Class 10, Hindi

Class 10 : Hindi – Lesson 10. एक कहानी यह भी मन्नू: भंडारी

संक्षिप्त लेखक परिचय


🟢 ✦ जीवन परिचय
🔸 मन्नू भंडारी का जन्म मध्य प्रदेश के भानपुरा नगर में हुआ।
🔸 उनके पिता सुखसम्मत भंडारी प्रसिद्ध लेखक और स्वतंत्रता सेनानी थे।
🔸 मन्नू भंडारी ने स्नातकोत्तर की पढ़ाई कोलकाता विश्वविद्यालय से की।
🔸 वे दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज में हिंदी प्रवक्ता रहीं।
🔸 उनका विवाह प्रसिद्ध लेखक राजेंद्र यादव से हुआ।
🔸 उनका देहांत 15 नवंबर 2021 को हुआ।

🟡 ✦ साहित्यिक योगदान
🖋️ मन्नू भंडारी को नई कहानी आंदोलन की प्रमुख लेखिकाओं में गिना जाता है।
🖋️ उनका लेखन स्त्री चेतना, सामाजिक यथार्थ और मानसिक संघर्षों पर केंद्रित रहा।
🖋️ आपका बंटी, एक इंच मुस्कान, महाभोज जैसे उपन्यासों ने हिंदी साहित्य को नई दिशा दी।
🖋️ उनकी कहानियों में आम स्त्री की पीड़ा, आत्मसम्मान और आकांक्षाएं सजीव रूप में व्यक्त हुई हैं।
🖋️ उन्होंने सामाजिक अन्याय, वैवाहिक तनाव और राजनीतिक भ्रष्टाचार को भी रचनात्मक दृष्टि से उठाया।
🖋️ सरल, संवेदनशील और प्रभावशाली भाषा उनकी विशेषता रही।
🖋️ उनकी कृतियाँ आज भी स्त्री विमर्श और सामाजिक यथार्थ के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक मानी जाती हैं।
🖋️ हिंदी कथा साहित्य में उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायी है।

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पाठ का विश्लेषण  एवं  विवेचन



🟢 पाठ का संदर्भ और पृष्ठभूमि
🔹 यह आत्मकथ्यात्मक रचना मन्नू भंडारी के जीवन के भावनात्मक और साहित्यिक पहलुओं को उजागर करती है।
🔹 रचना में लेखिका ने उन व्यक्तियों और घटनाओं का उल्लेख किया है, जिन्होंने उनके लेखकीय जीवन को प्रभावित किया।
🔹 यह कोई पारंपरिक आत्मकथा नहीं, बल्कि स्मृति-चित्रों का जीवंत संग्रह है।

🟡 लेखिका का जीवन परिचय
✳️ प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
🔸 जन्म: 3 अप्रैल 1931, भानपुरा गाँव (म.प्र.)
🔸 वास्तविक नाम: महेंद्र कुमारी
🔸 पिता: सुख संपतराय भंडारी – स्वतंत्रता सेनानी, शब्दकोश निर्माता
🔸 माता: अनूप कुमारी – अशिक्षित परंपरागत गृहिणी


✳️ शिक्षा और व्यावसायिक जीवन
🔹 शिक्षा: इंटर तक अजमेर, फिर हिंदी में एम.ए.
🔹 करियर: मिरांडा हाउस कॉलेज (दिल्ली) में हिंदी प्रवक्ता
🔹 प्रारंभ: हिंदी प्रोफेसर के रूप में साहित्यिक जीवन की शुरुआत

🔵 पाठ की मुख्य विषयवस्तु
✴️ पिता का चरित्र चित्रण
🖋️ कोमल–संवेदनशील, पर साथ ही क्रोधी और अहंवादी
🖋️ समाज-सुधारक, पर नवाबी आदतों और विफल महत्वाकांक्षाओं से ग्रस्त
🖋️ आर्थिक संकट ने उनके व्यक्तित्व को तीव्र रूप से प्रभावित किया


✴️ माता का चरित्र
🖋️ अशिक्षित, परंपरागत भारतीय नारी
🖋️ समर्पण और त्याग की मूर्ति
🖋️ सबकी इच्छाओं का पालन करने वाली गृहिणी

🟣 लेखिका की व्यक्तित्व निर्माण प्रक्रिया
✳️ पिता का प्रभाव
🔹 रंगभेद और तुलना से हीनभावना
🔹 पिताजी का शक्की स्वभाव लेखिका में भी झलकता है
🔹 उनके विरोध में उपजा आत्मसंकल्प लेखिका के आत्मबल का आधार बना


✳️ शीला अग्रवाल का प्रभाव
🖋️ शिक्षिका जिन्होंने खोया आत्मविश्वास लौटाया
🖋️ उच्च साहित्य से परिचय कराया
🖋️ लेखिका को सामाजिक आंदोलन और साहित्य की ओर प्रेरित किया

🟡 स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी
✳️ युगीन परिस्थितियां
🔸 1946-47 का जोशीला वातावरण
🔸 प्रभात फेरियां, हड़तालें, जुलूस – आम युवाओं का उत्साह


✳️ लेखिका की सक्रिय भूमिका
🖋️ कॉलेज नेतृत्व
🖋️ भाषण, हड़ताल, संगठन में सक्रिय योगदान
🖋️ एक किशोरी द्वारा आजादी की लड़ाई में जीवंत भागीदारी

🔵 पिता–पुत्री संबंधों में बदलाव
✳️ प्रारंभिक तनाव
🔹 स्त्री शिक्षा को लेकर सीमित सोच
🔹 सार्वजनिक गतिविधियों को लेकर विरोध


✳️ गर्व और संतोष
🖋️ कॉलेज हड़ताल के नेतृत्व पर पिताजी का गौरव
🖋️ बेटी की सामाजिक भागीदारी को अंततः स्वीकार किया

🟢 पड़ोस संस्कृति का महत्व
✳️ पारंपरागत पड़ोस कल्चर
🔸 लेखिका की प्रारंभिक कहानियों का प्रेरक स्रोत
🔸 सामाजिक आत्मीयता और सह-अस्तित्व का भाव


✳️ आधुनिक फ्लैट कल्चर की समस्या
🖋️ सामाजिक अलगाव और असुरक्षा
🖋️ साहित्यिक दृष्टि से प्रेरणा का अभाव

🟣 भाषा और शैली की विशेषताएं
✳️ आत्मकथ्यात्मक शैली
🔹 व्यक्तिगत अनुभवों की सहज अभिव्यक्ति
🔹 प्रवाहमान, सरल भाषा


✳️ मुहावरों का प्रयोग
🖋️ “खरी-खोटी सुनाना”, “आग-बबूला होना”
🖋️ भाषा को रोचक और जीवंत बनाते हैं


✳️ संवेदनशील अभिव्यक्ति
🔹 रिश्तों, संघर्षों, अनुभवों में गहरी भावुकता
🔹 आत्मनिरीक्षण और आत्मस्वीकृति

🟡 सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भ
✳️ नारी शिक्षा की समस्या
🔸 मैट्रिक तक की शिक्षा के बाद विवाह
🔸 स्त्रियों को सीमित दायरे में रखने की प्रवृत्ति


✳️ स्वतंत्रता संग्राम का चित्रण
🖋️ समय की राजनैतिक हलचल
🖋️ युवा वर्ग की भूमिका और उत्साह

🔵 पाठ का संदेश और शिक्षा
✳️ व्यक्तित्व निर्माण में परिवेश की भूमिका
🔹 परिवार, शिक्षक, और समाज मिलकर व्यक्ति का निर्माण करते हैं


✳️ आत्मविश्वास का महत्व
🖋️ उचित प्रेरणा मिलने पर कोई भी हीनभावना से उबर सकता है


✳️ सामाजिक चेतना की आवश्यकता
🔹 अपने समय के सामाजिक-राजनीतिक परिवेश से जुड़ाव आवश्यक है

🟢 समसामयिक प्रासंगिकता
✳️ आधुनिक नारी की स्थिति
🖋️ आज भी स्त्रियों को समान अवसरों की चुनौती
🖋️ मन्नू भंडारी की जीवनगाथा प्रेरणा देती है


✳️ व्यक्तित्व विकास की चुनौतियां
🔹 आत्मविश्वास की कमी, पारिवारिक दबाव – आज भी प्रासंगिक


✳️ सामुदायिकता बनाम व्यक्तिवाद
🖋️ पड़ोसी संस्कृति का लोप
🖋️ आधुनिक समाज में सामाजिक जुड़ाव का अभाव

🟣 निष्कर्ष
🔹 ‘एक कहानी यह भी’ संघर्ष, आत्म-निर्माण और सामाजिक चेतना की कहानी है।
🔹 यह केवल लेखिका की कथा नहीं बल्कि उस युग की सामाजिक दस्तावेज भी है।
🔹 पाठक को प्रेरणा देता है कि कठिनाइयों के बावजूद संकल्प और मार्गदर्शन से लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

🟡 सारांश
‘एक कहानी यह भी’ में लेखिका ने किशोर जीवन से लेखकीय पहचान तक की यात्रा का चित्रण किया है। परिवार, शिक्षकों और सामाजिक परिवेश का प्रभाव उनके व्यक्तित्व निर्माण में निर्णायक रहा। स्वतंत्रता आंदोलन की सक्रिय भागीदारी ने उनमें आत्मविश्वास जगाया। पारंपरिक पड़ोस संस्कृति उनके लेखन को प्रेरणा देती रही। यह रचना आत्मविकास और सामाजिक चेतना का प्रेरणादायक दस्तावेज है।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न



🟢 प्रश्न-अभ्यास (पृष्ठ संख्या: 100)


🔸 प्रश्न 1:
लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
लेखिका के व्यक्तित्व पर पिता और शीला अग्रवाल का प्रभाव पड़ा।
पिता का प्रभाव – तुलना, रंगभेद और शक्की स्वभाव ने लेखिका में हीनभावना भर दी, लेकिन उन्होंने लेखिका को राजनीतिक रूप से जागरूक भी बनाया।
शीला अग्रवाल का प्रभाव – उन्होंने लेखिका का आत्मबल बढ़ाया, साहित्य की दिशा में आगे बढ़ाया और जीवन में सक्रियता लाई।


🔸 प्रश्न 2:
इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है?
उत्तर:
क्योंकि उनका मानना था कि रसोई के काम में स्त्रियों की प्रतिभा और ऊर्जा व्यर्थ चली जाती है। चूल्हे-चौके की दुनिया स्त्री को सीमित कर देती है और उसकी सृजनात्मकता नष्ट हो जाती है।


🔸 प्रश्न 3:
वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर?
उत्तर:
जब कॉलेज की प्रिंसिपल ने लेखिका के आंदोलनात्मक नेतृत्व की सराहना की और पिता जी ने उसका समर्थन किया। यह देखकर लेखिका को अपनी आँखों और कानों पर विश्वास नहीं हुआ।


🔸 प्रश्न 4:
लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
लेखिका की टकराहट मुख्य रूप से स्त्री-स्वतंत्रता, विवाह, समाज में भूमिका, रंगभेद और पिता के स्त्रियों के प्रति व्यवहार को लेकर थी। पिता सीमित दायरे के पक्षधर थे जबकि लेखिका खुलकर जीने की इच्छुक थी।


🔸 प्रश्न 5:
इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
1946–47 का समय आंदोलन से भरा था। लेखिका ने हड़ताल कराई, भाषण दिए, नारे लगाए और विरोध प्रकट किया। उन्होंने पूरे कॉलेज का नेतृत्व किया। यह सब उनकी संगठन क्षमता और साहस का प्रमाण था।


🔸 प्रश्न 6:
लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
आज की स्थिति में बदलाव आया है।
लड़कियाँ अब शिक्षा, खेल और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं।
हालाँकि कुछ जगहों पर रूढ़ियाँ और पाबंदियाँ अभी भी मौजूद हैं, परंतु समग्र रूप से लड़कियों को अधिक अवसर मिल रहे हैं।


🔸 प्रश्न 7:
मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है। परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्राय: ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
पड़ोस कल्चर से भावनात्मक जुड़ाव, सहयोग, पारस्परिकता और सुरक्षा मिलती है।
आज फ्लैट संस्कृति के कारण लोग एक-दूसरे से कट गए हैं।
लेखिका का कहना है कि उनके लेखन में पड़ोस कल्चर की भूमिका रही है, जो आज दुर्लभ होती जा रही है।

🟡 रचना और अभिव्यक्ति


🔸 प्रश्न 8:
लेखिका द्वारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची बनाइए और उन उपन्यासों को अपने पुस्तकालय में खोजिए।
उत्तर:
शेखर एक जीवनी (अज्ञेय)
सुनीता (जैनेंद्र)
नदी के द्वीप (अज्ञेय)
चित्रलेखा (भगवती चरण वर्मा)
त्याग-पत्र (जैनेंद्र)


🔸 प्रश्न 9:
आप भी अपने दैनिक अनुभवों को डायरी में लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं अपने अनुभवों को डायरी में नियमित रूप से लिखें।

🔵 भाषा अध्ययन (पृष्ठ संख्या: 101)


🔸 प्रश्न 10:
इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ:
(क) लू उतारी
– शिक्षक ने होमवर्क न करने पर मेरी लू उतार दी।
– माता जी ने देर से आने पर मेरी लू उतारी।


(ख) आग लगाना
– मेरे पीछे से भाई ने पिताजी के कान भर दिए और आग लगा दी।
– झगड़े में एक पड़ोसी ने आग लगाई।


(ग) थू-थू करना
– तुम्हारे व्यवहार से लोग थू-थू करेंगे।
– समाज में ऐसा काम न करो कि लोग थू-थू करें।


(घ) आग-बबूला
– मेरी बात सुनते ही वह आग-बबूला हो गया।
– छोटे से कारण पर वह क्यों आग-बबूला हो रहा है?

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न



🔵 भाग 1 – बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) [प्रश्न 1–5]


प्रश्न 1. मन्नू भंडारी ने किस माध्यम से लेखन कार्य आरंभ किया था?
(अ) नाटक लेखन से
(ब) समाचार लेखन से
(स) कहानी लेखन से
(द) आत्मकथा से
उत्तर: (स) कहानी लेखन से


प्रश्न 2. ‘एक कहानी यह भी’ में मन्नू भंडारी ने अपने किस जीवन पक्ष पर विशेष प्रकाश डाला है?
(अ) लेखिका बनने की यात्रा
(ब) उपन्यास प्रकाशन
(स) समाज सेवा
(द) विदेश यात्रा
उत्तर: (अ) लेखिका बनने की यात्रा


प्रश्न 3. किस कारण से मन्नू भंडारी ने ‘अपने लेखन में पति से अलग राह’ चुनी?
(अ) पति का समर्थन न मिलना
(ब) साहित्यिक स्वतंत्रता की आवश्यकता
(स) समय की कमी
(द) परिवारिक दबाव
उत्तर: (ब) साहित्यिक स्वतंत्रता की आवश्यकता


प्रश्न 4. मन्नू भंडारी के लेखन में कौन-सी विशेषता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है?
(अ) रहस्य और रोमांच
(ब) नारी जीवन की सच्चाइयाँ
(स) पौराणिक कथाएँ
(द) हास्य और व्यंग्य
उत्तर: (ब) नारी जीवन की सच्चाइयाँ


प्रश्न 5. किस प्रसिद्ध साहित्यकार से मन्नू भंडारी का विवाह हुआ था?
(अ) हरिशंकर परसाई
(ब) धर्मवीर भारती
(स) राजेन्द्र यादव
(द) मोहन राकेश
उत्तर: (स) राजेन्द्र यादव

🟢 भाग 2 – लघु उत्तरीय प्रश्न (30–40 शब्द) [प्रश्न 6–10]


प्रश्न 6. मन्नू भंडारी को लेखन के लिए प्रेरणा कहाँ से मिली?
उत्तर: मन्नू भंडारी को लेखन के लिए प्रेरणा अपने पिता की साहित्यिक रुचि, अध्यापन अनुभव और पढ़ी गई रचनाओं से मिली। साथ ही उनके आस-पास के सामाजिक परिवेश ने उन्हें यथार्थ लेखन की ओर उन्मुख किया।


प्रश्न 7. लेखिका ने विवाह के बाद लेखन में क्या परिवर्तन अनुभव किया?
उत्तर: विवाह के बाद लेखन में स्वतंत्रता की आवश्यकता महसूस हुई। उन्होंने पाया कि पति-पत्नी दोनों लेखक होने पर विचारों का टकराव हो सकता है, इसलिए अपनी अलग पहचान बनाए रखना आवश्यक है।


प्रश्न 8. राजेन्द्र यादव और मन्नू भंडारी के वैवाहिक संबंधों में क्या विशेषता रही?
उत्तर: दोनों की वैवाहिक संबंधों में मतभेद और संघर्ष भी रहे, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे के लेखन का सम्मान करते हुए साहित्यिक साझेदारी को बनाए रखा।


प्रश्न 9. ‘एक कहानी यह भी’ आत्मकथ्यात्मक लेख किस प्रकार का है?
उत्तर: यह एक आत्मकथात्मक रचना है जो लेखिका के निजी अनुभवों, साहित्यिक संघर्षों और पारिवारिक जीवन की सच्चाइयों को ईमानदारी से प्रस्तुत करती है।


प्रश्न 10. लेखिका ने समाज की महिलाओं के लिए क्या संदेश दिया है?
उत्तर: लेखिका ने नारी को अपने अस्तित्व और पहचान के प्रति सजग रहने का संदेश दिया है। उन्होंने नारी की स्वतंत्र सोच और आत्मनिर्भरता पर बल दिया।

🟡 भाग 3 – मध्यम लंबाई के प्रश्न (80–100 शब्द) [प्रश्न 11–14]


प्रश्न 11. मन्नू भंडारी के लेखन में यथार्थ और व्यक्तिगत अनुभवों की भूमिका स्पष्ट करें।
उत्तर: मन्नू भंडारी के लेखन में यथार्थ जीवन की सच्चाइयाँ स्पष्ट रूप से झलकती हैं। उन्होंने अपनी कहानियों में नारी मनोविज्ञान, पारिवारिक संघर्ष, सामाजिक विसंगतियाँ और व्यक्ति की आंतरिक उलझनों को स्थान दिया। ‘एक कहानी यह भी’ में उन्होंने निजी जीवन के अनुभवों को ईमानदारी से साझा किया है, जो पाठकों से सीधे संवाद स्थापित करता है। यह शैली उनकी लेखनी को प्रामाणिक और भावप्रवण बनाती है।


प्रश्न 12. मन्नू भंडारी के लेखन में स्वतंत्रता और आत्म-सम्मान का क्या महत्व है?
उत्तर: मन्नू भंडारी के लेखन में स्वतंत्रता और आत्म-सम्मान को प्रमुख स्थान प्राप्त है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि लेखक को अपने विचारों और शैली की स्वतंत्रता होनी चाहिए। विवाह के बाद भी उन्होंने अपनी स्वतंत्र लेखकीय पहचान बनाए रखने के लिए संघर्ष किया और नारी अस्मिता को केंद्र में रखकर रचनाएँ लिखीं।


प्रश्न 13. लेखिका ने अपने जीवन में किन-किन संघर्षों का सामना किया और कैसे उन्हें पार किया?
उत्तर: लेखिका को अपने लेखन जीवन में वैवाहिक मतभेद, आर्थिक अस्थिरता, आत्म-संदेह और साहित्यिक पहचान की चुनौती का सामना करना पड़ा। उन्होंने संयम, आत्म-निरीक्षण और सत्यनिष्ठा से इन संघर्षों को स्वीकार किया और लेखन के माध्यम से स्वयं को अभिव्यक्त किया।


प्रश्न 14. ‘एक कहानी यह भी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह शीर्षक लेखिका के जीवन की उस अनकही कहानी की ओर संकेत करता है जिसे उन्होंने वर्षों बाद साहसपूर्वक साझा किया। यह ‘एक’ कहानी अनेक कहानियों के बीच अपनी अलग पहचान बनाती है, जहाँ लेखिका का संघर्ष, भावनाएँ और अनुभव किसी उपन्यास से कम नहीं हैं।

🔴 भाग 4 – दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (150–200 शब्द) [प्रश्न 15]


प्रश्न 15. ‘एक कहानी यह भी’ लेख के माध्यम से मन्नू भंडारी ने नारी की आत्मनिर्भरता और लेखकीय स्वतंत्रता पर किस प्रकार प्रकाश डाला है?
उत्तर:
‘एक कहानी यह भी’ केवल आत्मकथ्य नहीं, बल्कि एक नारी की संघर्षपूर्ण यात्रा का जीवंत दस्तावेज है। मन्नू भंडारी ने इस लेख में स्पष्ट रूप से दिखाया है कि एक महिला लेखक के लिए लेखन कार्य केवल रचनात्मक नहीं, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक विरोधों से भी जुड़ा होता है।
लेखिका ने यह अनुभव किया कि विवाह के पश्चात नारी की स्वतंत्रता सीमित हो जाती है, विशेषकर जब वह भी लेखिका हो और उसका पति भी। राजेन्द्र यादव जैसे प्रसिद्ध लेखक के साथ विवाह में रहकर भी उन्होंने अपने लेखन में स्वतंत्रता बनाए रखी और अपने अनुभवों को स्पष्ट रूप से पाठकों से साझा किया।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि संघर्ष आसान नहीं था, लेकिन आत्म-सम्मान और नारी अस्मिता उनके लिए सर्वोपरि थी। लेखिका ने विवाह, मातृत्व, सामाजिक अपेक्षाओं और लेखकीय पहचान के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया और इसी प्रक्रिया में उन्होंने यह सिद्ध किया कि नारी केवल गृहिणी नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र विचारक और सशक्त रचनाकार भी हो सकती है।
यह लेख सभी महिलाओं को अपने भीतर की शक्ति को पहचानने और बिना डर के अपनी कहानी कहने की प्रेरणा देता है।

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“आज पीछे मुड़कर देखती हूँ तो इतना तो समझ में आता ही है कि क्या तो उस समय मेरी उम्र थी और क्या मेरा भाषण रहा होगा! यह तो डॉक्टर साहब का स्नेह था जो उनके मुँह से प्रशंसा बनकर बह रहा था। यह भी हो सकता है कि आज से पचास साल पहले अजमेर जैसे शहर में चारों ओर से उमड़ती भीड़ के बीच एक लड़की का बिना किसी संकोच और झिझक के यों धुआँधार बोलते चले जाना ही इसके मूल में रहा हो। पर पिता जी! कितनी तरह के अंतर्विरोधों के बीच जीते थे वे! एक ओर ‘विशिष्ट’ बनने और बनाने की प्रबल लालसा तो दूसरी ओर अपनी सामाजिक छवि के प्रति भी उतनी ही सजगता। पर क्या यह संभव है? क्या पिता जी को इस बात का बिलकुल भी अहसास नहीं था कि इन दोनों का तो रास्ता ही टकराहट का है?”


प्रश्न (5×1 = 5)

1.“आज पीछे मुड़कर देखती हूँ” से लेखिका के दृष्टिकोण का सबसे सटीक संकेत कौन-सा है?
(A) आत्मालोचनात्मक स्मृति-लेखन
(B) तात्कालिक समाचार-वर्णन
(C) काल्पनिक स्वप्न-दृश्य
(D) सरकारी प्रतिवेदन
उत्तर: (A)


2.डॉक्टर साहब की प्रशंसा के कारणों की बहुस्तरीय व्याख्या के सबसे निकट कौन-सा विकल्प है?
(A) केवल भाषण की असाधारण गुणवत्ता
(B) केवल डॉक्टर साहब का निजी पक्षपात
(C) डॉक्टर का स्नेह तथा उस समय सार्वजनिक मंच पर एक लड़की का निर्भीक बोलना—दोनों मिलकर
(D) मंच-संचालकों का औपचारिक नियम
उत्तर: (C)


3.“एक ओर ‘विशिष्ट’ बनने की प्रबल लालसा… दूसरी ओर सामाजिक छवि के प्रति सजगता”—यह किस अंतर्विरोध को रेखांकित करता है?
(A) निजी महत्वाकांक्षा बनाम सामाजिक प्रतिष्ठा-रक्षा
(B) धार्मिकता बनाम भौतिकवाद
(C) ग्राम्य जीवन बनाम नगर जीवन
(D) परंपरा बनाम तकनीक
उत्तर: (A)


4.“पर क्या यह संभव है?… टकराहट का है?”—इन प्रश्नों का कथानक-कार्य क्या है?
(A) श्रोताओं को भयभीत करना
(B) आत्म-संशय और आलोचनात्मक विवेक को मुखर करना
(C) हास्य उत्पन्न करना
(D) कथा की गति रोकना
उत्तर: (B)


5.कथन–कारण: उपयुक्त विकल्प चुनिए।
कथन: “अजमेर जैसे शहर में… एक लड़की का बिना किसी संकोच और झिझक के धुआँधार बोलते चले जाना”—यह वाक्य उस समय के लैंगिक-सामाजिक संदर्भ का संकेत देता है।
कारण: उस दौर में सार्वजनिक मंच पर लड़की का निडर भाषण विरल माना जाता था; अतः प्रशंसा का एक कारण यह सामाजिक विरलता भी हो सकती है।
(A) कथन और कारण दोनों गलत हैं।
(B) कारण गलत है, किंतु कथन सही है।
(C) कथन तथा कारण—दोनों सही हैं तथा कारण उसकी सही व्याख्या करता है।
(D) कथन सही है, किंतु कारण उसकी सही व्याख्या नहीं करता।
उत्तर: (C)

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