Class 11 : Poltical Science (In Hindi) – Lesson 6. न्यायपालिका
पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन
🔶 प्रस्तावना (≈150 शब्द)
🔵 लोकतंत्र के तीन स्तंभ — विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका — शासन की संरचना के आधार हैं।
🟢 इनमें न्यायपालिका (Judiciary) वह शाखा है जो संविधान की रक्षा करती है और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
🟡 यह शासन की निष्पक्ष और स्वतंत्र संस्था है जो कानूनों की व्याख्या करती है तथा यह सुनिश्चित करती है कि राज्य का हर कार्य संविधान के अनुरूप हो।
🔴 न्यायपालिका को “संविधान का संरक्षक” कहा जाता है क्योंकि यह संविधान के मूलभाव और लोकतांत्रिक मर्यादा की रक्षा करती है।
💡 इस अध्याय में हम न्यायपालिका की संरचना, शक्तियाँ, स्वतंत्रता, न्यायिक पुनरावलोकन और नागरिक अधिकारों की रक्षा में इसकी भूमिका का अध्ययन करेंगे।
🏛️ मुख्य व्याख्या (≈1350 शब्द)
🧭 1. न्यायपालिका का अर्थ और महत्व
🔵 न्यायपालिका वह संस्था है जो कानूनों की व्याख्या करती है, विवादों का निपटारा करती है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है।
🟢 यह लोकतंत्र में न्याय, समानता और स्वतंत्रता की भावना को बनाए रखती है।
🟡 न्यायपालिका शासन की वैधता और पारदर्शिता का प्रतीक है।
💡 स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका ही लोकतंत्र की आत्मा है।
⚖️ 2. भारत में न्यायपालिका की संरचना
🔵 भारतीय न्यायपालिका एक एकीकृत न्याय प्रणाली (Integrated Judiciary) है, जो तीन स्तरों पर कार्य करती है —
1️⃣ सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) — राष्ट्रीय स्तर पर।
2️⃣ उच्च न्यायालय (High Courts) — राज्य स्तर पर।
3️⃣ अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) — जिला और स्थानीय स्तर पर।
🟢 यह व्यवस्था अनुच्छेद 124 से 147 (सर्वोच्च न्यायालय) तथा अनुच्छेद 214 से 231 (उच्च न्यायालय) तक वर्णित है।
💡 इस प्रणाली में एकता और क्रमबद्धता सुनिश्चित है, जिससे समूचे देश में एक समान न्याय सुनिश्चित होता है।
🏛️ 3. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)
🔵 भारत का सर्वोच्च न्यायालय संविधान का सर्वोच्च रक्षक और अंतिम अपीलीय प्राधिकारी है।
🟢 इसका गठन अनुच्छेद 124 के अंतर्गत किया गया।
🟡 इसमें एक मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) और 33 अन्य न्यायाधीश होते हैं।
💡 सर्वोच्च न्यायालय का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
🔹 नियुक्ति और कार्यकाल:
🔵 मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
🟢 सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है।
💡 वे केवल संसद द्वारा महाभियोग प्रक्रिया के माध्यम से हटाए जा सकते हैं।
✳️ 4. सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ और अधिकार क्षेत्र
(क) मूल अधिकार क्षेत्र (Original Jurisdiction)
🔵 अनुच्छेद 131 के अनुसार, केंद्र और राज्यों या राज्यों के बीच विवादों का निपटारा सर्वोच्च न्यायालय करता है।
🟢 यह संघीय संतुलन बनाए रखने का कार्य करता है।
(ख) अपीलीय अधिकार क्षेत्र (Appellate Jurisdiction)
🔵 सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील सुनता है।
🟡 यह नागरिक, दंड और संवैधानिक मामलों में अपील स्वीकार करता है।
(ग) परामर्श अधिकार (Advisory Jurisdiction)
🔵 अनुच्छेद 143 के अंतर्गत राष्ट्रपति किसी प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श मांग सकते हैं।
💡 यह न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संतुलन का उदाहरण है।
(घ) न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review)
🔵 सर्वोच्च न्यायालय संविधान की व्याख्या करते हुए किसी भी कानून या कार्यकारी आदेश को असंवैधानिक घोषित कर सकता है।
🟢 यह अधिकार अनुच्छेद 13 और 32 से व्युत्पन्न है।
💡 न्यायिक पुनरावलोकन संविधान की सर्वोच्चता को सुनिश्चित करता है।
(ङ) मौलिक अधिकारों की रक्षा
🔵 सर्वोच्च न्यायालय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा हेतु रिट (Writs) जारी कर सकता है।
🟢 पाँच प्रकार की रिट —
1️⃣ हेबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)
2️⃣ मैंडमस (Mandamus)
3️⃣ प्रोहिबिशन (Prohibition)
4️⃣ क्वो वारंटो (Quo Warranto)
5️⃣ सर्टियोरारी (Certiorari)
💡 यह नागरिक स्वतंत्रता की सर्वोच्च गारंटी है।
⚖️ 5. उच्च न्यायालय (High Courts)
🔵 प्रत्येक राज्य में एक उच्च न्यायालय होता है; कुछ राज्यों के लिए एक साझा उच्च न्यायालय भी हो सकता है।
🟢 उच्च न्यायालयों का गठन अनुच्छेद 214 के अंतर्गत होता है।
🟡 उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
🔴 सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष होती है।
💡 उच्च न्यायालय राज्य स्तर पर नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है और अधीनस्थ न्यायालयों की निगरानी करता है।
🔹 प्रमुख शक्तियाँ:
1️⃣ संविधान और कानूनों की व्याख्या।
2️⃣ रिट जारी करने का अधिकार।
3️⃣ अपीलों की सुनवाई।
4️⃣ अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण।
🏛️ 6. अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)
🔵 ये न्यायपालिका की नींव हैं, जो जनता के सबसे निकट हैं।
🟢 इनमें जिला न्यायालय, दंड न्यायालय, परिवार न्यायालय, दीवानी और मजिस्ट्रेट न्यायालय शामिल हैं।
🟡 जिला न्यायाधीश उच्च न्यायालय के नियंत्रण में कार्य करते हैं।
💡 अधीनस्थ न्यायालय नागरिकों को सुलभ और त्वरित न्याय प्रदान करते हैं।
✴️ 7. न्यायपालिका की स्वतंत्रता (Independence of Judiciary)
🔵 संविधान ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किए हैं:
1️⃣ न्यायाधीशों की नियुक्ति और हटाने की कठिन प्रक्रिया।
2️⃣ वेतन और सुविधाओं की गारंटी।
3️⃣ कार्यपालिका या विधायिका के हस्तक्षेप पर रोक।
4️⃣ न्यायिक निर्णयों में स्वतंत्रता।
🟡 न्यायपालिका की स्वतंत्रता से ही न्याय की निष्पक्षता और नागरिक अधिकारों की रक्षा संभव है।
💡 न्यायपालिका को “लोकतंत्र की आत्मा की प्रहरी” कहा जाता है।
🎯 8. न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism)
🔵 न्यायपालिका ने समय के साथ अपनी भूमिका का विस्तार किया है, जिसे न्यायिक सक्रियता कहा जाता है।
🟢 यह उन परिस्थितियों में हस्तक्षेप करती है जहाँ कार्यपालिका या विधायिका नागरिक अधिकारों की अनदेखी करती है।
🟡 “जनहित याचिका” (Public Interest Litigation – PIL) इसी का उदाहरण है।
💡 न्यायपालिका का उद्देश्य शासन को संविधान के सिद्धांतों के अनुरूप बनाए रखना है।
📘 9. न्यायिक समीक्षा बनाम न्यायिक संयम
🔵 न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) संविधान की सर्वोच्चता की रक्षा करती है।
🟢 वहीं न्यायिक संयम (Judicial Restraint) यह सुनिश्चित करता है कि न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका के कार्यक्षेत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप न करे।
💡 दोनों के बीच संतुलन लोकतांत्रिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।
🧠 10. नागरिकों के लिए न्यायपालिका का महत्व
🔵 न्यायपालिका नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा करती है।
🟢 यह न्याय को सुलभ, सस्ता और त्वरित बनाने के लिए प्रयत्नशील रहती है।
🟡 यह असमानता, अन्याय और भ्रष्टाचार के विरुद्ध नागरिकों की रक्षा करती है।
💡 न्यायपालिका में जनता का विश्वास लोकतंत्र की स्थिरता की कुंजी है।
📘 सारांश (≈250 शब्द)
🔵 न्यायपालिका भारत के लोकतांत्रिक ढांचे का प्रमुख स्तंभ है, जो संविधान की सर्वोच्चता को सुनिश्चित करती है।
🟢 यह तीन स्तरों — सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय — में संगठित है।
🟡 सर्वोच्च न्यायालय संविधान का रक्षक, अंतिम अपीलीय प्राधिकारी और मौलिक अधिकारों का संरक्षक है।
🔴 यह रिट जारी कर नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा करता है तथा न्यायिक पुनरावलोकन द्वारा असंवैधानिक कानूनों को निरस्त कर सकता है।
💡 उच्च न्यायालय राज्य स्तर पर न्यायिक नियंत्रण और रिट अधिकार का प्रयोग करते हैं, जबकि अधीनस्थ न्यायालय जनता को स्थानीय स्तर पर न्याय प्रदान करते हैं।
🟢 न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और उत्तरदायित्व लोकतंत्र की आत्मा हैं।
🟡 न्यायिक सक्रियता और जनहित याचिका ने न्यायपालिका को जनता से और अधिक जोड़ा है।
🔴 न्यायपालिका केवल विवादों का निवारण नहीं करती, बल्कि यह लोकतांत्रिक शासन की मर्यादा और नागरिक स्वतंत्रता की प्रहरी है।
🎯 इस प्रकार न्यायपालिका भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है, जो संविधान के प्रति निष्ठा और न्याय के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
📝 त्वरित पुनरावलोकन (≈100 शब्द)
✔️ न्यायपालिका — संविधान की व्याख्याकार और रक्षक।
✔️ तीन स्तर — सर्वोच्च, उच्च, अधीनस्थ न्यायालय।
✔️ सर्वोच्च न्यायालय — अनुच्छेद 124; न्यायाधीशों की आयु 65 वर्ष।
✔️ रिट्स — हेबियस कॉर्पस, मैंडमस, प्रोहिबिशन, क्वो वारंटो, सर्टियोरारी।
✔️ न्यायिक पुनरावलोकन — अनुच्छेद 13 व 32।
✔️ न्यायिक सक्रियता — जनहित याचिका (PIL)।
✔️ स्वतंत्रता सुनिश्चित — नियुक्ति, वेतन, पद सुरक्षा।
✔️ उद्देश्य — नागरिक अधिकारों की रक्षा और न्याय की स्थापना।
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
🔵 प्रश्न 1:
न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के कौन-कौन से उपाय हैं? नीचे दिए विकल्पों में से सही चुनिए।
(क) सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश से सलाह ली जाती है।
(ख) न्यायाधीशों को आयु-पूर्व नहीं हटाया जाता।
(ग) उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का तबादला दूसरे उच्च न्यायालय में नहीं किया जा सकता।
(घ) न्यायाधीशों की नियुक्ति में संसद की भूमिका होती है।
🟢 उत्तर:
सही विकल्प हैं — (क) और (ख)।
➡️ न्यायपालिका की स्वतंत्रता इस प्रकार सुरक्षित की गई है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति और कार्यकाल पर कार्यपालिका या विधायिका का सीधा नियंत्रण नहीं होता।
➡️ उन्हें आयु-पूर्व नहीं हटाया जा सकता और हटाने के लिए विशेष प्रक्रिया होती है।
➡️ स्थानांतरण या नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश की सलाह ली जाती है।
🔵 प्रश्न 2:
क्या न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ यह है कि वह किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं है?
🟢 उत्तर:
नहीं, न्यायपालिका पूर्णतः उत्तरदायित्व-रहित नहीं है।
➡️ वह संविधान और विधि के प्रति उत्तरदायी है।
➡️ न्यायपालिका को निष्पक्ष रहकर निर्णय देना होता है, परंतु उसकी स्वतंत्रता का उद्देश्य राजनीतिक या कार्यपालिका के दबाव से मुक्त रहना है।
🔵 प्रश्न 3:
न्यायपालिका को शक्तिशाली बनाने हेतु संविधान के कौन-कौन से प्रावधान हैं?
🟢 उत्तर:
संविधान में न्यायपालिका को शक्तिशाली बनाने हेतु ये प्रावधान किए गए हैं —
1️⃣ सर्वोच्च न्यायालय को संविधान का अंतिम व्याख्याकार बनाया गया।
2️⃣ उच्च न्यायालयों को समान शक्तियाँ दी गईं।
3️⃣ न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial Review) का अधिकार प्रदान किया गया।
4️⃣ न्यायाधीशों की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया को कठिन बनाया गया।
🔵 प्रश्न 4:
रीलायंस थर्मल एनर्जी बनाम दहाणू के किसानों के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने क्या निर्णय दिया और उसका महत्व क्या है?
🟢 उत्तर:
➡️ दहाणू क्षेत्र के किसानों ने रीलायंस थर्मल प्लांट के प्रदूषण के विरुद्ध याचिका दायर की थी।
➡️ सर्वोच्च न्यायालय ने किसानों के पक्ष में निर्णय देते हुए पर्यावरण-सुरक्षा प्राधिकरण को आदेश दिया कि संयंत्र प्रदूषण नियंत्रण के लिए कदम उठाए।
➡️ इस निर्णय ने पर्यावरणीय न्याय और नागरिक अधिकारों की रक्षा का मार्ग प्रशस्त किया।
🔵 प्रश्न 5:
सीएनजी वाहन प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय की क्या भूमिका रही?
🟢 उत्तर:
➡️ 2001 में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को सार्वजनिक वाहनों में सीएनजी ईंधन लागू करने का आदेश दिया।
➡️ इसका उद्देश्य प्रदूषण-नियंत्रण और जनस्वास्थ्य की सुरक्षा था।
➡️ न्यायालय के हस्तक्षेप से सरकारों को जवाबदेह बनाया गया और पर्यावरणीय शासन को सशक्त किया गया।
🔵 प्रश्न 6:
इक्वाडोर (Ecuador) के उदाहरण के आधार पर भारत की न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर विचार कीजिए।
🟢 उत्तर:
भारत में न्यायपालिका संविधान के अधीन कार्य करती है और उसके निर्णय बाध्यकारी होते हैं।
इक्वाडोर जैसे देशों में न्यायिक निर्णयों की बाध्यता स्पष्ट नहीं होती।
भारत में न्यायालयों की कार्यशैली अधिक पारदर्शी और विधिक रूप से संगठित है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया विश्वसनीय बनती है।
🔵 प्रश्न 7:
निम्न कथनों को पढ़िए और सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र से उनका मिलान कीजिए —
(क) जम्मू-कश्मीर के निवासियों को नागरिकता संबंधी प्रश्न — विधिक अधिकार।
(ख) कावेरी नदी जल विवाद — अपीलीय अधिकार।
(ग) बाँध स्थल हटाने का आदेश — परामर्शकारी अधिकार।
🟢 उत्तर:
सही मिलान है —
(क) मूल अधिकार क्षेत्र,
(ख) अपीलीय अधिकार क्षेत्र,
(ग) परामर्शकारी अधिकार क्षेत्र।
🔵 प्रश्न 8:
जनहित याचिका (PIL) क्या होती है और इसका महत्व क्या है?
🟢 उत्तर:
➡️ जनहित याचिका वह याचिका है जो किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा समाज या जनता के हित में न्यायालय में दायर की जाती है।
➡️ यह गरीब, असहाय या हाशिए पर पड़े लोगों को न्याय दिलाने का माध्यम बनती है।
➡️ इससे न्यायपालिका की पहुँच समाज के अंतिम व्यक्ति तक विस्तारित हुई है।
🔵 प्रश्न 9:
क्या न्यायिक सक्रियता से विधायिका और कार्यपालिका की शक्तियों में संतुलन बना रह सकता है?
🟢 उत्तर:
हाँ, न्यायिक सक्रियता संविधान के दायरे में रहकर शासन के अन्य अंगों को जवाबदेह बनाती है।
यह नागरिक अधिकारों की रक्षा करती है और संविधान के मूल ढाँचे की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
🔵 प्रश्न 10:
न्यायिक सक्रियता मौलिक अधिकारों की सुरक्षा से किस प्रकार जुड़ी है?
🟢 उत्तर:
➡️ न्यायिक सक्रियता द्वारा सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का विस्तार किया।
➡️ पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता आदि को भी जीवन के अधिकार के अंतर्गत लाया गया।
➡️ इससे मौलिक अधिकारों की व्याख्या विस्तृत हुई और नागरिकों को अधिक संरक्षण मिला।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
⚖️ खंड A – बहुविकल्पीय प्रश्न (Q1–Q12 · 1 अंक प्रत्येक)
🔵 प्रश्न 1: भारत में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) की स्थापना कब हुई थी?
🟢 1️⃣ 26 जनवरी 1950
🟡 2️⃣ 15 अगस्त 1947
🔴 3️⃣ 2 अक्टूबर 1952
🟣 4️⃣ 26 नवंबर 1949
✔️ उत्तर: 26 जनवरी 1950
🔵 प्रश्न 2: भारत के सर्वोच्च न्यायालय का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
🟢 1️⃣ मुंबई
🟡 2️⃣ नई दिल्ली
🔴 3️⃣ चेन्नई
🟣 4️⃣ कोलकाता
✔️ उत्तर: नई दिल्ली
🔵 प्रश्न 3: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश कौन थे?
🟢 1️⃣ न्यायमूर्ति ए.एन. रे
🟡 2️⃣ न्यायमूर्ति हरिलाल जे. कानिया
🔴 3️⃣ न्यायमूर्ति एम. हिदायतुल्ला
🟣 4️⃣ न्यायमूर्ति के. सुब्बा राव
✔️ उत्तर: न्यायमूर्ति हरिलाल जे. कानिया
🔵 प्रश्न 4: संविधान के किस अनुच्छेद में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान है?
🟢 1️⃣ अनुच्छेद 32
🟡 2️⃣ अनुच्छेद 124
🔴 3️⃣ अनुच्छेद 226
🟣 4️⃣ अनुच्छेद 368
✔️ उत्तर: अनुच्छेद 124
🔵 प्रश्न 5: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति की आयु कितनी है?
🟢 1️⃣ 60 वर्ष
🟡 2️⃣ 62 वर्ष
🔴 3️⃣ 65 वर्ष
🟣 4️⃣ 70 वर्ष
✔️ उत्तर: 65 वर्ष
🔵 प्रश्न 6: न्यायपालिका का मुख्य कार्य क्या है?
🟢 1️⃣ कानून बनाना
🟡 2️⃣ कानूनों की व्याख्या और पालन कराना
🔴 3️⃣ प्रशासन चलाना
🟣 4️⃣ नीतियाँ बनाना
✔️ उत्तर: कानूनों की व्याख्या और पालन कराना
🔵 प्रश्न 7: भारत में न्यायपालिका की सर्वोच्चता का सिद्धांत किससे जुड़ा है?
🟢 1️⃣ शक्तियों के पृथक्करण से
🟡 2️⃣ राष्ट्रपति शासन से
🔴 3️⃣ संघीय ढाँचे से
🟣 4️⃣ लोकतंत्र से
✔️ उत्तर: शक्तियों के पृथक्करण से
🔵 प्रश्न 8: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है?
🟢 1️⃣ प्रधानमंत्री
🟡 2️⃣ संसद
🔴 3️⃣ राष्ट्रपति
🟣 4️⃣ मुख्य न्यायाधीश
✔️ उत्तर: राष्ट्रपति
🔵 प्रश्न 9: उच्च न्यायालय (High Court) किस राज्य में नहीं है?
🟢 1️⃣ गोवा
🟡 2️⃣ हरियाणा
🔴 3️⃣ सिक्किम
🟣 4️⃣ अरुणाचल प्रदेश
✔️ उत्तर: अरुणाचल प्रदेश (गौहाटी उच्च न्यायालय के अंतर्गत आता है)
🔵 प्रश्न 10: सर्वोच्च न्यायालय में वर्तमान में कितने न्यायाधीश (मुख्य सहित) होते हैं?
🟢 1️⃣ 31
🟡 2️⃣ 34
🔴 3️⃣ 33
🟣 4️⃣ 25
✔️ उत्तर: 34
🔵 प्रश्न 11: न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) का क्या अर्थ है?
🟢 1️⃣ संसद द्वारा न्यायालय की समीक्षा
🟡 2️⃣ न्यायालय द्वारा कानूनों की संवैधानिकता की समीक्षा
🔴 3️⃣ राष्ट्रपति द्वारा कानून की समीक्षा
🟣 4️⃣ जनता द्वारा न्यायपालिका की समीक्षा
✔️ उत्तर: न्यायालय द्वारा कानूनों की संवैधानिकता की समीक्षा
🔵 प्रश्न 12: उच्चतम न्यायालय किस विवाद पर निर्णय करता है?
🟢 1️⃣ केंद्र और राज्य के विवाद पर
🟡 2️⃣ केवल राज्यों के बीच विवाद पर
🔴 3️⃣ संसद और राष्ट्रपति के बीच विवाद पर
🟣 4️⃣ लोकसभा और राज्यसभा के विवाद पर
✔️ उत्तर: केंद्र और राज्य के विवाद पर
⚖️ खंड B – लघु उत्तर प्रश्न (Q13–Q20 · 2 अंक प्रत्येक)
🟢 प्रश्न 13: न्यायपालिका (Judiciary) का क्या अर्थ है?
🟡 उत्तर: न्यायपालिका राज्य की वह शाखा है जो कानूनों की व्याख्या करती है, विवादों का निपटारा करती है और संविधान की रक्षा करती है।
🟢 प्रश्न 14: भारत की न्यायपालिका के तीन स्तर कौन-से हैं?
🟡 उत्तर:
1️⃣ सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)
2️⃣ उच्च न्यायालय (High Court)
3️⃣ अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)
🟢 प्रश्न 15: न्यायिक स्वतंत्रता क्यों आवश्यक है?
🟡 उत्तर: ताकि न्यायाधीश निष्पक्ष रहकर संविधान और कानून के आधार पर निर्णय ले सकें तथा कार्यपालिका या विधायिका के दबाव से मुक्त रहें।
🟢 प्रश्न 16: न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) का उद्देश्य क्या है?
🟡 उत्तर: संविधान-विरोधी कानूनों और कार्यपालिका के आदेशों को निरस्त कर संविधान की सर्वोच्चता बनाए रखना।
🟢 प्रश्न 17: जनहित याचिका (Public Interest Litigation – PIL) क्या है?
🟡 उत्तर: जब कोई व्यक्ति या संगठन जनता के हित में न्यायालय में याचिका दायर करता है, उसे जनहित याचिका कहा जाता है।
🟢 प्रश्न 18: उच्च न्यायालय का गठन किस अनुच्छेद के अंतर्गत किया गया है?
🟡 उत्तर: संविधान के अनुच्छेद 214 के अंतर्गत उच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान है।
🟢 प्रश्न 19: मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है?
🟡 उत्तर: राष्ट्रपति, वरिष्ठतम न्यायाधीश की वरिष्ठता और परामर्श प्रक्रिया (Collegium System) के आधार पर नियुक्ति करता है।
🟢 प्रश्न 20: न्यायपालिका संविधान का रक्षक क्यों कहलाती है?
🟡 उत्तर: क्योंकि वह संविधान के प्रावधानों की व्याख्या करती है, कानूनों की वैधता की जांच करती है और नागरिक अधिकारों की रक्षा करती है।
⚖️ खंड C – मध्यम उत्तर प्रश्न (Q21–Q26 · 4 अंक प्रत्येक)
🔵 प्रश्न 21: न्यायपालिका की स्वतंत्रता (Independence of Judiciary) सुनिश्चित करने के लिए संविधान में कौन-कौन से प्रावधान किए गए हैं?
🟢 उत्तर:
1️⃣ न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और उनकी पदावधि सुरक्षित है।
2️⃣ न्यायाधीशों को केवल संसद की विशेष प्रक्रिया द्वारा ही हटाया जा सकता है।
3️⃣ उनके वेतन और भत्ते संसद की स्वीकृति के बिना घटाए नहीं जा सकते।
4️⃣ कार्यपालिका या विधायिका का न्यायिक कार्यों पर कोई नियंत्रण नहीं होता।
🔵 प्रश्न 22: सर्वोच्च न्यायालय की मौलिक अधिकारों से संबंधित शक्तियों का वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर:
1️⃣ अनुच्छेद 32 के अंतर्गत नागरिक सीधे सर्वोच्च न्यायालय में जा सकते हैं।
2️⃣ न्यायालय हबियस कॉर्पस, मांडमस, क्वो-वारंटो, सर्टियोरारी और प्रोहीबिशन जैसे रिट जारी कर सकता है।
3️⃣ यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा का सर्वोच्च साधन है।
4️⃣ इसलिए डॉ. अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 को “संविधान की आत्मा” कहा है।
🔵 प्रश्न 23: उच्च न्यायालय की शक्तियों का वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर:
1️⃣ राज्य के भीतर न्यायिक मामलों की सर्वोच्च अपीलीय संस्था है।
2️⃣ यह अनुच्छेद 226 के तहत रिट जारी कर सकता है।
3️⃣ अधीनस्थ न्यायालयों की कार्यवाही की निगरानी करता है।
4️⃣ संविधान और कानून की व्याख्या में अंतिम प्राधिकारी होता है।
🔵 प्रश्न 24: जनहित याचिका (PIL) का लोकतंत्र में क्या महत्व है?
🟢 उत्तर:
1️⃣ यह जनता को न्याय प्राप्त करने का सस्ता और सरल साधन प्रदान करती है।
2️⃣ गरीब, शोषित व वंचित वर्ग की आवाज़ को अदालत तक पहुँचाती है।
3️⃣ सामाजिक न्याय और समानता की भावना को सशक्त बनाती है।
4️⃣ लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को प्रोत्साहित करती है।
🔵 प्रश्न 25: न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) का लोकतंत्र में क्या योगदान है?
🟢 उत्तर:
1️⃣ यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी कानून संविधान-विरोधी न हो।
2️⃣ कार्यपालिका की मनमानी पर नियंत्रण रखता है।
3️⃣ नागरिक अधिकारों की रक्षा करता है।
4️⃣ इससे संविधान की सर्वोच्चता और लोकतंत्र की स्थिरता बनी रहती है।
🔵 प्रश्न 26: न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism) का क्या अर्थ है?
🟢 उत्तर:
1️⃣ जब न्यायालय सामाजिक अन्याय, भ्रष्टाचार या नीतिगत चूक पर स्वयं पहल करता है, तो इसे न्यायिक सक्रियता कहते हैं।
2️⃣ यह विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों की समीक्षा कर जनहित की रक्षा करता है।
3️⃣ इससे न्यायपालिका की भूमिका केवल विवाद निपटान से बढ़कर सामाजिक सुधार की बन जाती है।
4️⃣ यह संविधान के मूल उद्देश्यों को जीवंत रखती है।
⚖️ खंड D – विस्तृत उत्तर प्रश्न (Q27–Q30 · 7 अंक प्रत्येक)
🔴 प्रश्न 27: सर्वोच्च न्यायालय की संरचना और अधिकार-क्षेत्र का विस्तार से वर्णन कीजिए।
🟢 उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय भारत का सर्वोच्च न्यायिक अंग है जिसकी स्थापना 26 जनवरी 1950 को अनुच्छेद 124 के तहत हुई। इसमें एक मुख्य न्यायाधीश और अधिकतम 33 अन्य न्यायाधीश होते हैं। न्यायालय का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
➡️ अधिकार-क्षेत्र:
1️⃣ मूल अधिकार-क्षेत्र: केंद्र और राज्य, या राज्यों के बीच विवादों का निपटारा।
2️⃣ अपील अधिकार-क्षेत्र: उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील सुनना।
3️⃣ संवैधानिक अधिकार-क्षेत्र: संविधान की व्याख्या से जुड़े विवादों का अंतिम निपटारा।
4️⃣ परामर्श अधिकार: राष्ट्रपति की सलाह पर मत देना (अनुच्छेद 143)।
सर्वोच्च न्यायालय संविधान का संरक्षक, नागरिक अधिकारों का रक्षक और न्याय का अंतिम स्रोत है।
🔴 प्रश्न 28: न्यायिक स्वतंत्रता के सिद्धांत का विश्लेषण कीजिए।
🟢 उत्तर:
न्यायिक स्वतंत्रता का अर्थ है कि न्यायाधीश बिना किसी दबाव, भय या हस्तक्षेप के निष्पक्ष रूप से निर्णय दें।
1️⃣ संवैधानिक सुरक्षा: न्यायाधीशों की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया विशेष है।
2️⃣ वित्तीय सुरक्षा: उनके वेतन संसद की स्वीकृति के बिना घटाए नहीं जा सकते।
3️⃣ कार्यकाल सुरक्षा: वे 65 वर्ष तक पद पर रहते हैं।
4️⃣ निर्णय स्वतंत्रता: न्यायिक निर्णय केवल विधिक सिद्धांतों और साक्ष्यों पर आधारित होते हैं।
➡️ यह सिद्धांत विधि के शासन (Rule of Law) और लोकतंत्र की आत्मा है, जो न्याय की निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
🔴 प्रश्न 29: न्यायिक सक्रियता के लाभ और हानियाँ बताइए।
🟢 उत्तर:
लाभ:
1️⃣ सरकार की जवाबदेही बढ़ती है।
2️⃣ जनहित की रक्षा होती है।
3️⃣ सामाजिक न्याय और पारदर्शिता को बल मिलता है।
4️⃣ मौलिक अधिकारों का सशक्तिकरण होता है।
हानियाँ:
1️⃣ विधायिका और कार्यपालिका के अधिकारों में हस्तक्षेप का खतरा।
2️⃣ न्यायालय पर मामलों का बोझ बढ़ता है।
3️⃣ “न्यायिक अतिक्रमण” (Judicial Overreach) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
➡️ अतः न्यायिक सक्रियता तभी उपयोगी है जब वह संवैधानिक मर्यादाओं के भीतर रहे।
🔴 प्रश्न 30: न्यायपालिका को लोकतंत्र का रक्षक क्यों कहा जाता है?
🟢 उत्तर:
न्यायपालिका संविधान और नागरिक अधिकारों की रक्षा करती है।
1️⃣ यह संविधान-विरोधी कानूनों को रद्द कर सकती है।
2️⃣ कार्यपालिका के मनमाने निर्णयों पर अंकुश लगाती है।
3️⃣ नागरिकों को जनहित याचिका और रिट याचिकाओं के माध्यम से न्याय दिलाती है।
4️⃣ यह स्वतंत्र और निष्पक्ष होकर न्याय सुनिश्चित करती है।
5️⃣ इससे जनता का विश्वास लोकतंत्र में बना रहता है।
➡️ इस प्रकार न्यायपालिका लोकतंत्र का रक्षक, संविधान का संरक्षक और न्याय का अंतिम आधार है।
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मस्तिष्क मानचित्र
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दृश्य सामग्री
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