Class 10 : Hindi – Lesson 5. नागार्जुन
संक्षिप्त लेखक परिचय
🟩 🌿 जीवन परिचय
🔹 नागार्जुन का जन्म 30 जून 1911 को बिहार के दरभंगा ज़िले के सतलखा गाँव में हुआ।
🔹 उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था, जो बाद में बौद्ध भिक्षु बनने पर नागार्जुन कहलाए।
🔹 वे संस्कृत, पालि, प्राकृत, मैथिली, हिंदी और बंगला के प्रकांड विद्वान थे।
🔹 उनका जीवन सरल, संघर्षपूर्ण और समाज के प्रति समर्पित रहा।
🔹 5 नवंबर 1998 को पटना में उनका निधन हुआ।
🟦 📚 साहित्यिक योगदान
🖋️ नागार्जुन जनकवि के रूप में जाने जाते हैं, जिनकी लेखनी में क्रांति, चेतना और जन-संघर्ष की गूँज है।
🌾 उन्होंने कविता, उपन्यास, यात्रा-वृत्तांत, निबंध और बाल साहित्य सभी विधाओं में योगदान दिया।
📖 उनकी रचनाओं में आम जन की आवाज़, राजनीतिक जागरूकता और सामाजिक अन्याय के विरुद्ध तीव्र प्रतिरोध देखने को मिलता है।
🌟 प्रसिद्ध कविताएँ: भोजपुरी रेल, मंत्र, बादल को घिरते देखा है, सतरंगे पंखों वाली
📘 प्रमुख उपन्यास: बलचनमा, रतिनाथ की चाची, बाबा बटेसरनाथ, वरुण के बेटे
🔥 उन्होंने आपातकाल के विरोध में निर्भीकता से लिखा और सत्ता को चुनौती दी।
🗣️ उनकी भाषा जनभाषा थी — सरल, तीखी, व्यंग्यात्मक और प्रभावशाली।
🏆 उन्हें भारतीय साहित्य में जनता की आत्मा का कवि कहा जाता है।
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पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन

🟩 📌 कविता का केंद्रीय भाव
🟢 यह कविता एक पिता के हृदय में उमड़ते वात्सल्य भाव को दर्शाती है।
🟢 कवि नवजात शिशु की मुस्कान में ऐसा आकर्षण देखता है जो मृत व्यक्ति में भी जीवन की लौ जगा सकती है।
🟢 यह रचना बाल मनोविज्ञान, पारिवारिक स्नेह और मानवीय संवेदनाओं की उत्कृष्ट झलक है।
🟦 📝 पृष्ठभूमि और संदर्भ
🔶 यह कविता एक घुमंतू प्रवासी पिता की भावना है जो पहली बार अपने पुत्र से मिल रहा है।
🔶 यह अनुभव व्यक्तिगत भी है क्योंकि स्वयं कवि लंबे समय तक घर से दूर रहे थे।
🔶 यही वास्तविक अनुभव कविता को प्रामाणिकता और आत्मीयता प्रदान करता है।
🟧 🎯 पदबद्ध व्याख्या
🔷 🔹 प्रथम खंड
तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान
मृतक में भी डाल देगी जान
🟡 नवजात की छोटी-छोटी दाँतों वाली मुस्कान कवि को अत्यंत प्रभावशाली लगती है।
🟡 यह मुस्कान इतनी शक्तिशाली है कि यह जीवन से थके हारे व्यक्ति में भी नई चेतना भर सकती है।
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
बाँस था कि बबूल?
🟡 कवि कहता है कि उसके हृदय में पहले कठोरता थी (बाँस, बबूल जैसे), लेकिन पुत्र के कोमल स्पर्श ने उसमें शेफालिका जैसे कोमल भाव भर दिए।
🔷 🔹 द्वितीय खंड
तुम मुझे पाए नहीं पहचान?
देखते ही रहोगे अनिमेष!
🟡 बालक अपने पिता को पहली बार देख रहा है, वह पहचान नहीं पा रहा लेकिन उसकी नज़रें टिकी हुई हैं।
🟡 यह बाल मनोविज्ञान का सजीव चित्र है।
यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती
आज मैं न सकता देख
मैं न पाता जान
तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान
🟡 कवि यह स्वीकार करता है कि माँ के बिना वह पुत्र की मुस्कान को देख ही नहीं पाता।
🟡 यहाँ माँ की भूमिका को सम्मान दिया गया है।
🔷 🔹 तृतीय खंड
धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
🟡 कवि पुत्र और उसकी माँ दोनों को धन्य कहता है।
🟡 वह स्वयं को इस प्रेमिल वातावरण से अलग मानता है — एक चिर प्रवासी के रूप में।
उँगलियाँ माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
🟡 यहाँ माँ के स्नेह को मधुपर्क (पंचामृत) से तुलना की गई है — यह पोषण, प्रेम और जीवनदायिनी है।
🟩 🎨 काव्य विशेषताएँ
🔸 भाषा और शैली — सरल, प्रवाहपूर्ण और भावप्रवण भाषा, तत्सम शब्दों का सुंदर प्रयोग
🔸 छंद — मुक्त छंद में रचना, जिसमें भावों की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है
🔸 बिम्ब और प्रतीक —
🍂 कमल (जलजात) – कोमलता और सुंदरता
🪨 पाषाण – कठोर हृदय
🌵 बाँस और बबूल – रूखापन
🌸 शेफालिका – सरसता और कोमलता
🟦 💞 वैचारिक पक्ष
🟡 बाल मनोविज्ञान — शिशु के व्यवहार का सजीव चित्रण किया गया है।
🟡 मातृत्व की महत्ता — माँ के स्नेह और भूमिका को विशेष सम्मान दिया गया है।
🟡 पारिवारिक स्नेह — कविता पारिवारिक संबंधों की गरिमा को ऊँचाई देती है।
🟡 प्रकृति-संवाद — प्रकृति के प्रतीकों से मानव भावनाओं को सुंदरता से जोड़ा गया है।
🟨 📣 समसामयिक संदेश
🔸 यह कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जब पारिवारिक समय, स्नेह और बच्चों के संग बिताए क्षणों की कमी महसूस की जाती है।
🔸 यह कविता स्मरण दिलाती है कि एक मुस्कान जीवन की कठोरता को भी सहज कर सकती है।
🟧 📚 साहित्यिक मूल्य
🟡 यह कविता भाव और विचार की गहराई का दुर्लभ संगम है।
🟡 यह व्यक्तिगत अनुभव को सार्वभौमिक बनाकर प्रस्तुत करती है।
🟡 बाल भावनाओं का इतना सूक्ष्म और आत्मीय चित्रण हिंदी साहित्य में विरल है।
🟩 📌 सारांश (१०० शब्दों में)
यह कविता एक प्रवासी पिता की अपने नवजात शिशु से पहली बार मिलने की अनुभूति का चित्रण है। शिशु की दंतुरित मुस्कान उसे मंत्रमुग्ध कर देती है। कवि को लगता है कि इस मुस्कान में मृत को भी जीवन देने की शक्ति है। वह माँ की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हुए उसे धन्य कहता है। बालक की मासूम हरकतें, माँ का स्नेह और अपनी दूरी की अनुभूति — इन सभी भावों को कवि ने अत्यंत कोमलता से व्यक्त किया है। यह रचना पारिवारिक स्नेह, बाल मनोविज्ञान और मानवीय भावनाओं की सशक्त प्रस्तुति है।
🟩 📌 कविता का केंद्रीय संदेश
🔸 यह कविता हमें यह समझाती है कि फसल केवल किसी एक व्यक्ति या तत्व का परिणाम नहीं है।
🔸 यह अनेक प्राकृतिक शक्तियों और मानव श्रम के सहयोग से उत्पन्न होती है।
🔸 इसमें सामूहिक प्रयास, प्रकृति के नियम और मेहनतकश हाथों की गरिमा निहित है।
🟦 📝 पदबद्ध विवेचना
🔷 🔹 प्रथम खंड
एक की नहीं, दो की नहीं, ढेर सारी नदियों के पानी का जादू
🟡 कवि बताता है कि फसल केवल एक या दो नदियों के जल से नहीं उगती, बल्कि असंख्य नदियों के जल से भूमि को सींचा जाता है।
🟡 जल का “जादू” उसकी जीवनदायिनी शक्ति को इंगित करता है।
लाख-लाख, कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा
🟢 फसल में केवल किसान ही नहीं, अनेक मज़दूरों, स्त्रियों, बच्चों और खेतिहर समुदायों के श्रम का योगदान होता है।
🟢 “गरिमा” शब्द श्रम को मान-सम्मान से जोड़ता है।
हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म
🟠 मिट्टी के विविध प्रकार (काली, भूरी, लाल) — सभी अपनी विशेषताओं के साथ फसल को उगाने में भाग लेते हैं।
🟠 यह प्रकृति की विविधता का संदेश भी देता है।
🔷 🔹 द्वितीय खंड
फसल क्या है? और तो कुछ नहीं है वह
🔴 कवि स्वयं प्रश्न करता है और उत्तर भी देता है — यह दर्शाता है कि फसल कोई अलग वस्तु नहीं, बल्कि सहयोग और सृजन का परिणाम है।
नदियों के पानी का जादू है वह, हाथों के स्पर्श की महिमा है
🟣 यह पंक्ति फसल में जल और श्रम की भूमिका को प्रमुखता देती है।
भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है
🔵 मिट्टी के विभिन्न रंग — विविधता के साथ योगदान का प्रतीक हैं।
सूरज की किरणों का रूपांतर है
🟤 सूर्य की ऊष्मा से पौधों में जीवन आता है, जिससे अंततः फसल बनती है।
हवा की थिरकन का सिमटा हुआ संकोच है
🟢 हवा का स्पर्श, परागण और जीवन ऊर्जा — सब मिलकर फसल को आकार देते हैं।
🟩 🎨 काव्यगत विशेषताएँ
🔸 भाषा और शैली
🟠 आम बोलचाल की भाषा, सहजता और प्रवाहपूर्ण शैली
🟠 मुक्त छंद का प्रयोग, जिससे भावों को पूरी स्वतंत्रता मिली है
🔸 अलंकार
🟡 पुनरुक्ति अलंकार — “एक की नहीं, दो की नहीं…” का प्रयोग कविता को लयबद्ध बनाता है।
🔸 प्रतीक योजना
💧 नदियों का पानी – जीवनदायिनी शक्ति
✋ हाथों का स्पर्श – मानव श्रम का आदर
🪨 मिट्टी का गुण धर्म – विविधता और उपज
☀️ सूरज की किरणें – ऊर्जा और पोषण
🌬️ हवा की थिरकन – जीवन संचरण का प्रतीक
🟦 💡 वैचारिक आयाम
🔹 सामूहिकता का संदेश
🟢 फसल केवल किसी एक का काम नहीं — यह सामूहिक प्रयास का प्रतीक है।
🔹 श्रम की महत्ता
🟡 मानव श्रम को गरिमामय रूप में दर्शाया गया है।
🔹 प्रकृति और मनुष्य का सहयोग
🔴 न तो केवल प्रकृति और न ही केवल मनुष्य — दोनों के सहयोग से सृजन होता है।
🔹 कृषि संस्कृति का महत्व
🟠 यह कविता हमें जड़ों से जोड़ती है — कृषि हमारी संस्कृति और अस्तित्व का आधार है।
🟨 📣 समसामयिक प्रासंगिकता
🍚 खाद्य सुरक्षा का मूल आधार — कृषि
🌱 पर्यावरण संतुलन में योगदान — खेती
🤝 सहयोग और सामूहिकता का अभ्यास
🧬 मिट्टी की विविधता को संरक्षित रखने का संदेश
🟧 📚 साहित्यिक महत्व
🔹 यह कविता प्रगतिशील काव्यधारा का उत्कृष्ट उदाहरण है।
🔹 इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय चेतना को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
🔹 कविता की सहजता इसे जन-जन तक पहुँचाने में समर्थ बनाती है।
🟩 🌍 प्रमुख संदेश
🌾 श्रम का सम्मान करो
🌳 प्रकृति से तालमेल बनाकर चलो
👨🌾 कृषि संस्कृति को समझो और सम्मान दो
💬 मिल-जुलकर काम करने से ही सच्चा सृजन होता है
🟦 📌 सारांश (१०० शब्दों में)
फसल कविता में कवि ने यह स्पष्ट किया है कि फसल केवल किसी एक व्यक्ति, नदी या खेत का परिणाम नहीं है। इसमें जल, वायु, सूर्य, मिट्टी और करोड़ों हाथों के श्रम का योगदान है। यह कविता प्राकृतिक तत्त्वों और मानवीय प्रयासों के सामूहिक समन्वय को दर्शाती है। कवि इसे सृजन का सुंदर उदाहरण मानते हैं। यह रचना हमें श्रम के प्रति सम्मान, प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और कृषि संस्कृति के गौरव को समझने की प्रेरणा देती है।
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1: बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: बच्चे की दंतुरित मुस्कान कवि के मन को अत्यंत प्रभावित करती है। वह इतनी मनमोहक लगती है कि कवि को लगता है यह मृतक में भी जीवन का संचार कर सकती है। इस मुस्कान ने कवि के कठोर हृदय को कोमल बना दिया, उसकी झोंपड़ी में जैसे कमल के फूल खिल उठे हों। यह मुस्कान कवि के भीतर वात्सल्य भाव जगा देती है।
प्रश्न 2: बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्ति की मुस्कान में क्या अंतर है?
उत्तर:
🔸 बच्चे की मुस्कान
निष्कलंक और स्वाभाविक होती है
बिना स्वार्थ के आती है
सहज, निश्छल और मोहक होती है
सभी को आकर्षित करती है
🔸 बड़े व्यक्ति की मुस्कान
कई बार कृत्रिम या औपचारिक होती है
सामाजिक दबाव या स्वार्थ से प्रेरित हो सकती है
इसकी आत्मीयता सीमित होती है
प्रश्न 3: कवि ने बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों से प्रकट किया है?
उत्तर:
मृतक में जान डालना
तालाब छोड़कर झोंपड़ी में खिले कमल
कठोर पाषाण का पिघलना
शेफालिका के फूलों का झरना
तिरछी नज़र से देख मुस्कुराना
प्रश्न 4: भाव स्पष्ट कीजिए – “छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात।”
उत्तर: कवि बच्चे की सुंदरता की तुलना कमल के फूल से करता है। वह कहता है कि यह मुस्कान इतनी कोमल और मनभावन है कि जैसे तालाब का कमल उसके घर आकर खिल गया हो। यह वात्सल्य और सौंदर्य का अद्भुत चित्र है।
प्रश्न 5: भाव स्पष्ट कीजिए – “छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल, बाँस था कि बबूल?”
उत्तर: कवि कहता है कि पहले उसका मन कठोर था, जैसे बाँस या बबूल। लेकिन शिशु के कोमल स्पर्श से वह कोमल बन गया, जैसे शेफालिका के फूल झरने लगे हों। यह स्पर्श मन की कठोरता को भी प्रेम में बदल देता है।
प्रश्न 6: मुस्कान और क्रोध से वातावरण में क्या भिन्नता आती है?
उत्तर:
🔸 मुस्कान का प्रभाव
वातावरण आनंदमय हो जाता है
स्नेह और अपनापन बढ़ता है
कठोर हृदय भी पिघल जाता है
🔸 क्रोध का प्रभाव
डर और तनाव का माहौल बनता है
अशांति और वैमनस्य फैलता है
रिश्तों में दूरी आ जाती है
प्रश्न 7: दंतुरित मुस्कान से बच्चे की उम्र का अनुमान क्या है?
उत्तर: दंतुरित मुस्कान देखकर बच्चे की उम्र लगभग ६ से ८ महीने आंकी जा सकती है क्योंकि इसी समय दूध के दाँत निकलते हैं। बच्चा इस उम्र में पहचानने की कोशिश करता है, तिरछी नज़र से देखता है, और माँ की देखरेख में पोषण प्राप्त करता है।
प्रश्न 8: कवि और बच्चे की पहली मुलाकात का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर: कवि लंबे समय बाद घर लौटा है और पहली बार अपने शिशु से मिल रहा है। बच्चा कवि को पहचान नहीं पाता और अनिमेष देखता रहता है। फिर तिरछी नज़र से देखकर मुस्कराता है। माँ बीच का माध्यम बनती है और अपने स्नेह से दोनों के बीच भावनात्मक पुल बनाती है।
🟩 भाग 2 — फसल : प्रश्न–उत्तर
प्रश्न 1: कवि के अनुसार फसल क्या है?
उत्तर: फसल केवल किसी एक का काम नहीं है। यह नदियों के जल, सूरज की किरणों, हवा की थिरकन, मिट्टी के गुण–धर्म और लाखों हाथों के श्रम का परिणाम है। यह प्रकृति और मनुष्य के सहयोग से उत्पन्न होती है।
प्रश्न 2: फसल उपजाने के लिए कौन-कौन से तत्व आवश्यक हैं?
उत्तर:
🔸 प्राकृतिक तत्व — जल, सूर्य, मिट्टी, वायु
🔸 मानवीय तत्व — श्रमिकों के हाथ, किसानों का परिश्रम, सामूहिक सहयोग
प्रश्न 3: ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ से कवि क्या अभिप्राय देता है?
उत्तर: कवि कहना चाहता है कि फसल में मानव श्रम का अद्भुत योगदान है। श्रम को छोटा न समझें — यह सृजन की नींव है। हाथों का स्पर्श केवल श्रम नहीं, वह जीवनदायिनी शक्ति है।
प्रश्न 4: भाव स्पष्ट कीजिए – “रूपांतर है सूरज की किरणों का, सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!”
उत्तर: फसल में सूर्य की किरणें ऊर्जा रूप में समाहित होती हैं और हवा की मंद गति यानी थिरकन परागण में सहायता करती है। इन दोनों का सघन प्रभाव फसल को जीवन देता है।
प्रश्न 5 (क): मिट्टी के गुण–धर्म से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: मिट्टी की उर्वरता, जलधारण क्षमता, खनिज तत्वों की उपस्थिति, सूक्ष्म जीवों का सहयोग — ये सभी मिट्टी के गुण–धर्म को दर्शाते हैं।
प्रश्न 5 (ख): वर्तमान जीवनशैली मिट्टी को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर: रासायनिक उर्वरकों का अधिक उपयोग, कीटनाशकों का प्रयोग, जलभराव, भूमि कटाव और कार्बनिक तत्वों की कमी — ये सभी मिट्टी की गुणवत्ता को नुकसान पहुँचाते हैं।
प्रश्न 5 (ग): अगर मिट्टी अपना गुण–धर्म छोड़ दे तो क्या होगा?
उत्तर: फसलें उगनी बंद हो जाएँगी, भोजन की कमी होगी, पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट होगा, और मानव जीवन संकट में पड़ जाएगा।
प्रश्न 5 (घ): हम मिट्टी के गुण–धर्म को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं?
उत्तर:
जैविक खाद और गोबर खाद का प्रयोग करें
रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कम करें
वृक्षारोपण और भूमि संरक्षण करें
किसानों को जागरूक करें
फसल चक्र अपनाएँ
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
🟩 भाग 1 : बहुविकल्पीय प्रश्न (५ प्रश्न)
🔶 प्रश्न 1: नागार्जुन के वात्सल्य भाव की कविताओं में मुख्य विषय क्या है?
🔸 (क) राजनीतिक विरोध
🔸 (ख) पारिवारिक प्रेम और बच्चों की निर्दोषता
🔸 (ग) प्रकृति संरक्षण
🔸 (घ) सामाजिक न्याय
🟢 उत्तर: (ख) पारिवारिक प्रेम और बच्चों की निर्दोषता
🔷 प्रश्न 2: “फसल” कविता में कवि किस संदेश को मुख्य रूप से व्यक्त करता है?
🔸 (क) केवल प्रकृति का महत्व
🔸 (ख) केवल किसान का श्रम
🔸 (ग) प्रकृति और मानव श्रम का सामूहिक योगदान
🔸 (घ) आधुनिक तकनीक की आवश्यकता
🟢 उत्तर: (ग) प्रकृति और मानव श्रम का सामूहिक योगदान
🔶 प्रश्न 3: “मधुपर्क” शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है?
🔸 (क) शहद का व्यापार
🔸 (ख) माँ के स्नेहभरे स्पर्श और पोषण
🔸 (ग) धार्मिक अनुष्ठान
🔸 (घ) त्योहारी भोजन
🟢 उत्तर: (ख) माँ के स्नेहभरे स्पर्श और पोषण
🔷 प्रश्न 4: नागार्जुन की काव्य भाषा की मुख्य विशेषता क्या है?
🔸 (क) संस्कृतनिष्ठ क्लिष्ट भाषा
🔸 (ख) अरबी-फारसी शब्दावली
🔸 (ग) सरल, सहज और बोधगम्य भाषा
🔸 (घ) विदेशी शब्दों का अधिक प्रयोग
🟢 उत्तर: (ग) सरल, सहज और बोधगम्य भाषा
🔶 प्रश्न 5: “कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा” से कवि का क्या तात्पर्य है?
🔸 (क) राजा-महाराजाओं के हाथ
🔸 (ख) करोड़ों किसानों और श्रमिकों के परिश्रम
🔸 (ग) मशीनों का योगदान
🔸 (घ) पुजारियों के आशीर्वाद
🟢 उत्तर: (ख) करोड़ों किसानों और श्रमिकों के परिश्रम
🟦 भाग 2 : लघु उत्तरीय प्रश्न (५ प्रश्न)
🔷 प्रश्न 1: “बाँस था कि बबूल” पंक्ति का काव्यार्थ स्पष्ट कीजिए।
🟢 उत्तर: इस पंक्ति में कवि अपने मन की कठोरता को दर्शाता है। बाँस और बबूल जैसे कठोर और शुष्क वृक्षों की तरह उसका मन भी पहले कठोर था। लेकिन शिशु के स्पर्श से उसमें कोमलता और स्नेह आ गया, जैसे शेफालिका के फूल झरने लगे हों। यह बाल स्नेह की परिवर्तनकारी शक्ति को दर्शाता है।
🔶 प्रश्न 2: नागार्जुन को “चिर प्रवासी” क्यों कहा गया है?
🟢 उत्तर: कवि लंबे समय तक अपने घर और परिवार से दूर रहे थे। वे बौद्ध धर्म की दीक्षा के लिए विदेश गए थे और वर्षों बाद लौटे। इस दूरी और विलगाव को ही उन्होंने “चिर प्रवासी” शब्द से व्यक्त किया है।
🔷 प्रश्न 3: “फसल” कविता में प्रकृति के किन तत्वों का उल्लेख है?
🟢 उत्तर: कविता में जल, मिट्टी, सूर्य की किरणें और हवा जैसे प्राकृतिक तत्वों का उल्लेख किया गया है। यह सभी मिलकर फसल को जीवन प्रदान करते हैं और सहयोग की भावना को दर्शाते हैं।
🔶 प्रश्न 4: “अनिमेष” शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है?
🟢 उत्तर: “अनिमेष” का अर्थ है बिना पलक झपकाए देखना। यह शिशु की जिज्ञासा को दर्शाता है। वह अपने पिता को पहली बार देख रहा है और पहचानने का प्रयास कर रहा है — इसीलिए एकटक देखता है।
🔷 प्रश्न 5: नागार्जुन की कविता में वात्सल्य रस की अभिव्यक्ति कैसे हुई है?
🟢 उत्तर: कवि ने अपने पुत्र की मुस्कान में प्रेम, कोमलता और अपनत्व को देखा। पिता की चिंता, स्नेह और गर्व के भाव — सभी पंक्तियों में परिलक्षित होते हैं। यह वात्सल्य रस की मधुर और जीवंत अभिव्यक्ति है।
🟩 भाग 3 : मध्यम उत्तरीय प्रश्न (४ प्रश्न)
🔶 प्रश्न 1: नागार्जुन की कविताओं में प्रकृति और मानव के संबंधों का चित्रण कीजिए।
🟢 उत्तर: कवि ने प्रकृति और मनुष्य को सहयोगी बताया है। “फसल” में जल, मिट्टी, सूर्य और हवा जैसे तत्त्व मानव श्रम के साथ मिलकर फसल उत्पन्न करते हैं। इसी प्रकार “दंतुरित मुस्कान” में भी कमल, बबूल, पाषाण जैसे प्रतीकों से भावों को प्रकट किया गया है। कवि प्रकृति को सजीव और संवेदनशील रूप में प्रस्तुत करते हैं।
🔷 प्रश्न 2: “यह दंतुरित मुस्कान” कविता में बाल मनोविज्ञान का चित्रण कैसे हुआ है?
🟢 उत्तर: कविता में शिशु की जिज्ञासा, उसकी पहचान की प्रक्रिया, माँ पर निर्भरता और उसकी सहज भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ जैसे मुस्कुराना — ये सभी बाल मनोविज्ञान के सूक्ष्म पहलुओं को दर्शाते हैं।
🔶 प्रश्न 3: “फसल” कविता के माध्यम से श्रम की गरिमा का चित्रण कीजिए।
🟢 उत्तर: फसल को कवि ने “हाथों के स्पर्श की गरिमा” कहा है, जिससे श्रमिकों और किसानों के श्रम को प्रतिष्ठा मिली है। कविता यह बताती है कि फसल अकेले किसी तकनीक या प्रकृति का परिणाम नहीं, बल्कि सामूहिक श्रम का सजीव उदाहरण है।
🔷 प्रश्न 4: नागार्जुन की काव्य भाषा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
🟢 उत्तर: उनकी भाषा सरल, सुगम, लोकप्रचलित शब्दों से युक्त होती है। वे मुक्त छंद में लिखते हैं। बिंब और प्रतीकों का सहज प्रयोग, भावनात्मक गहराई, और लयात्मकता उनकी शैली की प्रमुख विशेषताएँ हैं।
🟦 भाग 4 : विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (१ प्रश्न)
🔶 प्रश्न: नागार्जुन की कविताओं “यह दंतुरित मुस्कान” और “फसल” के आधार पर उनके काव्य-संसार की विशेषताओं का विस्तार से विवेचन कीजिए।
🟢 उत्तर: नागार्जुन की कविताएँ मानवीय संवेदनाओं, प्रकृति के साथ तादात्म्य और सामाजिक चेतना की अभिव्यक्ति हैं। “यह दंतुरित मुस्कान” में उन्होंने वात्सल्य और बाल मनोविज्ञान को अत्यंत कोमलता से प्रस्तुत किया है। वहीं “फसल” में सामूहिक श्रम, प्रकृति के सहयोग और किसान की मेहनत को गरिमा प्रदान की है। वे व्यक्तिगत अनुभवों को सार्वभौमिकता के धरातल पर ले जाते हैं। उनकी भाषा सरल, बिंब प्रभावशाली और प्रतीक योजना सशक्त होती है। वे न केवल कविता के माध्यम से भावनाएँ जगाते हैं, बल्कि सामाजिक चेतना को भी जागृत करते हैं। उनका काव्य-संसार प्रेम, श्रम, करुणा, सृजन और प्रकृति की संवेदनशीलता से परिपूर्ण है।
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“पाठ में से पद्यांश एवं प्रश्नोत्तर”
नागार्जुन : यह दंतुरित मुस्कान
“तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात…
छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण”
प्रश्न (5×1 = 5)
1.“मृतक में भी डाल देगी जान” से काव्य-भाव का मुख्य अभिप्राय चुनिए।
(A) भय का संचार
(B) जीवन-विश्वास
(C) सामाजिक विद्रोह
(D) दार्शनिक वैराग्य
उत्तर: (B)
2.“झोंपड़ी में खिल रहे जलजात” किस बिंब का रूपान्तर है?
(A) तालाब के कमलों का वास्तविक दृश्य
(B) बच्चे के दाँतों की उज्ज्वल पंक्तियाँ
(C) घर की सजावट के पुष्प
(D) आकाश के तारे
उत्तर: (B)
3..उचित संयोजन चुनिए—
(i) “परस पाकर तुम्हारा ही प्राण” स्पर्श और प्राण की एकात्मता का संकेत देता है।
(ii) कवि का परिवेश अभिजात शहरी ऐश्वर्य का है।
(iii) “कठिन पाषाण” का “जल बन जाना” संवेदना-प्रेरित रूपान्तरण है।
(iv) “धूलि-धूसर गात” से बाल-खेल की सहजता और दरिद्र लोक-यथार्थ की छाया साथ उभरती है।
विकल्प:
(A) (i), (iii), (iv) केवल
(B) (ii), (iii) केवल
(C) (i), (ii) केवल
(D) (i), (ii), (iii), (iv)
उत्तर: (A)
4..पद्यांश के स्वर का उपयुक्त निर्धारण चुनिए।
(A) वात्सल्य का प्रसरण,
(B) रौद्र
(C) शान्त निष्प्रभाव
(D) भयानक
उत्तर: (A)
5..कथन–कारण चुनिए।
कथन: कवि ‘दंतुरित मुस्कान’ को जीवनदायी शक्ति के प्रतीक रूप में प्रतिष्ठित करता है।
कारण: “कठिन पाषाण” का “जल बन जाना” और “मृतक में जान” लग जाना—दोनों उसी जीवन-संचार की प्रभाव-रेखाएँ हैं।
(A) दोनों गलत हैं।
(B) कथन सही है, कारण गलत है।
(C) कथन तथा कारण दोनों सही हैं तथा कारण उसकी सही व्याख्या करता है।
(D) कथन सही है, किंतु कारण उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
उत्तर: (C)
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