Class 10, Hindi

Class 10 : Hindi – Lesson 6. मंगलेश डबराल

संक्षिप्त लेखक परिचय

🟩 🎯 जीवन परिचय
🔸 मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई 1948 को उत्तराखंड के टिहरी जिले के काफलपानी गाँव में हुआ।
🔸 उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा देहरादून में प्राप्त की और आगे की पढ़ाई दिल्ली में की।
🔸 वे कुछ वर्षों तक अखबारों और पत्रिकाओं में कार्यरत रहे और साहित्य संपादन से भी जुड़े रहे।
🔸 उनका निधन 9 दिसंबर 2020 को दिल्ली में हुआ।

🟦 ✍️ साहित्यिक योगदान
🖋️ मंगलेश डबराल समकालीन हिंदी कविता के सशक्त हस्ताक्षर थे।
🟢 उनकी कविताओं में लोकजीवन की सादगी, पहाड़ की पीड़ा और विस्थापन की व्यथा गहराई से प्रकट होती है।
🌿 उन्होंने ‘पहाड़’, ‘घर का रास्ता’, ‘हम जो देखते हैं’, ‘आवाज भी एक जगह है’ जैसे काव्य संग्रह रचे, जो हिंदी कविता को नई दिशा देने वाले माने जाते हैं।
🔸 उनकी भाषा सरल, बिंबात्मक और भावप्रवण रही, जिसमें उन्होंने आम आदमी की भावनाओं को स्वर दिया।
🟣 उन्होंने पत्रकारिता, अनुवाद और लेखन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
🔶 मंगलेश डबराल की कविताएँ आत्मीयता, संवेदना और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी होती हैं, जिनमें पाठक अपने अनुभवों की अनुगूंज पाते हैं।
⭐ उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, शमशेर सम्मान सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए।

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पाठ का विश्लेषण  एवं  विवेचन


🟩 📌 केंद्रीय भाव
🔸 इस कविता में उन व्यक्तियों की महत्ता बताई गई है जो किसी मुख्य व्यक्ति की सफलता के पीछे खड़े रहते हैं।
🔸 संगतकार का कार्य केवल सुर में साथ देना नहीं, बल्कि गायक को संबल देना, संभालना और उसकी गरिमा बनाए रखना होता है।
🔸 यह रचना समाज के हर क्षेत्र में सहयोग और विनम्रता के महत्व को उजागर करती है।


🟦 📝 पदबद्ध व्याख्या
🔷 🔹 प्रथम काव्यांश
मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती वह आवाज सुंदर कमजोर काँपती हुई थी
🟡 मुख्य गायक की मजबूत और गहरी आवाज के साथ संगतकार की मधुर, हल्की, काँपती आवाज जुड़ती है।
🟡 यह दो अलग-अलग गुणों की संगति है — एक ताकत का प्रतीक, दूसरा सौम्यता का।
मुख्य गायक का छोटा भाई… दूर का कोई रिश्तेदार
🟣 कवि अनुमान लगाता है कि यह संगतकार कोई आत्मीय संबंधी हो सकता है, जो सच्ची लगन और प्रेम से साथ निभा रहा है।
प्राचीन काल से वह अपनी गूँज मिलाता आया है
🟢 यह पंक्ति परंपरा और गुरु-शिष्य परंपरा की निरंतरता को दर्शाती है।


🔷 🔹 द्वितीय काव्यांश
गायक जब अंतरे की जटिल तानों में खो जाता है… अनहद में
🔶 गायक जब संगीत की ऊँचाइयों में इतना डूब जाता है कि मूल स्वर से भटकने लगता है, तो संगतकार स्थायी स्वर को संभालता है।
संगतकार स्थायी को सँभाले रहता है… सामान समेटने जैसा
🔴 यह एक सुंदर उपमा है — संगतकार गायक को उसकी मूल धुन पर लौटाता है जैसे कोई बिखरे सामान को समेटता है।
उसे याद दिलाता है उसका बचपन…
🟢 संगतकार गायक को उसकी शुरुआती अवस्था की याद दिलाता है — यह केवल संगीत नहीं, आत्मीय जुड़ाव भी है।


🔷 🔹 तृतीय काव्यांश
तारसप्तक में जब बैठने लगता है गला… आवाज से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
🟡 जब गायक ऊँचे स्वर में गाने के प्रयास में थकने लगता है, उसकी आवाज लड़खड़ाने लगती है — यह मानवीय कमजोरी का प्रतीक है।
तभी ढाँढ़स बंधाता है संगतकार का स्वर
🔵 संगतकार का स्वर उसे सँभालता है, सहारा देता है — यह सहानुभूति और सहयोग का उदाहरण है।


🔷 🔹 चतुर्थ काव्यांश
कभी-कभी वह यों ही दे देता है साथ… वह अकेला नहीं है
🟣 संगतकार यह भरोसा दिलाने के लिए स्वर देता है कि गायक अकेला नहीं है। यह भावनात्मक समर्थन और सामूहिकता का प्रतीक है।
फिर से गाया जा सकता है, गाया जा चुका राग
🟠 असफलता के बाद भी पुनः प्रयास संभव है — यह आशावाद का संदेश है।


🔷 🔹 पंचम काव्यांश
उसकी आवाज की हिचक… स्वर को ऊँचा न उठाना
🔵 संगतकार की संकोचपूर्ण आवाज को कवि विफलता नहीं मानता, बल्कि इसे मनुष्यता का प्रतीक मानता है।
यह मनुष्यता है
🟢 यहाँ त्याग, संयम और दूसरों को आगे बढ़ने देने की भावना को सबसे ऊँचा मूल्य बताया गया है।
🟩 🌿 काव्यगत विशेषताएँ


🔶 भाव पक्ष
त्याग और सहयोग की भावना
छाया में रहकर योगदान देना
सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्य स्थापित करना


🔷 भाषा शैली
सरल, सहज एवं प्रवाहमय भाषा
मुक्त छंद का प्रयोग
गहराई से जुड़ी सांकेतिक अभिव्यक्ति

🔶 बिंब और प्रतीक योजना
🔊 चट्टान जैसे स्वर — दृढ़ता
💫 काँपती आवाज — विनम्रता
🌪️ राख जैसा गिरना — विफलता का क्षण
🧳 सामान समेटना — सहारा देना
🔁 फिर से गाया जा सकता है — आशा और निरंतरता

🔷 अलंकार प्रयोग
रूपक – “जटिल तानों के जंगल”
उपमा – “जैसे समेटता हो सामान”
मानवीकरण – “प्रेरणा साथ छोड़ती हुई”

🟦 📣 कविता का व्यापक संदेश
🟢 यह कविता हर क्षेत्र में मौजूद उन लोगों के महत्व को रेखांकित करती है जो छाया में रहकर योगदान देते हैं।
🟢 ये लोग भले मंच पर न हों, लेकिन मंच का स्वरूप उनके बिना अधूरा है।
🟢 यह कविता विनम्रता, सहिष्णुता, सहयोग और समूह चेतना जैसे मानवीय मूल्यों को स्थापित करती है।


🟨 🌍 सामाजिक प्रासंगिकता
🔸 आज के आत्म-केन्द्रित समाज में जहाँ प्रसिद्धि और व्यक्तित्व को अधिक महत्त्व दिया जाता है, यह कविता उन साधारण लेकिन महत्वपूर्ण लोगों को सम्मान देती है जो दूसरों की सफलता के लिए मौन रहकर अपना सर्वस्व देते हैं।
🔸 यह कविता हमें यह भी सिखाती है कि हर छोटी भूमिका में भी महानता छुपी होती है, आवश्यकता है उसे देखने और समझने की।


🟩 ⭐ अंतिम विचार
“संगतकार” केवल एक संगीत विषयक कविता नहीं है, यह जीवन के उन अनदेखे, अनकहे नायकों की पहचान है, जो बिना नाम के भी हमारे जीवन को सुर और लय से भर देते हैं।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


❓ प्रश्न 1: संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?
🔸 उत्तर:
कवि मंगलेश डबराल ऐसे लोगों की ओर संकेत करते हैं जो:
✔️ दूसरों की सफलता में अहम भूमिका निभाते हैं
✔️ स्वयं पर्दे के पीछे रहकर कार्य करते हैं
✔️ पूरा श्रेय मुख्य व्यक्ति को ही मिलने देते हैं
✔️ आत्मप्रशंसा के बिना अपनी भूमिका निभाते हैं
📌 जैसे संगतकार मुख्य गायक के साथ मिलकर गायन को संपूर्ण बनाता है, परंतु चर्चित नहीं होता।

❓ प्रश्न 2: संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?
🔸 उत्तर:
🎭 कला और मनोरंजन: सह कलाकार, स्टंटमैन, बैकग्राउंड डांसर
🏗️ निर्माण क्षेत्र: राजमिस्त्री, कारीगर, मजदूर
🗳️ राजनीति: कार्यकर्ता, सलाहकार, रणनीतिकार
🏫 शिक्षा: सहायक शिक्षक, सहयोगी स्टाफ
🏢 कार्यालय: सहायक कर्मचारी, तकनीकी टीम

❓ प्रश्न 3: संगतकार किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं?
🔸 उत्तर:
✔️ स्वर से ऊँचाई न छूना – मुख्य गायक की श्रेष्ठता बनाए रखना
✔️ थकान में सहयोग देना – गायक को ऊर्जा देना
✔️ लय में भटकाव संभालना – स्वर को स्थिर करना
✔️ स्वर में मधुरता भरना – भारी आवाज़ को सौम्य बनाना
✔️ तारसप्तक में सहारा – ऊँचे सुर में टूटने से बचाना
📌 संगतकार गायक की शक्ति बन जाता है, पर स्वयं मौन रहता है।

❓ प्रश्न 4:
“और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है…” – भाव स्पष्ट कीजिए
🔸 उत्तर:
यह पंक्ति बताती है कि संगतकार जानबूझकर अपने स्वर को ऊँचा नहीं करता।
उसकी हिचक उसकी असफलता नहीं बल्कि उसकी मानवीयता, विनम्रता और सहयोग भावना का प्रतीक है।
वह अपनी प्रतिभा छुपाकर मुख्य गायक को ऊँचा उठाता है।

❓ प्रश्न 5: उदाहरण देकर बताएँ कि प्रसिद्ध व्यक्ति की सफलता में और कौन-कौन योगदान देते हैं?
🔸 उत्तर:
🎬 फिल्म उद्योग में:
गीतकार – गीत रचते हैं
संगीतकार – सुर सजाते हैं
सह-गायक – मेल मिलाते हैं
तकनीशियन – ध्वनि/प्रकाश का प्रबंधन
स्टंटमैन – जोखिमपूर्ण दृश्य निभाते हैं
मेकअप आर्टिस्ट – दृश्य सुंदर बनाते हैं
📌 प्रसिद्धि तो अभिनेता को मिलती है, परंतु योगदान सभी का होता है।

❓ प्रश्न 6:
तारसप्तक की ऊँचाई पर गायक का स्वर बिखरने से संगतकार कैसे मदद करता है?
🔸 उत्तर:
🎤 जब गायक का स्वर उच्च सुर पर डगमगाने लगता है, तब संगतकार:
✔️ सहारा देकर सुर को स्थिर करता है
✔️ आत्मविश्वास लौटाता है
✔️ संगीत को नियंत्रित बनाए रखता है
✔️ प्रस्तुति की मर्यादा बनाए रखता है
📌 वह संकट में भी गायक की लय संभालता है।

❓ प्रश्न 7:
सफलता के शिखर पर लड़खड़ाते व्यक्ति को सहयोगी कैसे संभालते हैं?
🔸 उत्तर:
✔️ मानसिक रूप से संबल देते हैं
✔️ सही दिशा दिखाते हैं
✔️ गलतियों को सुधारते हैं
✔️ साथ खड़े रहते हैं
✔️ प्रेरणा व आत्मबल बढ़ाते हैं
📌 जैसे संगतकार संगीत में सहयोग देता है, वैसे ही जीवन में सच्चे साथी कार्य में सहयोग करते हैं।

❓ प्रश्न 8:
संगीत या नृत्य समारोह में सहयोगी न पहुँचे तो आप क्या करेंगे?
🔸 उत्तर:
(क) मेरी स्थिति:
✔️ घबराहट
✔️ प्रस्तुति में कमी
✔️ आत्मविश्वास डगमगाना


(ख) समाधान:
✔️ स्थानीय सहायता लेना
✔️ एकल प्रस्तुति देना
✔️ दर्शकों को स्थिति बताना
✔️ अभ्यास से आत्मबल बढ़ाना
📌 हर स्थिति में समाधान संभव है।

❓ प्रश्न 9:
विद्यालय के सांस्कृतिक समारोह में मंच के पीछे काम करने वाले सहयोगियों की भूमिका पर अनुच्छेद
🔸 उत्तर:
विद्यालय के सांस्कृतिक समारोह में मंच के पीछे कार्य करने वाले छात्र:
✔️ मंच सज्जा, ध्वनि व्यवस्था, वेशभूषा में सहयोग करते हैं
✔️ पर्दे खोलने-बंद करने, प्रॉप्स उपलब्ध कराने जैसे कार्य करते हैं
✔️ कलाकारों को सही समय पर मंच पर भेजते हैं
✔️ पूरे कार्यक्रम को समयानुसार संचालित करने में मदद करते हैं
📌 उनके बिना कोई भी आयोजन सफल नहीं हो सकता।

❓ प्रश्न 10:
प्रतिभावान होने के बावजूद संगतकार जैसे लोग शीर्ष पर क्यों नहीं पहुँचते?
🔸 उत्तर:
✔️ नेतृत्व की इच्छा नहीं होती
✔️ आत्मप्रशंसा से दूर रहते हैं
✔️ अवसरों की कमी रहती है
✔️ प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लेते
✔️ संतोषी स्वभाव होता है
📌 वे अपने कार्य को ही पुरस्कार मानते हैं, प्रसिद्धि नहीं चाहते।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न



🎯 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
🔹 प्रश्न 1: संगतकार कविता में “चट्टान जैसे भारी स्वर” किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
🔸 (क) संगतकार के लिए
🔸 (ख) मुख्य गायक के लिए
🔸 (ग) श्रोताओं के लिए
🔸 (घ) वाद्य यंत्र के लिए
✅ उत्तर: (ख) मुख्य गायक के लिए

🔹 प्रश्न 2: “अनहद” शब्द का अर्थ क्या है?
🔸 (क) तेज़ आवाज़
🔸 (ख) योग साधना की आनंददायक स्थिति
🔸 (ग) गायन की एक शैली
🔸 (घ) संगीत का एक वाद्य यंत्र
✅ उत्तर: (ख) योग साधना की आनंददायक स्थिति


🔹 प्रश्न 3: कविता के अनुसार संगतकार की आवाज़ में “हिचक” क्यों होती है?
🔸 (क) क्योंकि वह डरता है
🔸 (ख) क्योंकि वह नया है
🔸 (ग) क्योंकि वह अपने स्वर को मुख्य गायक से ऊंचा नहीं उठाना चाहता
🔸 (घ) क्योंकि उसे गाना नहीं आता
✅ उत्तर: (ग) क्योंकि वह अपने स्वर को मुख्य गायक से ऊंचा नहीं उठाना चाहता


🔹 प्रश्न 4: “तारसप्तक” का संबंध किससे है?
🔸 (क) कविता के सात छंदों से
🔸 (ख) सात कवियों से
🔸 (ग) संगीत की उच्चतम स्वर सीमा से
🔸 (घ) सात वाद्य यंत्रों से
✅ उत्तर: (ग) संगीत की उच्चतम स्वर सीमा से


🔹 प्रश्न 5: कविता में “राख जैसा कुछ गिरता हुआ” का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?
🔸 (क) मुख्य गायक की आवाज़ का बिखरना
🔸 (ख) धुआं निकलना
🔸 (ग) आग बुझना
🔸 (घ) स्वर की मधुरता का समाप्त होना
✅ उत्तर: (घ) स्वर की मधुरता का समाप्त होना

✍️ लघु उत्तरीय प्रश्न
🔹 प्रश्न 1: संगतकार कविता का मुख्य संदेश क्या है?
✅ उत्तर:
संगतकार कविता का मुख्य संदेश यह है कि समाज में मुख्य व्यक्तित्वों की सफलता में सहयोगी व्यक्तियों का भी अहम योगदान होता है। परदे के पीछे कार्य करने वाले इन लोगों को भी सम्मान और पहचान मिलनी चाहिए।


🔹 प्रश्न 2: कविता में संगतकार को किन रूपों में चित्रित किया गया है?
✅ उत्तर:
कविता में संगतकार को तीन रूपों में चित्रित किया गया है:
🔸 मुख्य गायक का छोटा भाई
🔸 उसका शिष्य
🔸 पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार


🔹 प्रश्न 3: “स्थायी को सँभाले रहना” का क्या अर्थ है?
✅ उत्तर:
इसका अर्थ है — गीत की मूल धुन को बनाए रखना। जब मुख्य गायक भटक जाता है, तो संगतकार स्थायी पंक्ति को दोहराकर उसे मूल लय में वापस लाता है।


🔹 प्रश्न 4: कविता में प्रयुक्त “जंगल” शब्द का प्रतीकात्मक अर्थ स्पष्ट करें।
✅ उत्तर:
“जंगल” का प्रतीकात्मक अर्थ है — संगीत की जटिलता। जैसे व्यक्ति जंगल में भटक जाता है, वैसे ही गायक तानों के जटिल फेरों में भटक सकता है।


🔹 प्रश्न 5: संगतकार की “मनुष्यता” से कवि का क्या आशय है?
✅ उत्तर:
इससे आशय है संगतकार की विनम्रता और त्याग की भावना से। वह अपने स्वर को जानबूझकर दबा लेता है ताकि मुख्य गायक की प्रतिष्ठा बनी रहे — यही उसकी सच्ची मनुष्यता है।


📘 मध्यम उत्तरीय प्रश्न
🔹 प्रश्न 1: संगतकार कविता में निहित व्यंग्य को स्पष्ट करें।
✅ उत्तर:
संगतकार कविता में समाज की उस मानसिकता पर व्यंग्य है जो केवल मुख्य व्यक्ति को महत्व देती है और सहयोगियों को नज़रअंदाज़ कर देती है।
🔸 समाज में व्याप्त भेदभाव:
मुख्य गायक को सारा श्रेय मिलता है, जबकि संगतकार की उपेक्षा होती है।
🔸 योग्यता की अनदेखी:
संगतकार भी प्रतिभाशाली होता है परंतु उसे अवसर नहीं मिलता।
🔸 सामाजिक अन्याय पर प्रहार:
यह कविता परदे के पीछे काम करने वालों के साथ हो रहे अन्याय की ओर संकेत करती है।
🔸 व्यंग्य का प्रभाव:
कविता हमें सोचने पर मजबूर करती है कि सभी योगदानकर्ताओं को समान सम्मान मिलना चाहिए।

🔹 प्रश्न 2: कविता की भाषा और शैली की विशेषताओं का विश्लेषण करें।
✅ उत्तर:
🔸 भाषा की विशेषताएं:
▪️ सहज और सरल भाषा
▪️ संगीत के पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग (जैसे तारसप्तक, तान, अंतरा)
▪️ उर्दू शब्दों का प्रयोग (जैसे गरज, हिचक)


🔸 शैली की विशेषताएं:
▪️ प्रतीकात्मकता (जैसे चट्टान, जंगल, राख)
▪️ मुक्त छंद शैली
▪️ बिंबात्मकता – दृश्यात्मक चित्रों का सजीव वर्णन
▪️ मृदु व्यंग्य – सामाजिक विसंगतियों पर कोमल कटाक्ष

🔹 प्रश्न 3: “आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ” – इस पंक्ति का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
✅ उत्तर:
🔸 बिंब योजना:
यह पंक्ति एक सजीव दृश्य की तरह प्रतीत होती है — जैसे राख गिर रही हो।
🔸 प्रतीकात्मकता:
‘राख’ मुख्य गायक की थकान और स्वर की कमजोरी को दर्शाता है।
🔸 ध्वनि सौंदर्य:
‘ग’ और ‘क’ की आवृत्तियाँ इस पंक्ति में गहराई और गूंज पैदा करती हैं।
🔸 भावात्मकता:
पंक्ति पाठक के भीतर करुणा, चिंता और संगतकार की महत्ता को जगाती है।

🔹 प्रश्न 4: कविता में संगीत की तकनीकी शब्दावली का प्रयोग कैसे कविता की प्रभावशीलता बढ़ाता है?
✅ उत्तर:
🔸 प्रामाणिकता:
संगीत शब्दों के प्रयोग से कविता में विशेषज्ञता का भाव आता है।


🔸 विषय की गहराई:
ये शब्द संगीत की जटिलताओं को सहजता से प्रस्तुत करते हैं।


🔸 कलात्मकता:
ये शब्द कविता को संगीतात्मक सौंदर्य प्रदान करते हैं।


🔸 दृश्यात्मकता:
इन शब्दों से पाठक के सामने संपूर्ण संगीत सभा का दृश्य उभर आता है।


🔸 संप्रेषणीयता:
संगीत प्रेमियों के लिए कविता की संवेदना और गहराई को समझना आसान होता है।

📙 विस्तृत उत्तरीय प्रश्न


🔹 प्रश्न 1: संगतकार कविता के माध्यम से मंगलेश डबराल ने समाज के किन पहलुओं पर प्रकाश डाला है? इस कविता की समसामयिक प्रासंगिकता का विश्लेषण करें।
✅ उत्तर:
🔸 समाजशास्त्रीय पहलू:
▪️ श्रम विभाजन: कुछ मुख्य भूमिका में, शेष सहायक भूमिकाओं में — परंतु असमान मान्यता।
▪️ व्यक्तिवाद बनाम सामूहिकता: कविता सामूहिक योगदान की महत्ता पर बल देती है।


🔸 मनोवैज्ञानिक आयाम:
▪️ आत्म-संयम और विनम्रता: संगतकार अपनी प्रतिभा होते हुए भी स्वयं को पीछे रखता है।
▪️ त्याग की भावना: वह व्यक्तिगत प्रसिद्धि को त्याग कर सामूहिक सफलता को प्राथमिकता देता है।


🔸 आर्थिक और राजनीतिक संदर्भ:
▪️ शक्ति संरचना: मुख्य व्यक्ति को ही सत्ता और पहचान, सहयोगी उपेक्षित।
▪️ श्रमिक वर्ग का प्रतिनिधित्व: संगतकार श्रमिक वर्ग का प्रतीक है — मेहनतकश लेकिन अनदेखा।


🔸 सांस्कृतिक महत्व:
▪️ भारतीय मूल्य: गुरु-शिष्य परंपरा, सहयोग भावना, त्याग जैसे गुणों का प्रतिपादन।
▪️ कला जगत की सच्चाई: हर मुख्य कलाकार के पीछे अनेक सहयोगी होते हैं।


🔸 समसामयिक प्रासंगिकता:
▪️ कॉर्पोरेट क्षेत्र: टॉप मैनेजमेंट को श्रेय, पर कर्मचारी उपेक्षित।
▪️ मीडिया-जगत: तकनीशियन, एडिटर्स को पहचान नहीं।
▪️ शिक्षा क्षेत्र: शिक्षक-प्रशासन को मान्यता, लेकिन सहायकों की उपेक्षा।
▪️ राजनीति व स्वास्थ्य सेवाएं: नेताओं, डॉक्टरों को पहचान, लेकिन कार्यकर्ताओं, नर्सों को नहीं।


🔸 शिक्षा और नैतिक संदेश:
▪️ सामाजिक न्याय: सभी योगदानकर्ताओं को समान पहचान मिलनी चाहिए।
▪️ टीम वर्क का महत्व: सामूहिक प्रयास ही सच्ची सफलता है।
▪️ नैतिक शिक्षा: त्याग, विनम्रता और सहयोग के मूल्य।


🔸 निष्कर्ष:
“संगतकार” एक ऐसी कविता है जो हमें सिखाती है कि किसी भी सफलता के पीछे एक सामूहिक प्रयास होता है। केवल मंच पर चमकने वाले ही नहीं, परदे के पीछे खड़े संगतकार भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। यह कविता हमें एक न्यायपूर्ण और संवेदनशील समाज के निर्माण की ओर प्रेरित करती है।

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“कभी-कभी वह यूँ ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग
और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।”


प्रश्न (5×1 = 5)


1.“वह यूँ ही दे देता है उसका साथ” में “वह” का सबसे युक्तिसंगत आशय क्या है?
(A) दर्शक, जो तालियाँ बजाता है
(B) संगत देने वाला सहकलाकार, जो संबल बनता है
(C) व्यवस्थापक, जो कार्यक्रम चलवाता है
(D) आलोचक, जो त्रुटि खोजता है
उत्तर: (B)


2.उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर कविता का केन्द्रीय विचार चुनिए।
(A) मंच-त्रुटि होने पर प्रस्तुति रोक देनी चाहिए
(B) एकल प्रदर्शन ही श्रेष्ठ है, संगत अनावश्यक है
(C) स्वर की कमी की पूर्ति संगतकार द्वारा
(D) असफलता पर कठोर दण्ड आवश्यक है
उत्तर: (C)


3.सही संयोजन चुनिए—
(i) “साथ… यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं”—कला में सहकार का नैतिक आधार है।
(ii) “हिचक साफ़ सुनाई देती है”—कवि मंचीय यथार्थ को छिपाता नहीं।
(iii) “स्वर को ऊँचा न उठाने की कोशिश”—कवि इसे असफलता मानता है।
(iv) “गाया जा चुका राग”—संकेत है कि रुकावट के बाद भी पुनः गाया जा सकता है।
विकल्प:
(A) (i), (ii), (iv) केवल
(B) (ii), (iii) केवल
(C) (i), (iii) केवल
(D) (i), (ii), (iii), (iv)
उत्तर: (A)


4.कविता का स्वर/लहजा किस प्रकार का है?
(A) उपहास और अवमानना
(B) संयत प्रोत्साहन
(C) भय और निराशा
(D) क्रोध और तिरस्कार
उत्तर: (B)


5.कथन–कारण—उपयुक्त विकल्प चुनिए।
कथन: कवि मंच पर दिखने वाली हिचक को “विफलता” नहीं, “मनुष्यता” मानता है।
कारण: कला केवल कौशल का प्रदर्शन नहीं; पारस्परिक सहकार से कलाकार को यह भरोसा मिलता है कि वह अकेला नहीं और फिर से गा सकता है।
(A) दोनों गलत हैं।
(B) कारण गलत है, किंतु कथन सही है।
(C) कथन तथा कारण दोनों सही हैं तथा कारण उसकी सही व्याख्या करता है।
(D) कथन सही है, किंतु कारण उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
उत्तर: (C)

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