Class 11, HINDI COMPULSORY

Class 11 : हिंदी अनिवार्य – Lesson 7 जामुन का पेड़

संक्षिप्त लेखक परिचय

📘 लेखक परिचय — कृष्ण चंदर


🔵 कृष्ण चंदर (सरल रूप में ‘कृश्न चन्दर’) का जन्म 23 नवम्बर 1914 को भरतपुर, राजस्थान में हुआ था।
🟢 परिवार मूलतः गुजराँवाला (अब पाकिस्तान) का निवासी था, जहाँ उनके पिता डॉ॰ बलदेव सिंह चिकित्सक के रूप में कार्यरत थे।
🟡 प्रारम्भिक शिक्षा पूंछ (जम्मू एवं कश्मीर) के विद्यालयों में हुई।
🔴 तत्पश्चात उन्होंने लाहौर के फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक की उपाधि ग्रहण की।
🟢 उन्होंने उर्दू में अफ़सानानिगारी की शुरुआत की और शीघ्र ही हिंदी में भी रचनाएँ लिखने लगे।

🔵 वे प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े और ‘नज़ारे’ (1939) से कहानियाँ आरंभ कीं।
🟡 इसके बाद उन्होंने ‘एक गधे की आत्मकथा’ (1942), ‘पूरे चाँद की रात’ (1950), ‘प्यासी धरती प्यासे लोग’ (1957), तथा ‘यादों के चिनार’ (1962) जैसे प्रसिद्ध उपन्यास और कथासंग्रह लिखे।
🔴 उनकी लेखनी में रंगारंग यथार्थवाद, सामाजिक चेतना तथा मानवीय संवेदनशीलता की प्रधानता थी।
🟢 उन्हें 1969 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
🟡 भारतीय उपन्यास और लघुकथा विधा में उनके योगदान ने सामाजिक सरोकार और प्रगतिशीलता को नई दिशा दी, जिसकी छाप आज भी हिन्दी–उर्दू साहित्य में दृढ़ता से विद्यमान है।

💠 प्रमुख कृतियाँ:
‘एक गधे की आत्मकथा’ (1942), ‘पूरे चाँद की रात’ (1950), ‘प्यासी धरती प्यासे लोग’ (1957)

💠 सम्मान:
पद्मभूषण (1969)

💠 विचारधारा:
यथार्थवादी, समाज–चेतन, प्रगतिशील

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पाठ का विश्लेषण  एवं  विवेचन


🟣 परिचय
‘जामुन का पेड़’ कृष्ण चंदर की प्रसिद्द व्यंग्य रचना है। कहानी में सरकारी दफ्तरों की लालफीताशाही, मानवीय संवेदनहीनता तथा ‘फाइल संस्कृति’ का बेहतरीन चित्रण मिलता है। यहां एक आम आदमी के जीवन से बढ़कर नियम, सरकारी आदेश और विभागीय अधिकार अधिक मूल्यवान हो जाते हैं, जिससे अलगाव, हानि व सामाजिक विडंबना दिखाई देती है।

🍃 कथा–सार
🌪️ तेज़ आंधी में सेक्रेटेरियट के लॉन में लगा जामुन का पेड़ अचानक गिर चुका था।
🧑‍🌾 नीचे एक आदमी दबा था – जीवित, दर्द से कराहता हुआ। माली से लेकर सैकड़ों कर्मचारी वहां इकठ्ठा हो गए।
🎭 हैरानी यह कि कर्मचारियों की पहली चिंता थी – “बेचारा जामुन का पेड़! कितना घना था, कितने मीठे फल देता था!” किसी को भी दबे आदमी की चिंता नहीं थी।
🏢 राहत के उपाय तुरंत रोक दिए गए: “मैं अंडर सेक्रेटरी से पूछ लूँ!” फाइल का सफर अलग–अलग विभागों के सहारे, एक–एक मंजूरी की प्रतीक्षा करता रहा।
🔁 समस्या कृषि, व्यापार, हॉर्टिकल्चर, तथा विदेशी मामलों के विभागों के बीच घूमती रही। सभी विभाग जिम्मेदारी से बचते रहे और आखिर में ‘कल्चरल विभाग’ के नाम चिट्ठी लिख दी गई।

🟠 विभागीय विडंबनाएँ
🗂️ हर विभाग अपने–अपने क्षेत्राधिकार का हवाला देकर जिम्मेदारी दूसरों पर डाल देता है – “पेड़ फलदार है, सिर्फ मिश्रित फलों के पेड़ के लिए हमारा नियम!”
🟦 हॉर्टिकल्चर ने पेड़ काटने से मना कर दिया: “हमारा देश ‘पेड़ लगाओ योजना’ चला रहा है…”
🏛️ यहीं से ऑफिस की ‘फाइल संस्कृति’ का मज़ाक दिखाता है – फाइल विभागों में घूमती रहती है, समाधान आगे नहीं बढ़ता।

🟢 माली और मानवीयता
🧑‍🌾 माली एकमात्र संवेदनशील पात्र है। वह दबे आदमी को चुपके से खाना देता है, उसकी हिम्मत बँधाता है – “चिंता मत कर, तेरी फाइल चल रही है।”

🟤 कवि और सरकारी उपेक्षा
📖 पता चलता है दबा आदमी कवि है। साहित्य अकादमी आती है, कवि को मेंबर बनाती है – पर उसे बचाने का कोई उपाय नहीं।

🔴 “दो राष्ट्रों की मित्रता” बनाम एक जीवन
🌏 विदेश विभाग बताता है कि पेड़ पिटोनिया राष्ट्र के राष्ट्रपति ने लगाया था, अतः काटा नहीं जा सकता – वरना द्विपक्षीय संबंधों पर असर।
🤦‍♂️ “कवि को काटकर निकाल लेते हैं?” मेडिकल विभाग सुझाव देता है पर रिपोर्ट आती है – “ऑपरेशन संभव है, पर आदमी मर जाएगा।”

🟡 चोटी का समाधान
🏛️ अंततः प्रधानमंत्री हस्तक्षेप कर पेड़ काटने की स्वीकृति देते हैं।
⚰️ किंतु देर हो चुकी – आदमी मर चुका होता है। चींटियाँ उसके मुँह में जाती हैं। एक आम नागरिक की फाइल भी पूरी हो जाती है।

🟩 प्रतीक और व्याख्या
🟣 जामुन का पेड़: समाज, व्यवस्था और नैतिकता का प्रतीक – बाहरी माहौल जितना फल–दार, भीतर से उतना बोझिल।
🟢 दबा आदमी: आम जन, जो राजनीति, अदालत, सरकारी तंत्र के नीचे दब जाता है।
🟠 फाइल: लालफीताशाही की सबसे मजबूत रस्सी – विभागों का चक्कर, जिम्मेदारी से बचाव।
🟡 माली: नम्र, मानवतावादी चरित्र।
🔵 कवि की स्थिति: हिंदी साहित्य और रचनात्मकता का उपेक्षित स्वरूप – “पद दिए जा सकते हैं, इंसानियत नहीं।”
⚫ सरकारी संवेदनहीनता: ‘पेड़ काटना’, ‘अंतर्राष्ट्रीय संबंध’ जैसे तर्क इंसान की जान से ऊपर हो जाते हैं।

🟪 कथ्य की विशेषताएँ
📜 व्यंग्य: कार्यालयीन रवैया, उपेक्षा, ‘राइट टु लाइफ’ की अवहेलना।
📜 प्रतीकों का प्रयोग: हर पात्र का व्यवहार केवल कहानी नहीं, पूरे तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है।
📜 संवाद प्रधान शैली: “सर आदमी मर गया”, “पेड़ नहीं कटेगा”, हर डायलॉग व्यवस्था की सच्चाई उजागर करता है।
📜 आम आदमी: सबसे असहाय, निरीह।

🟨 मुख्य संदेश
🛑 लालफीताशाही और वक्त-ज़ाया व्यवस्था आम नागरिक की जान की भी परवाह नहीं करती।
🟩 दया, सहयोग, संवेदना सच्चे नागरिक के गुण हैं – केवल माली में यह दिखाई देती है।
🟠 नियम, अधिकार, औपचारिकता जब मानवता से ऊपर हो जाएं तो उसका अंजाम दुखद होता है।
🟦 आम नागरिक के सवाल सदैव अनुत्तरित – उसकी ‘फाइल’ पूरी होते–होते वह खुद ही खत्म हो जाता है।

🏁 निष्कर्ष
‘जामुन का पेड़’ अधिकारी तंत्र की नकली विवेकशीलता, नियमों की जकड़न और मानवीय दुर्बलता का आइना है। व्यंग्यात्मक छवि, मार्मिकता और गहरी संवेदना के साथ वाक्य–वाक्य व्यवस्था पर चोट करते हैं। कहानी हमें सजग बनाती है कि केवल नियम–कायदे और कागज़ात ज़रूरी नहीं हैं बल्कि मानव–सहानुभूति सबसे आवश्यक है।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

🟠 प्रश्न 1: “बेचारा जामुन का पेड़! कितना फलदार था और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।”
क. ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?
🔵 उत्तर: यह संवाद तब आता है जब अस्पताल के सामने स्थित जामुन का पेड़ कटवा दिया जाता है। वह पेड़ वर्षों से छाया और फल प्रदान कर रहा था, लेकिन अधिकारियों ने विकास और निर्माण के नाम पर उसे काटने का आदेश दे दिया। इस प्रसंग में यह वाक्य उस पेड़ के प्रति संवेदना और अफ़सोस को व्यक्त करता है, जो लोगों के लिए उपयोगी होते हुए भी बेमानी कारणों से समाप्त कर दिया गया।

🟠 प्रश्न 1 (ख): इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है?
🔵 उत्तर: इससे लोगों की संवेदनहीन और स्वार्थपरक मानसिकता का पता चलता है। वे केवल तात्कालिक सुविधाओं और प्रशासनिक निर्णयों को महत्व देते हैं और प्रकृति या पर्यावरण के मूल्य को नहीं समझते। उपयोगी होते हुए भी किसी वस्तु को समाप्त कर देना समाज की उपभोक्तावादी प्रवृत्ति को उजागर करता है।

🟠 प्रश्न 2: दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फ़ाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा?
🔵 उत्तर: यह बात तब स्पष्ट होती है जब उस घायल व्यक्ति की फाइल में उसका परिचय ‘कवि’ के रूप में दर्ज मिलता है। यह जानकर अधिकारियों का रवैया बदल जाता है और फाइल में अचानक रुचि दिखाई देने लगती है। पहले जो मामला उपेक्षित था, वह अब संवेदनशीलता और सहानुभूति का विषय बन जाता है। इससे समाज में प्रसिद्धि और पहचान के आधार पर व्यवहार बदलने की प्रवृत्ति सामने आती है।

🟠 प्रश्न 3: कृषि-विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया?
🔵 उत्तर: कृषि विभाग ने यह तर्क दिया कि जामुन का पेड़ उनका कार्यक्षेत्र नहीं है, क्योंकि वे केवल खेती से संबंधित मामलों को देखते हैं। पेड़ों और बागवानी से जुड़े मामलों की ज़िम्मेदारी हॉर्टीकल्चर विभाग की होती है, इसलिए उन्होंने यह मामला अपने दायरे से बाहर बताते हुए आगे बढ़ा दिया। यह नौकरशाही की जिम्मेदारी टालने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।

🟠 प्रश्न 4: इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाज़ा मिलता है?
🔵 उत्तर: इस पाठ में मुख्य रूप से कृषि विभाग, हॉर्टीकल्चर विभाग, नगर-निगम, पुलिस, अस्पताल प्रशासन और अन्य सरकारी विभागों की चर्चा की गई है। पाठ से स्पष्ट होता है कि हर विभाग केवल अपने सीमित अधिकार क्षेत्र की बातें करता है और वास्तविक समस्या को सुलझाने की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता। इससे सरकारी तंत्र की निष्क्रियता, जटिल प्रक्रिया और आम जनता की समस्याओं के प्रति उनकी उदासीनता का पता चलता है।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

🔵 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ)
🟢 प्रश्न 1
सेक्रेटेरिएट के लॉन में जामुन का पेड़ क्यों गिर गया?
🟡 1️⃣ भूकंप के कारण
🔵 2️⃣ तेज आंधी-तूफान के कारण
🟢 3️⃣ अधिकारियों ने काटा था
🔴 4️⃣ पुराना होने के कारण
✅ उत्तर: 2️⃣ तेज आंधी-तूफान के कारण

🟢 प्रश्न 2
जामुन के पेड़ के नीचे दबा व्यक्ति कौन था?
🟡 1️⃣ माली
🔵 2️⃣ क्लर्क
🟢 3️⃣ एक शायर (कवि)
🔴 4️⃣ चपरासी
✅ उत्तर: 3️⃣ एक शायर (कवि)

🟢 प्रश्न 3
जब पेड़ गिरा तो सभी क्लर्क किसके लिए दुखी थे?
🟡 1️⃣ दबे हुए व्यक्ति के लिए
🔵 2️⃣ जामुन के पेड़ के लिए
🟢 3️⃣ अपनी नौकरी के लिए
🔴 4️⃣ सचिवालय के लिए
✅ उत्तर: 2️⃣ जामुन के पेड़ के लिए

🟢 प्रश्न 4
पेड़ हटाने के मामले में कौन-कौन से विभाग शामिल हुए?
🟡 1️⃣ केवल वाणिज्य विभाग
🔵 2️⃣ वाणिज्य, कृषि और बागवानी विभाग
🟢 3️⃣ केवल बागवानी विभाग
🔴 4️⃣ केवल कृषि विभाग
✅ उत्तर: 2️⃣ वाणिज्य, कृषि और बागवानी विभाग

🟢 प्रश्न 5
कहानी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
🟡 1️⃣ पेड़ों के महत्व को बताना
🔵 2️⃣ सरकारी तंत्र की लाल-फीताशाही पर व्यंग्य करना
🟢 3️⃣ शायरों की स्थिति बताना
🔴 4️⃣ प्राकृतिक आपदा का वर्णन करना
✅ उत्तर: 2️⃣ सरकारी तंत्र की लाल-फीताशाही पर व्यंग्य करना

🔵 लघु उत्तरीय प्रश्न
🟠 प्रश्न 6
माली ने जब दबे व्यक्ति को देखा तो सबसे पहले क्या किया?
💠 उत्तर: माली दौड़कर चपरासी के पास गया, चपरासी ने क्लर्क को बताया और क्लर्क ने सुपरिंटेंडेंट को सूचित किया। इस प्रकार खबर ऊपर तक पहुंचाई गई।

🟠 प्रश्न 7
सुपरिंटेंडेंट ने पेड़ हटाने से पहले क्या किया?
💠 उत्तर: सुपरिंटेंडेंट ने पेड़ हटाने से पहले अंडर सेक्रेटरी से सलाह लेने का निर्णय लिया और फाइल ऊपरी अधिकारियों को भेज दी।

🟠 प्रश्न 8
वाणिज्य विभाग ने पेड़ हटाने से क्यों इनकार किया?
💠 उत्तर: वाणिज्य विभाग ने कहा कि पेड़ का मामला कृषि विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है क्योंकि यह वनस्पति से संबंधित है।

🟠 प्रश्न 9
शायर ने मरते समय कौन-सा शेर पढ़ा?
💠 उत्तर: शायर ने मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर पढ़ा जो था कि तुमको खबर होने तक हम खाक हो जाएंगे। यह उसकी स्थिति का प्रतीक था।

🟠 प्रश्न 10
अंत में दबे व्यक्ति का क्या हुआ?
💠 उत्तर: सरकारी कार्यवाही में देरी के कारण अंत में दबा हुआ शायर मर गया। उसकी आंखें निर्जीव हो चुकी थीं और मुंह में चींटियां जा रही थीं।

🔵 मध्यम उत्तरीय प्रश्न
🔴 प्रश्न 11
कहानी में जामुन का पेड़ किसका प्रतीक है?
🔷 उत्तर: जामुन का पेड़ देश की समस्याओं का प्रतीक है। जैसे जामुन का पेड़ किसी व्यक्ति पर गिरकर उसे दबा देता है, वैसे ही देश में आम नागरिक विभिन्न समस्याओं के बोझ तले दबा हुआ और छटपटा रहा है। पेड़ के नीचे दबा व्यक्ति आम जनता का प्रतिनिधित्व करता है जो व्यवस्था की उदासीनता का शिकार है। सरकारी तंत्र अपनी लाल-फीताशाही में उलझा रहता है जबकि आम आदमी पीड़ित होता रहता है।

🔴 प्रश्न 12
कहानी में सरकारी अधिकारियों की मानसिकता को कैसे दर्शाया गया है?
🔷 उत्तर: कहानी में सरकारी अधिकारियों की संवेदनहीन और जिम्मेदारी से बचने वाली मानसिकता को दर्शाया गया है। जब जामुन का पेड़ गिरता है तो सभी पेड़ की रसीली जामुनों के लिए दुख व्यक्त करते हैं लेकिन उसके नीचे दबे व्यक्ति की कोई चिंता नहीं करता। माली जैसा साधारण व्यक्ति तुरंत पेड़ हटाने का सुझाव देता है लेकिन अधिकारी फाइलों में उलझे रहते हैं। एक विभाग दूसरे पर जिम्मेदारी डालता है और अंत में व्यक्ति मर जाता है।

🔴 प्रश्न 13
कहानी की हास्य-व्यंग्य शैली की विशेषताएं बताइए।
🔷 उत्तर: कृष्ण चंदर ने इस कहानी में हास्य-व्यंग्य शैली का सटीक प्रयोग किया है। वे गंभीर विषय को हल्के-फुल्के अंदाज में प्रस्तुत करते हैं जिससे पाठक हंसते हुए भी व्यवस्था की खामियों को समझ लेता है। फाइलों का एक विभाग से दूसरे विभाग तक घूमना, अधिकारियों का एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालना और जामुन के लिए रोना लेकिन मरते व्यक्ति की अनदेखी करना व्यंग्य के तीखे उदाहरण हैं। लेखक ने अतिशयोक्ति का प्रयोग करके सरकारी तंत्र की अकर्मण्यता को उजागर किया है।

🔵 विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
🟣 प्रश्न 14
‘जामुन का पेड़’ कहानी का केंद्रीय संदेश और समकालीन प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
🔶 उत्तर: कृष्ण चंदर की कहानी ‘जामुन का पेड़’ सरकारी तंत्र की लाल-फीताशाही, संवेदनहीनता और जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति पर एक करारा व्यंग्य है। कहानी का केंद्रीय संदेश यह है कि सरकारी व्यवस्था में फंसकर आम नागरिक की समस्याएं हल होने से पहले ही वह मर जाता है। जब रात में आंधी से जामुन का पेड़ गिरता है और उसके नीचे एक शायर दब जाता है तो सभी अधिकारी पेड़ की रसीली जामुनों के लिए दुख व्यक्त करते हैं लेकिन दबे व्यक्ति को बचाने की जगह फाइलों में उलझ जाते हैं। सुपरिंटेंडेंट अंडर सेक्रेटरी से पूछता है, वह डिप्टी सेक्रेटरी से, वह ज्वाइंट सेक्रेटरी से और इस प्रकार फाइल घूमती रहती है। एक विभाग दूसरे पर जिम्मेदारी डालता है। वाणिज्य विभाग कहता है यह कृषि विभाग का काम है, कृषि विभाग कहता है फलदार पेड़ बागवानी विभाग के अधीन आता है। इस लाल-फीताशाही में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। यह कहानी आज भी अत्यंत प्रासंगिक है क्योंकि आज भी सरकारी दफ्तरों में फाइलें वर्षों तक घूमती रहती हैं, एक विभाग दूसरे पर जिम्मेदारी डालता है और आम नागरिक न्याय की प्रतीक्षा में जीवन भर लगा देता है। कहानी यह संदेश देती है कि मानवीय संवेदना और तत्काल निर्णय लेने की क्षमता का अभाव व्यवस्था को निष्क्रिय बना देता है।

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अतिरिक्त ज्ञान

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दृश्य सामग्री

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