Class 11, Poltical Science (Hindi)

Class 11 : Poltical Science (In Hindi) – Lesson 14. सामाजिक न्याय

पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन


🌟 प्रस्तावना (Introduction)
🔵 सामाजिक न्याय (Social Justice) किसी भी लोकतांत्रिक समाज की नींव है।
🟢 यह केवल समानता का विस्तार नहीं, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग को समान अवसर, गरिमा और सम्मान देने की व्यवस्था है।
🟡 सामाजिक न्याय यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति जन्म, जाति, लिंग, धर्म या आर्थिक स्थिति के कारण वंचित न रह जाए।
🔴 भारतीय संविधान ने सामाजिक न्याय को अपने उद्देश्यों में प्रमुख स्थान दिया है।
💡 इसका लक्ष्य है — एक ऐसे समाज की रचना जहाँ सबको समान अवसर मिले और कोई शोषण या भेदभाव न हो।

🏛️ मुख्य व्याख्या (Main Explanation)
🧭 1. सामाजिक न्याय का अर्थ (Meaning of Social Justice)
🔹 सामाजिक न्याय का तात्पर्य समाज में समान अवसर, सम्मान और संसाधनों के निष्पक्ष वितरण से है।
🔹 इसका उद्देश्य केवल कानूनी समानता नहीं, बल्कि वास्तविक (Real) समानता है।
🔹 यह न्याय, समानता और स्वतंत्रता के संतुलन पर आधारित है।
💡 सामाजिक न्याय का सार यही है — “हर व्यक्ति को उसके अधिकार और गरिमा के अनुसार व्यवहार।”

⚖️ 2. सामाजिक न्याय के प्रमुख तत्व (Key Elements of Social Justice)
🟢 (1) समानता (Equality)
🔹 समाज में किसी व्यक्ति के साथ जाति, लिंग, धर्म या वर्ग के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
🔹 हर व्यक्ति को समान अवसर मिलना चाहिए।


🟡 (2) स्वतंत्रता (Liberty)
🔹 सभी को अभिव्यक्ति, आस्था, व्यवसाय और जीवन के चयन की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
🔹 जब व्यक्ति स्वतंत्र होगा, तभी वह समानता और न्याय का अनुभव कर सकेगा।


🔴 (3) बंधुत्व (Fraternity)
🔹 समाज में भाईचारा, परस्पर सम्मान और सहयोग की भावना होनी चाहिए।
🔹 यह एकजुटता सामाजिक न्याय की आत्मा है।
💡 ये तीनों तत्व (समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व) सामाजिक न्याय के स्तंभ हैं — जिन पर लोकतांत्रिक समाज टिका है।

🏛️ 3. भारतीय संविधान में सामाजिक न्याय (Social Justice in the Indian Constitution)
🔵 भारत का संविधान सामाजिक न्याय को अपने मूल आदर्शों में समाहित करता है।
🟢 प्रस्तावना में “न्याय – सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक” का उल्लेख किया गया है।
🟡 राज्य के नीति निर्देशक तत्व (Directive Principles of State Policy) सामाजिक न्याय की दिशा तय करते हैं।
🔴 अनुच्छेद 38 कहता है कि राज्य एक ऐसे सामाजिक व्यवस्था की स्थापना करेगा जिसमें न्याय के ये तीनों रूप विद्यमान हों।
💡 संविधान का उद्देश्य केवल अधिकार देना नहीं, बल्कि समाज को न्यायपूर्ण बनाना है।

⚙️ 4. सामाजिक न्याय के उद्देश्य (Objectives of Social Justice)
1️⃣ अवसरों की समानता सुनिश्चित करना।
2️⃣ सामाजिक असमानताओं का अंत करना।
3️⃣ दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों का उत्थान करना।
4️⃣ नारी सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना।
5️⃣ कल्याणकारी राज्य (Welfare State) की स्थापना।
💡 सामाजिक न्याय का अंतिम लक्ष्य है — एक ऐसे समाज की रचना जहाँ हर व्यक्ति गरिमामय जीवन जी सके।

🌍 5. सामाजिक न्याय और कल्याणकारी राज्य (Social Justice and Welfare State)
🔹 भारतीय राज्य कल्याणकारी (Welfare) स्वरूप का है।
🔹 इसका अर्थ है कि राज्य केवल शासन नहीं करता, बल्कि जनता के कल्याण के लिए सक्रिय रहता है।
🔹 शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और सुरक्षा योजनाएँ सामाजिक न्याय के साधन हैं।
🔹 राज्य कमजोर वर्गों को विशेष अवसर देकर संतुलन बनाता है।
💡 कल्याणकारी राज्य सामाजिक न्याय का व्यावहारिक रूप है।

🏛️ 6. सामाजिक न्याय के संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provisions)
🔵 अनुच्छेद 14–18 — समानता का अधिकार
सभी नागरिक कानून के समक्ष समान हैं।
🟢 अनुच्छेद 23–24 — शोषण के विरुद्ध अधिकार
बालश्रम, बंधुआ मजदूरी और मानव तस्करी पर रोक।
🟡 अनुच्छेद 38–39 — नीति निर्देशक तत्व
राज्य न्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था के लिए कार्य करेगा, तथा संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करेगा।
🔴 अनुच्छेद 46 — अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों की उन्नति हेतु राज्य की जिम्मेदारी।
💡 ये प्रावधान सामाजिक न्याय को संविधान की आत्मा बनाते हैं।

⚖️ 7. सामाजिक न्याय और आरक्षण नीति (Reservation Policy)
🔵 आरक्षण नीति सामाजिक न्याय को लागू करने का प्रभावी माध्यम है।
🟢 इसका उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से वंचित वर्गों को शिक्षा, रोजगार, और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में अवसर देना है।
🟡 संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) में विशेष प्रावधानों की अनुमति दी गई है।
🔴 यह समानता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं, बल्कि वास्तविक समानता की ओर कदम है।
💡 डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने आरक्षण को सामाजिक न्याय का साधन बताया था।

🧠 8. सामाजिक न्याय की प्राप्ति के उपाय (Measures to Achieve Social Justice)
1️⃣ शिक्षा का प्रसार — शिक्षा सामाजिक जागरूकता और अवसर बढ़ाती है।
2️⃣ आर्थिक सुधार — भूमि सुधार, रोजगार योजनाएँ और गरीबी उन्मूलन से असमानता घटती है।
3️⃣ नारी सशक्तिकरण — महिलाओं को समान अधिकार और अवसर प्रदान करना।
4️⃣ सामाजिक सुधार आंदोलन — रूढ़ियों, छुआछूत, और भेदभाव का विरोध।
5️⃣ न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism) — सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सामाजिक न्याय से जुड़े निर्णय।

🌟 9. सामाजिक न्याय की चुनौतियाँ (Challenges of Social Justice)
🔹 जाति-आधारित भेदभाव अभी भी गहराई तक मौजूद है।
🔹 ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आर्थिक विषमता।
🔹 लैंगिक असमानता और महिला सुरक्षा की समस्या।
🔹 अल्पसंख्यकों और वंचित वर्गों में अवसरों की कमी।
💡 इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर कार्य करना होगा।

🏛️ 10. सामाजिक न्याय का महत्व (Importance of Social Justice)
🔵 यह लोकतंत्र की आत्मा है — इसके बिना लोकतंत्र अधूरा है।
🟢 यह सामाजिक एकता और शांति को बनाए रखता है।
🟡 यह हर नागरिक को आत्मसम्मान और अवसर देता है।
🔴 यह राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को न्यायसंगत और संतुलित बनाता है।
💡 सामाजिक न्याय से ही सच्चा लोकतंत्र और समानता संभव होती है।

📘 सारांश (Summary)
🟢 सामाजिक न्याय वह सिद्धांत है जो समाज में सभी वर्गों को समान अवसर और सम्मान देता है।
🟡 भारतीय संविधान ने इसे अपने मूल आदर्शों — समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व — में शामिल किया है।
🔵 यह केवल कानून की दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक व्यवहार में भी आवश्यक है।
🔴 आरक्षण, शिक्षा, नारी सशक्तिकरण और कल्याणकारी योजनाएँ इसके व्यावहारिक रूप हैं।
💡 जब समाज का हर सदस्य न्यायपूर्ण व्यवहार का अनुभव करेगा, तभी सच्चा लोकतंत्र साकार होगा।

📝 त्वरित पुनरावलोकन (Quick Recap)
✔️ सामाजिक न्याय — लोकतंत्र का आधार
✔️ संविधान में न्याय — सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तीन रूपों में
✔️ नीति निर्देशक तत्व — अनुच्छेद 38–46
✔️ आरक्षण नीति — सामाजिक न्याय का साधन
✔️ मुख्य उद्देश्य — समान अवसर, गरिमा, और सम्मान
✔️ सामाजिक न्याय की प्राप्ति — शिक्षा, सुधार, और चेतना से

————————————————————————————————————————————————————————————————————————————

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


🔵 प्रश्न 1:
हर व्यक्ति को उसका प्राप्य देने का क्या मतलब है?
हर किसी को उसका प्राप्य देने का मतलब समय के साथ-साथ कैसे बदला?
🟢 उत्तर:
हर व्यक्ति को उसका प्राप्य देने का अर्थ है — प्रत्येक व्यक्ति को उसके अधिकार, अवसर और सम्मान उसी अनुपात में देना जिसके वह योग्य है।
प्राचीन समय में इसका अर्थ जाति या जन्म के अनुसार कर्तव्यों का निर्धारण था, परंतु आधुनिक युग में यह अवधारणा अधिकारों की समानता और अवसरों की समानता पर आधारित हो गई है।
अब इसका अर्थ है — सभी को समान अवसर, स्वतंत्रता और संसाधनों का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना।

🔵 प्रश्न 2:
अध्याय में दिए गए न्याय के तीन सिद्धांतों की संक्षेप में चर्चा करो।
प्रत्येक की व्याख्या उदाहरण सहित समझाओ।
🟢 उत्तर:
(क) उपयोगिता का सिद्धांत:
यह सिद्धांत कहता है कि किसी नीति या कार्य का उद्देश्य अधिकतम लोगों का अधिकतम सुख होना चाहिए।
उदाहरण — जनहितकारी योजनाएँ जैसे निःशुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ।
(ख) स्वतंत्रता का सिद्धांत:
प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से अपनी योग्यता विकसित करने और अपने हितों का निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए।
उदाहरण — अभिव्यक्ति, विचार और मत देने की स्वतंत्रता।
(ग) समान अवसर का सिद्धांत:
हर व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने के लिए समान अवसर मिलना चाहिए।
उदाहरण — प्रतियोगी परीक्षाएँ, समान शिक्षा नीति इत्यादि।

🔵 प्रश्न 3:
क्या विशेष ज़रूरतों का सिद्धांत सुख के साथ समान व्यवहार के सिद्धांत के विरुद्ध है?
🟢 उत्तर:
नहीं, विशेष ज़रूरतों का सिद्धांत समान व्यवहार के विरुद्ध नहीं है।
बल्कि यह सकारात्मक समानता का रूप है जिसमें कमजोर और वंचित वर्गों को अतिरिक्त सहायता दी जाती है।
समानता का अर्थ है — सबको समान अवसर देना, न कि सबके साथ एक-सा व्यवहार करना।
इसलिए विशेष सहायता समानता की भावना को ही मजबूत करती है।

🔵 प्रश्न 4:
निष्पक्ष और न्यायसंगत विवाद-निपटान व्यवस्था आधुनिक समाज की विशेषता मानी जा सकती है।
रॉल्स ने इस तर्क को आगे बढ़ाने में ‘अज्ञान के आवरण’ (Veil of Ignorance) का उपयोग किस प्रकार किया?
🟢 उत्तर:
दार्शनिक जॉन रॉल्स के अनुसार न्याय तभी निष्पक्ष हो सकता है जब व्यक्ति अपने व्यक्तिगत हितों और पहचान को भुलाकर निर्णय ले।
उन्होंने कहा कि यदि लोग “अज्ञान के आवरण” के पीछे रहकर समाज के नियम बनाएँगे — यानी उन्हें यह न पता हो कि वे अमीर-गरीब, उच्च-निम्न जाति या पुरुष-महिला हैं — तो वे स्वाभाविक रूप से ऐसे नियम बनाएँगे जो सभी के लिए समान और न्यायपूर्ण हों।
यही निष्पक्षता का वास्तविक आधार है।

🔵 प्रश्न 5:
आवश्यक वस्तुओं और अवसरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए व्यक्ति की न्यूनतम बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करना राज्य का कर्तव्य क्यों माना गया है?
संविधान के किन प्रावधानों में सरकार की यह ज़िम्मेदारी है?
🟢 उत्तर:
क्योंकि सामाजिक न्याय तभी संभव है जब हर व्यक्ति को जीवन की बुनियादी आवश्यकताएँ — जैसे भोजन, वस्त्र, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार — उपलब्ध हों।
भारत के संविधान में यह दायित्व राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों (Directive Principles) के अंतर्गत रखा गया है।
अनुच्छेद 38 और 39 में राज्य को यह निर्देश दिया गया है कि वह सभी नागरिकों के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करे।
इससे समानता और मानव गरिमा दोनों की रक्षा होती है।

🔵 प्रश्न 6:
सामाजिक न्यायपूर्ण जीवन के लिए आवश्यक स्थितियाँ उपलब्ध कराने के लिए राज्य का दायित्व निभाने में से कौन-से तर्क न्यायसंगत ठहराए जा सकते हैं?
(क) समाज और जरूरतमंदों को निःशुल्क सेवाएँ देना एक धर्म-कार्य है।
(ख) सभी नागरिकों को जीवन का न्यूनतम बुनियादी स्तर उपलब्ध कराना अवसरों की समानता सुनिश्चित करने का एक तरीका है।
(ग) गरीब लोग प्राकृतिक रूप से आलसी होते हैं, अतः हमें उनके प्रति दया रखनी चाहिए।
(घ) समाज के लिए बुनियादी सुविधाएँ और न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित करना मानवता और मानवाधिकारों की स्वीकृति है।
🟢 उत्तर:
यहाँ (ख) और (घ) दोनों तर्क न्यायसंगत हैं।
(ख) में समान अवसरों को बढ़ावा देने की बात है जो सामाजिक न्याय का मूल तत्व है।
(घ) में मानवीय गरिमा और मानवाधिकारों की रक्षा का सिद्धांत निहित है।
इसलिए ये दोनों तर्क राज्य के सामाजिक न्याय संबंधी कर्तव्यों के अनुरूप हैं।

————————————————————————————————————————————————————————————————————————————

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

🔷 खंड A – बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs · प्रत्येक 1 अंक)
🔵 प्रश्न 1: सामाजिक न्याय का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
🟢 1️⃣ समाज में समानता और निष्पक्षता स्थापित करना
🟡 2️⃣ आर्थिक वृद्धि बढ़ाना
🔴 3️⃣ राजनीतिक दलों की मजबूती
🟣 4️⃣ केवल संपत्ति का पुनर्वितरण
✔️ उत्तर: समाज में समानता और निष्पक्षता स्थापित करना

🔵 प्रश्न 2: सामाजिक न्याय का संबंध सबसे अधिक किससे है?
🟢 1️⃣ सामाजिक समानता से
🟡 2️⃣ राष्ट्रीय एकता से
🔴 3️⃣ राजनीतिक व्यवस्था से
🟣 4️⃣ धार्मिक सुधार से
✔️ उत्तर: सामाजिक समानता से

🔵 प्रश्न 3: “प्रत्येक व्यक्ति को उसका प्राप्य मिलना चाहिए” — यह किसका कथन है?
🟢 1️⃣ अरस्तु
🟡 2️⃣ प्लेटो
🔴 3️⃣ जॉन लॉक
🟣 4️⃣ रूसो
✔️ उत्तर: अरस्तु

🔵 प्रश्न 4: सामाजिक न्याय की अवधारणा में क्या शामिल है?
🟢 1️⃣ समानता
🟡 2️⃣ स्वतंत्रता
🔴 3️⃣ बंधुत्व
🟣 4️⃣ उपरोक्त सभी
✔️ उत्तर: उपरोक्त सभी

🔵 प्रश्न 5: भारत के संविधान में सामाजिक न्याय की भावना किस अनुच्छेद में निहित है?
🟢 1️⃣ प्रस्तावना में
🟡 2️⃣ अनुच्छेद 19 में
🔴 3️⃣ अनुच्छेद 14 में
🟣 4️⃣ अनुच्छेद 21 में
✔️ उत्तर: प्रस्तावना में

🔵 प्रश्न 6: किस विचारक ने ‘अज्ञान का आवरण’ (Veil of Ignorance) की अवधारणा दी?
🟢 1️⃣ रॉल्स (Rawls)
🟡 2️⃣ रूसो
🔴 3️⃣ अरस्तु
🟣 4️⃣ प्लेटो
✔️ उत्तर: रॉल्स (Rawls)

🔵 प्रश्न 7: भारत में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने हेतु कौन-सा प्रावधान है?
🟢 1️⃣ आरक्षण नीति
🟡 2️⃣ उद्योगों का निजीकरण
🔴 3️⃣ शिक्षा का व्यापारीकरण
🟣 4️⃣ करों में वृद्धि
✔️ उत्तर: आरक्षण नीति

🔵 प्रश्न 8: समान अवसर की अवधारणा किससे जुड़ी है?
🟢 1️⃣ राजनीतिक न्याय
🟡 2️⃣ सामाजिक न्याय
🔴 3️⃣ आर्थिक न्याय
🟣 4️⃣ अंतरराष्ट्रीय न्याय
✔️ उत्तर: सामाजिक न्याय

🔵 प्रश्न 9: सामाजिक न्याय प्राप्त करने का सर्वोत्तम साधन कौन-सा है?
🟢 1️⃣ शिक्षा
🟡 2️⃣ धन
🔴 3️⃣ सत्ता
🟣 4️⃣ धार्मिक आस्था
✔️ उत्तर: शिक्षा

🔵 प्रश्न 10: भारतीय संविधान के कौन-से भाग में सामाजिक न्याय की अवधारणा निहित है?
🟢 1️⃣ मौलिक अधिकार
🟡 2️⃣ नीति-निर्देशक तत्त्व
🔴 3️⃣ प्रस्तावना
🟣 4️⃣ उपरोक्त सभी
✔️ उत्तर: उपरोक्त सभी

🔵 प्रश्न 11: सामाजिक न्याय किस सिद्धांत पर आधारित है?
🟢 1️⃣ समान अवसर
🟡 2️⃣ समान अधिकार
🔴 3️⃣ न्यायसंगत वितरण
🟣 4️⃣ उपरोक्त सभी
✔️ उत्तर: उपरोक्त सभी

🔵 प्रश्न 12: रॉल्स के अनुसार सामाजिक न्याय का पहला सिद्धांत क्या है?
🟢 1️⃣ समान मूलभूत स्वतंत्रताएँ
🟡 2️⃣ आर्थिक समानता
🔴 3️⃣ संपत्ति का समान वितरण
🟣 4️⃣ वर्ग विभाजन
✔️ उत्तर: समान मूलभूत स्वतंत्रताएँ

🟠 खंड B – लघु उत्तर प्रश्न (प्रत्येक 2 अंक)
🟢 प्रश्न 13: सामाजिक न्याय का अर्थ क्या है?
🟡 उत्तर: सामाजिक न्याय का अर्थ है — समाज में सभी व्यक्तियों को समान अवसर, समान अधिकार और गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार देना, जिससे किसी के साथ भेदभाव न हो।

🟢 प्रश्न 14: सामाजिक न्याय और समानता में क्या संबंध है?
🟡 उत्तर: सामाजिक न्याय समानता पर आधारित है। समानता के बिना न्याय संभव नहीं। जब समाज में समान अवसर और अधिकार मिलते हैं, तभी न्याय की स्थापना होती है।

🟢 प्रश्न 15: सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए कौन-से साधन आवश्यक हैं?
🟡 उत्तर: शिक्षा का प्रसार, आर्थिक अवसरों की समानता, जातिगत भेदभाव का अंत, महिलाओं को समान अधिकार और वंचित वर्गों को संरक्षण — ये सामाजिक न्याय के मुख्य साधन हैं।

🟢 प्रश्न 16: रॉल्स के ‘अज्ञान के आवरण’ सिद्धांत का उद्देश्य क्या है?
🟡 उत्तर: रॉल्स के अनुसार, जब व्यक्ति अपनी पहचान से अनभिज्ञ होकर नियम बनाएगा, तभी न्याय निष्पक्ष होगा। यह सिद्धांत निष्पक्षता और समानता की स्थिति बनाने हेतु है।

🟢 प्रश्न 17: भारत में सामाजिक न्याय के संवैधानिक प्रावधान कौन-से हैं?
🟡 उत्तर: संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का उल्लेख है। नीति-निर्देशक तत्व (अनुच्छेद 38–39) और मौलिक अधिकार भी सामाजिक न्याय की गारंटी देते हैं।

🟢 प्रश्न 18: सामाजिक न्याय के तीन प्रमुख सिद्धांत बताइए।
🟡 उत्तर: उपयोगिता का सिद्धांत, समानता का सिद्धांत और स्वतंत्रता का सिद्धांत — ये सामाजिक न्याय के प्रमुख सिद्धांत हैं।

🟢 प्रश्न 19: सामाजिक न्याय में ‘विशेष सहायता’ की क्या भूमिका है?
🟡 उत्तर: विशेष सहायता या आरक्षण उन वर्गों को दी जाती है जो ऐतिहासिक रूप से पिछड़े हैं। यह समान अवसर की स्थापना में सहायक है।

🟢 प्रश्न 20: सामाजिक न्याय के लक्ष्य क्या हैं?
🟡 उत्तर: समान अवसर, आर्थिक असमानता का अंत, महिलाओं व कमजोर वर्गों को समान अधिकार, तथा समाज में निष्पक्षता और गरिमा स्थापित करना सामाजिक न्याय के लक्ष्य हैं।

🔷 खंड C – मध्यम उत्तर प्रश्न (प्रत्येक 4 अंक · ≈ 60 शब्द)
🟢 प्रश्न 21: सामाजिक न्याय के तीन प्रमुख सिद्धांतों को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
🟡 उत्तर:
सामाजिक न्याय के तीन प्रमुख सिद्धांत हैं —
1️⃣ उपयोगिता का सिद्धांत: अधिकतम लोगों का अधिकतम सुख सुनिश्चित करना, जैसे — सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाएँ।
2️⃣ समानता का सिद्धांत: सभी नागरिकों को समान अवसर और अधिकार देना, जैसे — शिक्षा में समान अवसर।
3️⃣ स्वतंत्रता का सिद्धांत: प्रत्येक व्यक्ति को अपनी योग्यता विकसित करने की स्वतंत्रता देना, जैसे — अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।

🟢 प्रश्न 22: रॉल्स के न्याय सिद्धांत की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
🟡 उत्तर:
दार्शनिक जॉन रॉल्स ने न्याय को निष्पक्षता के रूप में परिभाषित किया।
उन्होंने दो सिद्धांत दिए —
1️⃣ प्रत्येक व्यक्ति को समान मूलभूत स्वतंत्रताएँ मिलनी चाहिए।
2️⃣ असमानताएँ तभी उचित हैं जब वे समाज के सबसे कमजोर वर्गों के हित में हों।
उनका “अज्ञान का आवरण” सिद्धांत निष्पक्ष निर्णय का प्रतीक है।

🟢 प्रश्न 23: विशेष सहायता (Positive Discrimination) का औचित्य बताइए।
🟡 उत्तर:
विशेष सहायता सामाजिक न्याय की दिशा में एक आवश्यक कदम है।
यह उन वर्गों को अतिरिक्त अवसर देती है जो ऐतिहासिक रूप से वंचित रहे हैं, जैसे अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाएँ।
इससे समाज में अवसरों की समानता सुनिश्चित होती है और असमानता घटती है।

🟢 प्रश्न 24: नीति-निर्देशक तत्त्व (Directive Principles) सामाजिक न्याय से कैसे संबंधित हैं?
🟡 उत्तर:
भारत के संविधान के नीति-निर्देशक तत्त्व (अनुच्छेद 36–51) सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में राज्य का मार्गदर्शन करते हैं।
ये राज्य को निर्देश देते हैं कि सभी नागरिकों को समान अवसर, कार्य की उचित शर्तें और जीवन का उचित स्तर प्रदान किया जाए।
इससे समाज में समानता और गरिमा सुनिश्चित होती है।

🟢 प्रश्न 25: सामाजिक न्याय प्राप्त करने में शिक्षा की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
🟡 उत्तर:
शिक्षा सामाजिक समानता और न्याय का सबसे प्रभावी साधन है।
यह व्यक्ति को ज्ञान, अधिकारों की समझ और आत्मनिर्भरता प्रदान करती है।
शिक्षा से पिछड़े वर्गों को आगे बढ़ने के अवसर मिलते हैं, जिससे असमानता कम होती है।
सरकार की “शिक्षा का अधिकार” नीति इसी दिशा में कदम है।

🟢 प्रश्न 26: सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों का संबंध स्पष्ट करें।
🟡 उत्तर:
सामाजिक न्याय मानवाधिकारों की आत्मा है।
मानवाधिकार व्यक्ति की गरिमा, समानता और स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं।
जब सामाजिक न्याय सुनिश्चित होता है, तो हर व्यक्ति को जीवन, स्वतंत्रता और समान अवसरों का अधिकार मिलता है।
अतः सामाजिक न्याय और मानवाधिकार परस्पर पूरक हैं।

🔶 खंड D – विस्तृत उत्तर प्रश्न (प्रत्येक 7 अंक · ≈ 150 शब्द)
🔵 प्रश्न 27: सामाजिक न्याय का अर्थ और उसके प्रमुख घटकों की व्याख्या कीजिए।
🟢 उत्तर:
सामाजिक न्याय का अर्थ है — समाज में समान अवसर, अधिकार और संसाधनों का न्यायसंगत वितरण ताकि कोई व्यक्ति जाति, लिंग, धर्म या वर्ग के कारण वंचित न रहे।
इसके प्रमुख घटक हैं —
1️⃣ समान अवसर: सभी को अपनी योग्यता विकसित करने का समान अवसर।
2️⃣ निष्पक्षता: भेदभाव रहित न्यायपूर्ण व्यवहार।
3️⃣ सामाजिक सुरक्षा: कमजोर वर्गों की सुरक्षा हेतु राज्य की जिम्मेदारी।
4️⃣ गरिमा की रक्षा: प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानजनक जीवन का अधिकार।
📘 सामाजिक न्याय का उद्देश्य समाज में समानता, बंधुत्व और एकता स्थापित करना है — जो लोकतंत्र की आत्मा है।

🔵 प्रश्न 28: भारत में सामाजिक न्याय की प्राप्ति में संविधान की भूमिका स्पष्ट करें।
🟢 उत्तर:
भारतीय संविधान सामाजिक न्याय की आधारशिला है।
📚 इसकी प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की गारंटी दी गई है।
मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 14–18) समानता और स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।
नीति-निर्देशक तत्व (अनुच्छेद 38–39) राज्य को समान अवसर और जीवन स्तर सुनिश्चित करने का दायित्व देते हैं।
साथ ही, अनुसूचित जाति/जनजाति के आरक्षण प्रावधान, शिक्षा का अधिकार और महिला संरक्षण कानून सामाजिक न्याय को व्यावहारिक रूप देते हैं।
⚖️ संविधान ने न्यायपूर्ण समाज की दिशा में ठोस आधार निर्मित किया है।

🔵 प्रश्न 29: भारत में सामाजिक न्याय के समक्ष मुख्य बाधाएँ क्या हैं?
🟢 उत्तर:
भारत में सामाजिक न्याय को प्राप्त करने में अनेक बाधाएँ हैं —
1️⃣ जातिवाद: सामाजिक विभाजन और ऊँच-नीच की भावना।
2️⃣ लैंगिक असमानता: महिलाओं के प्रति भेदभाव।
3️⃣ आर्थिक विषमता: गरीबी और बेरोज़गारी।
4️⃣ शैक्षिक असमानता: शिक्षा की असमान पहुँच।
5️⃣ राजनीतिक पक्षपात: योजनाओं का असमान क्रियान्वयन।
➡️ इन बाधाओं को दूर करने हेतु शिक्षा, सामाजिक सुधार, आर्थिक नीतियों में समानता, और न्यायपूर्ण कानूनों की आवश्यकता है।

🔵 प्रश्न 30: रॉल्स के न्याय सिद्धांत का सामाजिक न्याय से क्या संबंध है?
🟢 उत्तर:
दार्शनिक जॉन रॉल्स ने सामाजिक न्याय को निष्पक्षता के रूप में परिभाषित किया।
उनका मत था कि न्याय तभी संभव है जब सभी को समान स्वतंत्रता और अवसर मिलें तथा असमानताएँ केवल तभी स्वीकार्य हों जब वे वंचित वर्गों के हित में हों।
“अज्ञान का आवरण” सिद्धांत उनके निष्पक्ष दृष्टिकोण का प्रतीक है।
📘 रॉल्स का सिद्धांत भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों से मेल खाता है, क्योंकि यह समानता, गरिमा और अवसर की समानता को बढ़ावा देता है।
इस प्रकार रॉल्स का सिद्धांत सामाजिक न्याय की दार्शनिक नींव को मजबूत करता है।

————————————————————————————————————————————————————————————————————————————

मस्तिष्क मानचित्र

————————————————————————————————————————————————————————————————————————————

दृश्य सामग्री

————————————————————————————————————————————————————————————————————————————

Leave a Reply