Class 10 : Hindi – Lesson 12. संस्कृति: भदंत आनंद कौसल्यायन
संक्षिप्त लेखक परिचय
🌟 भदंत आनंद कौसल्यायन 🌟
📜 जन्म एवं जीवन परिचय
🔵 भदंत आनंद कौसल्यायन का जन्म 1905 ई. में तत्कालीन पंजाब के अंबाला जिले के सोहाना गाँव में हुआ।
🟢 उनके बचपन का नाम हरिनाथ अवस्थी था। उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से बी.ए. किया।
💠 आरंभ में वे सेवा कौसल्यायन के नाम से जाने जाते थे, बाद में बौद्ध भिक्षु बनकर उन्होंने देश-विदेश में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु अपना समस्त जीवन समर्पित कर दिया।
🌿 वे महात्मा गांधी के निकट सहयोगी रहे और उनके साथ लंबा समय बिताया।
🕊️ 1988 ई. में उनका निधन हुआ। उनका जीवन त्याग, सेवा, और बौद्ध मानवतावाद की मिसाल रहा।
📚 साहित्यिक योगदान एवं कृतियाँ
✨ भदंत आनंद कौसल्यायन की 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुईं।
💫 उनकी प्रसिद्ध कृतियाँ हैं — भिक्षु के पत्र, जो भूल ना सका, आह! ऐसी बस्ती, बहता जीवन, यदि बाबू ना होते, रेल का टिकट, कहीं क्या देखा आदि।
🌸 उन्होंने बौद्ध धर्म, दर्शन और जातक कथाओं पर अनेक मौलिक और अमूल्य ग्रंथों की रचना की।
🟡 वे देश-विदेश के भ्रमण पर रहे और अपनी अनुभूति से हिंदी गद्य को नवीन दृष्टि दी।
💎 उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, वार्षा, और विदेशों में हिंदी प्रचार-प्रसार के कार्यों से हिंदी भाषा को वैश्विक प्रतिष्ठा दिलाई।
🌿 उनकी भाषा सरल, सहज और प्रभावशाली थी।
✔️ कौसल्यायन जी को “आधुनिक भारत का बौद्ध ज्योति-स्तंभ” कहा जाता है जिन्होंने साहित्य और धर्म दोनों को मानवता की सेवा से जोड़ा।
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पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन
📜 पाठ की पृष्ठभूमि
✨ संस्कृति एक विचारप्रधान निबंध है जिसमें सभ्यता और संस्कृति की अवधारणा को स्पष्ट किया गया है।
✨ लेखक ने उदाहरणों के माध्यम से बताया है कि सभ्यता और संस्कृति क्या हैं और इनमें क्या अंतर है।
❗ पाठ की मुख्य समस्या
⚡ ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ ऐसे शब्द हैं जिनका सबसे अधिक उपयोग और सबसे कम सही अर्थ समझा जाता है।
⚡ भौतिक–सभ्यता, आध्यात्मिक–सभ्यता जैसे विशेषण इनके अर्थ को और उलझा देते हैं।
🌿 संस्कृति और सभ्यता की परिभाषा
🌸 संस्कृति की अवधारणा
🌟 संस्कृति वह योग्यता, प्रवृत्ति या प्रेरणा है जिसके बल पर आविष्कार होता है।
🔥 आग का आविष्कार कराने वाली योग्यता – संस्कृति
🧵 सुई–धागे के आविष्कार की प्रेरणा – संस्कृति
🌍 न्यूटन की बुद्धि जिससे गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत खोजा – संस्कृति
🏛 सभ्यता की अवधारणा
🌟 संस्कृति द्वारा उत्पन्न आविष्कार का नाम सभ्यता है।
🔥 आग – सभ्यता
🧵 सुई–धागा – सभ्यता
🌍 गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत – सभ्यता
💡 आविष्कारों के पीछे की प्रेरणाएँ
🔥 आग की खोज
भूख मिटाने के लिए मांस पकाना
ठंड से बचाव
अंधेरे में प्रकाश
जंगली जानवरों से सुरक्षा
🧵 सुई–धागे का आविष्कार
शरीर ढकने की आवश्यकता
सर्दी से बचाव
कपड़े जोड़ने की जरूरत
सजावट की प्रवृत्ति
👤 संस्कृत व्यक्ति की अवधारणा
🌟 वास्तविक संस्कृत व्यक्ति
जिसकी बुद्धि ने नया तथ्य देखा हो।
आविष्कार की योग्यता जितनी परिष्कृत, वह उतना बड़ा आविष्कारक।
🌍 न्यूटन का उदाहरण
गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत खोजने के कारण संस्कृत व्यक्ति।
केवल जानकारी रखने वाला व्यक्ति उतना संस्कृत नहीं।
🌈 संस्कृति के उच्च आदर्श
🙏 त्याग की भावना
गौतम बुद्ध – तृष्णा से पीड़ित मानवता के सुख हेतु गृहत्याग।
लेनिन – अपना अन्न दूसरों को खिलाना।
कार्ल मार्क्स – मजदूरों के सुख के लिए जीवन भर दुःख सहना।
👩👦 मातृत्व की भावना
माँ का रोगी बच्चे को सारी रात गोद में रखना।
🤝 मानव संस्कृति की एकता
🌟 अविभाज्य प्रकृति
मानव संस्कृति धर्म, जाति, देश से नहीं बँट सकती।
कल्याणकारी तत्व श्रेष्ठ और स्थायी।
⚠ विभाजन के प्रयास
वर्ण व्यवस्था
धर्म के नाम पर विभाजन
जाति और सम्प्रदाय
✅ एकता के प्रमाण
महापुरुषों का त्याग
मानवता की सेवा
सबके कल्याण की भावना
⚖ संस्कृति बनाम असंस्कृति
🌼 कल्याणकारी संस्कृति
आग और सुई–धागे का आविष्कार
तारों की जानकारी
मानवता हेतु त्याग
🚫 असंस्कृति की समस्या
आत्म–विनाश के साधन
एटम बम, हाइड्रोजन बम
📌 पाठ की प्रासंगिकता
📅 आधुनिक संदर्भ
तकनीकी उन्नति के नाम पर पर्यावरण विनाश और परमाणु हथियार।
सोचने की आवश्यकता – संस्कृति या असंस्कृति?
🎓 शिक्षा की भूमिका
केवल जानकारी नहीं, नवाचार की प्रेरणा देना।
संस्कृत व्यक्तित्व का निर्माण आवश्यक।
🖋 भाषा और शैली
🌿 भाषा की विशेषताएँ
सरल, स्पष्ट, प्रवाहमान
तत्सम शब्दावली का प्रयोग
उदाहरण आधारित स्पष्टीकरण
✨ शैली की विशेषताएँ
विचारात्मक, तर्कसंगत
प्रश्न–उत्तर शैली
दार्शनिक चिंतन
🏁 निष्कर्ष
संस्कृति आंतरिक शक्ति है जो नवाचार की प्रेरणा देती है।
सभ्यता उस नवाचार का मूर्त रूप है।
मानव संस्कृति अविभाज्य, कल्याणकारी तत्व स्थायी।
विनाशकारी साधन असंस्कृति के उदाहरण।
मानवीय मूल्यों और कल्याणकारी दृष्टिकोण की ओर प्रेरित करती है।
📝 सारांश
संस्कृति में सभ्यता और संस्कृति का अंतर स्पष्ट है।
🌟 संस्कृति – योग्यता और प्रेरणा जो आविष्कार कराती है।
🌟 सभ्यता – उस आविष्कार का परिणाम।
🔥 आग और 🧵 सुई–धागा – संस्कृत व्यक्ति की देन।
🌍 न्यूटन – संस्कृत व्यक्ति का उदाहरण।
🤝 मानव संस्कृति अविभाज्य, कल्याणकारी तत्व स्थायी।
🚫 एटम बम – असंस्कृति।
💬 संदेश – मानवता के कल्याण पर आधारित संस्कृति अपनाएँ।
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1. लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?
उत्तर: लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति शब्दों का प्रयोग बहुत ही मनमाने ढंग से होता है। इनके साथ अनेक विशेषण लग जाते हैं; जैसे – भौतिक-सभ्यता और आध्यात्मिक-सभ्यता। इन विशेषणों के कारण शब्दों का अर्थ बदलता रहता है और इन विशेषणों के कारण इन शब्दों की समझ और भी गड़बड़ा जाती है।
लेखक के अनुसार ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ शब्दों का प्रयोग अलग-अलग ढंग से होता है। जब इन शब्दों के साथ अलग-अलग विशेषण लग जाते हैं तो जो समझ बन पाती है वह भी बदल जाती है। इसी कारण लेखक की दृष्टि में इन शब्दों की सही समझ अब तक नहीं बन पाई है।
प्रश्न 2. आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?
उत्तर: आग का आविष्कार अपने-आप में एक बहुत बड़ा आविष्कार है क्योंकि उस समय मनुष्य में बुद्धि-शक्ति का इतना विकास नहीं हुआ था। समय की दृष्टि से यह बहुत बड़ी खोज थी।
आग की खोज के पीछे की मुख्य प्रेरणाएँ:
रोशनी की आवश्यकता – जब अंधेरे में मनुष्य कुछ नहीं देख पा रहा होगा तब उसे रोशनी की आवश्यकता महसूस हुई होगी।
भोजन पकाने की जरूरत – कच्चे मांस का स्वाद नापसंद होने के कारण मनुष्य को उसे आग पर पका कर खाने की इच्छा हुई होगी।
ठंड से बचाव – भयंकर शीत से बचने के लिए।
पेट की ज्वाला – भूख की समस्या का समाधान करने के लिए।
प्रश्न 3. वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है?
उत्तर: जो व्यक्ति अपनी बुद्धि तथा योग्यता के बल पर कुछ नया आविष्कार करने की क्षमता रखता हो, उसे वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ कहा जा सकता है।
जिसमें यह क्षमता जितनी अधिक होगी, वह उतना ही अधिक संस्कृत व्यक्ति होगा। जैसे, न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया, तो वह एक संस्कृत व्यक्ति था। आज विद्यार्थियों को इस विषय पर न्यूटन से अधिक ज्ञान है परंतु उन्होंने इस विषय का आविष्कार नहीं किया, इसलिए उन्हें संस्कृत नहीं कहा जा सकता।
वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति वह है जो अपनी योग्यता के आधार पर नए तथ्य की खोज करता है। न्यूटन ने अपनी योग्यता के आधार पर गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया। यह सिद्धांत नया था, इसलिए उसे संस्कृत व्यक्ति कहना उचित है।
प्रश्न 4. न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?
उत्तर:
न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के तर्क:
संस्कृत मानव उसे कहा जाता है जो अपनी बुद्धि-शक्ति और योग्यता के बल पर कोई नया आविष्कार कर सके।
न्यूटन ने अपनी इसी योग्यता के बल पर गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों की खोज की, इसलिए उसे संस्कृत मानव कहा जा सकता है।
आज के लोग न्यूटन जैसे संस्कृत क्यों नहीं:
आज के समय में इस विषय पर लोगों के पास और अधिक जानकारी है परंतु उन्हें न्यूटन से अधिक सभ्य कहा जा सकता है लेकिन संस्कृत नहीं।
ऐसा इसलिए क्योंकि न्यूटन ने इस विषय की खोज की थी और आज उसे ही आगे बढ़ाया जा रहा है।
न्यूटन ने अपनी बुद्धि-शक्ति से गुरुत्वाकर्षण के रहस्य की खोज की, इसलिए उसे संस्कृत मानव कह सकते हैं।
आज मनुष्य के पास भले ही इस विषय पर अधिक जानकारी हो पर उसमें वह बुद्धि-शक्ति नहीं है जो न्यूटन के पास थी।
वह केवल न्यूटन द्वारा दी गई जानकारी को बढ़ा रहा है। इसलिए वह न्यूटन से अधिक सभ्य है, संस्कृत नहीं।
प्रश्न 5. किन महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?
उत्तर: सुई-धागे के आविष्कार के पीछे निम्नलिखित महत्वपूर्ण आवश्यकताएँ रही होंगी:
शरीर को ढकने की आवश्यकता – जब मनुष्य को अपने शरीर को ढकने की आवश्यकता महसूस हुई होगी।
सर्दियों में ठंड से बचाव – सर्दियों में ठंड से बचने के उद्देश्य से इसका आविष्कार हुआ होगा।
शरीर को सजाने की इच्छा – मनुष्य को अपने शरीर को सजाने के लिए आवश्यकतानुसार कपड़े के दो टुकड़ों को जोड़ने के लिए सुई-धागे की जरूरत महसूस हुई होगी।
कपड़े सिलने की आवश्यकता – शरीर पर सिले हुए कपड़े पहनने, फटे हुए कपड़ों को सिलने जैसी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए।
प्रश्न 6. मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है। किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब–
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।
उत्तर:
वर्ण व्यवस्था के नाम पर – मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की जाती हैं। बहुत बार वर्ण व्यवस्था के नाम पर जाति-पाति का विभाजन देखा जाता है।
धर्म के नाम पर – धर्म के नाम पर भी मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की जाती हैं जिसका परिणाम हम हिंदुस्तान तथा पाकिस्तान नामक दो देश के रूप में देखते हैं।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
उत्तर:
कार्ल मार्क्स का योगदान – जब कार्ल मार्क्स ने सभी मजदूरों के हित के लिए आवाज़ उठाई और अपना सारा जीवन संघर्ष में बिता दिया। संसार के मजदूरों को सुखी देखने के लिए कार्ल मार्क्स ने अपना सारा जीवन दुख में बिता दिया।
गौतम बुद्ध का त्याग – सिद्धार्थ, अर्थात गौतम बुद्ध ने अपने महल का आराम और घर केवल मानव कल्याण के लिए छोड़ा था।
प्रश्न 7. आशय स्पष्ट कीजिए–
मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति?
उत्तर: मानव सदियों से अपनी सुरक्षा के लिए चिंतित रहा है जिसके लिए उसने अनेकों आविष्कार किए हैं। जब मानव अपनी रक्षा के लिए, मानवहित और आत्महित के लिए आविष्कार करता है जो मानव कल्याण की भावना से जुड़ा हो तो उसे हम संस्कृति कहते हैं।
परंतु जब आविष्कार के पीछे की भावना और योग्यता का उपयोग विनाश के लिए किया जाए तो हम उसे संस्कृति कभी नहीं कह सकते। विनाश की भावना से जुड़कर आविष्कार असंस्कृति बन जाता है।
जब मानव की आविष्कार करने की योग्यता, भावना, प्रेरणा और प्रवृत्ति का उपयोग विनाश करने के लिए किया जाता है तब यह असंस्कृति बन जाती है। ऐसी भावनाओं को हम संस्कृति कदापि नहीं कह सकते।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8. लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं, लिखिए।
उत्तर: लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की जो परिभाषा दी है उसके अनुसार इन दोनों शब्दों का प्रयोग अनेक अर्थों में किया जाता है। अलग-अलग विशेषण लगने से इनकी परिभाषा और भी भिन्न हो जाती है।
जैसा कि लेखक ने कहा है कि आज सभ्यता और संस्कृति का प्रयोग अनेक अर्थों में किया जाता है। मनुष्य के रहन-सहन का तरीका सभ्यता के अंतर्गत आता है। संस्कृति जीवन का चिंतन और कलात्मक सृजन है, जो जीवन को समृद्ध बनाती है। सभ्यता को संस्कृति का विकसित रूप भी कह सकते हैं।
मनुष्य के रहन-सहन का तरीका सभ्यता का हिस्सा है। संस्कृति जिंदगी का चिंतनशील एवं कलात्मक मेल है, जो जिंदगी को संपन्न बनाती है। सभ्यता को संस्कृति का परिपक्व रूप भी माना जा सकता है।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 9. निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए–
उत्तर:
गलत-सलत – गलत और सलत 【द्वंद समास】
आत्म-विनाश – आत्मा का विनाश 【तत्पुरुष समास】
महामानव – महान है जो मानव 【कर्मधारय समास】
पददलित – पद से दलित 【तत्पुरुष समास】
हिंदू-मुसलिम – हिंदू और मुसलिम 【द्वंद समास】
यथोचित – जो उचित हो 【अव्ययीभाव समास】
सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह 【द्विगु समास】
सुलोचना – सुंदर लोचन है जिसके 【कर्मधारय समास】
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
📝 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ)
1.लेखक के अनुसार सभ्यता और संस्कृति के बीच मुख्य अंतर क्या है?
क) सभ्यता नई है, संस्कृति पुरानी है
✅ ख) सभ्यता भौतिक विकास है, संस्कृति आंतरिक विकास है
ग) सभ्यता महत्वपूर्ण है, संस्कृति गैर-जरूरी है
घ) दोनों में कोई अंतर नहीं है
2.न्यूटन को संस्कृत व्यक्ति क्यों कहा गया है?
क) वह बहुत पढ़ा-लिखा था
✅ ख) उसने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की
ग) वह अमीर था
घ) वह प्रसिद्ध था
3.आग की खोज को महान खोज क्यों माना जाता है?
क) यह सुंदर दिखती है
✅ ख) यह मानव की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति करती है
ग) यह डरावनी है
घ) यह महंगी है
4.लेखक के अनुसार मानव संस्कृति की विशेषता क्या है?
क) यह विभाजित होती रहती है
✅ ख) यह एक अविभाज्य वस्तु है
ग) यह केवल भारत में पाई जाती है
घ) यह केवल पुरुषों की है
5.सुई-धागे के आविष्कार के पीछे मुख्य कारण क्या था?
क) मनोरंजन
ख) व्यापार
✅ ग) वस्त्र निर्माण की आवश्यकता
घ) सजावट
✏ लघु उत्तरीय प्रश्न
1.संस्कृत व्यक्ति किसे कहते हैं?
उत्तर: लेखक के अनुसार संस्कृत व्यक्ति वह है जो अपनी बुद्धि और विवेक से किसी नए तथ्य का अनुसंधान करता है और उसे समाज के कल्याण के लिए प्रस्तुत करता है। जो व्यक्ति अपनी योग्यता से नई खोज करके मानवता की सेवा करता है, वही वास्तविक संस्कृत व्यक्ति है।
2.सभ्यता और संस्कृति में भ्रम क्यों उत्पन्न हो जाता है?
उत्तर: सभ्यता और संस्कृति में भ्रम इसलिए उत्पन्न होता है क्योंकि इन शब्दों का प्रयोग मनमाने ढंग से किया जाता है। इनके साथ विभिन्न विशेषण जोड़े जाते हैं जैसे भौतिक सभ्यता, आध्यात्मिक सभ्यता आदि। इन विशेषणों के कारण शब्दों का अर्थ बदलता रहता है और लोग इनकी सही समझ नहीं बना पाते।
3.आग की खोज के पीछे क्या प्रेरणाएं रही होंगी?
उत्तर: आग की खोज के पीछे मुख्य प्रेरणाएं – अंधेरे में प्रकाश की आवश्यकता, ठंड से बचाव, कच्चे मांस को पकाने की इच्छा, और हिंसक जानवरों से सुरक्षा। यह खोज मानव की जीवित रहने की मूलभूत आवश्यकताओं से प्रेरित थी।
4.मानव संस्कृति को विभाजित करने के कौन से प्रयास हुए हैं?
उत्तर: मानव संस्कृति को विभाजित करने के मुख्य प्रयास – जाति व्यवस्था के आधार पर विभाजन और धर्म के आधार पर विभाजन। भारत और पाकिस्तान का विभाजन इसका स्पष्ट उदाहरण है।
5.संस्कृति का ‘कूड़ा-करकट’ किसे कहा गया है?
उत्तर: संस्कृति का ‘कूड़ा-करकट’ उन आविष्कारों और प्रवृत्तियों को कहा गया है जो मानव कल्याण के बजाय विनाश का कारण बनती हैं। जैसे – विनाशकारी हथियारों का निर्माण, युद्ध की प्रवृत्ति, और मानवता के विरुद्ध किए गए कार्य।
📖 मध्यम उत्तरीय प्रश्न
1.भदंत आनंद कौसल्यायन के व्यक्तित्व और उनकी साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
भदंत आनंद कौसल्यायन (1905-1988) एक प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु, लेखक और पाली भाषा के विद्वान थे।
जन्म – अंबाला के सुहाना गांव में।
गांधीवादी विचारधारा के समर्थक और जीवनभर मानवतावाद का प्रचार किया।
साहित्यिक विशेषताएं:
20 से अधिक पुस्तकें लिखीं – संस्मरण और रेखाचित्र प्रमुख।
प्रमुख रचनाएं – भिक्षु के पत्र, जो भूल न सका, यदि बाबा न होते, कहां क्या देखा।
साहित्य में मानवीय आचार-व्यवहार, यात्रा संस्मरण और गांधी जी के संस्मरण प्रमुख।
भाषा – सहज, सरल, प्रवाहमयी; तत्सम, तद्भव, देशज, उर्दू शब्दों का सुंदर प्रयोग।
2.संस्कृति और सभ्यता के बीच अंतर को विस्तार से समझाएं।
उत्तर:
सभ्यता (Civilization):
बाहरी और भौतिक विकास।
आविष्कार, तकनीक और जीवनशैली में परिवर्तन।
भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति।
उदाहरण – आग, पहिया, मशीनें।
संस्कृति (Culture):
आंतरिक और मानसिक विकास।
मूल्य, नैतिकता, कला और बुद्धि का विकास।
मानव कल्याण को प्राथमिकता।
सहज चेतना और विवेक से उत्पन्न।
निष्कर्ष: सच्ची संस्कृति – करुणा और मानवता के कल्याण पर आधारित।
3.न्यूटन के उदाहरण के माध्यम से संस्कृत व्यक्ति की परिभाषा स्पष्ट करें।
उत्तर:
न्यूटन ने अपनी बुद्धि और विवेक से गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की।
उनकी खोज मानवता के कल्याण के लिए थी।
संस्कृत व्यक्ति – जो अपनी बुद्धि से नए तथ्यों की खोज करे और उसे मानव सेवा में लगाए।
केवल सिद्धांत जानना पर्याप्त नहीं, नई खोज जरूरी।
4.मानव संस्कृति की एकता के संदेश को स्पष्ट करते हुए इसे तोड़ने के प्रयासों का विश्लेषण करें।
उत्तर:
मानव संस्कृति की एकता:
यह किसी जाति, धर्म या देश की संपत्ति नहीं; पूरी मानवता की विरासत।
महान खोजें सम्पूर्ण मानवता के लिए।
विभाजन के प्रयास:
जातिवाद – वर्ण व्यवस्था।
धार्मिक विभाजन – धर्म के आधार पर अलगाव।
भौगोलिक विभाजन – भारत-पाकिस्तान।
भाषाई विभेद।
परिणाम: अशांति और प्रगति में बाधा।
संदेश: कृत्रिम विभाजनों को त्यागकर मानवीय एकता को बढ़ावा दें।
📜 विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
1.’संस्कृति’ निबंध के माध्यम से भदंत आनंद कौसल्यायन के दर्शन और आधुनिक युग में इसकी प्रासंगिकता का विस्तृत विश्लेषण करें।
उत्तर:
संस्कृति निबंध – सभ्यता और संस्कृति के गहन दार्शनिक चिंतन का उदाहरण।
यह न केवल शब्दों की स्पष्टता प्रदान करता है बल्कि मानवीय मूल्यों के स्वरूप को उजागर करता है।
मुख्य दर्शन:
संस्कृति बनाम सभ्यता – सभ्यता बाहरी विकास; संस्कृति आंतरिक विकास (नैतिकता, करुणा, विवेक)।
मानवतावाद – आविष्कार तभी संस्कृति का हिस्सा जब वह मानवता के कल्याण में हो।
विवेकशील बुद्धि – नई खोज कर समाज सेवा करने वाला ही संस्कृत व्यक्ति।
एकता का संदेश – संस्कृति किसी एक की नहीं, संपूर्ण मानवता की है।
आधुनिक प्रासंगिकता:
तकनीकी युग – विनाशकारी हथियारों को संस्कृति नहीं कहा जा सकता।
पर्यावरणीय संकट – प्रकृति के साथ सामंजस्य आवश्यक।
सामाजिक विभाजन – जाति, धर्म, भाषा के आधार पर विभाजन रोकना।
शिक्षा का उद्देश्य – केवल रोजगार नहीं, मानवीय मूल्य।
मानसिक स्वास्थ्य – विवेक आधारित जीवनशैली की आवश्यकता।
निष्कर्ष:
संस्कृति निबंध मानवीय मूल्यों का घोषणापत्र।
संदेश – वास्तविक प्रगति वही जो संपूर्ण मानवता के कल्याण में हो।
आज के वैश्विक युग में इसका अपनाना आवश्यक।
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“पाठ में से गद्यांश एवं प्रश्नोत्तर”
“और सभ्यता? सभ्यता है संस्कृति का परिणाम। हमारे खाने-पीने के तरीके, हमारे ओढ़ने-पहनने के तरीके, हमारे गमन-आगमन के साधन, हमारे परस्पर कट मरने के तरीके; सब हमारी सभ्यता हैं। मानव की जो योग्यता उसे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति? और जिन साधनों के बल पर वह दिन-रात आत्म-विनाश में जुटा हुआ है, उन्हें हम उसकी सभ्यता समझें या असभ्यता? संस्कृति का यदि कल्याण की भावना से नाता टूट जाएगा तो वह असंस्कृति होकर ही रहेगी और ऐसी संस्कृति का अवश्यंभावी परिणाम असभ्यता के अतिरिक्त दूसरा क्या होगा?”
प्रश्न (5×1 = 5) —
1.ऊपर के अंश के अनुसार “संस्कृति” को “असंस्कृति” में बदलने वाली निर्णायक कसौटी क्या है?
(A) बाहरी आडंबर का बढ़ना
(B) कल्याण-भावना से नाता टूट जाना
(C) तकनीकी खोजों की बहुलता
(D) तेज़ शहरीकरण
उत्तर: (B)
2.लेखक बार-बार प्रश्नवाचक वाक्य (“कहें या असंस्कृति?”, “सभ्यता या असभ्यता?”) क्यों रखता है?
(A) परिभाषाएँ याद कराने के लिए
(B) शास्त्रीय उद्धरण देने के लिए
(C) तर्क-संघर्ष रचकर मूल्य-निर्णय की ओर पाठक को उन्मुख करने के लिए
(D) भाषा-शैली को अलंकारिक बनाने के लिए
उत्तर: (C)
3.सत्य संयोजन चुनिए—
(i) लेखक सभ्यता को संस्कृति का परिणाम मानता है।
(ii) आत्म-विनाशक साधनों का आविष्कार ही संस्कृति कहा गया है।
(iii) संस्कृति का कल्याण से विच्छेद उसे असंस्कृति बनाता है।
(iv) ऐसी “संस्कृति” का अवश्यंभावी परिणाम “असभ्यता” बताया गया है।
विकल्प:
(A) (i), (iii) और (iv) केवल
(B) (ii) और (iii) केवल
(C) (i) और (ii) केवल
(D) (iv) केवल
उत्तर: (A)
4.जिन साधनों के बल पर “दिन-रात आत्म-विनाश” जारी है, लेखक उन्हें किस कोटि में रखता है?
(A) सभ्यता
(B) असभ्यता
(C) संस्कृति
(D) सद्गुण
उत्तर: (B)
5.कथन–कारण: उपयुक्त विकल्प चुनिए।
कथन: “असंस्कृति” का अवश्यंभावी परिणाम “असभ्यता” है।
कारण: संस्कृति का कल्याण-भावना से नाता टूटते ही वह असंस्कृति बन जाती है।
(A) दोनों गलत हैं।
(B) कथन सही है, कारण गलत है।
(C) कथन तथा कारण दोनों सही हैं तथा कारण उसकी सही व्याख्या करता है।
(D) कथन सही है, किंतु कारण उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
उत्तर: (C)
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