Class 12, HINDI LITERATURE

Class 12 : हिंदी साहित्य – अध्याय 13.भीष्म साहनी

संक्षिप्त लेखक परिचय

✨ लेखक परिचय – भीष्म साहनी

🌿 जीवन परिचय
🔹 जन्म: 8 अगस्त 1915, रावलपिंडी (अब पाकिस्तान)
🔹 शिक्षा: एम.ए. (अंग्रेज़ी साहित्य), पीएच.डी. (हिंदी साहित्य)
🔹 पेशा: कथाकार, नाटककार, अनुवादक, अभिनेता
🔹 स्वतंत्रता संग्राम: ‘क्विट इंडिया मूवमेंट’ में भागीदारी
🔹 सम्मान: पद्मभूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, शिरोमणि साहित्यकार पुरस्कार
🔹 निधन: 11 जुलाई 2003, दिल्ली

📚 साहित्यिक योगदान
🌟 भीष्म साहनी हिंदी साहित्य के सशक्त कथाकार और यथार्थवादी रचनाकार थे।
💠 उनका सबसे चर्चित उपन्यास “तमस” विभाजन की त्रासदी और सांप्रदायिकता पर आधारित है, जिसे साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ और बाद में प्रसिद्ध टीवी धारावाहिक में रूपांतरित किया गया।
💠 उन्होंने “झरोखे”, “कड़ियां”, “बसंती”, “मय्यादास की माँ” जैसे उपन्यासों और अनेक चर्चित कहानियों से हिंदी कथा-साहित्य को समृद्ध किया।
💠 उनके नाटकों में “माधवी” और “हां, मैं उम्मीदवार हूं” विशेष प्रसिद्ध हैं।
💠 भीष्म साहनी की भाषा सरल, संवादपूर्ण और मानवीय संवेदनाओं से भरपूर होती थी, जो आम जनजीवन के यथार्थ को सीधे पाठक के हृदय तक पहुंचाती थी।
💠 उन्होंने अपने साहित्य में विभाजन, गरीबी, शोषण, सांप्रदायिकता और सामाजिक अन्याय के विषयों को गहरी संवेदनशीलता से चित्रित किया।
💠 उनका साहित्य न केवल यथार्थ का आईना है बल्कि मानवीय करुणा और सामाजिक जागरूकता का भी सशक्त दस्तावेज है।

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पाठ का विश्लेषण  एवं  विवेचन


📜 पाठ की व्याख्या और विवेचना
📌 विषयवस्तु और संदर्भ
भीष्म साहनी का संस्मरण “गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफात” उनकी आत्मकथा ‘आज के अतीत’ का एक महत्वपूर्ण अंश है। यह संस्मरण लेखक के किशोरावस्था से प्रौढ़ावस्था तक के उन यादगार क्षणों को शब्दबद्ध करता है जब उन्हें इन तीनों महान व्यक्तित्वों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। यह केवल व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन नहीं है, बल्कि राष्ट्रीयता, देशप्रेम और अंतर्राष्ट्रीय मैत्री जैसे शाश्वत मूल्यों का प्रामाणिक दस्तावेज है।

🕊️ गांधी जी का व्यक्तित्व चित्रण
🏡 सेवाग्राम में पहली मुलाकात
सन् 1938 के आसपास लेखक अपने भाई बलराज साहनी से मिलने सेवाग्राम गया था।
वहां उसकी पहली भेंट गांधी जी से हुई।
लेखक का कहना है — “गांधी जी हू-बहू वैसे ही लग रहे थे जैसा उन्हें चित्रों में देखा था” — यह उनकी प्रामाणिकता और सहजता को दर्शाता है।


💖 मानवीय संवेदना के प्रतीक
आश्रम के किनारे एक खोखे में रहने वाले बालक के पेट में दर्द था और वह “बापू, मैं मर रहा हूं” चिल्ला रहा था।
गांधी जी तुरंत पहुंचे, बच्चे का पेट देखकर समझ गए कि उसने गन्ने का रस अधिक पी लिया है।
उन्होंने उसकी पीठ पर हाथ रखकर तब तक उल्टी कराई जब तक वह ठीक नहीं हो गया।
यह घटना उनके सेवा भाव और तत्परता को दर्शाती है।


⏰ गांधी जी का दैनिक अनुशासन
गांधी जी नियम और समय के पाबंद थे।
प्रतिदिन सुबह 7 बजे सैर पर निकलते थे।
शाम को प्रार्थना सभा होती थी।
आश्रम का वातावरण देशभक्तिपूर्ण था और कस्तूरबा गांधी लेखक को अपनी मां जैसी लगती थीं।

🤝 नेहरू जी का व्यक्तित्व विश्लेषण
🌸 विनम्रता और सादगी
कश्मीर यात्रा के दौरान लेखक ने अखबार पढ़ने का बहाना किया।
नेहरू जी कुछ देर खड़े रहे और फिर अत्यंत विनम्रता से कहा —
“आपने देख लिया हो तो क्या मैं भी एक नज़र देख सकता हूँ?”
यह उनके विनम्र स्वभाव का प्रमाण है।


📚 बौद्धिक और आध्यात्मिक गहराई
नेहरू जी देर रात तक काम करते और सुबह चरखा कातते थे।
उन्होंने एक बाजीगर और माता मरियम की कहानी सुनाई, जिससे उनके धर्मनिरपेक्ष विचार प्रकट होते हैं।
संदेश — सच्ची भक्ति कर्मकांड से ऊपर होती है।

🇵🇸 यास्सेर अराफात का आतिथ्य सत्कार
🍽️ अतिथि सत्कार की परंपरा
अफ्रो-एशियाई लेखक संघ सम्मेलन, ट्यूनिस में अराफात से भेंट हुई।
उन्होंने लेखक और पत्नी को सदर मुकाम में भोजन हेतु आमंत्रित किया।
मेज पर बकरे का भुना मांस और अन्य व्यंजन थे।


🙏 विनम्रता का प्रतीक
अराफात ने स्वयं लेखक के लिए फल छीलकर दिए।
गुसलखाने के बाहर तौलिया लेकर खड़े रहे।
एक राष्ट्र प्रमुख का यह आचरण उनकी महानता दर्शाता है।


🤝 भारतीय नेताओं के प्रति सम्मान
अराफात ने कहा — “वे आपके ही नहीं, हमारे भी नेता हैं”।
यह भारत-फिलिस्तीन मैत्री और गांधी जी के वैश्विक व्यक्तित्व का प्रमाण है।

✍️ साहित्यिक शिल्प और भाषा
📖 संस्मरणात्मक शैली
भीष्म साहनी ने व्यक्तिगत अनुभवों को प्रभावशाली शब्द-चित्रों में प्रस्तुत किया।
भाषा सहज, प्रवाहमान और जीवंत है।
💬 संवाद की भूमिका
संवाद पात्रों के स्वभाव और गहराई को उजागर करते हैं।
गांधी जी का “तू तो पागल है”, नेहरू जी का विनम्र अनुरोध और अराफात का भावुक कथन यादगार हैं।

🌏 मानवीय मूल्यों का चित्रण
🤲 सेवा भावना
गांधी जी का रोगी बच्चे की देखभाल
नेहरू जी की विनम्रता
अराफात का आतिथ्य — ये सब मानवीय गुणों के आदर्श उदाहरण हैं।


🌐 अंतर्राष्ट्रीय मैत्री
अराफात का भारतीय नेताओं के प्रति सम्मान
भारत की फिलिस्तीन के प्रति सहानुभूति — विश्व बंधुत्व का संदेश।

📂 आंतरिक संरचना और विषय विस्तार
संस्मरण तीन मुख्य भागों में विभाजित —
1️⃣ गांधी जी से भेंट
2️⃣ नेहरू जी के साथ समय
3️⃣ अराफात का आतिथ्य
कालक्रम — किशोरावस्था से प्रौढ़ावस्था तक के अनुभव।
समसामयिक महत्व — नेतृत्व के गुण आज भी प्रेरणादायक।

💡 समसामयिक प्रासंगिकता
गांधी जी की सेवा भावना
नेहरू जी की विनम्रता
अराफात का आतिथ्य — आज भी नेतृत्व के आदर्श।

🏁 संदेश और निष्कर्ष
पद से बड़ा आचरण — तीनों नेताओं के व्यवहार में स्पष्ट।
धर्म, जाति और राष्ट्रीयता से ऊपर उठकर — मानवीय एकता का संदेश।
गांधी जी का प्रभाव — भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में।

📝 सारांश
“गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफात” भीष्म साहनी की आत्मकथा ‘आज के अतीत’ का अंश है। इसमें गांधी जी की सेवाग्राम में मुलाकात, नेहरू जी की विनम्रता (अखबार घटना) और ट्यूनिस में अराफात का असाधारण आतिथ्य चित्रित है। तीनों में सेवा भाव, विनम्रता और मानवीय करुणा समान रूप से दिखती है। यह संस्मरण अंतर्राष्ट्रीय मैत्री और मानवीय एकता का प्रेरक संदेश देता है।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

❓ प्रश्न 1. लेखक सेवाग्राम कब और क्यों गया था?
उत्तर: 🗓️ लेखक सन् 1938 के आसपास सेवाग्राम गया था।

👨‍👦 उन दिनों लेखक के बड़े भाई बलराज साहनी सेवाग्राम में ही रह रहे थे।

📰 वे वहाँ रहकर ‘नई तालीम’ पत्रिका के सह-संपादक के रूप में काम कर रहे थे।

🏛️ उस साल कांग्रेस का अधिवेशन हरिपुरा में हुआ था।

🚶‍♂️ तभी लेखक कुछ दिन भाई के साथ बिता पाने के लिए सेवाग्राम चला गया था।

🙏 उन दिनों गाँधीजी भी वहीं थे। लेखक के मन में उनको नजदीक से देखने और उनसे बातचीत करने की तीव्र इच्छा भी रही होगी।


❓ प्रश्न 2. लेखक का गाँधीजी के साथ चलने का पहला अनुभव किस प्रकार का रहा?
उत्तर: 🔹 लेखक को सेवाग्राम पहुँचकर पता चला कि गाँधी जी प्रातः भ्रमण के लिए उनके भाई के क्वार्टर के आगे से ही निकलते हैं।

⏰ गाँधी जी का वहाँ पहुँचने का समय ठीक सात बजे था।

⏳ लेखक सुबह जल्दी उठकर सात बजने का इंतजार करने लगा।

🚪 ठीक समय पर गाँधी जी आश्रम का फाटक लाँघकर अपने साथियों के साथ सड़क पर आ गए।

🖼️ गाँधी जी हूबहू वैसे ही लग रहे थे जैसा लेखक ने उन्हें चित्रों में देखा था।

⌚ कमर के नीचे उनकी घड़ी भी लटक रही थी।

🤝 लेखक के भाई ने उसका परिचय गाँधी जी से करवाया।

📍 लेखक ने गाँधी जी को उनकी रावलपिंडी यात्रा की याद दिलाई।

🗣️ गाँधी जी को वह यात्रा अच्छी प्रकार याद थी, उन्होंने उसके बारे में बातें कीं और मिस्टर जॉन का भी स्मरण किया।

🙂 वे बहुत धीमी आवाज में बोल रहे थे और बीच-बीच में हँसी की बात भी कह देते थे।


❓ प्रश्न 3. लेखक ने सेवाग्राम में किन-किन लोगों के आने का जिक्र किया है?
उत्तर: 1️⃣ पृथ्वीसिंह आजाद – हथकड़ियों समेत भागती रेलगाड़ी से छलांग लगाई और गुमनाम हो गए।

2️⃣ मीराबेन – गाँधीजी की शिष्या।

3️⃣ खान अब्दुल गफ्फार खाँ – ‘फ्रंटियर गाँधी’ के नाम से प्रसिद्ध।

4️⃣ राजेंद्र बाबू – बाद में भारत के पहले राष्ट्रपति बने।


❓ प्रश्न 4. रोगी बालक के प्रति गाँधीजी का व्यवहार किस प्रकार का था?
उत्तर: 🗣️ सेवाग्राम आश्रम में एक बालक चिल्ला रहा था – “मैं मर रहा हूँ, बापू को बुलाओ।

” 🤕 लड़के का पेट फूला हुआ था, वह बहुत बेचैन था।

📋 उस समय बापू जी की जरूरी मीटिंग चल रही थी, फिर भी वे मीटिंग छोड़कर उसके पास पहुँचे।

👀 पेट देखकर बोले – “ईख पीता रहा है। तू तो पागल है।

” 🤲 उन्होंने उसे सहारा देकर उठाया और कहा – “मुँह में उँगली डालकर कै कर दो।

” 💧 लड़का नाली के किनारे बैठा, गाँधीजी उसकी पीठ पर हाथ रखकर झुके रहे।

😌 थोड़ी ही देर में उसका पेट हल्का हो गया।

🛏️ गाँधीजी ने उससे कहा – “खोखे में जाकर चुपचाप लेट जाओ।

” 💖 उनका व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण, मातृवत् और सेवाभावी था।


❓ प्रश्न 5. कश्मीर के लोगों ने नेहरूजी का स्वागत किस प्रकार किया?
उत्तर: 🚢 पंडित नेहरू कश्मीर यात्रा पर आए।

🌊 शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में झेलम नदी पर नावों में शोभा यात्रा निकाली गई।

🌉 सातवें पुल से अमीराकदल तक यात्रा हुई।

👥 नदी के दोनों ओर हजारों कश्मीर निवासी उत्साह से स्वागत कर रहे थे।

💐 फूलों की मालाएँ पहनाई गईं।

✨ यह दृश्य अद्भुत और मन को छूने वाला था।


❓ प्रश्न 6. अखबार वाली घटना से नेहरूजी के व्यक्तित्व की कौन-सी विशेषता प्रकट होती है?
उत्तर: 📰 लेखक बरामदे में अखबार देख रहा था, तभी नेहरूजी सीढ़ियों से उतरे।

😏 लेखक ने सोचा कि वे माँगेंगे तभी अखबार दूँगा।

🤝 नेहरूजी चुपचाप खड़े रहे, फिर धीरे से बोले – “आपने देख लिया हो तो क्या मैं एक नजर देख सकता हूँ?”

😔 लेखक शर्मिंदा होकर अखबार दे देता है।

🌟 इस घटना से प्रकट विशेषताएँ:
🌼 विनम्रता और शालीनता
🕊️ धैर्य और सहनशीलता
❤️ दूसरों की भावनाओं का सम्मान
🚫 अहंकार रहित व्यक्तित्व
🤗 मृदुभाषी और व्यवहारकुशल


❓ प्रश्न 7. फिलिस्तीन के प्रति भारत का रवैया सहानुभूति एवं समर्थन भरा क्यों था?
उत्तर: 1️⃣ समान संघर्ष – दोनों पर साम्राज्यवादी अन्याय।

2️⃣ न्याय की भावना – अन्याय के विरोध में स्वाभाविक समर्थन।

3️⃣ नेतृत्व का समर्थन – भारतीय नेताओं की स्पष्ट भर्त्सना।

4️⃣ व्यापक जन समर्थन – जनता का विशाल सहानुभूति भाव।

5️⃣ न्याय के सिद्धांत – अन्याय का हर जगह विरोध।

6️⃣ पारस्परिक समर्थन – अराफात की भारत के प्रति सहानुभूति।


❓ प्रश्न 8. अराफात के आतिथ्य प्रेम से संबंधित किन्हीं दो घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर: 🍎 पहली घटना: अपने हाथों से फल छीलकर खिलाना और शहद की चाय बनाना।

🧴 दूसरी घटना: गुसलखाने से लौटे लेखक को तौलिया लेकर खड़े मिलना।

💖 यह उनकी असाधारण आतिथ्य भावना को दर्शाता है।


❓ प्रश्न 9. अराफात के कथन और गाँधीजी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: 📌 कथन का कारण: भारत के नेता फिलिस्तीन आंदोलन का समर्थन करते थे।

🌍 गाँधीजी के व्यक्तित्व की विशेषताएँ:
⚖️ न्याय प्रियता
🌐 सार्वभौमिक मानवता
🛡️ साम्राज्यवाद विरोधी
🌟 विश्वव्यापी प्रभाव
🔆 आशा की किरण
🕊️ अहिंसा के प्रणेता

🖋️ भाषा-शिल्प
❓ प्रश्न 1. क्रिया-विशेषण:
उत्तर:
🕖 सात बजे – तुम सात बजे आना।
🐢 धीमी – वह धीमी चलती है।
🤫 चुपचाप – यहाँ से चुपचाप चले जाओ।
😄 हँसते हुए – वह हँसते हुए बोला।
↔️ एक ओर – तुम एक ओर खड़े हो जाओ।


❓ प्रश्न 2. गद्यांश में क्रियाएँ:
उत्तर: रहा, हो लेता, जा पहुँचता, मारे, रखे बैठी होतीं, लगतीं।


❓ प्रश्न 3. नेहरूजी द्वारा सुनाई गई बाजीगर की कहानी:
उत्तर: 🎪 पेरिस का गरीब बाजीगर करतब दिखाकर जीवन यापन करता था।

🎄 क्रिसमस पर सब लोग उपहार लेकर गिरजे जा रहे थे।

😔 उसके पास कोई तोहफा नहीं था, तो उसने करतब दिखाने का निश्चय किया।

🏛️ गिरजा खाली होने पर वह मंच के सामने करतब दिखाने लगा।

😠 पादरी नाराज़ होकर उसे बाहर निकालने वाला था, तभी चमत्कार हुआ।

🙏 माता मरियम उतरकर उसके पास आईं, पसीना पोंछा और सिर सहलाया।

💡 संदेश: सच्ची भक्ति और प्रेम ही सबसे बड़ा उपहार है।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

❓ 1. भीष्म साहनी सेवाग्राम किस वर्ष गए थे?
🔹 (a) 1936 के आसपास
🔹 (b) 1938 के आसपास ✅
🔹 (c) 1940 के आसपास
🔹 (d) 1942 के आसपास


❓ 2. गांधी जी प्रातःकाल कितने बजे सैर के लिए निकलते थे?
🔹 (a) सुबह 5 बजे
🔹 (b) सुबह 6 बजे
🔹 (c) सुबह 7 बजे ✅
🔹 (d) सुबह 8 बजे


❓ 3. लेखक के भाई बलराज साहनी सेवाग्राम में किस पत्रिका के सह-संपादक थे?
🔹 (a) हरिजन
🔹 (b) नई तालीम ✅
🔹 (c) नवजीवन
🔹 (d) यंग इंडिया


❓ 4. नेहरू जी के साथ कश्मीर में कौन सा नेता था?
🔹 (a) शेख अब्दुल्ला ✅
🔹 (b) मौलाना अबुल कलाम आजाद
🔹 (c) खान अब्दुल गफ्फार खान
🔹 (d) डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम


❓ 5. यास्सेर अराफात से लेखक की भेंट कहाँ हुई थी?
🔹 (a) फिलिस्तीन में
🔹 (b) ट्यूनिस में ✅
🔹 (c) मिस्र में
🔹 (d) लेबनान में

✏ 5 लघु उत्तरीय प्रश्न (15 शब्दों में)
❓ 1. गांधी जी की कमर से क्या लटक रहा था?

उत्तर:
✅ गांधी जी की कमर के नीचे घड़ी लटक रही थी, जो उनके समयनिष्ठा का प्रतीक था।


❓ 2. सेवाग्राम में शाम को क्या होता था?

उत्तर:
✅ सेवाग्राम में प्रतिदिन शाम को प्रार्थना सभा होती थी जिसमें सभी आश्रमवासी भाग लेते थे।


❓ 3. रोगी बच्चे ने क्या अधिक पी लिया था?

उत्तर:
✅ रोगी बच्चे ने अधिक मात्रा में गन्ने का रस पी लिया था जिससे उसका पेट फूल गया।


❓ 4. कश्मीर में नेहरू जी की शोभा यात्रा कहाँ से कहाँ तक निकली?

उत्तर:
✅ झेलम नदी पर सातवें पुल से अमीराकदल तक नावों में शोभा यात्रा निकली थी।


❓ 5. अराफात ने लेखक को क्या पेय पदार्थ दिया था?

उत्तर:
✅ अराफात ने लेखक को शहद की चाय बनाकर दी थी, जो उनके आतिथ्य का प्रमाण थी।

📜 4 मध्यम उत्तरीय प्रश्न (70 शब्दों में)
❓ 1. गांधी जी के व्यक्तित्व की मुख्य विशेषताएं क्या थीं?

उत्तर:
✅ गांधी जी अत्यंत समयनिष्ठ थे और ठीक सात बजे सैर के लिए निकलते थे। वे बहुत धीमी आवाज में बोलते थे लेकिन बीच-बीच में हँसी की बात भी कह देते थे। उनमें असाधारण मानवीय संवेदना थी। रोगी बच्चे की सेवा के लिए वे अपनी जरूरी मीटिंग तक छोड़कर चले गए। वे सेवा भाव से भरे हुए थे और बच्चे को ‘तू तो पागल है’ कहकर प्रेम से डांटा भी।


❓ 2. नेहरू जी द्वारा सुनाई गई बाजीगर की कहानी का संदेश क्या है?

उत्तर:
✅ नेहरू जी की बाजीगर की कहानी का मूल संदेश यह है कि सच्ची आस्था और भक्ति के लिए धन या भौतिक साधनों की आवश्यकता नहीं होती। गरीब बाजीगर के पास माता मरियम को अर्पित करने के लिए कोई उपहार नहीं था, लेकिन उसने अपना करतब दिखाकर श्रद्धा व्यक्त की। माता मरियम ने उसकी सच्ची भावना को स्वीकार करके उसके माथे का पसीना पोंछा। यह कहानी धर्मनिरपेक्षता और सच्ची भक्ति के महत्व को दर्शाती है।


❓ 3. कश्मीर में नेहरू जी के स्वागत का वर्णन कीजिए।

उत्तर:
✅ कश्मीर में नेहरू जी का स्वागत अत्यंत भव्य और उत्साहजनक था। शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में झेलम नदी पर सातवें पुल से अमीराकदल तक नावों में उनकी शोभा यात्रा निकाली गई। नदी के दोनों ओर हजारों कश्मीरी लोग अदम्य उत्साह के साथ खड़े थे। उन्होंने नेहरू जी को फूलों की मालाएं पहनाईं। यह दृश्य देखने लायक और मन को छूने वाला था। यह स्वागत कश्मीरियों के दिलों में नेहरू जी के लिए गहरे प्रेम को दर्शाता था


❓ 4. अराफात के आतिथ्य की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर:
✅ यास्सेर अराफात का आतिथ्य असाधारण और प्रभावशाली था। उन्होंने लेखक को सपत्नीक दोपहर के भोजन पर आमंत्रित किया। वे स्वयं बाहर आकर अतिथियों को अंदर ले गए। अराफात ने अपने हाथों से फल छीलकर खिलाए और शहद की चाय बनाकर दी। सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि जब लेखक गुसलखाने से बाहर आया तो अराफात स्वयं हाथ में तौलिया लिए खड़े थे। एक राष्ट्राध्यक्ष का इस प्रकार व्यक्तिगत सेवा करना उनकी महानता को दर्शाता है।

🌟 1 विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (150 शब्दों में)
❓ भीष्म साहनी के संस्मरण ‘गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफात’ से मिलने वाले जीवन मूल्यों और संदेशों का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर:
✅ भीष्म साहनी के इस संस्मरण से अनेक महत्वपूर्ण जीवन मूल्यों और संदेशों की प्राप्ति होती है।
🔹 सेवा भावना – गांधी जी का उदाहरण प्रेरणादायक है जिन्होंने रोगी बच्चे की सेवा के लिए अपनी जरूरी मीटिंग तक छोड़ दी। यह दिखाता है कि सच्चा नेतृत्व मानवीय संवेदना से भरा होता है।
🔹 विनम्रता और शालीनता – नेहरू जी का व्यक्तित्व आदर्श है। अखबार वाली घटना से स्पष्ट है कि महान व्यक्तित्व अहंकार से मुक्त होते हैं।
🔹 धर्मनिरपेक्षता – बाजीगर की कहानी सच्ची आस्था और धर्मनिरपेक्षता का संदेश देती है।
🔹 आतिथ्य और सेवा – अराफात का व्यक्तिगत सेवा करना यह दर्शाता है कि पद से बड़ा व्यक्ति का चरित्र होता है।
🔹 अंतर्राष्ट्रीय मैत्री – अराफात का यह कहना कि भारतीय नेता उनके भी नेता हैं, आपसी सम्मान और मित्रता को दर्शाता है।
समग्रतः यह संस्मरण मानवीय मूल्यों की सर्वोच्चता का संदेश देता है।

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अतिरिक्त ज्ञान

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दृश्य सामग्री

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