Class 12 : हिंदी अनिवार्य – अध्याय 10.भक्तिन
संक्षिप्त लेखक परिचय
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फर्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। वे हिंदी की सुप्रसिद्ध कवयित्री, लेखिका, निबंधकार और चित्रकार थीं। उन्हें छायावाद युग की प्रमुख स्तंभ कवयित्री माना जाता है। उनकी रचनाओं में करुणा, पीड़ा, सौंदर्य और नारी संवेदना का अद्भुत चित्रण मिलता है। वे नारी स्वाभिमान और स्वतंत्रता की प्रखर समर्थक थीं। साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘महाकवि’ और ‘आधुनिक मीरा’ भी कहा गया। उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्मभूषण, पद्मविभूषण सहित अनेक सम्मान प्राप्त हुए।
प्रमुख रचनाएँ (कविता एवं गद्य संग्रह):
1️⃣ यामा
2️⃣ नीहार
3️⃣ रश्मि
4️⃣ सांध्यगीत
महादेवी वर्मा का निधन 11 सितम्बर 1987 को हुआ। वे हिंदी साहित्य की अमर विभूति हैं।
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन

🌸 परिचय
“भक्तिन” महादेवी वर्मा का प्रसिद्ध संस्मरणात्मक रेखाचित्र है, जो उनकी प्रसिद्ध कृति ‘स्मृति की रेखाएँ’ में संकलित है। यह कक्षा 12 के NCERT आरोह भाग-2 का महत्वपूर्ण पाठ है, जो हिंदी साहित्य में संस्मरणात्मक लेखन का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करता है।
🟢
🔷 लेखिका परिचय
👩🎓 महादेवी वर्मा (1907-1987) हिंदी साहित्य के छायावादी युग की प्रमुख कवयित्री थीं।
🌼 उन्हें आधुनिक युग की मीरा भी कहा जाता है।
🎓 उन्होंने संस्कृत में एम.ए. किया और प्रयाग-महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या के रूप में कार्य किया।
🟢
🔷 पाठ का प्रतिपाद्य
📖 इस रेखाचित्र में महादेवी वर्मा ने अपनी सेविका भक्तिन के अतीत और वर्तमान का परिचय देते हुए उसके व्यक्तित्व का दिलचस्प खाका खींचा है।
💠 लेखिका ने दिखाया कि कैसे भक्तिन ने संघर्षशील, स्वाभिमानी और कर्मठ जीवन जिया।
💠 पितृसत्तात्मक मान्यताओं और छल-छद्म समाज में अपने और अपनी बेटियों के हक की लड़ाई लड़ी और अंततः जीवन की राह बदलने का निर्णय लिया।
🟢
🔷 मुख्य पात्र – भक्तिन
🌼 भक्तिन का शारीरिक रूप:
छोटे कद, दुबला शरीर, पतले होंठ, छोटी आंखें, गले में कंठी-माला पहनने वाली महिला।
🌼 नामकरण:
उसका वास्तविक नाम लछमिन (लक्ष्मी) था, लेकिन उसने लेखिका से अपने नाम का प्रयोग न करने की प्रार्थना की।
➡️ महादेवी वर्मा ने उसे ‘भक्तिन’ नाम दिया।
🌼 सेवा-भाव:
भक्तिन में हनुमान जी जैसा सेवा-धर्म था।
वह महादेवी की निःस्वार्थ सेवा करती और छाया की तरह साथ रहती थी।
🟢
🔷 जीवन संघर्ष
🚩 भक्तिन का जीवन संघर्षों से भरा था।
1️⃣ पाँच वर्ष में विवाह, नौ वर्ष में गौना।
2️⃣ विमाता के कारण पिता की मृत्यु का समाचार देर से मिला।
3️⃣ पति की मृत्यु के बाद दो बेटियों का पालन-पोषण।
4️⃣ जेठ-जेठानी के षड्यंत्र से बड़ी बेटी का विवाह तीतरबाज व्यक्ति से।
5️⃣ जीवन में और भी कष्ट बढ़े।
🟢
🔷 साहित्यिक महत्व
📖 रेखाचित्र की विशेषता:
➡️ यह पाठ संस्मरणात्मक रेखाचित्र की श्रेष्ठ मिसाल है।
➡️ महादेवी वर्मा ने भक्तिन के चरित्र का संवेदनशील चित्रण किया है।
📖 सामाजिक संदेश:
➡️ इस कृति में स्त्री-अस्मिता की संघर्षपूर्ण आवाज़ और
➡️ निम्नवर्गीय पात्रों की समस्याओं का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत हुआ है।
🟢
🔷 भाषा-शैली
🖋️ महादेवी वर्मा की भाषा:
➡️ संस्कृतनिष्ठ, कोमल-कांत पदावली युक्त।
➡️ प्रसाद गुण से पूर्ण।
➡️ वर्णनात्मक, भावात्मक और संवादात्मक शैली का प्रयोग।
➡️ मर्मस्पर्शिता और काव्यात्मकता का गुण।
🟢
🔷 निष्कर्ष
➡️ “भक्तिन” केवल एक रेखाचित्र नहीं, समाज के उपेक्षित वर्ग की आवाज़ है।
➡️ महादेवी वर्मा ने दिखाया कि सच्ची भक्ति और मानवीय मूल्य सामाजिक स्तर से नहीं, मन की शुद्धता और आत्मिक गहराई से होते हैं।
➡️ यह पाठ हिंदी गद्य साहित्य में संस्मरणात्मक लेखन का अमूल्य उदाहरण है, जो पाठकों को संवेदना के साथ जीवन के यथार्थ से परिचित कराता है।
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
🔷 प्रश्न 1:
भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?
🔶 उत्तर:
भक्तिन का वास्तविक नाम लछमिन (लक्ष्मी) था। लक्ष्मी धन और ऐश्वर्य की देवी मानी जाती है जबकि भक्तिन का जीवन गरीबी और संघर्षों से भरा था। अपने नाम और जीवन की इस विडंबना के कारण वह अपना नाम छुपाती थी ताकि लोग उसका उपहास न करें।
भक्तिन नाम: यह नाम महादेवी वर्मा ने रखा। उसके गले की कंठी-माला और सादगीपूर्ण वेश देखकर उन्होंने उसे ‘भक्तिन’ कहा। उसकी सेवा-भावना और निष्ठा से प्रेरित होकर यह नाम उपयुक्त समझा।
🟢
🔷 प्रश्न 2:
दो कन्या-रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। क्या इससे आप सहमत हैं?
🔶 उत्तर:
✅ हाँ, हम सहमत हैं। भक्तिन की सास ने तीन पुत्रों को जन्म दिया और जिठानियों ने भी पुत्र पैदा कर सास की बराबरी की।
➡️ भक्तिन की दो बेटियाँ होने के कारण उसकी उपेक्षा की गई।
स्त्री-स्त्री विरोध के कारण:
🔸 पुत्र-प्राप्ति की सामाजिक महत्ता।
🔸 सास-जिठानियों का ईर्ष्यापूर्ण व्यवहार।
🔸 संपत्ति हड़पने के लिए षड्यंत्र।
🔸 बेटी के विवाह के लिए अन्यायपूर्ण प्रयास।
🔸 स्त्री ही स्त्री के लिए अनेक बार दुःख का कारण बनती है।
🟢
🔷 प्रश्न 3:
भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार की स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे?
🔶 उत्तर:
➡️ पंचायत का निर्णय तर्कहीन और अन्यायपूर्ण था।
➡️ संपत्ति के लालच में भक्तिन के जेठ के बेटे ने धोखे से विवाह करवाया।
➡️ पंचायत ने बिना लड़की की इच्छा सुने एकतरफा निर्णय कर दिया।
इस घटना से सिद्ध:
🔸 स्त्री की इच्छा की अवहेलना।
🔸 पुरुषप्रधान समाज में स्त्री को संपत्ति समझा जाता है।
🔸 न्याय के नाम पर अन्याय।
🔸 स्त्री के अधिकारों का हनन।
🟢
🔷 प्रश्न 4:
“भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं।” लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?
🔶 उत्तर:
भक्तिन में सेवा-भावना के बावजूद कुछ दुर्गुण भी थे।
भक्तिन के दुर्गुण:
1️⃣ चोरी की प्रवृत्ति: पैसे छुपाकर भंडार-घर में रखना।
2️⃣ बात टालना: प्रसन्न रखने के लिए बात घुमा-फिराकर कहना।
3️⃣ शास्त्र की गलत व्याख्या: अपनी सुविधा के अनुसार शास्त्रों को घुमा देना।
4️⃣ हठधर्मिता: दूसरों को बदलना चाहती थी, खुद नहीं बदली।
5️⃣ पढ़ाई से अरुचि।
🟢
🔷 प्रश्न 5:
भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?
🔶 उत्तर:
लेखिका ने उसे सिर मुंडवाने से मना किया।
➡️ भक्तिन ने कहा – “तीरथ गए मुंडाए सिद्ध।”
➡️ यह कहावत उसने शास्त्र का हवाला बताकर कही।
➡️ जबकि यह लोक-वाक्य था, शास्त्र नहीं।
➡️ अपनी हठधर्मिता और तर्क के कारण हर बृहस्पतिवार उसका मुंडन होता रहा।
🟢
🔷 प्रश्न 6:
भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गईं?
🔶 उत्तर:
➡️ भक्तिन खुद ग्रामीण प्रवृत्ति की थी।
➡️ उसने लेखिका के भोजन और जीवन-शैली में देहाती बदलाव कर दिए।
भोजन में बदलाव:
🍲 मीठा बंद, मोटी रोटी, गाढ़ी दाल।
🍲 मकई का दलिया, मट्ठा, बाजरे के पुए।
🍲 ज्वार के भुट्टे, महुए की लपसी।
भाषा में बदलाव:
🗣️ देहाती भाषा सिखाई।
➡️ लेखिका सबकुछ स्वाद से खाने लगीं।
निष्कर्ष: लेखिका भी धीरे-धीरे देहाती स्वभाव में ढल गईं।
🟢
🌸 पाठ के आसपास (Context Based Questions)
🔷 प्रश्न 7:
भक्तिन का चरित्र-चित्रण कीजिए।
🔶 उत्तर:
सकारात्मक गुण:
✅ सेवा-भावना – हनुमान जैसी।
✅ कर्तव्यनिष्ठा।
✅ संघर्षशील जीवन।
✅ स्वाभिमान।
✅ कर्मठता।
नकारात्मक पक्ष:
❌ हठधर्मी।
❌ शास्त्र की सुविधाजनक व्याख्या।
❌ पैसे छुपाने की आदत।
❌ पढ़ाई-लिखाई में अरुचि।
🟢
🔷 प्रश्न 8:
भक्तिन के जीवन के चार चरण कौन से हैं?
🔶 उत्तर:
पहला चरण (जन्म से विवाह तक):
1️⃣ 5 वर्ष में विवाह।
2️⃣ 9 वर्ष में गौना।
3️⃣ पिता की मृत्यु की देर से जानकारी।
दूसरा चरण (विवाह के बाद):
1️⃣ दो बेटियों का जन्म।
2️⃣ जिठानियों द्वारा तिरस्कार।
3️⃣ घरेलू भेदभाव।
तीसरा चरण (पति की मृत्यु के बाद):
1️⃣ संपत्ति की रक्षा का संघर्ष।
2️⃣ बेटी की विधवावस्था।
3️⃣ पंचायत द्वारा जबरन विवाह।
4️⃣ घर छोड़ने की मजबूरी।
चौथा चरण (महादेवी के घर नौकरी):
1️⃣ लेखिका के घर सेवा।
2️⃣ नया जीवन और पहचान।
🟢
🔷 प्रश्न 9:
भक्तिन की पारिवारिक समस्याओं का वर्णन कीजिए।
🔶 उत्तर:
ससुराल में समस्याएं:
🔸 पुत्र न होने पर तिरस्कार।
🔸 खाने में भेदभाव।
🔸 सारा काम भक्तिन और बेटियों पर।
संपत्ति संबंधी समस्याएं:
🔸 हरे-भरे खेत, गाय-भैंस पर जिठानियों की लालसा।
🔸 दूसरा विवाह करने का दबाव।
🔸 बेटी से विवाह का षड्यंत्र।
न्याय व्यवस्था की समस्या:
🔸 पंचायत का अन्यायपूर्ण फैसला।
🔸 तीतरबाज से जबरन विवाह।
🟢
🔷 प्रश्न 10:
“तीरथ गए मुँडाए सिद्ध” – इस कहावत के माध्यम से लेखिका क्या दिखाना चाहती है?
🔶 उत्तर:
भक्तिन की चतुराई:
➡️ शास्त्र का हवाला देकर अपनी बात सही ठहराना।
➡️ कहावत को शास्त्र मानना।
तर्कशीलता:
➡️ हर काम के लिए तर्क देना, सही-गलत की परवाह नहीं।
हठधर्मिता:
➡️ एक बार निर्णय लिया तो अडिग।
➡️ लेखिका की मना करने पर भी सिर मुंडवाना जारी।
व्यावहारिक बुद्धि:
➡️ अशिक्षित होकर भी परिस्थिति के अनुसार काम निकालना।
निष्कर्ष:
➡️ इस उदाहरण से भक्तिन का सरल, चतुर और जिद्दी स्वभाव प्रकट होता है।
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
🌸 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ Questions)
🔷 प्रश्न 1:
भक्तिन का वास्तविक नाम क्या था?
🔸 (अ) लछमिन
🔸 (ब) गीता
🔸 (स) राधा
🔸 (द) सीता
✅ उत्तर: (अ) लछमिन
🟢
🔷 प्रश्न 2:
भक्तिन की कितनी बेटियाँ थीं?
🔸 (अ) एक
🔸 (ब) दो
🔸 (स) तीन
🔸 (द) चार
✅ उत्तर: (ब) दो
🟢
🔷 प्रश्न 3:
‘भक्तिन’ पाठ किस विधा में लिखा गया है?
🔸 (अ) कहानी
🔸 (ब) निबंध
🔸 (स) रेखाचित्र
🔸 (द) संस्मरण
✅ उत्तर: (स) रेखाचित्र
🟢
🔷 प्रश्न 4:
भक्तिन किस दिन अपना सिर मुंडवाती थी?
🔸 (अ) सोमवार
🔸 (ब) बृहस्पतिवार
🔸 (स) शुक्रवार
🔸 (द) रविवार
✅ उत्तर: (ब) बृहस्पतिवार
🟢
🔷 प्रश्न 5:
महादेवी वर्मा को किस नाम से जाना जाता है?
🔸 (अ) आधुनिक मीरा
🔸 (ब) कवि सम्राज्ञी
🔸 (स) साहित्य रानी
🔸 (द) गद्य सम्राज्ञी
✅ उत्तर: (अ) आधुनिक मीरा
🟢
🌸 लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)
🔷 प्रश्न 1:
भक्तिन अपना वास्तविक नाम क्यों छुपाती थी?
🔶 उत्तर:
भक्तिन का असली नाम लछमिन (लक्ष्मी) था, जो धन और समृद्धि का प्रतीक है। लेकिन उसका जीवन गरीबी और संघर्ष से भरा था। इस विरोधाभास के कारण वह लोगों के उपहास से बचने के लिए अपना नाम छुपाती थी।
🟢
🔷 प्रश्न 2:
भक्तिन के गले में क्या था जिसे देखकर उसका नाम रखा गया?
🔶 उत्तर:
भक्तिन के गले में कंठी-माला थी। उसकी सादगीपूर्ण वेशभूषा और सेवा-भावना देखकर महादेवी वर्मा ने उसे ‘भक्तिन’ नाम दिया।
🟢
🔷 प्रश्न 3:
भक्तिन की बेटी का विवाह किससे हुआ था?
🔶 उत्तर:
भक्तिन की **विधवा बेटी का विवाह पंचायत के अन्यायपूर्ण फैसले से उसके जेठ के लड़के के साले, जो तीतरबाज और निकम्मा था, से करवा दिया गया। पंचायत ने लड़की की इच्छा नहीं सुनी।
🟢
🔷 प्रश्न 4:
भक्तिन महादेवी को कौन सा भोजन खिलाती थी?
🔶 उत्तर:
भक्तिन ने लेखिका को मीठा भोजन बंद करवा कर देहाती भोजन खिलाना शुरू किया – गाढ़ी दाल, मोटी रोटी, मकई का दलिया, मट्ठा, बाजरे के पुए, ज्वार की खिचड़ी, सफेद महुए की लपसी।
🟢
🔷 प्रश्न 5:
भक्तिन में कौन से दुर्गुण थे?
🔶 उत्तर:
भक्तिन के दुर्गुण –
🔸 पैसे छुपाने की आदत।
🔸 बातों को घुमा-फिराकर कहना।
🔸 शास्त्रों की गलत व्याख्या।
🔸 हठधर्मी स्वभाव।
🔸 पढ़ाई-लिखाई में अरुचि।
🟢
🌸 विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (Detailed Answer Questions)
🔷 प्रश्न 1:
भक्तिन के जीवन के मुख्य संघर्षों का विस्तृत वर्णन करें।
🔶 उत्तर:
📌 प्रारंभिक जीवन:
✅ 5 वर्ष में विवाह, 9 वर्ष में गौना।
✅ पिता की मृत्यु का समाचार देर से मिला।
✅ बचपन से पारिवारिक उपेक्षा।
📌 वैवाहिक जीवन:
✅ दो बेटियों का जन्म।
✅ जिठानियों द्वारा तिरस्कार।
✅ खाने-पीने में भेदभाव, अधिक काम।
📌 विधवावस्था:
✅ पति की मृत्यु के बाद संपत्ति की रक्षा का संघर्ष।
✅ जेठ-जिठानियों के षड्यंत्र, दूसरा विवाह का दबाव।
📌 न्याय व्यवस्था का अन्याय:
✅ पंचायत का अन्यायपूर्ण फैसला।
✅ बेटी का जबरन विवाह तीतरबाज से।
✅ घर छोड़कर नौकरी करने की मजबूरी।
➡️ संपूर्ण जीवन में पितृसत्तात्मक समाज, भेदभाव और आर्थिक कठिनाइयों से संघर्ष।
🟢
🔷 प्रश्न 2:
‘तीरथ गए मुँडाए सिद्ध’ कहावत के संदर्भ में भक्तिन का व्यक्तित्व विश्लेषण करें।
🔶 उत्तर:
📌 चतुराई और व्यावहारिक बुद्धि:
✅ कहावत को शास्त्र बताकर अपनी बात को सही ठहराना।
✅ अशिक्षित होते हुए भी अत्यंत व्यावहारिक।
📌 तर्कशीलता:
✅ हर कार्य के लिए तर्क प्रस्तुत करना।
✅ सही-गलत की चिंता किए बिना अपनी बात मनवाना।
📌 हठधर्मी स्वभाव:
✅ निर्णय पर अडिग रहना।
✅ लेखिका के मना करने के बावजूद सिर मुंडवाना।
📌 आत्मविश्वास:
✅ शिक्षित लेखिका के सामने भी अपनी बात दृढ़ता से रखना।
➡️ भक्तिन में सरलता, चतुराई, नम्रता और दृढ़ता का अद्भुत मिश्रण था।
🟢
🔷 प्रश्न 3:
भक्तिन के आगमन से महादेवी के जीवन में आए परिवर्तनों का विस्तृत विवरण दें।
🔶 उत्तर:
📌 आहार संबंधी परिवर्तन:
🍲 मीठे भोजन का त्याग।
🍲 गाढ़ी दाल, मोटी रोटी, मकई का दलिया, मट्ठा, पुए, ज्वार की खिचड़ी, लपसी।
📌 भाषा संबंधी परिवर्तन:
🗣️ देहाती भाषा सीखना।
🗣️ ग्रामीण मुहावरों का प्रयोग।
📌 जीवनशैली में परिवर्तन:
✅ सादगीपूर्ण, व्यावहारिक जीवन।
✅ देहाती संस्कृति से जुड़ाव।
📌 स्वास्थ्य सुधार:
✅ प्राकृतिक भोजन से स्वास्थ्य लाभ।
✅ पाचन शक्ति में वृद्धि।
➡️ भक्तिन ने लेखिका को शहरी कृत्रिमता से हटाकर प्राकृतिक जीवन से जोड़ा।
🟢
🔷 प्रश्न 4:
पंचायत द्वारा भक्तिन की बेटी के साथ किया गया अन्याय स्त्री-अधिकारों के संदर्भ में कैसे महत्वपूर्ण है?
🔶 उत्तर:
📌 पुरुष वर्चस्व:
✅ पंचायत में पुरुषों का एकाधिकार।
✅ स्त्री के पक्ष को न सुनना।
📌 स्त्री को संपत्ति समझना:
✅ संपत्ति हड़पने के षड्यंत्र।
✅ विधवा लड़की को वस्तु समान व्यवहार।
📌 सामाजिक दबाव:
✅ पंचायत के फैसले को धर्म और समाज से जोड़ना।
✅ विरोध करने पर बहिष्कार का भय।
📌 आर्थिक शोषण:
✅ संपत्ति के लालच में मासूम का शोषण।
✅ तीतरबाज व्यक्ति से विवाह।
📌 शिक्षा व जागरूकता का अभाव:
✅ कानूनी अधिकारों की जानकारी का अभाव।
✅ अन्याय सहन करना मजबूरी।
➡️ यह घटना महिला अधिकारों की सुरक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
🟢
🔷 प्रश्न 5:
भक्तिन पाठ का व्यापक सामाजिक संदेश और समकालीन प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा करें।
🔶 उत्तर:
📌 वर्गीय भेदभाव का विरोध:
✅ निम्नवर्गीय व्यक्ति में भी उच्च मानवीय गुण।
✅ जाति-वर्ग से ऊपर उठकर व्यक्तित्व की पहचान।
📌 स्त्री-सशक्तीकरण का संदेश:
✅ आर्थिक स्वतंत्रता की आवश्यकता।
✅ शिक्षा के अधिकार का महत्व।
✅ स्त्री के संघर्ष की पहचान।
📌 मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा:
✅ सेवा-भावना और कर्तव्यपरायणता।
✅ निष्काम सेवा और त्याग की गरिमा।
📌 सामाजिक न्याय व्यवस्था में सुधार:
✅ पंचायत जैसी व्यवस्था की कमियां।
✅ महिला अधिकारों की सुरक्षा की आवश्यकता।
✅ कानूनी जागरूकता का महत्व।
📌 शिक्षा की आवश्यकता:
✅ अशिक्षा से शोषण।
✅ ज्ञान और जागरूकता का महत्व।
📌 समकालीन प्रासंगिकता:
✅ ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में सुधार की आवश्यकता।
✅ घरेलू कामगारों के अधिकार।
✅ लैंगिक न्याय और आर्थिक स्वतंत्रता।
➡️ महादेवी वर्मा ने दिखाया कि सच्ची मानवता सामाजिक स्तर से नहीं, आत्मिक गुणों से मापी जाती है।
➡️ यह संदेश आज के न्यायसंगत और समानतापूर्ण समाज निर्माण में और भी महत्वपूर्ण है।
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
अतिरिक्त ज्ञान
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
दृश्य सामग्री
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————