Class 11, HINDI LITERATURE

Class 11 : हिंदी साहित्य – Lesson 14. जाग तुझको दूर जाना

संक्षिप्त लेखक परिचय

📘 लेखक परिचय — महादेवी वर्मा

🟢 महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फ़र्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।

🟡 उनकी माता हेमरानी देवी एक भक्तिमयी महिला थीं और पिता गोविंदप्रसाद वर्मा शिक्षक थे।

🔵 बचपन से ही उन्हें कविता-लेखन में गहरी रुचि थी। उन्होंने इंदौर से प्रारंभिक शिक्षा तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. (संस्कृत) की उपाधि प्राप्त की।

🔴 वे छायावाद की प्रमुख स्तंभ मानी जाती हैं और हिंदी साहित्य में ‘आधुनिक मीरा’ के नाम से प्रसिद्ध हैं।

🟢 उनकी प्रमुख कृतियों में नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा, यामा, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी एवं श्रृंखला की कड़ियाँ शामिल हैं।

🟡 उन्हें ‘यामा’ के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार (1982), ‘कला और बूढ़ा चाँद’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण (1956) तथा पद्म विभूषण (1988) से सम्मानित किया गया।

🔵 उनका निधन 11 सितंबर 1987 को इलाहाबाद में हुआ।


📖 जाग तुझको दूर जाना — कविता परिचय
यह कविता महादेवी वर्मा के काव्य-संग्रह ‘सांध्यगीत’ से उद्धृत है और एनसीईआरटी (कक्षा 11, अंतरा भाग-1) में संकलित है।
इस जागरण गीत में कवयित्री ने स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि में भारतीयों को आलस्य त्यागने, कठिनाइयों का सामना करने तथा स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत रहने का आह्वान किया है।

✨ मुख्य भावार्थ:
🔹 कवयित्री कहती हैं — “चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! जाग तुझको दूर जाना!”
👉 हे मानव! तेरी आँखें जो सदैव सजग थीं, आज उनींदी क्यों हैं? जागो! तुम्हें अभी बहुत लंबा सफर तय करना है — स्वतंत्रता का पथ कठिन है पर विजय निश्चित है।

🔹 “बाँध लेंगे क्या तुझे यह मोम के बंधन सजीले?”
👉 सांसारिक मोह, भोग-विलास और सुख-सुविधाएँ तेरे पथ में बाधा न बनें; इन बंधनों को तोड़कर आगे बढ़ो।

🔹 “कह न ठंडी साँस में अब भूल वह जलती कहानी”
👉 निराशा में मत डूबो, हृदय में देशभक्ति की ज्वाला जलती रहनी चाहिए; तभी तेरे आँसू भी उजाले बनेंगे।


📖 सब आँखों के आँसू उजले — कविता परिचय
यह कविता महादेवी वर्मा के काव्य-संग्रह ‘संधिनी’ से ली गई है और एनसीईआरटी (कक्षा 11, अंतरा भाग-1) में संकलित है।
इस दार्शनिक कविता में कवयित्री ने जीवन, संघर्ष, त्याग और विविधता का सुंदर चित्रण किया है।

✨ मुख्य भावार्थ:
🔹 “सब आँखों के आँसू उजले, सबके सपनों में सत्य पला!”
👉 प्रत्येक व्यक्ति की आँखों के आँसू निर्मल हैं और हर किसी के स्वप्न में उसका अपना सत्य पलता है।

🔹 “जिसने उसको ज्वाला सौंपी, उसने इसमें मकरंद भरा!”
👉 दीपक और फूल दोनों अपने-अपने ढंग से संसार को देते हैं — दीपक प्रकाश लुटाता है, फूल सुगंध फैलाता है; दोनों का उद्देश्य सेवा है।

🔹 “वह अचल धरा को भेंट रहा शत-शत निर्झर में हो चंचल!”
👉 पर्वत और सागर अपनी प्रकृति के अनुसार ही संसार को देते रहते हैं — यही सृष्टि का धर्म है।

🔹 “जलते खिलते जग में घुलमिल एकाकी प्राण चला!”
👉 हर व्यक्ति संसार में रहते हुए भी अपने सत्य की ओर अकेले बढ़ता है; जीवन का यथार्थ यही है।


✨ मुख्य बिंदु संक्षेप में:
🔹 प्रमुख रचनाएँ: नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा, यामा
🔹 काव्य-विशेषता: छायावाद, रहस्यवाद, करुणा व संवेदना की अभिव्यक्ति, जागरण गीत
🔹 विचारधारा: स्वतंत्रता संग्राम, आध्यात्मिकता, नारी-चेतना, मानवतावाद

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पाठ का विश्लेषण  एवं  विवेचन


🌟 मुख्य निष्कर्ष

महादेवी वर्मा की ये दोनों कविताएँ मानव जीवन के दो अत्यंत गहन पक्षों — आत्म-जागृति और मानवीय संवेदना — को उजागर करती हैं।

“जाग तुझको दूर जाना” में जीवन-पथ पर निरंतर आगे बढ़ने, आलस्य को त्यागने और लक्ष्य प्राप्ति हेतु संघर्षशील बने रहने का प्रेरक संदेश मिलता है।

“सब आँखों के आँसू उजले” में मानव-हृदय की करुणा, निर्मलता और सत्य के उज्ज्वल स्वरूप का मार्मिक चित्रण है।


🌄 “जाग तुझको दूर जाना” — व्याख्या एवं विश्लेषण

💡 विषयवस्तु

कवयित्री यहाँ मनुष्य को जीवन-पथ पर आलस्य, भय और संदेह को दूर कर दृढ़ संकल्प और साहस के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। चाहे परिस्थितियाँ कितनी ही विपरीत क्यों न हों — हिमालय डगमगाए, आकाश आँसू बहाए या प्रलय-तूफान गरजे — फिर भी मनुष्य को अपने पथ पर अडिग रहकर चलना ही चाहिए।


🌙 भावार्थ

कवयित्री कहती हैं कि साधक को अपने पथ पर सतत अग्रसर रहना चाहिए। परिस्थितियाँ कैसी भी हों, विपत्तियाँ कितनी भी भयावह क्यों न हों, उसे पीछे नहीं हटना चाहिए।

आलस्य और सुस्ती व्यक्ति को लक्ष्य से दूर कर देती है।

साहस और निरंतरता से ही जीवन में स्थायी सफलता प्राप्त होती है।

संघर्ष की राह में पदचिह्न ही आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनते हैं।


🔦 प्रतीक

हिमगिरि (हिमालय): अडिग संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक।

प्रलय के आँसू: कठिन समय में भी धैर्य और सहनशीलता की परीक्षा।

विद्युत-शिखाएँ: जीवन की विपरीत परिस्थितियों की अचानक चुनौतियाँ।

नाश-पथ पर पदचिह्न: संघर्ष और तपस्या के परिणामस्वरूप छोड़ा गया प्रेरक प्रभाव।


🪶 शैली

कविता मुक्तछंद में रची गई है।

अनुप्रास और प्रश्नोक्ति अलंकार का प्रयोग कविता को प्रेरक लय देता है।

भाषा संक्षिप्त, मुखर और प्रत्यक्ष है, जो सीधे पाठक से संवाद करती है।


🏛️ सामाजिक–सांस्कृतिक संदर्भ

यह कविता स्वाधीनता आंदोलन के काल में लिखी गई है। कवयित्री ने देशवासियों को आलस्य त्यागकर संघर्ष के पथ पर चलने, स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु दृढ़ता और साहस के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया है। यह आज भी जीवन-संघर्ष में प्रेरणा का स्रोत है।


💧 “सब आँखों के आँसू उजले” — व्याख्या एवं विश्लेषण

💡 विषयवस्तु

यह कविता मानवीय आँसुओं की निर्मलता, सत्यता और उनकी आत्मा से जुड़ी गहराई को व्यक्त करती है। कवयित्री बताती हैं कि जैसे दीपक का स्वभाव प्रकाश देना और फूल का स्वभाव सुगंध फैलाना है, वैसे ही आँसुओं का स्वभाव सत्य और करुणा को प्रकट करना है।


🌙 भावार्थ

आँसू छल या दिखावे के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि आत्मा की भाषा हैं।

प्रत्येक व्यक्ति के आँसू उसके अनुभवों, पीड़ा और संवेदनाओं को उजागर करते हैं।

आँसू सुख-दुःख दोनों की सच्चाई को व्यक्त करते हैं और मानवता को एक सूत्र में बाँधते हैं।


🔦 प्रतीक

आँसू: निष्कपटता, सत्य और आत्मिक भाव।

दीया (दीपक): मार्गदर्शन और प्रकाश का प्रतीक।

फूल: सौंदर्य, कोमलता और संवेदनशीलता का प्रतीक।

निर्झर: जीवन की चंचलता और निरंतरता।

कंचन-हीरक: अमूल्य और शाश्वत मूल्य।


🪶 शैली

कविता में मुक्तछंद और दोहात्मक लय का सुंदर संयोजन है।

रूपक, उपमा और प्रतीकों के प्रयोग से भावों की गहराई बढ़ती है।

भाषा सरल, शुद्ध और प्रभावशाली है।


🏛️ सामाजिक–सांस्कृतिक संदर्भ

महादेवी वर्मा ने इस कविता में मानव जीवन की संवेदनात्मक गहराई को उजागर किया है। समाज में बढ़ती संवेदनहीनता के बीच आँसुओं की शुद्धता और मानवता की सच्चाई को रेखांकित कर उन्होंने पारंपरिक मूल्यों के पुनरुत्थान का आह्वान किया है।


🔍 गहन विश्लेषण

आत्म-जागृति बनाम आलस्य: “जाग तुझको दूर जाना” में आलस्य पर विजय प्राप्त करने और कठिनाइयों को अवसर में बदलने का संदेश है।

निर्मल आँसू और आत्म-सत्य: “सब आँखों के आँसू उजले” में आँसू मानव आत्मा के सबसे सच्चे और उजले रूप का प्रतीक हैं।

प्रकृति के माध्यम से जीवन-दर्शन: दोनों रचनाओं में प्रकृति के रूपकों द्वारा संघर्ष, आशा, करुणा और सत्य जैसे जीवन-मूल्यों को अभिव्यक्त किया गया है।

प्रेरक भाषा: प्रश्नोक्ति और अनुप्रास अलंकारों के माध्यम से कवयित्री पाठक को आत्मावलोकन और अंतर्मुखी चिंतन के लिए प्रेरित करती हैं।


📖 उपसंहार

महादेवी वर्मा की “जाग तुझको दूर जाना” और “सब आँखों के आँसू उजले” कविताएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी अपने समय में थीं। पहली कविता मनुष्य को संकल्प, परिश्रम और लक्ष्य-निष्ठा की प्रेरणा देती है, वहीं दूसरी कविता हमें संवेदना, करुणा और आत्मिक सत्य के मूल्य सिखाती है। दोनों ही रचनाएँ मिलकर मनुष्य को जीवन-पथ पर आगे बढ़ने और मानवीय मूल्यों की रक्षा करने का संदेश देती हैं, जिससे वे हिंदी साहित्य की अमर धरोहर बन जाती हैं।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


🟠 प्रश्न 1: ‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता में कवयित्री मानव को किन विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रही है?
🔵 उत्तर: कवयित्री महादेवी वर्मा इस कविता में मानव को संघर्षपूर्ण और कठिन परिस्थितियों में भी साहस और धैर्य से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं। वह कहती हैं कि जीवन में आने वाली बाधाएँ और विपरीत परिस्थितियाँ मनुष्य को रोक नहीं सकतीं। मनुष्य को अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और अटल संकल्प के साथ निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।


🟠 प्रश्न 2: कवयित्री किस मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होकर मानव को जागृति का संदेश दे रही है?
🔵 उत्तर: कवयित्री मनुष्य को आलस्य, मोह, भय और सुख-सुविधाओं के आकर्षण से मुक्त होकर जागृति का संदेश देती हैं। वह कहती हैं कि इन बंधनों में फँसकर मनुष्य अपने कर्तव्यों और उद्देश्यों से विमुख हो जाता है। इसलिए उसे इन मोहों से ऊपर उठकर सक्रियता, कर्मठता और जागरूकता के साथ अपने मार्ग पर अग्रसर होना चाहिए।


🟠 प्रश्न 3: ‘जाग तुझको दूर जाना’ स्वाधीनता आंदोलन की प्रेरणा से रचित एक जागरण गीत है। इस कथन के आधार पर कविता की मूल संवेदना को लिखिए।
🔵 उत्तर: इस कविता की मूल संवेदना स्वतंत्रता संघर्ष के समय भारतीयों को जागरूक और प्रेरित करना है। कवयित्री लोगों से आग्रह करती हैं कि वे अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए निर्भीक होकर आगे बढ़ें। कविता में यह संदेश दिया गया है कि विपरीत परिस्थितियों में भी आशा और विश्वास बनाए रखकर निरंतर कर्म करते रहने से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।


🟠 प्रश्न 4: निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
(क) विश्व का क्रंदन………………अपने लिए कारा बनाना!
🔵 उत्तर: इन पंक्तियों में कवयित्री ने जीवन की नकारात्मक परिस्थितियों को “क्रंदन” (कीचड़) के रूप में प्रस्तुत किया है। यदि मनुष्य इन्हें अपनी कमजोरी समझकर हार मान लेता है, तो वही कीचड़ उसके लिए जेल (कारा) बन जाता है। इस प्रकार कवयित्री जीवन में कठिनाइयों को चुनौती के रूप में स्वीकार करने का संदेश देती हैं।

(ख) कह न ठंडी साँस……………… आज पानी।
🔵 उत्तर: इन पंक्तियों में कवयित्री ने निष्क्रियता और आलस्य की निंदा की है। वे कहती हैं कि केवल आहें भरने और दुख मनाने से कोई परिवर्तन नहीं आता। इसलिए मनुष्य को सक्रिय होकर जीवन में कुछ रचनात्मक और सकारात्मक कार्य करना चाहिए।

(ग) है तुझे अंगार शय्या…………… कलिया बिछाना .
🔵 उत्तर: इन पंक्तियों में कवयित्री ने कठिनाइयों और संघर्षों को “अंगार श्रृंखला” के रूप में व्यक्त किया है। यह दर्शाता है कि सफलता प्राप्त करने के लिए कठिनाइयों को स्वीकार करना अनिवार्य है। विफलता को भी सीख और प्रेरणा के रूप में लेना चाहिए, क्योंकि वही भविष्य की सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है।


🟠 प्रश्न 5: कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को ईंधन कर मुक्तता के भीतर किन गुणों का विस्तार करना चाहा है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
🔵 उत्तर: कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को साहस, धैर्य, आत्मबल, संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति जैसे गुणों के विकास का माध्यम माना है। उनका मानना है कि संघर्ष और कठिनाइयाँ मनुष्य को सशक्त बनाती हैं और उसे अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए और अधिक दृढ़ बनाती हैं। इसलिए मनुष्य को उनसे भयभीत होने के बजाय उनका सामना करना चाहिए और उन्हें प्रेरणा के स्रोत के रूप में स्वीकार करना चाहिए।


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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न


🌟 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)


🟢 प्रश्न 1:
“जाग तुझको दूर जाना” में ‘जाग’ का प्रयोजन क्या है?
🔵 1️⃣ प्रेम की अनुभूति
🟣 2️⃣ क्षितिज की ओर देखना
🟢 3️⃣ चेतना का उदय
🟡 4️⃣ निद्रा से प्रस्थान

✅ उत्तर: 3️⃣ चेतना का उदय


🟢 प्रश्न 2:
“सब आँखों के आँसू उजले” में ‘उजले’ शब्द से क्या भाव निकलता है?
🔵 1️⃣ निर्मल
🟣 2️⃣ मीठे
🟢 3️⃣ कड़वे
🟡 4️⃣ पवित्र

✅ उत्तर: 1️⃣ निर्मल


🟢 प्रश्न 3:
“जाग तुझको दूर जाना” में “दूर जाना” किस रूपक का संकेत है?
🔵 1️⃣ कामना निराशा
🟣 2️⃣ आत्म-उत्थान
🟢 3️⃣ प्रेम विरह
🟡 4️⃣ यात्रा शारीरिक

✅ उत्तर: 2️⃣ आत्म-उत्थान


🟢 प्रश्न 4:
“सब आँखों के आँसू उजले” में किन्हीं की करुणा का स्मरण कराया गया है?
🔵 1️⃣ माता-पिता
🟣 2️⃣ मित्र
🟢 3️⃣ कवि स्वयं
🟡 4️⃣ सम्पूर्ण मानवता

✅ उत्तर: 4️⃣ सम्पूर्ण मानवता


🟢 प्रश्न 5:
दोनों कविताओं में मुख्य किस रस का समावेश है?
🔵 1️⃣ वीर रस
🟣 2️⃣ करुण रस
🟢 3️⃣ हर्ष रस
🟡 4️⃣ शृंगार रस

✅ उत्तर: 2️⃣ करुण रस


✏️ लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)


🟠 प्रश्न 6:
“जाग तुझको दूर जाना” में कौन-सा अलंकार प्रमुख है?
🔵 उत्तर: अनुप्रास अलंकार, जैसे “ध्रुव तारा दमकता” में ध्वनि-साम्यता के कारण अनुप्रास है।


🟠 प्रश्न 7:
“सब आँखों के आँसू उजले” में आँसू किस रूपक से हैं?
🔵 उत्तर: आँसू निर्मलता और करुणा के प्रतीक हैं जो मानवता की संवेदना को दर्शाते हैं।


🟠 प्रश्न 8:
“दूर जाना” में ‘दूर’ के साथ निहित द्वंद्व क्या है?
🔵 उत्तर: ‘दूर’ भौतिक दूरी और आत्मिक उत्कर्ष दोनों का प्रतीक है — यह लक्ष्य की ओर प्रयाण और आंतरिक विकास दोनों को व्यक्त करता है।


🟠 प्रश्न 9:
“आँखों के आँसू उजले” में “आँखों” का प्रयोजन क्या है?
🔵 उत्तर: “आँखें” संवेदनशील मानव हृदय का प्रतीक हैं जो दुःख, सहानुभूति और करुणा का भाव दर्शाती हैं।


🟠 प्रश्न 10:
दोनों कविताओं में समय का कौन सा पक्ष दिखाई देता है?
🔵 उत्तर: दोनों कविताओं में करुण समय का चित्रण है — जहाँ विगत की स्मृतियाँ और भविष्य की आशाएँ एक साथ उपस्थित हैं।


📜 मध्यम उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)


🔴 प्रश्न 11:
“जाग तुझको दूर जाना” का केंद्रीय विचार संक्षेप में लिखिए।
🔵 उत्तर:
कवयित्री आत्मा को चेतना और जागरण के लिए प्रेरित करती हैं। यह कविता मनुष्य को बाह्य भ्रमों और निद्रा से बाहर निकलकर आत्मिक शक्ति और संभावनाओं की ओर अग्रसर होने का संदेश देती है। ‘दूर जाना’ का अर्थ आत्म-उत्थान है, जिससे मनुष्य अपने उद्देश्य को पहचानकर उस दिशा में प्रयत्नशील होता है।


🔴 प्रश्न 12:
“सब आँखों के आँसू उजले” में करुणा का सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व समझाइए।
🔵 उत्तर:
इस कविता में आँसू केवल व्यक्तिगत पीड़ा के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वे समस्त मानवता की करुणा, संवेदना और एकता का प्रतीक हैं। कवयित्री ने आँसुओं को पवित्र और निर्मल बताया है, जो समाज में सहानुभूति और मानवीयता की भावना को बढ़ाते हैं। यह करुणा समाज को एकसूत्र में बाँधने का कार्य करती है।


🔴 प्रश्न 13:
महादेवी की भाषा-शैली की विशिष्टता क्या है?
🔵 उत्तर:
महादेवी की भाषा सरल, संक्षिप्त और अर्थगर्भित है। छायावाद की प्रभावशाली शैली में वे प्रतीक, रूपक, अनुप्रास और मानवीकरण का प्रयोग करती हैं। भाषा में भावनात्मक तीव्रता और आध्यात्मिक गहराई है, जो पाठक को आत्मिक स्तर पर स्पर्श करती है।


🪶 विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (4.5 अंक)


🟣 प्रश्न 14:
दोनों कविताओं का भावात्मक और दार्शनिक संदेश 110 शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

🔶 उत्तर:
महादेवी वर्मा की “जाग तुझको दूर जाना” मनुष्य को चेतना और आत्म-उत्थान के मार्ग पर अग्रसर होने का आह्वान करती है। यह कविता बताती है कि सच्ची प्रगति बाह्य जगत से नहीं, बल्कि आंतरिक जागरण और आत्म-बल से होती है। दूसरी कविता “सब आँखों के आँसू उजले” करुणा और सहानुभूति का वैश्विक संदेश देती है। इसमें आँसू मानवता की निर्मलता, एकता और प्रेम के प्रतीक हैं। दोनों कविताएँ मिलकर जीवन के आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों आयामों को उजागर करती हैं। वे हमें आत्मबल, संवेदना और मानवीयता की राह पर चलने की प्रेरणा देती हैं।


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अतिरिक्त ज्ञान

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दृश्य सामग्री

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