Class 12, History (Hindi)

Class 12 : History (Hindi) – Lesson 5 यात्रियों के नजरिए

पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन


यह पाठ सातवीं से सत्रहवीं शताब्दी तक भारत आए विदेशी यात्रियों की दृष्टि से भारतीय समाज, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और शासन व्यवस्था को समझाता है। ये यात्री विभिन्न देशों – चीन, अरब, मध्य एशिया और यूरोप से भारत आए थे। इनकी टिप्पणियाँ उस समय के भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विविधताओं की झलक देती हैं।

यात्रावृत्तों का ऐतिहासिक महत्व
विदेशी यात्री भारत तीर्थ यात्रा, व्यापार, दूतावास, ज्ञान या जिज्ञासा के कारण आए। यद्यपि उनकी दृष्टि व्यक्तिगत और सांस्कृतिक पूर्वग्रहों से युक्त थी, फिर भी उनके वर्णन भारतीय समाज को समझने के लिए अमूल्य हैं। इन यात्रावृत्तों में उन पहलुओं का वर्णन मिलता है जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों में नहीं मिलता, जैसे सामान्य जनता का जीवन, बाजार, स्त्रियों की स्थिति, यात्रा मार्ग, आदि।

अल-बरूनी – इस्लामी जगत का विद्वान
अल-बरूनी, 11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी के साथ भारत आया था। वह एक फारसी विद्वान था और भारत के ज्ञान, दर्शन और समाज को समझने के लिए उत्सुक था। उसने किताब-उल-हिंद नामक ग्रंथ में भारत का विस्तृत वर्णन किया।
अल-बरूनी ने भारतीय खगोलशास्त्र, गणित और दर्शन की प्रशंसा की, परंतु जाति व्यवस्था और शुद्धता-अपवित्रता की अवधारणाएँ उसे जटिल और अस्वीकार्य लगीं। वह मानता था कि भाषा और धर्म हिंदू-मुस्लिम संबंधों में बड़ी बाधा थे। उसने संस्कृत सीखी और भारतीय ग्रंथों की तुलना यूनानी और इस्लामी विचारों से की।

इब्न बतूता – मोरक्को का जिज्ञासु यात्री
इब्न बतूता, 14वीं शताब्दी में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया। उसका यात्रा-वृत्त रिहला भारतीय नगरों, शासन प्रणाली और सामाजिक जीवन का वर्णन करता है।
उसने दिल्ली की समृद्धि, शाही वैभव और तुगलक की कठोरता का वर्णन किया। उसने भारतीय बाजारों की चहल-पहल, व्यापारिक समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता की सराहना की। इब्न बतूता ने धार्मिक सहिष्णुता और लोगों की आतिथ्य परंपरा को भी सराहा।
उसके वृत्तांत में भारत की समृद्धि के साथ-साथ भय, अनिश्चितता और प्रशासन की जटिलता भी दिखाई देती है।

फ्रांस्वा बर्नियर – मुगल भारत पर यूरोपीय दृष्टि
फ्रांस्वा बर्नियर, 17वीं शताब्दी में फ्रांस से भारत आया था और वह मुगल दरबार में एक दशक तक रहा। उसके वृत्तांत विश्लेषणात्मक हैं और वह भारत की तुलना यूरोप से करता है।
बर्नियर ने मुगल कृषि व्यवस्था, विशेषकर जागीरदारी और ज़मींदारी की आलोचना की। उसके अनुसार इस प्रणाली में भूमि पर निजी स्वामित्व नहीं था, जिससे किसान निराश्रित और निर्धन रहते थे।
उसने भारत को अत्यंत संपन्न, परंतु निरंकुशता और सामाजिक असमानता से ग्रस्त बताया। बर्नियर की टिप्पणियों ने यूरोप में “स्थिर और निरंकुश एशिया” की छवि को जन्म दिया।

यात्रावृत्तों में प्रमुख विषय
विदेशी यात्रियों के वृत्तांतों में कुछ सामान्य विषय प्रमुख रूप से सामने आते हैं:
जाति व्यवस्था और सामाजिक भेदभाव: अधिकांश यात्रियों ने वर्ण व्यवस्था, विशेषतः अस्पृश्यता की चर्चा की। कुछ ने इसे आलोचनात्मक रूप में देखा।
धार्मिक विविधता: यात्रियों ने भारत में हिंदू, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, ईसाई इत्यादि धर्मों के सह-अस्तित्व को देखा और विविध धार्मिक समारोहों का वर्णन किया।
नगर जीवन और बाज़ार: यात्रियों ने दिल्ली, बनारस, सूरत जैसे नगरों की समृद्धि, बाजारों की चहल-पहल और व्यापारिक गतिविधियों का वर्णन किया।
दरबारी जीवन और शासन व्यवस्था: यात्रियों ने राजाओं के वैभव, दरबारी रीति-रिवाज और प्रशासनिक ढाँचे को देखा। मुगल और दिल्ली सुल्तानों के दरबारों का विस्तृत चित्रण मिलता है।
स्त्रियों की स्थिति: यात्रियों ने पर्दा प्रथा, स्त्रियों की शिक्षा, और राजमहलों में प्रभावशाली महिलाओं का उल्लेख किया। उनके अनुभव भिन्न-भिन्न थे।

यात्रावृत्तों की सीमाएँ और महत्व
यद्यपि यात्रियों की टिप्पणियाँ अमूल्य हैं, फिर भी वे पूर्णतः वस्तुनिष्ठ नहीं थीं। उनकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, भाषागत बाधाएँ और स्थानीय सूत्रों पर निर्भरता से भ्रम या अतिशयोक्ति हो सकती है।
फिर भी, उनके वृत्तांत स्वदेशी स्रोतों को पूरक करते हैं। जहाँ दरबारी इतिहास केवल राजाओं की महिमा बताता है, वहीं यात्री आम जनता की पीड़ा, सामाजिक तनाव और क्षेत्रीय विविधता पर प्रकाश डालते हैं।

निष्कर्ष
अल-बरूनी, इब्न बतूता, फ्रांस्वा बर्नियर जैसे यात्रियों के वृत्तांत हमें भारतीय समाज को बाहरी दृष्टि से देखने का अवसर देते हैं। उन्होंने भारत की समृद्धि, विविधता, विरोधाभासों और जटिलताओं को उजागर किया। यद्यपि उनकी टिप्पणियाँ कभी-कभी पूर्वग्रह से युक्त थीं, परंतु उन्होंने भारत को वैश्विक दृष्टिकोण में समझने की दिशा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। “यात्रियों की आँखों से” देखना हमें भारतीय इतिहास को अधिक व्यापक और बहुस्तरीय रूप में समझने में सहायता करता है।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न



प्रश्न 1: किताब-उल-हिंद ग्रंथ किसने लिखा था?
a) इब्न बतूता
b) अल-बरूनी
c) मार्को पोलो
d) बर्नियर
उत्तर: b) अल-बरूनी


प्रश्न 2: इब्न बतूता भारत किसके शासनकाल में आया था?
a) अलाउद्दीन खिलजी
b) फिरोजशाह तुगलक
c) मुहम्मद बिन तुगलक
d) इल्तुतमिश
उत्तर: c) मुहम्मद बिन तुगलक


प्रश्न 3: फ्रांस्वा बर्नियर किस मुगल सम्राट के दरबार से जुड़ा था?
a) हुमायूँ
b) अकबर
c) शाहजहाँ
d) औरंगज़ेब
उत्तर: c) शाहजहाँ


प्रश्न 4: अल-बरूनी मूल रूप से कहाँ का निवासी था?
a) तुर्की
b) फारस
c) अरब
d) स्पेन
उत्तर: b) फारस


प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन-सा यात्री मोरक्को से आया था?
a) बर्नियर
b) अल-बरूनी
c) इब्न बतूता
d) फाह्यान
उत्तर: c) इब्न बतूता


प्रश्न 6: रिहला किस यात्री द्वारा लिखी गई पुस्तक है?
a) अल-बरूनी
b) मार्को पोलो
c) इब्न बतूता
d) मेगस्थनीज
उत्तर: c) इब्न बतूता


प्रश्न 7: बर्नियर का मानना था कि भारत में किसकी कमी है?
a) धार्मिक सहिष्णुता
b) कृषि विविधता
c) निजी भूमि स्वामित्व
d) व्यापारिक गतिविधियाँ
उत्तर: c) निजी भूमि स्वामित्व


प्रश्न 8: अल-बरूनी को भारतीय जाति व्यवस्था कैसी लगी?
a) तार्किक और वैज्ञानिक
b) सरल और स्पष्ट
c) जटिल और अजीब
d) इस्लामी समाज जैसी
उत्तर: c) जटिल और अजीब


प्रश्न 9: यात्रियों के वृत्तांत किस प्रकार के स्रोत माने जाते हैं?
a) साहित्यिक कल्पना
b) आधिकारिक दस्तावेज
c) प्राथमिक स्रोत
d) धार्मिक ग्रंथ
उत्तर: c) प्राथमिक स्रोत


प्रश्न 10: इब्न बतूता ने किस नगर को बाजारों और सांस्कृतिक गतिविधियों से समृद्ध बताया?
a) आगरा
b) वाराणसी
c) दिल्ली
d) मुल्तान
उत्तर: c) दिल्ली

II. रिक्त स्थान भरिए (3 प्रश्न)
प्रश्न 11: अल-बरूनी द्वारा भारत पर लिखी गई पुस्तक का नाम __ है।
उत्तर: किताब-उल-हिंद


प्रश्न 12: इब्न बतूता ने अपने यात्रा-वृत्तांत को __ नामक पुस्तक में लिखा।
उत्तर: रिहला


प्रश्न 13: बर्नियर ने मुगल व्यवस्था की आलोचना __ की कमी के कारण की।
उत्तर: निजी संपत्ति

III. सही या गलत बताइए (2 प्रश्न)
प्रश्न 14: अल-बरूनी ने भारतीय दर्शन को समझने के लिए संस्कृत सीखी।
उत्तर: सही


प्रश्न 15: इब्न बतूता ने मुहम्मद बिन तुगलक की कोमलता और स्थिर स्वभाव की प्रशंसा की।
उत्तर: गलत

IV. स्थापना–कारण (Assertion–Reason) प्रश्न (3 प्रश्न)
प्रश्न 16:
स्थापना (A): इब्न बतूता ने सुल्तानी शासन की भव्यता और अस्थिरता दोनों देखी।
कारण (R): वह इल्तुतमिश के दरबार में इतिहासकार था।
a) A और R दोनों सही हैं, और R, A की सही व्याख्या है।
b) A और R दोनों सही हैं, परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है।
c) A सही है, R गलत है।
d) A गलत है, R सही है।
उत्तर: c) A सही है, R गलत है।


प्रश्न 17:
स्थापना (A): बर्नियर का मानना था कि भारत की अर्थव्यवस्था निजी भूमि स्वामित्व की कमी से कमजोर थी।
कारण (R): वह यूरोप की सामंती व्यवस्था को अधिक प्रगतिशील मानता था।
उत्तर: a) A और R दोनों सही हैं, और R, A की सही व्याख्या है।


प्रश्न 18:
स्थापना (A): अल-बरूनी ने भारतीय बौद्धिक परंपराओं की सराहना की।
कारण (R): उसने सभी भारतीय धार्मिक विश्वासों और ज्ञान को अस्वीकार किया।
उत्तर: c) A सही है, R गलत है।

V. एक या दो शब्द में उत्तर दीजिए (7 प्रश्न)
प्रश्न 19: बर्नियर द्वारा लिखित पुस्तक का नाम क्या है?
उत्तर: ट्रैवल्स इन द मुग़ल एम्पायर


प्रश्न 20: इब्न बतूता किस देश का निवासी था?
उत्तर: मोरक्को


प्रश्न 21: अल-बरूनी ने भारतीय ग्रंथों को समझने के लिए कौन-सी भाषा सीखी?
उत्तर: संस्कृत


प्रश्न 22: अल-बरूनी का धर्म क्या था?
उत्तर: इस्लाम


प्रश्न 23: बर्नियर किस मुगल शासक के दरबार में था?
उत्तर: शाहजहाँ


प्रश्न 24: बर्नियर ने किस शासन प्रणाली की आलोचना की?
उत्तर: मुगल जागीरदारी प्रणाली


प्रश्न 25: बौद्ध धर्म में भिक्षुओं और भिक्षुणियों के समुदाय को क्या कहते हैं?
उत्तर: संघ (संघ)

VI. केस स्टडी आधारित प्रश्न (5 प्रश्न)
केस स्टडी अनुच्छेद:
फ्रांस्वा बर्नियर, एक फ्रांसीसी चिकित्सक और दार्शनिक, शाहजहाँ के शासनकाल में भारत आया। उसने मुगल प्रशासन और अर्थव्यवस्था की आलोचनात्मक दृष्टि से समीक्षा की। बर्नियर ने भारत की तुलना यूरोप से की और कहा कि भारत में निजी भूमि स्वामित्व का अभाव था, जिससे किसान निर्धन थे। उसने मुगल दरबार की भव्यता का वर्णन किया, परंतु शासन को निरंकुश बताया।


प्रश्न 26 (MCQ): बर्नियर के अनुसार भारत की आर्थिक कमजोरी का मुख्य कारण क्या था?
a) सिंचाई की कमी
b) कमजोर राजशाही
c) निजी संपत्ति की अनुपस्थिति
d) धार्मिक विविधता
उत्तर: c) निजी संपत्ति की अनुपस्थिति


प्रश्न 27 (MCQ): बर्नियर किसके शासनकाल में भारत आया था?
a) अकबर
b) औरंगज़ेब
c) शाहजहाँ
d) जहाँगीर
उत्तर: c) शाहजहाँ


प्रश्न 28: बर्नियर ने भारत की शासन प्रणाली की यूरोप से कैसे तुलना की?
उत्तर: उसने भारत को निरंकुश और जड़ बताया, जबकि यूरोप को संपत्ति आधारित और प्रगतिशील।


प्रश्न 29: बर्नियर ने मुगल भारत में कौन-सा विरोधाभास देखा?
उत्तर: शाही वैभव के साथ-साथ किसानों की निर्धनता और दमन का उल्लेख किया।


प्रश्न 30: बर्नियर की टिप्पणियाँ पूर्वग्रहित होते हुए भी ऐतिहासिक रूप से क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर: क्योंकि वे यूरोपीय दृष्टिकोण से भारत को देखने का दृष्टिकोण देती हैं और ऐतिहासिक तुलना संभव बनाती हैं।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न



प्रश्न 1: किताब-उल-हिंद किसने लिखा और इसका क्या महत्व है?
उत्तर: अल-बरूनी ने इसे भारतीय समाज, धर्म और ज्ञान को समझने के लिए लिखा।

प्रश्न 2: इब्न बतूता भारत क्यों आया था?
उत्तर: वह एक न्यायविद् के रूप में भारत आया और मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में शामिल हुआ।


प्रश्न 3: भारतीय ग्रंथों को पढ़ने के लिए अल-बरूनी ने कौन-सी भाषा सीखी?
उत्तर: उसने संस्कृत सीखी ताकि वह भारतीय दर्शन और धर्म को समझ सके।


प्रश्न 4: फ्रांस्वा बर्नियर कौन था?
उत्तर: वह फ्रांस से आया एक चिकित्सक और लेखक था, जो शाहजहाँ के दरबार में रहा।


प्रश्न 5: यात्रियों के वृत्तांतों का क्या महत्त्व है?
उत्तर: ये भारत के समाज और शासन पर बाहरी दृष्टिकोण से जानकारी प्रदान करते हैं।


प्रश्न 6: इब्न बतूता की पुस्तक का नाम क्या है?
उत्तर: रिहला — जिसमें उसकी यात्राओं का विस्तृत वर्णन है।


प्रश्न 7: बर्नियर ने मुगल अर्थव्यवस्था की आलोचना क्यों की?
उत्तर: उसने निजी संपत्ति के अभाव को आर्थिक पिछड़ेपन का कारण बताया।


प्रश्न 8: भारत में बर्नियर ने क्या विरोधाभास देखा?
उत्तर: राजसी वैभव के साथ-साथ आम जनता की निर्धनता और उत्पीड़न।


प्रश्न 9: अल-बरूनी किस धर्म का अनुयायी था?
उत्तर: वह इस्लाम धर्म का अनुयायी और फारसी संस्कृति से प्रभावित था।


प्रश्न 10: इब्न बतूता द्वारा वर्णित कोई एक नगर का नाम बताइए।
उत्तर: दिल्ली – जिसे उसने व्यापारिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से समृद्ध बताया।

भाग B: 10 लघु उत्तर प्रश्न (प्रत्येक उत्तर लगभग 50 शब्दों में)
प्रश्न 11: इतिहासकारों के लिए अल-बरूनी का लेखन क्यों मूल्यवान है?
उत्तर: अल-बरूनी ने किताब-उल-हिंद में भारतीय दर्शन, विज्ञान और सामाजिक संरचना का तुलनात्मक अध्ययन किया। उसने संस्कृत सीखी और भारतीय ज्ञान को यूनानी तथा इस्लामी परंपराओं से जोड़ा। उसकी विद्वता और निष्पक्ष दृष्टिकोण के कारण यह ग्रंथ ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।


प्रश्न 12: इब्न बतूता ने अपनी यात्रा में किन विषयों का वर्णन किया?
उत्तर: उसने नगर जीवन, शाही वैभव, समाज की विविधता, कठोर दंड व्यवस्था और व्यापारिक समृद्धि का वर्णन किया। दिल्ली के बाज़ार, विभिन्न धर्मों का सह-अस्तित्व और मुहम्मद बिन तुगलक की अस्थिरता उसकी प्रमुख टिप्पणियाँ थीं।


प्रश्न 13: बर्नियर ने मुगल भू-राजस्व प्रणाली की आलोचना क्यों की?
उत्तर: बर्नियर के अनुसार, मुगल जागीरदारी प्रणाली में किसानों पर अत्यधिक कर लगाया जाता था। निजी भूमि स्वामित्व के अभाव में किसान गरीब रहते थे और खेती में नवाचार नहीं होता था। उसने इसे यूरोपीय प्रणाली की तुलना में अधिक दमनकारी बताया।


प्रश्न 14: अल-बरूनी को भारतीय समाज को समझने में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ आईं?
उत्तर: जाति व्यवस्था, शुद्धता-अशुद्धता की मान्यता, धार्मिक अलगाव और भाषा की बाधाएँ उसे समझ नहीं आईं। उसे यह समाज बाहरी लोगों के लिए बंद और जटिल लगा।


प्रश्न 15: बर्नियर का भारत आने का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: बर्नियर एक चिकित्सक और विचारक के रूप में भारत आया। वह शाहजहाँ के दरबार में रहा और भारतीय शासन, समाज और अर्थव्यवस्था का यूरोपीय प्रणाली से तुलनात्मक विश्लेषण किया।


प्रश्न 16: रिहला से मुहम्मद बिन तुगलक के शासन का क्या चित्र उभरता है?
उत्तर: यह एक विरोधाभासी चित्र प्रस्तुत करता है – एक ओर शाही वैभव, दूसरी ओर अत्यधिक दंड, भय और अस्थिरता। इब्न बतूता शासन की भव्यता के साथ-साथ शासक की विचित्रता को भी उजागर करता है।


प्रश्न 17: यात्रियों ने ‘पूर्व’ (Orient) की कैसी छवि प्रस्तुत की?
उत्तर: यूरोपीय यात्रियों ने भारत को एक विलासी, निरंकुश और पिछड़ा देश बताया, जिससे ‘पूर्व’ को एक रहस्यमयी परंतु अविकसित क्षेत्र के रूप में देखा गया।


प्रश्न 18: अल-बरूनी ने भारतीय और यूनानी ज्ञान परंपराओं की कैसे तुलना की?
उत्तर: उसने दोनों में खगोलशास्त्र, तर्कशास्त्र और दर्शन में समानता पाई, लेकिन भारतीय ज्ञान के प्रसार की प्रणाली को अस्पष्ट और कठिन बताया।


प्रश्न 19: यात्रियों ने भारत में किन-किन विषयों पर विशेष ध्यान दिया?
उत्तर: उन्होंने जाति व्यवस्था, धार्मिक विविधता, नगर जीवन, शासन, बाज़ार, स्त्रियों की स्थिति, उत्सवों और दंड प्रणाली का वर्णन किया।


प्रश्न 20: यात्रावृत्तों की कुछ सीमाएँ क्या थीं?
उत्तर: इनमें सांस्कृतिक पूर्वग्रह, अनुवाद की त्रुटियाँ और सीमित अनुभव शामिल थे। कई विवरणों में अतिशयोक्ति या अधूरी समझ झलकती है।

भाग C: 5 दीर्घ उत्तर प्रश्न (प्रत्येक उत्तर लगभग 120 शब्दों में)
प्रश्न 21: भारतीय समाज को समझने में अल-बरूनी के कार्य का महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: अल-बरूनी का किताब-उल-हिंद भारतीय समाज का पहला गहन विदेशी अध्ययन माना जाता है। उसने धर्म, दर्शन, विज्ञान और सामाजिक नियमों का तुलनात्मक अध्ययन किया। उसने संस्कृत सीखी और भारतीय ग्रंथों को पढ़ा। उसने जाति व्यवस्था और शुद्धता-अशुद्धता के नियमों को कठोर और अजनबी बताया। उसने भारतीयों की सांस्कृतिक श्रेष्ठता की भावना को आपसी संवाद में बाधक माना। यद्यपि उसकी समझ सीमित रही, फिर भी उसका कार्य भारत को बाहरी दृष्टि से जानने का एक सटीक और विद्वतापूर्ण स्रोत बनता है।


प्रश्न 22: इब्न बतूता के यात्रा-वृत्तांत से 14वीं शताब्दी के भारत की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति पर क्या प्रकाश पड़ता है?
उत्तर: रिहला में इब्न बतूता ने मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल का वर्णन किया। उसने दिल्ली की समृद्धि, व्यापारिक गतिविधियाँ, धार्मिक विविधता और शाही वैभव का उल्लेख किया। साथ ही, उसने कठोर दंड और सुल्तान की अस्थिरता का भी वर्णन किया। उसकी टिप्पणियाँ समाज के विरोधाभासों को उजागर करती हैं – जैसे वैभव और भय का सह-अस्तित्व। उसकी टिप्पणियाँ आम लोगों के जीवन को भी दिखाती हैं, जिससे वह अन्य दरबारी इतिहासों से अलग है।


प्रश्न 23: बर्नियर की आलोचना से मुगल समाज और यूरोपीय दृष्टिकोण का क्या चित्र बनता है?
उत्तर: बर्नियर ने भारत को आर्थिक रूप से अविकसित और सामाजिक रूप से असमान बताया। उसने जागीरदारी प्रणाली को दमनकारी माना, जिससे किसान निर्धन थे। यूरोपीय जागीरदारी को वह अधिक प्रगतिशील मानता था। उसने भारत में निजी संपत्ति की कमी को विकास में बाधा माना। उसकी सोच यूरोपीय “एन्हलाइटनमेंट” विचारों से प्रभावित थी, जिसमें संपत्ति और स्वतंत्रता को उन्नति का आधार माना गया। उसकी टिप्पणियों से ‘पूर्व’ को एक स्थिर, विलासी और निरंकुश क्षेत्र की छवि मिली।


प्रश्न 24: मध्यकालीन भारत के ऐतिहासिक पुनर्निर्माण में यात्रावृत्तांतों की क्या भूमिका रही?
उत्तर: यात्रावृत्तान्त स्वदेशी स्रोतों का पूरक बनते हैं। ये सामाजिक व्यवहार, नगरों का जीवन, बाज़ार, धर्म, और प्रशासन को बाहरी दृष्टिकोण से प्रस्तुत करते हैं। ये सामान्य जनजीवन और सामाजिक विरोधाभासों को उजागर करते हैं, जो दरबारी ग्रंथों में नहीं मिलते। विदेशी यात्रियों ने स्थानीय समाज को यूरोपीय या इस्लामी संदर्भों में देखा, जिससे तुलनात्मक अध्ययन भी संभव हुआ। इन वृत्तांतों में सीमाएँ थीं, परंतु यदि सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाए तो ये इतिहास की गहरी परतों को उजागर करते हैं।


प्रश्न 25: अल-बरूनी, इब्न बतूता और बर्नियर ने भारतीय समाज को कैसे भिन्न दृष्टिकोणों से देखा?
उत्तर: अल-बरूनी एक विद्वान था जिसने भारतीय दर्शन और विज्ञान की गहराई से सराहना की, परंतु जाति और धार्मिक संकीर्णता को आलोचना की दृष्टि से देखा। इब्न बतूता एक मुसाफिर और शाही अधिकारी था जिसने भारत के नगरों, शाही संस्कृति और समाज की विविधता का चित्र खींचा। बर्नियर यूरोप से प्रभावित दार्शनिक था, जिसने भारत को निरंकुश और आर्थिक रूप से पिछड़ा बताया। तीनों की दृष्टियाँ उनके अनुभव और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों पर निर्भर थीं, और मिलकर वे भारत के जटिल सामाजिक ताने-बाने को उजागर करते हैं।

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प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न

🔵 प्रश्न 1. रिहला नामक 14वीं शताब्दी की यात्रा-वृत्तांत पुस्तक के लेखक कौन थे?
(क) अल-बरूनी
(ख) इब्न बतूता
(ग) मार्को पोलो
(घ) फ्रांस्वा बर्नियर
✅ उत्तर : (ख) इब्न बतूता

📅 परीक्षा : यूपीएससी प्रारम्भिक 2017
📝 व्याख्या : रिहला इब्न बतूता द्वारा लिखी गई थी, जो मोरक्को के यात्री थे और मोहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल में भारत आए थे।

🟢 प्रश्न 2. निम्न में से किस यात्री ने मोहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल में भारत की यात्रा की थी?
(क) अल-बरूनी
(ख) इब्न बतूता
(ग) मार्को पोलो
(घ) मेगास्थनीज
✅ उत्तर : (ख) इब्न बतूता

📅 परीक्षा : एसएससी सीजीएल 2016
📝 व्याख्या : इब्न बतूता को मोहम्मद-बिन-तुगलक ने काजी नियुक्त किया और उन्होंने अपने अनुभव रिहला में दर्ज किए।

🔴 प्रश्न 3. निम्न में से कौन-सा फ्रांसीसी यात्री औरंगज़ेब के समय भारत आया था?
(क) फ्रांस्वा बर्नियर
(ख) निकोलाओ मानूची
(ग) टैवर्नियर
(घ) इब्न बतूता
✅ उत्तर : (क) फ्रांस्वा बर्नियर

📅 परीक्षा : यूपीपीसीएस 2018
📝 व्याख्या : फ्रांस्वा बर्नियर के विवरण मुग़ल भारत की समाज व्यवस्था और अर्थव्यवस्था की जानकारी देते हैं।

🟡 प्रश्न 4. निम्न में से कौन-सा सही ढंग से लेखक और पुस्तक के साथ मेल खाता है?
(क) फ्रांस्वा बर्नियर – ट्रैवल्स इन मुग़ल इंडिया
(ख) इब्न बतूता – रिहला
(ग) अल-बरूनी – किताब-उल-हिन्द
(घ) उपरोक्त सभी
✅ उत्तर : (घ) उपरोक्त सभी

📅 परीक्षा : एसएससी सीएचएसएल 2019
📝 व्याख्या : उपरोक्त तीनों यात्रियों ने भारत के बारे में प्रसिद्ध ग्रंथ लिखे, जो मध्यकालीन भारतीय समाज के ऐतिहासिक अध्ययन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।

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दृश्य सामग्री

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