तंभों पर
(C) मिट्टी की पट्टिकाओं पर
(D) बाँस की पांडुलिपियों पर
✅ उत्तर: (B) शिलाओं व स्तंभों पर
📅 परीक्षा: SSC CHSL 2016
📝 व्याख्या: साम्राज्यभर में पाए जाते हैं।


🔵 Q20. बुद्ध के उपदेशों का प्रचार किसके माध्यम से हुआ?
(A) मंदिर
(B) अभिलेख
(C) बौद्ध परिषद
(D) संघ
✅ उत्तर: (D) संघ
📅 परीक्षा: SSC GD 2018
📝 व्याख्या: बौद्ध भिक्षु संघ के माध्यम से धर्म प्रचार हुआ।

————————————————————————————————————————————————————————————————————————————

दृश्य सामग्री

————————————————————————————————————————————————————————————————————————————

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *