Class 11 : Geography (In Hindi) – Lesson 3. पृथ्वी की आंतरिक संरचना
पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन
🌎 प्रस्तावना
हमारा ग्रह पृथ्वी लगभग 4.6 अरब वर्ष पूर्व बना था और तब से यह निरंतर भूवैज्ञानिक (Geological) प्रक्रियाओं के कारण विकसित होती रही है। पृथ्वी आज जिस रूप में दिखाई देती है, वह उसके आंतरिक भाग (Internal Structure) की गतिविधियों और गतिशीलता का परिणाम है। पृथ्वी केवल एक ठोस गोला नहीं है, बल्कि इसकी भीतरी संरचना विभिन्न परतों से बनी है, जिनकी रचना, घनत्व, तापमान और गुणधर्म एक-दूसरे से भिन्न हैं।
पृथ्वी की आंतरिक संरचना को समझना भूगोल (Geography), भूविज्ञान (Geology), भूकम्प विज्ञान (Seismology) और प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics) जैसे विषयों को समझने की बुनियाद है। भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट, पर्वतनिर्माण, महाद्वीपीय विस्थापन, और भूगर्भीय चक्र जैसे सभी प्राकृतिक घटनाएँ पृथ्वी के भीतर चल रही प्रक्रियाओं से जुड़ी होती हैं।
🌍 पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी के स्रोत
पृथ्वी के अंदर प्रत्यक्ष रूप से प्रवेश करना असम्भव है क्योंकि यह अत्यधिक तापमान और दाब के कारण मनुष्यों के लिए असुरक्षित है। अतः वैज्ञानिकों ने इसकी संरचना को समझने के लिए प्रत्यक्ष (Direct) और अप्रत्यक्ष (Indirect) स्रोतों का उपयोग किया है।
🔬 1. प्रत्यक्ष स्रोत
🪨 गहराई में खनन और ड्रिलिंग:
पृथ्वी की सतह से लगभग 12 किमी गहराई तक ड्रिलिंग की जा चुकी है।
गहरे खानों (Mines) और तेल कुओं से प्राप्त नमूने आंतरिक परतों की रासायनिक संरचना का संकेत देते हैं।
🌋 ज्वालामुखीय उद्गार:
ज्वालामुखियों से बाहर निकलने वाला लावा पृथ्वी के गहराई वाले भागों से आता है।
इसका विश्लेषण आंतरिक संरचना के बारे में उपयोगी जानकारी देता है।
🌐 2. अप्रत्यक्ष स्रोत
🌊 भूकंपीय तरंगें (Seismic Waves):
भूकम्प के दौरान उत्पन्न तरंगों की गति, दिशा और अपवर्तन से पृथ्वी की आंतरिक परतों की जानकारी मिलती है।
भूकम्प तरंगों के व्यवहार से परतों का घनत्व, अवस्था (ठोस या द्रव) और मोटाई ज्ञात होती है।
🌍 गुरुत्वाकर्षण और चुम्बकीय माप:
गुरुत्वीय असामान्यताओं से परतों की घनत्व भिन्नता का संकेत मिलता है।
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field) से इसके आंतरिक भाग में धात्विक पदार्थों की उपस्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।
🧪 उल्कापिंडों (Meteorites) का अध्ययन:
माना जाता है कि उल्कापिंड और पृथ्वी का निर्माण एक ही समय में हुआ।
उनके विश्लेषण से पृथ्वी के अंदरूनी पदार्थों की संरचना का अनुमान लगाया जा सकता है।
🌍 पृथ्वी की आंतरिक परतें
पृथ्वी को सामान्यतः तीन मुख्य परतों में विभाजित किया जाता है:
🌋 भू-पर्पटी (Crust)
🌍 मेंटल (Mantle)
🔥 कोर (Core)
🪨 1. भू-पर्पटी (Crust)
🌐 यह पृथ्वी की सबसे बाहरी और सबसे पतली ठोस परत है। इसकी मोटाई स्थल पर लगभग 35 किमी और महासागरों के नीचे लगभग 5 किमी होती है।
📊 विशेषताएँ:
यह मुख्यतः सिलिका (Silica) और एलुमिना (Alumina) से बनी होती है।
इसे दो भागों में बाँटा गया है:
🏔️ महाद्वीपीय पर्पटी (Continental Crust):
औसत मोटाई लगभग 35 किमी।
अधिकतर ग्रेनाइट (Granite) चट्टानों से बनी।
औसत घनत्व लगभग 2.7 ग्राम/सेमी³।
🌊 महासागरीय पर्पटी (Oceanic Crust):
औसत मोटाई लगभग 5 किमी।
मुख्यतः बेसाल्ट (Basalt) चट्टानों से बनी।
औसत घनत्व लगभग 3.0 ग्राम/सेमी³।
📍 यह पृथ्वी की सतह और स्थलरूपों का निर्माण करती है और जीवन का आधार है।
🌍 2. मेंटल (Mantle)
🌋 भू-पर्पटी के नीचे मेंटल स्थित है, जो लगभग 2900 किमी गहरी होती है। इसका द्रव्यमान पृथ्वी के कुल द्रव्यमान का लगभग 83% है।
📊 मुख्य विशेषताएँ:
मुख्य रूप से मैग्नीशियम और लौह सिलिकेट से बनी होती है।
तापमान लगभग 1000°C से 3700°C तक।
घनत्व लगभग 3.3 ग्राम/सेमी³ से 5.4 ग्राम/सेमी³ तक।
📍 मेंटल को दो भागों में विभाजित किया जाता है:
🌋 ऊपरी मेंटल (Upper Mantle):
लगभग 35 किमी से 700 किमी गहराई तक।
इस भाग का ऊपरी हिस्सा अस्थेनोस्फीयर (Asthenosphere) कहलाता है।
अस्थेनोस्फीयर अर्ध-द्रव अवस्था में होती है और प्लेट विवर्तनिकी को नियंत्रित करती है।
🌍 निचला मेंटल (Lower Mantle):
लगभग 700 किमी से 2900 किमी गहराई तक।
यह अधिक घनी और ठोस होती है।
🔥 3. कोर (Core)
🌎 कोर पृथ्वी की सबसे भीतरी और सबसे घनी परत है। यह लगभग 2900 किमी से केंद्र तक (6371 किमी) फैली होती है।
📊 मुख्य विशेषताएँ:
मुख्य रूप से निकेल (Nickel) और लौह (Iron) से बनी होती है।
घनत्व लगभग 9.5 ग्राम/सेमी³ से 14 ग्राम/सेमी³।
तापमान लगभग 4000°C से 6000°C।
कोर को दो भागों में बाँटा गया है:
🌋 बाह्य कोर (Outer Core):
2900 किमी से 5150 किमी तक।
द्रव अवस्था में।
पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है।
🌎 आन्तरिक कोर (Inner Core):
5150 किमी से केंद्र (6371 किमी) तक।
ठोस अवस्था में।
अत्यधिक दाब के कारण ठोस बनी रहती है।
🌐 पृथ्वी की आंतरिक संरचना के प्रमाण — भूकंपीय तरंगें
भूकम्प से उत्पन्न होने वाली तरंगें पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी का सबसे विश्वसनीय साधन हैं।
📊 भूकम्प तरंगों के दो मुख्य प्रकार होते हैं:
🌊 पी तरंगें (Primary Waves):
संपीडन तरंगें होती हैं।
ठोस, द्रव और गैस सभी माध्यमों से गुजर सकती हैं।
सबसे तेज गति (~6-13 किमी/सेकंड)।
🌊 एस तरंगें (Secondary Waves):
अनुप्रस्थ तरंगें होती हैं।
केवल ठोस माध्यम से गुजर सकती हैं।
धीमी गति (~3.5-7.5 किमी/सेकंड)।
📍 इन तरंगों के व्यवहार से ज्ञात होता है:
एस तरंगें बाह्य कोर से नहीं गुजरतीं → यह द्रव अवस्था में है।
तरंगों की गति और दिशा से परतों का घनत्व और मोटाई अनुमानित होती है।
🪐 मैन्टल संवहन और प्लेट विवर्तनिकी
🌍 मेंटल के भीतर तापीय संवहन (Convection) होता है — गर्म पदार्थ ऊपर उठता है और ठंडा पदार्थ नीचे जाता है। यह चक्र प्लेट विवर्तनिकी को गति देता है।
📊 प्लेट विवर्तनिकी के अनुसार:
पृथ्वी की स्थलमण्डलीय प्लेटें अस्थेनोस्फीयर पर तैरती हैं।
इन प्लेटों की गति पर्वत निर्माण, भूकम्प, ज्वालामुखीय गतिविधियों और महासागरीय गर्तों के निर्माण का कारण बनती है।
🌋 आंतरिक संरचना और प्राकृतिक घटनाएँ
🌐 भूकम्प: प्लेटों के खिसकने से ऊर्जा मुक्त होती है।
🌋 ज्वालामुखी विस्फोट: मेंटल के पिघले पदार्थ का उद्गार।
🏔️ पर्वतनिर्माण: प्लेटों के टकराने से पर्वतों का निर्माण।
🌊 महासागरीय गर्त: प्लेटों के धँसने से गहरी घाटियों का निर्माण।
🌿 पृथ्वी की आंतरिक संरचना का महत्त्व
🌋 भूकम्प और ज्वालामुखियों को समझने में सहायता।
🌐 प्राकृतिक संसाधनों (खनिज, तेल, गैस) की खोज में उपयोगी।
🪐 पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और जलवायु को समझने में मदद।
🌎 भूवैज्ञानिक इतिहास और महाद्वीपीय विस्थापन का अध्ययन।
🏗️ निर्माण कार्यों और भूमिगत इंजीनियरिंग में महत्वपूर्ण भूमिका।
📚 2. सारांश (300 शब्द)
पृथ्वी की आंतरिक संरचना विभिन्न परतों में विभाजित है — भू-पर्पटी, मेंटल और कोर। भू-पर्पटी सबसे बाहरी पतली परत है, जो महाद्वीपीय और महासागरीय भागों में विभाजित है। इसके नीचे स्थित मेंटल लगभग 2900 किमी गहरा है और इसका ऊपरी भाग अस्थेनोस्फीयर कहलाता है, जो प्लेट विवर्तनिकी की गति को नियंत्रित करता है। सबसे भीतरी भाग कोर है, जो निकेल और लौह से बनी है और इसे बाह्य (द्रव) और आन्तरिक (ठोस) कोर में बाँटा गया है।
भूकम्प तरंगें पृथ्वी की आंतरिक संरचना का सबसे विश्वसनीय प्रमाण देती हैं। पी तरंगें ठोस और द्रव दोनों माध्यमों से गुजरती हैं, जबकि एस तरंगें केवल ठोस माध्यम से। एस तरंगों का बाह्य कोर में न पहुँचना उसकी द्रव अवस्था को प्रमाणित करता है।
पृथ्वी की आंतरिक ऊर्जा पर्वतनिर्माण, ज्वालामुखीय गतिविधियों, भूकम्प और महाद्वीपीय विस्थापन जैसी घटनाओं को उत्पन्न करती है। यह संरचना पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, प्राकृतिक संसाधनों, और भूगर्भीय इतिहास को समझने में भी सहायक है।
⚡ त्वरित पुनरावृत्ति (100 शब्द)
पृथ्वी की आंतरिक संरचना तीन मुख्य परतों — भू-पर्पटी, मेंटल और कोर — में विभाजित है। भू-पर्पटी पतली और ठोस है, मेंटल अर्ध-द्रव अवस्था में है, और कोर निकेल-लौह से बनी घनी परत है। भूकम्प तरंगों के अध्ययन से परतों की अवस्था और संरचना ज्ञात होती है। प्लेट विवर्तनिकी, भूकम्प, पर्वतनिर्माण और ज्वालामुखीय गतिविधियाँ इसी आंतरिक ऊर्जा के परिणाम हैं। पृथ्वी की आंतरिक संरचना का ज्ञान प्राकृतिक संसाधनों, जलवायु, और भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
✨ 1. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
🔵 प्रश्न (i): निम्नलिखित में से कौन भूपृष्ठ को जानने का प्रमुख साधन है?
🟢 (क) भूकंपीय तरंगें
🔵 (ख) गुरुत्वाकर्षण बल
🟡 (ग) पृथ्वी का चुंबकत्व
🟣 (घ) ज्वालामुखी
✅ उत्तर: 🟢 (क) भूकंपीय तरंगें
🟡 प्रश्न (ii): रेखनर टाइप की भूकंपीय तरंग समूह किस प्रकार के ज्वालामुखीय उद्गार का परिणाम है?
🟢 (क) शील्ड
🔵 (ख) मिश्र
🟡 (ग) प्रपात
🟣 (घ) कुंड
✅ उत्तर: 🟢 (क) शील्ड
🟢 प्रश्न (iii): निम्नलिखित में से कौन सा स्थलमंडल को परिभाषित करता है?
🟢 (क) ऊपरी व निम्न मेंटल
🔵 (ख) भूपटल व क्रोड़
🟡 (ग) भूपटल व ऊपरी मेंटल
🟣 (घ) मेंटल व क्रोड़
✅ उत्तर: 🟡 (ग) भूपटल व ऊपरी मेंटल
🟣 प्रश्न (iv): निम्न में भूकंपीय तरंगें खाइयों में संकुचन व फैलाव लाती हैं :
🟢 (क) ‘P’ तरंगें
🔵 (ख) ‘S’ तरंगें
🟡 (ग) धरातलीय तरंगें
🟣 (घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
✅ उत्तर: 🟢 (क) ‘P’ तरंगें
✏️ 2. लघु उत्तरीय प्रश्न (लगभग 30 शब्दों में)
🌋 प्रश्न (i): भूकंपीय तरंगें क्या हैं?
🌱 उत्तर: भूकंपीय तरंगें वे ऊर्जा तरंगें हैं जो पृथ्वी के अंदर प्लेटों के खिसकने, भ्रंशों के टूटने या अन्य कारणों से उत्पन्न होती हैं और बाहर की ओर प्रसारित होकर भूपृष्ठ को हिलाती हैं।
🌍 प्रश्न (ii): पृथ्वी की जानकारी के लिए प्रत्यक्ष साधनों के नाम बताइए।
🌱 उत्तर: प्रत्यक्ष साधनों में गहरी खदानें, बोरहोल, ज्वालामुखी विस्फोट से निकला पदार्थ, भूपर्पटी नमूने और खनन तकनीकें शामिल हैं, जिनसे पृथ्वी के आंतरिक भाग की संरचना का ज्ञान मिलता है।
🌋 प्रश्न (iii): भूकंपीय तरंगें छाया क्षेत्र कैसे बनाती हैं?
🌱 उत्तर: भूकंपीय तरंगें जब पृथ्वी की आंतरिक परतों से गुजरती हैं तो अपवर्तन और परावर्तन के कारण कुछ क्षेत्रों में नहीं पहुँच पातीं, जिससे वे क्षेत्र तरंग छाया क्षेत्र कहलाते हैं।
🌱 प्रश्न (iv): भूकंपीय गतिविधियों के अतिरिक्त भूपृष्ठ की जानकारी संबंधी अप्रत्यक्ष साधनों का वर्णन कीजिए।
🌱 उत्तर: अप्रत्यक्ष साधनों में गुरुत्वाकर्षण, चुंबकत्व, भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण, ऊष्मा प्रवाह अध्ययन और उपग्रह डेटा शामिल हैं, जिनसे पृथ्वी के आंतरिक ताप, घनत्व और संरचना की जानकारी मिलती है।
🪐 3. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (लगभग 150 शब्दों में)
🌋 प्रश्न (i): भूकंपीय तरंगों के संचरण का उन खंडों पर प्रभाव बताइए जिनसे होकर यह तरंगें गुजरती हैं।
🌱 उत्तर: भूकंपीय तरंगों के संचरण से पृथ्वी की आंतरिक परतों के घनत्व, संरचना और स्थिति के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है। ‘P’ तरंगें ठोस और द्रव दोनों माध्यमों में चलती हैं, जबकि ‘S’ तरंगें केवल ठोस माध्यम में। ‘P’ तरंगों की गति अधिक होती है और ये केंद्र से गुजरकर तरंग छाया क्षेत्र बनाती हैं, जिससे क्रोड़ की उपस्थिति का पता चलता है। ‘S’ तरंगें द्रव क्रोड़ में नहीं जातीं, जिससे बाहरी क्रोड़ के द्रव रूप की पुष्टि होती है। इन तरंगों के अपवर्तन और परावर्तन से मेंटल और क्रोड़ की गहराई, घनत्व और संरचना निर्धारित की जा सकती है। इस प्रकार, भूकंपीय तरंगें पृथ्वी की आंतरिक संरचना के अध्ययन का सबसे विश्वसनीय साधन हैं।
🌏 प्रश्न (ii): अंतःस्थलीय आकृतियों से आप क्या समझते हैं? विभिन्न अंतःस्थलीय आकृतियों का संक्षेप में वर्णन करें।
🌱 उत्तर: अंतःस्थलीय आकृतियाँ वे संरचनाएँ हैं जो पृथ्वी की सतह के नीचे लावा के ठंडा होकर जमने से बनती हैं। इनका निर्माण भूपर्पटी की दरारों, भ्रंशों और गुहाओं में होता है। प्रमुख अंतःस्थलीय आकृतियाँ निम्नलिखित हैं —
सिल (Sill): क्षैतिज स्तरों में जमे लावा की परत।
लैक्कोलिथ (Laccolith): गुंबदाकार आकृति जो परतों को ऊपर उठाकर बनती है।
लोपोलिथ (Lopolith): अवतल आकृति जो नीचे की ओर धँसी होती है।
डाइक (Dyke): लंबवत दरारों में ठंडे होकर जमे लावा की परत।
फैकोलिथ (Phacolith): मोड़दार परतों के बीच जमी आकृति।
ये आकृतियाँ भूगर्भीय प्रक्रियाओं और आंतरिक संरचना को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
🌏 खण्ड A — वस्तुनिष्ठ प्रश्न (प्रत्येक 1 अंक)
🔵 प्रश्न 1: पृथ्वी की आंतरिक संरचना का अध्ययन मुख्यतः किसके माध्यम से किया जाता है?
🟢 1️⃣ भूकंपीय तरंगों से
🔴 2️⃣ उपग्रह चित्रों से
🟡 3️⃣ जलवायु अध्ययन से
🔴 4️⃣ महासागरीय तरंगों से
✔️ उत्तर: भूकंपीय तरंगों से
🟡 प्रश्न 2: पृथ्वी की कुल त्रिज्या लगभग कितनी होती है?
🟢 1️⃣ 6371 किमी
🔴 2️⃣ 8000 किमी
🟡 3️⃣ 5500 किमी
🔴 4️⃣ 7200 किमी
✔️ उत्तर: 6371 किमी
🔴 प्रश्न 3: पृथ्वी की सबसे बाहरी परत को क्या कहते हैं?
🟢 1️⃣ भू-पर्पटी
🔴 2️⃣ भू-मंडल
🟡 3️⃣ बाह्य कोर
🔴 4️⃣ आंतरिक कोर
✔️ उत्तर: भू-पर्पटी
🟢 प्रश्न 4: भू-पर्पटी का निर्माण मुख्यतः किन तत्वों से हुआ है?
🟢 1️⃣ सिलिका और ऐल्युमिनियम
🔴 2️⃣ लोहा और निकल
🟡 3️⃣ कैल्शियम और सोडियम
🔴 4️⃣ कार्बन और नाइट्रोजन
✔️ उत्तर: सिलिका और ऐल्युमिनियम
🔵 प्रश्न 5: भू-पर्पटी और मैंटल के बीच की असंरैखिक सीमा को क्या कहते हैं?
🟢 1️⃣ मोहोराविचिक असंतति
🔴 2️⃣ लेहमन असंतति
🟡 3️⃣ गुटेनबर्ग असंतति
🔴 4️⃣ कोर-मेंटल सीमा
✔️ उत्तर: मोहोराविचिक असंतति
🟡 प्रश्न 6: भू-मंडल की सबसे मोटी परत कौन सी है?
🟢 1️⃣ मैंटल
🔴 2️⃣ भू-पर्पटी
🟡 3️⃣ बाह्य कोर
🔴 4️⃣ आंतरिक कोर
✔️ उत्तर: मैंटल
🔴 प्रश्न 7: कोर का निर्माण मुख्यतः किन तत्वों से हुआ है?
🟢 1️⃣ लोहा और निकल
🔴 2️⃣ सिलिका और मैग्नीशियम
🟡 3️⃣ सोडियम और पोटैशियम
🔴 4️⃣ कैल्शियम और एल्युमिनियम
✔️ उत्तर: लोहा और निकल
🟢 प्रश्न 8: बाह्य कोर किस अवस्था में पाया जाता है?
🟢 1️⃣ द्रव अवस्था
🔴 2️⃣ ठोस अवस्था
🟡 3️⃣ गैसीय अवस्था
🔴 4️⃣ प्लाज्मा अवस्था
✔️ उत्तर: द्रव अवस्था
🔵 प्रश्न 9: पृथ्वी के आंतरिक तापमान में वृद्धि की दर को क्या कहते हैं?
🟢 1️⃣ भू-तापीय प्रवणता
🔴 2️⃣ भूकंपीय प्रवाह
🟡 3️⃣ सौर विकिरण
🔴 4️⃣ चुम्बकीय विस्थापन
✔️ उत्तर: भू-तापीय प्रवणता
🟡 प्रश्न 10: पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र किस कारण उत्पन्न होता है?
🟢 1️⃣ बाह्य कोर में द्रव धातुओं की गति से
🔴 2️⃣ भू-पर्पटी में चट्टानों से
🟡 3️⃣ सौर विकिरण से
🔴 4️⃣ भूकंप तरंगों से
✔️ उत्तर: बाह्य कोर में द्रव धातुओं की गति से
🔴 प्रश्न 11: पृथ्वी के द्रव्यमान का सबसे बड़ा भाग किस परत में होता है?
🟢 1️⃣ मैंटल
🔴 2️⃣ कोर
🟡 3️⃣ भू-पर्पटी
🔴 4️⃣ वायुमंडल
✔️ उत्तर: मैंटल
🟢 प्रश्न 12: पृथ्वी की सबसे भीतरी परत को क्या कहते हैं?
🟢 1️⃣ आंतरिक कोर
🔴 2️⃣ बाह्य कोर
🟡 3️⃣ मैंटल
🔴 4️⃣ लिथोस्फीयर
✔️ उत्तर: आंतरिक कोर
🧭 खण्ड B — लघु उत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक 2 अंक)
🔵 प्रश्न 13: पृथ्वी की आंतरिक संरचना से क्या तात्पर्य है?
🟢 उत्तर: पृथ्वी की आंतरिक संरचना से आशय उसकी तीन मुख्य परतों — भू-पर्पटी, मैंटल और कोर — की संरचना और विशेषताओं से है।
🟡 प्रश्न 14: भू-पर्पटी की दो प्रमुख प्रकार बताइए।
🟢 उत्तर: भू-पर्पटी दो प्रकार की होती है — (1) महाद्वीपीय पर्पटी और (2) महासागरीय पर्पटी।
🔴 प्रश्न 15: मोहोराविचिक असंतति क्या है?
🟢 उत्तर: मोहोराविचिक असंतति (Moho) भू-पर्पटी और मैंटल के बीच की सीमा है, जहाँ भूकंपीय तरंगों की गति अचानक बढ़ जाती है।
🟢 प्रश्न 16: मैंटल की दो परतों के नाम लिखिए।
🟢 उत्तर: मैंटल दो भागों में विभाजित है — (1) ऊपरी मैंटल और (2) निचला मैंटल।
🔵 प्रश्न 17: आंतरिक कोर की मुख्य विशेषता क्या है?
🟢 उत्तर: आंतरिक कोर अत्यधिक ताप और दाब के कारण ठोस अवस्था में होती है और मुख्यतः लोहा-निकल से बनी है।
🟡 प्रश्न 18: पृथ्वी के ताप स्रोतों के दो नाम लिखिए।
🟢 उत्तर: (1) प्रारंभिक निर्माण से शेष ऊष्मा, (2) रेडियोधर्मी अपघटन से उत्पन्न ऊष्मा।
🔴 प्रश्न 19: भूकंपीय तरंगें क्या होती हैं?
🟢 उत्तर: भूकंपीय तरंगें वे तरंगें हैं जो पृथ्वी के भीतर भूकंप के समय उत्पन्न होकर उसकी संरचना का संकेत देती हैं।
🟢 प्रश्न 20: लिथोस्फीयर किसे कहते हैं?
🟢 उत्तर: लिथोस्फीयर पृथ्वी की कठोर बाहरी परत है जिसमें भू-पर्पटी और ऊपरी मैंटल का कुछ भाग सम्मिलित होता है।
🌍 खण्ड C — मध्यम उत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक 4 अंक)
🔵 प्रश्न 21: पृथ्वी की आंतरिक संरचना की मुख्य परतों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर: पृथ्वी की आंतरिक संरचना तीन मुख्य परतों में विभाजित है —
भू-पर्पटी (Crust): सबसे बाहरी पतली परत, जिसकी मोटाई महाद्वीपों में लगभग 35 किमी और महासागरों में लगभग 5 किमी होती है।
मैंटल (Mantle): यह लगभग 2900 किमी तक फैली है और सिलिकेट खनिजों से बनी होती है।
कोर (Core): यह लोहा और निकल से बनी होती है और दो भागों — बाह्य कोर (द्रव) और आंतरिक कोर (ठोस) — में विभाजित है।
🟡 प्रश्न 22: भूकंपीय तरंगों से पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी कैसे प्राप्त होती है?
🟢 उत्तर: भूकंपीय तरंगें पृथ्वी के भीतर अलग-अलग पदार्थों से भिन्न गति से गुजरती हैं।
P-तरंगें ठोस और द्रव दोनों माध्यमों से गुजरती हैं, जबकि S-तरंगें केवल ठोस माध्यम से।
उनकी गति और मार्ग में परिवर्तन से परतों की घनत्व, अवस्था और संरचना का अनुमान लगाया जाता है।
कुछ तरंगें परावर्तित या अपवर्तित हो जाती हैं, जिससे आंतरिक संरचना की गहराई और विशेषताएँ ज्ञात होती हैं।
🔴 प्रश्न 23: भू-पर्पटी और मैंटल की संरचना तथा विशेषताओं की तुलना कीजिए।
🟢 उत्तर:
भू-पर्पटी: पृथ्वी की सबसे बाहरी पतली परत, मोटाई 5-35 किमी, मुख्यतः सिलिका और ऐल्युमिनियम से बनी। इसमें महाद्वीपीय और महासागरीय पर्पटी शामिल हैं।
मैंटल: भू-पर्पटी के नीचे स्थित परत, लगभग 2900 किमी मोटी। यह सिलिका, मैग्नीशियम और लोहा से बनी होती है। यह अधिक घनी और ऊष्मा से भरपूर होती है।
भू-पर्पटी कठोर होती है, जबकि मैंटल आंशिक रूप से द्रव-गुणधर्म वाली होती है।
🟢 प्रश्न 24: कोर की संरचना और विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर: कोर पृथ्वी की सबसे भीतरी परत है, जो लगभग 2900 किमी गहराई से लेकर केंद्र तक (6371 किमी) फैली है। यह दो भागों में विभाजित है —
बाह्य कोर: लगभग 2900–5150 किमी गहराई तक, द्रव अवस्था में, मुख्यतः लोहा और निकल से बनी। यह पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का निर्माण करती है।
आंतरिक कोर: 5150–6371 किमी तक, अत्यधिक दाब के कारण ठोस अवस्था में। तापमान लगभग 5000°–7000°C तक होता है।
🔵 प्रश्न 25: पृथ्वी के आंतरिक तापमान के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर: पृथ्वी के आंतरिक तापमान के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं —
प्रारंभिक निर्माण से उत्पन्न ऊष्मा: पृथ्वी के निर्माण के समय टकराव और संघनन से उत्पन्न ऊष्मा अभी भी विद्यमान है।
गुरुत्वीय संपीड़न: पृथ्वी के निर्माण के दौरान संपीड़न से ऊष्मा उत्पन्न हुई।
रेडियोधर्मी अपघटन: यूरेनियम, थोरियम जैसे तत्वों के विघटन से ऊष्मा निकलती है।
क्रिस्टलीकरण ऊष्मा: आंतरिक कोर में धातुओं के ठोस होने पर ऊष्मा निकलती है।
ये स्रोत पृथ्वी के तापीय संतुलन को बनाए रखते हैं।
🟡 प्रश्न 26: पृथ्वी की आंतरिक संरचना के अध्ययन के अन्य अप्रत्यक्ष प्रमाणों का वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर:
घनत्व और गुरुत्वीय बल: पृथ्वी का औसत घनत्व सतह की चट्टानों से अधिक है, जिससे घने आंतरिक भागों की पुष्टि होती है।
चुम्बकीय क्षेत्र: पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र कोर में पिघले हुए धातुओं की गति से उत्पन्न होता है।
उल्कापिंड अध्ययन: पृथ्वी जैसे ग्रहों के निर्माण का संकेत देते हैं।
भू-तापीय प्रवणता: तापमान गहराई के साथ बढ़ता है, जिससे आंतरिक ऊष्मा की पुष्टि होती है।
🏞️ खण्ड D — विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक 4.5 अंक)
🔴 प्रश्न 27: पृथ्वी की तीनों मुख्य परतों की संरचना, विशेषताओं और महत्त्व का विस्तृत वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर: पृथ्वी तीन मुख्य परतों में विभाजित है:
भू-पर्पटी: सबसे बाहरी पतली परत (5–35 किमी), सिलिका और ऐल्युमिनियम से निर्मित। यह ठोस और कठोर होती है।
मैंटल: भू-पर्पटी के नीचे स्थित (35–2900 किमी), सिलिका, मैग्नीशियम और लोहे से बनी। यह अधिक घनी और ऊष्मा से युक्त है। मैंटल में संवहन धारा प्लेट विवर्तनिकी को प्रभावित करती है।
कोर: सबसे भीतरी परत (2900–6371 किमी), लोहा और निकल से बनी। बाह्य कोर द्रव है और आंतरिक कोर ठोस। कोर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र और ऊष्मा स्रोत का मुख्य भाग है।
ये तीनों परतें मिलकर पृथ्वी की संरचना, तापीय संतुलन, भूगर्भीय क्रियाओं और जीवन की स्थिरता को नियंत्रित करती हैं।
🟢 प्रश्न 28: भूकंपीय तरंगों के प्रकारों और उनके महत्व की व्याख्या कीजिए।
🟢 उत्तर: भूकंपीय तरंगें तीन मुख्य प्रकार की होती हैं —
P-तरंगें (प्राथमिक): सबसे तेज़, ठोस और द्रव दोनों माध्यमों से गुजरती हैं।
S-तरंगें (द्वितीयक): केवल ठोस माध्यम से गुजरती हैं, तरंग गति धीमी।
L-तरंगें (सतही): सबसे धीमी, सबसे अधिक विनाशकारी।
महत्त्व:
विभिन्न तरंगों की गति और पथ से परतों की घनत्व, संरचना और अवस्था का पता चलता है।
S-तरंगों के द्रव कोर से न गुजरने से कोर की प्रकृति ज्ञात होती है।
तरंगों की परावर्तन और अपवर्तन से आंतरिक सीमाओं की पहचान होती है।
🔵 प्रश्न 29: पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के उत्पत्ति के कारणों और उसके महत्व का वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर: पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र मुख्यतः बाह्य कोर में द्रव लोहा और निकल के संवहन गतिक्रिया से उत्पन्न होता है। इसे “जियो-डायनेमो सिद्धांत” कहते हैं।
महत्त्व:
यह पृथ्वी को सौर पवनों और अंतरिक्षीय विकिरण से बचाता है।
प्रवासी पक्षी और समुद्री जीव इसे दिशा निर्धारण हेतु प्रयोग करते हैं।
भूवैज्ञानिक अध्ययन में प्राचीन चुम्बकीय अभिलेख पृथ्वी के इतिहास को समझने में सहायक हैं।
संचार और उपग्रह प्रणालियों में भी इसका प्रभाव महत्वपूर्ण है।
🟡 प्रश्न 30: पृथ्वी की आंतरिक ऊष्मा और भू-तापीय प्रवणता के महत्व का वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर: पृथ्वी की आंतरिक ऊष्मा मुख्यतः निर्माणकालीन ऊर्जा, रेडियोधर्मी विघटन, और गुरुत्वीय संपीड़न से आती है। भू-तापीय प्रवणता वह दर है जिससे गहराई के साथ तापमान बढ़ता है।
महत्त्व:
यह ज्वालामुखीय क्रियाओं और प्लेट विवर्तनिकी को प्रभावित करती है।
खनिज और भू-ऊष्मा ऊर्जा संसाधनों के स्रोत का संकेत देती है।
भू-तापीय ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पादन और औद्योगिक कार्यों में किया जाता है।
यह पृथ्वी की आंतरिक प्रक्रियाओं और विकास को समझने में सहायक है।
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मस्तिष्क मानचित्र
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दृश्य सामग्री
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