Class 10 : Social Science (In Hindi) – Lesson 8. जल संसाधन
पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन

🔴 विस्तृत व्याख्या (~900 शब्द)
🟢 परिचय
🌊 जल पृथ्वी के पारिस्थितिक संतुलन, कृषि, उद्योग और मानव अस्तित्व के लिए मूलभूत संसाधन है। भारत में नदियाँ, झीलें, भूजल, जलाशय, नहरें और वर्षा–जल इसका प्रमुख स्रोत हैं। असमान वितरण और बढ़ती मांग ने जल संकट की स्थिति पैदा की है। यह अध्याय जल संसाधनों के महत्व, प्रबंधन और संरक्षण के उपायों पर केंद्रित है।
🟡 भारत में जल वितरण की स्थिति
🔹 भारत को वर्षा मुख्यतः दक्षिण-पश्चिम मानसून से मिलती है।
🔹 उत्तर–पूर्वी क्षेत्रों व पश्चिमी घाटों में अत्यधिक वर्षा होती है, जबकि राजस्थान, गुजरात और दक्कन के शुष्क भागों में जल अल्प है।
🔹 हिमालयी नदियाँ (गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु) बारहमासी हैं, जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ (गोदावरी, कृष्णा, कावेरी) वर्षा–निर्भर हैं।
🔴 जल के उपयोग
🔵 कृषि — सिंचाई हेतु नहरें, कुएँ, ट्यूबवेल, तालाब।
🟡 उद्योग — इस्पात, कपड़ा, कागज़, ऊर्जा उत्पादन।
🔴 घरेलू और पेयजल — शहरीकरण के कारण बढ़ती मांग।
🟢 जलविद्युत उत्पादन — बाँध और जलाशयों से स्वच्छ ऊर्जा।
🟣 जल संकट के कारण
🔸 जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण।
🔸 उद्योगों व कृषि में अत्यधिक दोहन।
🔸 वर्षा का असमान वितरण।
🔸 जल स्रोतों का प्रदूषण।
🔸 भूजल का अत्यधिक दोहन और पुनर्भरण की कमी।
🟠 बाँध और बहुउद्देशीय परियोजनाएँ
🔹 बाँध — नदी पर बनाई गई ऊँची दीवार जो जल रोककर जलाशय बनाती है।
🔹 बहुउद्देशीय परियोजना — जलविद्युत, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, मछली पालन, जल आपूर्ति, पर्यटन आदि में सहायक।
🔹 उदाहरण — भाखड़ा नांगल, हीराकुंड, सर्दार सरोवर, तेह्री, नागरजुन सागर।
🔹 लाभ — सिंचाई विस्तार, कृषि उत्पादकता, बिजली उत्पादन, क्षेत्रीय विकास।
🔹 समस्याएँ — विस्थापन, पर्यावरणीय क्षति, नदी पारिस्थितिकी पर असर, स्थानीय विरोध।
🟤 जल संचयन व संरक्षण तकनीकें
🔸 पारंपरिक तरीके — राजस्थान के टांका, मेड़–बंदी, हिमालयी कुल, झौंपरी तालाब।
🔸 आधुनिक तकनीकें — वर्षा जल संचयन (RWH), चेक डैम, पर्कोलेशन टैंक।
🔸 शहरों में छत–जल संचयन अनिवार्य करना।
🔸 भूजल पुनर्भरण बढ़ाना।
🟩 वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting)
🔹 वर्षा जल को छत या सतह से एकत्र कर सीधे उपयोग या भूजल में पुनर्भरण।
🔹 लाभ — भूजल स्तर सुधरता है, बाढ़ का खतरा घटता है, स्वच्छ जल उपलब्ध होता है।
🔹 उदाहरण — चेन्नई, मेघालय (बाँस पाईप सिस्टम)।
🟧 नदी जोड़ परियोजना
🔹 अतिरिक्त जल वाले नदी बेसिन को अल्प जल वाले बेसिन से जोड़ना।
🔹 उद्देश्य — बाढ़ व सूखा कम करना, सिंचाई क्षेत्र बढ़ाना।
🔹 चिंताएँ — पर्यावरणीय असर, विस्थापन, भारी लागत।
🟪 जल प्रबंधन में सामुदायिक पहलें
🔹 राजस्थान का अलवर जिला — तरुण भारत संघ द्वारा जोहड़ निर्माण से सूखी नदियाँ पुनर्जीवित।
🔹 मेघालय के ग्रामीण — बाँस पाइप जल वितरण प्रणाली।
🔹 महाराष्ट्र — पाणलोटी विकास कार्यक्रम।
🟦 जल संरक्षण के लाभ
🔹 पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित।
🔹 कृषि उत्पादन स्थिर।
🔹 ऊर्जा संकट में राहत।
🔹 पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना।
🔹 भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधन सुरक्षित।
🟫 निष्कर्ष
🌊 जल अमूल्य प्राकृतिक संपदा है। इसका विवेकपूर्ण उपयोग, प्रदूषण नियंत्रण, बाँधों का संतुलित निर्माण और सामुदायिक सहभागिता अनिवार्य है। वर्षा जल संचयन और पारंपरिक ज्ञान के समन्वय से ही जल संकट का समाधान और सतत विकास संभव है।
📝 सारांश (~200 शब्द)
🔵 भारत में जल संसाधन नदियों, झीलों, भूजल और वर्षा पर निर्भर हैं। असमान वितरण और बढ़ती मांग के कारण जल संकट गंभीर है। बाँध और बहुउद्देशीय परियोजनाएँ जैसे भाखड़ा नांगल, हीराकुंड व सर्दार सरोवर सिंचाई, जलविद्युत, बाढ़ नियंत्रण व पर्यटन के लिए सहायक हैं। परन्तु विस्थापन, पर्यावरणीय क्षति व नदी पारिस्थितिकी पर असर जैसे नकारात्मक प्रभाव भी हैं। वर्षा जल संचयन व पारंपरिक तकनीकें जैसे राजस्थान के टांका, हिमालयी कुल और अलवर के जोहड़ जल स्तर सुधारते हैं। नदी जोड़ परियोजना बाढ़ व सूखा कम कर सकती है, किंतु उच्च लागत और पर्यावरणीय जोखिम हैं। सामुदायिक पहलें (तरुण भारत संघ, बाँस पाइप प्रणाली) सफल उदाहरण हैं। जल संरक्षण के लाभ—पेयजल सुरक्षा, कृषि स्थिरता, ऊर्जा उत्पादन और पारिस्थितिकी संतुलन हैं। निष्कर्षतः जल संसाधनों का विवेकपूर्ण प्रबंधन और सामुदायिक सहयोग सतत विकास की कुंजी है।
⚡ त्वरित पुनरावृत्ति (~100 शब्द)
🔹 भारत में जल वितरण असमान; मानसून प्रमुख स्रोत।
🔹 बाँध व बहुउद्देशीय परियोजनाएँ—भाखड़ा नांगल, हीराकुंड, सर्दार सरोवर।
🔹 समस्याएँ—विस्थापन, पर्यावरणीय क्षति।
🔹 वर्षा जल संचयन—छत–जल संचयन, टांका, जोहड़, बाँस पाइप।
🔹 सामुदायिक पहलें—तरुण भारत संघ, मेघालय के ग्रामीण।
🔹 नदी जोड़ परियोजना—बाढ़ व सूखा समाधान पर चिंता।
🔹 जल संरक्षण—पेयजल, कृषि, ऊर्जा और पारिस्थितिकी लाभ।
🔹 निष्कर्ष—जल संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और सहयोगी प्रबंधन अनिवार्य।

पेंगोंग झील लद्दाख
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
🟡 प्रश्न 1 — बहुविकल्पीय प्रश्न
🟠 प्रश्न (i): नीचे दी गई सूची के आधार पर स्थितियों को “जल की कमी से प्रभावित” या “जल की कमी से अप्रभावित” में वर्गीकृत कीजिए—
🔵 1. अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र
🟢 2. अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र
🟡 3. अधिक वर्षा लेकिन लंबे समय तक अल्पवृष्टि प्राकृतिक जल क्षेत्र
🔴 4. रेगिस्तानी एवं कम जनसंख्या वाले क्षेत्र
🟣 उत्तर:
🔹 प्रभावित — (2) अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र, (3) अधिक वर्षा लेकिन लंबे समय तक अल्पवृष्टि क्षेत्र, (4) रेगिस्तानी एवं कम जनसंख्या वाले क्षेत्र।
🔹 अप्रभावित — (1) अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र।
🟠 प्रश्न (ii): निम्नलिखित में से कौन-सा कथन बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं के पक्ष में नहीं है?
🔵 (क) बाढ़–ग्रस्त परिस्थितियों वाले क्षेत्रों में जल संचय से जल की कमी नहीं होती।
🟢 (ख) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ जल बहाव को नियंत्रित करके बाद में काम आती हैं।
🟡 (ग) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से युद्ध स्तर पर विस्थापन होता है और पर्यावरणीय हानि होती है।
🔴 (घ) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ हमारे उद्योग और घरों के लिए बिजली देती हैं।
🟣 उत्तर: (ग) — यह कथन पक्ष में नहीं बल्कि नकारात्मक प्रभाव दर्शाता है।
🟠 प्रश्न (iii): यहाँ कुछ गलत कथन दिए गए हैं। इनमें गलत पहचानें और सही कथन लिखें—
🔵 (क) शहरों की बढ़ती संख्या, उनकी पाइपलाइन और समग्र जनसंख्या तथा शहरी जीवन शैली ने जल संसाधनों के सही उपयोग में मदद की है।
🟢 उत्तर: यह गलत है। सही कथन: शहरों की बढ़ती संख्या, जनसंख्या और पाइपलाइन प्रणाली ने जल संसाधनों पर दबाव बढ़ाया है और दुरुपयोग की समस्या उत्पन्न की है।
🔵 (ख) नदियों पर बाँध बनाने और उनके नियमन करने से उनका प्राकृतिक बहाव और तटीय पारिस्थितिकी प्रभावित नहीं होती।
🟢 उत्तर: गलत। सही कथन: नदियों पर बाँध बनाने से उनका प्राकृतिक बहाव और तटीय पारिस्थितिकी प्रभावित होती है।
🔵 (ग) आज राजस्थान में इंदिरा गाँधी नहर से उपलब्ध पर्याप्त जल वर्षा जल संचयन को अप्रासंगिक बना रहा है।
🟢 उत्तर: गलत। सही कथन: राजस्थान में इंदिरा गाँधी नहर के बावजूद वर्षा जल संचयन अभी भी आवश्यक और प्रासंगिक है।
🟡 प्रश्न 2 — लगभग 30 शब्दों में उत्तर दें
🟠 प्रश्न (i): व्याख्या करें कि जल किस प्रकार नवीकरण योग्य संसाधन है।
🟢 उत्तर: जल प्राकृतिक चक्र (वाष्पीकरण, संघनन, वर्षा) द्वारा निरंतर पुनर्भरण होता है। अतः यह नवीकरण योग्य संसाधन है, किंतु अति–दोहन और प्रदूषण से इसका संकट संभव है।
🟠 प्रश्न (ii): वर्षा जल संचयन क्या है और इसके प्रमुख लाभ क्या हैं?
🟢 उत्तर: वर्षा के जल को एकत्र कर सीधे उपयोग या भूजल पुनर्भरण हेतु संचित करना वर्षा जल संचयन है। लाभ—भूजल स्तर बढ़ाना, बाढ़ जोखिम कम करना, पेयजल उपलब्धता सुनिश्चित करना।
🟠 प्रश्न (iii): बहुउद्देशीय परियोजनाओं से होने वाले लाभ और हानियों की तुलना करें।
🟢 उत्तर:
🔹 लाभ — सिंचाई, जलविद्युत, बाढ़ नियंत्रण, पेयजल आपूर्ति, मत्स्य पालन, पर्यटन।
🔹 हानियाँ — विस्थापन, पर्यावरणीय हानि, नदी पारिस्थितिकी परिवर्तन, सामाजिक संघर्ष।
🟡 प्रश्न 3 — लगभग 120 शब्दों में उत्तर दें
🟠 प्रश्न (i): राजस्थान के अर्ध–शुष्क क्षेत्रों में जल संरक्षण किस प्रकार किया जाता है? व्याख्या कीजिए।
🟢 उत्तर: राजस्थान में परंपरागत जल संचयन पद्धतियाँ उपयोग की जाती हैं। टांका—छत से बहता वर्षा जल भूमिगत टैंक में जमा। जोहर—छोटे बाँधनुमा ढाँचे जो वर्षा जल रोककर भूजल पुनर्भरण करते हैं। खादिन—मिट्टी के बाँध बनाकर वर्षा जल खेतों में रोका जाता है। मेड़–बंदी और तालाब—सूखे मौसम में पशु व मानव उपयोग हेतु जल संग्रह। ये तरीके शुष्क जलवायु में जल संकट कम करने में सहायक हैं।
🟠 प्रश्न (ii): पारंपरिक और आधुनिक जल संचयन की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपना कर जल संरक्षण एवं प्रबंधन किस प्रकार किया जा रहा है?
🟢 उत्तर: आधुनिक काल में पारंपरिक तकनीकें जैसे राजस्थान के टांका, हिमालय के कुल, मेघालय की बाँस पाइप प्रणाली को संरक्षित व सुधारे रूप में अपनाया जा रहा है। शहरों में छत–जल संचयन अनिवार्य किया गया है। चेक डैम, पर्कोलेशन टैंक व भूजल पुनर्भरण कुएँ बनाए जा रहे हैं। बहुउद्देशीय बाँधों के साथ स्थानीय वनीकरण, नदी संरक्षण और जन–जागरूकता से जल संसाधन प्रबंधन किया जा रहा है। इससे पेयजल उपलब्धता, सिंचाई विस्तार, बाढ़ नियंत्रण और पर्यावरणीय संतुलन सुनिश्चित हो रहा है।
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
🟡 अनुभाग A — बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक प्रत्येक)
🟠 प्रश्न 1: भारत में वर्षा का प्रमुख स्रोत क्या है?
🔵 1. हिमनद पिघलना
🟢 2. दक्षिण–पश्चिम मानसून
🟡 3. भूमिगत जल
🔴 4. पश्चिमी विक्षोभ
🟣 उत्तर: 2 — दक्षिण–पश्चिम मानसून
🟠 प्रश्न 2: भाखड़ा नांगल परियोजना किस नदी पर है?
🔵 1. सतलुज
🟢 2. गंगा
🟡 3. नर्मदा
🔴 4. गोदावरी
🟣 उत्तर: 1 — सतलुज
🟠 प्रश्न 3: हीराकुंड बाँध किस राज्य में स्थित है?
🔵 1. महाराष्ट्र
🟢 2. ओडिशा
🟡 3. गुजरात
🔴 4. उत्तराखंड
🟣 उत्तर: 2 — ओडिशा
🟠 प्रश्न 4: वर्षा जल संचयन का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
🔵 1. नदियों को मोड़ना
🟢 2. वर्षा के जल का संचयन व भूजल पुनर्भरण
🟡 3. बाँध निर्माण
🔴 4. नहर सिंचाई
🟣 उत्तर: 2 — वर्षा के जल का संचयन व भूजल पुनर्भरण
🟠 प्रश्न 5: सर्दार सरोवर बाँध किस नदी पर बना है?
🔵 1. नर्मदा
🟢 2. गंगा
🟡 3. यमुना
🔴 4. ब्रह्मपुत्र
🟣 उत्तर: 1 — नर्मदा
🟠 प्रश्न 6: मेघालय के ग्रामीण कौन–सी अनूठी जल वितरण प्रणाली का प्रयोग करते हैं?
🔵 1. जोहर
🟢 2. बाँस पाइप प्रणाली
🟡 3. खादिन
🔴 4. टांका
🟣 उत्तर: 2 — बाँस पाइप प्रणाली
🟠 प्रश्न 7: कौन–सा राज्य “टांका” पद्धति के लिए प्रसिद्ध है?
🔵 1. गुजरात
🟢 2. राजस्थान
🟡 3. मध्य प्रदेश
🔴 4. बिहार
🟣 उत्तर: 2 — राजस्थान
🟠 प्रश्न 8: बहुउद्देशीय परियोजनाओं का एक प्रमुख लाभ है—
🔵 1. केवल बाढ़ नियंत्रण
🟢 2. केवल पेयजल आपूर्ति
🟡 3. सिंचाई, जलविद्युत, बाढ़ नियंत्रण आदि सभी
🔴 4. केवल पर्यटन
🟣 उत्तर: 3 — सिंचाई, जलविद्युत, बाढ़ नियंत्रण आदि सभी
🟠 प्रश्न 9: नदियों पर बाँध बनाने का एक नकारात्मक प्रभाव क्या है?
🔵 1. मछली पालन को प्रोत्साहन
🟢 2. विस्थापन और पर्यावरणीय हानि
🟡 3. बाढ़ नियंत्रण
🔴 4. जलविद्युत उत्पादन
🟣 उत्तर: 2 — विस्थापन और पर्यावरणीय हानि
🟠 प्रश्न 10: नदी जोड़ परियोजना का उद्देश्य क्या है?
🔵 1. केवल बाढ़ बढ़ाना
🟢 2. अतिरिक्त जल को अल्प जल वाले बेसिन से जोड़ना
🟡 3. औद्योगिक प्रदूषण बढ़ाना
🔴 4. समुद्री जल लाना
🟣 उत्तर: 2 — अतिरिक्त जल को अल्प जल वाले बेसिन से जोड़ना
🟠 प्रश्न 11: कौन–सा बाँध “गंगा की सहायक नदियों” पर बना है?
🔵 1. भाखड़ा नांगल
🟢 2. टिहरी बाँध
🟡 3. सर्दार सरोवर
🔴 4. हीराकुंड
🟣 उत्तर: 2 — टिहरी बाँध
🟠 प्रश्न 12: पाणलोटी विकास कार्यक्रम का उद्देश्य है—
🔵 1. बाढ़ बढ़ाना
🟢 2. जल संचयन व मृदा संरक्षण
🟡 3. प्रदूषण फैलाना
🔴 4. पेयजल व्यर्थ करना
🟣 उत्तर: 2 — जल संचयन व मृदा संरक्षण
🟠 प्रश्न 13: वर्षा जल संचयन का एक पारंपरिक उदाहरण कौन–सा है?
🔵 1. खादिन
🟢 2. टांका
🟡 3. जोहर
🔴 4. सभी उपर्युक्त
🟣 उत्तर: 4 — सभी उपर्युक्त
🟠 प्रश्न 14: “भूजल का अति–दोहन” किस समस्या को जन्म देता है?
🔵 1. जल स्तर में कमी
🟢 2. बाढ़ में वृद्धि
🟡 3. औद्योगिकीकरण
🔴 4. बाँध क्षमता बढ़ना
🟣 उत्तर: 1 — जल स्तर में कमी
🟠 प्रश्न 15: किस बहुउद्देशीय परियोजना को “गुजरात का जीवन रेखा” कहा जाता है?
🔵 1. हीराकुंड
🟢 2. भाखड़ा नांगल
🟡 3. सर्दार सरोवर
🔴 4. टिहरी
🟣 उत्तर: 3 — सर्दार सरोवर
🟠 प्रश्न 16: कौन–सा बाँध ओडिशा राज्य में स्थित है और बाढ़ नियंत्रण में सहायक है?
🔵 1. हीराकुंड
🟢 2. सर्दार सरोवर
🟡 3. भाखड़ा नांगल
🔴 4. नागरजुन सागर
🟣 उत्तर: 1 — हीराकुंड
🟠 प्रश्न 17: वर्षा जल संचयन का एक महत्त्वपूर्ण लाभ है—
🔵 1. भूजल स्तर में गिरावट
🟢 2. भूजल स्तर में वृद्धि
🟡 3. नदियों में गाद बढ़ना
🔴 4. प्रदूषण फैलाना
🟣 उत्तर: 2 — भूजल स्तर में वृद्धि
🟠 प्रश्न 18: भारत में जल संसाधन प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है?
🟣 उत्तर: बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, असमान वितरण और प्रदूषण के कारण जल संसाधन प्रबंधन आवश्यक है ताकि कृषि, उद्योग और मानव जीवन को सतत जल आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।
🟡 अनुभाग B — लघु उत्तर (2–3 अंक)
🟠 प्रश्न 19: बहुउद्देशीय परियोजनाएँ क्या हैं? इनके दो लाभ बताइए।
🟢 उत्तर:
🔹 नदी पर बाँध बनाकर जल को विभिन्न उद्देश्यों हेतु उपयोग करने वाली परियोजनाएँ बहुउद्देशीय परियोजनाएँ कहलाती हैं।
🔹 लाभ — (1) सिंचाई विस्तार व कृषि उत्पादकता वृद्धि। (2) जलविद्युत उत्पादन व बाढ़ नियंत्रण।
🟠 प्रश्न 20: वर्षा जल संचयन के दो पारंपरिक तरीक़े बताइए।
🟢 उत्तर:
🔹 राजस्थान के टांका और जोहर।
🔹 हिमालयी क्षेत्र के कुल या नहरें।
🟠 प्रश्न 21: नदी जोड़ परियोजना का उद्देश्य लिखिए।
🟢 उत्तर:
🔹 बाढ़ व सूखे दोनों को कम करना।
🔹 अतिरिक्त जल वाले बेसिन से अल्प जल वाले बेसिन को जोड़ना।
🟠 प्रश्न 22: भूजल के अति–दोहन से उत्पन्न दो समस्याएँ लिखिए।
🟢 उत्तर:
🔹 जल स्तर में गिरावट व कुओं का सूखना।
🔹 भूमि धँसाव और जल गुणवत्ता में गिरावट।
🟠 प्रश्न 23: पाणलोटी विकास कार्यक्रम का उद्देश्य क्या है?
🟢 उत्तर:
🔹 मृदा व जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करना।
🟣 अनुभाग C — मध्यम उत्तर (3 अंक)
🟠 प्रश्न 24: बाँध निर्माण से होने वाले दो पर्यावरणीय प्रभाव लिखिए।
🟢 उत्तर:
🔹 नदियों का प्राकृतिक बहाव बाधित होकर जलीय पारिस्थितिकी प्रभावित होती है।
🔹 वन क्षेत्र डूबने से जैव विविधता का ह्रास व विस्थापन।
🟠 प्रश्न 25: राजस्थान के अर्ध–शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन की दो विधियाँ बताइए।
🟢 उत्तर:
🔹 खादिन — मिट्टी के बाँध से वर्षा जल खेत में रोका जाता है।
🔹 टांका — छत से बहता वर्षा जल भूमिगत टैंक में संग्रहित।
🟠 प्रश्न 26: आधुनिक काल में पारंपरिक जल संरक्षण पद्धतियों को अपनाने के दो लाभ लिखिए।
🟢 उत्तर:
🔹 भूजल पुनर्भरण और पेयजल उपलब्धता बढ़ती है।
🔹 स्थानीय ज्ञान व कम लागत से सतत विकास संभव होता है।
🟠 प्रश्न 27: बहुउद्देशीय परियोजनाओं की दो सामाजिक समस्याएँ बताइए।
🟢 उत्तर:
🔹 बड़े पैमाने पर लोगों का विस्थापन और आजीविका का नुकसान।
🔹 स्थानीय समुदायों में विरोध व सामाजिक संघर्ष।
🟠 प्रश्न 28: नदी जोड़ परियोजना से उत्पन्न दो चिंताएँ लिखिए।
🟢 उत्तर:
🔹 पर्यावरणीय असंतुलन और जैव विविधता पर खतरा।
🔹 अत्यधिक लागत और विस्थापन।
🔶 अनुभाग D — दीर्घ उत्तर (5 अंक)
🟠 प्रश्न 29: जल संसाधन प्रबंधन की आवश्यकता स्पष्ट कीजिए।
🟢 उत्तर:
🔹 भारत में वर्षा का वितरण असमान है; कुछ क्षेत्र बाढ़ग्रस्त हैं तो कुछ सूखे।
🔹 जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण और औद्योगिकीकरण से जल की मांग बढ़ी है।
🔹 भूजल का अत्यधिक दोहन जल स्तर गिरा रहा है।
🔹 जल स्रोतों का प्रदूषण मानव स्वास्थ्य और कृषि को प्रभावित कर रहा है।
🔹 अतः सतत विकास हेतु जल संसाधनों का विवेकपूर्ण प्रबंधन आवश्यक है।
🟠 प्रश्न 30: बाँध व बहुउद्देशीय परियोजनाओं के तीन लाभ और दो हानियाँ लिखिए।
🟢 उत्तर:
🔹 लाभ — (1) सिंचाई व कृषि उत्पादकता। (2) जलविद्युत उत्पादन। (3) बाढ़ नियंत्रण व पर्यटन।
🔹 हानियाँ — (1) विस्थापन व सामाजिक संघर्ष। (2) पारिस्थितिकी क्षति व मृदा अपरदन।
🟠 प्रश्न 31: वर्षा जल संचयन के चार प्रमुख लाभ बताइए।
🟢 उत्तर:
🔹 भूजल स्तर में वृद्धि।
🔹 पेयजल व सिंचाई जल की उपलब्धता।
🔹 बाढ़ व जलभराव जोखिम में कमी।
🔹 नदियों व झीलों पर दबाव कम होना।
🟠 अनुभाग E — केस/स्रोत आधारित प्रश्न (5 अंक)
🟠 प्रश्न 32 (स्थितिजन्य): मान लीजिए किसी शहरी क्षेत्र में जल संकट गहराता जा रहा है। इसके समाधान हेतु तीन ठोस उपाय सुझाइए।
🟢 उत्तर:
🔹 छत–जल संचयन अनिवार्य करना।
🔹 अपशिष्ट जल का उपचार व पुन: उपयोग।
🔹 नदियों व झीलों के पुनर्जीवन और भूजल पुनर्भरण परियोजनाएँ।
🟠 प्रश्न 33 (स्रोताधारित): स्रोत के अनुसार, बहुउद्देशीय परियोजनाओं के निर्माण से किन–किन पक्षों को लाभ व हानि हुई है?
🟢 उत्तर:
🔹 लाभ — सिंचाई, जलविद्युत, पेयजल आपूर्ति, बाढ़ नियंत्रण, पर्यटन व मत्स्य पालन।
🔹 हानि — विस्थापन, सामाजिक संघर्ष, पर्यावरणीय असंतुलन व नदी पारिस्थितिकी ह्रास।
————————————————————————————————————————————————————————————————————————————