Class 10, Hindi

Class 10 : Hindi – Lesson 7. नेताजी का चश्मा :स्वयं प्रकाश

संक्षिप्त लेखक परिचय

🌟 स्वयं प्रकाश 🌟

📜 जन्म एवं जीवन परिचय
🔵 स्वयं प्रकाश का जन्म 20 जनवरी 1947 ई. को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में हुआ था।
🟢 उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा तथा एम.ए. (हिंदी) व पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
💠 एक समय वे ‘हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड’ में हिंदी अधिकारी तथा सतर्कता अधिकारी के पद पर रहे।
🌿 7 दिसम्बर 2019 ई. को मुंबई में उनका निधन हुआ, उन्हें हिंदी कहानी-साहित्य में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त था।

📚 साहित्यिक योगदान एवं कृतियाँ
✨ स्वयं प्रकाश को मुख्यतः एक कथाकार के रूप में जाना जाता है जिनकी कथाएँ सामाजिक यथार्थ, जनजीवन एवं मानवीय अंतःकरण से जुड़ी हैं।
💫 उनकी प्रमुख कहानी-संग्रहों में ‘मात्रा और भार’, ‘सूरज कब निकलेगा’, ‘आसमां कैसे-कैसे’, ‘आएँगे अच्छे दिन भी’, तथा ‘आदमी जात का आदमी’ शामिल हैं।
🔹 उल्लेखनीय उपन्यासों में ‘जलते जहाज पर’, ‘ज्योति रथ के सारथी’, ‘उत्तर जीवन कथा’, ‘बीच में विनय’ और ‘ईंधन’ प्रमुख हैं।
🟡 उनकी भाषा सहज है लेकिन वहाँ सामाजिक चेतना, वर्ग-विरोध तथा परिवर्तन के प्रश्न प्रकट होते हैं, जिससे उनकी कहानियाँ पाठक को सोचने पर बाध्य करती हैं।
✔️ स्वयं प्रकाश ने हिंदी कहानी को जन-वाङ्मय की धारा से जोड़ा तथा आयाम प्रदान किया, इसलिए उन्हें “प्रेमचन्द की परंपरा का महत्वपूर्ण कथाकार” कहा जाता है।

🟢 अंत में – स्वयं प्रकाश ने अपनी लेखनी से सरल-साधारण जीवन को गौरव-पूर्ण बनाया, कथा-विश्व को संवेदनशीलता-पूर्ण दिशा दी और हिंदी साहित्य में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

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पाठ का विश्लेषण  एवं  विवेचन


‘नेताजी का चश्मा’ स्वयं प्रकाश द्वारा लिखित एक मार्मिक और व्यंग्यात्मक कहानी है, जो आम नागरिकों के देशभक्ति भाव और राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति सम्मान को उजागर करती है। कहानी का मुख्य पात्र हालदार साहब हैं, जो हर पंद्रह दिन में कंपनी के काम से एक छोटे कस्बे से गुजरते हैं। उस कस्बे के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की संगमरमर की मूर्ति स्थापित है, जिस पर कभी-कभी अलग-अलग प्रकार के चश्मे नजर आते हैं। यह बात हालदार साहब को हैरान करती है।

जांच करने पर पता चलता है कि कस्बे का एक बूढ़ा, लंगड़ा व्यक्ति, जिसे सब ‘कैप्टन चश्मेवाला’ कहते हैं, नेताजी की मूर्ति पर अपने पास उपलब्ध फ्रेम का चश्मा लगा देता है। जब कोई ग्राहक कैप्टन से वही चश्मा खरीदता है, तो वह मूर्ति से उतारकर ग्राहक को दे देता और नया चश्मा लगा देता। यह सिलसिला चलता रहता है, जिससे मूर्ति पर चश्मा बार-बार बदलता रहता है।

कैप्टन चश्मेवाले की यह आदत मूर्ति के प्रति उसके गहरे सम्मान और देशभक्ति को दर्शाती है। वह अपनी सीमित क्षमता के बावजूद नेताजी के प्रतीक को जीवित रखने का प्रयास करता है। जब कैप्टन की मृत्यु हो जाती है, तो मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं रहता। लेकिन कुछ समय बाद, किसी बच्चे ने मूर्ति पर सरकंडे से बना चश्मा रख दिया, जिससे यह संदेश मिलता है कि देशभक्ति और राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति सम्मान की भावना समाज में बनी रहती है।

कहानी यह सिखाती है कि आम लोग भी छोटे-छोटे कार्यों के माध्यम से देश के प्रति अपने प्रेम और जिम्मेदारी को निभा सकते हैं। नेताजी का चश्मा केवल एक वस्तु नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गर्व, स्मृति और उत्तरदायित्व का प्रतीक है, जिसे हर पीढ़ी को संजोकर रखना चाहिए।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


प्रश्न 1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
उत्तर: सेनानी न होते हुए भी लोग चश्मेवाले को कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसमें एक सच्चे देशभक्त के सभी गुण मौजूद थे। कैप्टन चश्मेवाले में नेताजी के प्रति अगाध लगाव एवं श्रद्धा भाव था। वह शहीदों एवं देशभक्तों के अलावा अपने देश से उसी तरह लगाव रखता था जैसा कि फ़ौजी व्यक्ति रखते हैं। उसमें देश प्रेम एवं देशभक्ति का भाव कूट-कूटकर भरा था और वह नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के देखकर दुखी होता था। उसके हृदय में देश के वीर जवानों के प्रति सम्मान था और वह अपनी ओर से एक चश्मा नेताजी की मूर्ति पर अवश्य लगाता था। उसकी इसी भावना को देखकर लोग उसे कैप्टन कहते थे।

प्रश्न 2. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा –
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
उत्तर: हालदार साहब इसलिए मायूस हो गए थे क्योंकि कैप्टन अब मर चुका था और उसके समान अब कोई देशप्रेमी नहीं बचा था। वे सोचते थे कि कस्बे के चौराहे पर मूर्ति तो होगी पर उसकी आँखों पर चश्मा न होगा क्योंकि अब कैप्टन तो जिंदा नहीं है जो मूर्ति पर चश्मा लगाए। नेताजी जैसे देशभक्त के लिए उसके मन में सम्मान की भावना थी। उसके मर जाने के बाद हालदार साहब को लगा कि अब समाज में किसी के भी मन में नेताजी या देशभक्तों के प्रति सम्मान की भावना नहीं है। देशभक्त हालदार साहब को नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति उदास कर देती थी।

(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
उत्तर: मूर्ति पर लगे सरकंडे का चश्मा इस बात का प्रतीक है कि आज भी देश की आने वाली पीढ़ी के मन में देशभक्तों के लिए सम्मान की भावना है। यह उम्मीद जगाता है कि देश में देशप्रेम एवं देशभक्ति समाप्त नहीं हुई है। भले ही उनके पास साधन न हो परंतु फिर भी सच्चे हृदय से बना वह सरकंडे का चश्मा भी भावनात्मक दृष्टि से मूल्यवान है। बच्चों द्वारा किया गया कार्य स्वस्थ भविष्य का संकेत है और उनमें राष्ट्र प्रेम के बीज अंकुरित हो रहे हैं। अतः उम्मीद है कि बच्चे गरीबी और साधनों के बिना भी देश के लिए कार्य करते रहेंगे। अभी लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना मरी नहीं है और भावी पीढ़ी इस धरोहर को संभाले हुए है।

(ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
उत्तर: उचित साधन न होते हुए भी किसी बच्चे ने अपनी क्षमता के अनुसार नेताजी को सरकंडे का चश्मा पहनाया था। यह बात उनके मन में आशा जगाती है कि आज भी देश में देश-भक्ति जीवित है। जब उन्होंने नेताजी के प्रतिमा की आँखों पर चश्मा लगा देखा तो हालदार साहब के मन की निराशा की भावना अचानक ही आशा के रूप में परिवर्तित हो गई और उनके हृदय की प्रसन्नता आँखों से आँसू बनकर छलक उठी। भले ही बड़े लोगों के मन में देशभक्ति का अभाव हो परंतु वही देशभक्ति सरकंडे के चश्मे के माध्यम से एक बच्चे के मन में देखकर हालदार साहब भावुक हो गए। उन्हें यह विश्वास हो गया कि देशभक्ति की भावना भावी पीढ़ी के मन में भी पूरी तरह भरी हुई है।

प्रश्न 3. आशय स्पष्ट कीजिए – “बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”
उत्तर: इस कथन के माध्यम से लेखक ने आज के समाज की स्वार्थपरक मानसिकता पर गहरा व्यंग्य किया है। हालदार साहब बार-बार सोचते रहे कि उस कौम का भविष्य कैसा होगा जो उन लोगों की हँसी उड़ाती है जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ त्याग कर देते हैं। देशभक्तों ने देश को आज़ादी दिलाने के लिए अपना सर्वस्व देश के प्रति समर्पित कर दिया। आज जो हम स्वतंत्र देश में आज़ादी की साँस ले रहे हैं यह उन्हीं के कारण संभव हो पाया है। साथ ही वह ऐसे अवसर तलाशती रहती है जिसमें उसकी स्वार्थ की पूर्ति हो सके, चाहे उसके लिए उन्हें अपनी नैतिकता को भी तिलांजलि क्यों न देनी पड़े। अर्थात आज हमारे समाज में स्वार्थ पूर्ति के लिए अपना ईमान तक बेच दिया जाता है और यहाँ देशभक्ति को मूर्खता समझा जाता है।

प्रश्न 4. पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: पानवाला काला, मोटा और खुशमिजाज़ आदमी था। उसके सिर पर गिने-चुने बाल ही बचे थे। ज्यादा पान खाने के कारण उसके दाँत काले-लाल हो गए थे। उसकी तोंद भी निकली हुई थी और सड़क के चौराहे के किनारे उसकी पान की दुकान थी। वह एक तरफ़ ग्राहक के लिए पान बना रहा था, वहीं दूसरी ओर उसका मुँह पान से भरा था। पान खाने के कारण उसके होंठ लाल तथा कहीं-कहीं काले पड़ गए थे। स्वभाव से वह मजाकिया था और बातें बनाने में माहिर था। वह भावुक तथा संवेदनशील भी था क्योंकि कैप्टन के मर जाने से वह दुखी था।

प्रश्न 5. “वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!” कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर: पानवाले ने कैप्टन को लँगड़ा तथा पागल कहा है जो कि अति गैर जिम्मेदाराना और दुर्भाग्यपूर्ण वक्तव्य है। यह टिप्पणी बिल्कुल गलत और अनुचित है क्योंकि कैप्टन में एक सच्चे देशभक्त के वे सभी गुण मौजूद हैं जो कि पानवाले में या समाज के अन्य किसी वर्ग में नहीं है। वह भले ही शारीरिक रूप से लँगड़ा है पर उसमें इतनी शक्ति है कि वह कभी भी नेताजी को बग़ैर चश्मे के नहीं रहने देता है। अतः कैप्टन पानवाले से अधिक सक्रिय, विवेकशील तथा देशभक्त है। देशभक्ति कोई शारीरिक योग्यता नहीं है बल्कि मानसिक भावना है, और इस दृष्टि से कैप्टन एक आदर्श व्यक्ति था।

रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 6. निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं –
(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।
उत्तर: यह वाक्य हालदार साहब की निम्नलिखित विशेषताओं को दर्शाता है:

नेताजी के रोज़ बदलते चश्मे को देखने के लिए वे उत्सुक रहते थे

नेताजी को पहनाए गए चश्मे के माध्यम से वे कैप्टन की देशभक्ति देखकर खुश होते थे क्योंकि वे स्वयं देशभक्त थे

कैप्टन के प्रति उनके मन में श्रद्धा थी

वे एक संवेदनशील और देशप्रेमी व्यक्ति थे

(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला – साहब! कैप्टन मर गया।
उत्तर: यह वाक्य पानवाले की निम्नलिखित विशेषताओं को दर्शाता है:

पानवाला भावुक तथा संवेदनशील था और कैप्टन के मर जाने से वह दुखी था

कैप्टन के लिए उसके मन में स्नेह था, भले ही कैप्टन के जीते-जी उसने उसका मजाक उड़ाया था

कहीं न कहीं वह भी कैप्टन की देशभक्ति पर मुग्ध था

कैप्टन याद आने पर उसकी आँखों से आँसू बहने लगे

(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
उत्तर: यह वाक्य कैप्टन की निम्नलिखित विशेषताओं को दर्शाता है:

वह देशभक्त था और नेताजी के लिए उसके मन में सम्मान की भावना थी

नेताजी को बग़ैर चश्मे के देखना उसे अच्छा नहीं लगता था

आर्थिक विपन्नता के कारण वह नेताजी को स्थाई रूप से चश्मा नहीं पहना पाता था

इसलिए वह अपनी ओर से कोई न कोई चश्मा उनकी आँखों पर लगा ही देता था

प्रश्न 7. जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर: जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को नहीं देखा था तब तक वे उसे एक फौज़ी की तरह मजबूत और बलशाली समझते थे। उन्होंने सोचा होगा कि वह एक फौजी की तरह अपने जीवन को अनुशासित ढ़ंग से जीता होगा। उन्हें लगता था फौज़ में होने के कारण लोग उन्हें कैप्टन कहते हैं। वे सोचते होंगे कि कैप्टन एक लंबा-चौड़ा, हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति होगा जिसकी वर्दी में रौब होगा। उन्होंने कल्पना की होगी कि वह एक अनुशासित, गंभीर और व्यक्तित्व संपन्न व्यक्ति होगा जो अपने कर्तव्य के प्रति पूर्णतः समर्पित है।

प्रश्न 8. कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है –
(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
उत्तर: इस प्रकार की मूर्ति लगाने के निम्नलिखित उद्देश्य हो सकते हैं:

लोगों को प्रेरणा देने के लिए

उन महान व्यक्तियों तथा उनके कार्यों को याद करने के लिए

उन महान व्यक्तियों के त्याग तथा बलिदान को अमर रखने के उद्देश्य से

उनके गुणों को याद करके समाज के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से

ऐसे लोगों का सम्मान करने के उद्देश्य से

(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर: हम अपने इलाके के चौराहे पर महात्मा गाँधी तथा वैज्ञानिकों की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे। क्योंकि एक ओर जहाँ महात्माजी ने हमारे देश को आज़ाद करवाने में मुख्य भूमिका निभाई और उन्होंने हिंसा को त्याग कर अहिंसा के पथ को प्रधानता दी। तो दूसरी ओर देश के वैज्ञानिकों ने देश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए नए-नए आविष्कारों के द्वारा देश को नई दिशा प्रदान की है। ये दोनों ही व्यक्तित्व युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
उत्तर: मूर्ति के प्रति हमारे तथा समाज के निम्नलिखित उत्तरदायित्व होने चाहिए:

हमें मूर्ति का सम्मान करना चाहिए क्योंकि ये मूर्ति साधारण नहीं बल्कि किसी सम्माननीय व्यक्ति का प्रतीक है

हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी प्रकार से मूर्ति का अपमान न हो

हमारा यह उत्तरदायित्व होना चाहिए कि हम मूर्ति की गरिमा का ध्यान रखें

मूर्ति की सफाई और रख-रखाव की जिम्मेदारी लेनी चाहिए

उस महान व्यक्ति के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए

प्रश्न 9. सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे – सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।
उत्तर: हम भी देश के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा कर के अपनी देशभक्ति का परिचय दे सकते हैं:

प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग करना

समाज के कमजोर तथा ज़रूरतमंद लोगों की मदद करना

सरकार की जनकल्याण योजनाओं को सहयोग करना

समाज में हो रहे अन्याय का विरोध करना

देश को प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए तन-मन-धन से सहयोग करना

भ्रष्टाचार का विरोध करना

स्वच्छता अभियान में भाग लेना

वोट देकर लोकतंत्र को मजबूत बनाना

राष्ट्रीय एकता बनाए रखना

भाषा-अध्ययन
प्रश्न 10. निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए – “कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।”
उत्तर: मानक हिंदी में रूपांतरित:
“अगर कोई ग्राहक आ गया और उसे चौड़े चौखट चाहिए, तो कैप्टन कहाँ से लाएगा? तो उसे मूर्तिवाला चौखट दे देता है और उसकी जगह दूसरा लगा देता है।”

प्रश्न 11. ‘भई खूब! क्या आइडिया है।’ इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

उस भाषा की भावाभिव्यक्ति की क्षमता में वृद्धि होती है

इस प्रकार के शब्दों के प्रयोग से वाक्य अधिक प्रभावशाली हो जाते हैं

दूसरी भाषा के कुछ शब्दों की जानकारी भी मिलती है

भाषा का भण्डार बढ़ता है

भाषा का स्वरूप अधिक आकर्षक हो जाता है

भाषा में प्रवाहमयता आ जाती है

बहुत प्रचलित शब्द अक्सर लोगों को जल्दी समझ में आ जाते हैं

यह कहानी स्वयं प्रकाश जी द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण कृति है जो देशभक्ति, सम्मान और राष्ट्रीय प्रतीकों के महत्व को दर्शाती है। इसके माध्यम से लेखक ने यह संदेश दिया है कि देशभक्ति केवल बड़े कार्यों में नहीं बल्कि छोटे-छोटे कार्यों में भी प्रकट होती है।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न



प्रश्न 1 (60 शब्द):
कहानी में चश्मा केवल एक वस्तु नहीं है, बल्कि एक प्रतीक है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
‘नेताजी का चश्मा’ केवल एक वस्तु नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा, ईमानदारी और राष्ट्रसेवा का प्रतीक है। यह चश्मा लोगों को उनके कर्तव्य और आदर्शों की याद दिलाता है। कहानी में यह चश्मा लोगों के मन में आत्मनिरीक्षण की भावना जगाता है और नैतिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करता है।

प्रश्न 2 (60 शब्द):
बस्ती के लोगों का नेताजी के चश्मे को लेकर व्यवहार कैसा था?
उत्तर:
बस्ती के लोग चश्मा मिलने पर पहले तो उसमें कोई विशेषता नहीं देखते, परंतु जब पता चलता है कि यह नेताजी का चश्मा है, तो वे उसका आदर करने लगते हैं। वे उसके महत्व को समझते हैं और उसे सुरक्षित रखने, प्रदर्शनी में रखने तथा उससे प्रेरणा लेने की भावना दिखाते हैं।

प्रश्न 3 (60 शब्द):
कहानी के अंत में लेखक ने किस विचार को प्रमुखता दी है?
उत्तर:
कहानी के अंत में लेखक यह संदेश देते हैं कि यदि हम नेताजी के चश्मे से अपने समाज और कार्यों को देखें, तो हमें अपने दोष और भ्रष्टाचार स्पष्ट दिखेंगे। लेखक ने अंत में आत्ममंथन, जिम्मेदारी और देशभक्ति को जाग्रत करने की प्रेरणा दी है।

प्रश्न 4 (120 शब्द):
चश्मा बस्ती में नैतिक बदलाव लाने में कैसे सहायक सिद्ध होता है?
उत्तर:
नेताजी का चश्मा बस्ती में केवल एक ऐतिहासिक धरोहर बनकर नहीं आता, बल्कि वह वहाँ के लोगों के लिए एक दर्पण बनता है, जिसमें वे अपनी कमजोरियाँ और भ्रष्ट आचरण को पहचानने लगते हैं। चश्मे को देखकर वे अपने समाज की स्थिति और अपनी जिम्मेदारियों का आत्मनिरीक्षण करने लगते हैं। लेखक ने यह दिखाया है कि कैसे एक प्रतीकात्मक वस्तु भी यदि सही संदर्भ में प्रस्तुत हो, तो वह जनमानस को झकझोर सकती है। चश्मा लोगों में नयी चेतना जाग्रत करता है और उन्हें आत्मशुद्धि की दिशा में प्रेरित करता है। यह कहानी बताती है कि जब तक हम नेताजी के विचारों और आदर्शों को व्यवहार में नहीं लाएंगे, तब तक केवल उनकी वस्तुएं सुरक्षित रखना पर्याप्त नहीं होगा।

प्रश्न 5 (120 शब्द):
लेखक ने व्यंग्य के माध्यम से समाज की कौन-सी सच्चाइयों को उजागर किया है?
उत्तर:
इस कहानी में लेखक ने गहरे व्यंग्य के माध्यम से समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, दिखावा, संवेदनहीनता और नैतिक गिरावट को उजागर किया है। नेताजी जैसे महान देशभक्त का चश्मा जब बस्ती में आता है, तो लोग पहले उसकी उपयोगिता नहीं समझते, पर जब उन्हें उसका नाम और ऐतिहासिकता पता चलती है, तो उसमें ‘सम्मान’ ढूँढते हैं। यह दर्शाता है कि हम आदर्शों को नहीं, बल्कि उनकी वस्तुओं को पूजते हैं। लेखक यह भी दिखाते हैं कि कैसे लोग दूसरों को उपदेश देना पसंद करते हैं, लेकिन स्वयं को नहीं बदलते। लेखक की शैली चुटीली है, लेकिन उसका प्रभाव गहरा है। यह कहानी हमें सिखाती है कि केवल प्रतीकों की पूजा न करें, बल्कि उनके मूल्यों को अपनाएँ।

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“कस्बे की हृदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा!…क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया…और केप्टन मर गया। सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं, पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ़ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चौकियों पर रुकना नहीं, आज बहुत काम हैं, पान आगे कहीं खा लेंगे।
लेकिन आदत से मजबूर आँखें चौराहा आते ही मूर्ति की तरफ़ उठ गईं। कुछ ऐसा देखा कि—चीख, रोको! जीप स्पीड में थी, ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे। रास्ता चलते लोग देखने लगे। जीप रुकते-रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज-तेज़ कदमों से मूर्ति की तरफ़ लपके और उसके ठीक सामने जाकर अचंभा में खड़े हो गए।
मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा-सा चश्मा बँधा हुआ था, जैसा बच्चे बना लेते हैं। हालदार साहब भावुक हैं। इतनी-सी बात पर उनकी आँखें भर आई।”


प्रश्न (5×1 = 5)


1.“मास्टर बनाना भूल गया…और केप्टन मर गया”—यहाँ कथाकार का मूल लहजा क्या प्रकट करता है?
(A) श्रद्धा का प्रत्यक्ष प्रदर्शन
(B) प्रशासनिक उपेक्षा पर तीखा व्यंग्य
(C) निष्पक्ष इतिहास-वर्णन
(D) लोक-अनभिज्ञता पर उपहास
उत्तर: (B)


2.हालदार द्वारा मूर्ति की ओर “लपकने” के पीछे सबसे उपयुक्त निहित कारण कौन-सा है?
(A) भीड़ नियंत्रित करने का दायित्व
(B) मार्ग अवरुद्ध होने की खीज
(C) आँखों पर सरकंडे के चश्मे से उपजा विस्मय और करुणा
(D) मालाएँ चढ़ाने का उत्साह
उत्तर: (C)


3.शीर्षक “नेताजी का चश्मा” इस अंश में किस स्तर पर अर्थ-विस्तार पाता है?
(A) केवल एक वस्तु-वर्णन
(B) औपचारिक श्रद्धांजलि
(C) जन-स्मृति और मूल्य-बोध का प्रतीक
(D) राजकीय प्रचार का उपकरण
उत्तर: (C)


4.सही संयोजन चुनिए—
(i) कथाकार ने मूर्ति न देखने का निश्चय किया, फिर भी आँखें स्वतः उधर उठीं।
(ii) हालदार का भावुक होना केवल भीड़ की प्रतिक्रिया देखकर था।
(iii) दृश्य में विडंबना और करुणा का संयुक्त बोध उपस्थित है।
(iv) “चीख, रोको!” तनाव-सर्जना का उपकरण है जो आगे की घटना का संकेत देता है।
विकल्प:
(A) (i) और (iii) दोनों
(B) (ii) और (iv) दोनों
(C) (i), (iii) और (iv)—केवल ये
(D) केवल (ii)
उत्तर: (C)


5.कथन–कारण: उपयुक्त विकल्प चुनिए।
कथन: हालदार साहब की आँखें भर आईं।
कारण: सरकंडे का छोटा-सा चश्मा जन-स्मृति की सरलता का संकेत बनकर श्रद्धा और करुणा एक साथ जगा देता है।
(A) दोनों गलत हैं।
(B) कारण गलत है किंतु कथन सही है।
(C) कथन तथा कारण दोनों सही हैं तथा कारण उसकी सही व्याख्या करता है।
(D) कथन सही है किंतु कारण उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
उत्तर: (C)

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