Class 12 : हिंदी अनिवार्य – अध्याय 23. अपठित बोध
अपठित बोध
अपठित बोध 1
गद्यांश: अनेक बार व्यक्ति अपने अनियंत्रित सोशल मीडिया प्रयोग से दुखी हो जाता है और सोचता है कि अब इसे छोड़ दे। उसे मित्रों, शिक्षकों और परिजनों की प्रतिक्रियाएँ अक्सर सुधारात्मक सलाह देती रहती हैं कि समय का सदुपयोग करो, स्क्रीन-टाइम घटाओ। पर जब छोड़ने का क्षण आता है तो मन असहमत हो उठता है। फोमो (छूट जाने का भय), अकेलेपन का डर, थकान से तत्काल राहत की चाह, और ऐप्स के एल्गोरिद्म द्वारा दिए जाने वाले आसान आनंद उसे बार-बार उसी ओर लौटा लेते हैं। बार-बार असफल होने से मनोबल टूटता है; व्यक्ति अपने को कमजोर समझने लगता है और उसे लगता है कि जीवन इसी ढर्रे पर चलता रहेगा। वास्तव में मनुष्य अपने समय और शरीर का स्वामी है; वह चाह ले तो विकल्प चुन सकता है, पर सुविधा, आदतन स्मृतियाँ और बिना वैकल्पिक योजना के पुराने संकेत सक्रिय हो जाते हैं। ट्रोलिंग, तुलना, व्यर्थ बहसें और सतही प्रशंसा जैसी कुप्रवृत्तियाँ बुद्धि-विवेक के प्रतिकूल हैं; फिर भी जब व्यवहार का समय आता है, वही उँगलियाँ स्वतः स्क्रोल करने लगती हैं और बाद में पछतावा रह जाता है।
प्रश्न: (i) व्यक्ति सोशल मीडिया छोड़ना क्यों चाहता है? 1
(A) दुख का कारण होने के कारण
(B) अत्यधिक सुखद होने के कारण
(C) अवांछनीय न होने के कारण
(D) प्रशंसनीय होने के कारण
उत्तर: (A)
(ii) गद्यांश के अनुसार दूसरों की प्रतिक्रियाएँ उसे किस प्रकार का परामर्श देती हैं? 1
(A) सुधारात्मक
(B) प्रचारात्मक
(C) उपेक्षात्मक
(D) स्वीकारात्मक
उत्तर: (A)
(iii) निम्न कथनों पर विचार कीजिए:
कथन I: मन सोशल मीडिया छोड़ने के लिए सहमत हो जाता है।
कथन II: सोशल मीडिया छोड़ने के लिए कोई परामर्श नहीं मिलता।
कथन III: छोड़ने के समय मन असहमत रहता है।
कथन IV: फोमो व सुविधा के कारण व्यक्ति छोड़ने के लिए सहमत नहीं होता।
गद्यांश के अनुसार कौन-से कथन सही हैं? 1
(A) केवल कथन I और II सही हैं।
(B) केवल कथन II और III सही हैं।
(C) केवल कथन III और IV सही हैं।
(D) केवल कथन I और IV सही हैं।
उत्तर: (C)
(iv) अवांछनीय सोशल मीडिया व्यवहार की दो हानियाँ लिखिए। 1
उत्तर: अध्ययन/कार्य में बाधा और तुलना/ट्रोलिंग से चिंता व आत्महीनता बढ़ना।
(v) मनोबल टूटने का क्या परिणाम होता है? 2
उत्तर: व्यक्ति स्वयं को कमजोर समझने लगता है, सुधार असंभव प्रतीत होता है और वह जीवन को उसी ढर्रे पर चलने की कल्पना करने लगता है।
(vi) व्यक्ति कुप्रवृत्तियाँ क्यों नहीं छोड़ पाता? 2
उत्तर: फोमो, अकेलेपन/थकान से तुरंत राहत की चाह, आदतन स्मृतियाँ व ऐप-एल्गोरिद्म का आकर्षण, तथा वैकल्पिक योजना का अभाव—ये कारण उसे बाँध रखते हैं।
(vii) जिस काम को न करने की सोचता है, वही फिर क्यों करने लगता है? 2
उत्तर: समय आते ही पुराने संकेत सक्रिय हो जाते हैं; आसान आनंद निकट होता है और तैयार विकल्प न होने से उँगलियाँ स्वतः स्क्रोल करने लगती हैं।
अपठित बोध 2
गद्यांश: एक सजग नागरिक कई बार एकल-उपयोग प्लास्टिक का प्रयोग छोड़ने का निश्चय करता है। नगर निगम के अभियान, विद्यालयों की शपथ और दुकानों पर लिखे संदेश उसे बार-बार प्रचारात्मक चेतावनी देते हैं कि प्लास्टिक पृथ्वी, नदियों और जीव-जंतुओं के लिए हानिकर है। फिर भी जब खरीदारी का समय आता है, मन सुविधाभोगी होकर असहमत हो जाता है। सस्ता और हल्का होने के कारण प्लास्टिक थैला तुरंत हाथ में आ जाता है; घर से कपड़े का बैग साथ न होना, दुकानदार का पहले से पैक कर देना और जल्दी लौटने की इच्छा, व्यक्ति को उसकी प्रतिज्ञा से डिगा देती है। बार-बार चूक होने पर मनोबल टूटता है और उसे लगता है कि ‘जीरो-वेस्ट’ जीवन उसके वश का नहीं। जबकि सत्य यह है कि मनुष्य अपने चुनावों का स्वामी है; यदि वह थोड़ी तैयारी करे—जैसे स्थायी थैला साथ रखे, रीफिल का विकल्प चुने—तो परिवर्तन संभव है। प्लास्टिक नालों को जाम करता है, पशुओं के पेट में जाकर उन्हें बीमार करता है और सूक्ष्मकणों के रूप में भोजन-श्रृंखला में प्रवेश कर मानव स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है; इसलिए बुद्धि-विवेक इसके निषेध का समर्थन करता है।
प्रश्न: (i) व्यक्ति प्लास्टिक छोड़ना क्यों चाहता है? 1
(A) दुख का कारण होने के कारण
(B) अत्यधिक सुख देने के कारण
(C) अवांछनीय और हानिकर होने के कारण
(D) प्रशंसा पाने के कारण
उत्तर: (C)
(ii) गद्यांश के अनुसार उसे किस प्रकार के परामर्श/संदेश मिलते हैं? 1
(A) सुधारात्मक
(B) प्रचारात्मक
(C) उपेक्षात्मक
(D) स्वीकारात्मक
उत्तर: (B)
(iii) निम्न कथनों पर विचार कीजिए:
कथन I: मन प्लास्टिक छोड़ने के लिए सहमत हो जाता है।
कथन II: छोड़ने के लिए कोई संदेश/सलाह नहीं मिलती।
कथन III: सुविधा और सस्तेपन के कारण मन असहमत रहता है।
कथन IV: तैयारी के अभाव में व्यक्ति अपनी प्रतिज्ञा तोड़ देता है।
गद्यांश के अनुसार कौन-से कथन सही हैं? 1
(A) केवल कथन I और II सही हैं।
(B) केवल कथन II और III सही हैं।
(C) केवल कथन III और IV सही हैं।
(D) केवल कथन I और IV सही हैं।
उत्तर: (C)
(iv) अवांछनीय प्लास्टिक-प्रयोग की दो हानियाँ लिखिए। 1
उत्तर: नालों/नदियों का जाम होकर प्रदूषण बढ़ना, पशुओं व मनुष्यों के स्वास्थ्य पर सूक्ष्मप्लास्टिक का दुष्प्रभाव।
(v) मनोबल टूटने पर व्यक्ति क्या सोचने लगता है? 2
उत्तर: उसे लगता है कि ‘जीरो-वेस्ट’ या पर्यावरण-अनुकूल जीवन उसके बस का नहीं; वह अपनी क्षमता पर संदेह करने लगता है और प्रयास ढीले पड़ जाते हैं।
(vi) व्यक्ति प्लास्टिक की कुप्रवृत्ति क्यों नहीं छोड़ पाता? 2
उत्तर: तात्कालिक सुविधा/सस्तापन, दुकानदार का तुरंत पैक कर देना, घर से वैकल्पिक थैला साथ न होना और जल्दी लौटने की चाह—ये कारण उसे रोकते हैं।
(vii) जिस काम को न करने की ठानता है, वही फिर क्यों करता है? 2
उत्तर: व्यवहार के समय सुविधा हावी हो जाती है; तैयारी न होने से पुराना ढर्रा अपन जाता है और वह प्लास्टिक थैला ले लेता है।
अपठित बोध 3
गद्यांश: टालमटोल मनोवृत्ति अनेक युवाओं को पछतावे से भर देती है। समयसीमाएँ चूक जाने, अवसर हाथ से निकल जाने और गुणवत्ता घटने से वे दुखी होकर निश्चय करते हैं कि अब विलंब नहीं करेंगे। शिक्षक और मार्गदर्शक उन्हें सुधारात्मक परामर्श देते हैं—कार्य को छोटे हिस्सों में बाँटो, प्राथमिकता तय करो। किंतु जब काम शुरू करने का क्षण आता है, मन असहमत हो उठता है; आसान मनोरंजन का आकर्षण, असफलता का भय और बड़े कार्य का बोझ उन्हें रोक देता है। बार-बार योजना टूटने से आत्मविश्वास घटता है; व्यक्ति स्वयं को आलसी या अयोग्य समझने लगता है, जबकि सत्य यह है कि वह अपने समय का स्वामी है। स्पष्ट लक्ष्य, छोटी शुरुआत और निश्चित दिनचर्या से टालमटोल पर नियंत्रण पाया जा सकता है; पर बिना योजना के पुरानी आदतें लौट आती हैं और वही काम, जिसे न करने का निश्चय था, फिर होने लगता है।
प्रश्न: (i) टालमटोल छोड़ने का निश्चय व्यक्ति क्यों करता है? 1
(A) दुख का कारण बनने के कारण
(B) अत्यधिक सुख देने के कारण
(C) अवांछनीय न होने के कारण
(D) प्रशंसनीय होने के कारण
उत्तर: (A)
(ii) गद्यांश के अनुसार उसे किस प्रकार का परामर्श मिलता है? 1
(A) सुधारात्मक
(B) प्रचारात्मक
(C) उपेक्षात्मक
(D) स्वीकारात्मक
उत्तर: (A)
(iii) निम्न कथनों पर विचार कीजिए:
कथन I: मन टालमटोल छोड़ने के लिए सहज ही सहमत हो जाता है।
कथन II: छोड़ने के लिए कोई सलाह नहीं मिलती।
कथन III: काम शुरू करने के समय मन असहमत रहता है।
कथन IV: आसान मनोरंजन व असफलता के भय से व्यक्ति रुक जाता है।
गद्यांश के अनुसार कौन-से कथन सही हैं? 1
(A) केवल कथन I और II सही हैं।
(B) केवल कथन II और III सही हैं।
(C) केवल कथन III और IV सही हैं।
(D) केवल कथन I और IV सही हैं।
उत्तर: (C)
(iv) टालमटोल की दो हानियाँ लिखिए। 1
उत्तर: समयसीमाएँ चूकना और कार्य-गुणवत्ता का गिरना।
(v) मनोबल टूटने का परिणाम क्या बताया गया है? 2
उत्तर: व्यक्ति स्वयं को आलसी/अयोग्य मानने लगता है और लक्ष्य अप्राप्य प्रतीत होते हैं।
(vi) व्यक्ति कुप्रवृत्ति छोड़ने में असफल क्यों होता है? 2
उत्तर: आसान मनोरंजन का आकर्षण, असफलता का भय, कार्य का बोझ बड़ा दिखना और स्पष्ट, छोटी-छोटी चरणबद्ध योजना का अभाव।
(vii) जिसे न करने का निश्चय किया, वही काम फिर क्यों होने लगता है? 2
उत्तर: समय आते ही पुरानी आदतें सक्रिय हो जाती हैं; बिना दिनचर्या/विकल्प के मन असहमत रहता है और व्यक्ति फिर टालमटोल करने लगता है।
अपठित बोध 4
गद्यांश:
स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही धीरे-धीरे गंभीर रोगों का कारण बन जाती है। कई लोग बार-बार यह सोचते हैं कि अब वे नियमित व्यायाम करेंगे, समय पर भोजन लेंगे और पर्याप्त नींद लेंगे, परंतु सुविधा, आलस्य और व्यस्तता के कारण यह निश्चय टिक नहीं पाता। डॉक्टरों की सलाह, स्वास्थ्य शिविर और परिवार के आग्रह उन्हें सुधारात्मक संदेश देते रहते हैं। फिर भी जब सुबह उठने या अस्वस्थ भोजन से बचने का समय आता है, मन असहमत हो जाता है। त्वरित आनंद, जैसे जंक फूड का स्वाद या टीवी देखने की आदत, स्वस्थ दिनचर्या को पीछे धकेल देते हैं। कई बार असफल होने के बाद व्यक्ति का मनोबल घटता है और उसे लगता है कि वह कभी भी अपनी आदतें नहीं बदल पाएगा। वास्तविकता यह है कि व्यक्ति अपने शरीर का स्वामी है; अगर वह थोड़ी योजना, अनुशासन और प्रेरणा बनाए रखे तो बदलाव संभव है। परंतु योजना के अभाव में पुराने व्यवहार फिर हावी हो जाते हैं।
प्रश्न:
(i) स्वास्थ्य दिनचर्या अपनाने का निश्चय व्यक्ति क्यों करता है? 1
(A) दुख का कारण बनने के कारण
(B) अत्यधिक सुख देने के कारण
(C) अवांछनीय न होने के कारण
(D) प्रशंसनीय होने के कारण
उत्तर: (A)
(ii) गद्यांश के अनुसार उसे किस प्रकार का परामर्श मिलता है? 1
(A) सुधारात्मक
(B) प्रचारात्मक
(C) उपेक्षात्मक
(D) स्वीकारात्मक
उत्तर: (A)
(iii) निम्न कथनों पर विचार कीजिए:
कथन I: व्यक्ति स्वास्थ्य दिनचर्या छोड़ने के लिए सहमत हो जाता है।
कथन II: स्वास्थ्य सुधार के लिए कोई सलाह नहीं मिलती।
कथन III: त्वरित आनंद और आलस्य से मन असहमत हो जाता है।
कथन IV: योजना के अभाव में पुराने व्यवहार लौट आते हैं।
गद्यांश के अनुसार कौन-से कथन सही हैं? 1
(A) केवल कथन I और II सही हैं।
(B) केवल कथन II और III सही हैं।
(C) केवल कथन III और IV सही हैं।
(D) केवल कथन I और IV सही हैं।
उत्तर: (C)
(iv) स्वास्थ्य लापरवाही की दो हानियाँ लिखिए। 1
उत्तर: गंभीर रोगों का खतरा और शारीरिक क्षमता में कमी।
(v) मनोबल टूटने का परिणाम क्या है? 2
उत्तर: व्यक्ति सोचने लगता है कि वह अपनी आदतें कभी नहीं बदल पाएगा और प्रयास छोड़ देता है।
(vi) व्यक्ति अच्छी दिनचर्या क्यों नहीं अपना पाता? 2
उत्तर: त्वरित आनंद का आकर्षण, आलस्य, व्यस्तता और योजना का अभाव।
(vii) जिस कार्य को न करने की सोचता है, वही क्यों करने लगता है? 2
उत्तर: समय आने पर पुरानी आदतें हावी हो जाती हैं और बिना स्पष्ट योजना के व्यक्ति फिर अस्वस्थ व्यवहार करने लगता है।
अपठित बोध 5
गद्यांश:
पर्यावरण संरक्षण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। प्रदूषण, वनों की कटाई और जलस्रोतों का दोहन मनुष्य और प्रकृति दोनों के लिए विनाशकारी है। अनेक लोग संकल्प लेते हैं कि वे पानी, बिजली और कागज की बचत करेंगे तथा पेड़ लगाएंगे। विद्यालयों और संगठनों द्वारा उन्हें प्रचारात्मक एवं सुधारात्मक परामर्श मिलता है। लेकिन जब व्यक्तिगत सुविधा या लाभ का अवसर आता है, तो मन असहमत हो जाता है। एसी चलाना, प्लास्टिक का प्रयोग करना या अनावश्यक प्रिंट निकालना—ये व्यवहार पुराने ढर्रे की तरह लौट आते हैं। लगातार असफल होने पर व्यक्ति को लगता है कि वह अकेला बदलाव नहीं ला सकता। जबकि सच्चाई यह है कि हर व्यक्ति के छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। सामूहिक चेतना और व्यक्तिगत अनुशासन ही इस समस्या का समाधान है।
प्रश्न:
(i) व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण का संकल्प क्यों लेता है? 1
(A) दुख का कारण बनने के कारण
(B) सुख मिलने के कारण
(C) अवांछनीय स्थिति के कारण
(D) प्रशंसा पाने के कारण
उत्तर: (C)
(ii) गद्यांश के अनुसार उसे किस प्रकार का परामर्श मिलता है? 1
(A) सुधारात्मक और प्रचारात्मक
(B) उपेक्षात्मक
(C) उपदेशात्मक
(D) स्वीकारात्मक
उत्तर: (A)
(iii) निम्न कथनों पर विचार कीजिए:
कथन I: व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण छोड़ने के लिए सहमत हो जाता है।
कथन II: संरक्षण हेतु कोई सलाह नहीं मिलती।
कथन III: व्यक्तिगत सुविधा के कारण मन असहमत हो जाता है।
कथन IV: अकेले बदलाव न ला पाने की सोच मनोबल तोड़ती है।
गद्यांश के अनुसार कौन-से कथन सही हैं? 1
(A) केवल कथन I और II सही हैं।
(B) केवल कथन III और IV सही हैं।
(C) केवल कथन II और III सही हैं।
(D) केवल कथन I और IV सही हैं।
उत्तर: (B)
(iv) पर्यावरण लापरवाही की दो हानियाँ लिखिए। 1
उत्तर: प्रदूषण बढ़ना और प्राकृतिक संसाधनों की कमी।
(v) मनोबल टूटने का परिणाम क्या है? 2
उत्तर: व्यक्ति यह मान लेता है कि उसके प्रयास बेकार हैं और वह प्रयास करना छोड़ देता है।
(vi) व्यक्ति कुप्रवृत्ति क्यों नहीं छोड़ पाता? 2
उत्तर: व्यक्तिगत सुविधा, लाभ की चाह और आदतन व्यवहार के कारण।
(vii) जिस कार्य को न करने की सोचता है, वही क्यों करता है? 2
उत्तर: सुविधा के समय पुराने ढर्रे के व्यवहार स्वतः लौट आते हैं और संकल्प टूट जाता है।
अपठित बोध 6
गद्यांश:
पढ़ाई के समय ध्यान भटकना छात्रों के लिए एक सामान्य समस्या है। वे कई बार सोचते हैं कि अब वे पूरा समय पढ़ाई को देंगे और मोबाइल, गेम्स, या टीवी से दूरी बनाएंगे। माता-पिता और शिक्षक उन्हें सुधारात्मक सुझाव देते रहते हैं। लेकिन जब पढ़ने का समय आता है, मन असहमत हो जाता है और आसानी से मनोरंजन की ओर खिंच जाता है। बार-बार असफल होने पर छात्र सोचने लगते हैं कि वे ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते। यह सोच मनोबल को और गिरा देती है। वास्तविकता यह है कि यदि वे समय-सारिणी बनाएँ, पढ़ाई के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करें और छोटे-छोटे लक्ष्य तय करें, तो ध्यान केंद्रित रखना संभव है। लेकिन बिना तैयारी के, पुराने आकर्षण फिर से हावी हो जाते हैं और वे वही करते हैं जिसे न करने का निश्चय था।
प्रश्न:
(i) छात्र ध्यान केंद्रित करने का निश्चय क्यों करते हैं? 1
(A) दुख का कारण बनने के कारण
(B) सुख मिलने के कारण
(C) अवांछनीय स्थिति के कारण
(D) प्रशंसा पाने के कारण
उत्तर: (A)
(ii) गद्यांश के अनुसार उन्हें किस प्रकार का परामर्श मिलता है? 1
(A) सुधारात्मक
(B) प्रचारात्मक
(C) उपेक्षात्मक
(D) स्वीकारात्मक
उत्तर: (A)
(iii) निम्न कथनों पर विचार कीजिए:
कथन I: छात्र ध्यान भटकाने वाली आदत छोड़ने के लिए सहमत हो जाते हैं।
कथन II: ध्यान केंद्रित करने के लिए कोई सलाह नहीं मिलती।
कथन III: मनोरंजन के आकर्षण से मन असहमत हो जाता है।
कथन IV: योजना और वातावरण के अभाव में पुराने आकर्षण लौट आते हैं।
गद्यांश के अनुसार कौन-से कथन सही हैं? 1
(A) केवल कथन I और II सही हैं।
(B) केवल कथन III और IV सही हैं।
(C) केवल कथन II और III सही हैं।
(D) केवल कथन I और IV सही हैं।
उत्तर: (B)
(iv) ध्यान भटकने की दो हानियाँ लिखिए। 1
उत्तर: पढ़ाई का समय व्यर्थ होना और परिणाम/अंक घट जाना।
(v) मनोबल टूटने का परिणाम क्या है? 2
उत्तर: छात्र सोचने लगते हैं कि वे ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते और पढ़ाई में रुचि घट जाती है।
(vi) छात्र कुप्रवृत्ति क्यों नहीं छोड़ पाते? 2
उत्तर: मनोरंजन का आकर्षण, बिना योजना और उपयुक्त वातावरण के पढ़ाई शुरू करना।
(vii) जिस कार्य को न करने की सोचते हैं, वही क्यों करते हैं? 2
उत्तर: समय आने पर पुरानी आदतें सक्रिय हो जाती हैं और बिना तैयारी के वे मनोरंजन की ओर खिंच जाते हैं।
———————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————–
अपठित पद्यांश
अपठित बोध पद्यांश 1
पद्यांश: ज्ञान का दीप ज्यों-ज्यों बाँटें, ज्योति और प्रखर हो जाती,
स्वार्थ की आन्धी में भी, सत्य दिपाकर राह दिखाती।
जो अपना अनुभव समाज से निर्भय हो साझा करते,
अज्ञान के घने बादल तब दूर-दूर तक छँटते।
रोकें यदि ज्ञान का प्रवाह, स्रोत पर पत्थर रख देते,
जीवन-नदी सूखने लगती, पग-पग पर प्यास ही देती।
फूल सुवास तभी बिखेरे, जब वो जग को अर्पित हो,
नदी तभी पवित्र कहाएँ, जब वह सबको जल देती हो।
प्रश्न: (i) ज्ञान को रोकने की तुलना किससे की गई है? 1
(A) दीपक बुझाने से
(B) स्रोत पर पत्थर रख देने से
(C) फूल तोड़ देने से
(D) नदी मोड़ देने से
उत्तर: (B)
(ii) ‘अमर हो जाना’ का आशय है— 1
(A) कभी मृत्यु न होना
(B) लोगों की स्मृति में दीर्घकाल तक बने रहना
(C) सबसे धनी हो जाना
(D) समस्त विद्याओं का जानकार हो जाना
उत्तर: (B)
(iii) कविता के केंद्रीय भाव को दर्शाने वाले कथन हैं: 1
I. ज्ञान बाँटने से उसका प्रकाश बढ़ता है
II. परहित के लिए त्याग श्रेष्ठ है
III. फूल व नदी के उदाहरण से दान/वितरण का महत्त्व समझाना
(A) केवल I
(B) केवल II
(C) (I) और (II) दोनों
(D) (I), (II) और (III) तीनों ही
उत्तर: (D)
(iv) कवि ने ‘ज्ञान बाँटना’ क्यों आवश्यक बताया है? 1
उत्तर: इससे अज्ञान का अँधेरा दूर होता है और समाज को सही दिशा मिलती है।
(v) फूल और नदी के उदाहरण का उद्देश्य क्या है? 2
उत्तर: यह दिखाना कि जैसे फूल सुगंध और नदी जल देकर अपना मूल्य बढ़ाते हैं, वैसे ही मनुष्य ज्ञान/अनुभव बाँटकर जीवन को सार्थक बनाता है।
(vi) ज्ञान का प्रवाह रोकने से जीवन ‘सूखने’ का तात्पर्य क्या है? 2
उत्तर: उन्नति रुक जाती है, जिज्ञासा क्षीण होती है और व्यक्ति/समाज दोनों प्रगति से वंचित रह जाते हैं।
अपठित बोध पद्यांश 2
पद्यांश: समय रथ का सारथी है, गति तभी सुचारु रहती,
जो क्षण को साधे योजनाबद्ध, मंज़िल अपने संग बहती।
विलंब चोर है चुपके-चुपके, श्रम का धन ले जाता,
आलस्य के जाल में फँसकर, अवसर हाथ से जाता।
बीज वही उगते हैं timely जब, ऋतु का मान किया जाए,
घड़ी नहीं रुकती पल भर भी, जो रुका—वह पछताए।
कल कह-कह दिन ढलते देखें, आज ही कर्म बनाओ,
समय-सत्य के संग चलकर, जीवन को सफल बताओ।
प्रश्न: (i) ‘समय’ की उपमा किससे दी गई है? 1
(A) दीपक
(B) रथ-सारथी
(C) सागर
(D) पर्वत
उत्तर: (B)
(ii) ‘विलंब चोर’ कहने का आशय है— 1
(A) विलंब मनोरंजन कराता है
(B) विलंब श्रम का लाभ चुरा लेता है
(C) विलंब से मित्र बढ़ते हैं
(D) विलंब से घड़ी तेज चलती है
उत्तर: (B)
(iii) कविता के केंद्रीय भाव को दर्शाने वाले कथन हैं: 1
I. समय का अनुशासन सफलता दिलाता है
II. आलस्य और विलंब अवसर नष्ट करते हैं
III. बीज-ऋतु का उदाहरण समय-पालन की शिक्षा देता है
(A) केवल I
(B) केवल II
(C) (I) और (II) दोनों
(D) (I), (II) और (III) तीनों ही
उत्तर: (D)
(iv) ‘घड़ी नहीं रुकती’ पंक्ति से क्या संदेश मिलता है? 1
उत्तर: समय सतत गतिशील है; इसलिए हमें भी निरंतर कर्म करते रहना चाहिए।
(v) कवि ने ‘कल’ की प्रतीक्षा न करने की सलाह क्यों दी है? 2
उत्तर: क्योंकि कल की प्रतीक्षा करते-करते अवसर निकल जाते हैं; लक्ष्य तभी मिलता है जब कार्य ‘आज’ से आरम्भ हो।
(vi) बीज और ऋतु का उदाहरण देकर कवि क्या स्पष्ट करता है? 2
उत्तर: सही समय पर सही प्रयास—जैसे समयानुकूल बोआई—से ही फल मिलता है; समय-अनुशासन सफलता की शर्त है।
अपठित बोध पद्यांश 3
पद्यांश: सत्य की राह कठिन सही, पर मन को दृढ़ता देती,
भय की काली परछाईं भी, दीपक-सी श्रद्धा से रेतती।
जो क्षणिक लाभ हेतु कपट से समझौता कर लेते,
अंतर्मन में खालीपन का मरुस्थल वे ही बो लेते।
पर्वत-सा अडिग संकल्प रखो, अन्याय से मत डरना,
छोटी लौ भी दीर्घ अँधेरों में साहस सिखा देगी करना।
सत्य के संग चलने वाला, गिरकर भी उठता फिर-फिर,
लोक-विश्वास में अमिट छाप—a मर्यादा का पथ निरंतर।
प्रश्न: (i) ‘भय’ की तुलना किससे की गई है? 1
(A) सागर से
(B) परछाईं से
(C) पर्वत से
(D) आँधी से
उत्तर: (B)
(ii) ‘अडिग’ शब्द का सबसे उपयुक्त अर्थ है— 1
(A) चंचल
(B) अचल/अटल
(C) नम्र
(D) क्रोधित
उत्तर: (B)
(iii) कविता के केंद्रीय भाव को दर्शाने वाले कथन हैं: 1
I. सत्य के लिए साहस आवश्यक है
II. कपट से मिला लाभ अंततः शून्यता देता है
III. दीपक और पर्वत के उदाहरण साहस/दृढ़ता सिखाते हैं
(A) केवल I
(B) केवल II
(C) (I) और (II) दोनों
(D) (I), (II) और (III) तीनों ही
उत्तर: (D)
(iv) कवि ‘अन्याय से मत डरना’ क्यों कहता है? 1
उत्तर: क्योंकि साहस ही सत्य-पालन का आधार है; भय से सत्य का मार्ग छूट जाता है।
(v) ‘छोटी लौ’ की उपमा का तात्पर्य क्या है? 2
उत्तर: अल्प साधन/कम शक्ति होने पर भी निरंतर साहस से बड़ा अंधेरा (कठिनाई) दूर किया जा सकता है।
(vi) सत्यमार्गी व्यक्ति लोक-विश्वास में ‘अमिट छाप’ कैसे छोड़ता है? 2
उत्तर: वह कठिन परिस्थितियों में भी समझौता नहीं करता, गिरकर भी पुनः उठता है; उसके आचरण से समाज में विश्वास, मर्यादा और प्रेरणा स्थायी रूप से स्थापित होती है।
अपठित बोध पद्यांश 4
पद्यांश:
मेहनत की मिट्टी से ही, सपनों के फूल खिलते हैं,
पसीने की बूँदें मोती बन, जीवन को सुंदर मिलते हैं।
जो कर्म में मन लगाते हैं, किस्मत भी साथ निभाती है,
जो भाग्य के भरोसे बैठें, राह वहीं रुक जाती है।
हल जितना गाड़ोगे धरती में, बीज उतना फल पाएँगे,
कर्म बिना फल की आशा में, केवल समय गँवाएँगे।
मेहनत का सूरज चढ़े जहाँ, वहाँ अँधेरा टिकता नहीं,
कर्म ही जीवन की गाड़ी है, जो रुकने से चलती नहीं।
प्रश्न:
(i) मेहनत की तुलना किससे की गई है? 1
(A) मिट्टी से
(B) मोती से
(C) सूरज से
(D) हल से
उत्तर: (A)
(ii) ‘कर्म बिना फल की आशा’ का आशय है— 1
(A) परिश्रम के बिना सफलता की चाह रखना
(B) भाग्य को दोष देना
(C) समय का सही उपयोग करना
(D) भाग्य और कर्म का मेल
उत्तर: (A)
(iii) कविता के केंद्रीय भाव को दर्शाने वाले कथन हैं: 1
I. मेहनत से ही सफलता मिलती है
II. कर्म के बिना भाग्य अधूरा है
III. सूरज का उदाहरण मेहनत के प्रकाश को दर्शाता है
(A) केवल I
(B) केवल II
(C) (I) और (II) दोनों
(D) (I), (II) और (III) तीनों ही
उत्तर: (D)
(iv) ‘मेहनत का सूरज’ का तात्पर्य क्या है? 1
उत्तर: निरंतर परिश्रम जो जीवन से अंधकार और असफलता दूर करता है।
(v) हल और बीज का उदाहरण यहाँ किस उद्देश्य से दिया गया है? 2
उत्तर: यह बताने के लिए कि जितना अधिक परिश्रम और तैयारी होगी, उतना ही अच्छा और अधिक फल मिलेगा।
(vi) भाग्य के भरोसे बैठने से राह क्यों रुक जाती है? 2
उत्तर: क्योंकि बिना कर्म के भाग्य भी सहायता नहीं करता और व्यक्ति लक्ष्य से दूर रह जाता है।
अपठित बोध पद्यांश 5
पद्यांश:
ईमानदारी की राह कठिन, पर फल उसका मीठा होता,
झूठ के संग चलने वाला, अंत में खाली हाथ होता।
सत्य भले ही धीमी गति से अपनी मंज़िल पाता है,
पर वह विश्वास और सम्मान का दीप जग में जलाता है।
लोभ-लालच की आँधी जब मन को डिगाने आती है,
सच्चा इंसान पर्वत-सा अडिग खड़ा रह जाता है।
धन से बढ़कर नाम है, नाम से बढ़कर कर्म महान,
सत्य ही देता जीवन को अमरता का सम्मान।
प्रश्न:
(i) ईमानदारी का फल कैसा बताया गया है? 1
(A) कड़वा
(B) मीठा
(C) बेमतलब
(D) कठिन
उत्तर: (B)
(ii) ‘पर्वत-सा अडिग’ कहने का आशय है— 1
(A) हिलना-डुलना
(B) मजबूती से टिके रहना
(C) ऊँचा होना
(D) चुप रहना
उत्तर: (B)
(iii) कविता के केंद्रीय भाव को दर्शाने वाले कथन हैं: 1
I. ईमानदारी कठिन है पर फलदायी है
II. लोभ और लालच जीवन को बिगाड़ते हैं
III. सत्य ही अमरता का मार्ग है
(A) केवल I
(B) केवल II
(C) (I) और (II) दोनों
(D) (I), (II) और (III) तीनों ही
उत्तर: (D)
(iv) लोभ-लालच की आँधी आने पर सच्चा इंसान क्या करता है? 1
उत्तर: वह अपने सिद्धांतों पर पर्वत-सा अडिग खड़ा रहता है।
(v) ‘धन से बढ़कर नाम, नाम से बढ़कर कर्म’ पंक्ति का आशय क्या है? 2
उत्तर: यह बताने के लिए कि धन अस्थायी है, नाम स्थायी हो सकता है, पर अच्छे कर्म सबसे महान और अमर होते हैं।
(vi) सत्य का दीप जग में क्यों जलाना चाहिए? 2
उत्तर: क्योंकि यह लोगों के मन में विश्वास, सम्मान और प्रेरणा जगाता है और समाज को नैतिक दिशा देता है।
अपठित बोध पद्यांश 6
पद्यांश:
प्रकृति का प्रेम अमूल्य है, यह जीवन को रंग देता है,
पक्षी की चहचह, फूलों की खुशबू मन को उमंग देता है।
नदी का कलकल, पहाड़ों की शांति मन को विश्राम कराती,
हरी-भरी धरती हर मौसम में नये गीत सुनाती।
जो प्रकृति का सम्मान करे, वह सच्चा सुख पाता है,
जो इसे नष्ट करे, वह जीवन में खालीपन लाता है।
पेड़, नदी, पर्वत सभी धरती के रक्षक हैं,
इनके बिना मनुष्य के सपने भी अधूरे और फीके हैं।
प्रश्न:
(i) प्रकृति के प्रेम को कैसा बताया गया है? 1
(A) मूल्यवान
(B) अमूल्य
(C) सस्ता
(D) कठिन
उत्तर: (B)
(ii) ‘धरती के रक्षक’ से अभिप्राय है— 1
(A) मनुष्य
(B) पर्वत, पेड़, नदी
(C) फूल और पक्षी
(D) ऋतुएँ
उत्तर: (B)
(iii) कविता के केंद्रीय भाव को दर्शाने वाले कथन हैं: 1
I. प्रकृति जीवन को सुख देती है
II. प्रकृति का सम्मान आवश्यक है
III. प्रकृति नष्ट करने से जीवन अधूरा हो जाता है
(A) केवल I
(B) केवल II
(C) (I) और (II) दोनों
(D) (I), (II) और (III) तीनों ही
उत्तर: (D)
(iv) ‘हरी-भरी धरती’ पंक्ति का आशय क्या है? 1
उत्तर: जीवन से भरपूर और प्राकृतिक सौंदर्य से सजी हुई धरती।
(v) प्रकृति का सम्मान करना क्यों आवश्यक है? 2
उत्तर: क्योंकि यह मनुष्य को सुख, शांति, स्वच्छता और जीवन के लिए आवश्यक संसाधन देती है।
(vi) पेड़, नदी, पर्वत को ‘धरती के रक्षक’ क्यों कहा गया है? 2
उत्तर: क्योंकि ये धरती की जलवायु, जलस्रोत और पारिस्थितिकी का संतुलन बनाए रखते हैं और जीवन के लिए आवश्यक हैं।
———————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————–