Class 10, Science (Hindi)

Class 10 : Science (In Hindi) – Lesson 10. मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन


🔵 प्रस्तावना


➡️ मानव नेत्र एक अद्भुत जैव–प्रकाशीय यंत्र है जो प्रकाश को ग्रहण करके उसे तंत्रिका संकेतों में बदलता है।
➡️ नेत्र की सहायता से हम वस्तुओं का आकार, दूरी, दिशा और रंग पहचानते हैं।
➡️ रंगों का संसार प्रकाश के अपवर्तन, परावर्तन, प्रकीर्णन और विसरण से निर्मित होता है; आकाश का नीला रंग, संध्या का लालिमा, इंद्रधनुष, तारों का टिमटिमाना—ये सब इसी विज्ञान का अनुप्रयोग हैं।

🟠 मानव नेत्र की संरचना (मुख्य भाग और कार्य)


🟡 नेत्रावरण
🔵 पारदर्शी बाह्य झिल्ली जो प्रथम अपवर्तन कर किरणों को भीतर प्रवेश देती है।
🔵 धूल–कणों से सुरक्षा और सतह पर आँसू के कारण चिकनापन बना रहता है।


🟢 परितारिका और पुतली
🔵 परितारिका नेत्र का रंगीन भाग है; यह पुतली के व्यास को नियंत्रित करती है।
🔵 पुतली वह छिद्र है जिससे प्रकाश भीतर जाता है। तीव्र प्रकाश में पुतली सिकुड़ती है, मंद प्रकाश में फैलती है—इस तरह रेटिना तक उपयुक्त प्रकाश पहुँचता है।


🟣 नेत्र लेंस और नियंत्रक पेशियाँ
🔵 पारदर्शी, लोचदार लेंस किरणों को अपवर्तित कर रेटिना पर वास्तविक, उल्टा और लघु प्रतिबिंब बनाता है।
🔵 लेंस के चारों ओर स्थित नियंत्रक पेशियाँ (जो लेंस की मोटाई बदलती हैं) दूर–पास देखने के अनुसार फोकस दूरी को समायोजित करती हैं।


🟠 जलीय द्रव्य और काचाभ द्रव्य
🔵 लेंस के आगे जलीय द्रव्य और पीछे काचाभ द्रव्य भरे रहते हैं।
🔵 ये माध्यम नेत्रगोलक का आकार बनाए रखते हैं तथा अपवर्तन में सहायक होते हैं।


🔴 नेत्रजालिका और दृष्टि तंत्रिका
🔵 नेत्रजालिका पर प्रकाश–संवेदी कोशिकाएँ (शंकु और छड़ी) होती हैं।
🔵 शंकु रंजक रंगों का बोध कराते हैं, छड़ी कम रोशनी में देखने में सहायक हैं।
🔵 दृष्टि तंत्रिका रेटिना से संकेत लेकर मस्तिष्क तक पहुँचाती है जहाँ प्रतिबिंब का अर्थ–निर्णय होता है, इसलिए हमें वस्तु सीधी दिखाई देती है।

🌿 समंजन क्रिया (दूर–पास देखने का समायोजन)
🔵 जब हम दूर की वस्तु देखते हैं, नियंत्रक पेशियाँ शिथिल होती हैं, लेंस पतला होता है, फोकस दूरी बढ़ती है और किरणें रेटिना पर केंद्रित होती हैं।
🔵 पास की वस्तु देखने पर नियंत्रक पेशियाँ संकुचित होती हैं, लेंस मोटा होता है, फोकस दूरी घटती है और रेटिना पर स्पष्ट प्रतिबिंब बनता है।
🔵 सामान्य नेत्र के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी लगभग 25 cm मानी जाती है; इससे कम दूरी पर लगातार देखना आँखों को थकाता है क्योंकि समंजन पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।

🔵 दृष्टिदोष और सुधार


🟢 निकट दृष्टि दोष
🔵 लक्षण: दूर की वस्तुएँ धुँधली दिखती हैं, पास की स्पष्ट।
🔵 कारण: नेत्रगोलक लंबा होना या लेंस की अभिसारी शक्ति अपेक्षित से अधिक होना, जिससे दूर की वस्तु की किरणें रेटिना से पहले केंद्रित हो जाती हैं।
🔵 सुधार: अवतल लेंस लगाया जाता है जो किरणों को फैलाकर फोकस रेटिना पर पहुँचाता है। शक्ति P = 100/f (cm) से निर्धारित की जाती है; यहाँ f ऋणात्मक होता है।


🟡 दूर दृष्टि दोष
🔵 लक्षण: पास की वस्तुएँ धुँधली, दूर की अपेक्षाकृत स्पष्ट।
🔵 कारण: नेत्रगोलक छोटा होना या लेंस की अभिसारी शक्ति कम होना, जिससे पास की वस्तु की किरणें रेटिना के पीछे केंद्रित होने का प्रयास करती हैं।
🔵 सुधार: उत्तल लेंस किरणों को अभिसारित कर फोकस रेटिना पर ला देता है। यहाँ f धनात्मक होता है।


🔴 वृद्धावस्था दृष्टि दोष
🔵 लक्षण: आयु बढ़ने पर लेंस कम लचीला हो जाता है, न तो पास की वस्तु साफ दिखती है न दूर की आराम से।
🔵 सुधार: द्विफोकसीय या बहुफोकसीय लेंस, जिनमें ऊपरी भाग दूर देखने हेतु और निचला भाग पास देखने हेतु उपयुक्त शक्ति का होता है।

🟣 रंगबिरंगा संसार: प्रिज्म, विसरण और रंग


🟡 प्रिज्म और विसरण
🔵 श्वेत प्रकाश प्रिज्म से गुजरते समय दो बार अपवर्तित होकर अपने घटक रंगों में विभक्त हो जाता है—बैंगनी से लाल तक।
🔵 कारण: विभिन्न रंगों की तरंग–दैर्ध्य और माध्यम में चाल अलग–अलग होती है; बैंगनी अधिक मुड़ता है, लाल कम।


🟢 इंद्रधनुष का निर्माण
🔵 वर्षा की गोल बूंदें सूक्ष्म प्रिज्म की तरह काम करती हैं: सूर्य का प्रकाश पहले अपवर्तित, फिर भीतर परावर्तित और पुनः अपवर्तित होकर बाहर निकलता है।
🔵 प्रत्येक बूंद से विभिन्न रंग अलग–अलग कोण पर निकलते हैं; अनगिनत बूंदों से हमें आकाश में बहुरंगी चाप दिखता है।
🔵 प्रेक्षक की पीठ सूर्य की ओर और वर्षा सामने हो तो इंद्रधनुष स्पष्ट दिखता है; सूर्य जितना नीचे होगा, चाप उतना ऊँचा प्रतीत होगा।


🟠 आकाश का रंग, संध्या की लालिमा और तारों का टिमटिमाना


🔵 आकाश नीला क्यों?
🔵 वायुमंडल में सूक्ष्म कण सूर्यप्रकाश का प्रकीर्णन करते हैं।
🔵 छोटी तरंग–दैर्ध्य वाले नीले–बैंगनी रंग का प्रकीर्णन अधिक होता है, इसलिए दिन में आकाश नीला प्रतीत होता है।


🟡 संध्या–प्रभा लाल क्यों?
🔵 सूर्य क्षितिज के समीप होने पर प्रकाश को वायुमंडल में लंबा पथ तय करना पड़ता है, छोटी तरंग–दैर्ध्य वाले रंग रास्ते में अधिक प्रकीर्णित होकर नष्ट हो जाते हैं, दीर्घ तरंग–दैर्ध्य वाला लाल रंग प्रेक्षक तक पहुँचता है—इसलिए उषाकाल और संध्या समय आकाश लालिमा लिए दिखता है।


🟣 तारे टिमटिमाते क्यों हैं?
🔵 वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारों से आने वाली किरणें बार–बार अलग–अलग घनत्व वाली परतों से गुजरकर थोड़ी–थोड़ी दिशा बदलती रहती हैं।
🔵 इसलिए उनकी चमक–स्थिति क्षण–क्षण बदलती प्रतीत होती है, इसे हम टिमटिमाना कहते हैं।
🔵 ग्रह अपेक्षाकृत पास हैं और उनका दृश्य आकार बड़ा होने से यह प्रभाव नगण्य लगता है।

🔴 प्रकाश–भ्रम और दैनिक जीवन के अनुप्रयोग
🟢 मृगतृष्णा
🔵 गरम दिनों में धरातल के पास वायु की विरल परतें बन जाती हैं; ऊपर से आती किरणें नीचे आते–आते कम घनत्व की ओर जाती हैं और अभिलंब से दूर मुड़ती हैं, कभी–कभी पूर्ण आंतरिक परावर्तन भी हो जाता है।
🔵 प्रेक्षक को दूर पानी जैसा चमकीला दृश्य दिखता है—इसे मृगतृष्णा कहते हैं।


🟡 दृष्टि–उपकरण
🔵 आवर्धक काँच, सूक्ष्मदर्शी, दूरबीन—इनमें उत्तल लेंस का विन्यास किरणों को अभिसारित कर बढ़ा–चढ़ाकर स्पष्ट दृश्य देता है।
🔵 चश्मों में उपयुक्त शक्ति के लेंस लगाए जाते हैं ताकि रेटिना पर फोकस सही बैठे। P = 100/f (cm) से शक्ति का निर्धारण होता है।


🟣 यातायात सुरक्षा
🔵 वाहन का पृष्ठ–दृश्य दर्पण उत्तल होता है—यह विस्तृत क्षेत्र दिखाता है, यद्यपि वस्तु छोटी प्रतीत होती है।
🔵 अग्र–दीप में परावर्तक सतह अवतल रखी जाती है ताकि किरणें आगे एक दिशा में तीव्रता से जाएँ।

🌿 नेत्र–स्वास्थ्य और सावधानियाँ
🔵 लम्बे समय तक बहुत नज़दीक से छोटे अक्षरों को पढ़ना या अंधेरी रोशनी में स्क्रीन देखना समंजन पर दबाव डालता है; बीच–बीच में विश्राम लें, 20–20 नियम अपनाएँ: हर 20 मिनट पर 20 सेकण्ड के लिए लगभग 20 फुट दूर देखें।
🔵 संतुलित आहार, विशेषकर विटामिन–सम्पन्न भोजन, नेत्र–स्वास्थ्य में सहायक है।
🔵 धूप में बहुत तेज़ प्रकाश से सुरक्षा हेतु उपयुक्त चश्मे का प्रयोग करें।

🟢 संक्षेप (~200 शब्द)
मानव नेत्र में नेत्रावरण, परितारिका–पुतली, नेत्र लेंस, जलीय व काचाभ द्रव्य, नेत्रजालिका और दृष्टि तंत्रिका प्रमुख अंग हैं।
नेत्र लेंस रेटिना पर वास्तविक, उल्टा और लघु प्रतिबिंब बनाता है; मस्तिष्क इसे सीधा और अर्थपूर्ण बनाता है।
समंजन क्रिया लेंस की मोटाई बदलकर दूर–पास देखने में सहायता करती है; स्पष्ट दृष्टि की सामान्य न्यूनतम दूरी लगभग 25 cm मानी जाती है।
निकट दृष्टि दोष में अवतल लेंस, दूर दृष्टि दोष में उत्तल लेंस और वृद्धावस्था दृष्टि दोष में द्विफोकसीय लेंस उपयोगी हैं; शक्ति का संबंध P = 100/f (cm) से होता है।
प्रिज्म से श्वेत प्रकाश का विसरण होकर सात रंग बनते हैं; वर्षा की बूंदें इसी सिद्धांत पर इंद्रधनुष रचती हैं।
आकाश का नीला रंग छोटे तरंग–दैर्ध्य के अधिक प्रकीर्णन से और संध्या की लालिमा दीर्घ तरंग–दैर्ध्य के प्रमुख रहने से दिखाई देती है; तारों का टिमटिमाना वायुमंडलीय अपवर्तन का परिणाम है।
दर्पण–लेंस के अनुप्रयोग यातायात, चिकित्सा, संचार और प्रकाश–उपकरणों में व्यापक हैं, जो मानव जीवन को सुरक्षित व सुविधाजनक बनाते हैं।

📝 त्वरित दोहरान
🔵 नेत्रजालिका पर वास्तविक प्रतिबिंब बनता है, व्याख्या मस्तिष्क करता है।
🟢 समंजन: दूर पर लेंस पतला, पास पर लेंस मोटा।
🟡 दोष: निकट दृष्टि = अवतल लेंस, दूर दृष्टि = उत्तल लेंस, वृद्धावस्था = द्विफोकसीय।
🔴 प्रिज्म = विसरण; इंद्रधनुष वर्षा–बूंदों से अपवर्तन–परावर्तन के कारण।
🟣 आकाश नीला, संध्या लाल = प्रकीर्णन; तारे टिमटिमाना = वायुमंडलीय अपवर्तन।
🟠 शक्ति का संबंध: P = 100/f (cm), सूत्र में खड़ी पाई नहीं।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


प्रश्न 1. मानव नेत्र अभिनमन लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ऐसा करने का कारण है—
(a) जरा-तूल्यता
(b) समंजन
(c) निकट-दृष्टि
(d) दूर-दृष्टि
उत्तर 1.
🔵 सही उत्तर: (b) समंजन
🟢 समंजन में नियंत्रक पेशियाँ लेंस की मोटाई बदलती हैं जिससे फोकस दूरी बदलकर वस्तु रेटिना पर स्पष्ट बनती है।

प्रश्न 2. मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनाते हैं वह है—
(a) कॉर्निया
(b) परितारिका
(c) पुतली
(d) दृष्टिपटल
उत्तर 2.
🔵 सही उत्तर: (d) दृष्टिपटल
🟢 रेटिना (दृष्टिपटल) पर वास्तविक, उल्टा और लघु प्रतिबिंब बनता है जिसे दृष्टि तंत्रिका मस्तिष्क तक ले जाती है।

प्रश्न 3. सामान्य दृष्टि के व्यक्ति के लिए सुपुष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी होती है, लगभग—
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5 m
उत्तर 3.
🔵 सही उत्तर: (c) 25 cm
🟢 इसे न्यूनतम स्पष्ट दृष्टि दूरी कहा जाता है; इससे कम दूरी पर आँखों पर समंजन का तनाव बढ़ता है।

प्रश्न 4. अभिनमन लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है—
(a) पुतली द्वारा
(b) दृष्टिपटल द्वारा
(c) पेशीयगुच्छ द्वारा
(d) परितारिका द्वारा
उत्तर 4.
🔵 सही उत्तर: (c) पेशीयगुच्छ द्वारा
🟢 नियंत्रक (सिलियरी) पेशियाँ लेंस को अधिक या कम उत्तल बनाकर फोकस दूरी घटाती-बढ़ाती हैं।

प्रश्न 5. किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोधित करने के लिए –5.5 डायॉप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संशोधित करने के लिए उसे +1.5 डायॉप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। संशोधन करने के लिए आवश्यक लेंस की फोकस दूरी क्या होगी—
(i) दूर की दृष्टि के लिए
(ii) निकट की दृष्टि के लिए
उत्तर 5.
सूत्र: P = 1/f (मीटर में)
(i) P = –5.5 D
f = 1/P
= 1/–5.5
= –0.1818 m
= –18.18 cm
(ii) P = +1.5 D
f = 1/P
= 1/1.5
= 0.6667 m
= 66.67 cm
🔵 निष्कर्ष: दूर-दृष्टि संशोधन हेतु f ≈ –18.18 cm (अवतल), निकट-दृष्टि संशोधन हेतु f ≈ +66.67 cm (उत्तल)।

प्रश्न 6. किसी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिंदु नेत्र के सामने 80 cm दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की प्रकृति तथा क्षमता क्या होगी?
उत्तर 6.
चरण 1: दूर की वस्तु अनन्त पर मानी जाती है → u = –∞
चरण 2: सुधार के बाद आभासी प्रतिबिंब दूर-बिंदु पर चाहिए → v = –80 cm
चरण 3: 1/f = 1/v (क्योंकि 1/u = 0)
1/f = –1/80
f = –80 cm
शक्ति: P = 100/f (cm में)
P = 100/–80
= –1.25 D
🔵 निष्कर्ष: अवतल लेंस, शक्ति –1.25 D।

प्रश्न 7. चित्र बनाकर दर्शाइए कि दूर-दृष्टि दोष कैसे संशोधित किया जाता है। एक दूर-दृष्टि रोगग्रस्त नेत्र का निकट बिंदु 1 m है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता क्या होगी? यह मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट बिंदु 25 cm है।
उत्तर 7.


चरण 1: वस्तु सामान्य निकट-बिंदु पर है → u = –25 cm
चरण 2: रोगग्रस्त नेत्र के लिए आभासी प्रतिबिंब उसके निकट-बिंदु पर चाहिए → v = –100 cm
चरण 3: लेंस सूत्र 1/f = 1/v – 1/u
= (–1/100) – (–1/25)
= (–1 + 4)/100
= 3/100
f = 100/3 cm
= 33.33 cm
शक्ति: P = 100/f (cm में)
P = 100/33.33
≈ +3.0 D
🔵 निष्कर्ष: उत्तल लेंस, शक्ति लगभग +3.0 D।
🟢 आकृति में दिखाएँ: उत्तल लेंस वस्तु की किरणों को अभिसारित कर –100 cm पर आभासी प्रतिबिंब बनाता है, जो नेत्र के लिए स्पष्ट होता है।

प्रश्न 8. सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुपुष्ट दर्शन क्यों नहीं कर पाते?
उत्तर 8.
🔵 25 cm से कम दूरी पर समंजन की अधिकतम सीमा पार हो जाती है।
🟢 नियंत्रक पेशियाँ लेंस को पर्याप्त मोटा नहीं बना पातीं, इसलिए फोकस रेटिना के पीछे खिसक जाता है और दृश्य धुँधला दिखता है।

प्रश्न 9. तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर 9.
🔵 वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारों से आने वाली किरणें विभिन्न घनत्व परतों से गुजरकर बार-बार दिशा बदलती हैं।
🟢 इससे उनकी दृश्य स्थिति और चमक क्षण-क्षण बदलती प्रतीत होती है, जिसे हम टिमटिमाना कहते हैं।

प्रश्न 10. समझाइए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते।
उत्तर 10.
🔵 ग्रह पृथ्वी के अपेक्षाकृत निकट होते हैं तथा उनका दृश्य आकार बड़ा होता है।
🟢 वायुमंडलीय अपवर्तन के प्रभाव उनके विस्तृत पटल पर औसत हो जाते हैं; इसलिए चमक स्थिर दिखती है और टिमटिमाना अनुभव नहीं होता।

प्रश्न 11. जब हम नेत्र से किसी वस्तु को अधिक दूरी तक देखते हैं तो नेत्र में प्रतिमापक-दूरी और पुतली के आकार में क्या परिवर्तन होते हैं?
उत्तर 11.
🔵 दूर देखने पर नियंत्रक पेशियाँ शिथिल होती हैं, लेंस पतला होता है, फोकस दूरी बढ़ती है।
🟢 तीव्र प्रकाश में पुतली सिकुड़ती है; मंद प्रकाश में दूर की वस्तु देखने हेतु पुतली थोड़ी फैलती है ताकि पर्याप्त प्रकाश रेटिना तक पहुँचे।

प्रश्न 12. किसी अत्यधिक धूल-धुआँ भरे वातावरण में आकाश का रंग नीला की अपेक्षा धूसर क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर 12.
🔵 बड़ी संख्या में बड़े कण उपस्थित होने पर प्रकीर्णन में दीर्घ तरंग-दैर्ध्य वाले रंग हावी हो जाते हैं और सभी रंगों का अनियमित मिश्रित प्रकीर्णन होता है।
🟢 परिणामस्वरूप नीला रंग प्रधान नहीं रहता और आकाश धूसर या भूरा दिखाई देता है।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न


🔵 खंड A (Q1–Q20, प्रत्येक 1 अंक)
Q1. मानव नेत्र का कौन–सा भाग रंग को नियंत्रित करता है?
रेटिना
परितारिका
पुतली
दृष्टि तंत्रिका
उत्तर: 2


Q2. सामान्य दृष्टि वाले नेत्र की न्यूनतम स्पष्ट दृष्टि दूरी होती है—
50 cm
100 cm
25 cm
10 cm
उत्तर: 3


Q3. समंजन क्रिया किसके द्वारा नियंत्रित होती है?
परितारिका
दृष्टिपटल
नियंत्रक पेशियाँ
पुतली
उत्तर: 3


Q4. निकट दृष्टि दोष सुधारने हेतु कौन–सा लेंस प्रयोग किया जाता है?
उत्तल
अवतल
द्विफोकसीय
प्रिज्मीय
उत्तर: 2


Q5. दूर दृष्टि दोष का सुधार होता है—
अवतल लेंस से
उत्तल लेंस से
द्विफोकसीय लेंस से
इनमें से कोई नहीं
उत्तर: 2


Q6. वृद्धावस्था दृष्टि दोष को क्या कहते हैं?
जरा–दृष्टि
समंजन
निकट–दृष्टि
रंगांधता
उत्तर: 1


Q7. किस रंग का प्रकीर्णन वायुमंडल में सर्वाधिक होता है?
लाल
नीला
पीला
हरा
उत्तर: 2


Q8. इंद्रधनुष का निर्माण किस परिघटना पर आधारित है?
परावर्तन
अपवर्तन और परावर्तन
प्रकीर्णन
विवर्तन
उत्तर: 2


Q9. तारों के टिमटिमाने का कारण है—
प्रकीर्णन
विवर्तन
वायुमंडलीय अपवर्तन
परावर्तन
उत्तर: 3


Q10. ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते?
उनका आकार बड़ा है
वे पास हैं
अपवर्तन का औसत हो जाता है
उपरोक्त सभी
उत्तर: 4

🟡 कथन–कारण प्रश्न (Q11–Q20)
👉 विकल्प:
दोनों कथन और कारण सही हैं; कारण कथन की सही व्याख्या है
दोनों कथन और कारण सही हैं; कारण कथन की सही व्याख्या नहीं है
कथन सही है; कारण गलत है
कथन गलत है; कारण सही है
Q11.
कथन: समंजन क्रिया में लेंस की मोटाई बदलती है।
कारण: नियंत्रक पेशियाँ लेंस को मोटा–पतला करती हैं।
उत्तर: 1


Q12.
कथन: निकट दृष्टि दोष में दूर की वस्तुएँ धुँधली दिखती हैं।
कारण: फोकस रेटिना से पीछे बनता है।
उत्तर: 3


Q13.
कथन: दूर दृष्टि दोष में निकट की वस्तुएँ साफ नहीं दिखतीं।
कारण: फोकस रेटिना के पीछे बनने की प्रवृत्ति होती है।
उत्तर: 1


Q14.
कथन: अवतल लेंस दूर दृष्टि दोष सुधारता है।
कारण: यह किरणों को अभिसारित करता है।
उत्तर: 4


Q15.
कथन: प्रिज्म से श्वेत प्रकाश का विसरण होता है।
कारण: विभिन्न रंगों का अपवर्तन कोण अलग–अलग होता है।
उत्तर: 1


Q16.
कथन: बैंगनी रंग लाल रंग से कम मुड़ता है।
कारण: बैंगनी की तरंगदैर्ध्य सबसे छोटी होती है।
उत्तर: 4


Q17.
कथन: आकाश नीला दिखाई देता है।
कारण: नीले रंग का प्रकीर्णन सर्वाधिक होता है।
उत्तर: 1


Q18.
कथन: संध्या समय आकाश लालिमा लिए दिखता है।
कारण: दीर्घ तरंगदैर्ध्य वाले रंग प्रमुख रहते हैं।
उत्तर: 1


Q19.
कथन: तारों का टिमटिमाना वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण है।
कारण: ग्रह निकट होने से वे स्थिर दिखाई देते हैं।
उत्तर: 2


Q20.
कथन: वृद्धावस्था दृष्टि दोष द्विफोकसीय लेंस से सुधरता है।
कारण: आयु बढ़ने पर लेंस कम लचीला हो जाता है।
उत्तर: 1

🟢 खंड B (Q21–Q26, 2 अंक प्रत्येक)
Q21. समंजन क्रिया क्या है?
उत्तर 21. नियंत्रक पेशियों द्वारा लेंस की मोटाई बदलकर विभिन्न दूरी की वस्तुओं को रेटिना पर फोकस करना समंजन है।


Q22. मानव नेत्र में पुतली का क्या कार्य है?
उत्तर 22. पुतली नेत्र में प्रवेश करने वाली प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है।


Q23. वृद्धावस्था दृष्टि दोष का कारण लिखो।
उत्तर 23. आयु बढ़ने पर लेंस कठोर हो जाता है और समंजन क्षमता घट जाती है।


Q24. इंद्रधनुष के बनने की प्रक्रिया लिखो।
उत्तर 24. सूर्यकिरण वर्षा की बूँदों में प्रवेश कर अपवर्तित, परावर्तित और पुनः अपवर्तित होकर सात रंगों का चाप बनाती है।


Q25. आकाश नीला क्यों दिखाई देता है?
उत्तर 25. नीले रंग का प्रकीर्णन अन्य रंगों की अपेक्षा अधिक होता है, इसलिए आकाश नीला दिखता है।


Q26. ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते?
उत्तर 26. ग्रह अपेक्षाकृत पास और बड़े होते हैं, उनके प्रकाश का अपवर्तन औसत हो जाता है।

🟡 खंड C (Q27–Q33, 3 अंक प्रत्येक)
Q27. निकट दृष्टि दोष की स्थिति का आरेख बनाकर समझाओ।
उत्तर 27. निकट दृष्टि में दूर की वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना से पहले बनता है। अवतल लेंस प्रयोग से किरणें फैलकर रेटिना पर फोकस होती हैं।


Q28. दूर दृष्टि दोष की स्थिति समझाओ।
उत्तर 28. पास की वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनने की प्रवृत्ति रखता है। उत्तल लेंस प्रयोग से किरणें अभिसरित होकर रेटिना पर फोकस होती हैं।


Q29. समंजन की प्रक्रिया को समझाओ।
उत्तर 29. नियंत्रक पेशियाँ लेंस को मोटा या पतला करती हैं। पास की वस्तु देखने पर लेंस मोटा, दूर की देखने पर पतला हो जाता है।


Q30. 25 cm न्यूनतम स्पष्ट दृष्टि दूरी का महत्त्व लिखो।
उत्तर 30. सामान्य नेत्र बिना थकान के कम से कम 25 cm दूरी तक वस्तुओं को स्पष्ट देख सकता है।


Q31. तारे टिमटिमाते क्यों हैं जबकि ग्रह स्थिर दिखते हैं?
उत्तर 31. तारे बहुत दूर हैं, उनका प्रकाश वायुमंडलीय अपवर्तन से बार-बार दिशा बदलता है। ग्रह पास और बड़े हैं, इसलिए अपवर्तन का प्रभाव औसत हो जाता है।


Q32. संध्या समय आकाश लाल क्यों दिखता है?
उत्तर 32. सूर्यास्त के समय सूर्य की किरणें लंबा पथ तय करती हैं। छोटी तरंगदैर्ध्य का प्रकीर्णन हो जाता है, केवल लाल रंग शेष रह जाता है।


Q33. प्रिज्म से विसरण की प्रक्रिया समझाओ।
उत्तर 33. श्वेत प्रकाश के विभिन्न रंग अलग-अलग कोण पर मुड़ते हैं क्योंकि उनकी चाल अलग होती है। इसलिए सात रंगों का स्पेक्ट्रम बनता है।

🔴 खंड D (Q34–Q36, 5 अंक प्रत्येक)
Q34. निकट दृष्टि दोष को गणनात्मक रूप से समझाओ।
उत्तर 34.
मान लो दूर बिंदु 80 cm है और हमें अनन्त की वस्तु स्पष्ट देखनी है।
u = –∞, v = –80 cm
1/f = 1/v – 1/u
= –1/80 – 0
= –1/80
f = –80 cm
P = 100/f
= 100/–80
= –1.25 D
🔵 अतः –1.25 D का अवतल लेंस चाहिए।


Q35. दूर दृष्टि दोष की गणना समझाओ।
उत्तर 35.
मान लो निकट बिंदु 100 cm है जबकि सामान्य 25 cm है।
u = –25 cm, v = –100 cm
1/f = 1/v – 1/u
= –1/100 – (–1/25)
= (–1 + 4)/100
= 3/100
f = 100/3 cm
≈ 33.3 cm
P = 100/f
= 100/33.3
≈ +3 D
🔵 अतः +3 D का उत्तल लेंस चाहिए।


Q36. वायुमंडलीय परिघटनाएँ (आकाश का नीला रंग, संध्या की लालिमा, तारों का टिमटिमाना) समझाओ।
उत्तर 36.
आकाश नीला: नीले रंग का प्रकीर्णन अधिक।
संध्या लालिमा: लंबी दूरी तय करने पर केवल लाल रंग बचता है।
तारे टिमटिमाना: वायुमंडलीय अपवर्तन से प्रकाश दिशा बदलता है।

🟣 खंड E (Q37–Q39, 4 अंक प्रत्येक)
Q37.
एक छात्र की निकट दृष्टि दोष है और उसका दूर बिंदु 200 cm है।
(i) आवश्यक लेंस की फोकस दूरी ज्ञात करो।
(ii) लेंस की शक्ति ज्ञात करो।
उत्तर 37.
u = –∞, v = –200 cm
1/f = 1/v – 1/u
= –1/200 – 0
f = –200 cm
P = 100/f
= 100/–200
= –0.5 D
🔵 निष्कर्ष: –0.5 D का अवतल लेंस।

Q38.
एक वैज्ञानिक ने प्रिज्म से श्वेत प्रकाश डाला और सात रंगों का स्पेक्ट्रम देखा।
(i) इस प्रक्रिया का नाम लिखो।
(ii) कौन सा रंग सबसे अधिक मुड़ता है?
(iii) कौन सा रंग सबसे कम मुड़ता है?
उत्तर 38.
(i) विसरण
(ii) बैंगनी
(iii) लाल

Q39.
एक व्यक्ति को पास की वस्तु स्पष्ट नहीं दिखती। सामान्य निकट बिंदु 25 cm है और उसका निकट बिंदु 100 cm है।
(i) यह कौन सा दोष है?
(ii) किस लेंस से सुधार होगा?
(iii) लेंस की शक्ति ज्ञात करो।
उत्तर 39.
(i) दूर दृष्टि दोष
(ii) उत्तल लेंस
(iii)
u = –25 cm, v = –100 cm
1/f = 1/v – 1/u
= –1/100 – (–1/25)
= 3/100
f = 33.3 cm
P = 100/f = 100/33.3 ≈ +3 D


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एक पृष्ठ में पुनरावृत्ति

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स्मृति संकेत

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भ्रांति /वास्तविकता

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मजा भी , ज्ञान भी

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मस्तिष्क मानचित्र

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