Class 11, Poltical Science (Hindi)

Class 11 : Poltical Science (In Hindi) – Lesson 18. धर्मनिरपेक्षता

पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन


🌟 प्रस्तावना (Introduction)
🔵 धर्मनिरपेक्षता (Secularism) आधुनिक लोकतंत्र का एक मूलभूत सिद्धांत है जो राज्य और धर्म के बीच समान दूरी बनाए रखता है।
🟢 यह सुनिश्चित करता है कि राज्य किसी एक धर्म का पक्ष न ले और सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार करे।
🟡 धर्मनिरपेक्षता का उद्देश्य नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करना और समाज में समानता व सहिष्णुता स्थापित करना है।
🔴 भारतीय संविधान ने धर्मनिरपेक्षता को न केवल राजनीतिक सिद्धांत बल्कि जीवन-मूल्य के रूप में अपनाया है।
💡 धर्मनिरपेक्षता वह विचार है जो कहता है — “राज्य सभी धर्मों का सम्मान करता है, पर किसी का पक्ष नहीं लेता।”

🏛️ मुख्य व्याख्या (Main Explanation)
🧭 1. धर्मनिरपेक्षता का अर्थ (Meaning of Secularism)
🔹 “Secularism” शब्द का अर्थ है — धर्म से स्वतंत्र रहना या धर्म के प्रति समान दृष्टिकोण रखना।
🔹 इसका अर्थ धर्म-विरोध नहीं, बल्कि धार्मिक निष्पक्षता (Religious Neutrality) है।
🔹 धर्मनिरपेक्षता नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने या न करने की पूर्ण स्वतंत्रता देती है।
💡 भारत में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है — “सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान” (Sarva Dharma Sambhava)।

⚖️ 2. धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांत (Core Principles of Secularism)
1️⃣ धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार — प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन, प्रचार और परिवर्तन करने की स्वतंत्रता।
2️⃣ राज्य की धार्मिक निष्पक्षता — राज्य किसी धर्म को बढ़ावा नहीं देता, न ही किसी का विरोध करता है।
3️⃣ समान व्यवहार — सभी धर्मों को समान दर्जा और अवसर मिलना चाहिए।
💡 इन सिद्धांतों का पालन ही सच्ची धर्मनिरपेक्षता की पहचान है।

🏛️ 3. धर्मनिरपेक्षता का ऐतिहासिक विकास (Historical Evolution of Secularism)
🔵 यूरोप में धर्मनिरपेक्षता का उदय चर्च और राज्य के संघर्ष के परिणामस्वरूप हुआ।
🟢 मध्ययुगीन यूरोप में चर्च की सत्ता बहुत शक्तिशाली थी, जिसने लोगों की स्वतंत्रता को सीमित किया।
🟡 पुनर्जागरण (Renaissance) और सुधार आंदोलन (Reformation) ने धार्मिक स्वतंत्रता और विचार स्वातंत्र्य का मार्ग प्रशस्त किया।
🔴 आधुनिक युग में धर्मनिरपेक्षता का उद्देश्य — राज्य को धर्म से अलग कर नागरिकों को समान अधिकार देना था।
💡 भारत ने पश्चिमी मॉडल को अपने सामाजिक विविधता और परंपराओं के अनुरूप ढाल लिया।

🌍 4. भारत में धर्मनिरपेक्षता की विशेषता (Features of Indian Secularism)
🔹 भारत में धर्मनिरपेक्षता का स्वरूप सकारात्मक (Positive Secularism) है।
🔹 यहाँ राज्य सभी धर्मों का समान सम्मान करता है और धार्मिक समुदायों के अधिकारों की रक्षा करता है।
🔹 भारतीय संविधान किसी एक धर्म को राष्ट्रीय धर्म घोषित नहीं करता।
🔹 राज्य धार्मिक संस्थानों से दूरी बनाकर उनके अनुयायियों को समान अवसर देता है।
💡 भारत में धर्मनिरपेक्षता का लक्ष्य धार्मिक सद्भाव और सामाजिक एकता है।

⚖️ 5. भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता (Secularism in the Indian Constitution)
🟢 संविधान की प्रस्तावना में “धर्मनिरपेक्ष” शब्द 42वें संशोधन (1976) द्वारा जोड़ा गया।
🟡 मौलिक अधिकार नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करते हैं —
अनुच्छेद 25: धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
अनुच्छेद 26: धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन का अधिकार
अनुच्छेद 27: धार्मिक कराधान पर रोक
अनुच्छेद 28: धार्मिक शिक्षा पर नियंत्रण
🔴 राज्य किसी धर्म को बढ़ावा नहीं देता और सभी धर्मों को समान अवसर प्रदान करता है।
💡 संविधान की यह व्यवस्था धर्मनिरपेक्षता को एक संवैधानिक मूल्य बनाती है।

🏛️ 6. भारतीय और पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता में अंतर (Difference between Indian and Western Secularism)
पहलू पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता भारतीय धर्मनिरपेक्षता
🔵 दृष्टिकोण राज्य और धर्म का पूर्ण पृथक्करण धर्मों के प्रति समान सम्मान
🟢 स्वरूप नकारात्मक (Negative Secularism) सकारात्मक (Positive Secularism)
🟡 उद्देश्य राज्य को धर्म से अलग रखना धार्मिक सद्भाव और समानता स्थापित करना
🔴 उदाहरण फ्रांस, अमेरिका भारत
💡 भारत का धर्मनिरपेक्षता मॉडल अधिक व्यावहारिक और विविधता-संवेदनशील है।

⚙️ 7. धर्मनिरपेक्षता के उद्देश्य (Objectives of Secularism)
1️⃣ धार्मिक स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित करना।
2️⃣ धार्मिक भेदभाव और असहिष्णुता को समाप्त करना।
3️⃣ धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करना।
4️⃣ सामाजिक एकता और राष्ट्रीय एकीकरण को सशक्त बनाना।
💡 धर्मनिरपेक्षता लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करती है और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देती है।

🌟 8. भारत में धर्मनिरपेक्षता की चुनौतियाँ (Challenges of Secularism in India)
🔹 धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता।
🔹 सांप्रदायिक दंगे और घृणा की राजनीति।
🔹 धर्म का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग।
🔹 शिक्षा और मीडिया में धार्मिक पूर्वाग्रह।
💡 इन चुनौतियों से निपटने के लिए नागरिक चेतना और संवैधानिक नैतिकता आवश्यक है।

🧠 9. धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र का संबंध (Relation between Secularism and Democracy)
🔵 लोकतंत्र समानता और स्वतंत्रता पर आधारित है, और धर्मनिरपेक्षता इन दोनों की रक्षा करती है।
🟢 जब राज्य धर्म के प्रति निष्पक्ष होता है, तब सभी नागरिक समान रूप से भाग ले सकते हैं।
🟡 धर्मनिरपेक्षता लोकतंत्र को विभाजन से बचाती है और विविधता में एकता को सशक्त बनाती है।
💡 इस प्रकार धर्मनिरपेक्षता लोकतंत्र का नैतिक स्तंभ है।

⚖️ 10. धर्मनिरपेक्षता का महत्व (Importance of Secularism)
1️⃣ धार्मिक समानता और सहिष्णुता का विकास।
2️⃣ राष्ट्रीय एकता और सामाजिक शांति की स्थापना।
3️⃣ नागरिक स्वतंत्रता की सुरक्षा।
4️⃣ लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थिरता।
💡 धर्मनिरपेक्षता वह मूल्य है जो भारत की “विविधता में एकता” को सजीव रखता है।

📘 सारांश (Summary)
🟢 धर्मनिरपेक्षता का अर्थ धर्म के प्रति समान सम्मान और निष्पक्षता है।
🟡 भारतीय संविधान ने इसे एक संवैधानिक सिद्धांत के रूप में स्वीकार किया है।
🔵 भारत में धर्मनिरपेक्षता का स्वरूप सकारात्मक है — राज्य सभी धर्मों का सम्मान करता है।
🔴 यह लोकतंत्र, समानता, और सामाजिक न्याय की आत्मा है।
💡 सच्ची धर्मनिरपेक्षता तभी संभव है जब नागरिक धार्मिक विविधता को सम्मान और सहिष्णुता के साथ स्वीकार करें।

📝 त्वरित पुनरावलोकन (Quick Recap)
✔️ धर्मनिरपेक्षता — राज्य और धर्म के बीच समान दूरी
✔️ संविधान — प्रस्तावना व अनुच्छेद 25–28
✔️ भारतीय मॉडल — सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता
✔️ उद्देश्य — धार्मिक स्वतंत्रता, समानता, सद्भाव
✔️ चुनौतियाँ — सांप्रदायिकता, असहिष्णुता, राजनीति में धर्म का उपयोग
✔️ महत्व — लोकतंत्र की आत्मा और सामाजिक एकता का आधार

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

🔵 प्रश्न 1:
निम्न में से कौन-सी बातें धर्मनिरपेक्षता के विचार से संगत हैं? कारण सहित बताइए —
(क) किसी धार्मिक समूह पर दूसरे धार्मिक समूह का वर्चस्व न होना।
(ख) किसी धर्म को राज्य के धर्म के रूप में मान्यता देना।
(ग) सभी धर्मों को राज्य का समान आदर होना।
(घ) विद्यालयों में अनिवार्य प्रार्थना होना।
(ङ) किसी अल्पसंख्यक समुदाय को अपने पृथक शैक्षणिक संस्थान बनाने की अनुमति होना।
🟢 उत्तर:
धर्मनिरपेक्षता के विचार से (क), (ग) और (ङ) बातें संगत हैं।
(क) राज्य को किसी धर्म को विशेष महत्व नहीं देना चाहिए — यह समानता का सिद्धांत है।
(ग) राज्य को सभी धर्मों के प्रति समान आदर रखना चाहिए — यही भारतीय धर्मनिरपेक्षता की भावना है।
(ङ) अल्पसंख्यक समुदायों को अपने शैक्षणिक संस्थान बनाने की स्वतंत्रता देना समान अवसर और धार्मिक स्वतंत्रता का उदाहरण है।
जबकि (ख) और (घ) धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध हैं क्योंकि वे किसी धर्म विशेष को बढ़ावा देते हैं।

🔵 प्रश्न 2:
धर्मनिरपेक्षता के पश्चिमी और भारतीय रूपों में क्या अंतर है?
उनमें भेद स्पष्ट कीजिए।
🟢 उत्तर:
पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता:
➡️ धर्म और राज्य के पूर्ण अलगाव पर आधारित है।
➡️ राज्य किसी धार्मिक हस्तक्षेप या सहयोग की अनुमति नहीं देता।
➡️ व्यक्ति-केंद्रित अधिकारों को प्राथमिकता दी जाती है।
उदाहरण — फ्रांस और अमेरिका।
भारतीय धर्मनिरपेक्षता:
➡️ राज्य सभी धर्मों के प्रति समान आदर रखता है, पर उनसे संवाद भी करता है।
➡️ धर्मों के बीच समानता और न्याय स्थापित करना इसका उद्देश्य है।
➡️ यहाँ व्यक्तिगत और सामुदायिक — दोनों स्तरों पर अधिकारों की रक्षा होती है।
इस प्रकार भारतीय मॉडल समावेशी और संतुलित है।

🔵 प्रश्न 3:
धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं?
क्या इसकी बराबरी धार्मिक सहनशीलता से की जा सकती है?
🟢 उत्तर:
धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है — राज्य और धर्म के बीच निष्पक्ष संबंध रखना, ताकि सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता समान रूप से मिले।
यह केवल धार्मिक सहनशीलता नहीं, बल्कि समान सम्मान और न्यायपूर्ण व्यवहार की नीति है।
सहनशीलता का अर्थ है दूसरों को बर्दाश्त करना, जबकि धर्मनिरपेक्षता में समानता और न्याय सुनिश्चित किया जाता है।
इसलिए धर्मनिरपेक्षता, सहनशीलता से अधिक व्यापक और सक्रिय विचार है।

🔵 प्रश्न 4:
क्या आप नीचे दिए गए कथनों से सहमत हैं?
उनके समर्थन या विरोध के कारण भी दीजिए —
(क) धर्मनिरपेक्षता हमें धार्मिक पहचान बनाए रखने की अनुमति नहीं देती।
(ख) धर्मनिरपेक्षता किसी धार्मिक समुदाय के अंदर या विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच असमानता के खिलाफ है।
(ग) धर्मनिरपेक्षता के विचार का जन्म पश्चिमी और ईसाई समाज में हुआ है, यह भारत के लिए उपयुक्त नहीं है।
🟢 उत्तर:
(क) ❌ असहमति — धर्मनिरपेक्षता धार्मिक पहचान को मिटाती नहीं, बल्कि उसे स्वतंत्र रूप से अपनाने का अधिकार देती है।
(ख) ✅ सहमति — धर्मनिरपेक्षता का उद्देश्य सभी धर्मों के बीच समानता और असमानता का अंत करना है।
(ग) ❌ असहमति — भारतीय धर्मनिरपेक्षता की जड़ें हमारे बहु-धार्मिक और सहिष्णु परंपरा में हैं।
अतः यह भारत के लिए अत्यंत उपयुक्त है।

🔵 प्रश्न 5:
भारतीय धर्मनिरपेक्षता का जोर धर्म और राज्य के अलगाव पर नहीं,
बल्कि उसकी सामाजिक विशेषताओं पर है।
इस कथन को समझाइए।
🟢 उत्तर:
भारतीय धर्मनिरपेक्षता केवल धर्म और राज्य को अलग करने की बात नहीं करती,
बल्कि समाज में समानता, न्याय और धार्मिक स्वतंत्रता को सुनिश्चित करती है।
राज्य धर्मों के मामलों में हस्तक्षेप तब करता है जब किसी धर्म में असमानता या शोषण हो।
इस प्रकार भारत में धर्मनिरपेक्षता का उद्देश्य धार्मिक विविधता में समरसता स्थापित करना है।

🔵 प्रश्न 6:
‘सैद्धांतिक दूरी’ क्या है?
उदाहरण सहित समझाइए।
🟢 उत्तर:
‘सैद्धांतिक दूरी’ (Principled Distance) का अर्थ है — राज्य का धर्म से पूर्ण अलगाव नहीं, बल्कि न्याय और समानता के आधार पर धर्मों के मामलों में उचित हस्तक्षेप।
उदाहरण —
राज्य हिंदू मंदिरों के प्रबंधन में हस्तक्षेप कर सकता है यदि वहाँ भेदभाव हो रहा हो,
या मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए ट्रिपल तलाक पर कानून बना सकता है।
इस प्रकार राज्य निष्पक्ष रहते हुए धार्मिक समानता बनाए रखता है।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न


🔷 खंड A – बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs · प्रत्येक 1 अंक)
🔵 प्रश्न 1: धर्मनिरपेक्षता का अर्थ क्या है?
🟢 1️⃣ राज्य का सभी धर्मों से समान दूरी बनाए रखना
🟡 2️⃣ केवल एक धर्म को मान्यता देना
🔴 3️⃣ राज्य का धार्मिक नियंत्रण
🟣 4️⃣ धार्मिक राज्य की स्थापना
✔️ उत्तर: राज्य का सभी धर्मों से समान दूरी बनाए रखना

🔵 प्रश्न 2: भारत को धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है —
🟢 1️⃣ संविधान की प्रस्तावना में
🟡 2️⃣ मौलिक अधिकारों में
🔴 3️⃣ नीति निर्देशक तत्वों में
🟣 4️⃣ न्यायपालिका के निर्णयों में
✔️ उत्तर: संविधान की प्रस्तावना में

🔵 प्रश्न 3: भारत में धर्मनिरपेक्षता का मूल सिद्धांत क्या है?
🟢 1️⃣ समान सम्मान और व्यवहार
🟡 2️⃣ किसी एक धर्म का समर्थन
🔴 3️⃣ धर्म को राज्य का अंग बनाना
🟣 4️⃣ धार्मिक नियंत्रण बढ़ाना
✔️ उत्तर: समान सम्मान और व्यवहार

🔵 प्रश्न 4: भारतीय धर्मनिरपेक्षता का स्वरूप कैसा है?
🟢 1️⃣ सकारात्मक
🟡 2️⃣ नकारात्मक
🔴 3️⃣ कठोर
🟣 4️⃣ विदेशी
✔️ उत्तर: सकारात्मक

🔵 प्रश्न 5: भारतीय संविधान का कौन-सा अनुच्छेद धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है?
🟢 1️⃣ अनुच्छेद 25 से 28
🟡 2️⃣ अनुच्छेद 19
🔴 3️⃣ अनुच्छेद 14
🟣 4️⃣ अनुच्छेद 32
✔️ उत्तर: अनुच्छेद 25 से 28

🔵 प्रश्न 6: भारतीय धर्मनिरपेक्षता का उद्देश्य क्या है?
🟢 1️⃣ सभी धर्मों को समान संरक्षण
🟡 2️⃣ केवल अल्पसंख्यक धर्मों का समर्थन
🔴 3️⃣ धर्म को समाप्त करना
🟣 4️⃣ धार्मिक राज्य बनाना
✔️ उत्तर: सभी धर्मों को समान संरक्षण

🔵 प्रश्न 7: भारत में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा किस सिद्धांत से प्रेरित है?
🟢 1️⃣ समानता और स्वतंत्रता
🟡 2️⃣ पूंजीवाद
🔴 3️⃣ साम्राज्यवाद
🟣 4️⃣ जातिवाद
✔️ उत्तर: समानता और स्वतंत्रता

🔵 प्रश्न 8: भारतीय धर्मनिरपेक्षता का मुख्य लक्षण क्या है?
🟢 1️⃣ राज्य और धर्म के बीच दूरी
🟡 2️⃣ राज्य का धार्मिक हस्तक्षेप
🔴 3️⃣ धार्मिक एकाधिकार
🟣 4️⃣ धार्मिक भेदभाव
✔️ उत्तर: राज्य और धर्म के बीच दूरी

🔵 प्रश्न 9: भारतीय धर्मनिरपेक्षता और पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता में क्या अंतर है?
🟢 1️⃣ भारतीय मॉडल धर्म के प्रति समान सम्मान रखता है
🟡 2️⃣ पश्चिमी मॉडल धर्म को पूरी तरह अलग करता है
🔴 3️⃣ दोनों एक समान हैं
🟣 4️⃣ दोनों धर्म का समर्थन करते हैं
✔️ उत्तर: भारतीय मॉडल धर्म के प्रति समान सम्मान रखता है

🔵 प्रश्न 10: भारत को धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित करने वाला संशोधन कौन-सा है?
🟢 1️⃣ 42वाँ संविधान संशोधन
🟡 2️⃣ 44वाँ संविधान संशोधन
🔴 3️⃣ 73वाँ संविधान संशोधन
🟣 4️⃣ 52वाँ संविधान संशोधन
✔️ उत्तर: 42वाँ संविधान संशोधन

🔵 प्रश्न 11: भारतीय संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार किस भाग में है?
🟢 1️⃣ भाग III
🟡 2️⃣ भाग II
🔴 3️⃣ भाग IV
🟣 4️⃣ भाग V
✔️ उत्तर: भाग III

🔵 प्रश्न 12: धर्मनिरपेक्षता का सबसे बड़ा उद्देश्य क्या है?
🟢 1️⃣ सामाजिक सद्भाव और समानता
🟡 2️⃣ धार्मिक प्रचार
🔴 3️⃣ धर्मनिष्ठ शासन
🟣 4️⃣ धार्मिक एकता
✔️ उत्तर: सामाजिक सद्भाव और समानता

🟠 खंड B – लघु उत्तर प्रश्न (प्रत्येक 2 अंक)
🟢 प्रश्न 13: धर्मनिरपेक्ष राज्य की परिभाषा दीजिए।
🟡 उत्तर: धर्मनिरपेक्ष राज्य वह है जो सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार करता है और किसी एक धर्म को विशेषाधिकार नहीं देता।

🟢 प्रश्न 14: भारतीय धर्मनिरपेक्षता की विशेषता बताइए।
🟡 उत्तर: भारतीय धर्मनिरपेक्षता का स्वरूप सकारात्मक है, जिसमें राज्य धर्म से दूरी बनाए रखता है परंतु धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा भी करता है।

🟢 प्रश्न 15: धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक सहिष्णुता में अंतर लिखिए।
🟡 उत्तर: धार्मिक सहिष्णुता केवल दूसरों के धर्म को स्वीकारना है, जबकि धर्मनिरपेक्षता राज्य का निष्पक्ष रवैया और समान सम्मान सुनिश्चित करती है।

🟢 प्रश्न 16: धर्मनिरपेक्षता के तीन मूल सिद्धांत बताइए।
🟡 उत्तर:
1️⃣ राज्य और धर्म का पृथक्करण।
2️⃣ सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार।
3️⃣ नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा।

🟢 प्रश्न 17: भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता क्यों है?
🟡 उत्तर: भारत जैसे विविध देश में धर्मनिरपेक्षता आवश्यक है ताकि विभिन्न धर्मों के लोग शांति, समानता और एकता के साथ रह सकें।

🟢 प्रश्न 18: अनुच्छेद 25 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
🟡 उत्तर: अनुच्छेद 25 प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म का पालन, प्रचार और आचरण करने की स्वतंत्रता देता है, जब तक वह सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित न करे।

🟢 प्रश्न 19: भारतीय धर्मनिरपेक्षता में राज्य की भूमिका क्या है?
🟡 उत्तर: राज्य सभी धर्मों के प्रति निष्पक्ष रहता है, धार्मिक भेदभाव को रोकता है और समान अधिकारों की गारंटी देता है।

🟢 प्रश्न 20: धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र में क्या संबंध है?
🟡 उत्तर: दोनों समानता, स्वतंत्रता और न्याय पर आधारित हैं। धर्मनिरपेक्षता लोकतंत्र को मजबूत बनाती है क्योंकि यह नागरिकों को समान अधिकार देती है।


🔷 खंड C – मध्यम उत्तर प्रश्न (प्रत्येक 4 अंक · ≈ 60 शब्द)


🟢 प्रश्न 21: भारतीय धर्मनिरपेक्षता के प्रमुख लक्षण लिखिए।
🟡 उत्तर:
भारतीय धर्मनिरपेक्षता के मुख्य लक्षण हैं —
1️⃣ राज्य और धर्म का पृथक्करण।
2️⃣ सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार और सम्मान।
3️⃣ नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25–28)।
4️⃣ राज्य किसी धर्म का पक्ष नहीं लेता, बल्कि सभी की समान रूप से रक्षा करता है।

🟢 प्रश्न 22: भारत में धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक आधार क्या हैं?
🟡 उत्तर:
1️⃣ प्रस्तावना: भारत को “धर्मनिरपेक्ष राज्य” घोषित करती है।
2️⃣ मौलिक अधिकार: अनुच्छेद 25–28 धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हैं।
3️⃣ अनुच्छेद 15: धर्म के आधार पर भेदभाव का निषेध।
4️⃣ अनुच्छेद 51A: नागरिकों का कर्तव्य — सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान रखना।

🟢 प्रश्न 23: पश्चिमी और भारतीय धर्मनिरपेक्षता में क्या अंतर है?
🟡 उत्तर:
पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता में राज्य और धर्म के बीच पूर्ण पृथक्करण होता है।
भारतीय धर्मनिरपेक्षता में राज्य सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान रखता है।
भारत में राज्य धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए कभी-कभी हस्तक्षेप भी कर सकता है, जैसे सामाजिक सुधार के लिए।

🟢 प्रश्न 24: धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता किन कारणों से उत्पन्न हुई?
🟡 उत्तर:
भारत जैसे बहुधर्मी देश में धार्मिक विविधता, असहिष्णुता और सामाजिक संघर्षों ने धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता को बढ़ाया।
यह समानता, सामाजिक एकता और धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
⚖️ इससे लोकतंत्र और राष्ट्रीय एकता दोनों मजबूत होते हैं।

🟢 प्रश्न 25: अनुच्छेद 26 के अनुसार धार्मिक संस्थाओं को कौन-कौन से अधिकार प्राप्त हैं?
🟡 उत्तर:
अनुच्छेद 26 के अंतर्गत प्रत्येक धार्मिक संस्था को —
1️⃣ अपने धार्मिक कार्यों का संचालन करने का अधिकार,
2️⃣ संपत्ति अर्जित करने और प्रबंधित करने का अधिकार,
3️⃣ धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों हेतु संस्थान स्थापित करने का अधिकार दिया गया है।

🟢 प्रश्न 26: धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता में संबंध स्पष्ट कीजिए।
🟡 उत्तर:
धर्मनिरपेक्षता राज्य की नीति है, जबकि सहिष्णुता नागरिकों का व्यवहारिक गुण है।
दोनों का उद्देश्य धार्मिक शांति और समानता है।
धर्मनिरपेक्षता सहिष्णुता को कानूनी रूप से संरक्षित करती है, और सहिष्णुता धर्मनिरपेक्ष समाज की नींव को मजबूत करती है।

🔶 खंड D – विस्तृत उत्तर प्रश्न (प्रत्येक 7 अंक · ≈ 150 शब्द)
🔵 प्रश्न 27: धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा और इसके मुख्य उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
🟢 उत्तर:
धर्मनिरपेक्षता वह सिद्धांत है जिसके अंतर्गत राज्य सभी धर्मों के प्रति निष्पक्ष रहता है और किसी धर्म का पक्ष नहीं लेता।
यह लोकतंत्र का आवश्यक तत्व है।
मुख्य उद्देश्य:
1️⃣ नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा।
2️⃣ राज्य और धर्म का पृथक्करण।
3️⃣ सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और सहिष्णुता।
4️⃣ धर्म के नाम पर भेदभाव का निषेध।
📘 भारत में धर्मनिरपेक्षता का लक्ष्य सामाजिक एकता, न्याय और समानता सुनिश्चित करना है, जिससे सभी नागरिक एक समान राष्ट्रभाव से जुड़ सकें।

🔵 प्रश्न 28: भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता को कैसे सुनिश्चित किया गया है?
🟢 उत्तर:
भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता को कई प्रकार से सुनिश्चित करता है —
1️⃣ प्रस्तावना: भारत को “धर्मनिरपेक्ष” घोषित करती है (42वाँ संशोधन, 1976)।
2️⃣ अनुच्छेद 25–28: धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार।
3️⃣ अनुच्छेद 15: धर्म के आधार पर भेदभाव वर्जित।
4️⃣ अनुच्छेद 51A: नागरिकों का कर्तव्य — सभी धर्मों का सम्मान।
⚖️ राज्य न तो किसी धर्म को मान्यता देता है, न विरोध करता है, बल्कि सभी की समान सुरक्षा करता है — यही भारतीय धर्मनिरपेक्षता की विशिष्टता है।

🔵 प्रश्न 29: भारतीय धर्मनिरपेक्षता की विशेषताएँ और उसकी चुनौतियाँ स्पष्ट कीजिए।
🟢 उत्तर:
विशेषताएँ:
1️⃣ सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार।
2️⃣ राज्य का धर्म से पृथक्करण।
3️⃣ धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी।
4️⃣ सामाजिक सुधार हेतु राज्य का हस्तक्षेप।
चुनौतियाँ:
1️⃣ धार्मिक असहिष्णुता और साम्प्रदायिकता।
2️⃣ राजनीति में धर्म का दुरुपयोग।
3️⃣ अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक के बीच असंतुलन।
⚖️ समाधान यही है कि नागरिक समानता और संविधान की भावना को अपनाएँ ताकि धर्मनिरपेक्षता सुदृढ़ हो सके।

🔵 प्रश्न 30: भारतीय धर्मनिरपेक्षता की विशेषता “सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता” क्यों कहलाती है?
🟢 उत्तर:
भारतीय धर्मनिरपेक्षता को “सकारात्मक” कहा जाता है क्योंकि यह केवल राज्य और धर्म के पृथक्करण तक सीमित नहीं है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और समान सम्मान को भी सुनिश्चित करती है।
राज्य सभी धर्मों की समान रूप से रक्षा करता है और सामाजिक सुधार के लिए हस्तक्षेप भी कर सकता है (जैसे सती प्रथा, बाल विवाह उन्मूलन)।
📘 यह दृष्टिकोण सहअस्तित्व, सहिष्णुता और विविधता में एकता को बढ़ावा देता है, जिससे भारत की लोकतांत्रिक संस्कृति सुदृढ़ होती है।

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मस्तिष्क मानचित्र

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दृश्य सामग्री

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