Class 12 : हिंदी साहित्य – अध्याय 14.असगर वजाहत
संक्षिप्त लेखक परिचय
✒ असगर वजाहत – परिचय
🌟 जीवन परिचय
🎂 जन्म: 5 जुलाई 1946, चिरकुंडी, जिला बोकारो (तत्कालीन बिहार, वर्तमान झारखंड)
🎓 उच्च शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से; हिंदी साहित्य में एम.ए. और पीएच.डी.
🏛️ दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रहे।
🌍 साहित्य, रंगमंच, रेडियो, दूरदर्शन और सिनेमा—सभी माध्यमों में सक्रिय रचनाकार।
🏆 अनेक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित, जिनमें रंगमंच और साहित्य के विशेष पुरस्कार शामिल।
📚 साहित्यिक योगदान
✍ बहुआयामी रचनाकार – असगर वजाहत ने कहानी, उपन्यास, नाटक, यात्रा-वृत्तांत, शोधग्रंथ और संस्मरण जैसे विविध साहित्यिक रूपों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
📖 प्रमुख नाटक: जिन लाहौर नहीं देख्या, गोडोट आया गया, महाबली, गिरिजा के रंग, बेगम का तकिया – इनमें सांप्रदायिक सौहार्द, सामाजिक विसंगतियाँ और मानवीय संबंधों का सशक्त चित्रण है।
🌐 उनके नाटकों का मंचन भारत के लगभग सभी प्रमुख नगरों तथा अमेरिका, ब्रिटेन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और रूस में भी हुआ।
📰 कहानी संग्रह और उपन्यास समाज की वास्तविकताओं, विडंबनाओं और संवेदनशील पहलुओं को सहज भाषा में प्रस्तुत करते हैं।
🎭 उनके नाटकों में धार्मिक सद्भावना, सामाजिक न्याय और मानवाधिकार की गहरी समझ झलकती है।
📡 रेडियो, दूरदर्शन और फिल्म के लिए लिखी गई उनकी पटकथाएँ भी उतनी ही प्रभावशाली हैं जितनी उनकी रंगमंचीय रचनाएँ।
🏅 उनकी लेखनी ने हिंदी रंगमंच को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन

🦁 1. शेर
📜 कहानी का सार
‘शेर’ असगर वजाहत की एक प्रतीकात्मक और व्यंग्यात्मक लघुकथा है। लेखक शहर की व्यवस्था से तंग आकर जंगल में चला जाता है क्योंकि उसके सिर पर सींग निकल रहे थे और डर था कि कसाई की नजर उस पर पड़ जाएगी। 🌳 जंगल में पहुंचकर वह बरगद के पेड़ के नीचे एक शेर को देखता है जो हूबहू गौतम बुद्ध के समान दिखाई देता है।
🕵️♂️ शेर की असलियत
🐴 गधे को लालच दिया गया कि शेर के मुंह में हरी घास का मैदान है।
🦊 लोमड़ी को बताया गया कि वहां रोजगार का दफ्तर है।
🦉 उल्लू को समझाया गया कि शेर के मुंह में स्वर्ग है और यही निर्वाण का एकमात्र रास्ता है।
🐶 कुत्तों का जुलूस भी शेर के मुंह की तरफ बढ़ गया।
🎯 प्रतीकात्मक अर्थ
शेर = व्यवस्था और सत्ता का प्रतीक।
विभिन्न जानवर = अलग-अलग वर्गों का प्रतिनिधित्व।
सत्ता झूठे प्रलोभन देकर जनता को फंसाती है।
🔍 सच्चाई का पता लगाना
जब लेखक शेर की सच्चाई जानने के लिए उसके कार्यालय जाता है, तो वहां के कर्मचारी कहते हैं —
“मानव जीवन में प्रमाण से अधिक विश्वास महत्वपूर्ण है” 📝
यह सत्ता की चालबाजी है कि वह प्रमाण मांगने वालों को मूर्ख बनाती है।
🦁 शेर की वास्तविकता
लेखक ने जब शेर के मुंह में जाने से इंकार किया, तब शेर ने गौतम बुद्ध वाली मुद्रा छोड़कर दहाड़ लगाई और उस पर झपट पड़ा।
💡 संदेश
सत्ता केवल तब तक शांत रहती है जब तक उसकी आज्ञा मानी जाती है। विरोध करने पर वह हिंसक हो उठती है।
👁️ 2. पहचान
📜 कहानी का सार
‘पहचान’ में राजा की तानाशाही और जनता की दुर्दशा का चित्रण है। राजा ने आदेश दिया —
“सभी लोग अपनी आंखें बंद रखें” ताकि शांति बनी रहे।
📉 क्रमिक शोषण
1️⃣ पहला आदेश: आंखें बंद — काम पहले से बेहतर।
2️⃣ दूसरा आदेश: कानों में पिघला हुआ सीसा — सुनना जरूरी नहीं।
3️⃣ तीसरा आदेश: होंठ सिलवा लें — बोलना उत्पादन में बाधक।
⛔ होंठ सिलने के बाद लोग खा भी नहीं सके।
राजा ने कहा — “खाना भी जरूरी नहीं”।
इसके बाद और भी आदेश जारी हुए, जिससे जनता और दीन-हीन हो गई।
🔍 सच्चाई का पता लगाना
खैराती, रामू और छिद्दू ने आंखें खोलने का निर्णय लिया।
👀 आंखें खुलीं तो उन्हें केवल राजा ही दिखाई दिया, एक-दूसरे को नहीं।
🎯 प्रतीकात्मक संदेश
तानाशाह जनता की देखने, सुनने, बोलने की शक्ति छीन लेता है।
गांधी जी के तीन बंदरों का उल्टा प्रयोग।
परिणाम — राजा की उन्नति, जनता की बदहाली।
✋ 3. चार हाथ
📜 कहानी का सार
‘चार हाथ’ पूंजीवादी व्यवस्था में मजदूरों के शोषण की कहानी है।
एक मिल मालिक सोचता है — “अगर मजदूरों के चार हाथ हों तो काम और मुनाफा बढ़ जाएगा।”
🔬 वैज्ञानिकों से सहायता
वैज्ञानिक बोले — असंभव।
मालिक ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया।
🛠️ स्वयं प्रयास
कटे हुए हाथ फिट करने की कोशिश — असफल।
लकड़ी के हाथ — असफल।
लोहे के हाथ — मजदूर मर गए।
✅ सफल समाधान
💡 मजदूरी आधी कर दी, दुगुने मजदूर रख लिए = चार हाथों के बराबर काम।
🎯 प्रतीकात्मक अर्थ
पूंजीपति मजदूरों को मशीन का पुर्जा मानते हैं।
लक्ष्य सिर्फ अधिक मुनाफा।
💡 संदेश
आज भी कंपनियां कम वेतन में अधिक काम लेने के तरीके ढूंढती हैं।
🐘 4. साझा
📜 कहानी का सार
‘साझा’ में एक किसान और हाथी की साझेदारी का किस्सा है।
किसान पहले शेर, चीते, मगरमच्छ के साथ खेती कर चुका था।
🤝 हाथी का प्रस्ताव
हाथी ने कहा — साझे की खेती से छोटे जानवर खेत को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।
किसान तैयार हो गया और गन्ना बोया।
📢 हाथी की घोषणा
पूरे जंगल में डुग्गी — “गन्ने में मेरा साझा है, कोई नुकसान न करे”।
🌾 फसल पकने पर धोखा
किसान ने आधी-आधी फसल बांटने की बात की।
हाथी बोला — “अपने-पराए की बात मत करो, आओ मिलकर खाएं”।
😏 हाथी की चालाकी
गन्ने का एक छोर हाथी के मुंह में, दूसरा किसान के।
किसान खिंचता चला गया और गन्ना छोड़ दिया।
हाथी बोला — “देखो, हमने एक गन्ना खा लिया”।
🎯 प्रतीकात्मक संदेश
हाथी = पूंजीपति वर्ग।
किसान = आम जनता।
शक्तिशाली साझेदारी के नाम पर कमजोर का शोषण करता है।
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
🦁 शेर
❓ प्रश्न 1. लोमड़ी स्वेच्छा से शेर के मुँह में क्यों चली जा रही थी?
✅ उत्तर: लोमड़ी स्वेच्छा से शेर के मुँह में इसलिए चली जा रही थी क्योंकि उसे
🔸 झूठे प्रचार के द्वारा बताया गया था कि शेर के मुँह में रोजगार का दफ्तर है।
🔸 लोमड़ी बेरोजगार थी और उसे नौकरी की तलाश थी।
🔸 उसने सोचा कि वहाँ जाकर वह नौकरी के लिए अर्जी दे सकती है और उसे रोजगार मिल जाएगा।
🔸 लोमड़ी को यह भ्रम था कि शेर का मुँह एक कार्यालय है जहाँ वह अपनी समस्या का समाधान पा सकती है।
🔸 वह प्रलोभन में फंसकर अपनी मर्जी से शेर के मुँह में जा रही थी।
🔹 यह दिखाता है कि कैसे झूठे वादे और भ्रामक प्रचार से लोग धोखा खाते हैं।
❓ प्रश्न 2. शेर के मुँह और रोजगार के दफ्तर के बीच क्या अंतर है?
✅ उत्तर:
🦁 शेर का मुँह:
जो भी जानवर जाता है वह कभी वापस नहीं आता
शेर के पेट में समाकर मर जाता है या अस्तित्व समाप्त हो जाता है
यह मौत का जाल है
यहाँ केवल विनाश होता है
🏢 रोजगार का दफ्तर:
लोग बार-बार चक्कर लगाते हैं
अर्जी देते रहते हैं और प्रतीक्षा करते हैं
नौकरी नहीं मिलती लेकिन वे जीवित रहते हैं
यहाँ निराशा होती है पर मृत्यु नहीं
📌 मूल अंतर: शेर का मुँह पूर्ण विनाश का प्रतीक है, जबकि रोजगार दफ्तर झूठी आशा देकर लोगों को जीवित रखता है लेकिन समस्या का समाधान नहीं करता।
❓ प्रश्न 3. ‘प्रमाण से अधिक महत्वपूर्ण है विश्वास’ कहानी के आधार पर टिप्पणी कीजिए।
✅ उत्तर: यह वाक्य कहानी की केंद्रीय व्यंग्यात्मक स्थिति को दर्शाता है।
🔍 गहरा अर्थ:
🌑 अंधविश्वास का बोलबाला – लोग बिना सोचे किसी भी बात पर विश्वास कर लेते हैं
🚫 तर्क का अभाव – प्रमाण मांगने वालों को परेशानी माना जाता है
🎭 व्यवस्था की चालाकी – सत्ता चाहती है कि लोग सवाल न करें
💡 व्यंग्यात्मक संदेश:
जब शेर के मुँह के बाहर ही रोजगार दफ्तर दिख रहा था, तब भी जानवर शेर के मुँह में रोजगार दफ्तर होने पर विश्वास करते थे। यह दिखाता है कि लोग आंखों देखे सच को भी नकार देते हैं यदि उनका पूर्वाग्रह अलग हो।
🌏 समसामयिक प्रासंगिकता:
आज भी नेता और धार्मिक गुरु कहते हैं – “हमारी बात पर विश्वास करो, प्रमाण मत मांगो”।
👁️ पहचान
❓ प्रश्न 1. राजा ने जनता को हुक्म क्यों दिया कि सब लोग अपनी आँखें बंद कर लें?
✅ उत्तर:
👑 राजा का मानना था कि देखना जीवित रहने के लिए आवश्यक नहीं है
😌 आँखें बंद करने से शांति और संतुष्टि मिलेगी
🎯 तानाशाही स्थापना – लोग सत्य न देख सकें
🔇 विरोध समाप्त – वास्तविक स्थिति न देख पाना
🤐 अंधी आज्ञाकारिता – बिना सवाल पालन
🕵️♂️ शोषण छुपाना – भ्रष्टाचार छुपाने का तरीका
📌 प्रतीकात्मक अर्थ: तानाशाह जनता को अंधा बनाकर रखना चाहता है ताकि वह उनके कुकर्मों को न देख सके।
❓ प्रश्न 2. आँखें बंद रखने और आँखें खोलकर देखने के क्या परिणाम निकले?
✅ उत्तर:
🙈 आँखें बंद रखने के परिणाम:
काम में प्रगति (राजा के अनुसार)
उत्पादन में वृद्धि
अंधा पालन
वास्तविकता से दूरी
प्रश्न करने की प्रवृत्ति समाप्त
👀 आँखें खोलकर देखने के परिणाम:
केवल राजा ही दिखाई दिया
एक-दूसरे को नहीं देख सके
राज्य स्वर्ग नहीं बना था
सच्चाई का पता चला – केवल राजा की प्रगति हुई
📌 निष्कर्ष: आंखें बंद रखना केवल राजा को लाभ देता है, जनता को नहीं।
❓ प्रश्न 3. राजा ने कौन-कौन से हुक्म निकाले?
✅ उत्तर:
1️⃣ पहला हुक्म: सभी लोग आँखें बंद करें
निहितार्थ: सत्य न देखना
2️⃣ दूसरा हुक्म: कानों में पिघला सीसा
निहितार्थ: सच्चाई न सुनना
3️⃣ तीसरा हुक्म: होंठ सिलवाना
निहितार्थ: विरोध न करना
4️⃣ चौथा हुक्म: खाना-पीना आवश्यक नहीं
निहितार्थ: मूलभूत अधिकार छीनना
📌 सामूहिक निहितार्थ: जनता को मूक, बहरी और अंधी बनाना – गांधी जी के तीन बंदरों का विकृत रूप।
❓ प्रश्न 4. जनता राजा की स्थिति की ओर से आँखें बंद कर ले तो क्या प्रभाव होगा?
✅ उत्तर:
राजा के लिए लाभ:
निरंकुश शासन
भ्रष्टाचार पर सवाल नहीं
विरोध समाप्त
मनमानी नीतियाँ लागू
जनता के लिए हानि:
लोकतंत्र का नाश
न्याय समाप्त
मौलिक अधिकार छिनना
शोषण और उत्पीड़न
दीर्घकालीन परिणाम:
क्रांति की संभावना
आर्थिक पतन
सामाजिक न्याय का अभाव
अंततः राज्य का पतन
❓ प्रश्न 5. खैराती, रामू और छिद्दू ने आँखें खोलने पर केवल राजा ही क्यों देखा?
✅ उत्तर:
बाकी सब नष्ट हो चुका था
दृष्टि में केवल राजा की छवि बची थी
केवल राजा की प्रगति हुई थी
📌 प्रतीकात्मक अर्थ: तानाशाही में केवल शासक का अस्तित्व रहता है, जनता की पहचान खत्म हो जाती है।
🛠️ चार हाथ
❓ प्रश्न 1. मजदूरों को चार हाथ देने के लिए मिल मालिक ने क्या किया?
✅ उत्तर:
वैज्ञानिकों को मोटी तनख्वाह पर रखा
वर्षों तक शोध – असफल
वैज्ञानिकों को निकाल दिया
स्वयं के प्रयास:
कटे हाथ लगाना – असफल
लकड़ी के हाथ – काम नहीं हुआ
लोहे के हाथ – मजदूर मर गए
📌 परिणाम: सभी प्रयास असफल – वैज्ञानिक तरीके से चार हाथ लगाना असंभव।
❓ प्रश्न 2. चार हाथ न लग पाने पर मालिक को क्या समझ आया?
✅ उत्तर:
मजदूरी आधी कर दी
दोगुने मजदूर रख लिए
लागत वही, उत्पादन दोगुना
📌 संदेश: पूंजीपति मजदूरों को मशीन के पुर्जे समझते हैं – केवल मुनाफे की सोच।
🌾 साझा
❓ प्रश्न 1. साझे की खेती के बारे में हाथी ने क्या कहा?
✅ उत्तर:
खेतों को नुकसान से बचाने का वादा
सुरक्षा की गारंटी
किसान की कमजोरी का फायदा
बिना मेहनत फसल में हिस्सा
📌 प्रतीकात्मक अर्थ – शक्तिशाली लोग साझेदारी के नाम पर शोषण करते हैं।
❓ प्रश्न 2. हाथी ने खेती की रखवाली के लिए क्या घोषणा की?
✅ उत्तर:
पूरे जंगल में डुग्गी पिटवाई
“गन्ने में मेरा साझा है” एलान
“नुकसान न पहुँचाओ” चेतावनी
धमकी – “अच्छा नहीं होगा”
📌 उद्देश्य – डराकर कब्जा जमाना, बिना मेहनत हक जताना।
❓ प्रश्न 3. आधी फसल बाँटने में हाथी ने क्या किया?
✅ उत्तर:
आधी-आधी बात टाल दी
“अपने-पराए” की बात न करो कहा
गन्ना मिलकर खाने का नाटक
गन्ना छोड़ दिया – पूरी फसल हड़प ली
📌 संदेश – शक्तिशाली के साथ साझेदारी में कमजोर को कुछ नहीं मिलता।
❓ प्रश्न 4. इस कहानी में व्यवस्था पर व्यंग्य?
✅ उत्तर:
छोटे किसान बनाम बड़े पूंजीपति – असमानता
साझेदारी के नाम पर धोखाधड़ी
नेता सुरक्षा का वादा कर शोषण करते हैं
कानून शक्तिशाली के पक्ष में
📌 समसामयिक संदर्भ – कॉर्पोरेट कंपनियों की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग, बैंकों द्वारा जमीन कब्जा।
❓ प्रश्न 5. यदि आपके भी सींग निकल आते तो आप क्या करते?
✅ उत्तर:
तत्काल:
डॉक्टर की सलाह
चिकित्सा जांच
परिवार को सूचना
सामाजिक:
जागरूकता फैलाना
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना
अंधविश्वास से लड़ना
व्यावहारिक:
सुरक्षित स्थान खोजना
समान समस्या वाले लोगों से जुड़ना
आर्थिक विकल्प तलाशना
दीर्घकालीन:
स्थायी समाधान
कानूनी लड़ाई
सामाजिक बदलाव के लिए कार्य
📌 संदेश – समस्या से भागना नहीं, डटकर सामना करना चाहिए।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
📝 5 MCQ प्रश्न (बहुविकल्पीय प्रश्न)
❓ 1. “शेर” कहानी में लेखक के सिर पर क्या निकल रहा था?
🔹 (a) बाल
🔹 (b) सींग ✅
🔹 (c) फुंसियां
🔹 (d) घाव
❓ 2. “पहचान” कहानी में राजा ने दूसरे आदेश में क्या करने को कहा?
🔹 (a) आंखें बंद करने को
🔹 (b) कानों में सीसा डालने को ✅
🔹 (c) होंठ सिलवाने को
🔹 (d) हाथ काटने को
❓ 3. “चार हाथ” कहानी में मिल मालिक ने अंततः क्या किया?
🔹 (a) वैज्ञानिकों को बुलाया
🔹 (b) मजदूरी आधी कर दी ✅
🔹 (c) मिल बंद कर दी
🔹 (d) नई मशीनें लगाईं
❓ 4. “साझा” कहानी में किसान ने कौन सी फसल बोई थी?
🔹 (a) धान
🔹 (b) गेहूं
🔹 (c) गन्ना ✅
🔹 (d) मक्का
❓ 5. इन चारों कहानियों की मुख्य विधा क्या है?
🔹 (a) कहानी
🔹 (b) लघुकथा ✅
🔹 (c) उपन्यास
🔹 (d) संस्मरण
🖊 5 लघु उत्तरीय प्रश्न (15 शब्दों में)
❓ 1. शेर की मुद्रा गौतम बुद्ध के समान क्यों दिखाई गई है?
उत्तर:
🌼 शांति और अहिंसा का झूठा प्रदर्शन करके लोगों को भ्रम में डालने के लिए।
❓ 2. “पहचान” कहानी में तीन व्यक्तियों के नाम क्या थे?
उत्तर:
🌼 खैराती, रामू और छिद्दू थे जिन्होंने आंखें खोलकर सच्चाई देखी थी।
❓ 3. मिल मालिक ने वैज्ञानिकों को क्यों नौकरी से निकाल दिया?
उत्तर:
🌼 क्योंकि वैज्ञानिकों ने मजदूरों के चार हाथ लगाना असंभव बताया था।
❓ 4. हाथी ने अपना साझा किस तरीके से सिद्ध किया?
उत्तर:
🌼 पूरे जंगल में डुग्गी पिटवाकर घोषणा करके कि गन्ने में उसका हिस्सा है।
❓ 5. इन कहानियों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
🌼 समाज की विसंगतियों और शोषणकारी व्यवस्था पर तीखा व्यंग्य करना है।
📜 4 मध्यम उत्तरीय प्रश्न (70 शब्दों में)
❓ 1. “शेर” कहानी में प्रयुक्त प्रतीकों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
🌟 “शेर” कहानी में शेर सत्ता और व्यवस्था का प्रतीक है। गधा, लोमड़ी, उल्लू विभिन्न सामाजिक वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं। शेर का मुंह मृत्यु का जाल है जो झूठे प्रलोभन देकर लोगों को फंसाता है। गौतम बुद्ध की मुद्रा शांति और अहिंसा का भ्रम पैदा करती है। लेखक के सिर पर सींग निकलना व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाने वाले बुद्धिजीवियों की स्थिति दर्शाता है।
❓ 2. राजा के आदेशों का क्रमिक विकास तानाशाही की किस प्रक्रिया को दिखाता है?
उत्तर:
🌟 राजा के आदेशों का क्रमिक विकास तानाशाही की चरणबद्ध प्रक्रिया दिखाता है। पहले आंखें बंद करना (सच न देखना), फिर कान बंद करना (सच न सुनना), होंठ सिलवाना (विरोध न करना) और अंत में खाना-पीना बंद करना (जीने का अधिकार छीनना)। यह दर्शाता है कि तानाशाह पहले लोगों की चेतना को मारता है, फिर उनके अधिकारों को। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे लागू की जाती है ताकि विरोध न हो।
❓ 3. मिल मालिक की मानसिकता में पूंजीवादी शोषण के कौन से तत्व मिलते हैं?
उत्तर:
🌟 मिल मालिक की मानसिकता में पूंजीवादी शोषण के कई तत्व हैं। वह मजदूरों को मशीन के पुर्जे समझता है, उनकी मानवीयता की परवाह नहीं करता। केवल मुनाफे की सोच रखता है और अधिकतम उत्पादन चाहता है। वह वैज्ञानिकों को भी पैसे के लिए इस्तेमाल करता है। अंत में मजदूरी आधी करके दोगुने मजदूर रखना उसकी चालाकी दिखाता है कि वह कैसे श्रमिकों का आर्थिक शोषण करता है।
❓ 4. “साझा” कहानी में किसान की विवशता के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
🌟 किसान की विवशता के मुख्य कारण हैं – आर्थिक कमजोरी, सामाजिक दबाव और भय की मानसिकता। उसे खेती की बारीकियां मालूम हैं लेकिन अकेले काम करने का साहस नहीं है। पहले शेर, चीता और मगरमच्छ के साथ साझे की खेती कर चुकने से उसका अनुभव बुरा है। फिर भी वह हाथी के साथ साझेदारी करने को मजबूर है क्योंकि उसके पास कोई विकल्प नहीं है। यह छोटे किसानों की वास्तविक स्थिति का प्रतीक है।
📖 1 विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
❓ 1.असगर वजाहत की इन चार लघुकथाओं में समसामयिक भारतीय समाज की किन समस्याओं का चित्रण हुआ है और इनका क्या समाधान हो सकता है?
उत्तर:
🌟 असगर वजाहत की ये चार लघुकथाएं समसामयिक भारतीय समाज की गंभीर समस्याओं का मार्मिक चित्रण करती हैं। “शेर” में सत्ता द्वारा झूठे प्रचार से जनता को भ्रम में रखने की समस्या दिखाई गई है। “पहचान” तानाशाही व्यवस्था और लोकतंत्र के हनन को दर्शाती है जहां जनता को मूक-बधिर बना दिया जाता है। “चार हाथ” पूंजीवादी शोषण और श्रमिकों की दुर्दशा का चित्रण करती है। “साझा” में छोटे किसानों के शोषण और फर्जी साझेदारी की समस्या है।
🌟 इन समस्याओं का समाधान जनजागरूकता, शिक्षा और संगठित प्रतिरोध में निहित है। लोगों को तर्कसंगत सोच विकसित करनी चाहिए, अंधविश्वास छोड़कर प्रमाण मांगना चाहिए। श्रमिक संगठन बनाकर अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। किसानों को सामूहिक शक्ति का उपयोग करके शोषणकारी व्यवस्था का विरोध करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डर और भय की मानसिकता त्यागकर साहसपूर्वक अन्याय का विरोध करना चाहिए।
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अतिरिक्त ज्ञान
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दृश्य सामग्री
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