Class 10, Hindi

Class 10 : Hindi – Lesson 16. अपठित बोध

अपठित बोध

अपठित बोध 1

विद्यालयों में पठन–संस्कृति विकसित करने के प्रयास तेज़ हुए हैं। प्रातःकालीन पाठ–वाचन, कक्षा–पुस्तकालय और घर–पठन डायरी जैसे उपाय अपनाए जा रहे हैं, जिनसे विद्यार्थियों में स्वतन्त्र अध्ययन की लय बनती है और वे पाठ्य–सामग्री के बाहर भी ज्ञान–विस्तार कर पाते हैं।

पुस्तकालयाध्यक्ष को केवल पुस्तक–संरक्षक नहीं, बल्कि मार्गदर्शक माना गया है। वह आयु–अनुकूल पुस्तकों का चयन कराता है, पठन–वृत्त आयोजित करता है और विद्यार्थियों को सार–लेखन व समीक्षा का अभ्यास कराता है; पठन–समूहों में सहयोग, अनुशासन और विचार–विनिमय का विकास होता है, जिससे भाषा–अभिव्यक्ति और तर्क–शक्ति सुदृढ़ बनती है।

प्रश्न 1: ऊपर दिये गद्य का प्रमुख विचार क्या है? (1 अंक)
(क) केवल परीक्षा–अंकों की प्राप्ति
(ख) विद्यालय में पठन–संस्कृति का महत्व
(ग) खेल–कूद की अनिवार्यता
(घ) कठिन पुस्तकों पर प्रतिबन्ध
उत्तर: (ख)

प्रश्न 2: पुस्तकालयाध्यक्ष की भूमिका के सम्बन्ध में सही विकल्प चुनिए। (1 अंक)
(क) केवल पुस्तकों की गिनती करना
(ख) विद्यार्थियों से दूरी बनाये रखना
(ग) मार्गदर्शक की तरह चयन और पठन–वृत्त कराना
(घ) पाठकों को चुपचाप बैठाना
उत्तर: (ग)

प्रश्न 3: कथन—पठन–डायरी से लेखन–कौशल में प्रगति होती है। कारण—नियमित पठन से शब्द–संपदा और विचार–संगठन बढ़ता है। (1 अंक)
(क) दोनों गलत
(ख) कारण सही, कथन गलत
(ग) कथन सही, कारण उचित व्याख्या नहीं करता
(घ) दोनों सही और कारण सही व्याख्या करता है
उत्तर: (घ)

प्रश्न 4: विद्यालय पठन–संस्कृति बढ़ाने के दो प्रभावी उपाय लिखिए। (2 अंक)
उत्तर: कक्षा–पुस्तकालय व प्रातःकालीन पाठ–वाचन को नियमित बनाकर तथा पठन–वृत्त के साथ सार–लेखन और समीक्षा का अभ्यास जोड़कर विद्यालय में पठन–संस्कृति सशक्त की जा सकती है।

प्रश्न 5: पठन–समूह विद्यार्थियों को कैसे लाभ पहुँचाते हैं? स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: पठन–समूह सहयोग और अनुशासन की आदत विकसित करते हैं तथा संवाद–आधारित अभ्यास से भाषा–अभिव्यक्ति और तर्क–शक्ति स्वाभाविक रूप से मजबूत होती है।

अपठित बोध 2

नगरों में जल–संकट का बड़ा कारण भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन और वर्षा–जल का व्यर्थ बह जाना है; यदि छतों पर वर्षा–जल संचित कर पुनर्भरण–कूप या भंडारण–पात्रों में भेजा जाए तो गर्मी के महीनों में भी आवश्यक जल उपलब्ध रह सकता है।

नगर–निगम संचयन को भवन–अनुमतियों से जोड़ रहे हैं, खुली मिट्टी–क्षेत्र बढ़ा रहे हैं और जल–निकायों के संरक्षण पर बल दे रहे हैं; नागरिक–स्तर पर छत–सफाई, प्रथम–वर्षा–जल निकासी, जालिका–छन्नी और कूप–सफाई जैसी सावधानियाँ अपेक्षित हैं ताकि सड़क–जल–जमाव घटे और भू–जल का स्तर सँभला रहे।

प्रश्न 1: जल–संकट का मूल कारण क्या बताया गया है? (1 अंक)
(क) वर्ष भर बादल न आना
(ख) भूमिगत जल का दोहन और वर्षा–जल का अपवाह
(ग) पहाड़ों की कमी
(घ) नदियों की बढ़ोतरी
उत्तर: (ख)

प्रश्न 2: सबसे उपयुक्त शहरी उपाय चुनिए। (1 अंक)
(क) वर्षा–जल को नालियों से समुद्र में बहाना
(ख) हर छत पर संचयन और पुनर्भरण–कूप बनवाना
(ग) जल–निकायों को पाट देना
(घ) केवल टैंकर–जल पर निर्भर रहना
उत्तर: (ख)

प्रश्न 3: कथन—वर्षा–जल संचयन केवल ग्रामीण क्षेत्र में उपयोगी है। कारण—नगरों में वर्षा बहुत कम होती है। (1 अंक)
(क) दोनों गलत
(ख) कारण सही, कथन गलत
(ग) कथन सही, कारण अनुचित
(घ) दोनों सही
उत्तर: (क)

प्रश्न 4: प्रशासन जल–सुरक्षा के लिये कौन–से ठोस कदम उठा सकता है? (2 अंक)
उत्तर: भवन–अनुमति के साथ संचयन की अनिवार्यता व निरीक्षण को कठोरता से लागू कर तथा जल–निकायों के संरक्षण के साथ खुली मिट्टी–क्षेत्र बढ़ाकर दीर्घकालिक जल–सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

प्रश्न 5: नागरिक–स्तर पर अपनायी जाने वाली सावधानियाँ बताइए। (2 अंक)
उत्तर: छत–सफाई, जालिका–छन्नी और प्रथम–वर्षा–जल निकासी को नियमित रखकर तथा पुनर्भरण–कूप अथवा भंडारण–पात्र की समय–समय पर सफाई करके हर परिवार संचयन को प्रभावी बना सकता है।

अपठित बोध 3

‘श्री अन्न’ जैसे बाजरा, कंगनी और कुटकी पोषण–समृद्ध तथा जल–संकट में उपयुक्त माने जाते हैं; ये फसलें कम जल, अल्प रसायन और असमान मौसम में भी अच्छी पैदावार देती हैं, जिससे स्थानीय बाज़ार सक्रिय होते हैं और छोटे किसानों को स्थिर आय का आधार मिलता है।

विद्यालयी मध्यान्ह–भोजन व आँगनवाड़ी में श्री अन्न से बने व्यंजन जोड़े जा रहे हैं ताकि लोहतत्त्व, रेशा और सूक्ष्म–पोषक–तत्त्वों की कमी घटे; प्रसार में कुटाई–पीसाई के यंत्रों की कमी, स्वाद–अनुकूलन की आवश्यकता और बाज़ार–जागरण का अभाव जैसी बाधाएँ हैं, जिनके समाधान हेतु प्रशिक्षण, पाक–विधि–नवाचार और न्यूनतम समर्थन–मूल्य उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।

प्रश्न 1: श्री अन्न की प्रमुख कृषि–विशेषता क्या है? (1 अंक)
(क) बहुत अधिक जल–आवश्यकता
(ख) कम जल व असमान मौसम में भी उपज
(ग) केवल पहाड़ी क्षेत्रों में उगना
(घ) पोषण की कमी
उत्तर: (ख)

प्रश्न 2: विद्यालयी भोजन में श्री अन्न शामिल करने का मुख्य उद्देश्य क्या है? (1 अंक)
(क) भोजन–व्यय बढ़ाना
(ख) केवल स्वाद–विविधता
(ग) पोषण–पूरकता और स्थानीय उपलब्धता
(घ) भंडारण घटाना
उत्तर: (ग)

प्रश्न 3: कथन—जलवायु–परिवर्तन के समय श्री अन्न उपयोगी विकल्प हैं। कारण—ये फसलें कम जल में भी बढ़ती हैं और असमान मौसम सह लेती हैं। (1 अंक)
(क) दोनों गलत
(ख) कारण सही, कथन गलत
(ग) कथन सही, कारण उचित व्याख्या नहीं करता
(घ) दोनों सही और कारण सही व्याख्या करता है
उत्तर: (घ)

प्रश्न 4: प्रसार में आने वाली प्रमुख बाधाएँ स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: कुटाई–पीसाई हेतु उपयुक्त यंत्र व वितरण–शृंखला के अभाव के साथ स्वाद–अनुकूलन तथा बाज़ार–जागरण की कमी श्री अन्न के व्यापक अपनाव में रुकावटें उत्पन्न करती हैं।

प्रश्न 5: किसान अथवा प्रशासन किन उपायों से प्रसार बढ़ा सकते हैं? (2 अंक)
उत्तर: बीज–उपलब्धता और प्रशिक्षण के साथ न्यूनतम समर्थन–मूल्य सुनिश्चित कर, विद्यालय–आँगनवाड़ी में नियमित समावेशन और पाक–विधि–नवाचार को प्रोत्साहित करके श्री अन्न का प्रसार प्रभावी ढंग से बढ़ाया जा सकता है।

अपठित बोध 4

पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ते आगन्तुक–समूह से प्राकृतिक ढाल, जल–स्रोत और स्थानीय जीव–वनस्पति पर दबाव पड़ता है। असंयमित निर्माण, कूड़ा–फैलाव और ऊँची ध्वनि से शांत पारितंत्र असंतुलित होता है। यदि आगन्तुक–संख्या स्थान की वहन–क्षमता के अनुसार सीमित की जाए, स्थानीय नियमों का पालन कराया जाए और पगडंडियों, रसोई–कचरे तथा जल–उपयोग का समुचित प्रबन्ध हो, तो क्षेत्र का सौन्दर्य और जीविकोपार्जन दोनों सुरक्षित रह सकते हैं।

सामुदायिक आवास, घर–पर्यटन और स्थानीय शिल्प का सम्मान बढ़ने से आय का उचित वितरण होता है। विद्यालयों और पंचायत–सभाओं के माध्यम से स्वच्छता, जैव–अपशिष्ट–प्रबन्ध तथा प्रकृति–शिष्टाचार सिखाने पर आगन्तुक भी सहभागी बनते हैं और पर्यटन टिकाऊ रूप लेता है।

प्रश्न 1: उच्च ध्वनि और कूड़ा–फैलाव का पारितंत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है? (1 अंक)
(क) पारितंत्र संतुलित होता है
(ख) असंतुलन बढ़ता है
(ग) जल–स्रोत बढ़ जाते हैं
(घ) तापमान घटता है
उत्तर: (ख)

प्रश्न 2: पर्यटन को टिकाऊ बनाने का उपयुक्त उपाय पहचानिए। (1 अंक)
(क) आगन्तुक–संख्या निरन्तर बढ़ाना
(ख) वहन–क्षमता के अनुसार सीमा तय करना
(ग) नियमों की अनदेखी करना
(घ) कचरे को खुले में फेंकना
उत्तर: (ख)

प्रश्न 3: कथन—सामुदायिक आवास से स्थानीय लोगों की आय में सुधार होता है। कारण—आय का वितरण स्थानीय सेवाओं और शिल्प तक पहुँचता है। (1 अंक)
(क) दोनों गलत
(ख) कारण सही, कथन गलत
(ग) कथन सही, कारण उचित व्याख्या नहीं करता
(घ) दोनों सही और कारण सही व्याख्या करता है
उत्तर: (घ)

प्रश्न 4: पर्यटन–स्थल पर शिक्षा और जागरूकता क्यों आवश्यक है? (2 अंक)
उत्तर: शिक्षा और जागरूकता आगन्तुकों को प्रकृति–शिष्टाचार, कूड़ा–छँटाई तथा जल–उपयोग की मर्यादा समझाती है, जिससे नियम स्वेच्छा से अपनते हैं और पारितंत्र के साथ–साथ स्थानीय आजीविका भी सुरक्षित रहती है।

प्रश्न 5: वहन–क्षमता आधारित योजना से क्षेत्र को क्या लाभ होते हैं? (2 अंक)
उत्तर: आगन्तुक–संख्या नियंत्रित रहने से ढाल, पगडंडियाँ और जल–स्रोत अत्यधिक दबाव से बचते हैं; साथ ही शान्त वातावरण, स्वच्छता और स्थिर आय का संतुलन बना रहता है।

अपठित बोध 5

गर्मी के मौसम में वन–लगी आग केवल पेड़ों को ही नहीं, मिट्टी के जीवाणुओं, पक्षियों के घोंसलों और जल–भण्डारों को भी हानि पहुँचाती है। सूखी घास, तेज़ हवा और बेपरवाही से छोड़ी चिंगारी आग का रूप ले लेती है। समय रहते चौकीदार–घंटियाँ, निगरानी–मीनारें, गाँव–दल और नियंत्रित फायर–लाइन जैसी तैयारियाँ हों तो प्रसार कम किया जा सकता है।

वन–सीमा के पास बसे लोग यदि पत्तियों और झाड़ियों को खाद–गड्ढों में सड़ाएँ तथा खेत–सीमा पर हरी पट्टियाँ बनाएँ, तो ईंधन–सामग्री घटती है। विद्यालय और स्वयंसेवी–समूह ‘जागरण–पथ’ निकालकर धूम्र–संकेत देखना, सूचना देना और सुरक्षित निकास–मार्ग समझाते हैं। सामूहिक अनुशासन से प्रकृति और आजीविका दोनों सुरक्षित रहती हैं।

प्रश्न 1: वन–आग फैलने का एक प्रमुख कारण चुनिए। (1 अंक)
(क) भारी वर्षा
(ख) सूखी घास और बेपरवाही से निकली चिंगारी
(ग) हिमपात
(घ) मिट्टी की नमी
उत्तर: (ख)

प्रश्न 2: आग रोकने के लिये कौन–सा उपाय उपयुक्त है? (1 अंक)
(क) जंगल में कचरा जलाना
(ख) नियंत्रित फायर–लाइन बनाना
(ग) सूखी पत्तियाँ खुले में छोड़ना
(घ) सूचना न देना
उत्तर: (ख)

प्रश्न 3: कथन—गाँव–दल और निगरानी–मीनारें आग–नियन्त्रण में सहायक हैं। कारण—प्रारम्भिक सूचना मिलने पर दल शीघ्र पहुँचकर फैलाव रोक सकते हैं। (1 अंक)
(क) दोनों गलत
(ख) कारण सही, कथन गलत
(ग) कथन सही, कारण उचित व्याख्या नहीं करता
(घ) दोनों सही और कारण सही व्याख्या करता है
उत्तर: (घ)

प्रश्न 4: वन–सीमा के पास रहने वाले लोग आग–जोखिम कैसे घटा सकते हैं? (2 अंक)
उत्तर: वे सूखी पत्तियों और झाड़ियों को खाद–गड्ढों में सड़ाकर ईंधन–सामग्री कम करते हैं तथा खेत–सीमा पर हरी पट्टियाँ बनाए रखकर आग की लपटों को प्राकृतिक अवरोध प्रदान करते हैं।

प्रश्न 5: सामाजिक जागरूकता के कार्यक्रमों का क्या महत्व है? (2 अंक)
उत्तर: ऐसे कार्यक्रम लोगों को धूम्र–संकेत पहचानना, त्वरित सूचना देना और सुरक्षित निकास–मार्ग अपनाना सिखाते हैं, जिससे घबराहट घटती है और बचाव कार्य समय पर सम्भव होता है।

अपठित बोध 6

कृषि–अवशेष जैसे पुआल, पत्तियाँ और गोबर यदि खुले में जला दिये जाएँ तो धुआँ, कार्बन–कण और मिट्टी–क्षरण बढ़ता है; परन्तु इन्हीं से खाद, गैस और गोठ–ईंट तैयार की जाए तो खेत की उर्वरता और गाँव की ऊर्जा–सुरक्षा दोनों में लाभ होता है। सामूहिक संयन्त्र लगने पर गंध का नियन्त्रण, गैस–संग्रह और खाद–वितरण व्यवस्थित ढंग से किया जा सकता है।

किसानों को प्रशिक्षण, ऋण–सुविधा और बाज़ार–जुड़ाव मिले तो वे अवशेष–प्रबन्ध को रोज़गार का माध्यम बना सकते हैं। विद्यालय–स्तर पर विज्ञान–प्रदर्शनियों में ऐसे मॉडल दिखाने से बच्चों में प्रयोग–शीलता आती है और घर–गाँव में स्वच्छता–भावना मजबूत होती है।

प्रश्न 1: कृषि–अवशेष जलाने से क्या हानि होती है? (1 अंक)
(क) मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है
(ख) धुआँ और कार्बन–कण बढ़ते हैं
(ग) वर्षा बढ़ जाती है
(घ) जल–निकास रुकता है
उत्तर: (ख)

प्रश्न 2: अवशेष–प्रबन्ध का टिकाऊ तरीका कौन–सा है? (1 अंक)
(क) खुले में जलाना
(ख) सड़क पर फेंक देना
(ग) खाद व गैस बनाने के लिये संयन्त्र लगाना
(घ) नदी में बहा देना
उत्तर: (ग)

प्रश्न 3: कथन—सामूहिक संयन्त्र गंध और संग्रह–समस्या का समाधान कर सकते हैं। कारण—समुचित ढक्कन, पाइप–जाल और नियत सफाई से प्रक्रिया नियंत्रित रहती है। (1 अंक)
(क) दोनों गलत
(ख) कारण सही, कथन गलत
(ग) कथन सही, कारण उचित व्याख्या नहीं करता
(घ) दोनों सही और कारण सही व्याख्या करता है
उत्तर: (घ)

प्रश्न 4: गाँव–स्तर पर अवशेष–प्रबन्ध रोजगार का माध्यम कैसे बनता है? (2 अंक)
उत्तर: प्रशिक्षण और ऋण–सहायता मिलने पर किसान खाद, गैस और गोठ–ईंट का उत्पादन–विक्रय कर पाते हैं, जिससे अतिरिक्त आय बनती है और स्थानीय युवाओं को कार्य–अवसर मिलते हैं।

प्रश्न 5: विद्यालय–स्तर पर मॉडल–प्रदर्शनी का क्या लाभ है? (2 अंक)
उत्तर: इससे छात्र सरल उपकरणों से ऊर्जा और खाद–निर्माण की प्रक्रियाएँ समझते हैं, प्रयोग–शीलता बढ़ती है और वे घर–गाँव में स्वच्छता तथा संसाधन–संरक्षण के संदेशवाहक बनते हैं।

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==================== पद्यांश 1

चलते–चलते धूल में भी दीप–सी चमक जगी,
साँझ के भीतर कहीं भोर की हल्की धुन बजी।
रास्ते के पेड़ बोले, धैर्य से कदम बढ़ा,
पाँव के छाले कहें—रुकना नहीं, समय कड़ा।

बूँद–बूँद जोड़कर बादल ने घेरा आसमान,
रात भर जागी नदी, ढूँढ़ती अपना जहान।
स्वप्न के भीतर उजाला बो रहा कोई किसान,
बीज–सा विश्वास लेकर लौटता हर इंसान।

प्रश्न 1: कवि का मुख्य सन्देश क्या है? (1 अंक)
(क) थककर बैठ जाना चाहिए
(ख) कठिन समय में धैर्य व आशा से आगे बढ़ना चाहिए
(ग) अकेले रहना सबसे अच्छा है
(घ) यात्रा व्यर्थ है
उत्तर: (ख)

प्रश्न 2: “धूल में भी दीप–सी चमक” में कौन–सा अलंकार प्रमुख है? (1 अंक)
(क) उत्प्रेक्षा
(ख) उपमा
(ग) मानवीकरण
(घ) अतिशयोक्ति
उत्तर: (ख)

प्रश्न 3: “बूँद–बूँद जोड़कर बादल” पंक्ति से क्या भावना प्रकट होती है? (1 अंक)
(क) त्वरित लाभ की चाह
(ख) संचय और धैर्य का महत्व
(ग) विलासिता का वर्णन
(घ) भय और संशय
उत्तर: (ख)

प्रश्न 4: “बीज–सा विश्वास” का आशय स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: कवि विश्वास को बीज के समान मानता है, जो छोटा दिखते हुए भी भीतर बड़ी सम्भावनाएँ समेटे रहता है; समय, धैर्य और श्रम मिलने पर वही विश्वास अंकुर फूटने की तरह जीवन में नई उपलब्धियों और उजाले का कारण बनता है।

प्रश्न 5: “रास्ते के पेड़ बोले, धैर्य से कदम बढ़ा” पंक्ति से कवि की दृष्टि पर क्या प्रकाश पड़ता है? (2 अंक)
उत्तर: कवि प्रकृति में प्रेरणा खोजता है और साधारण वस्तुओं में भी मार्गदर्शन सुन लेता है; पेड़ों को बोलते हुए दिखाकर वह धैर्य, नियमितता और शान्त शक्ति का संदेश देता है, जो यात्री को निरन्तर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

==================== पद्यांश 2

धूप की सीढ़ी चढ़ा सूरज, छतों पर रंग उतर आया,
पगडंडी ने गाँव–गाँव से पक्का साथ निभाया।
माँ की चौखट पर तुलसी, ओस में भी हँसती रही,
चिड़िया ने आकाश–पत्र पर सुबह की खबर लिखी।

मेहनती हथेलियों में मिट्टी ने खुशबू बाँटी,
हल की नोक पर सपनों ने नन्ही धूपें छाँटी।
खेत के आख़िरी मेड़ तक गीतों की डोरी गई,
पसीने की नदिया बहते ही फसल में रोशनी हुई।

प्रश्न 1: कविता का केन्द्र क्या है? (1 अंक)
(क) विलासिता का चित्रण
(ख) श्रम और गाँव की प्रातः–उर्जा
(ग) शहर के बाज़ार
(घ) वर्षा का कोलाहल
उत्तर: (ख)

प्रश्न 2: “चिड़िया ने आकाश–पत्र पर सुबह की खबर लिखी” में कौन–सा अलंकार है? (1 अंक)
(क) अनुप्रास
(ख) मानवीकरण
(ग) रूपक
(घ) श्लेष
उत्तर: (ख)

प्रश्न 3: “पसीने की नदिया” से क्या तात्पर्य है? (1 अंक)
(क) पानी की कमी
(ख) अत्यधिक गर्मी
(ग) कठोर परिश्रम का प्रवाह
(घ) नदी का प्रकोप
उत्तर: (ग)

प्रश्न 4: “हल की नोक पर सपनों ने नन्ही धूपें छाँटी” का भाव लिखिए। (2 अंक)
उत्तर: यहाँ किसान का परिश्रम ही सपनों को आकार देता है; हल चलाने की क्रिया आशा की किरणों को चुनती–संवारती है, जिससे भविष्य का उजाला धीरे–धीरे सघन होता है और परिश्रम फल में बदलने लगता है।

प्रश्न 5: कविता में प्रकृति और मानव–श्रम का सम्बन्ध कैसे उभरता है? (2 अंक)
उत्तर: धूप, ओस, चिड़िया और मिट्टी जैसे प्राकृतिक तत्व मानव–श्रम के साथ सहभागी दिखाए गए हैं; प्रकृति प्रेरणा और ऊर्जा देती है, जबकि श्रम उसे फसल और प्रकाश में बदलता है, इस प्रकार दोनों मिलकर सुखद परिणाम रचते हैं।

==================== पद्यांश 3

बारिश थमी तो आँगन में इन्द्रधनुष टँगा रह गया,
कच्ची दीवारों पर सूरज ने हल्का सोना बह गया।
छज्जों से टप–टप गिरता जल कोई राग सुनाता,
बच्चा कागज़–नौका लेकर हर पोखर तक जाता।

गलियों में गीली मिट्टी, चम्पा का मुस्काना,
खिड़की पर बैठी दादी बोली—देखो नद का गाना।
बादल जैसे दूर–दूर तक ढोलक बजा रहे हों,
भीतर भीगी स्मृतियों में मौसम नया सा रहे हो।

प्रश्न 1: इस पद्यांश में वर्षा–बाद का वातावरण कैसा चित्रित हुआ है? (1 अंक)
(क) उदास और नीरस
(ख) उत्साहित, संगीत–मय और ताज़गी से भरा
(ग) भयावह और विनाशकारी
(घ) सूखा और धूल–भरा
उत्तर: (ख)

प्रश्न 2: “छज्जों से टप–टप गिरता जल कोई राग सुनाता” में निहित भाव क्या है? (1 अंक)
(क) जलबहाव से क्षति
(ख) पानी की कमी
(ग) वर्षा–जल की ध्वनि को संगीत के रूप में देखना
(घ) घर का शोर
उत्तर: (ग)

प्रश्न 3: “इन्द्रधनुष टँगा रह गया”—यह अभिव्यक्ति क्या सूचित करती है? (1 अंक)
(क) आकाश फट गया
(ख) रंग स्थिर होकर आश्वस्ति देते हैं
(ग) हवा रुक गई
(घ) रात हो गई
उत्तर: (ख)

प्रश्न 4: “बच्चा कागज़–नौका लेकर हर पोखर तक जाता” पंक्ति बाल–मनोवृत्ति का कौन–सा पक्ष दिखाती है? (2 अंक)
उत्तर: यह पंक्ति जिज्ञासा और खेल–भावना को प्रकट करती है; बच्चा हर छोटे–बड़े जल–संग्रह में अपनी कल्पना के साथ उतरता है, जिससे सरल चीज़ों में उल्लास खोजने और प्रकृति से अपनापा बनाने की उसकी स्वाभाविक प्रवृत्ति सामने आती है।

प्रश्न 5: दादी की पंक्ति “देखो नद का गाना” से कविता में कौन–सा वातावरण बनता है? (2 अंक)
उत्तर: दादी का संबोधन घरेलू आत्मीयता और परम्परा का स्पर्श जोड़ता है; नदी के “गाने” का उल्लेख बरसात के बाद की मधुर ध्वनियों को सांगीतिक अर्थ देता है, जिससे परिवार, प्रकृति और स्मृतियों का स्नेहिल, रसपूर्ण वातावरण निर्मित होता है।

==================== पद्यांश 4

भोर से पहले घाट जागा, लाल किनारे पर उजाला,
जाल कंधों पर रखे नावें धीमे पानी में उतरीं।
लहरें गाकर कहतीं—चलो, आज की मछलियाँ जगें,
तारों ने आख़िरी बार नाव का रस्ता नाप लिया।

पाल में भरती हवा ने साहस का हाथ थामा,
नमक की गन्ध में भी घर की रोटी का स्वाद था।
सूरज उगते ही पानी पर चाँदी सी लकीर खिंची,
माथे के पसीने ने समुद्र से दोस्ती कर ली।

प्रश्न 1: कविता का मुख्य सन्देश क्या है? (1 अंक)
(क) विलास और विश्राम का महत्व
(ख) डरकर किनारे लौट आना
(ग) श्रम और आशा के सहारे समुद्र पर निकलना
(घ) यात्रा निरर्थक है
उत्तर: (ग)

प्रश्न 2: “लहरें गाकर कहतीं” में प्रमुख अलंकार कौन–सा है? (1 अंक)
(क) उपमा
(ख) मानवीकरण
(ग) अनुप्रास
(घ) अतिशयोक्ति
उत्तर: (ख)

प्रश्न 3: “पानी पर चाँदी सी लकीर” किस दृश्य का बिंब है? (1 अंक)
(क) तेज़ आँधी
(ख) उगते सूरज का प्रकाश जल–पृष्ठ पर फैलना
(ग) नाव का रंग उतरना
(घ) अँधेरा घिरना
उत्तर: (ख)

प्रश्न 4: “पाल में भरती हवा ने साहस का हाथ थामा” — अर्थ स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: चलती हवा से नाव को गति मिलती है और मछुआरे के मन में आत्मविश्वास जागता है; प्रकृति का अनुकूल संकेत उनके साहस को सहारा देता है, इसलिए वे निडर होकर समुद्र में आगे बढ़ते हैं।

प्रश्न 5: “माथे के पसीने ने समुद्र से दोस्ती कर ली” — पंक्ति का भाव लिखिए। (2 अंक)
उत्तर: श्रम और प्रकृति का समन्वय दर्शाया गया है; जाल फेंकते हुए पसीना बहता है और वही परिश्रम समुद्र की उदारता से मिलकर जीविका व सफल फल का आधार बनता है, मानो मेहनत और समुद्र आपस में मित्र हो गए हों।

==================== पद्यांश 5

पुरानी अलमारी की किताबें धीमे–धीमे बोलतीं,
धूल हटाते ही अक्षरों से चिड़ियाएँ उड़ने लगतीं।
खिड़की पर धूप पड़ी तो पन्नों पर मौसम चमका,
किस्सों के जंगल में राह दिखाता एक छोटा नक्शा।

पढ़ते–पढ़ते मन का कमरा खुला आकाश हो गया,
शब्दों के झूले पर बैठी सोच दूर तलक झूल गई।
हर पंक्ति के भीतर छिपा एक दरवाज़ा खुला,
और पाठक अपनी ही दुनिया में नई दुनिया पा गया।

प्रश्न 1: पद्यांश का केन्द्रीय भाव क्या है? (1 अंक)
(क) किताबें बोझ हैं
(ख) पठन से मन का क्षितिज फैलता है
(ग) शोर और खेल ही श्रेष्ठ हैं
(घ) अध्ययन अनावश्यक है
उत्तर: (ख)

प्रश्न 2: “किताबें बोलतीं” में कौन–सा अलंकार है? (1 अंक)
(क) उपमा
(ख) मानवीकरण
(ग) रूपक
(घ) यमक
उत्तर: (ख)

प्रश्न 3: “किस्सों के जंगल में राह दिखाता एक छोटा नक्शा” — यहाँ ‘नक्शा’ किस बात का संकेत है? (1 अंक)
(क) केवल खेल–खिलौना
(ख) कथा और ज्ञान के भीतर छिपे मार्गदर्शक विचार
(ग) घर का पता
(घ) मौसम का परिवर्तन
उत्तर: (ख)

प्रश्न 4: “पढ़ते–पढ़ते मन का कमरा खुला आकाश हो गया” — इसका आशय लिखिए। (2 अंक)
उत्तर: पठन से सीमित सोच का संकुचित कमरा हटकर व्यापक दृष्टि विकसित होती है; ज्ञान और कल्पना के संयोग से मन स्वतंत्र, खुला और दूरदर्शी बन जाता है, मानो उसे आकाश जैसी असीमता मिल गई हो।

प्रश्न 5: “हर पंक्ति के भीतर छिपा एक दरवाज़ा” — यह पंक्ति पाठक के अनुभव पर क्या प्रकाश डालती है? (2 अंक)
उत्तर: प्रत्येक वाक्य नई सम्भावना खोलता है; अर्थ की परतें खुलते ही पाठक आत्म–खोज, नवीन विचार और ताज़ी संवेदनाओं की ओर बढ़ता है, जैसे किसी अनदेखे कक्ष में प्रवेश कर रहा हो।

==================== पद्यांश 6

दूर–दूर तक रेत की लहरें, चाँदनी चादर ओढ़े,
ऊँट की धीमी चाल में जैसे समय ठहरा हो।
काफिले के पाँव तारा–दर्शी पगडंडी पर पड़े,
ठंडी हवा ने रेत के कणों को मधुर गीत सुनाया।

मृगतृष्णा की चमक किनारे चुपचाप बैठी रही,
सामने दिशाबोध दिलाता उत्तर तारा जगमग।
कनातों पर टिककर थकान को नींद का सहारा मिला,
भोर हुई तो सूरज ने सुनहरी राह दिखा दी।

प्रश्न 1: इस पद्यांश का मुख्य संदेश क्या है? (1 अंक)
(क) रेगिस्तान में यात्रा असम्भव है
(ख) धैर्य और दिशाबोध से यात्रा सफल होती है
(ग) केवल गति ही सब कुछ है
(घ) भ्रम का पीछा करना चाहिए
उत्तर: (ख)

प्रश्न 2: “हवा ने गीत सुनाया” में कौन–सा अलंकार है? (1 अंक)
(क) उपमा
(ख) मानवीकरण
(ग) अनुप्रास
(घ) अतिशयोक्ति
उत्तर: (ख)

प्रश्न 3: ‘उत्तर तारा’ का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है? (1 अंक)
(क) भय
(ख) विलास
(ग) दिशा–निर्देशन और आश्वस्ति
(घ) विश्राम
उत्तर: (ग)

प्रश्न 4: “मृगतृष्णा की चमक किनारे चुपचाप बैठी रही” — पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। (2 अंक)
उत्तर: यात्रियों ने छलावे को पहचान लिया है; वे भ्रामक चमक से विचलित न होकर वास्तविक मार्ग पर टिके हैं, इसलिए भ्रम किनारे निष्क्रिय हो गया और यात्रा सावधानी के साथ आगे बढ़ती रही।

प्रश्न 5: “कनातों पर टिककर थकान को नींद का सहारा मिला” — इससे काफिले के जीवन के बारे में क्या ज्ञात होता है? (2 अंक)
उत्तर: रेगिस्तानी यात्रा में विश्राम आवश्यक है; काफिला तम्बुओं के नीचे साधारण साधनों से आराम करके नई ऊर्जा पाता है, जिससे अगली सुबह लक्ष्य की ओर बढ़ने की क्षमता बनी रहती है।

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