Class 12, HINDI LITERATURE

Class 12 : हिंदी साहित्य – अध्याय 21. अपठित बोध

अपठित बोध

साहित्य केवल कलात्मक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि लेखक, पाठक और आलोचक के त्रिकोण से संचालित एक जीवित संवाद है। लेखक अपने समय की समस्याओं, स्वप्नों और अंतर्द्वंद्वों को रूप देता है; पाठक उन्हें अपनी स्मृतियों और अनुभवों के सहारे अर्थ देता है; और आलोचक उस अर्थ-विस्तार को दिशा देकर समाज के विमर्श में जोड़ता है। यदि पाठक निष्क्रिय रहे तो श्रेष्ठ रचनाएँ भी संग्रहालय की वस्तु बन सकती हैं, और यदि आलोचना केवल निर्णय सुनाने का औज़ार रह जाए तो साहित्य की बहस संकुचित हो जाती है। इसलिए आवश्यक है कि पाठक प्रश्न पूछे, असहमति दर्ज करे और पाठ में छिपी परतों को खोलने का साहस रखे।


हिन्दी साहित्य के इतिहास में बार-बार देखा गया है कि किसी रचना का वास्तविक मूल्य समय के साथ खुलता है। प्रारम्भ में विवादास्पद लगने वाली रचनाएँ आगे चलकर दिशादर्शक बनती हैं। इसका कारण यह है कि समाज बदलता है और नए पाठक अपने संदर्भों के साथ आते हैं। एक ही कविता किसी को सांत्वना देती है, किसी को प्रतिरोध का आधार, और किसी को भाषा की बारीकियाँ सीखने का अवसर। यही साहित्य की बहुरूपता है।


आलोचना का कार्य केवल प्रशंसा या निंदा करना नहीं, बल्कि पाठ के तर्क, शैली, प्रतीक और प्रभाव की जाँच करना है। सशक्त आलोचना पाठक को आलसी नहीं रहने देती; वह उसे पाठ के भीतर सक्रिय भागीदार बनाती है। इसी प्रकार लेखक की जिम्मेदारी भी कम नहीं है। उसे भाषा की ईमानदारी और अनुभव की सच्चाई से समझौता नहीं करना चाहिए। जब यह त्रिकोण गतिशील रहता है, तभी साहित्य समाज के मन को बदलने की शक्ति अर्जित करता है।


आज के डिजिटल समय में संवाद के साधन बढ़े हैं। पाठक सीधे लेखक से संवाद कर सकता है, समूह-पठन कर सकता है और नए अर्थ-सूत्र खोज सकता है। किंतु जल्दीबाजी की संस्कृति से बचना होगा; गहन पढ़ना ही साहित्य को दीर्घजीवी बनाता है।


प्रश्न–उत्तर (कुल 10 अंक)
(i) गद्यांश के अनुसार साहित्य के संचालन का केंद्रीय त्रिकोण किनसे बनता है? (1 अंक)
(A) लेखक, भाषा, छंद
(B) लेखक, पाठक, आलोचक
(C) पाठक, प्रकाशक, बाज़ार
(D) आलोचक, विश्वविद्यालय, सरकार
उत्तर: (B) लेखक, पाठक, आलोचक


(ii) सशक्त आलोचना का मुख्य कार्य क्या बताया गया है? (1 अंक)
(A) पुरस्कार तय करना
(B) पाठक को सक्रिय बनाना
(C) लेखक की जीवनी लिखना
(D) पाठ को संक्षेपित करना
उत्तर: (B) पाठक को सक्रिय बनाना


(iii) गद्यांश के अनुसार रचनाओं का मूल्य समय के साथ क्यों खुलता है? (1 अंक)
(A) क्योंकि पुस्तकों की कीमत घटती है
(B) क्योंकि नए पाठक नए संदर्भ लाते हैं
(C) क्योंकि लेखक बदल जाते हैं
(D) क्योंकि भाषा कठिन हो जाती है
उत्तर: (B) क्योंकि नए पाठक नए संदर्भ लाते हैं


(iv) लेखक की दो प्रमुख जिम्मेदारियाँ लिखिए। (1 अंक)
उत्तर: भाषा के प्रति ईमानदारी रखना और अनुभव/सत्य के साथ समझौता न करना।


(v) “पाठक निष्क्रिय रहे तो श्रेष्ठ रचनाएँ भी संग्रहालय की वस्तु बन सकती हैं” — आशय स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: यदि पाठक प्रश्न न पूछे, अर्थ-खोज में भाग न ले और संवाद न करे तो रचनाएँ जीवित सामाजिक विमर्श से कट जाती हैं; वे केवल संग्रहणीय वस्तु बनकर प्रभाव खो देती हैं।


(vi) साहित्य की “बहुरूपता” को उदाहरण सहित समझाइए। (2 अंक)
उत्तर: एक ही रचना अलग-अलग पाठकों में भिन्न अर्थ जगाती है—किसी को सांत्वना, किसी को प्रतिरोध का आधार, किसी को शैली का अध्ययन; यही विविध अर्थ-संभावनाएँ बहुरूपता हैं।


(vii) डिजिटल समय में साहित्यिक संवाद के क्या अवसर और क्या जोखिम हैं? (2 अंक)
उत्तर: अवसर—सीधा संवाद, समूह-पठन, त्वरित साझेदारी। जोखिम—जल्दीबाजी, सतही पाठ, गहनता का क्षय। समाधान—धैर्यपूर्वक, आलोचनात्मक और गहरे पढ़ने की संस्कृति।

अनुवाद केवल भाषा-बदलाव नहीं, बल्कि संस्कृतियों के बीच सेतु है। जब किसी रचना का अनुवाद होता है तो भाषा का संगीत, लोक-स्मृतियाँ, रूपक और मुहावरे दूसरी भाषा में नया जीवन पाते हैं। यह कार्य सरल नहीं। शब्द का अर्थ केवल शब्दकोश से नहीं मिलता; उसका परिवेश, इतिहास और सामाजिक संदर्भ भी साथ आते हैं। इसलिए श्रेष्ठ अनुवादक वही है जो मूल रचना की आत्मा को पहचानकर लक्ष्य-भाषा में स्वाभाविक और सजीव रूप दे।

हिन्दी में अनुवाद परंपरा समृद्ध रही है—भक्तिकाल से लेकर आधुनिक समय तक। कबीर, तुलसी और सूर की वाणी को विभिन्न भारतीय भाषाओं में रूपांतरित किया गया, तो समानांतर रूप से विश्व-साहित्य की अनेक कृतियाँ हिन्दी पाठकों तक आईं। इससे भाषा का शब्द-भंडार बढ़ा, विचार के नए द्वार खुले और पाठक का दृष्टिकोण व्यापक हुआ। अनुवाद पाठक को अपने समय और स्थान से आगे ले जाता है; वह उसे दूर देशों की संवेदनाओं से जोड़ता है और अपने समाज को नए मानकों पर परखने का साहस देता है।


परंतु अनुवाद का संकट भी कम नहीं। कभी-कभी शाब्दिक निष्ठा की जिद रचना की लय तोड़ देती है, और कभी स्वतंत्रता के नाम पर मूल भाव से विचलन हो जाता है। समाधान निष्ठा और सर्जनात्मकता के संतुलन में है: पाठ की आत्मा सुरक्षित रहे और भाषा लक्ष्य-पाठक के लिए सहज बने। संपादकीय सावधानियाँ, पाद-टिप्पणियाँ और सांस्कृतिक संकेतक इस संतुलन को मजबूत करते हैं।


आज डिजिटल मंचों ने बहुभाषी पाठकों को जोड़ा है। सह-अनुवाद, खुली चर्चाएँ और तुलनात्मक पठन से गुणवत्ता सुधर सकती है। यदि हम अनुवाद को द्वार मानें, दीवार नहीं, तो साहित्य की दुनिया अधिक व्यापक और संवादधर्मी बनेगी।


प्रश्न–उत्तर (कुल 10 अंक)
(i) गद्यांश के अनुसार अनुवाद का सबसे उचित रूपक क्या है? (1 अंक)
(A) बाज़ार
(B) सेतु
(C) कुंजी
(D) दर्पण
उत्तर: (B) सेतु


(ii) श्रेष्ठ अनुवादक की पहचान क्या है? (1 अंक)
(A) शाब्दिक मेल रखना
(B) मूल की आत्मा पकड़कर स्वाभाविक रूप देना
(C) नए शब्द गढ़ना
(D) कठिन भाषा लिखना
उत्तर: (B) मूल की आत्मा पकड़कर स्वाभाविक रूप देना


(iii) अनुवाद से भाषा और पाठक को कौन-सा लाभ प्रमुख रूप से मिलता है? (1 अंक)
(A) पुस्तकों की बिक्री बढ़ती है
(B) शब्द-भंडार और दृष्टि का विस्तार
(C) विवाद कम होते हैं
(D) व्याकरण सरल हो जाता है
उत्तर: (B) शब्द-भंडार और दृष्टि का विस्तार


(iv) अनुवाद में “निष्ठा” और “सर्जनात्मकता” के संतुलन का अर्थ लिखिए। (1 अंक)
उत्तर: मूल भाव/आत्मा सुरक्षित रखते हुए लक्ष्य-भाषा में सहज, सजीव और स्वाभाविक अभिव्यक्ति देना।


(v) अनुवाद के दो संकट और उनके समाधान संक्षेप में बताइए। (2 अंक)
उत्तर: संकट—शाब्दिक जड़ता से लय टूटना; अत्यधिक स्वतंत्रता से मूल भाव भटकना। समाधान—संतुलित दृष्टि, संपादकीय समीक्षा, पाद-टिप्पणियाँ/संकेतक का उपयोग।


(vi) “अनुवाद पाठक को अपने समय और स्थान से आगे ले जाता है” — आशय स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: अनुवाद दूर देशों और संस्कृतियों के अनुभव पाठक तक लाता है, जिससे वह अपने समाज को नए मानकों पर देखता और व्यापक मानवीय दृष्टि अर्जित करता है।


(vii) डिजिटल मंच अनुवाद-गुणवत्ता कैसे बढ़ा सकते हैं? (2 अंक)
उत्तर: सह-अनुवाद, खुली चर्चाएँ, तुलनात्मक पठन और त्वरित प्रतिपुष्टि से त्रुटियाँ घटती हैं, शब्दावली समृद्ध होती है और पठनीयता बढ़ती है।


लोक-साहित्य किसी समाज की सामूहिक स्मृति है। गीत, कहावतें, कथाएँ और रंग-रूपक पीढ़ियों से यात्रा करते हुए हमारे दैनिक जीवन में बस गए हैं। इनमें मेहनत, उल्लास, शोक, आशा और प्रतिरोध—सबके स्वर मिलते हैं। लिखित साहित्य अक्सर इन्हीं स्वरों से प्रेरणा लेकर अपना सौंदर्य रचता है। जब कोई कवि लोक-लय को अपनाता है तो उसकी भाषा अधिक बोलचाल की, प्रभावशाली और आत्मीय हो जाती है; पाठक उसे अपने अनुभवों के निकट पाता है।


लोक-साहित्य का एक बड़ा गुण उसकी सामुदायिकता है। इसे किसी एक लेखक ने नहीं रचा; यह मिलकर बना है। इसलिए उसमें “मैं” से अधिक “हम” बोलता है। इस सामुदायिक स्वर में नैतिकता, हास्य और आलोचना का अनोखा मिश्रण होता है। कहावतें कम शब्दों में जीवन की गहरी बुद्धि देती हैं—वे केवल उपदेश नहीं, अनुभव की झलक हैं।


आधुनिक समय में शहरीकरण और तकनीक ने लोक-जीवन के तौर-तरीकों को बदला है, पर लोक-साहित्य समाप्त नहीं हुआ; उसने नए माध्यमों में नए रूप खोज लिए हैं। लोकगीत मंचों, फ़िल्मों और सोशल मीडिया पर नए स्वरूप में लौटे हैं। खतरा वहाँ है जहाँ लोकप्रियता के दबाव में सतहीपन बढ़ जाता है और असली संवेदना छूट जाती है। समाधान दस्तावेज़ीकरण, स्थानीय बोलियों का सम्मान और विद्यालयी पाठ्यक्रम में लोक-धरोहर की सार्थक उपस्थिति है।


लिखित साहित्य और लोक-साहित्य का संबंध बराबरी का है—एक दूसरे को समृद्ध करते हैं। जब लेखक लोक-कथा से रूपक लेता है, या कोई लोकधुन कविता की लय बनती है, तब रचना में धरती की गंध आती है और वह दीर्घजीवी बनती है।


प्रश्न –उत्तर (कुल 10 अंक)
(i) लोक-साहित्य का सबसे बड़ा गुण क्या बताया गया है? (1 अंक)
(A) जटिल भाषा
(B) सामुदायिकता
(C) व्यक्तिगत प्रयोग
(D) शास्त्रीय छंद
उत्तर: (B) सामुदायिकता


(ii) कहावतों की विशेषता क्या है? (1 अंक)
(A) लंबे उपदेश
(B) मनोरंजन मात्र
(C) कम शब्दों में अनुभव की बुद्धि
(D) कठिन प्रतीक
उत्तर: (C) कम शब्दों में अनुभव की बुद्धि


(iii) लोक-साहित्य और लिखित साहित्य का संबंध कैसा बताया गया है? (1 अंक)
(A) विरोधी
(B) उपेक्षित
(C) बराबरी का, परस्पर समृद्ध करने वाला
(D) एकतरफ़ा प्रभाव
उत्तर: (C) बराबरी का, परस्पर समृद्ध करने वाला


(iv) आधुनिक समय में लोक-साहित्य किन नए माध्यमों में दिखाई देता है? (1 अंक)
उत्तर: मंच, फ़िल्म, सोशल मीडिया जैसे माध्यमों में।


(v) “लोक-साहित्य में ‘मैं’ से अधिक ‘हम’ बोलता है” — आशय स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: लोक-साहित्य सामूहिक अनुभव का दस्तावेज़ है; इसमें व्यक्तिगत की जगह समुदाय की चिंताएँ, खुशियाँ और सीख प्रमुख होती हैं, इसलिए ‘हम’ का स्वर प्रबल है।


(vi) लोकप्रियता के दबाव से उत्पन्न खतरे और उसका समाधान लिखिए। (2 अंक)
उत्तर: खतरा—सतहीपन और मूल संवेदना का क्षय। समाधान—दस्तावेज़ीकरण, स्थानीय बोलियों का सम्मान, और पाठ्यक्रम/प्रशिक्षण में लोक-धरोहर को सार्थक स्थान देना।


(vii) “धरती की गंध” रूपक का साहित्यिक अर्थ समझाइए। (2 अंक)
उत्तर: लोक-लय, बोली और अनुभव के सहज सम्मिलन से रचना में वास्तविक, निकट और जीवंत जीवन-स्पर्श आना—इसे “धरती की गंध” कहा गया है।

पुस्तकालय किसी भी सभ्य समाज की धड़कन होते हैं। यहाँ केवल पुस्तकों का संग्रह नहीं होता, बल्कि विचारों, अनुभवों और खोज की एक लंबी परंपरा सुरक्षित रहती है। एक पुस्तकालय में प्रवेश करते ही व्यक्ति समय की सीमाओं से मुक्त हो जाता है—वह प्राचीन सभ्यताओं में विचरण कर सकता है, किसी वैज्ञानिक की प्रयोगशाला में झाँक सकता है या किसी कवि की कल्पना-भूमि में उतर सकता है।


भारतीय परंपरा में पुस्तकालयों का इतिहास प्राचीन है। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा के केंद्र थे, बल्कि विशाल पुस्तक-संग्रह के भी धनी थे। इन पुस्तकालयों में केवल पांडुलिपियाँ नहीं, बल्कि ज्ञान की विविध शाखाओं का जीवंत संवाद भी था। आधुनिक समय में सार्वजनिक और निजी पुस्तकालयों ने समाज में पढ़ने की आदत बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


डिजिटल युग में ई-पुस्तकालय और ऑनलाइन संसाधनों ने ज्ञान को सुलभ बनाया है। अब कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी स्थान पर हो, केवल एक क्लिक से विश्व-स्तरीय सामग्री तक पहुँच सकता है। परंतु इसके साथ यह भी आवश्यक है कि पढ़ने का अनुशासन और गहराई बनी रहे, क्योंकि मात्र सूचना का ढेर ज्ञान नहीं बनता।


पुस्तकालय केवल पठन का स्थल नहीं, बल्कि संवाद, शोध और रचनात्मकता के केंद्र हैं। जब लोग यहाँ विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, तब समाज में बौद्धिक जीवन जीवंत रहता है।
प्रश्न–उत्तर (कुल 10 अंक)
(i) पुस्तकालय को किस रूप में वर्णित किया गया है? (1 अंक)
(A) विचारों का मेला
(B) सभ्य समाज की धड़कन
(C) समय की बर्बादी
(D) व्यापार केंद्र
उत्तर: (B) सभ्य समाज की धड़कन


(ii) भारतीय परंपरा में कौन-से विश्वविद्यालय पुस्तकालयों के लिए प्रसिद्ध थे? (1 अंक)
(A) दिल्ली और पुणे
(B) नालंदा और तक्षशिला
(C) वाराणसी और प्रयाग
(D) कोलकाता और मद्रास
उत्तर: (B) नालंदा और तक्षशिला


(iii) डिजिटल युग में ज्ञान को सुलभ बनाने का मुख्य साधन क्या है? (1 अंक)
(A) रेडियो
(B) ई-पुस्तकालय और ऑनलाइन संसाधन
(C) अख़बार
(D) पत्र-पत्रिकाएँ
उत्तर: (B) ई-पुस्तकालय और ऑनलाइन संसाधन


(iv) मात्र सूचना का ढेर ज्ञान क्यों नहीं बनता? (1 अंक)
उत्तर: क्योंकि ज्ञान के लिए सूचना के साथ समझ, विश्लेषण और अनुभव की आवश्यकता होती है।


(v) प्राचीन विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों की दो विशेषताएँ लिखिए। (2 अंक)
उत्तर: विशाल पांडुलिपि संग्रह और ज्ञान की विविध शाखाओं का जीवंत संवाद।


(vi) पुस्तकालय का बौद्धिक जीवन में योगदान स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: यह विचार-विनिमय, शोध और रचनात्मकता का केंद्र होता है, जो समाज में बौद्धिक सक्रियता बनाए रखता है।


(vii) डिजिटल युग में पुस्तकालय की प्रासंगिकता पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: डिजिटल माध्यम से सामग्री की पहुँच बढ़ी है, परंतु अनुशासित और गहन पठन बनाए रखना आवश्यक है ताकि ज्ञान की गुणवत्ता बनी रहे।

पर्यावरण केवल वनों, नदियों और पहाड़ों का नाम नहीं, बल्कि वह संपूर्ण तंत्र है जिसमें मनुष्य और प्रकृति सहअस्तित्व में रहते हैं। यदि इस संतुलन में गड़बड़ी हो, तो इसका असर जलवायु, जैव विविधता और मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है।
औद्योगिक क्रांति के बाद से मानव गतिविधियों ने प्रकृति के साथ इस संतुलन को गम्भीर रूप से प्रभावित किया है। वनों की अंधाधुंध कटाई, नदियों का प्रदूषण और अनियंत्रित खनन से संसाधनों का क्षय हुआ है। यह केवल पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक संकट भी है, क्योंकि इनका सीधा प्रभाव किसानों, मछुआरों और वनों पर निर्भर समुदायों पर पड़ता है।


पर्यावरण संरक्षण के लिए केवल कानून बनाना पर्याप्त नहीं; इसके लिए नागरिक जागरूकता और व्यवहार में बदलाव आवश्यक है। वृक्षारोपण, जल-संरक्षण, और कचरे का सही निस्तारण जैसे छोटे कदम भी बड़े परिणाम दे सकते हैं। विद्यालयों में बच्चों को पर्यावरण-शिक्षा देना, और स्थानीय स्तर पर समुदाय को सक्रिय करना, दीर्घकालिक समाधान की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हैं।


तकनीक का जिम्मेदार उपयोग भी जरूरी है। नवीकरणीय ऊर्जा, जल-शोधन और हरित निर्माण तकनीकें पर्यावरण के दबाव को कम कर सकती हैं। जब तक समाज के हर वर्ग में यह समझ नहीं आएगी कि प्रकृति का स्वास्थ्य हमारे अपने अस्तित्व का आधार है, तब तक संरक्षण के प्रयास अधूरे रहेंगे।


प्रश्न–उत्तर (कुल 10 अंक)
(i) गद्यांश के अनुसार पर्यावरण का सही अर्थ क्या है? (1 अंक)
(A) केवल जंगल और पहाड़
(B) केवल हवा और पानी
(C) मनुष्य और प्रकृति का सहअस्तित्व
(D) सिर्फ़ वन्य जीव
उत्तर: (C) मनुष्य और प्रकृति का सहअस्तित्व


(ii) औद्योगिक क्रांति के बाद पर्यावरण पर क्या असर पड़ा? (1 अंक)
(A) संतुलन बेहतर हुआ
(B) संतुलन बिगड़ा
(C) कोई असर नहीं हुआ
(D) पर्यावरण सुधर गया
उत्तर: (B) संतुलन बिगड़ा


(iii) पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या पर्याप्त नहीं है? (1 अंक)
(A) कानून बनाना
(B) नागरिक जागरूकता
(C) तकनीक का उपयोग
(D) वृक्षारोपण
उत्तर: (A) कानून बनाना


(iv) छोटे कदमों के दो उदाहरण लिखिए जो पर्यावरण-संरक्षण में सहायक हैं। (1 अंक)
उत्तर: वृक्षारोपण और जल-संरक्षण।


(v) पर्यावरण संकट का सामाजिक और आर्थिक असर किन समुदायों पर पड़ता है? (2 अंक)
उत्तर: किसानों, मछुआरों और वनों पर निर्भर समुदायों पर।


(vi) तकनीक पर्यावरण-संरक्षण में कैसे मदद कर सकती है? (2 अंक)
उत्तर: नवीकरणीय ऊर्जा, जल-शोधन और हरित निर्माण तकनीकों से पर्यावरण पर दबाव घटता है।


(vii) “प्रकृति का स्वास्थ्य हमारे अस्तित्व का आधार है” — आशय स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: यदि प्रकृति संतुलित और स्वस्थ होगी तो ही मानव जीवन सुरक्षित और समृद्ध रह सकता है; प्रकृति का नुकसान सीधे हमारे अस्तित्व को खतरे में डालता है।

यात्रा केवल स्थान-परिवर्तन नहीं, बल्कि दृष्टिकोण-परिवर्तन भी है। जब कोई व्यक्ति अपने परिचित परिवेश से बाहर निकलता है, तो वह नई भाषाओं, संस्कृतियों और जीवन-शैलियों से परिचित होता है। यह अनुभव उसे न केवल आनंद देता है, बल्कि उसकी सोच और सहनशीलता को भी विस्तृत करता है।


प्राचीन काल में यात्राएँ व्यापार, तीर्थ और शिक्षा के लिए की जाती थीं। व्यापारी दूर देशों से वस्तुएँ लाते थे, तीर्थयात्री धार्मिक स्थलों का दर्शन करते थे और विद्यार्थी प्रसिद्ध गुरुकुलों में अध्ययन के लिए निकलते थे। इन यात्राओं से न केवल आर्थिक और धार्मिक संपर्क बढ़े, बल्कि कला, साहित्य और विज्ञान का भी आदान-प्रदान हुआ।


आज यात्रा के साधन तेज़ और आरामदायक हो गए हैं। विमान, रेल और सड़क मार्ग से दूरस्थ स्थान भी कुछ घंटों में पहुँच जाते हैं। लेकिन इसके साथ एक खतरा भी है—तेज़ रफ़्तार यात्रा में कभी-कभी गंतव्य की संस्कृति और अनुभव को गहराई से समझने का समय नहीं मिल पाता। इसलिए “धीमी यात्रा” (Slow Travel) का विचार लोकप्रिय हो रहा है, जिसमें व्यक्ति कम स्थानों पर जाता है, पर वहाँ अधिक समय बिताकर स्थानीय जीवन में घुल-मिल जाता है।


यात्रा व्यक्ति को विनम्र बनाती है; उसे यह अहसास दिलाती है कि दुनिया कितनी विशाल और विविध है, और उसमें उसका स्थान कितना छोटा है। यही विनम्रता उसे बेहतर इंसान बनाती है।
प्रश्न–उत्तर (कुल 10 अंक)
(i) यात्रा का वास्तविक अर्थ क्या बताया गया है? (1 अंक)
(A) स्थान बदलना
(B) दृष्टिकोण बदलना
(C) आराम करना
(D) काम से छुट्टी लेना
उत्तर: (B) दृष्टिकोण बदलना


(ii) प्राचीन काल में यात्रा के कौन-से उद्देश्य थे? (1 अंक)
(A) व्यापार, तीर्थ, शिक्षा
(B) केवल व्यापार
(C) केवल तीर्थ
(D) केवल शिक्षा
उत्तर: (A) व्यापार, तीर्थ, शिक्षा


(iii) “धीमी यात्रा” का मुख्य लाभ क्या है? (1 अंक)
(A) कम खर्च
(B) अधिक स्थान देखना
(C) स्थानीय संस्कृति को गहराई से जानना
(D) जल्दी घर लौटना
उत्तर: (C) स्थानीय संस्कृति को गहराई से जानना


(iv) तीर्थयात्राओं का एक महत्त्वपूर्ण परिणाम लिखिए। (1 अंक)
उत्तर: धार्मिक संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ा।


(v) प्राचीन यात्राओं से कला और साहित्य को क्या लाभ हुआ? (2 अंक)
उत्तर: अलग-अलग क्षेत्रों की कलाओं, कहानियों और शैलियों का मेल हुआ, जिससे साहित्य समृद्ध हुआ और नई कलात्मक धाराएँ बनीं।


(vi) आधुनिक तेज़ रफ़्तार यात्रा का एक नकारात्मक पहलू लिखिए। (2 अंक)
उत्तर: गंतव्य की संस्कृति और अनुभव को गहराई से समझने का समय नहीं मिलता।


(vii) यात्रा व्यक्ति को विनम्र कैसे बनाती है? (2 अंक)
उत्तर: यात्रा व्यक्ति को दुनिया की विशालता और विविधता का अनुभव कराती है, जिससे वह अपने सीमित स्थान को समझता है और दूसरों के प्रति सहनशील और संवेदनशील बनता है।

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अपठित पद्यांश 1


मैं नदी की तरह बहना चाहूँ,
पर्वत की गोद से निकलकर,
पत्थरों से बात करूँ,
रास्तों में मोड़ बनाऊँ।
मैं वरदान नहीं, श्रम का अवसर चाहूँ,
घाटियों की चुप्पी में अपना गीत सुनाऊँ।
बादल रूठें तो भी मैं
भूमि तक पानी का संदेश पहुँचाऊँ।
रुकावटें मेरे लिए दर्पण हैं,
जिनमें मैं अपना धैर्य पहचानूँ।
भाग्य के सोते सूखें तो क्या—
मेहनत का झरना मैं खुद उफनाऊँ।


प्रश्न–उत्तर (कुल 8 अंक)
(i) कवि अपनी तुलना मुख्यतः किससे करता है? (1 अंक)
(A) पर्वत
(B) बादल
(C) नदी
(D) दीपक
उत्तर: (C) नदी


(ii) कथन–कारण जाँचिए। (1 अंक)
कथन: कवि भाग्य पर निर्भर रहने का पक्षधर है।
कारण: कवि श्रम और निरंतर बहाव को जीवन का मार्ग मानता है।
(A) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।
(B) कथन और कारण दोनों गलत हैं।
(C) कथन सही है और कारण, कथन की सही व्याख्या करता है।
(D) कथन सही है, किंतु कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर: (A) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।


(iii) “पत्थरों से बात करूँ” पंक्ति का आशय है— (1 अंक)
(A) पत्थरों से कल्पना में संवाद करना
(B) रुकावटों को अवसर में बदलना
(C) चुप रहना
(D) मार्ग छोड़ देना
उत्तर: (B) रुकावटों को अवसर में बदलना


(iv) कवि वरदान के स्थान पर क्या चाहता है? (1 अंक)
उत्तर: वरदान के स्थान पर श्रम का अवसर और परिणाम अपनी मेहनत से प्राप्त करना।


(v) कविता का मुख्य संदेश स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: जीवन में भाग्य पर नहीं, सतत परिश्रम और धैर्य पर विश्वास करना चाहिए; बाधाएँ रास्ता बताने वाले संकेत हैं, उनसे घबराकर नहीं, उनसे सीखकर आगे बढ़ना ही सफलता है।

(vi) “नदी” रूपक कविता के भाव को कैसे सशक्त बनाता है? (2 अंक)
उत्तर: नदी निरंतरता, श्रम, दिशा बनाना और लक्ष्य-प्राप्ति का प्रतीक है; जैसे नदी पत्थरों को काटकर भी समुद्र तक पहुँचती है, वैसे ही मनुष्य परिश्रम से रुकावटों को लांघकर उद्देश्य तक पहुँच सकता है—यह रूपक पूरे भाव को मूर्त बनाता है।



अपठित पद्यांश 2


गुरु अगर दीपक हैं तो प्रश्न उसकी लौ,
आँखों को उजियारा तभी मिलता है,
जब जिज्ञासा का तेल कम न हो।
पाठ याद कर लेना ज्ञान नहीं,
ज्ञान वह है जो समय पर साहस बन जाए—
असत्य का सामना करे,
दया को क्रोध से बचाए।
पुस्तकें पुल हैं,
पर पार हमें ही करना है;
कदम हमारे न बढ़ें, तो
किनारे भी भटक जाते हैं।
मैं चाहता हूँ कि मेरे शिष्य
सहमति नहीं, सत्य चुनें—
और असहमति में भी विनम्र बने रहें।


प्रश्न–उत्तर (कुल 8 अंक)
(i) “प्रश्न उसकी लौ” का अर्थ है— (1 अंक)
(A) प्रश्न अनावश्यक हैं
(B) प्रश्न ही ज्ञान को प्रकाश देते हैं
(C) प्रश्न से अँधेरा बढ़ता है
(D) प्रश्न केवल परीक्षा के लिए हैं
उत्तर: (B) प्रश्न ही ज्ञान को प्रकाश देते हैं


(ii) कथन–कारण जाँचिए। (1 अंक)
कथन: केवल कंठस्थ करना ही सच्चा ज्ञान है।
कारण: सच्चा ज्ञान समय पर साहस बनकर काम आता है।
(A) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।
(B) कथन और कारण दोनों सही हैं तथा कारण कथन की व्याख्या करता है।
(C) कथन सही है, कारण गलत है।
(D) दोनों गलत हैं।
उत्तर: (A) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।


(iii) “पुस्तकें पुल हैं, पर पार हमें ही करना है” का आशय— (1 अंक)
(A) पुस्तकों का कोई उपयोग नहीं
(B) पुस्तकें मार्ग दिखाती हैं, प्रयास स्वयं करना होता है
(C) पुल टूटे हुए हैं
(D) पार करना खतरनाक है
उत्तर: (B) पुस्तकें मार्ग दिखाती हैं, प्रयास स्वयं करना होता है


(iv) गुरु शिष्य से क्या अपेक्षा करता है? (1 अंक)
उत्तर: शिष्य सत्य को चुने, जिज्ञासु रहे, असहमति में भी विनम्रता बनाए रखे।


(v) कविता के अनुसार “ज्ञान” की दो विशेषताएँ लिखिए। (2 अंक)
उत्तर: (1) केवल कंठस्थ नहीं, समय पर साहस बनकर काम आता है। (2) असत्य का सामना करने और दया को क्रोध से बचाने की शक्ति देता है।


(vi) सीखने की प्रक्रिया में “प्रश्न” और “विनम्रता” का परस्पर संबंध समझाइए। (2 अंक)
उत्तर: प्रश्न जिज्ञासा से जन्म लेते हैं और सत्य तक पहुँचाते हैं; विनम्रता प्रश्नों को अहंकार से बचाती है, जिससे संवाद खुला रहता है और सीख गहरी होती है—दोनों मिलकर प्रभावी शिक्षा बनाते हैं।



अपठित पद्यांश 3


शहर की भोर अब भी चिड़ियों से जागती है,
भले ही शीशों की इमारतें आकाश को छूती हों।
एक दूधिया धूप फुटपाथ पर बिखरती है,
और मजदूर का टिफ़िन उम्मीद की तरह गर्म रहता है।
मैंने देखा—रेड़ीवाला अपने पहियों में
कल की थकान बाँधकर भी मुस्कुराता है;
ट्रैफ़िक की हूक के बीच
किसी बच्चे की हँसी सिग्नल पार कर जाती है।
यह शहर कठोर है, पर निर्दय नहीं;
यह भूख को जानता है,
इसलिए अन्न के प्रति श्रद्धावान है।
यहाँ हार से अधिक कहानी
फिर से उठ खड़े होने की है—
धूल झटककर, पसीना पोंछकर,
दुबारा काम पर लौट आने की है।


प्रश्न–उत्तर (कुल 8 अंक)
(i) “शहर की भोर अब भी चिड़ियों से जागती है” से क्या संकेत मिलता है? (1 अंक)
(A) शहर में भोर नहीं होती
(B) प्रकृति का स्पर्श शहर में भी मौजूद है
(C) चिड़ियाँ नुकसान पहुँचाती हैं
(D) भोर केवल गाँव में होती है
उत्तर: (B) प्रकृति का स्पर्श शहर में भी मौजूद है


(ii) कथन–कारण जाँचिए। (1 अंक)
कथन: शहर केवल कठोर है, उसमें संवेदना नहीं।
कारण: शहर भूख को जानता है और अन्न के प्रति श्रद्धा रखता है।
(A) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।
(B) कथन सही है, कारण गलत है।
(C) दोनों सही हैं और कारण कथन की व्याख्या करता है।
(D) दोनों गलत हैं।
उत्तर: (A) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।


(iii) “बच्चे की हँसी सिग्नल पार कर जाती है” का आशय— (1 अंक)
(A) बच्चा नियम तोड़ रहा है
(B) हँसी की निश्छलता शोरगुल के पार भी सुनाई देती है
(C) सिग्नल खराब है
(D) शहर अनुशासनहीन है
उत्तर: (B) हँसी की निश्छलता शोरगुल के पार भी सुनाई देती है


(iv) “यह शहर कठोर है, पर निर्दय नहीं” — कवि का तात्पर्य लिखिए। (1 अंक)
उत्तर: शहर जीवन की कठिनाइयों से भरा है, फिर भी लोगों में संवेदना, मेहनत और सहयोग की भावना जीवित है; इसलिए वह निर्दय नहीं।


(v) कविता के आधार पर शहर के दो सकारात्मक पक्ष लिखिए। (2 अंक)
उत्तर: (1) मेहनतकश लोगों का फिर से उठ खड़े होने का जज्बा। (2) अन्न/मेहनत के प्रति श्रद्धा और आशा का बने रहना (दूधिया धूप, गर्म टिफ़िन, मुस्कराहट आदि प्रतीक)।


(vi) “धूल झटककर… दुबारा काम पर लौट आना” — यह पंक्ति किस मूल्य का संकेत देती है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: यह लचीलापन और दृढ़ता का संकेत है—असफलता या थकान के बाद हार न मानना, जैसे रेड़ीवाला थकान के बावजूद मुस्कुराकर काम पर लग जाता है और मजदूर उम्मीद के साथ फिर काम शुरू करता है।

अपठित पद्यांश 4


मैंने खेत को देखा,
उसकी मिट्टी ने मेरी हथेलियाँ पहचान लीं।
बीज मैंने बोए,
पर अंकुरों को सूरज ने सहलाया,
बारिश ने चूमा।
मैंने जाना—
फसल केवल मेहनत से नहीं,
धैर्य और समय से भी पकती है।
गाँव का रास्ता हो या जीवन का,
जल्दी चलने से मंज़िल नहीं आती;
चलना पड़ता है
मौसमों की चाल से,
धरती की साँस के साथ।


प्रश्न–उत्तर (कुल 8 अंक)
(i) कवि के अनुसार फसल पकने में किन तत्वों की भूमिका है? (1 अंक)
(A) केवल मेहनत
(B) मेहनत और किस्मत
(C) मेहनत, धैर्य और समय
(D) केवल समय
उत्तर: (C) मेहनत, धैर्य और समय


(ii) कथन–कारण जाँचिए। (1 अंक)
कथन: मंज़िल तक पहुँचने के लिए जल्दबाज़ी करनी चाहिए।
कारण: कवि मानता है कि मंज़िल मौसमी और प्राकृतिक गति के साथ चलने से मिलती है।
(A) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।
(B) कथन और कारण दोनों गलत हैं।
(C) कथन सही है और कारण कथन की व्याख्या करता है।
(D) कथन सही है, किंतु कारण सही नहीं है।
उत्तर: (A) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।


(iii) “धरती की साँस के साथ” का अर्थ है— (1 अंक)
(A) धरती की ध्वनि सुनना
(B) प्रकृति के अनुरूप चलना
(C) खेत जोतना
(D) बारिश में भीगना
उत्तर: (B) प्रकृति के अनुरूप चलना


(iv) कविता से धैर्य का एक उदाहरण लिखिए। (1 अंक)
उत्तर: बीज बोने के बाद समय और मौसम के अनुसार अंकुर और फसल पकने का इंतज़ार करना।


(v) इस कविता का मुख्य संदेश क्या है? (2 अंक)
उत्तर: जीवन में सफलता केवल मेहनत से नहीं, बल्कि धैर्य, समय और परिस्थितियों के अनुकूल चलने से मिलती है।


(vi) “गाँव का रास्ता हो या जीवन का” — यह तुलना कविता के भाव को कैसे गहरा बनाती है? (2 अंक)
उत्तर: गाँव का रास्ता और जीवन, दोनों ही अपने समय और क्रम में आगे बढ़ते हैं; दोनों में जल्दबाज़ी करने से लक्ष्य नहीं मिलता। यह तुलना जीवन-यात्रा के लिए प्राकृतिक लय और धैर्य का महत्व स्पष्ट करती है।



अपठित पद्यांश 5


दीपक ने अँधेरे से कहा,
“मैं छोटा हूँ, पर हार मानूँगा नहीं।
तेरी परछाइयों में भी
मैं रोशनी की लकीर खींच दूँगा।”
तेज़ हवा आई,
लौ काँपी, पर बुझी नहीं।
क्योंकि उसे पता था—
अँधेरा तब तक जीतता है,
जब तक रोशनी हार मान ले।
मैं चाहता हूँ
कि मेरे भीतर का दीपक
हर तूफ़ान में जलता रहे,
चाहे वह केवल एक बूँद उजाला ही क्यों न दे।


प्रश्न–उत्तर (कुल 8 अंक)
(i) “मैं छोटा हूँ, पर हार मानूँगा नहीं” — कवि ने यहाँ किसका प्रतीक दिया है? (1 अंक)
(A) दीपक
(B) सूर्य
(C) बिजली
(D) चाँद
उत्तर: (A) दीपक


(ii) कथन–कारण जाँचिए। (1 अंक)
कथन: अँधेरा तब तक जीतता है, जब तक रोशनी हार मान ले।
कारण: संघर्ष में हार मानने से प्रतिकूलता हावी हो जाती है।
(A) कथन सही है, कारण सही है और कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(B) कथन सही है, किंतु कारण गलत है।
(C) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।
(D) दोनों गलत हैं।
उत्तर: (A) कथन सही है, कारण सही है और कारण कथन की सही व्याख्या करता है।


(iii) “रोशनी की लकीर खींच दूँगा” का आशय— (1 अंक)
(A) दीवार पर रेखा बनाना
(B) अँधेरे में उम्मीद और प्रकाश फैलाना
(C) सड़क पर चाकू चलाना
(D) काग़ज़ पर कुछ लिखना
उत्तर: (B) अँधेरे में उम्मीद और प्रकाश फैलाना


(iv) कविता का मुख्य प्रतीक क्या है और क्यों? (1 अंक)
उत्तर: दीपक — यह साहस, उम्मीद और संघर्ष का प्रतीक है।


(v) इस कविता से मिलने वाला संदेश लिखिए। (2 अंक)
उत्तर: कठिन परिस्थितियों में भी आशा और साहस बनाए रखना चाहिए; छोटी-सी कोशिश भी अँधेरे को चुनौती दे सकती है।


(vi) “चाहे वह केवल एक बूँद उजाला ही क्यों न दे” — इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: छोटी-सी सकारात्मकता और आशा भी निराशा और भय को कम करने में सक्षम है; इसलिए हर परिस्थिति में कुछ न कुछ अच्छा करने का प्रयास करना चाहिए।



अपठित पद्यांश 6


समुद्र ने लहर से कहा,
“तू मुझसे अलग नहीं,
पर तेरी यात्रा अपनी है।”
लहर ने मुस्कुराकर उत्तर दिया,
“तेरा विस्तार मेरी ताक़त है,
पर मेरी गति मेरा अस्तित्व।”
किनारा दोनों का सपना है,
पर पहुँचने के बाद
लौटना भी ज़रूरी है—
क्योंकि जीवन केवल मंज़िल पाना नहीं,
मंज़िल से लौटकर
नई यात्रा शुरू करना भी है।

प्रश्न–उत्तर (कुल 8 अंक)
(i) लहर अपनी पहचान किससे जोड़ती है? (1 अंक)
(A) अपनी गति से
(B) अपने रंग से
(C) अपने आकार से
(D) अपने शोर से
उत्तर: (A) अपनी गति से


(ii) कथन–कारण जाँचिए। (1 अंक)
कथन: जीवन केवल मंज़िल पाना है।
कारण: कविता के अनुसार जीवन नई यात्राएँ शुरू करने का क्रम है।
(A) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।
(B) कथन और कारण दोनों सही हैं।
(C) कथन सही है, कारण गलत है।
(D) दोनों गलत हैं।
उत्तर: (A) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।


(iii) “किनारा दोनों का सपना है” — यहाँ ‘दोनों’ से आशय है— (1 अंक)
(A) समुद्र और लहर
(B) लहर और नाव
(C) नाव और किनारा
(D) लहर और यात्री
उत्तर: (A) समुद्र और लहर


(iv) कविता में समुद्र किसका प्रतीक है? (1 अंक)
उत्तर: विशालता, सहारा और जीवन का आधार।


(v) कविता का मुख्य संदेश स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: जीवन में सहारा और सहयोग आवश्यक है, परंतु अपनी गति, पहचान और नई यात्राएँ शुरू करने की क्षमता भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है।


(vi) “मंज़िल से लौटकर नई यात्रा शुरू करना” — यह विचार जीवन के किस मूल्य को दर्शाता है? (2 अंक)
उत्तर: यह लचीलापन, निरंतरता और आत्म-विकास का मूल्य दर्शाता है—सफलता के बाद भी रुकना नहीं, बल्कि नए लक्ष्य और अनुभव तलाशना।

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