Class 12, HINDI COMPULSORY

Class 12 : हिंदी अनिवार्य – अध्याय 2 पतंग

संक्षिप्त लेखक परिचय

आलोक धन्वा

आलोक धन्वा का जन्म 11 अप्रैल 1948 को मुंगेर, बिहार में हुआ। वे हिंदी कविता जगत के प्रसिद्ध जनकवि रहे। उनकी कविताओं में समाज, राजनीति, स्त्री विमर्श और युवाओं की चेतना का प्रखर स्वर मिलता है। उन्होंने अत्याचार, अन्याय और व्यवस्था के विरुद्ध अपनी कविताओं के माध्यम से आवाज़ बुलंद की। आलोक धन्वा की भाषा सहज, स्पष्ट और विद्रोही तेवर लिए होती है। उनकी कविताएँ जनमानस को जागरूक करने वाली रही हैं।

प्रमुख रचनाएँ (कविता संग्रह):
1️⃣ दुनिया रोज़ बनती है
2️⃣ ब्रूनो की बेटियां
3️⃣ भागी हुई लड़कियाँ (प्रसिद्ध कविता)
4️⃣ गोली दागो पोस्टर (प्रसिद्ध कविता)

उनका साहित्य हिंदी कविता में सामाजिक चेतना का महत्वपूर्ण उदाहरण है।

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पाठ का विश्लेषण  एवं  विवेचन

पाठ्यपुस्तक में शामिल पंक्तियाँ और उनकी व्याख्या
“सबसे तेज़ बौछारें गयीं, भादो गया”
इस पंक्ति में कवि बताता है कि बारिशों का प्रकोप (सावन-भादो का मौसम) समाप्त होकर चला गया है, जिससे अब शरद ऋतु का आगमन संभव हुआ।

“सवेरा हुआ”
जीवन के नए आरंभ का सूचक—गहरी अँधेरे के बाद उजाले का आगमन, एक ताज़ा सुबह का दृश्य।

“खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा”
शरद की पहली किरणों का रक्तिम वर्ण खरगोश की नाजुक, चमकीली आँखों की लालिमा के समान प्रतीत होता है।

“शरद आया पुलों को पार करते हुए”
ऋतुओं के क्रम को ‘पुल’ के रूपक में दर्शाया गया है—बारिश, गर्मी व पतझड़ पार करके शरद की मधुर गति।

“अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए”
शरद का मानवीकरण—यह नया मौसम जैसे किसी साइकिल पर सवार होकर तेज़ी से आ रहा हो।

“घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से”
शरद की उपस्थिति को कँपित कर देने वाले संगीत-सदृश स्वरों से अभिव्यक्त किया गया है।

“चमकीले इशारों से बुलाते हुए”
प्रकृति के आकर्षक हिमकण-सदृश संकेत जो बच्चों को बाहर आने का निमंत्रण देते हैं।

“पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को”


कवि के मन में बाल-सुलभ आनंद का समूह उभरता है, जो छतों पर इकट्ठा हुआ दिखता है।

“चमकीले इशारों से बुलाते हुए और”
पुनरावृत्ति से बुलावे की दिप्‍ती और अधिक तीव्र होती जाती है।

“आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए”
खुला, निर्मल आकाश मानो तलछट रहित गूदे की तरह कोमल हो जाता है।

“कि पतंग ऊपर उठ सके—”
आकाश की यह कोमल चिंता इसीलिए, ताकि पतंगों को उड़ान में उन्नति के लिए अनुकूल वातावरण मिले।

“दुनिया की सबसे हल्की और रंगीन चीज़ उड़ सके”
पतंग का सहज-सुलभ सौंदर्य; रंगों की छटा और उसका अल्पभार इसे उड़ने योग्य बनाता है।

“दुनिया का सबसे पतला काग़ज़ उड़ सके—”
पतंग बनता है छिन्न-भिन्न पतले कागज़ से, जो हवा के न्यूनतम प्रतिरोध में भी उड़ सके।

“बाँस की सबसे पतली कमानी उड़ सके—”
पतंग की ढाँचा-रेखा बनाए रखने वाली बांस की डंडी; इसे भी अत्यंत कोमल चुना जाता है।

“कि शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और”
वातावरण में आनंद के शोर का आरंभ—बच्चों की खुशी की ध्वनियाँ गूँज उठती हैं।

“तितलियों की इतनी नाज़ुक दुनिया”
कोमल पंखों वाली तितलियाँ भी झुंड बनाकर उड़ने लगती हैं, मानो एक नाजुक कल्पना की सूक्ष्म अभिव्यक्ति।

“जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास”
बच्चों की कोमलता का प्रतीक—कपास जैसा श्वेत, हल्का और अनदृष्य करुणा-भाव।

“पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास”
बच्चों की अटूट ऊर्जा के साथ, मानो सारी धरती ही उनके कदमों के समीप पहुच जाती हो।

“जब वे दौड़ते हैं बेसुध”
आनंद में लीन बच्चों की विलक्षण उत्साहपूर्ण गति जो उन्हें होश खो दिए सी दिखाई देती है।

“छतों को भी नरम बनाते हुए”
बच्चों के स्पर्श से जैसे कठोर छत भी कोमल धरातल सा प्रतीत होता है।

“दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए”
बच्चों के कदमों की ठुमक को मृदंग-नाद समान माना गया है—प्रत्येक दिशा में संगीत फैला देते हैं।

“जब वे पेंग भरते हुए चले आते हैं”
उछल-कूद में मानो झूले के समान वे गति में झूलते हुए आते हैं।

“डाल की तरह लचीले वेग से अकसर छतों के खतरनाक किनारों तक—”
लचीलेपन एवं सहज संतुलन के साथ वे छतों के किनारों तक कूदते हैं, गिरने के भय को भूलकर।

“उस समय गिरने से बचाता है उन्हें सिर्फ़ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत”
उत्साह की लय और शरीर के सामंजस्य से निर्मित एक अप्रत्यक्ष सुरक्षा कवच बच्चों को गिरने से रोकता है।

“पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं महज़ एक धागे के सहारे”
पतंग का एकमात्र धागा बच्चों को प्रतीकात्‍मक रूप से संभाल लेता है, जैसे वे भी उड़ते हुए थम जाएँ।

“पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं अपने रंध्रों के सहारे”
रंध्र—बालकों के रोम-रोम से गुज़रती ऊर्जा के आधार पर वे स्वयं भी आभासी उड़ान भरते हैं।

“अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से”
समय-समय पर असंतुलन के कारण गिरने का भय पैदा होता है।

“और बच जाते हैं तब तो और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं”
गिरकर संभलने के बाद उनका साहस और प्रबल हो जाता है; नई चुनौती के लिए वे फिर तैयार खड़े होते हैं।

“पृथ्वी और भी तेज़ घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास।”
बाल उत्साह की तीव्रता मानो पूरे विश्व की चक्री गति को बच्चों के समीप लाकर समायोजित कर देती है।

इस प्रकार “पतंग” कविता में बालसुलभ आनंद, प्रकृति और ऋतुओं के सौंदर्य के मनोहारी बिम्बों के माध्यम से जीवन की उमंग और अतः साहस प्रदर्शित किया गया है।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न


प्रश्न 1:
‘सबसे तेज़ बौछारें गयीं, भादो गया’ के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर: भादों के जाने के साथ वर्षा ऋतु समाप्त हो जाती है और शरद ऋतु प्रारंभ होती है। आकाश निर्मल व स्वच्छ हो जाता है, सुबह की लालिमा खरगोश की आँखों सी चमकीली दिखाई देती है। धूप तेज और सुनहरी हो उठती है तथा फूलों पर तितलियाँ मंडराने लगती हैं। चारों ओर बच्चों के किलकारियों और सीटी की आवाजें गूंज उठती हैं जब वे रंग-बिरंगी पतंगें आकाश में छोड़ते हैं.

प्रश्न 2:
सोचकर बताएँ कि “पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन चीज़, सबसे पतला कागज़, सबसे पतली कमानी” जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है?
उत्तर: पतंग उड़ाने के लिए हल्का, नाजुक और रंगीन कागज़ तथा पतली बाँस की कमानी आवश्यक होती है ताकि पतंग हवा में ऊँचाई तक आसानी से पहुँच सके। कवि ने ये विशेषण इसी तथ्य को रेखांकित करने के लिए उपयोग किए हैं.

प्रश्न 3:
निम्नलिखित पंक्तियों में व्यक्त बिंब स्पष्ट कीजिए–
“सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गया
सवेरा हुआ…
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा…
पुलों को पार करते हुए…
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए…
घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से…
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके।”
उत्तर:

“तेज़ बौछारें गयीं” – गतिशील दृश्य बिंब।

“सवेरा हुआ” तथा “खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा” – स्थिर दृश्य बिंब।

“पुलों को पार करते हुए” और “अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए” – गतिशील दृश्य बिंब।

“घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से” – श्रव्य बिंब।

“आकाश को मुलायम बनाते हुए” – स्पर्श बिंब.

प्रश्न 4:
“जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास” – कपास के बारे में सोचते हुए बच्चों का उससे क्या संबंध बनता है?
उत्तर: कपास की तरह बच्चे भी निर्मल, कोमल और स्वच्छ होते हैं। जैसे कपास नाज़ुक व सरल है, उसी प्रकार बालमन की सहजता और कोमलता कपास से सादृश्य है.

प्रश्न 5:
“पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं” – बच्चों का उड़ान से कैसा संबंध बनता है?
उत्तर: पतंग बच्चों की कल्पनाशीलता, उमंग और उत्साह का प्रतीक है। पतंग उड़ाते समय वे स्वयं को स्वतंत्र महसूस करते हैं, मानो वे भी आकाश में उड़ रहे हों और उन्हें कोई सीमा रोक नहीं सकती.

प्रश्न 6:
निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर उत्तर दीजिए–
(क) छतों को भी नरम बनाते हुए दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
(ख) अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से और बच जाते हैं तब तो और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।
(i) “दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने” का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: बच्चों के दौड़ने-भागने और चहचहाट से चारों दिशाओं में जो किलकारियाँ गूंजती हैं, वे तालबद्ध ध्वनि उत्पन्न करती हैं, जैसे मृदंग की थाप.

(ii) जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए क्या छत कठोर लगती है?
उत्तर: नहीं, उस समय बच्चों की दृष्टि केवल पतंग पर केंद्रित होती है, इसलिए छत की कठोरता का कोई अनुभव नहीं होता.

(iii) खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद आप दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को कैसा महसूस करते हैं?
उत्तर: खतरों से लड़कर बच जाने के बाद आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है; भय दूर हो जाता है और नई चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरणा मिलती है.

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

🔸 1. ‘पतंग’ कविता में बच्चों की कल्पना किससे जोड़ी गई है?
(क) चिड़ियों से
(ख) हवा से
(ग) बादलों से
(घ) सपनों से
✅ उत्तर : (घ) सपनों से

🔸 2. कविता में शरद की आहट लाने वाले बच्चे कैसा व्यवहार करते हैं?
(क) शांत और सुस्त
(ख) निडर और उत्साही
(ग) गंभीर और चिंतित
(घ) अनुशासित
✅ उत्तर : (ख) निडर और उत्साही

🔸 3. ‘छिपकर बैठा है पतंगों का मौसम’ — इसमें ‘मौसम’ किसके लिए प्रतीक है?
(क) सर्दी का
(ख) त्योहार का
(ग) बालपन व उमंग का
(घ) परीक्षा का
✅ उत्तर : (ग) बालपन व उमंग का

🔸 4. कविता के अनुसार बच्चे पतंग उड़ाते समय क्या भूल जाते हैं?
(क) समय
(ख) पढ़ाई
(ग) माता-पिता
(घ) भूख
✅ उत्तर : (क) समय

🔸 5. कविता में बच्चों की तुलना किसके जोश से की गई है?
(क) सूर्य की गर्मी
(ख) सैनिकों की चाल
(ग) नदी की धार
(घ) फूलों की मुस्कान
✅ उत्तर : (ग) नदी की धार

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🟢 5 लघु उत्तरीय प्रश्न (मौलिक) और उत्तर

🔹 1. पतंग उड़ाते समय बच्चों के मन में कौन-सी भावनाएँ उमड़ती हैं?
उत्तर : पतंग उड़ाते समय बच्चों के मन में उमंग, उत्साह, स्वतंत्रता और जीतने की ललक जैसी भावनाएँ जागृत होती हैं। उन्हें अपनी कल्पनाएँ पूर्ण होती प्रतीत होती हैं।

🔹 2. कविता में कवि ने पतंग की हल्काई और रंगों का उल्लेख क्यों किया है?
उत्तर : पतंग की हल्काई और रंग कवि ने इसलिए उल्लेखित किए ताकि वह बच्चों के मन की उड़ान तथा उनकी रंगीन कल्पनाओं के मेल को दर्शा सकें।

🔹 3. छतों की कठोरता के बावजूद बच्चे पतंग क्यों उड़ाते हैं?
उत्तर : बच्चों की उमंग और जुनून छतों की कठिनाई को महसूस नहीं होने देता; उनके लिए छतें खेल-मैदान बन जाती हैं।

🔹 4. कवि ने किस भाव के साथ बच्चों को ‘उनके सपनों के सहारे’ उड़ता हुआ दिखाया है?
उत्तर : कवि ने बच्चों की असीम कल्पना शक्ति और उड़ान के स्वप्न का चित्रण किया है; वे अपनी इच्छाओं के सहारे स्वयं को पतंग के साथ उड़ता हुआ अनुभव करते हैं।

🔹 5. कविता में पतंग किसका प्रतीक बनकर उभरती है?
उत्तर : पतंग बचपन की चंचलता, स्वतंत्रता, आकांक्षाओं और रंगीन सपनों की प्रतीक बनकर उभरती है।

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🟣 5 दीर्घ / मौलिक प्रश्न उत्तर सहित

🔸 1. कविता में पतंग उड़ाने का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर : कविता में पतंग उड़ाना केवल एक खेल नहीं, बल्कि स्वतंत्रता का अनुभव, कल्पना की ऊँचाई और मनोबल का प्रतीक है। बच्चों के लिए यह उनकी स्वतंत्र सोच और भावनाओं को उड़ान देने का माध्यम है।

🔸 2. कवि ने बालपन के स्वभाव को किस रूप में चित्रित किया है?
उत्तर : कवि ने बालपन को उन्मुक्त, निडर, ऊर्जावान, जिज्ञासु और रंगीन सपनों से भरपूर बताया है। बालपन में विपरीत परिस्थितियाँ भी बाधा नहीं बनतीं, बल्कि वो अपनी उमंग से सब पार कर लेते हैं।

🔸 3. कविता की भाषा शैली कैसी है, तथा इसमें कौन से प्रमुख अलंकार प्रयुक्त हुए हैं?
उत्तर : कविता की भाषा सजीव, प्रवाहमयी और चित्रात्मक है। इसमें उपमा, रूपक, मानवीकरण जैसे अलंकार प्रमुख रूप से प्रयुक्त हुए हैं जिससे कविता की सान्द्रता और सौंदर्य बढ़ जाता है।

🔸 4. शरद ऋतु के आगमन का बच्चों की गतिविधियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर : शरद ऋतु का साफ़ और सुखद मौसम बच्चों को घरों की छतों व खुले स्थानों की ओर आकर्षित करता है। वे धूप, हवा और स्वच्छ आकाश में पतंग उड़ाने निकल आते हैं; उनका जीवन और भी उल्लासपूर्ण हो जाता है।

🔸 5. आपके अनुसार, आज के बच्चों के लिए ‘पतंग’ कविता कितना प्रासंगिक है?
उत्तर : ‘पतंग’ कविता आज के बच्चों के लिए भी बहुत प्रासंगिक है क्योंकि यह उन्हें कल्पना, स्वतंत्रता और मन की उड़ान के मायने सिखाती है। डिजिटल जीवन में भी यह कविता बच्चों के अंदर छुपी प्रकृति-प्रेम, खेलभावना और उमंग को उजागर करती है।

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