Class 10, Science (Hindi)

Class 10 : Science (In Hindi) – Lesson 7. जीव जनन

पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन


🔵 प्रस्तावना
➡️ पृथ्वी पर जीवन की निरंतरता का मूल आधार जनन है।
➡️ हर जीवधारी अपने समान नए जीव उत्पन्न करता है ताकि उसकी प्रजाति लुप्त न हो।
➡️ जनन केवल संख्या बढ़ाने का साधन नहीं है, बल्कि इससे आनुवंशिक गुण, संरचना और कार्य–प्रणाली भी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचते हैं।
➡️ इस अध्याय में हम जानेंगे कि जीव किस प्रकार जनन करते हैं, इसके कौन–कौन से प्रकार हैं और उनका जैविक महत्व क्या है।

🟠 जनन के प्रकार
🟡 1. अलैंगिक जनन
🔵 परिभाषा – जब केवल एक जीवधारी से नए जीव उत्पन्न होते हैं और इसमें नर व मादा गामेट का संयोग नहीं होता।
🟢 विशेषताएँ – संतान माता–पिता के समान होती है, विविधता नहीं आती। यह प्रक्रिया तीव्र गति से होती है।
विधियाँ:
द्विखण्डन
एककोशिकीय जीव जैसे अमीबा, पैरामीशियम में।
कोशिका केन्द्रक और कोशिकाद्रव्य दो समान भागों में विभाजित होकर दो नई कोशिकाएँ बनती हैं।


➡️ यह अनुकूल परिस्थितियों में तेजी से संख्या बढ़ाने में सहायक है।
खण्डन
स्पाइरोजाइरा शैवाल में देखा जाता है।
जब इसका शरीर खंडों में टूट जाता है, तो प्रत्येक खंड से नया पौधा विकसित हो जाता है।
कलीजनन
यीस्ट और हाइड्रा में।


माता–जीव पर छोटी उभार (कली) निकलती है, जो बड़ी होकर अलग हो जाती है और स्वतंत्र जीव बन जाती है।
बीजाणुजनन
फफूँद (रोटी पर उगने वाली) में।
सूक्ष्म बीजाणु अनुकूल वातावरण में अंकुरित होकर नया जीव उत्पन्न करते हैं।
वनस्पतिक जनन
पादपों में जड़, तना या पत्तियों से।


उदाहरण:
🔵 आलू की गाँठ से नया पौधा।
🟢 गन्ने के टुकड़ों से नए पौधे।
🟡 गुलाब की कलम से नए पौधे।

🟣 2. लैंगिक जनन
🔵 परिभाषा – इसमें दो गामेट (नर व मादा) मिलकर युग्मनज का निर्माण करते हैं, जिससे भ्रूण और अंततः नया जीव बनता है।
🟢 विशेषताएँ:
✔️ संतानों में आनुवंशिक विविधता आती है।
✔️ यह उच्च पादपों और जन्तुओं में प्रमुख जनन विधि है।
✔️ प्रजाति को बदलती परिस्थितियों में अनुकूलन की क्षमता मिलती है।

🟢 पादपों में लैंगिक जनन
🔵 पुष्प – जनन अंग
पुष्प को लैंगिक जनन की इकाई कहते हैं।
इसमें पुंकेसर (नर भाग) और अण्डप (मादा भाग) होते हैं।


🟡 पुंकेसर
परागकोष में परागकण बनते हैं।
परागकण नर गामेट वहन करते हैं।


🟣 अण्डप
बीजाण्ड में अण्डाणु बनते हैं।


🟠 परागण
परागकण का पुंकेसर से अण्डप तक पहुँचना।


दो प्रकार:
🔵 स्वपरागण – एक ही फूल/पौधे में।
🟢 परपरागण – भिन्न फूल/पौधों में।


🔴 निषेचन
नर गामेट + मादा गामेट = युग्मनज।
पादपों में यह प्रक्रिया अण्डप के भीतर होती है।


🟣 बीज और फल निर्माण
निषेचन के बाद बीजाण्ड बीज बन जाता है और अण्डप फल में परिवर्तित हो जाता है।
इस प्रकार अगली पीढ़ी तैयार होती है।

🟡 जन्तुओं में लैंगिक जनन


🔵 नर जनन तंत्र
वृषण – शुक्राणुओं का निर्माण और हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का स्रवण।
शुक्राणुनलिकाएँ – शुक्राणु का संग्रह व वहन।
लिंग – शुक्राणु को स्त्री जनन तंत्र तक पहुँचाना।


🟢 मादा जनन तंत्र
अण्डाशय – अण्डाणु का निर्माण, एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्रवण।
अण्डवाहिनी – अण्डाणु को गर्भाशय तक पहुँचाना; यहीं निषेचन होता है।
गर्भाशय – भ्रूण का आरोपण व विकास स्थल।
योनि – शुक्राणु का प्रवेश मार्ग।


🟡 निषेचन और भ्रूण विकास
शुक्राणु और अण्डाणु का संयोग → युग्मनज।
युग्मनज का बार–बार विभाजन होकर भ्रूण बनता है।
भ्रूण गर्भाशय की भीतरी परत (अन्तस्तर) में आरोपित होकर शिशु में विकसित होता है।

🟣 युग्मक निर्माण (गैमेटोजेनेसिस)
🔵 नर में = शुक्राणुजनन (वृषण में)।
🟢 मादा में = अण्डाणुजनन (अण्डाशय में)।
🟡 प्रक्रिया – अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा गामेट बनते हैं, जिससे गुणसूत्र संख्या आधी हो जाती है। निषेचन पर यह संख्या पुनः पूर्ण हो जाती है।

🟠 मानव प्रजनन चक्र
🔵 स्त्रियों में मासिक धर्म चक्र औसतन 28 दिनों का होता है।
🟢 अण्डोत्सर्जन सामान्यतः 14वें दिन।
🟡 गर्भाशय की परत मोटी होकर भ्रूण आरोपण के लिए तैयार रहती है।
🔴 यदि निषेचन नहीं होता तो यह परत टूटकर रक्तस्राव के रूप में बाहर निकलती है।

🌿 जनन का महत्व
🔵 प्रजातियों की निरंतरता बनी रहती है।
🟢 संतान में माता–पिता के गुण स्थानांतरित होते हैं।
🟡 लैंगिक जनन से आनुवंशिक विविधता आती है।
🔴 जीव बदलते वातावरण में अनुकूलन कर पाते हैं।
🟣 यह विकास (Evolution) की प्रक्रिया को गति देता है।

🟢 संक्षेप (~200 शब्द)
जनन = जीवों की वह प्रक्रिया जिससे नए जीव उत्पन्न होते हैं और जीवन की निरंतरता बनी रहती है।
दो प्रकार: अलैंगिक जनन (द्विखण्डन, खण्डन, कलीजनन, बीजाणुजनन, वनस्पतिक जनन) और लैंगिक जनन (गामेट संयोग से युग्मनज, भ्रूण, नया जीव)।
पादपों में पुष्प लैंगिक जनन का अंग है; परागण और निषेचन से बीज और फल का निर्माण होता है।
जन्तुओं में नर व मादा जनन तंत्र द्वारा गामेट का निर्माण, उनका संयोग और भ्रूणीय विकास होता है।
मानव में मासिक चक्र, गर्भाशय और भ्रूण विकास जनन की विशेष प्रक्रियाएँ हैं।
लैंगिक जनन से विविधता आती है जो जीवों के अनुकूलन और विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।

📝 त्वरित दोहरान
🔵 जनन के प्रकार: अलैंगिक, लैंगिक
🟢 अलैंगिक विधियाँ: द्विखण्डन, खण्डन, कलीजनन, बीजाणुजनन, वनस्पतिक
🟡 पादप जनन: पुष्प, परागण, निषेचन, बीज व फल
🔴 जन्तु जनन: नर–मादा गामेट का संयोग, भ्रूण विकास
🟣 मानव जनन तंत्र: वृषण, अण्डाशय, अण्डवाहिनी, गर्भाशय
🟠 महत्व: प्रजाति की निरंतरता, आनुवंशिक विविधता, अनुकूलन क्षमता

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


प्रश्न 1. अलैंगिक जनन मुखयतः द्वारा होता है—
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) लेओब्लोफियम
(d) प्लाज्मोडियम
उत्तर 1.
🔵 सही उत्तर: (a) अमीबा
🟢 अमीबा जैसे एककोशिकीय जीवों में द्विखण्डन द्वारा अलैंगिक जनन होता है।
🟡 इसमें केन्द्रक और कोशिकाद्रव्य दो बराबर भागों में विभाजित होकर दो नई संततियाँ बनाते हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है?
(a) अण्डाशय
(b) गर्भाशय
(c) शुक्राणुनलिका
(d) डिम्बवाहिनी
उत्तर 2.
🔵 सही उत्तर: (c) शुक्राणुनलिका
🟢 मादा जनन तंत्र में अण्डाशय, डिम्बवाहिनी और गर्भाशय शामिल होते हैं।
🟡 शुक्राणुनलिका नर जनन तंत्र का अंग है।

प्रश्न 3. परागकोष में होते हैं—
(a) बीजाण्ड
(b) अण्डाशय
(c) परागकण
(d) पराग नलिका
उत्तर 3.
🔵 सही उत्तर: (c) परागकण
🟢 परागकोष पुंकेसर का भाग है जहाँ परागकण बनते हैं।
🟡 परागकण में नर गामेट मौजूद होते हैं।

प्रश्न 4. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं?
उत्तर 4.
🔵 लैंगिक जनन से संतान में आनुवंशिक विविधता आती है।
🟢 यह विविधता नई परिस्थितियों के अनुरूप अनुकूलन में सहायक होती है।
🟡 प्रजाति का दीर्घकालिक अस्तित्व सुनिश्चित होता है।

प्रश्न 5. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं?
उत्तर 5.
🔵 शुक्राणुओं का निर्माण।
🟢 हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का स्रवण।
🟡 द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास।

प्रश्न 6. मासिकधर्म क्या होता है?
उत्तर 6.
🔵 यदि निषेचन नहीं होता तो गर्भाशय की भीतरी परत टूटकर रक्तस्राव के रूप में बाहर निकलती है।
🟢 इसे मासिकधर्म कहते हैं।
🟡 यह लगभग 28 दिनों में एक बार होता है।

प्रश्न 7. पुष्प की अनुदैर्ध्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर 7.


🔵 पुष्प की अनुदैर्ध्य काट में दिखाए जाने वाले अंग:
🟢 पुंकेसर (परागकोष सहित), अण्डप, अण्डाशय, वर्तिकाग्र, दलपुंज, पुष्पासन।
🟡 चित्र में इन भागों को नामांकित करना आवश्यक है।

प्रश्न 8. गर्भनिरोध की विभिन्न विधियाँ कौन–सी हैं?
उत्तर 8.
🔵 यांत्रिक विधियाँ – निरोध (कण्डोम), गर्भाशय अंत: उपकरण।
🟢 रासायनिक विधियाँ – गर्भनिरोधक गोलियाँ, द्रव्य।
🟡 शल्य–चिकित्सकीय विधियाँ – नसबंदी (पुरुषों में नसबंदी, स्त्रियों में नलिका बंधन)।

प्रश्न 9. एककोशिकीय एवं बहुकोशिकीय जीवों की जनन एकाई में क्या अंतर है?
उत्तर 9.
🔵 एककोशिकीय जीव – पूरी कोशिका ही जनन इकाई होती है (जैसे अमीबा, यीस्ट)।
🟢 बहुकोशिकीय जीव – विशेष कोशिकाएँ (गामेट) जनन इकाई होती हैं।
🟡 जैसे मानव में अण्डाणु और शुक्राणु।

प्रश्न 10. जनन किसी जीवधारी की स्मृति के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर 10.
🔵 जनन से आनुवंशिक गुण नई पीढ़ी में स्थानांतरित होते हैं।
🟢 इससे प्रजाति की विशेषताएँ बनी रहती हैं।
🟡 यह स्मृति जीव–जगत के सतत अस्तित्व को सुनिश्चित करती है।

प्रश्न 11. गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर 11.
🔵 जनसंख्या नियंत्रण।
🟢 परिवार नियोजन।
🟡 मातृ व शिशु स्वास्थ्य की रक्षा।
🔴 अनचाहे गर्भ से बचाव।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

🔵 खंड A (Q1–Q20, 1 अंक प्रत्येक)
Q1. अमीबा में जनन की विधि है—
कलीजनन
द्विखण्डन
बीजाणुजनन
खण्डन
उत्तर: 2


Q2. यीस्ट में जनन की विधि है—
बीजाणुजनन
द्विखण्डन
कलीजनन
खण्डन
उत्तर: 3


Q3. हाइड्रा में जनन होता है—
द्विखण्डन
बीजाणुजनन
खण्डन
कलीजनन
उत्तर: 4


Q4. पादप में फल और बीज किसके बाद बनते हैं?
परागण
निषेचन
अंकुरण
कलिकणन
उत्तर: 2


Q5. मानव में शुक्राणु कहाँ बनते हैं?
अण्डाशय
वृषण
गर्भाशय
डिम्बवाहिनी
उत्तर: 2


Q6. अण्डाणु का निर्माण कहाँ होता है?
वृषण
अण्डाशय
गर्भाशय
गर्भनली
उत्तर: 2


Q7. नर गामेट और मादा गामेट के संयोग से क्या बनता है?
भ्रूण
बीजाणु
युग्मनज
परागकण
उत्तर: 3


Q8. पादपों में नर जनन कोशिका कहाँ बनती है?
अण्डाशय
परागकण
परागनली
बीजाण्ड
उत्तर: 2


Q9. मानव भ्रूण कहाँ विकसित होता है?
वृषण
अण्डाशय
गर्भाशय
डिम्बवाहिनी
उत्तर: 3


Q10. मासिक धर्म चक्र औसतन कितने दिन का होता है?
20 दिन
28 दिन
14 दिन
30 दिन
उत्तर: 2

🟡 कथन–कारण (Q11–Q20)
👉 विकल्प:
दोनों कथन और कारण सही हैं; कारण कथन की सही व्याख्या है
दोनों कथन और कारण सही हैं; कारण कथन की सही व्याख्या नहीं है
कथन सही है; कारण गलत है
कथन गलत है; कारण सही है
Q11.
कथन: अमीबा द्विखण्डन द्वारा जनन करता है।
कारण: अमीबा एक बहुकोशिकीय जीव है।
उत्तर: 3


Q12.
कथन: यीस्ट में कलीजनन होता है।
कारण: इसमें माता–कोशिका से छोटी कली निकलकर नई कोशिका बनती है।
उत्तर: 1


Q13.
कथन: हाइड्रा में कलीजनन होता है।
कारण: इसमें बीजाणुओं द्वारा नए जीव बनते हैं।
उत्तर: 3


Q14.
कथन: बीजाणुजनन फफूँद में होता है।
कारण: बीजाणु अनुकूल परिस्थितियों में अंकुरित होते हैं।
उत्तर: 1


Q15.
कथन: लैंगिक जनन से विविधता आती है।
कारण: इसमें गामेटों का संयोग होता है।
उत्तर: 1


Q16.
कथन: निषेचन मानव में गर्भाशय में होता है।
कारण: गर्भाशय में भ्रूण का विकास होता है।
उत्तर: 2


Q17.
कथन: अण्डाणु का निर्माण वृषण में होता है।
कारण: वृषण पुरुष जनन तंत्र का अंग है।
उत्तर: 4


Q18.
कथन: पादपों में परागण से निषेचन होता है।
कारण: परागकण अण्डप तक पहुँचकर नर गामेट छोड़ता है।
उत्तर: 1


Q19.
कथन: मासिक धर्म चक्र औसतन 28 दिन का होता है।
कारण: गर्भाशय की परत निषेचन न होने पर टूटकर बाहर निकलती है।
उत्तर: 1


Q20.
कथन: लैंगिक जनन उच्च जीवों में पाया जाता है।
कारण: यह आनुवंशिक विविधता उत्पन्न करता है।
उत्तर: 1

🟢 खंड B (Q21–Q26, 2 अंक प्रत्येक)
Q21. अलैंगिक जनन की एक विशेषता लिखो।
उत्तर 21.
🔵 इसमें केवल एक जीव से संतान उत्पन्न होती है।
🟢 संतान माता–पिता के समान होती है।


Q22. परागण के प्रकार बताओ।
उत्तर 22.
🔵 स्वपरागण — एक ही फूल/पौधे में।
🟢 परपरागण — भिन्न पौधों में।


Q23. वृषण का एक कार्य लिखो।
उत्तर 23.
🔵 शुक्राणुओं का निर्माण।


Q24. अण्डाशय का एक कार्य लिखो।
उत्तर 24.
🔵 अण्डाणु का निर्माण।


Q25. निषेचन क्या है?
उत्तर 25.
🔵 नर और मादा गामेट के संयोग की प्रक्रिया।


Q26. गर्भनिरोध क्यों आवश्यक है?
उत्तर 26.
🔵 जनसंख्या नियंत्रण, परिवार नियोजन और मातृ–शिशु स्वास्थ्य की रक्षा हेतु।

🟡 खंड C (Q27–Q33, 3 अंक प्रत्येक)
Q27. द्विखण्डन की प्रक्रिया समझाओ।
उत्तर 27.
🔵 अमीबा में केन्द्रक दो भागों में विभाजित।
🟢 कोशिकाद्रव्य दो भागों में बंटता है।
🟡 परिणामस्वरूप दो नई कोशिकाएँ बनती हैं।


Q28. कलीजनन की प्रक्रिया लिखो।
उत्तर 28.
🔵 यीस्ट में कोशिका पर छोटी कली निकलती है।
🟢 यह बढ़कर अलग हो जाती है।
🟡 स्वतंत्र कोशिका बनती है।


Q29. मानव में मासिक धर्म चक्र की घटनाएँ लिखो।
उत्तर 29.
🔵 अण्डोत्सर्जन।
🟢 गर्भाशय की परत मोटी होना।
🟡 निषेचन न होने पर परत का टूटकर बाहर निकलना।


Q30. भ्रूण विकास की प्रक्रिया लिखो।
उत्तर 30.
🔵 युग्मनज बनना।
🟢 बार–बार विभाजन से भ्रूण बनना।
🟡 गर्भाशय में आरोपण और विकास।


Q31. पादपों में परागण का महत्व लिखो।
उत्तर 31.
🔵 नर गामेट अण्डप तक पहुँचता है।
🟢 निषेचन संभव होता है।
🟡 फल और बीज निर्माण होता है।


Q32. लैंगिक जनन की दो विशेषताएँ बताओ।
उत्तर 32.
🔵 आनुवंशिक विविधता आती है।
🟢 संतानों में नए लक्षण विकसित होते हैं।


Q33. गर्भनिरोध की कोई दो विधियाँ समझाओ।
उत्तर 33.
🔵 यांत्रिक — निरोध (कण्डोम)।
🟢 शल्यचिकित्सकीय — नसबंदी।

🔴 खंड D (Q34–Q36, 5 अंक प्रत्येक)
Q34. मानव नर जनन तंत्र की संरचना और कार्य समझाओ।
उत्तर 34.
🔵 वृषण — शुक्राणु व हार्मोन निर्माण।
🟢 शुक्राणुनलिकाएँ — शुक्राणु संग्रह व वहन।
🟡 लिंग — शुक्राणु को स्त्री जनन तंत्र में पहुँचाना।
🔴 कार्य — प्रजनन हेतु गामेट निर्माण व संचार।


Q35. मानव मादा जनन तंत्र की संरचना और कार्य लिखो।
उत्तर 35.
🔵 अण्डाशय — अण्डाणु निर्माण व हार्मोन स्रवण।
🟢 अण्डवाहिनी — अण्डाणु को गर्भाशय तक पहुँचाना; यहीं निषेचन।
🟡 गर्भाशय — भ्रूण विकास का स्थान।
🔴 योनि — शुक्राणु प्रवेश मार्ग।


Q36. अलैंगिक जनन की विधियों का वर्णन करो।
उत्तर 36.
🔵 द्विखण्डन — अमीबा।
🟢 खण्डन — स्पाइरोजाइरा।
🟡 कलीजनन — यीस्ट, हाइड्रा।
🔴 बीजाणुजनन — फफूँद।
🟣 वनस्पतिक जनन — आलू, गन्ना, गुलाब।

🟣 खंड E (Q37–Q39, 4 अंक प्रत्येक)
Q37.
एक छात्र ने यीस्ट का सूक्ष्मदर्शी से अध्ययन किया। उसने माता–कोशिका पर कली देखी।
(i) यह कौन–सा जनन है?
(ii) इसमें संतान माता से कैसी होती है?
(iii) इस विधि का एक लाभ बताओ।
उत्तर 37.
🔵 जनन = कलीजनन,(मुकुलन)
🟢 संतान माता–पिता जैसी।
🟡 लाभ = तेजी से संख्या बढ़ना।

Q38.
एक महिला में आयोडीन की कमी पाई गई।
(i) इससे कौन–सा हार्मोन प्रभावित होगा?
(ii) यह जनन पर कैसे असर डाल सकता है?
(iii) इसका बचाव कैसे संभव है?
उत्तर 38.
🔵 हार्मोन = थायरॉक्सिन।
🟢 असर = मासिक चक्र में गड़बड़ी, गर्भधारण की समस्या।
🟡 बचाव = आयोडीन युक्त नमक का सेवन।

Q39.
एक किसान ने आलू की गाँठ से नया पौधा उगते देखा।
(i) यह कौन–सा जनन है?
(ii) इसका वैज्ञानिक आधार क्या है?
(iii) इस विधि का एक लाभ लिखो।
उत्तर 39.
🔵 जनन = कायिक जनन .
🟢 आधार = गाँठ में संग्रहित खाद्य पदार्थ और आँख जैसी संरचनाएँ।
🟡 लाभ = समान गुणों वाले पौधे शीघ्र प्राप्त करना।

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