Class 10, Hindi

Class 10 : Hindi – Lesson 4. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

संक्षिप्त लेखक परिचय

🌟 सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ 🌟

📜 जन्म एवं जीवन परिचय
🔵 सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म 21 फरवरी 1896 ई. में महिषादल (मेदिनीपुर, बंगाल) में हुआ था।
🟢 उनका बचपन गरीबी, संघर्ष और विषमताओं में बीता, किंतु इन कठिन परिस्थितियों ने ही उनके व्यक्तित्व को दृढ़ और संवेदनशील बनाया।
💠 उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा बंगला माध्यम से प्राप्त की और बाद में हिंदी साहित्य की ओर रुख किया।
🌿 वे अपने जीवन में स्वतंत्र विचारों, सामाजिक चेतना और मानवतावादी दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध रहे।
🕊️ निराला ने साहित्य को लोकजीवन से जोड़ते हुए उसे समाज सुधार का माध्यम बनाया।

📚 साहित्यिक योगदान एवं कृतियाँ
✨ निराला हिंदी छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक थे।
💫 उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं — काव्य संग्रह : अनामिका, परिमल, गीतिका; उपन्यास : अप्सरा, अलका, प्रभा; तथा कहानी संग्रह : लिली, सुकुल की बीवी।
🌸 उनकी रचनाओं में विद्रोह, करुणा, सौंदर्य और समाज के यथार्थ का अद्भुत संगम है।
💎 निराला ने हिंदी कविता को नई अभिव्यक्ति, स्वतंत्रता और प्रयोगधर्मी दिशा दी, इसलिए उन्हें “आधुनिक हिंदी कविता का पथप्रदर्शक” कहा जाता है।

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पाठ का विश्लेषण  एवं  विवेचन

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता “उत्साह” – व्याख्या एवं सारांश
🌟 विस्तृत व्याख्या
महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता “उत्साह” हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण आह्वान गीत है। यह छायावादी काव्य परंपरा का श्रेष्ठ उदाहरण है, जिसमें प्रकृति के माध्यम से समाज और मानव जीवन को जाग्रत करने का संदेश दिया गया है।


🌼 कविता की मूल संवेदना
इस कविता में कवि ने बादल को एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है। बादल एक ओर प्यासी धरती की प्यास बुझाने वाले हैं, तो दूसरी ओर वे विध्वंस, विप्लव और क्रांति की चेतना का भी प्रतीक हैं। कविता दो स्तरों पर कार्य करती है –
🔹 प्रकृति चित्रण
🔹 सामाजिक क्रांति का आह्वान


🌿 प्रथम पद की व्याख्या
“घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!” पंक्ति में कवि बादलों से कहता है कि वे गर्जना करते हुए पूरे आकाश को घेर लें।
“ललित ललित, काले घुंघराले” में बादलों का सुंदर चित्रण है, जिन्हें काले घुंघराले बालों से तुलना की गई है।
“बाल कल्पना के-से पाले” – यहां बादलों को बच्चों की निर्मल कल्पना जैसा कोमल बताया गया है।
“विद्युत-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!” – यहां बादलों को कवि की संज्ञा दी गई है, जिनके हृदय में बिजली की चमक और नवजीवन की शक्ति है।


💧 द्वितीय पद का भावार्थ
“वज्र छिपा, नूतन कविता फिर भर दो” में कवि बादलों से निवेदन करता है कि वे अपनी विध्वंसक शक्ति को छिपाकर रचनात्मक ऊर्जा से संसार को भर दें। इसका आशय यह है कि क्रांति हो लेकिन वह रचनात्मक और निर्माणकारी हो, विनाशकारी नहीं।


☀️ द्वितीय काव्यांश की व्याख्या
“विकल विकल, उन्मन थे उन्मन / विश्व के निदाघ के सकल जन” – ग्रीष्म की प्रचंड गर्मी से संसार व्याकुल था। “निदाघ” केवल गर्मी का प्रतीक नहीं, बल्कि सामाजिक अन्याय और शोषण का भी प्रतीक है।
“आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!” – बादलों का अकस्मात आगमन दर्शाया गया है।
“तप्त धरा, जल से फिर / शीतल कर दो – बादल, गरजो!” – धरती को वर्षा से शीतल करने का आह्वान है, जो सामाजिक शांति और परिवर्तन का संकेत है।


✨ काव्य की विशेषताएं
🔸 मुक्त छंद का प्रयोग
🔸 नाद-सौंदर्य की प्रधानता
🔸 अनुप्रास अलंकार और ध्वनि-सौंदर्य
“घेर घेर घोर गगन”, “ललित ललित”, “विकल विकल” जैसे पद कविता में लय और संगीतात्मकता भरते हैं।


🌈 प्रतीकात्मक अर्थ
कविता में बादल युवाशक्ति का प्रतीक हैं। कवि चाहता है कि युवा बादलों की तरह गरजें और समाज में क्रांति की लहर जगाएं। पुरानी रूढ़ियों को समाप्त कर नया समाज बनाने की प्रेरणा यहां निहित है।
🖋 भाषा और शैली
कविता की भाषा खड़ी बोली है जिसमें तत्सम शब्दों की प्रधानता है – “धाराधर”, “विद्युत-छबि”, “निदाघ”, “अनंत”। मानवीकरण अलंकार द्वारा बादलों को मानवीय गुण प्रदान किए गए हैं।


⏳ समसामयिक संदेश
यह कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी अपने समय में थी। यह युवाओं को निष्क्रियता छोड़कर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करती है।

📜 सारांश
“उत्साह” सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की एक प्रसिद्ध आह्वान कविता है, जो छायावादी काव्य की उत्कृष्ट कृति है।


🌟 मूल विषय
कविता में बादल केंद्रीय प्रतीक हैं, जो प्राकृतिक और सामाजिक – दोनों अर्थ रखते हैं। वे वर्षा द्वारा धरती की प्यास बुझाते हैं और साथ ही क्रांति एवं परिवर्तन के प्रतीक भी हैं।


🌿 काव्य संरचना
कविता दो मुख्य भागों में विभाजित है –
1️⃣ प्रथम भाग में बादलों का चित्रण और उनसे गर्जना का आह्वान।
2️⃣ द्वितीय भाग में ग्रीष्म से तप्त धरती और जन-व्याकुलता का वर्णन।


🌈 प्रमुख संदेश
युवाओं से आह्वान है कि वे बादलों की तरह गर्जें, पुरानी रूढ़ियों को तोड़ें और नए समाज के निर्माण में योगदान दें।


🎶 काव्य सौंदर्य
मुक्त छंद, नाद-सौंदर्य, अनुप्रास अलंकार और ध्वन्यात्मक प्रयोग इस कविता को विशिष्ट बनाते हैं। “घेर घेर घोर गगन” जैसे पद कविता को संगीतात्मक लय देते हैं।
⏳ समसामयिकता
आज भी यह कविता उतनी ही प्रेरणादायी है और युवाओं को सक्रिय भागीदारी व परिवर्तन के लिए उत्साहित करती है। निराला जी का यह काव्य हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर है।

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता “अट नहीं रही है” – व्याख्या एवं सारांश


🌟 विस्तृत व्याख्या
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता “अट नहीं रही है” वसंत ऋतु के फागुन मास की अद्भुत प्राकृतिक छटा का मनोहारी चित्रण करती है। यह छायावादी काव्य परंपरा का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें प्रकृति के सौंदर्य और उसकी मादकता का सजीव वर्णन मिलता है।


🌼 काव्य का केंद्रीय भाव
कविता का मुख्य विषय फागुन मास में प्रकृति के अनुपम सौंदर्य का चित्रण है। निराला जी ने फागुन को मानवीकृत करते हुए उसकी मादकता, सुगंध और रंगीन छटा को जीवन्त रूप में प्रस्तुत किया है।


🌿 प्रथम काव्यांश की व्याख्या
“अट नहीं रही है / आभा फागुन की तन / सट नहीं रही है” – कवि कहता है कि फागुन की आभा इतनी प्रबल और व्यापक है कि वह प्रकृति के शरीर में समा ही नहीं पा रही, बल्कि हर ओर छलक रही है।
“कहीं सांस लेते हो / घर-घर भर देते हो” – यहां फागुन को जीवन देने वाली शक्ति के रूप में दिखाया गया है, जो जहां भी सांस लेता है वहां फूलों की सुगंध और मादकता से वातावरण भर देता है।
“उड़ने को नभ में तुम / पर-पर कर देते हो” – यह पंक्ति पक्षियों की प्रसन्न उड़ान और मनुष्यों के हृदय में उठने वाले उत्साह दोनों का चित्रण करती है।
“आंख हटाता हूं तो / हट नहीं रही है” – कवि स्वीकार करता है कि फागुन की छटा इतनी मनमोहक है कि दृष्टि चाहकर भी उससे हटाई नहीं जा सकती।


🍃 द्वितीय काव्यांश का भावार्थ
“पत्तों से लदी डाल / कहीं हरी, कहीं लाल” – पेड़ों की डालियों पर कहीं हरे तो कहीं लाल पत्ते लहराते हैं, जो वसंत की रंगीन छटा का प्रतीक हैं।
“कहीं पड़ी है उर में / मंद-गंध-पुष्प-माल” – प्रकृति के हृदय में मानो फूलों की हल्की सुगंध वाली मालाएं सजाई गई हों।
“पाट-पाट शोभा-श्री / पट नहीं रही है” – प्राकृतिक शोभा इतनी व्यापक है कि वह अपने स्थान पर ढकने से भी नहीं ढक पा रही, बल्कि चारों ओर फैल रही है।

✨ काव्य तकनीक और भाषा
कविता में मानवीकरण अलंकार का सुंदर प्रयोग हुआ है, जिसमें फागुन को जीवंत मानकर वर्णित किया गया है। “अट-सट”, “हट-पट” जैसे युग्मक शब्द कविता में लय और संगीतात्मकता भरते हैं।
🌈 कविता का संदेश
निराला जी इस कविता के माध्यम से यह व्यक्त करते हैं कि प्रकृति का सौंदर्य असीम और अद्वितीय है। यह कविता मानव मन को संवेदनशील बनाकर उसे प्रकृति से जोड़ती है और छायावादी काव्य के गुणों को पूर्ण रूप से प्रकट करती है।

📜 सारांश
“अट नहीं रही है” सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की प्रसिद्ध प्रकृति-काव्य रचना है, जिसमें फागुन मास के अनुपम सौंदर्य का वर्णन है। फागुन की आभा इतनी प्रबल है कि वह प्रकृति में समा नहीं पा रही और हर ओर फैल रही है। उसकी सांस से घर-घर में सुगंध भर जाती है, पक्षी उड़ान भरने को आतुर हो जाते हैं, और कवि की आंखें इस दृश्य से हट नहीं पातीं। पेड़ों की डालियों पर हरे-लाल पत्ते और मंद-सुगंध वाली पुष्प-मालाएं वसंत की शोभा को बढ़ाती हैं। यह कविता प्रकृति प्रेम, छायावाद की विशेषताओं और सौंदर्य-बोध का उत्कृष्ट उदाहरण है।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


🌟 उत्साह – प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1 : कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों?
उत्तर : महाकवि निराला समाज में बदलाव और क्रांति की चेतना जगाना चाहते थे। वे चाहते थे कि जनता में जोश और साहस भरे, इसलिए उन्होंने बादलों से फुहार या रिमझिम बरसने के बजाय ‘गरजने’ का आह्वान किया। ‘गरजना’ विद्रोह, परिवर्तन और संघर्ष का प्रतीक है, जो क्रांति का संदेश देता है।


प्रश्न 2 : कविता का शीर्षक “उत्साह” क्यों रखा गया है?
उत्तर : इस कविता में कवि ने बादलों के माध्यम से समाज में जोश और साहस भरने की प्रेरणा दी है। वे लोगों को सक्रिय होकर परिवर्तन लाने के लिए उत्साहित करना चाहते हैं। बादलों की भीषण गति और शक्ति समाज के ताप को शांत करती है, इसलिए कविता का शीर्षक “उत्साह” उपयुक्त है।


प्रश्न 3 : कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर : कविता में बादल –
वर्षा कर सबकी प्यास बुझाते हैं और सुख देते हैं।
गरजकर क्रांतिकारी चेतना उत्पन्न करते हैं।
नवनिर्माण कर नवजीवन प्रदान करते हैं।
कवि में उत्साह और संघर्ष भरकर उसकी रचनाओं को नया जीवन देते हैं।


प्रश्न 4 : “उत्साह” कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है?
उत्तर : नाद-सौंदर्य वाले कुछ शब्द और पंक्तियां –
“घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!”
“ललित ललित, काले घुंघराले, बाल कल्पना के-से पाले”
“विद्युत-छबि उर में”
“विकल-विकल, उन्मन थे उन्मन”

🌼 अट नहीं रही है – प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1 : छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है?
उत्तर : यह धारणा निम्नलिखित पंक्तियों से स्पष्ट होती है –
“आभा फागुन की तनसट नहीं रही है।
उड़ने को नभ में तुमपर-पर कर देते हो,
आंख हटाता हूं तोहट नहीं रही है।”
इन पंक्तियों में फागुन और मानव-मन दोनों के भाव एक साथ व्यक्त हुए हैं।


प्रश्न 2 : कवि की आंख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर : फागुन का महीना प्रकृति के सौंदर्य का चरम समय है। पेड़ों पर हरी और लाल पत्तियां, रंग-बिरंगे खिले फूल, चारों ओर फैली हरियाली और मादक सुगंध वातावरण को मोहक बना देती है। यह मनमोहक दृश्य कवि को इतना आकर्षित करता है कि उसकी दृष्टि चाहकर भी नहीं हट पाती।


प्रश्न 3 : प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?
उत्तर : कविता में प्रकृति की व्यापकता के रूप –
पेड़ों-पौधों पर नए पत्तों का आगमन।
फूलों की सुगंध से महकता वातावरण।
डालियों पर हरे और लाल पत्तों की छटा।
बाग-बगीचों में फैली हरियाली।
घर-घर में फूलों की शोभा और हर्षोल्लास का माहौल।


प्रश्न 4 : फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?
उत्तर : फागुन की विशेषताएं –
पेड़ों पर नए पत्तों का आना और फूलों का खिलना।
प्राकृतिक सौंदर्य का चरम पर होना।
वातावरण का सुगंधित और रंगीन बनना।
पक्षियों का प्रसन्नता से उड़ान भरना।
मनुष्यों में उमंग और उत्साह का संचार होना।


प्रश्न 5 : इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएं लिखिए।
उत्तर : निराला के काव्य-शिल्प की प्रमुख विशेषताएं –
प्रकृति-चित्रण द्वारा मन के भावों को व्यक्त करना।
मानवीकरण अलंकार का प्रयोग – पहली कविता में बादल को संबोधन, दूसरी में फागुन से वार्तालाप।
तत्सम शब्दों का उचित प्रयोग।
गीतात्मक शैली और स्पष्ट लयबद्धता।
अनुप्रास, रूपक, यमक और उपमा जैसे अलंकारों का प्रभावी प्रयोग।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न



🌟 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ)
प्रश्न 1 : निराला की कविता “उत्साह” में बादल का प्रतीकार्थ क्या है?
(अ) केवल वर्षा करना
(ब) प्राकृतिक सौंदर्य दिखाना
(स) क्रांति और परिवर्तन की शक्ति
(द) केवल शीतलता प्रदान करना
उत्तर : (स) क्रांति और परिवर्तन की शक्ति


प्रश्न 2 : “घेर घेर घोर गगन” पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
(अ) उपमा अलंकार
(ब) अनुप्रास अलंकार
(स) रूपक अलंकार
(द) मानवीकरण अलंकार
उत्तर : (ब) अनुप्रास अलंकार


प्रश्न 3 : “अट नहीं रही है” कविता में कौन-सा मास वर्णित है?
(अ) चैत्र
(ब) फागुन
(स) श्रावण
(द) आषाढ़
उत्तर : (ब) फागुन


प्रश्न 4 : छायावाद के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
(अ) केवल प्रकृति चित्रण
(ब) मानसिक भावों की अभिव्यक्ति और प्रकृति के साथ तादात्म्य
(स) केवल सामाजिक समस्याओं का चित्रण
(द) केवल भक्ति भावना
उत्तर : (ब) मानसिक भावों की अभिव्यक्ति और प्रकृति के साथ तादात्म्य


प्रश्न 5 : “विकल विकल, उन्मन थे उन्मन” में किसकी स्थिति का वर्णन है?
(अ) बादलों की
(ब) गर्मी से परेशान लोगों की
(स) पेड़-पौधों की
(द) पशु-पक्षियों की
उत्तर : (ब) गर्मी से परेशान लोगों की

🌼 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 : “ललित ललित, काले घुंघराले” से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर : इस पंक्ति में कवि ने बादलों की सुंदरता का चित्रण किया है। उन्हें काले घुंघराले बालों के समान बताते हुए उनकी मनमोहक छवि प्रस्तुत की गई है। “ललित” शब्द बादलों की कोमलता और सौंदर्य को दर्शाता है।


प्रश्न 2 : “आंख हटाता हूं तो हट नहीं रही है” – इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर : इस पंक्ति का अर्थ है कि फागुन का प्राकृतिक सौंदर्य इतना मोहक है कि कवि चाहकर भी अपनी दृष्टि उससे हटा नहीं सकता। वह इस अनुपम छटा में मंत्रमुग्ध हो गया है।


प्रश्न 3 : “तप्त धरा, जल से फिर शीतल कर दो” में कवि की क्या प्रार्थना है?
उत्तर : कवि बादलों से प्रार्थना करता है कि वे अपनी वर्षा से गर्मी से तप रही धरती को शीतल कर दें। यहां धरती का तपना केवल प्राकृतिक गर्मी ही नहीं बल्कि सामाजिक संताप का भी प्रतीक है।


प्रश्न 4 : फागुन मास में प्रकृति में कैसे परिवर्तन आते हैं?
उत्तर : फागुन में पेड़ों पर नए हरे-लाल पत्ते आते हैं, रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं, वातावरण सुगंधित हो जाता है, पक्षी आनंद से उड़ते हैं और चारों ओर प्राकृतिक शोभा छा जाती है।


प्रश्न 5 : निराला की इन कविताओं में मुक्त छंद का प्रयोग क्यों किया गया है?
उत्तर : मुक्त छंद भावों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए उपयुक्त है। इसमें छंद की बंधनहीनता कवि को अपने विचार सहज रूप से व्यक्त करने की स्वतंत्रता देती है, जैसा निराला ने किया है।

🌺 मध्यम उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 : “उत्साह” कविता में बादल के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए इसके प्रतीकार्थ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : “उत्साह” में बादलों को कवि ने धाराधर, काले घुंघराले और विद्युत-छबि युक्त बताया है। प्रतीकार्थ के रूप में बादल क्रांतिकारी शक्ति का प्रतीक हैं। जैसे बादल गर्जन के बाद वर्षा कर धरती की प्यास बुझाते हैं, वैसे ही क्रांति पुरानी रूढ़ियों को समाप्त कर नया जीवन देती है। गरजना यहां विद्रोह और परिवर्तन का संकेत है।


प्रश्न 2 : “अट नहीं रही है” कविता में छायावादी विशेषताओं को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : इसमें प्रकृति और मानव-मन का तादात्म्य है – “आभा फागुन की तन सट नहीं रही है”। अंतर्मन की भावनाएं – “आंख हटाता हूं तो हट नहीं रही है”। कोमल, मधुर भाषा और प्रकृति चित्रण की प्रधानता स्पष्ट है। साथ ही रहस्यवाद की झलक भी मिलती है जहां प्राकृतिक सौंदर्य में आध्यात्मिक अनुभूति का संकेत है।


प्रश्न 3 : निराला की काव्य-भाषा की विशेषताओं का वर्णन दोनों कविताओं के उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर : तत्सम शब्दों का प्रयोग – “धाराधर”, “विद्युत-छबि”, “निदाघ”। ध्वन्यात्मक शब्द – “घेर घेर घोर गगन”, “ललित ललित”। अनुप्रास और मानवीकरण अलंकार का सुंदर प्रयोग। मुक्त छंद का उपयोग भावों को मुक्त रूप से व्यक्त करता है। संवेदनात्मक भाषा पाठक को भाव-लोक में ले जाती है।


प्रश्न 4 : “उत्साह” कविता के सामाजिक संदेश और इसकी समसामयिकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर : यह कविता युवाशक्ति से आह्वान करती है कि वे निष्क्रियता त्यागकर सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष करें। “विकल विकल, उन्मन थे उन्मन” में समाज की दयनीय दशा का चित्रण है। यह संदेश आज भी प्रासंगिक है क्योंकि अन्याय, भ्रष्टाचार और असमानता आज भी मौजूद हैं।

🌸 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 : “उत्साह” और “अट नहीं रही है” के आधार पर निराला के काव्य-सौंदर्य, भावपक्ष और कलापक्ष का विवेचन कीजिए।
काव्य-सौंदर्य :
“उत्साह” में बादलों का चित्रण केवल प्रकृति-चित्रण नहीं बल्कि क्रांति का प्रतीक है। “अट नहीं रही है” में फागुन के माध्यम से मोहक प्राकृतिक सौंदर्य का मनमोहक वर्णन है। दोनों कविताएं संवेदना और सौंदर्य का अद्वितीय संगम हैं।
भावपक्ष :
आह्वानपरक भावना – “उत्साह” में युवाओं को जाग्रत करने का उद्देश्य।
प्रकृति प्रेम – “अट नहीं रही है” में फागुन के सौंदर्य से गहरा लगाव।
सामाजिक चेतना – पहली कविता में सामाजिक परिवर्तन की आकांक्षा, दूसरी में जीवन में आनंद और सकारात्मकता का संदेश।
कलापक्ष :
भाषा – खड़ी बोली हिंदी, तत्सम शब्दों की प्रधानता।
छंद – मुक्त छंद का प्रयोग, जो भावों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करता है।
अलंकार – अनुप्रास, रूपक और मानवीकरण का सुंदर प्रयोग।
बिंब योजना – “काले घुंघराले”, “विद्युत-छबि”, “मंद-गंध-पुष्प-माल” जैसे जीवंत बिंब।
प्रतीक योजना – बादल क्रांति का प्रतीक, फागुन आनंद और उमंग का प्रतीक।
निष्कर्ष :
दोनों कविताएं छायावादी काव्य की उत्कृष्ट रचनाएं हैं। इनमें भाव, कला और विचार का अद्भुत संतुलन है, जो इन्हें कालजयी बनाता है।

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सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ : उत्साह
“बादल, गरजो!
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो—
बादल, गरजो!”


प्रश्न,.1
“गरजो” का उद्बोधन किस आशय की ओर संकेत करता है?
(A) प्रकृति से विनयपूर्वक आवाहन कि पीड़ित जन की दाह शान्त हो
(B) विनाशक क्रोध का प्रकट विधान
(C) केवल लोक-रंजन का शोर
(D) निजी मनोरंजन की इच्छा
उत्तर: (A)


2..“विकल विकल, उन्मन थे उन्मन / विश्व के निदाघ के सकल जन”—इन पंक्तियों से कौन-सा प्रभाव निर्मित होता है?
(A) स्थानीय घटना का सीमित बयान
(B) वैश्विक क्लेश का तीव्र और तात्कालिक बोध
(C) वर्षा का वैज्ञानिक कारण
(D) केवल राजनीतिक आक्षेप
उत्तर: (B)


3..सही संयोजन चुनिए—
(i) “अज्ञात दिशा” अप्रत्याशित आगमन का संकेत है, “अनंत के घन” व्यापकता और घनता का।
(ii) “तप्त धरा” में पृथ्वी का मानवीकरण है, जो करुणा जगाता है।
(iii) कवि केवल अपनी धरती के लिए जल चाहता है, विश्व की चिंता नहीं करता।
(iv) “गरजो” ध्वनि-आवाहन है, जो अनुभूति को श्रवण-बिम्ब से तीक्ष्ण बनाता है।
विकल्प:
(A) (i), (ii), (iv) केवल
(B) (i), (iii) केवल
(C) (ii), (iii) केवल
(D) (i), (ii) केवल
उत्तर: (A)


4..कथन–कारण चुनिए।
कथन: कविता का स्वर निजी वर्षा-कामना से आगे बढ़कर सर्वजन-पीड़ा के प्रति संवेदना का है।
कारण: “विश्व के निदाघ के सकल जन” कहकर कवि पीड़ा को सार्वभौमिक रूप देता है।
(A) कथन और कारण दोनों गलत हैं।
(B) कारण गलत है, किंतु कथन सही है।
(C) कथन तथा कारण—दोनों सही हैं तथा कारण उसकी सही व्याख्या करता है।
(D) कथन सही है, किंतु कारण उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
उत्तर: (C)


5..“तप्त धरा, जल से फिर शीतल कर दो”—यहाँ “फिर” का सबसे युक्तिसंगत अर्थ-बोध क्या है?
(A) समय-चक्र में नवीनीकरण का विश्वास—दग्ध धरती को पुनः जीवन-संजीवनी देना
(B) पिछली वर्षा की पूर्ण असफलता
(C) धरती के प्रति उदासीनता
(D) केवल रीति-रिवाज का आग्रह
उत्तर: (A)

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