Class 12 : Geography (Hindi) – Lesson 4.प्राथमिक क्रियाएँ
पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन
🔵 परिचय
🌍 प्राथमिक क्रियाएँ वे आर्थिक गतिविधियाँ हैं जिनमें मनुष्य प्रकृति से सीधे संसाधन प्राप्त करता है। इनसे भोजन, वस्त्र, आवास, ईंधन और उद्योगों के लिए कच्चा माल मिलता है। मानव सभ्यता की शुरुआत इन्हीं क्रियाओं से हुई थी — जब शिकार, संग्रहण और कृषि मुख्य जीविकोपार्जन थे।
💡 ये क्रियाएँ प्रकृति पर अधिक निर्भर होती हैं क्योंकि उत्पादन जलवायु, स्थलरूप, मिट्टी, वनस्पति और जल उपलब्धता से प्रभावित होता है। इन्हें आर्थिक संरचना की पहली पायदान कहा जाता है।
📌 प्रमुख उदाहरण — कृषि, पशुपालन, वानिकी, मछली पालन, खनन, संग्रहण और शिकार।
🟢 1️⃣ विशेषताएँ
1️⃣ प्राकृतिक निर्भरता – उत्पादन प्राकृतिक घटक पर आधारित।
2️⃣ कम तकनीकी प्रयोग – पारंपरिक औज़ार और स्थानीय ज्ञान।
3️⃣ ग्रामीण प्रधानता – अधिकांश क्रियाएँ ग्राम्य या वन क्षेत्रों में।
4️⃣ कम पूँजी निवेश – श्रम प्रधान व्यवस्था।
5️⃣ जीविका आधारित उत्पादन – व्यावसायिक लाभ से अधिक आत्मनिर्भरता।
6️⃣ पर्यावरणीय संवेदनशीलता – जलवायु परिवर्तन से तत्काल प्रभाव।
🟡 2️⃣ प्रकार
✳️ (ए) संग्रहण
वनों से फल, बीज, जड़ी-बूटी, शहद, गोंद, लकड़ी, जानवरों की खाल आदि संग्रह किया जाता है। यह अभी भी अमेज़न, मध्य अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के आदिवासी समुदायों में प्रचलित है।
✳️ (बी) शिकार
पूर्वकाल में मनुष्य भोजन और रक्षा के लिए शिकार करता था। अब अधिकांश देशों में वन्यजीव संरक्षण के कारण प्रतिबंध है।
✳️ (सी) मछली पालन
जल स्रोतों से मछलियों का दोहन। प्रकार – अंतर्देशीय (नदियाँ, झीलें) और समुद्री (तटीय जल)। मुख्य क्षेत्र – जापान, नॉर्वे, भारत के पश्चिमी तटीय राज्य।
✳️ (डी) वानिकी
वनों से लकड़ी, गोंद, रेज़िन, औषधियाँ प्राप्त करना और पुनर्वनीकरण करना। यह कागज़, फर्नीचर, निर्माण उद्योग के लिए कच्चा माल देती है।
✳️ (ई) कृषि
भूमि पर फसलों का उत्पादन। मुख्य उद्देश्य भोजन और व्यापार।
उपप्रकार – निर्वाह, वाणिज्यिक, रोपण, बागवानी।
भारत में गंगा मैदान, पंजाब, तमिलनाडु प्रमुख।
✳️ (एफ) पशुपालन
दूध, मांस, ऊन, चमड़ा आदि के लिए पशु पालन।
प्रकार – घुमंतू, स्थायी, मिश्रित।
क्षेत्र – प्रेयरी, पंपास, राजस्थान।
✳️ (जी) खनन
पृथ्वी से खनिज और ऊर्जा संसाधनों का उत्खनन।
मुख्य खनिज – कोयला, लौह, पेट्रोलियम, सोना।
क्षेत्र – चीन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, भारत।
🔴 3️⃣ प्रमुख क्षेत्र
🌾 कृषि – गंगा मैदान, नील घाटी, कॉर्न बेल्ट।
🐄 पशुपालन – प्रेयरी, पंपास, ऑस्ट्रेलिया।
🌲 वानिकी – रूस, कनाडा, स्कैंडिनेविया।
🐟 मछली पालन – जापान, नॉर्वे, भारत।
⛏️ खनन – पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, झारखण्ड।
🟣 4️⃣ महत्व
✔️ भोजन, वस्त्र, आवास की आपूर्ति।
✔️ उद्योगों के लिए कच्चा माल।
✔️ रोजगार सृजन और ग्रामीण जीविका।
✔️ राष्ट्रीय आय और व्यापार में योगदान।
✔️ सामाजिक स्थिरता और सभ्यता की नींव।
🔵 5️⃣ समस्याएँ
⚠️ अति-दोहन से संसाधन क्षय।
⚠️ मृदा अपक्षय और वन क्षरण।
⚠️ तकनीकी पिछड़ापन से कम उत्पादकता।
⚠️ जलवायु परिवर्तन से जोखिम।
⚠️ गरीबी और बाजार अस्थिरता।
🟢 6️⃣ परिवर्तन के कारण
📈 यंत्रीकरण और आधुनिक तकनीक।
🌐 वैश्वीकरण से निर्यात वृद्धि।
🏙️ नगरीकरण से श्रम संरचना बदलाव।
♻️ सतत विकास की जागरूकता।
🟡 7️⃣ सतत उपयोग
✔️ संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग।
✔️ मृदा, जल, वन संरक्षण।
✔️ जैविक कृषि और पुनर्वनीकरण।
✔️ स्थानीय सहभागिता से प्रबंधन।
🔴 8️⃣ भारत में प्राथमिक क्रियाएँ
🌾 कृषि – धान, गेहूँ, गन्ना, कपास।
🐄 पशुपालन – हरियाणा, राजस्थान।
🌲 वानिकी – हिमालय, पश्चिमी घाट।
🐟 मछली पालन – केरल, गुजरात।
⛏️ खनन – झारखण्ड, ओडिशा।
🟣 9️⃣ निष्कर्ष
प्राथमिक क्रियाएँ आर्थिक संरचना की पहली पायदान हैं। इनसे जीवनोपयोगी वस्तुएँ मिलती हैं और अन्य क्षेत्रों का विकास संभव होता है। सतत विकास के लिए इनका संरक्षण आवश्यक है।
✨ सारांश (लगभग 300 शब्द)
प्राथमिक क्रियाएँ वे आर्थिक गतिविधियाँ हैं जो प्रकृति के प्रत्यक्ष उपयोग पर आधारित हैं। इनमें कृषि, पशुपालन, वानिकी, मछली पालन, खनन, संग्रहण और शिकार शामिल हैं। ये क्रियाएँ जलवायु, मिट्टी, स्थलरूप और संसाधन उपलब्धता से प्रभावित होती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य जीवन के लिए आवश्यक सामग्रियाँ प्राप्त करना है।
कृषि सबसे महत्वपूर्ण क्रिया है जो खाद्य सुरक्षा देती है। खनन उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करता है। वानिकी पर्यावरण संतुलन बनाए रखती है। पशुपालन और मछली पालन ग्रामीण रोजगार का स्रोत हैं।
आधुनिक तकनीक और वैश्वीकरण ने इनका स्वरूप बदला है। अब सतत उपयोग, संसाधन संरक्षण और पर्यावरणीय प्रबंधन इनका अभिन्न भाग है। भारत में ये क्रियाएँ अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और विकास का आधार बनी रहेंगी।
📝 त्वरित पुनरावृत्ति (लगभग 100 शब्द)
✔️ अर्थ – प्रकृति से प्रत्यक्ष संसाधन प्राप्ति।
✔️ उदाहरण – कृषि, पशुपालन, वानिकी, मछली पालन, खनन।
✔️ विशेषताएँ – प्राकृतिक निर्भरता, कम तकनीक, ग्रामीण प्रधानता।
✔️ महत्व – भोजन, रोजगार, कच्चा माल, आर्थिक आधार।
✔️ समस्याएँ – अति-दोहन, क्षरण, पर्यावरणीय ह्रास।
✔️ समाधान – सतत उपयोग, संरक्षण, आधुनिक तकनीक।
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
🔷 प्रश्न 1
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
🔵 (i) निम्न में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है?
1️⃣ कॉफी
2️⃣ गन्ना
3️⃣ गेहूँ
4️⃣ रबर
🟢 उत्तर: 3️⃣ गेहूँ
✔️ गेहूँ एक खाद्यान्न फसल है, जबकि अन्य फसलें रोपण कृषि की प्रमुख फसलें हैं।
🔵 (ii) निम्न देशों में से किस देश में सहकारी कृषि का सफल परीक्षण किया गया है?
1️⃣ रूस
2️⃣ डेनमार्क
3️⃣ भारत
4️⃣ नीदरलैंड
🟢 उत्तर: 2️⃣ डेनमार्क
✔️ डेनमार्क में सहकारी कृषि बहुत सफल रही है जहाँ किसान मिलकर उत्पादन और विपणन करते हैं।
🔵 (iii) फूलों की कृषि कहलाती है –
1️⃣ ध्रुवीय कृषि
2️⃣ बागायती कृषि
3️⃣ मिश्रित कृषि
4️⃣ उपजाऊ कृषि
🟢 उत्तर: 2️⃣ बागायती कृषि
✔️ फूलों, फलों और सब्जियों की कृषि को बागायती (हॉर्टिकल्चर) कृषि कहते हैं।
🔵 (iv) निम्न में से कौन-सी कृषि के प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक समूहों द्वारा किया गया?
1️⃣ कोलोनियल
2️⃣ अंगूरोद्यान
3️⃣ मिश्रित कृषि
4️⃣ रोपण कृषि
🟢 उत्तर: 4️⃣ रोपण कृषि
✔️ रोपण कृषि यूरोपीय उपनिवेशों द्वारा उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में विकसित की गई थी।
🔵 (v) निम्न प्रदेशों में से किसमें विशुद्ध व्यावसायिक अनाज कृषि नहीं की जाती है?
1️⃣ अमेरिकी प्रेयरी क्षेत्र
2️⃣ ऑस्ट्रेलिया के पंपास क्षेत्र
3️⃣ यूरोपीय स्टेपी क्षेत्र
4️⃣ अमेज़न बेसिन
🟢 उत्तर: 4️⃣ अमेज़न बेसिन
✔️ अमेज़न क्षेत्र वनों से आच्छादित है और वहाँ व्यावसायिक अनाज कृषि नहीं होती।
🔵 (vi) निम्न में से किस प्रकार की कृषि को ‘घटते स्तर पर फलों की खेती’ कही जाती है?
1️⃣ बाज़ारोन्मुखी कृषि
2️⃣ भूमध्यसागरीय कृषि
3️⃣ रोपण कृषि
4️⃣ सहकारी कृषि
🟢 उत्तर: 2️⃣ भूमध्यसागरीय कृषि
✔️ भूमध्यसागरीय कृषि में फलों, सब्जियों और जैतून की खेती घटते स्तर पर की जाती है।
🔵 (vii) निम्न कृषि के प्रकारों में से कौन-सा प्रकार कटिबंधीय क्षेत्रों में प्रचलित है?
1️⃣ विस्तृत जीविकोपार्जन कृषि
2️⃣ आत्मनिर्भर निर्वाह कृषि
3️⃣ विशुद्ध व्यावसायिक अनाज कृषि
4️⃣ मिश्रित कृषि
🟢 उत्तर: 2️⃣ आत्मनिर्भर निर्वाह कृषि
✔️ आत्मनिर्भर निर्वाह कृषि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में पाई जाती है।
🔵 (viii) निम्न में से कौन-सी एकल कृषि नहीं है?
1️⃣ ढलान कृषि
2️⃣ मिश्रित कृषि
3️⃣ रोपण कृषि
4️⃣ विशुद्ध अनाज कृषि
🟢 उत्तर: 2️⃣ मिश्रित कृषि
✔️ मिश्रित कृषि में विभिन्न फसलों और पशुपालन का संयोजन होता है, इसलिए यह एकल कृषि नहीं है।
🔷 प्रश्न 2 – संक्षिप्त उत्तर (लगभग 30 शब्दों में)
🔵 (i) स्थानांतरी कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है। विवेचना कीजिए।
🟢 उत्तर:
✔️ स्थानांतरी कृषि में बार-बार जंगल जलाकर भूमि उपयोग की जाती है जिससे मृदा की उर्वरता घटती है।
✔️ इससे पर्यावरण को हानि होती है, अतः यह अस्थायी और अस्थिर प्रणाली है।
🔵 (ii) बाज़ारोन्मुखी कृषि नगरीय क्षेत्रों के समीप ही क्यों की जाती है?
🟢 उत्तर:
✔️ ताज़ी वस्तुओं की त्वरित आपूर्ति हेतु।
✔️ परिवहन लागत कम रखने के लिए।
✔️ अधिक मांग और मूल्य प्राप्ति के कारण।
🔵 (iii) विस्तृत पाश्चात्य ढली कृषि का विस्तार जलवायु, साधनों एवं प्रौद्योगिकी के विकास के बावजूद सीमित क्यों रहा?
🟢 उत्तर:
✔️ विशाल क्षेत्र में कम जनसंख्या घनत्व।
✔️ ठंडा जलवायु और सीमित सिंचाई।
✔️ उच्च लागत और बाजार की दूरी।
🔷 प्रश्न 3 – दीर्घ उत्तर (लगभग 150 शब्दों में)
🔵 (i) चलवासी पशुपालन और वाणिज्यिक पशुधन पालन में अंतर बताइए।
🟢 उत्तर:
✔️ चलवासी पशुपालन घुमंतू समाज द्वारा किया जाता है जहाँ पशु चरागाहों में ले जाए जाते हैं; आधुनिक साधन नहीं होते।
✔️ वाणिज्यिक पशुधन पालन स्थायी स्थान पर वैज्ञानिक ढंग से होता है, इसका उद्देश्य लाभ अर्जन होता है।
✔️ चलवासी पालन में विविध पशु (ऊँट, भेड़, बकरी), जबकि वाणिज्यिक में विशेष जाति के पशु (गाय, भेड़) पाले जाते हैं।
✔️ चलवासी पालन एशिया और अफ्रीका के रेगिस्तानी क्षेत्रों में, वाणिज्यिक पालन ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, न्यूजीलैंड में पाया जाता है।
🔵 (ii) रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ बताइए एवं विभिन्न देशों में उगाई जाने वाली कुछ प्रमुख रोपण फसलों के नाम बताइए।
🟢 उत्तर:
✔️ रोपण कृषि बड़े भू-भाग पर एकल फसल की व्यावसायिक खेती है।
✔️ इसमें श्रमिकों पर निर्भरता, पूँजी निवेश, वैज्ञानिक प्रबंधन आवश्यक होता है।
✔️ जलवायु उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय होती है।
✔️ फसलें – चाय (भारत, श्रीलंका), कॉफी (ब्राज़ील, कोलंबिया), रबर (मलेशिया, इंडोनेशिया), गन्ना (भारत, क्यूबा), तेल पाम (नाइजीरिया) आदि।
✔️ यह कृषि औपनिवेशिक काल में विकसित हुई और अब आधुनिक तकनीक से की जाती है।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
🔷 खंड A – बहुविकल्पीय प्रश्न (प्रत्येक 1 अंक)
🔵 प्रश्न 1: निम्न में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है?
🟥 1 गेहूँ
🟩 2 कॉफी
🟨 3 रबर
🟦 4 गन्ना
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 2: सहकारी कृषि का सफल परीक्षण किस देश में हुआ?
🟥 1 रूस
🟩 2 डेनमार्क
🟨 3 भारत
🟦 4 नीदरलैंड
🟢 उत्तर: 2
🔵 प्रश्न 3: फूलों की कृषि कहलाती है—
🟥 1 ध्रुवीय कृषि
🟩 2 बागायती कृषि
🟨 3 मिश्रित कृषि
🟦 4 उपजाऊ कृषि
🟢 उत्तर: 2
🔵 प्रश्न 4: रोपण कृषि का विकास प्रमुखतः हुआ—
🟥 1 यूरोपीय उपनिवेश समूहों द्वारा
🟩 2 अफ्रीकी जनजातियों द्वारा
🟨 3 एशियाई देशों द्वारा
🟦 4 दक्षिण अमेरिकी देशों द्वारा
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 5: निम्न में से कहाँ विशुद्ध व्यावसायिक अनाज कृषि नहीं पाई जाती?
🟥 1 अमेज़न बेसिन
🟩 2 अमेरिकी प्रेयरी
🟨 3 यूरोपीय स्टेपी
🟦 4 ऑस्ट्रेलिया के पंपास
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 6: घटते स्तर पर फलों की खेती प्रमुखतः किस कृषि में होती है?
🟥 1 भूमध्यसागरीय कृषि
🟩 2 आत्मनिर्भर कृषि
🟨 3 मिश्रित कृषि
🟦 4 ढलान कृषि
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 7: कटिबंधीय ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्यतः कौन-सी कृषि पाई जाती है?
🟥 1 आत्मनिर्भर निर्वाह कृषि
🟩 2 सहकारी कृषि
🟨 3 व्यावसायिक अनाज कृषि
🟦 4 अंगूरोद्यान कृषि
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 8: निम्न में से कौन-सी एकल कृषि नहीं है?
🟥 1 विशुद्ध अनाज कृषि
🟩 2 मिश्रित कृषि
🟨 3 रोपण कृषि
🟦 4 ढलान कृषि
🟢 उत्तर: 2
🔵 प्रश्न 9: फसलों की विविधता किस प्रणाली की पहचान है?
🟥 1 मिश्रित कृषि
🟩 2 आत्मनिर्भर कृषि
🟨 3 रोपण कृषि
🟦 4 सहकारी कृषि
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 10: स्थानांतरी कृषि में उर्वरता घटती है क्योंकि—
🟥 1 बार-बार जंगल जलाए जाते हैं
🟩 2 अत्यधिक सिंचाई होती है
🟨 3 आधुनिक औज़ार अधिक हैं
🟦 4 हिमपात अधिक होता है
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 11: विशुद्ध व्यावसायिक अनाज कृषि का प्रमुख क्षेत्र—
🟥 1 पंपास मैदान
🟩 2 गंगा घाटी
🟨 3 हिमालयी क्षेत्र
🟦 4 अंडमान निकोबार
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 12: चलवासी पशुपालन का स्वरूप—
🟥 1 घुमंतू चराई
🟩 2 स्थायी डेयरी
🟨 3 औद्योगिक पशुपालन
🟦 4 कुक्कुट पालन
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 13: रोपण कृषि का प्रमुख उद्देश्य—
🟥 1 व्यापारिक लाभ
🟩 2 पारिवारिक उपभोग
🟨 3 भूमि संरक्षण
🟦 4 वर्षा-जल संचयन
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 14: सहकारी कृषि की प्रमुख विशेषता—
🟥 1 भूमि व साधनों का संयुक्त उपयोग
🟩 2 केवल व्यक्तिगत स्वामित्व
🟨 3 असंगठित विपणन
🟦 4 श्रम का अभाव
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 15: भारत के ग्रामीण कटिबंधीय भागों में सर्वाधिक प्रचलित—
🟥 1 आत्मनिर्भर निर्वाह कृषि
🟩 2 अंगूरोद्यान
🟨 3 जैतून-कृषि
🟦 4 टुंड्रा कृषि
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 16: बाज़ारोन्मुखी कृषि सामान्यतः स्थित होती है—
🟥 1 नगरों/महानगरों के आस-पास
🟩 2 घने वनों के भीतर
🟨 3 हिमालयी हिमपट्टी में
🟦 4 निर्जन मरुस्थल में
🟢 उत्तर: 1
🔵 प्रश्न 17: बागायती कृषि में प्रायः उगाई जाती हैं—
🟥 1 फल-फूल व सब्ज़ियाँ
🟩 2 केवल मोटे अनाज
🟨 3 केवल तिलहन
🟦 4 केवल रेशेदार फसलें
🟢 उत्तर: 1
🔷 खंड B – लघु उत्तर (प्रत्येक 3 अंक)
🔵 प्रश्न 18: स्थानांतरी कृषि का भविष्य अच्छा नहीं माना जाता—समझाइए।
🟢 उत्तर: जंगल-दहन से मृदा-जैविक पदार्थ घटता है, राख-आधारित उर्वरता बहुत थोड़े समय टिकती है, विश्रामकाल कम होने से भूमि थकान तेज़ होती है, वनों की क्षति व धुआँ-उत्सर्जन बढ़ते हैं। इसलिए यह पद्धति उत्पादक व पर्यावरण-अनुकूल नहीं रहती; स्थायी खेती व एग्रो-फ़ॉरेस्ट्री जैसे विकल्प आवश्यक हैं।
🔵 प्रश्न 19: बाज़ारोन्मुखी कृषि नगरों के समीप क्यों केंद्रित रहती है?
🟢 उत्तर: शीघ्र नष्ट होने वाली उपज (दूध, सब्ज़ी, अंडा, फूल) की मांग शहरों में अधिक होती है; परिवहन-लागत व समय कम रखने हेतु उत्पादन-केन्द्र बाज़ार के पास बनाए जाते हैं; कोल्ड-चेन, प्रसंस्करण व थोक-मंडी जैसी सुविधाएँ भी शहरी परिधि में मिलती हैं।
🔵 प्रश्न 20: विशुद्ध व्यावसायिक अनाज कृषि विकसित देशों में अधिक सफल क्यों?
🟢 उत्तर: बड़े खेत, मशीनीकरण, उन्नत किस्में, पूँजी व बीमा-वायदा जैसी जोखिम-नियंत्रण सुविधाएँ उपलब्ध हैं; संगठित खरीद-विक्रय व भंडारण से लागत घटती व उत्पादकता बढ़ती है—इसलिए यह प्रणाली वहाँ टिकाऊ बनती है।
🔷 खंड C – संक्षिप्त व्याख्यात्मक (प्रत्येक 3 अंक)
🔵 प्रश्न 21: आत्मनिर्भर निर्वाह कृषि की तीन विशेषताएँ लिखिए।
🟢 उत्तर: छोटी जोतें व पारिवारिक श्रम; वर्षा-आश्रित परंपरागत औज़ार; मिश्रित अनाज-दालें उगाकर उत्पादन का मुख्य उपयोग परिवार-उपभोग हेतु।
🔵 प्रश्न 22: मिश्रित कृषि के लाभ बताइए।
🟢 उत्तर: फसल व पशुपालन दोनों से आय-जोखिम घटता है; गोबर-खाद से मृदा-उर्वरता बनी रहती; चारा-फसल चक्र से भूमि-उपयोग दक्ष होता है; वर्ष भर रोजगार मिलता है।
🔵 प्रश्न 23: रोपण कृषि की दो सीमाएँ और दो संभावनाएँ लिखिए।
🟢 उत्तर: सीमाएँ—एकल-फसल पर निर्भरता से मूल्य-अस्थिरता, श्रम-सघनता व सामाजिक संवेदनशीलता। संभावनाएँ—निर्यात-आधारित आय, प्रसंस्करण-उद्योग व क्षेत्रीय बुनियादी ढाँचे का विकास; गुणवत्ता प्रमाणन से अधिक मूल्य।
🔷 खंड D – दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक 5 अंक)
🔵 प्रश्न 24: चलवासी पशुपालन और वाणिज्यिक पशुपालन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
🟢 उत्तर:
चलवासी पशुपालन घुमंतू समुदायों की आजीविका का पारंपरिक रूप है। इसमें पशुओं को ऋतु अनुसार चरागाह बदलते हुए ले जाया जाता है। प्राकृतिक चरागाहों पर निर्भर यह प्रणाली पूँजी, तकनीक और स्थायित्व से रहित होती है। उत्पाद मुख्यतः स्थानीय उपभोग या विनिमय के लिए होते हैं, जैसे ऊन, दूध, मांस। यह अफ्रीका, एशिया और आर्कटिक क्षेत्रों में प्रचलित है।
वाणिज्यिक पशुपालन आधुनिक तकनीक पर आधारित स्थायी प्रणाली है। इसमें नस्ल चयन, कृत्रिम गर्भाधान, रोग-नियंत्रण, चारे का वैज्ञानिक प्रबंधन और उत्पादों का प्रसंस्करण किया जाता है। उद्देश्य लाभ प्राप्त करना है। ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, अमेरिका में यह प्रमुख है।
🔹 मुख्य अंतर:
उद्देश्य: चलवासी = आजीविका; वाणिज्यिक = लाभ।
तकनीक: पारंपरिक बनाम आधुनिक।
क्षेत्र: चरागाह-निर्भर बनाम फ़ार्म-आधारित।
उत्पाद उपयोग: स्थानीय बनाम निर्यात योग्य।
🔵 प्रश्न 25: रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ तथा प्रमुख फसलें व क्षेत्र बताइए।
🟢 उत्तर:
रोपण कृषि बड़े क्षेत्र में एकल नकदी फसल की व्यापारिक खेती है।
🔹 विशेषताएँ:
1️⃣ भूमि का समेकित स्वामित्व व संगठन।
2️⃣ श्रम-प्रधान व्यवस्था व स्थायी श्रमिक।
3️⃣ फसल एकल—चाय, कॉफी, रबर, तेल पाम आदि।
4️⃣ उच्च पूँजी, सिंचाई व तकनीकी सहायता।
5️⃣ उत्पाद का निर्यात व प्रसंस्करण इकाइयाँ।
6️⃣ यूरोपीय उपनिवेश काल में विकसित।
🔹 प्रमुख क्षेत्र:
एशिया – भारत (चाय, कॉफी, रबर), श्रीलंका, मलेशिया।
अफ्रीका – नाइजीरिया, घाना (कोको)।
लैटिन अमेरिका – ब्राज़ील (कॉफी, गन्ना)।
🔹 लाभ: विदेशी मुद्रा, रोजगार।
🔹 सीमाएँ: एकल फसल पर निर्भरता, मूल्य-अस्थिरता, श्रम-शोषण।
🔵 प्रश्न 26: स्थानांतरी कृषि की प्रक्रिया, कारण, प्रभाव और सुधार के उपाय समझाइए।
🟢 उत्तर:
🔹 प्रक्रिया: जंगल काटकर जलाया जाता है; राख से मिली उर्वरता पर 2–3 वर्ष खेती, फिर भूमि छोड़ी जाती है।
🔹 कारण: भूमि-अभाव, परंपरा, पूँजी व तकनीक की कमी।
🔹 प्रभाव:
1️⃣ मृदा-उर्वरता का क्षय।
2️⃣ वनों की हानि, जैव-विविधता में गिरावट।
3️⃣ वायु-दूषण, जलवायु असंतुलन।
4️⃣ उत्पादकता में कमी।
🔹 सुधार:
✔️ एग्रो-फ़ॉरेस्ट्री व बागवानी।
✔️ स्थायी भूमि-अधिकार।
✔️ शिक्षा, सिंचाई व तकनीकी सहायता।
✔️ वैकल्पिक आजीविका—मधुमक्खी पालन, पशुपालन।
🔵 प्रश्न 27: मिश्रित कृषि का स्वरूप, लाभ और प्रमुख क्षेत्र लिखिए।
🟢 उत्तर:
मिश्रित कृषि में फसल उत्पादन और पशुपालन एक साथ होता है।
🔹 स्वरूप: खेत में अनाज, दलहन, चारा फसलें तथा पशु—गाय, भेड़, सूअर, मुर्गी।
🔹 लाभ:
1️⃣ फसल विफलता पर भी पशु उत्पादों से आय।
2️⃣ गोबर-खाद से मृदा-उर्वरता में वृद्धि।
3️⃣ चारा-फसल चक्र से भूमि उपयोग दक्ष।
4️⃣ वर्षभर रोजगार।
🔹 प्रमुख क्षेत्र:
पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका।
भारत – पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश।
🔹 विशेषता: टिकाऊ कृषि प्रणाली, बहु-आय स्रोत।
🔵 प्रश्न 28: भूमध्यसागरीय कृषि की विशेषताएँ लिखिए।
🟢 उत्तर:
🔹 क्षेत्र: भूमध्यसागर के आस-पास, कैलिफ़ोर्निया, चिली, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका।
🔹 जलवायु: ग्रीष्म ऋतु में गर्म व शुष्क, शीत ऋतु में नम व मृदु।
🔹 फसलें: अंगूर, जैतून, संतरा, अंजीर, गेहूँ, जौ।
🔹 विशेषताएँ:
1️⃣ बागायती प्रमुख, उच्च मूल्य फसलें।
2️⃣ ढलान खेती, सिंचाई व तकनीक उपयोग।
3️⃣ निर्यात उन्मुख—वाइन, जैतून तेल।
4️⃣ पर्यटन से जुड़ी अर्थव्यवस्था।
🔹 महत्त्व: उच्च आय, अंतरराष्ट्रीय व्यापार।
🔵 प्रश्न 29: बाज़ारोन्मुखी कृषि की विशेषताएँ और भारत में स्थिति बताइए।
🟢 उत्तर:
बाज़ारोन्मुखी कृषि नगरों की आपूर्ति हेतु विकसित हुई है।
🔹 विशेषताएँ:
1️⃣ फसलें – दूध, सब्ज़ी, फल, फूल।
2️⃣ उत्पादन उच्च तकनीक, पॉलीहाउस, सिंचाई।
3️⃣ शीघ्र वितरण हेतु परिवहन व कोल्ड स्टोरेज।
4️⃣ लाभ-उन्मुख, कम भूमि पर अधिक उत्पादन।
🔹 भारत में क्षेत्र:
दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, हैदराबाद।
🔹 लाभ: ताज़ी उपज, उच्च मूल्य।
🔹 चुनौतियाँ: लागत अधिक, मूल्य-अस्थिरता।
🔹 समाधान: एफपीओ, अनुबंध खेती, जैविक उत्पाद।
🔵 प्रश्न 30: सहकारी कृषि की अवधारणा, लाभ और सीमाएँ समझाइए।
🟢 उत्तर:
सहकारी कृषि में किसान अपनी भूमि, संसाधन व श्रम मिलाकर सामूहिक रूप से खेती करते हैं।
🔹 सिद्धांत: साझा स्वामित्व, साझा लाभ।
🔹 लाभ:
1️⃣ यंत्रीकरण आसान।
2️⃣ लागत कम, उत्पादकता अधिक।
3️⃣ सामूहिक विपणन से मूल्य स्थिर।
4️⃣ डेनमार्क मॉडल सफल उदाहरण।
🔹 सीमाएँ:
1️⃣ संगठनात्मक कठिनाई।
2️⃣ नेतृत्व की कमी।
3️⃣ असमान भागीदारी।
🔹 समाधान: पारदर्शिता, प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग।
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