Class 11 : Poltical Science (In Hindi) – Lesson 13. समानता
पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन
🌟 प्रस्तावना (Introduction)
🔵 समानता (Equality) आधुनिक लोकतांत्रिक समाजों की आत्मा है।
🟢 यह वह सिद्धांत है जो यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक व्यक्ति को समान अवसर, अधिकार और सम्मान प्राप्त हो।
🟡 भारतीय संविधान ने समानता को अपने मूल ढाँचे में स्थान दिया है, जिससे किसी भी नागरिक के साथ जाति, लिंग, धर्म, वंश, या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।
🔴 समानता केवल कानून में नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में भी लागू होनी चाहिए।
💡 यही कारण है कि समानता केवल औपचारिक विचार नहीं, बल्कि एक जीवंत सामाजिक मूल्य है जो न्याय और स्वतंत्रता से जुड़ा है।
🏛️ मुख्य व्याख्या (Main Explanation)
🧭 1. समानता का अर्थ (Meaning of Equality)
🔵 समानता का तात्पर्य यह नहीं कि सभी मनुष्य हर दृष्टि से समान हैं।
🟢 इसका अर्थ है कि सभी को समान अवसर और व्यवहार मिलना चाहिए।
🟡 किसी के साथ भेदभाव या विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए।
🔴 यह विचार राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक — तीनों स्तरों पर लागू होता है।
💡 समानता का संबंध न्याय और स्वतंत्रता से गहराई से जुड़ा है।
⚖️ 2. समानता के प्रकार (Types of Equality)
🟢 (1) राजनीतिक समानता (Political Equality)
🔹 प्रत्येक नागरिक को शासन में भाग लेने का समान अधिकार प्राप्त है।
🔹 यह समान मतदान अधिकार (Universal Adult Franchise) द्वारा सुनिश्चित होती है।
🔹 प्रत्येक व्यक्ति को नेता चुनने, चुनाव लड़ने और राजनीतिक दल बनाने की स्वतंत्रता है।
🟡 (2) सामाजिक समानता (Social Equality)
🔹 समाज में किसी व्यक्ति को ऊँच-नीच, जाति, धर्म, या वंश के आधार पर श्रेष्ठ या निम्न नहीं माना जाता।
🔹 समान सामाजिक स्थिति और सम्मान का अधिकार सभी को प्राप्त होता है।
🔹 छुआछूत, भेदभाव, या सामाजिक विभाजन का विरोध सामाजिक समानता की बुनियाद है।
🔴 (3) आर्थिक समानता (Economic Equality)
🔹 सभी नागरिकों को आजीविका के समान अवसर मिलें।
🔹 संसाधनों का समान वितरण हो ताकि कोई अत्यधिक अमीर या अत्यधिक गरीब न रहे।
🔹 राज्य कल्याणकारी नीतियों द्वारा गरीबी, बेरोजगारी, और असमानताओं को कम करने का प्रयास करता है।
🔵 (4) विधिक समानता (Legal Equality)
🔹 प्रत्येक व्यक्ति कानून की दृष्टि में समान है।
🔹 सभी नागरिकों को समान विधिक संरक्षण (Equal Protection of Law) प्राप्त है।
🔹 कोई व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है — यह ‘Rule of Law’ की मूल भावना है।
🟢 (5) अवसर की समानता (Equality of Opportunity)
🔹 शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक विकास के क्षेत्र में सभी को समान अवसर मिलने चाहिए।
🔹 संविधान ने आरक्षण जैसी व्यवस्थाओं द्वारा ऐतिहासिक रूप से वंचित वर्गों को आगे बढ़ने का अवसर दिया है।
🏛️ 3. समानता का संवैधानिक आधार (Constitutional Basis of Equality)
🔵 भारतीय संविधान ने समानता के सिद्धांत को अनुच्छेद 14 से 18 में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है।
🟢 अनुच्छेद 14: सभी के लिए कानून के समक्ष समानता और समान विधिक संरक्षण।
🟡 अनुच्छेद 15: धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान आदि के आधार पर भेदभाव का निषेध।
🔴 अनुच्छेद 16: सरकारी नौकरियों में समान अवसर।
🔵 अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का उन्मूलन।
🟢 अनुच्छेद 18: उपाधियों (Titles) का उन्मूलन।
💡 इन अनुच्छेदों के माध्यम से समानता केवल एक नैतिक मूल्य नहीं बल्कि एक कानूनी अधिकार बन गई है।
⚙️ 4. समानता के लिए राज्य की भूमिका (Role of the State)
🔹 समानता सुनिश्चित करने के लिए राज्य को सक्रिय भूमिका निभानी पड़ती है।
🔹 शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सुरक्षा की योजनाएँ समान अवसर पैदा करती हैं।
🔹 भूमि सुधार, आरक्षण, महिला सशक्तिकरण, और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम आर्थिक असमानता को घटाने के प्रयास हैं।
💡 केवल कानून बनाना पर्याप्त नहीं; राज्य को समानता के व्यावहारिक स्वरूप को लागू भी करना होता है।
🌍 5. समानता और सामाजिक न्याय (Equality and Social Justice)
🔵 समानता सामाजिक न्याय की रीढ़ है।
🟢 जब तक समाज में वर्ग, जाति, या लिंग आधारित भेदभाव रहेगा, समानता अधूरी रहेगी।
🟡 सामाजिक न्याय का अर्थ है — अवसरों की निष्पक्षता और परिणामों की समानता।
🔴 इसलिए संविधान ने कल्याणकारी राज्य (Welfare State) की स्थापना की है, जिससे सबको गरिमा-पूर्ण जीवन मिल सके।
🏛️ 6. असमानता के रूप (Forms of Inequality)
🔹 प्राकृतिक असमानता: शारीरिक या बौद्धिक क्षमताओं का भिन्न होना।
🔹 सामाजिक असमानता: जाति-भेद, लिंग-भेद, या सामाजिक दर्जे का अंतर।
🔹 आर्थिक असमानता: आय, संपत्ति, या संसाधनों में असंतुलन।
💡 समाज में समानता की प्राप्ति के लिए इन सभी असमानताओं को घटाना आवश्यक है।
📚 7. समानता और स्वतंत्रता का संबंध (Relation between Equality and Liberty)
🔵 स्वतंत्रता और समानता एक-दूसरे के पूरक हैं।
🟢 समानता के बिना स्वतंत्रता केवल शक्तिशाली वर्ग का विशेषाधिकार बन जाती है।
🟡 वहीं स्वतंत्रता के बिना समानता का कोई मूल्य नहीं क्योंकि समान अधिकारों का उपयोग करने की क्षमता नहीं रहती।
💡 इसीलिए लोकतंत्र में दोनों का संतुलन आवश्यक है।
🎯 8. समानता की प्राप्ति के उपाय (Measures to Achieve Equality)
1️⃣ शिक्षा का प्रसार — शिक्षा समान अवसर प्रदान करती है।
2️⃣ आरक्षण नीति — अनुसूचित जाति, जनजाति, और पिछड़े वर्गों के लिए अवसर।
3️⃣ महिला सशक्तिकरण — लिंग आधारित असमानता घटाने के लिए कदम।
4️⃣ भूमि सुधार और गरीबी उन्मूलन योजनाएँ — आर्थिक समानता के लिए।
5️⃣ सामाजिक चेतना और सुधार आंदोलन — समानता के विचार को समाज में गहराई तक पहुँचाना।
⚖️ 9. समानता की सीमाएँ और चुनौतियाँ (Limitations and Challenges)
🔹 भारत में जाति-प्रथा, लैंगिक भेदभाव, और आर्थिक विषमता अभी भी समानता में बाधा हैं।
🔹 ग्रामीण-शहरी अंतर और शिक्षा में असमान पहुँच अवसरों को सीमित करते हैं।
🔹 समानता को केवल कानूनी दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अपनाना होगा।
💡 नागरिकों की चेतना, राज्य की नीतियाँ, और समाज की भागीदारी — तीनों मिलकर ही वास्तविक समानता ला सकते हैं।
📘 सारांश (Summary)
🟢 समानता का मूल विचार यह है कि समाज में कोई भी व्यक्ति किसी भी आधार पर नीचा या ऊँचा नहीं माना जाए।
🟡 भारतीय संविधान ने इसे अपने मूल अधिकारों में शामिल किया है।
🔵 समानता केवल कानून तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक जीवन के सभी क्षेत्रों में लागू होती है।
🔴 राज्य की नीतियाँ, कल्याणकारी योजनाएँ, और नागरिक चेतना — समानता के सुदृढ़ स्तंभ हैं।
💡 जब तक समाज में सबको समान अवसर और सम्मान नहीं मिलेगा, तब तक लोकतंत्र की आत्मा अधूरी रहेगी।
📝 त्वरित पुनरावलोकन (Quick Recap)
✔️ समानता — लोकतंत्र की आत्मा
✔️ अनुच्छेद 14–18 — समानता का संवैधानिक आधार
✔️ समानता के प्रकार — राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, विधिक
✔️ समानता और स्वतंत्रता — परस्पर पूरक
✔️ प्रमुख उपाय — शिक्षा, आरक्षण, कल्याणकारी योजनाएँ, सामाजिक सुधार
✔️ वास्तविक समानता — केवल कानून से नहीं, समाज की चेतना से संभव
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
🔵 प्रश्न 1:
कुछ लोगों का तर्क है कि असमानता प्राकृतिक है जबकि कुछ अन्य का कहना है कि वास्तव में समानता प्राकृतिक है और जो असमानता हम चारों ओर देखते हैं उसे समाज ने उत्पन्न किया है।
आप किस मत का समर्थन करते हैं? कारण दीजिए।
🟢 उत्तर:
समानता प्राकृतिक है क्योंकि सभी मनुष्य समान गरिमा और क्षमता के साथ जन्म लेते हैं।
असमानता समाज की बनाई हुई व्यवस्था है जो जाति, वर्ग, लिंग और आर्थिक भेद पर आधारित होती है।
इसलिए असमानता सामाजिक और कृत्रिम है, जबकि समानता मानव जीवन का स्वाभाविक गुण है।
अतः मैं समानता को प्राकृतिक मानने वाले मत का समर्थन करता हूँ।
🔵 प्रश्न 2:
एक मत है कि पूर्ण आर्थिक समानता न तो संभव है और न वांछनीय।
एक समाज ज्यादा से ज्यादा बहुत अमीर और बहुत गरीब लोगों के बीच के अंतर को कम करने का प्रयास कर सकता है।
क्या आप इस तर्क से सहमत हैं? अपना मत दीजिए।
🟢 उत्तर:
हाँ, मैं इस तर्क से सहमत हूँ क्योंकि पूर्ण आर्थिक समानता संभव नहीं है।
लोगों की क्षमताएँ, मेहनत और आवश्यकताएँ अलग-अलग होती हैं।
परंतु समाज को अमीरी-गरीबी के अंतर को कम करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए।
इसके लिए सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और कर नीति के माध्यम से अवसरों की समानता सुनिश्चित करनी चाहिए।
यही वास्तविक आर्थिक समानता है।
🔵 प्रश्न 3:
नीचे दी गई अवधारणाओं को उचित उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए —
(क) सकारात्मक कार्रवाई
(ख) अवसर की समानता
(ग) समान अधिकार
🟢 उत्तर:
(क) सकारात्मक कार्रवाई:
ऐसी नीतियाँ जिनसे वंचित वर्गों को विशेष अवसर दिए जाते हैं।
उदाहरण — अनुसूचित जातियों, जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण।
(ख) अवसर की समानता:
हर व्यक्ति को समान अवसर मिलना चाहिए ताकि वह अपनी योग्यता के आधार पर प्रगति कर सके।
उदाहरण — सभी नागरिकों को सरकारी नौकरियों में समान प्रतियोगिता का अधिकार।
(ग) समान अधिकार:
सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता और समान राजनीतिक अधिकार मिलना।
उदाहरण — सभी नागरिकों को समान मताधिकार का अधिकार।
🔵 प्रश्न 4:
किसानों की समानता से संबंधित एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार छोटे और सीमांत किसानों को बाजार में अपने उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिलता।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को किसानों की बेहतर आय सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए, लेकिन यह प्रयास केवल लघु और सीमांत किसानों तक सीमित रहना चाहिए।
क्या यह कदम समानता के सिद्धांत से संगत है?
🟢 उत्तर:
हाँ, यह कदम समानता के सिद्धांत से संगत है।
यह सकारात्मक समानता का उदाहरण है, जिसमें कमजोर वर्गों को आगे बढ़ने के लिए विशेष सहायता दी जाती है।
लघु किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारना सामाजिक न्याय का हिस्सा है।
समानता का अर्थ सभी को समान व्यवहार देना नहीं, बल्कि जिनकी स्थिति कमजोर है उन्हें विशेष अवसर देना है।
🔵 प्रश्न 5:
निम्नलिखित में से किस में समानता के किस सिद्धांत का उल्लंघन है और क्यों?
(क) कक्षा का हर बच्चा नाटक का पाठ अपने क्रम में आएगा।
(ख) कनाडा सरकार ने दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति तक 1960 तक यूरोप के श्वेत नागरिकों को कनाडा में आने और बसने के लिए प्रोत्साहित किया।
(ग) वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से रेल आरक्षण की एक खिड़की खोली गई।
(घ) कुछ वन क्षेत्रों को निश्चित आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित कर दिया गया।
🟢 उत्तर:
(ख) में समानता के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है।
क्योंकि यह नीति नस्लीय भेदभाव पर आधारित थी और गैर-श्वेत नागरिकों को बाहर रखा गया।
यह अवसर की समानता और सामाजिक न्याय के विपरीत है।
जबकि (ग) और (घ) सकारात्मक समानता के उदाहरण हैं क्योंकि ये कमजोर वर्गों के हित में हैं।
🔵 प्रश्न 6:
यहाँ महिलाओं को मताधिकार देने के पक्ष में कुछ तर्क दिए गए हैं।
इनमें से कौन-से तर्क समानता के विचार से संगत हैं? कारण भी दीजिए।
(क) स्त्रियाँ हमारी माताएँ हैं; हम अपनी माताओं को मताधिकार से वंचित करके अपमानित नहीं करेंगे।
(ख) सरकार के निर्णय पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी प्रभावित करते हैं, इसलिए शासकों के चुनाव में उनका भी मत होना चाहिए।
(ग) महिलाओं को मताधिकार न देने से परिवारों में मतभेद पैदा हो जाएँगे।
(घ) महिलाओं से मिलकर आधी दुनिया बनती है; उन्हें मताधिकार से वंचित करना अन्याय है।
🟢 उत्तर:
समानता के सिद्धांत से (ख) और (घ) दोनों तर्क संगत हैं।
(ख) राजनीतिक समानता को व्यक्त करता है क्योंकि सरकार के निर्णय महिलाओं को भी प्रभावित करते हैं।
(घ) सामाजिक समानता को दर्शाता है क्योंकि महिलाएँ समाज का आधा भाग हैं और उन्हें मताधिकार से वंचित करना असमानता है।
अतः इन दोनों तर्कों से समानता और न्याय के मूल विचार की पुष्टि होती है।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
🔷 खंड A – बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs · प्रत्येक 1 अंक)
🔵 प्रश्न 1: समानता का अर्थ क्या है?
🟢 1️⃣ सबके लिए एक जैसे परिणाम
🟡 2️⃣ सबके लिए समान अवसर
🔴 3️⃣ सबके लिए समान धन
🟣 4️⃣ सबके लिए समान शिक्षा
✔️ उत्तर: सबके लिए समान अवसर
🔵 प्रश्न 2: समानता के सिद्धांत को सबसे पहले किसने बल दिया?
🟢 1️⃣ प्लेटो
🟡 2️⃣ अरस्तु
🔴 3️⃣ रूसो
🟣 4️⃣ जॉन लॉक
✔️ उत्तर: रूसो
🔵 प्रश्न 3: संविधान में समानता का प्रावधान किस अनुच्छेद में है?
🟢 1️⃣ अनुच्छेद 12–15
🟡 2️⃣ अनुच्छेद 14–18
🔴 3️⃣ अनुच्छेद 19–22
🟣 4️⃣ अनुच्छेद 23–25
✔️ उत्तर: अनुच्छेद 14–18
🔵 प्रश्न 4: ‘समानता के अधिकार’ का अर्थ क्या है?
🟢 1️⃣ समाज में सबके समान अवसर
🟡 2️⃣ सबके लिए समान धन
🔴 3️⃣ सबको समान शिक्षा
🟣 4️⃣ सबको समान कार्य
✔️ उत्तर: समाज में सबके समान अवसर
🔵 प्रश्न 5: भारत में अस्पृश्यता उन्मूलन किस अनुच्छेद के अंतर्गत किया गया?
🟢 1️⃣ अनुच्छेद 14
🟡 2️⃣ अनुच्छेद 16
🔴 3️⃣ अनुच्छेद 17
🟣 4️⃣ अनुच्छेद 18
✔️ उत्तर: अनुच्छेद 17
🔵 प्रश्न 6: अवसर की समानता का अर्थ है—
🟢 1️⃣ सबको समान शिक्षा
🟡 2️⃣ सबको समान अवसर प्राप्त होना
🔴 3️⃣ सबको समान परिणाम मिलना
🟣 4️⃣ सबको समान धन
✔️ उत्तर: सबको समान अवसर प्राप्त होना
🔵 प्रश्न 7: निम्न में से कौन-सी समानता राजनीतिक समानता है?
🟢 1️⃣ शिक्षा का समान अधिकार
🟡 2️⃣ मतदान का समान अधिकार
🔴 3️⃣ संपत्ति का समान अधिकार
🟣 4️⃣ अवसर की समानता
✔️ उत्तर: मतदान का समान अधिकार
🔵 प्रश्न 8: आर्थिक समानता का अर्थ है—
🟢 1️⃣ आय में असमानता का अंत
🟡 2️⃣ संपत्ति का समान वितरण
🔴 3️⃣ मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति
🟣 4️⃣ उपरोक्त सभी
✔️ उत्तर: उपरोक्त सभी
🔵 प्रश्न 9: सामाजिक समानता का अर्थ है—
🟢 1️⃣ जाति-भेद का अंत
🟡 2️⃣ शिक्षा में समानता
🔴 3️⃣ महिलाओं को समान अवसर
🟣 4️⃣ उपरोक्त सभी
✔️ उत्तर: उपरोक्त सभी
🔵 प्रश्न 10: समानता के सिद्धांत का विरोध कौन करता है?
🟢 1️⃣ उदारवादी विचारक
🟡 2️⃣ मार्क्सवादी विचारक
🔴 3️⃣ असमानतावादी विचारक
🟣 4️⃣ समाजवादी विचारक
✔️ उत्तर: असमानतावादी विचारक
🔵 प्रश्न 11: समानता का कौन-सा रूप भारत में संविधान द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है?
🟢 1️⃣ राजनीतिक समानता
🟡 2️⃣ सामाजिक समानता
🔴 3️⃣ प्राकृतिक समानता
🟣 4️⃣ आर्थिक समानता
✔️ उत्तर: प्राकृतिक समानता
🔵 प्रश्न 12: महिलाओं को समान अधिकार देना समानता के किस रूप का उदाहरण है?
🟢 1️⃣ राजनीतिक समानता
🟡 2️⃣ सामाजिक समानता
🔴 3️⃣ आर्थिक समानता
🟣 4️⃣ प्राकृतिक समानता
✔️ उत्तर: सामाजिक समानता
🟠 खंड B – लघु उत्तर प्रश्न (प्रत्येक 2 अंक)
🟢 प्रश्न 13: समानता के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं?
🟡 उत्तर: समानता के चार प्रमुख प्रकार हैं — सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और नागरिक समानता। ये सभी नागरिकों के अधिकार और अवसर समान रूप से सुनिश्चित करते हैं।
🟢 प्रश्न 14: अवसर की समानता का क्या अर्थ है?
🟡 उत्तर: अवसर की समानता का अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी योग्यता और प्रतिभा के अनुसार प्रगति के समान अवसर मिलें, बिना किसी जाति, धर्म, लिंग या वर्ग के भेदभाव के।
🟢 प्रश्न 15: समानता के सिद्धांत की आवश्यकता क्यों है?
🟡 उत्तर: समाज में भेदभाव और असमानता को समाप्त कर न्यायपूर्ण व्यवस्था बनाए रखने के लिए समानता आवश्यक है, जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमता का पूरा विकास कर सके।
🟢 प्रश्न 16: राजनीतिक समानता से आप क्या समझते हैं?
🟡 उत्तर: राजनीतिक समानता का अर्थ है कि सभी नागरिकों को समान मतदान अधिकार और शासन में भागीदारी का समान अवसर प्राप्त हो।
🟢 प्रश्न 17: संविधान में समानता कैसे सुनिश्चित की गई है?
🟡 उत्तर: अनुच्छेद 14 से 18 तक समानता सुनिश्चित की गई है — कानून के समक्ष समानता, अवसर की समानता, अस्पृश्यता का अंत और उपाधियों का उन्मूलन।
🟢 प्रश्न 18: समानता और न्याय में क्या संबंध है?
🟡 उत्तर: समानता और न्याय एक-दूसरे के पूरक हैं। समानता के बिना न्याय संभव नहीं, और न्याय समान अवसर और अधिकारों की गारंटी देता है।
🟢 प्रश्न 19: भारत में असमानता के कौन-कौन से रूप हैं?
🟡 उत्तर: भारत में जातिगत असमानता, लैंगिक असमानता, आर्थिक असमानता और शिक्षा में असमानता प्रमुख हैं।
🟢 प्रश्न 20: महिलाओं को मताधिकार देने के पक्ष में समानता का कौन-सा तर्क है?
🟡 उत्तर: महिलाएँ समाज का आधा हिस्सा हैं, अतः उन्हें भी शासन-निर्णय में समान भागीदारी का अधिकार होना चाहिए — यह राजनीतिक समानता का सिद्धांत है।
🔷 खंड C – मध्यम उत्तर प्रश्न (प्रत्येक 4 अंक · ≈ 60 शब्द)
🟢 प्रश्न 21: सामाजिक समानता का अर्थ और महत्व समझाइए।
🟡 उत्तर: सामाजिक समानता का अर्थ है कि सभी व्यक्तियों को जाति, धर्म, लिंग या जन्म के आधार पर कोई भेदभाव न किया जाए। इसका महत्व इस बात में है कि यह समाज में एकता, बंधुत्व और पारस्परिक सम्मान की भावना उत्पन्न करती है, जिससे सभी नागरिक समान गरिमा के साथ जीवन जी सकें।
🟢 प्रश्न 22: आर्थिक समानता क्यों आवश्यक है?
🟡 उत्तर: आर्थिक समानता समाज में आय और संपत्ति के असमान वितरण को समाप्त करती है। यह सुनिश्चित करती है कि सभी को जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ — भोजन, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि — समान रूप से उपलब्ध हों। आर्थिक समानता के बिना सामाजिक और राजनीतिक समानता अधूरी रह जाती है।
🟢 प्रश्न 23: समानता की स्थापना में राज्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
🟡 उत्तर: राज्य समानता की रक्षा के लिए कानून बनाता है, भेदभाव पर रोक लगाता है और वंचित वर्गों को अवसर प्रदान करता है। आरक्षण, शिक्षा के अधिकार, महिलाओं की समान भागीदारी जैसी नीतियाँ राज्य द्वारा समानता को व्यवहार में लाने के साधन हैं।
🟢 प्रश्न 24: अवसर की समानता और परिणाम की समानता में अंतर बताइए।
🟡 उत्तर: अवसर की समानता का अर्थ है कि हर व्यक्ति को अपने प्रयास से आगे बढ़ने का समान अवसर मिले। परिणाम की समानता का तात्पर्य यह है कि सभी को समान परिणाम प्राप्त हों। लोकतांत्रिक समाज में अवसर की समानता को प्राथमिकता दी जाती है ताकि योग्यता के आधार पर प्रगति हो।
🟢 प्रश्न 25: भारत में समानता के संवैधानिक उपाय कौन-कौन से हैं?
🟡 उत्तर: भारतीय संविधान में अनुच्छेद 14–18 तक समानता की गारंटी दी गई है। इनमें शामिल हैं — कानून के समक्ष समानता (14), अवसर की समानता (16), अस्पृश्यता का उन्मूलन (17), और उपाधियों की समाप्ति (18)। ये प्रावधान नागरिकों को समान अधिकार और गरिमा प्रदान करते हैं।
🟢 प्रश्न 26: असमानता के सामाजिक कारण क्या हैं?
🟡 उत्तर: असमानता के प्रमुख सामाजिक कारण हैं — जातिवाद, लैंगिक भेदभाव, शिक्षा की असमान पहुँच, धार्मिक पूर्वाग्रह और पारंपरिक सामाजिक ढाँचा। ये कारण व्यक्तियों के बीच ऊँच-नीच की भावना पैदा करते हैं और समान अवसरों में बाधा बनते हैं।
🔶 खंड D – विस्तृत उत्तर प्रश्न (प्रत्येक 7 अंक · ≈ 150 शब्द)
🔵 प्रश्न 27: समानता के विभिन्न रूपों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर: समानता के चार मुख्य रूप हैं —
1️⃣ सामाजिक समानता: जाति, धर्म, लिंग या वर्ग के आधार पर किसी भी व्यक्ति से भेदभाव न किया जाए।
2️⃣ राजनीतिक समानता: प्रत्येक नागरिक को मतदान और शासन में भागीदारी का समान अधिकार मिले।
3️⃣ आर्थिक समानता: आय व संपत्ति में असमानता कम करने के उपाय हों ताकि मूलभूत सुविधाएँ सभी को मिलें।
4️⃣ नागरिक समानता: कानून के समक्ष सभी बराबर हों।
➡️ इन रूपों से समाज में न्याय, समान अवसर और गरिमा की भावना सुनिश्चित होती है, जो लोकतंत्र की आत्मा है।
🔵 प्रश्न 28: भारत में समानता के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
🟢 उत्तर: भारत में समानता की राह में कई बाधाएँ हैं —
1️⃣ जातिगत असमानता: सामाजिक विभाजन अब भी व्यापक है।
2️⃣ लैंगिक असमानता: महिलाओं को आज भी कई क्षेत्रों में समान अवसर नहीं मिलते।
3️⃣ आर्थिक विषमता: अमीर-गरीब की खाई बढ़ती जा रही है।
4️⃣ शैक्षिक असमानता: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुँच नहीं है।
➡️ इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सामाजिक सुधार, शिक्षा, आरक्षण और नीति-निर्देशक सिद्धांतों का पालन आवश्यक है।
🔵 प्रश्न 29: समानता और स्वतंत्रता के बीच संबंध स्पष्ट कीजिए।
🟢 उत्तर: समानता और स्वतंत्रता एक-दूसरे के पूरक हैं। बिना स्वतंत्रता के समानता खोखली होती है, और बिना समानता के स्वतंत्रता केवल शक्तिशाली वर्ग तक सीमित रह जाती है।
💡 लोकतांत्रिक राज्य में समानता स्वतंत्रता को सार्थक बनाती है, क्योंकि समान अधिकार और अवसर मिलने से ही हर व्यक्ति स्वतंत्र रूप से अपनी क्षमता विकसित कर सकता है।
➡️ अतः दोनों का संतुलन ही सच्चे लोकतंत्र की पहचान है।
🔵 प्रश्न 30: समानता के सिद्धांत का लोकतांत्रिक समाज में क्या महत्व है?
🟢 उत्तर: समानता लोकतंत्र की आधारशिला है। यह नागरिकों को समान अधिकार, अवसर और सम्मान प्रदान करती है।
📚 इसके बिना शासन केवल शक्तिशाली वर्ग के हित में सीमित रह जाएगा।
समानता से समाज में एकता, सहयोग और सामाजिक न्याय की भावना बढ़ती है।
⚖️ भारतीय संविधान ने समानता को मौलिक अधिकार के रूप में स्थान दिया है, जिससे नागरिकों को गरिमा और आत्म-सम्मान के साथ जीवन जीने की गारंटी मिलती है।
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मस्तिष्क मानचित्र
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दृश्य सामग्री
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