Class 10, Hindi

Class 10 : Hindi – Lesson 14. साना-साना हाथ जोड़ि

संक्षिप्त लेखक परिचय

🌟 मधु कांकरिया 🌟

📜 जन्म एवं जीवन परिचय
🔵 मधु कांकरिया का जन्म 1957 ई. में कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में हुआ।
🟢 उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की और साथ ही कंप्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा भी किया।
💠 वे एक संवेदनशील एवं समकालीन हिंदी लेखिका हैं जिनकी रचनाओं में समाज और व्यक्ति के संबंधों की गहराई मिलती है।
🌿 मधु कांकरिया की लेखनी में आधुनिक जीवन की विडंबनाएँ, स्त्री-चेतना और सामाजिक विषमताएँ प्रखर रूप से अभिव्यक्त होती हैं।
🕊️ उन्होंने अपने जीवन को साहित्य, समाज और मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पित किया है।

📚 साहित्यिक योगदान एवं कृतियाँ
✨ मधु कांकरिया की प्रमुख रचनाएँ हैं — ‘पताखोर’ (उपन्यास), ‘सलाम आख़िरी’, ‘खुले गगन के लाल सितारे’, ‘बीते हुए, अंत में ईश्व’ (कहानी-संग्रह)।
💫 उन्होंने अनेक यात्रा-वृत्तांत और निबंध भी लिखे हैं जो गहन मानवीय संवेदना से ओतप्रोत हैं।
🌸 उनके साहित्य में युवाओं की बढ़ती नशे की आदत, महानगरों का असुरक्षित जीवन, महिलाओं की स्थिति और लालबत्ती इलाकों की पीड़ा जैसे ज्वलंत विषय प्रमुखता से उभरते हैं।
🟡 उनकी रचनाओं में विचार, संवेदना और सामाजिक चेतना का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है।
💎 मधु कांकरिया हिंदी कथा-साहित्य की अग्रणी सशक्त हस्ताक्षर हैं जिन्होंने अपने लेखन से समाज की वास्तविकताओं को उजागर किया।

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पाठ का विश्लेषण  एवं  विवेचन

“साना साना हाथ जोड़ी” प्रसिद्ध लेखिका मधु कांकरिया द्वारा रचित एक यात्रा-वृत्तांत है, जिसमें उन्होंने सिक्किम की यात्रा के दौरान अपने अनुभवों, भावनाओं और प्रकृति के सौंदर्य का अत्यंत संवेदनशील और सजीव चित्रण किया है। यह पाठ न केवल एक यात्रा का विवरण है, बल्कि लेखक की आंतरिक अनुभूतियों, आत्ममंथन और प्रकृति के प्रति उसकी गहन श्रद्धा का भी परिचायक है।

लेखिका अपने मित्र के साथ सिक्किम की यात्रा पर निकलती हैं। यात्रा के आरंभ में ही उन्हें मौसम की अनिश्चितता और पहाड़ी मार्गों की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पहाड़ों की घुमावदार सड़कों, बादलों से ढकी घाटियों और हरियाली से ओतप्रोत प्राकृतिक दृश्यों ने लेखिका को मंत्रमुग्ध कर दिया। वे बार-बार प्रकृति के सौंदर्य में खो जाती हैं और उसे निहारती रहती हैं। सिक्किम की शांति, स्वच्छता और वहां के लोगों की सरलता लेखिका को अत्यंत प्रभावित करती है।

लेखिका ने सिक्किम के बौद्ध मठों का भी उल्लेख किया है, जहाँ की शांति, अनुशासन और आध्यात्मिक वातावरण ने उनके मन को गहराई से छुआ। मठों में प्रार्थना करते हुए भिक्षुओं को देखकर लेखिका के मन में भी श्रद्धा और विनम्रता का भाव उत्पन्न होता है। “साना साना हाथ जोड़ी” शीर्षक भी इसी भाव से प्रेरित है, जहाँ छोटे-छोटे बच्चे, भिक्षु और आम लोग हाथ जोड़कर अभिवादन करते हैं। यह विनम्रता और सम्मान की संस्कृति लेखिका को बहुत भाती है।

यात्रा के दौरान लेखिका को जीवन की क्षणभंगुरता का भी एहसास होता है। पहाड़ों की ऊँचाइयों और गहराइयों के बीच वे अपने जीवन की नश्वरता और प्रकृति की विराटता को महसूस करती हैं। सिक्किम की सुंदरता, वहां की शांति, और लोगों की सरलता ने लेखिका के मन में एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता भर दी। वे महसूस करती हैं कि प्रकृति के सान्निध्य में मनुष्य अपने अहंकार और व्यर्थ की चिंताओं को भूल जाता है।

लेखिका ने सिक्किम की संस्कृति, रीति-रिवाजों और वहां के लोगों की जीवनशैली का भी सुंदर चित्रण किया है। वे बताती हैं कि सिक्किम के लोग प्रकृति के बहुत निकट रहते हैं और उसका आदर करते हैं। वहां की स्वच्छता, अनुशासन और पर्यावरण के प्रति जागरूकता देखकर लेखिका को अपने देश के अन्य हिस्सों की याद आती है, जहाँ इन बातों की कमी है।

अंत में, यह पाठ हमें यह सिखाता है कि जीवन में यात्रा केवल स्थानों का बदलाव नहीं, बल्कि मन और आत्मा का विस्तार भी है। प्रकृति के साथ एकात्मता, विनम्रता और श्रद्धा का भाव ही सच्चे अर्थों में जीवन को सुंदर बनाता है। “साना साना हाथ जोड़ी” पाठ न केवल यात्रा का वर्णन है, बल्कि यह पाठक के मन में भी प्रकृति और जीवन के प्रति एक नई दृष्टि और संवेदनशीलता उत्पन्न करता है।


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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न



🔴 प्रश्न 1.
खिलखिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंगटोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?
🟢 उत्तर:
गंगटोक का शांत, स्वच्छ और सौंदर्यमयी वातावरण सितारों की खिलखिलाती रोशनी में ऐसा लग रहा था जैसे पूरी प्रकृति कोई दिव्य आयोजन कर रही हो। उस दृश्य ने लेखिका को सम्मोहित कर लिया क्योंकि शहर का सौंदर्य चंद्रमा और सितारों की रौशनी में और अधिक रहस्यमय एवं आकर्षक हो गया था।

🔴 प्रश्न 2.
गंगटोक को “महानगरों बादशाहों का शहर” क्यों कहा गया?
🟢 उत्तर:
लेखिका गंगटोक की तुलना महानगरों से करते हुए उसे बादशाहों का शहर इसलिए कहती हैं क्योंकि यहाँ की व्यवस्था, शांति, स्वच्छता, अनुशासन और प्राकृतिक सौंदर्य इतना अद्वितीय था कि वह किसी राजा-महाराजा के स्वप्नलोक जैसा प्रतीत हो रहा था। यहां के लोग जम के मेहनत करते है और फिर जम के आनंद करते है.

🔴 प्रश्न 3.
कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?
🟢 उत्तर:
लेखिका के अनुसार सफेद पताकाएँ शोक, मृत्यु या किसी विशेष धार्मिक अवसर को दर्शाती हैं, जबकि रंगीन पताकाएँ उत्सव, प्रार्थना एवं सुख-शांति के प्रतीक होती हैं। ये पताकाएँ बौद्ध परंपरा का अंग हैं और अलग-अलग भावनात्मक एवं धार्मिक अवस्थाओं का संकेत देती हैं।

🔴 प्रश्न 4.
जिनतेन गोंपो ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए।
🟢 उत्तर:
जिनतेन गोंपो ने लेखिका को बताया कि सिक्किम की भौगोलिक स्थिति अत्यंत विषम है, यहाँ ऊँचे पहाड़, गहरी घाटियाँ, और तेज ढलान हैं। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि यहाँ का जनजीवन पूरी तरह से प्राकृतिक संसाधनों और मौसम पर निर्भर है। लोग अत्यंत अनुशासित, शिष्ट और प्रकृति-प्रेमी हैं।

🔴 प्रश्न 5.
लॉन्ग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक–सी क्यों दिखाई दी?
🟢 उत्तर:
लेखिका को लॉन्ग स्टॉक में घूमते हुए चक्र में पूरे भारत की आत्मा एक जैसी इसलिए प्रतीत हुई क्योंकि वह चक्र एकता, आध्यात्म और शांति का प्रतीक था, जो भारत की विविधता में एकता की भावना को प्रकट करता है। यह दृश्य उसे भारत की सांस्कृतिक समानता का प्रतीक लगा।

🔴 प्रश्न 6.
जिनतेन गोंपो की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?
🟢 उत्तर:
जिनतेन गोंपो एक कुशल गाइड के रूप में अत्यंत ज्ञानवान, विनम्र, सहनशील और संवेदनशील व्यक्ति थे। एक अच्छे गाइड में स्पष्ट संप्रेषण क्षमता, इतिहास और संस्कृति की जानकारी, पर्यटकों के प्रति धैर्य और मार्गदर्शन की कला होना आवश्यक है – जो सभी गुण गोंपो में विद्यमान थे।

🔴 प्रश्न 7.
इस यात्रा–वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन–जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
🟢 उत्तर:
लेखिका ने हिमालय के शांत, रहस्यमयी, विशाल, सौंदर्यमयी और रहन-सहन से भरपूर रूपों का वर्णन किया है। हिमालय कभी ध्यानस्थ योगी जैसा लगता है, तो कभी चंचल बच्चे की भाँति। वहाँ की हर चोटी, घाटी, फूल, बर्फ और सूर्य की किरणें मिलकर अद्भुत दृश्य रचते हैं।

🔴 प्रश्न 8.
प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?
🟢 उत्तर:
लेखिका को प्रकृति के अनंत और विराट स्वरूप को देखकर आत्मविस्मृति की अनुभूति होती है। उन्हें लगता है जैसे वह प्रकृति की गोद में लीन हो रही हों। यह दृश्य उन्हें जीवन की सच्चाई और अस्तित्व की विशालता का अनुभव कराता है, जिससे उनका हृदय श्रद्धा और कृतज्ञता से भर उठता है।

🔴 प्रश्न 9.
प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?
🟢 उत्तर:
जब लेखिका प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी हुई थीं, तभी उन्हें पहाड़ों के पार बसे दलित बस्तियों की दुर्दशा, कुपोषित बच्चों के शरीर, टूटे हुए घर, और गरीब जीवन की वास्तविकताएं झकझोर देती हैं। ये दृश्य उन्हें याद दिलाते हैं कि सौंदर्य के पीछे एक क्रूर सच्चाई भी है।

🔴 प्रश्न 10.
सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में किन–किन लोगों की उपयोगिता होती है, उदाहरण दें।
🟢 उत्तर:
सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में गाइड, स्थानीय लोग, होटल कर्मचारी, वाहन चालक, एवं पर्यटन केंद्र के कार्यकर्ता आदि की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। उदाहरणतः – जिनतेन गोंपो जैसे गाइड पर्यटकों को स्थान विशेष की सांस्कृतिक, प्राकृतिक और ऐतिहासिक जानकारी देकर उनका अनुभव समृद्ध बनाते हैं।

🔴 प्रश्न 11.
“कितना कुछ लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देते हैं” – इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की गरीबी की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?
🟢 उत्तर:
इस कथन का तात्पर्य है कि समाज के गरीब वर्ग सीमित संसाधनों में भी कठिन श्रम कर समाज को बहुत कुछ प्रदान करते हैं – जैसे निर्माण, कृषि, श्रम आदि क्षेत्रों में कार्य करके। लेकिन बदले में उन्हें अत्यंत कम मिल पाता है। इस असंतुलन को दूर कर उनकी आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करनी चाहिए।

🔴 प्रश्न 12.
आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है? इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए?
🟢 उत्तर:
आज की पीढ़ी द्वारा पेड़ों की कटाई, जलस्रोतों का दोहन, प्रदूषण फैलाना, प्लास्टिक उपयोग, और अंधाधुंध शहरीकरण जैसे कार्यों से प्रकृति का ह्रास हो रहा है। इसे रोकने के लिए हमें वृक्षारोपण करना, जल संरक्षण करना, पर्यावरण मित्र व्यवहार अपनाना तथा दूसरों को जागरूक करना चाहिए।

🔴 प्रश्न 13.
प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का ज़िक्र किया गया है। प्रदूषण के और कौन–कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखिए।
🟢 उत्तर:
प्रदूषण के कारण न केवल स्नोफॉल में कमी आई है, बल्कि तापमान वृद्धि, ऋतुओं का असंतुलन, जलवायु परिवर्तन, हिमखंडों का पिघलना, नदियों का सूखना, सांस संबंधी रोगों में वृद्धि आदि दुष्परिणाम भी सामने आए हैं।

🔴 प्रश्न 14.
‘कटाओ’ पर किसी भी प्रकार का न होना उनको फैलने पर मजबूर करता है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए।
🟢 उत्तर:
यह कथन बिल्कुल सही है। यदि कचरे के उचित निपटान की व्यवस्था न हो तो वे इधर-उधर फैल जाते हैं, जिससे न केवल दृश्य प्रदूषण होता है बल्कि जल और वायु भी दूषित होते हैं। कचरा प्रबंधन के लिए नागरिकों को जागरूक होना चाहिए और नगरपालिका को प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।यदि कटाओ पर कोई दुकान होती या ज्यादा भीड़ होती तो वह जगह भी बर्बाद हो जाती उसका सौन्दर्य नष्ट हो जाता .

🔴 प्रश्न 15.
प्रकृति ने जल संचयन की व्यवस्था किस प्रकार की है?
🟢 उत्तर:
प्रकृति ने जल संचयन की व्यवस्था पर्वतों पर हिम के रूप में, नदियों, झीलों, झरनों, और भूमिगत जल के रूप में की है। पेड़-पौधे जल को भूमि में संचित करने में मदद करते हैं, और वर्षा के जल को पहाड़ों द्वारा नदियों में पहुँचाया जाता है।

🔴 प्रश्न 16.
देश की सीमा पर बैठे सैनिक किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व बनता है?
🟢 उत्तर:
सीमा पर तैनात सैनिक बर्फबारी, कड़ाके की ठंड, ऑक्सीजन की कमी, कठिन भूगोल, एकाकीपन, दुश्मन के खतरे जैसी अनेक कठिनाइयों से जूझते हैं। उनके प्रति हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें सम्मान दें, उनके बलिदान को समझें, देश में अनुशासन और एकता बनाए रखें तथा उनके परिवारों का सहयोग करें।


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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न


प्रश्न 1: लेखिका मधु कांकरिया ने “साना साना हाथ जोड़ी” शीर्षक क्यों चुना?
उत्तर: लेखिका मधु कांकरिया ने इस पाठ का शीर्षक “साना साना हाथ जोड़ी” एक नेपाली युवती की प्रार्थना से लिया है। इस प्रार्थना का अर्थ है “छोटे छोटे हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हूँ”। जब लेखिका सिक्किम की यात्रा पर थीं, तो उन्होंने सुबह-सुबह एक नेपाली युवती से यह प्रार्थना सुनी थी। यह प्रार्थना लेखिका को इतनी मार्मिक और सुंदर लगी कि उन्होंने इसे अपने यात्रा वृत्तांत का शीर्षक बनाया। यह शीर्षक सिक्किम की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाता है और लेखिका के मन पर पड़े गहरे प्रभाव को भी प्रकट करता है।

प्रश्न 2: गंगटोक को “मेहनतकश बादशाहों का शहर” क्यों कहा गया है? इसके सामाजिक संदेश को स्पष्ट करें।
उत्तर: गंगटोक को “मेहनतकश बादशाहों का शहर” इसलिए कहा गया है क्योंकि यहाँ के लोग अत्यधिक मेहनती हैं और कठिन परिस्थितियों में भी जीवन को सुंदर बनाने का प्रयास करते हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहाँ जीवन अत्यंत कठिन है – पत्थरों को काटकर रास्ते बनाने पड़ते हैं, औरतें पत्थर तोड़ती हैं, और अपनी पीठ पर बच्चों को बाँधकर काम करती हैं। हरे-भरे बागानों में युवतियाँ चाय की पत्तियाँ तोड़ती हैं और बच्चे भी अपनी माँ के साथ काम करते हैं। सामाजिक संदेश: यह शीर्षक मेहनत की गरिमा और कठिन परिस्थितियों में भी मानवीय दृढ़ता को दर्शाता है। यह हमें सिखाता है कि सच्चा सम्मान और खुशी धन-संपत्ति में नहीं बल्कि ईमानदारी और मेहनत में है।

प्रश्न 3: सिक्किम में रंगीन और श्वेत पताकाओं का क्या महत्व है? इनका सांस्कृतिक संदर्भ स्पष्ट करें।
उत्तर: सिक्किम में पताकाओं का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। श्वेत पताकाएँ: ये बौद्ध धर्म में शांति और अहिंसा की प्रतीक हैं। इन पर मंत्र लिखे होते हैं और जब किसी बौद्ध की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा की शांति के लिए 108 श्वेत पताकाएँ फहराई जाती हैं। रंगीन पताकाएँ: ये किसी नए कार्य के शुभारंभ के अवसर पर फहराई जाती हैं। ये खुशी, उत्सव और नई शुरुआत का प्रतीक हैं। सांस्कृतिक संदर्भ: ये पताकाएँ तिब्बती बौद्ध परंपरा का हिस्सा हैं और हवा के साथ फहराकर प्रार्थनाओं को ब्रह्मांड में फैलाने का माध्यम मानी जाती हैं। यह सिक्किम की मिश्रित संस्कृति – नेपाली, भूटानी और तिब्बती – का सुंदर उदाहरण है।

प्रश्न 4: लेखिका के मन पर सिक्किम की प्राकृतिक सुंदरता का क्या प्रभाव पड़ा? इसे अपने शब्दों में वर्णित करें।
उत्तर: सिक्किम की प्राकृतिक सुंदरता का लेखिका के मन पर गहरा और रूपांतरकारी प्रभाव पड़ा। मनोवैज्ञानिक प्रभाव: रात में झिलमिलाते सितारों से नहाया गंगटोक उन्हें जादुई अनुभूति देता है, जैसे उनका अस्तित्व ही स्थगित हो गया हो। वे आत्मिक सुख की अतींद्रियता में डूब जाती हैं। व्यक्तित्व परिवर्तन: लेखिका अपने आप को बदलता हुआ महसूस करती है – वे कभी प्रकृति प्रेमी, कभी विद्वान संत या दार्शनिक के समान हो जाती हैं। दार्शनिक जागृति: पहाड़ों की खूबसूरती, कल-कल बहती नदियों, ऊंचे जलप्रपातों और बर्फ से ढके पहाड़ों को देखकर वे प्रकृति की महानता के सामने नम्र हो जाती हैं। यह यात्रा उनके लिए केवल भौगोलिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक यात्रा भी बन जाती है, जो उनकी चेतना को नए आयाम देती है।

प्रश्न 5: मधु कांकरिया के व्यक्तित्व और साहित्यिक योगदान का संक्षिप्त परिचय दें। उनकी अन्य प्रमुख कृतियों का भी उल्लेख करें।
उत्तर: जन्म और शिक्षा: मधु कांकरिया का जन्म 23 मार्च, 1957 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. किया है और कंप्यूटर विज्ञान में डिप्लोमा भी प्राप्त किया है। साहित्यिक योगदान: वे एक प्रतिष्ठित उपन्यासकार और कहानीकार हैं। उनकी रचनाएँ सामाजिक यथार्थ और मानवीय संवेदनाओं को गहराई से प्रस्तुत करती हैं। प्रमुख कृतियाँ: उपन्यास – “खुले गगन के लाल सितारे”, “सलाम आखिरी”, “पत्ताखोर”, “सेज पर संस्कृत”, “हम यहाँ थे”, “सूखते चिनार”। कहानी-संग्रह – “बीतते हुए”, “चिड़िया ऐसे मरती है”, “भरी दोपहरी के अंधेरे”। यात्रा वृत्तांत – “बादलों में बारूद”। सम्मान: उन्हें कथाक्रम पुरस्कार, हेमचंद्र स्मृति साहित्य सम्मान, विजय वर्मा कथा सम्मान आदि से सम्मानित किया गया है। उनकी रचनाएँ तेलुगू, मराठी सहित कई भाषाओं में अनुवादित हैं।

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