Class 11 : हिंदी अनिवार्य – Lesson 6 रजनी
संक्षिप्त लेखक परिचय
📘 लेखक परिचय — मन्नू भंडारी
🔵 मन्नू भंडारी का जन्म 3 अगस्त 1931 को मेरठ में हुआ।
🟢 पिता का नाम श्री गोविंद प्रसाद शर्मा तथा माता का नाम सुश्री कमला देवी था।
🟡 प्रारंभिक शिक्षा मेरठ के स्थानीय विद्यालयों में हुई।
🔴 तत्पश्चात उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की।
🟢 उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो में नाट्य लेखक एवं संपादक के रूप में कार्य किया और बाद में हिंदी कहानी–उपन्यास लेखन में सक्रिय रहीं।
🔵 उनका पहला कहानी–संकलन “आने वाली सुबह” (1965) उनकी साहित्यिक पहचान बना।
🟡 उपन्यास “एक लिखा लंबे समय” (1976) के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
🔴 उनकी लेखनी में यथार्थपरक दृष्टिकोण, स्त्री–मनोविज्ञान का सूक्ष्म चित्रण तथा समाज–सुधार की प्रवृत्ति प्रमुख थी।
🟢 उन्होंने समकालीन भारतीय समाज में नारी के उत्थान एवं स्वतंत्रता की आवाज़ को साहित्य में प्रवाहित किया।
💠 प्रमुख कृतियाँ:
आने वाली सुबह (1965), एक लिखा लंबे समय (1976), आशाएँ टूटती हैं (1980), संघर्ष के क्षितिज (1985)
💠 सम्मान:
साहित्य अकादमी पुरस्कार (1979), शतीश्वरत स्मृति सम्मान (1995)
💠 विचारधारा:
यथार्थवादी, नारी–स्वतंत्रता, समाज–सुधार
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पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन
🌸 पाठ परिचय
‘रजनी’ मन्नू भंडारी द्वारा लिखित एक पटकथा है जो पिछली सदी के नवें दशक (1980 के दशक) का बहुचर्चित टी.वी. धारावाहिक रहा है। बासु चटर्जी के निर्देशन में बने इस धारावाहिक की हर कड़ी स्वतंत्र और पूर्ण होती थी और उन्हें आपस में जोड़ने वाली कड़ी रजनी नामक जुझारू और इंसाफ-पसंद स्त्री-पात्र थी। प्रस्तुत अंश व्यवसाय बनती शिक्षा की समस्या की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करता है।
🎭 मुख्य पात्र
🌟 रजनी — जुझारू, साहसी, निर्भीक और अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाली स्त्री। वह समाज में व्याप्त हर प्रकार की बुराई से लड़ने का हौसला रखती है।
🏠 लीला — रजनी की पड़ोसन और अमित की माँ। वह आर्थिक रूप से कमज़ोर मध्यवर्गीय परिवार की महिला है जो अध्यापकों से डरती है।
📚 अमित — लीला का बेटा, एक मेधावी छात्र जिसे गणित के अध्यापक ने ट्यूशन न लेने के कारण जानबूझकर कम अंक दिए।
👔 रजनी का पति (रवि) — रजनी का पति जो शुरू में उसकी लड़ाई से असहमत है लेकिन अंत में उस पर गर्व करता है।
🏫 हेडमास्टर और शिक्षा निदेशक — वे अधिकारी जो अपनी जिम्मेदारी से बचते हैं और ट्यूशन के धंधे को अनदेखा करते हैं।
📖 कथानक सार
📘 दृश्य 1: अमित का परिणाम
कहानी लीला के घर से शुरू होती है जहाँ रजनी उससे बाज़ार चलने को कहती है। लीला बताती है कि आज उसके बेटे अमित का परिणाम आने वाला है। रजनी को पूरा विश्वास है कि अमित के अच्छे अंक आएँगे क्योंकि वह बहुत मेधावी छात्र है।
जब अमित स्कूल से लौटता है तो उसका चेहरा उदास है। उसे गणित में केवल 72 अंक मिले हैं जबकि उसने पूरा पेपर सही किया था। अमित रोते हुए कहता है कि गणित के अध्यापक मिस्टर पाठक ने बार-बार ट्यूशन लेने को कहा था लेकिन उसकी माँ ने आर्थिक समस्या के कारण दो विषयों की ट्यूशन नहीं लगाई।
अमित बताता है कि कक्षा के 22 बच्चे ट्यूशन ले रहे हैं और जो ट्यूशन नहीं लेते उनके नंबर काट दिए जाते हैं।
📘 दृश्य 2: हेडमास्टर से मुठभेड़
अगले दिन रजनी अमित के स्कूल जाती है और हेडमास्टर से अमित की गणित की कॉपी दिखाने की मांग करती है। हेडमास्टर कहते हैं कि “वार्षिक परीक्षा की कॉपियाँ नहीं दिखाने का नियम है”।
रजनी तर्क देती है कि अमित ने पूरा पेपर सही किया था और उसके सभी विषयों में अच्छे नंबर हैं। वह कहती है: “यह कौन-सा नियम है जहाँ बच्चों को ट्यूशन पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है”।
हेडमास्टर इसे “टीचर और स्टूडेंट का आपसी मामला” बताकर अपनी जिम्मेदारी से बच जाते हैं।
रजनी गुस्से में कहती है: “अगर आप कुछ नहीं कर सकते तो यह कुर्सी छोड़ दीजिए! बाहर कीजिए उन टीचर्स को जिन्होंने ट्यूशन का घिनौना रैकेट चला रखा है”।
📘 दृश्य 3: घर पर बहस
घर आकर जब रजनी अपने पति को सब बताती है तो वह कहता है: “तुम्हें क्या परेशानी हो गई। तुमने सारी दुनिया का ठेका थोड़ी ले रखा है”।
रजनी का प्रसिद्ध संवाद: “गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर जो उसे सहता है वह भी उतना ही गुनहगार है”।
यह संवाद पूरी कहानी का केंद्रीय संदेश है।
📘 दृश्य 4: शिक्षा निदेशक के पास
रजनी शिक्षा निदेशक के ऑफिस जाती है और घंटों इंतज़ार करती है। जब एक व्यक्ति चपरासी को 5 रुपए देकर पहले अंदर चला जाता है तो रजनी बिना बुलाए ही दनदनाती हुई अंदर चली जाती है।
निदेशक कहते हैं: “जब किसी का बच्चा कमज़ोर होता है तभी उसके माँ-बाप ट्यूशन लगवाते हैं। यह कोई मजबूरी तो है नहीं”।
रजनी जवाब देती है: “बच्चा होशियार है, पेपर पूरा सही किया फिर भी 72 नंबर मिले क्योंकि उसने ट्यूशन नहीं ली”।
निदेशक कहते हैं कि आज तक किसी पेरेंट से शिकायत नहीं आई। रजनी का जवाब: “ठीक है तो फिर आपके पास शिकायत का ढेर ही लगवाकर रहूँगी”।
📘 दृश्य 5: अखबार वालों का साथ
रजनी अखबार के संपादक से मिलती है। संपादक कहते हैं: “आपने तो इसे बाकायदा एक आंदोलन का रूप ही दे दिया। बहुत अच्छा किया”।
संपादक रजनी को आश्वासन देते हैं: “अखबार वाले आपके साथ हैं”।
रजनी का पति फुसफुसाकर कहता है: “तो एक और आंदोलन का मसला मिल गया” – यह उसकी संकीर्ण मानसिकता दर्शाता है।
📘 दृश्य 6: अभिभावकों की मीटिंग
रजनी 25 तारीख को अभिभावकों की एक बड़ी मीटिंग आयोजित करती है। बड़ी संख्या में लोग आते हैं। मीटिंग में प्रेस के लोग भी मौजूद हैं।
रजनी का मुख्य भाषण:
“कोई भी टीचर अपने ही स्कूल के छात्रों का ट्यूशन नहीं करेगा”।
“इस नियम को तोड़ने वाले टीचर्स के खिलाफ़ सख्त-से-सख्त कार्यवाही की जाएगी”।
पूरा हॉल “एप्रूव्ड, एप्रूव्ड” की आवाज़ों और तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठता है।
📘 दृश्य 7: विजय
अगली सुबह रजनी का पति अखबार में पढ़ता है: “बोर्ड ने तुम लोगों का प्रस्ताव ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर लिया”।
रजनी खुशी से कहती है: “मैं तो कहती हूँ कि अगर डटकर मुकाबला किया जाए तो कौन-सा ऐसा अन्याय है, जिसकी धज्जियाँ न बिखेरी जा सकती हैं”।
उसका पति कहता है: “आई एम प्राउड ऑफ यू रजनी…रियली, रियली…आई एम वैरी प्राउड ऑफ यू”।
लीला, कांतिभाई और अमित आते हैं और रजनी को रसमलाई खिलाकर खुशी मनाते हैं।
💡 पाठ का उद्देश्य और शिक्षा
🌿 अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाना आवश्यक है: जो अन्याय सहन करता है वह भी उतना ही दोषी है जितना अन्याय करने वाला।
🌿 शिक्षा का व्यवसायीकरण: पाठ दिखाता है कि कैसे शिक्षा के क्षेत्र में ट्यूशन के नाम पर धंधेबाजी चल रही थी।
🌿 मध्यवर्गीय परिवारों का संघर्ष: लीला जैसे परिवार आर्थिक समस्या के कारण दो विषयों की ट्यूशन नहीं लगा सकते लेकिन अध्यापक उन्हें मजबूर करते हैं।
🌿 अधिकारियों की उदासीनता: हेडमास्टर और शिक्षा निदेशक अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं।
🌿 संगठित प्रयास की शक्ति: रजनी अकेले नहीं लड़ती – वह अभिभावकों को संगठित करती है, अखबार का साथ लेती है और अंततः सफल होती है।
🎯 रजनी का चरित्र-चित्रण
🌺 साहसी और निर्भीक — रजनी अन्याय के विरुद्ध अकेले लड़ने का साहस रखती है। वह हेडमास्टर और शिक्षा निदेशक से बिना डरे अपनी बात रखती है।
🌺 संघर्षशील — वह हार नहीं मानती। जब एक जगह से निराशा मिलती है तो दूसरे रास्ते खोजती है।
🌺 न्याय-प्रिय — रजनी सिर्फ अमित के लिए नहीं बल्कि उन हजारों बच्चों के लिए लड़ती है जो इस अन्याय का शिकार हो रहे हैं।
🌺 तर्कशील और बुद्धिमान — वह हर बात को तर्क से रखती है और अधिकारियों के सामने अपनी बात मनवाती है।
🌺 आम स्त्री से अलग — आम स्त्रियाँ अन्याय को चुपचाप सहन करती हैं लेकिन रजनी उसके खिलाफ खड़ी हो जाती है।
🔥 महत्वपूर्ण संवाद
1️⃣ “गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बर्दाश्त करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता”।
2️⃣ “तुमने सारी दुनिया का ठेका थोड़ी ले रखा है”।
3️⃣ “अगर डटकर मुकाबला किया जाए तो कौन-सा ऐसा अन्याय है, जिसकी धज्जियाँ न बिखेरी जा सकती हैं”।
4️⃣ “बाहर कीजिए उन टीचर्स को जिन्होंने ट्यूशन का घिनौना रैकेट चला रखा है”।
📌 पटकथा की विशेषताएँ
📺 दृश्य-आधारित संरचना: पूरी कहानी 7 दृश्यों में विभाजित है।
📺 संवाद-प्रधान: पटकथा में संवाद ही मुख्य होते हैं जो पात्रों के चरित्र और कथानक को आगे बढ़ाते हैं।
📺 निर्देशन संकेत: कोष्ठक में दिए गए निर्देश (जैसे दृश्य का स्थान, पात्रों की अभिव्यक्ति) फ़िल्मांकन में सहायक होते हैं।
📺 सामयिक प्रासंगिकता: 1980 के दशक में शिक्षा के व्यवसायीकरण की समस्या को उजागर किया गया जो आज भी प्रासंगिक है।
🌟 निष्कर्ष
‘रजनी’ पटकथा एक ऐसी साधारण स्त्री की असाधारण कहानी है जो समाज में व्याप्त अन्याय के खिलाफ अकेले खड़ी होती है और संगठित प्रयास से विजय प्राप्त करती है। यह पाठ हमें सिखाता है कि अन्याय को सहन करना अन्याय करने के बराबर है और अगर हम संगठित होकर लड़ें तो किसी भी अन्याय को परास्त किया जा सकता है।
रजनी का चरित्र आज भी प्रेरणादायक है क्योंकि वह हर उस व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करती है जो “चुप बैठने की जगह खड़े होकर लड़ने” में विश्वास रखता है।
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
🟠 प्रश्न 1: रजनी ने अमित के मुद्दे को गंभीरता से लिया, क्योंकि –
🔵 उत्तर: रजनी ने अमित के मुद्दे को गंभीरता से इसलिए लिया क्योंकि वह केवल एक सामान्य घटना नहीं थी, बल्कि उसके पारिवारिक जीवन और भावनात्मक संबंधों से जुड़ी थी। रजनी हर बात को गहराई और जिम्मेदारी से सोचने वाली स्त्री थी। वह जानती थी कि अमित की समस्या केवल एक क्षणिक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि उसके व्यक्तित्व, भविष्य और उनके आपसी रिश्तों पर सीधा प्रभाव डाल सकती है। इसलिए उसने इस विषय को हल्के में नहीं लिया और सोच-समझकर समाधान की ओर बढ़ना उचित समझा।
🟠 प्रश्न 2: “जब किसी का बच्चा कमजोर होता है, तभी उसके माँ-बाप दृढ़ता लगाते हैं…” यह कथन आपको किस सीमा तक सही या गलत लगता है, तर्क सहित दीजिए।
🔵 उत्तर: यह कथन पूर्णतः सही है क्योंकि यह मानवीय स्वभाव और व्यवहार को सटीक रूप में प्रस्तुत करता है। जब कोई व्यक्ति किसी प्रियजन की कमजोरी देखता है, तो स्वाभाविक रूप से उसमें साहस और दृढ़ता उत्पन्न करता है। माता-पिता अपने कमजोर बच्चे को अधिक समर्थन, प्रेरणा और हौसला देते हैं ताकि वह जीवन में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सके। इसी प्रकार समाज भी कमजोर वर्ग को सहारा देकर उसे मजबूत बनाना चाहता है। यह कथन यह सिखाता है कि कमजोरी ही हमें दृढ़ और संबल प्रदान करने के लिए प्रेरित करती है।
🟠 प्रश्न 3: “मुझे और आंदोलनों का हिस्सा नहीं बनना” – रजनी द्वारा कही गई यह बात किस प्रसंग में है?
🔵 उत्तर: यह कथन रजनी ने उस समय कहा जब वह बार-बार चल रहे संघर्षों, विरोधों और टकरावों से थक चुकी थी। जीवन में कई मुद्दों पर सक्रिय रूप से खड़े होने के बाद उसे यह महसूस हुआ कि हर समस्या को आंदोलन का रूप देना समाधान नहीं होता। वह अब शांतिपूर्ण और व्यवहारिक ढंग से परिस्थितियों का सामना करना चाहती थी। इस कथन से रजनी के अनुभव, परिपक्वता और जीवन को व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखने की मानसिकता स्पष्ट होती है।
🟠 प्रश्न 4: रजनी धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या क्या है?
🔵 उत्तर: इस कड़ी की मुख्य समस्या पारिवारिक संबंधों में उत्पन्न होने वाली असहमति, संवादहीनता और मानसिक मतभेद हैं। रजनी और अमित के विचारों और दृष्टिकोणों में टकराव होता है, जो आपसी संबंधों में तनाव उत्पन्न करता है। यह समस्या केवल एक घरेलू विवाद नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि कैसे व्यक्तिगत सोच और मूल्य एक-दूसरे से टकराकर रिश्तों को प्रभावित करते हैं। लेखक ने इस समस्या के माध्यम से यह संदेश दिया है कि रिश्तों में संवाद, समझ और संवेदनशीलता अत्यंत आवश्यक हैं।
🟠 प्रश्न 5: संपर्क रजनी का साथ न देता तो क्या होता?
🔵 उत्तर: यदि संपर्क रजनी का साथ न देता तो उसकी स्थिति बहुत कठिन हो जाती। वह अकेले अपने विचारों और सिद्धांतों पर डटी नहीं रह पाती और संभवतः समझौता करने के लिए विवश हो जाती। संपर्क के सहयोग से ही रजनी को मानसिक बल और आत्मविश्वास मिलता है। उसका समर्थन न मिलने पर रजनी का संघर्ष और अधिक गहरा हो सकता था और शायद वह अपने मूल्यों से विचलित हो जाती। यह स्पष्ट करता है कि सहयोग और समर्थन किसी भी संघर्ष में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
🔵 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ)
🟢 प्रश्न 1
अमित को गणित में कम अंक क्यों मिले?
🟡 1️⃣ वह पढ़ाई में कमजोर था
🔵 2️⃣ उसने गणित के अध्यापक की ट्यूशन नहीं ली थी
🟢 3️⃣ उसने परीक्षा ठीक से नहीं दी
🔴 4️⃣ वह बीमार था
✅ उत्तर: 2️⃣ उसने गणित के अध्यापक की ट्यूशन नहीं ली थी
🟢 प्रश्न 2
रजनी किसकी पड़ोसन थी?
🟡 1️⃣ अमित की
🔵 2️⃣ लीला की
🟢 3️⃣ हेडमास्टर की
🔴 4️⃣ संपादक की
✅ उत्तर: 2️⃣ लीला की
🟢 प्रश्न 3
हेडमास्टर ने रजनी को अमित की कॉपी दिखाने से क्यों मना किया?
🟡 1️⃣ कॉपी खो गई थी
🔵 2️⃣ वार्षिक परीक्षा की कॉपी नहीं दिखाई जाती
🟢 3️⃣ अध्यापक मना कर रहे थे
🔴 4️⃣ रजनी को इसका अधिकार नहीं था
✅ उत्तर: 2️⃣ वार्षिक परीक्षा की कॉपी नहीं दिखाई जाती
🟢 प्रश्न 4
रजनी ने अंततः किसकी मदद ली?
🟡 1️⃣ पुलिस की
🔵 2️⃣ अखबार के संपादक की
🟢 3️⃣ वकील की
🔴 4️⃣ मंत्री की
✅ उत्तर: 2️⃣ अखबार के संपादक की
🟢 प्रश्न 5
‘रजनी’ क्या है?
🟡 1️⃣ कहानी
🔵 2️⃣ उपन्यास
🟢 3️⃣ पटकथा
🔴 4️⃣ कविता
✅ उत्तर: 3️⃣ पटकथा
🔵 लघु उत्तरीय प्रश्न
🟠 प्रश्न 6
अमित को अपनी माँ पर क्रोध क्यों आया?
💠 उत्तर: अमित को क्रोध इसलिए आया क्योंकि उसकी माँ ने गणित के अध्यापक की ट्यूशन नहीं दिलवाई थी, जिसके कारण अध्यापक ने उसके अंक काट लिए।
🟠 प्रश्न 7
रजनी के पति रवि ने उसे क्या सलाह दी?
💠 उत्तर: रवि ने रजनी को सलाह दी कि वह इस मामले में न पड़े क्योंकि इससे परेशानी बढ़ सकती है और अमित को अगले साल और परेशान किया जा सकता है।
🟠 प्रश्न 8
शिक्षा निदेशक ने रजनी की समस्या पर क्या प्रतिक्रिया दी?
💠 उत्तर: शिक्षा निदेशक ने रजनी की बात को गंभीरता से नहीं लिया और इसे अध्यापक और छात्र का आपसी मामला बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
🟠 प्रश्न 9
रजनी ने अभिभावकों की बैठक में क्या प्रस्ताव रखा?
💠 उत्तर: रजनी ने प्रस्ताव रखा कि अध्यापकों द्वारा जबरदस्ती ट्यूशन लेने पर सख्त नियम बनाए जाएं और ऐसे अध्यापकों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।
🟠 प्रश्न 10
रजनी का आंदोलन कैसे सफल हुआ?
💠 उत्तर: अखबार में खबर छपने और अभिभावकों के समर्थन से शिक्षा बोर्ड ने ट्यूशन के लिए सख्त नियम बनाए, इस प्रकार रजनी का आंदोलन सफल हुआ।
🔵 मध्यम उत्तरीय प्रश्न
🔴 प्रश्न 11
रजनी के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
🔷 उत्तर: रजनी एक साहसी, न्यायप्रिय और दृढ़ निश्चयी महिला है। वह अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने में विश्वास रखती है। जब अमित के साथ अन्याय होता है तो वह चुप नहीं बैठती। वह समाज में व्याप्त बुराइयों से लड़ने का साहस रखती है। उसके विचार ऊँचे हैं और वह मानती है कि गलती सहन करना गलती करने से बड़ा अपराध है। रजनी एक आम स्त्री से भिन्न है क्योंकि वह केवल अपने परिवार तक सीमित नहीं रहती बल्कि समाज के व्यापक हित की सोचती है।
🔴 प्रश्न 12
पटकथा में शिक्षा के व्यवसायीकरण की समस्या को कैसे दर्शाया गया है?
🔷 उत्तर: पटकथा में दिखाया गया है कि विद्यालयों में अध्यापक छात्रों को जबरदस्ती अपनी ट्यूशन लेने के लिए दबाव डालते हैं। जो छात्र ट्यूशन नहीं लेते उनके परीक्षा में अंक काट दिए जाते हैं। अमित मेधावी छात्र होने के बावजूद ट्यूशन न लेने के कारण कम अंक पाता है। हेडमास्टर और शिक्षा निदेशक इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेते। इस प्रकार शिक्षा एक व्यवसाय बन गई है जहाँ अध्यापक धन कमाने के लिए छात्रों का शोषण करते हैं।
🔴 प्रश्न 13
रजनी के पति और लीला की मानसिकता में क्या समानता थी?
🔷 उत्तर: रजनी के पति रवि और लीला दोनों की मानसिकता में समानता थी कि वे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने से डरते थे। दोनों स्वार्थी और व्यावहारिक सोच रखते थे। लीला को डर था कि अगले साल अमित को और परेशान किया जाएगा। रवि भी रजनी को समझाता है कि उसने पूरी दुनिया का ठेका नहीं ले रखा है। दोनों अपनी सुरक्षा और सुविधा को महत्व देते थे और समाज में व्याप्त बुराइयों से लड़ने में विश्वास नहीं रखते थे।
🔵 विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
🟣 प्रश्न 14
‘रजनी’ पटकथा का उद्देश्य और समकालीन प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
🔶 उत्तर: मन्नू भंडारी की पटकथा ‘रजनी’ शिक्षा के व्यवसायीकरण और समाज में व्याप्त अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का संदेश देती है। पटकथा का मुख्य उद्देश्य यह दिखाना है कि कैसे शिक्षा संस्थानों में अध्यापक ट्यूशन के नाम पर छात्रों और अभिभावकों का शोषण करते हैं। रजनी एक साधारण गृहिणी है लेकिन वह असाधारण साहस रखती है। जब उसकी पड़ोसन के बेटे अमित के साथ अन्याय होता है तो वह चुप नहीं बैठती। वह हेडमास्टर, शिक्षा निदेशक से मिलती है लेकिन कहीं न्याय नहीं मिलता। तब वह अखबार के माध्यम से इस समस्या को सार्वजनिक करती है और अभिभावकों को संगठित करके आंदोलन चलाती है। अंततः शिक्षा बोर्ड को ट्यूशन के खिलाफ सख्त नियम बनाने पड़ते हैं। पटकथा यह संदेश देती है कि गलती सहन करना गलती करने से बड़ा अपराध है। यदि लोग संगठित होकर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं तो परिवर्तन संभव है। आज भी शिक्षा का व्यवसायीकरण एक बड़ी समस्या है। निजी स्कूलों में महंगी फीस, अनावश्यक किताबें और ट्यूशन का दबाव बना रहता है। रजनी का चरित्र आज भी प्रासंगिक है क्योंकि समाज को ऐसे साहसी लोगों की जरूरत है जो अन्याय के खिलाफ खड़े हो सकें।
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अतिरिक्त ज्ञान
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दृश्य सामग्री
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