Class : 9 – Hindi : Lessons (1) दो बैलों की कथा
संक्षिप्त लेखक परिचय

लेखक : प्रेमचंद
प्रेमचन्द हिंदी और उर्दू के महान कथाकार, उपन्यासकार और समाज-सुधारक लेखक थे। इनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही गाँव में हुआ था। इनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, परंतु साहित्य जगत में वे ‘प्रेमचन्द’ नाम से प्रसिद्ध हुए। आरंभ में वे ‘नवाब राय’ नाम से लेखन करते थे। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा फारसी और उर्दू में प्राप्त की, और आगे चलकर अध्यापक तथा बाद में बरेली के सब-डिप्टी इंस्पेक्टर भी बने।
प्रेमचन्द ने अपने साहित्य के माध्यम से समाज की सच्चाइयों, शोषण, गरीबी, अन्याय, और स्त्री-दुख को उजागर किया। उनके लेखन में यथार्थ और करुणा का अद्भुत मेल है। वे किसानों, मजदूरों, स्त्रियों और दलितों के पक्ष में खड़े होने वाले पहले हिंदी लेखक माने जाते हैं।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं:
उपन्यास: गोदान, गबन, निर्मला, कर्मभूमि, सेवासदन
कहानी संग्रह: मानसरोवर, प्रेमपूर्णियाँ, सप्त सुमन
प्रसिद्ध कहानियाँ: पूस की रात, ईदगाह, दो बैलों की कथा, ठाकुर का कुआँ, पंच परमेश्वर
31 अक्टूबर 1936 को इनका निधन हुआ। प्रेमचन्द का साहित्य आज भी समाज को जागरूक करने और सोच बदलने का कार्य करता है।
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पाठ का विश्लेषण एवं विवेचन

‘दो बैलों की कथा’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक हृदयस्पर्शी कहानी है, जो मानव और पशु के बीच के अदृश्य भावनात्मक संबंध को उजागर करती है। यह कथा केवल दो बैलों – हीरा और मोती – के जीवन संघर्ष की गाथा नहीं है, बल्कि यह भारतीय ग्राम्य जीवन, नैतिक मूल्यों, और आत्मसम्मान की गरिमामयी प्रस्तुति भी है।
हीरा और मोती, दोनों बैल परिश्रमी, समझदार और संवेदनशील हैं। वे अपने मालिक झूरी के प्रति समर्पित हैं। परन्तु झूरी की पत्नी इन बैलों से अप्रसन्न रहती है, क्योंकि वे अधिक अनाज नहीं उपजाते। एक दिन वह बैलों को अपने मायके भेज देती है। वहां का माहौल पूरी तरह भिन्न होता है – वहां के मालिक बैलों को कठोरता से हांकते हैं, बिना उचित भोजन और आराम के उनसे निरंतर काम लिया जाता है।
हालांकि हीरा और मोती इस नए स्थान को स्वीकार नहीं कर पाते, फिर भी वे कुछ दिन वहां सहन करते हैं। एक दिन मालिक के बेटे द्वारा किए गए अन्याय से आक्रोशित होकर वे हल को तोड़ डालते हैं और उसके पीछे दौड़ पड़ते हैं। यह विद्रोह केवल क्रोध नहीं, बल्कि आत्मसम्मान की रक्षा के लिए उठाया गया कदम है। इस घटना के बाद गाँव में उनकी चर्चा होने लगती है, और लोग बैलों की समझदारी से प्रभावित होते हैं।
बाद में एक बैल को गंभीर चोट लगती है, लेकिन दूसरा उसे अकेला नहीं छोड़ता। यह दृश्य पशु-पशु के बीच की करुणा, अपनापन और अटूट मित्रता का उत्कृष्ट उदाहरण बन जाता है। अंततः वे दोनों बैल अपने मालिक झूरी के घर लौट आते हैं। जब झूरी उन्हें पाता है, तो उसकी आँखें भर आती हैं। यह क्षण पाठक के मन में एक गूढ़ संवेदनशीलता जगा देता है।
इस कहानी की विशेषता इसकी भावनात्मक गहराई और प्रतीकात्मक प्रस्तुति में निहित है। बैल केवल पशु नहीं, बल्कि वे उन शोषित, मेहनतकश वर्गों के प्रतीक हैं, जो अन्याय सहते हुए भी आत्मसम्मान नहीं छोड़ते। हीरा और मोती की जोड़ी मानवीय रिश्तों में निष्ठा, मित्रता और करुणा का जीवंत प्रतीक बनकर उभरती है।
प्रेमचंद ने इस कथा में पशुओं को एक भावुक, बौद्धिक और नैतिक व्यक्तित्व प्रदान किया है, जिससे पाठक उन्हें केवल जानवर नहीं, बल्कि अपने जैसे संवेदनशील प्राणी समझने लगते हैं। लेखक ने भाषा को सहज, ग्रामीण रंगत से युक्त रखा है, जो कहानी को यथार्थ के निकट ले जाती है।
‘दो बैलों की कथा’ केवल एक कहानी नहीं, एक सामाजिक दर्पण है, जो यह दिखाता है कि संवेदनशीलता, सम्मान और अधिकार की भावना केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं, पशु भी इस धरातल पर उतने ही जीवंत और सजग हैं। यह कथा हमें संवेदना, मित्रता और न्याय की दिशा में सोचने को विवश करती है।
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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
1. कांजीहौस में पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती थी?
उत्तर:
कांजीहौस में पशुओं की हाजिरी लेना एक नियामक प्रक्रिया थी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहां रखे गए सभी पशु सुरक्षित और जीवित हैं। यह प्रशासनिक और विधिक जिम्मेदारी की एक व्यवस्था थी, जिसके अंतर्गत पशुओं की दैनिक गणना होती थी। यह भी देखा जाता था कि कहीं कोई पशु भाग न गया हो, चोरी न हुआ हो या मर न गया हो। हाजिरी का उद्देश्य अनुशासन, संरक्षण और उत्तरदायित्व की पुष्टि करना था।
2. छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया था?
उत्तर:
छोटी बच्ची का हृदय स्वभाव से ही कोमल और करुणाशील था। उसने बैलों की हालत देखी—वे भूखे, बंधे हुए और दुःखी थे। उस मासूम बच्ची ने उनके भीतर भी आत्मा और पीड़ा को महसूस किया। इसीलिए वह चुपचाप उन्हें रोटियाँ खिलाने आई और अंततः उनकी रस्सी खोलकर उन्हें मुक्त कर दिया। यह दृश्य दर्शाता है कि निष्कलुष प्रेम उम्र का मोहताज नहीं होता, भावनाएँ हृदय से उपजती हैं।
3. कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नैतिक–आध्यात्मिक मूल्य उभर कर आए हैं?
उत्तर:
कहानी में बैलों के माध्यम से कई नैतिक और आध्यात्मिक मूल्य उभरते हैं जैसे—मित्रता, आत्मसम्मान, सहयोग, सहनशीलता और परोपकार। हीरा–मोती की आपसी निष्ठा, अन्याय के विरुद्ध विद्रोह, पीड़ा में भी विवेक बनाए रखना, तथा दूसरों की मुक्ति के लिए बलिदान देना—इन सबके माध्यम से प्रेमचंद ने यह संदेश दिया है कि नैतिकता केवल मानव तक सीमित नहीं है; पशु भी संवेदना, चेतना और मूल्य-बोध से युक्त होते हैं।
4.गधे की कौन-सी स्वाभाविक विशेषताएँ लेखकीय रूप में शक्तिशाली रूप से प्रस्तुत की गई हैं?
उत्तर:
गधा स्वभाव से अत्यंत सहनशील, मौन और अनुशासित प्राणी है। प्रेमचंद ने उसे मूर्ख नहीं, बल्कि निरीह और अत्याचार सहनेवाला जीव माना है। वह विरोध नहीं करता, न बोलता है, न भागता है—इसलिए लोग उसे मूर्ख समझते हैं। लेखक ने इस विशेषता को इस रूप में उभारा है कि यह सीधापन स्वाभाविक है, परंतु सम्मान के बिना केवल सहनशीलता भी दुर्बलता बन जाती है।
5. किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा–मोती के बीच गहरी दोस्ती थी?
उत्तर:
हीरा–मोती एक-दूसरे के बिना अधूरे थे। वे साथ हल खींचते, एक-दूसरे की थकान पहचानते, और बिना बोले संवाद कर लेते। जब मोती फँसता है, तो हीरा उसे अकेला नहीं छोड़ता। दोनों कांजीहौस में साथ जाते हैं और साथ लौटते हैं। उनकी आँखों की भाषा, मूक प्रेम, और एक-दूसरे के लिए त्याग की भावना यह दर्शाती है कि उनकी मित्रता केवल व्यवहारिक नहीं, बल्कि आत्मिक थी।
6. “लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।” — हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस कथन के माध्यम से प्रेमचंद स्त्री के प्रति संवेदना, करुणा और सम्मान का संदेश देते हैं। भले ही पशु हों, पर उनके मन में भी स्त्रियों के लिए विशेष स्थान होता है। हीरा मोती को समझाता है कि अन्याय सह लो, पर स्त्री पर सींग मत चलाओ। इससे स्पष्ट होता है कि प्रेमचंद स्त्री को कमजोर नहीं, पर विशेष मान और गरिमा की पात्र मानते थे।
7. किसान-जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?
उत्तर:
कहानी में यह दर्शाया गया है कि ग्रामीण जीवन में पशु केवल काम करने की वस्तु नहीं होते, वे परिवार के सदस्य जैसे होते हैं। झूरी का बैलों से प्रेम, उनका व्यवहार, और झूरी की पत्नी का अंततः बदलता व्यवहार यह सिद्ध करता है कि पशुओं से भावनात्मक संबंध होते हैं। जब बैल लौटते हैं, तो बच्चे उन्हें देख कर खुश होते हैं, उन्हें रोटियाँ देते हैं—यह दर्शाता है कि किसान-जीवन में पशु आत्मीयता का हिस्सा हैं।
8. “इतना तो हो ही गया कि नौ–दस प्राणियों की जान बच गई…” — मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
इस कथन से मोती की करुणाशीलता, साहस और परोपकारी प्रवृत्ति स्पष्ट होती है। उसने केवल अपनी मुक्ति के लिए नहीं, बल्कि कांजीहौस में बंद अन्य जानवरों की जान बचाने के लिए भी विद्रोह किया। उसमें आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों के लिए चिंता और संवेदना भी थी। यह उसका नैतिक बल और नेतृत्व दर्शाता है।
आशय स्पष्ट कीजिए:
1. “अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करनेवाला मनुष्य वंचित है।”
उत्तर:
इस पंक्ति का आशय यह है कि हीरा–मोती आपस में बिना शब्दों के संवाद कर लेते थे। उनके पास आत्मिक जुड़ाव और मौन समझ की शक्ति थी। यह संकेत करता है कि पशु भी संवेदनशील और विचारशील होते हैं, बल्कि कई बार उनसे भी अधिक मानवीय, क्योंकि वे छल-कपट और दिखावे से परे होते हैं।
2. “उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के ह्रदय को मानो भोजन मिल गया।”
उत्तर:
यह पंक्ति दर्शाती है कि भूख केवल शरीर की नहीं होती, हृदय की भी होती है। छोटी बच्ची की करुणा और प्रेम ने भले ही पेट की भूख न मिटाई हो, पर आत्मा को संतोष दिया। यह आत्मिक तृप्ति भावनात्मक स्नेह से संभव हुई।
3. गया ने हीरा–मोती को दोनों बार सूखा भूसा क्यों खिलाया? नीचे से सही विकल्प चुनिए:
उत्तर:
(ग) हीरा-मोती के व्यवहार से दुखी था।
4. हीरा–मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज़ उठायी, और उसके लिए उन्हें प्रताड़ना भी सहनी पड़ी—इस प्रतिक्रिया पर आपका क्या तर्क है?
उत्तर:
यह प्रतिक्रिया पूरी तरह उचित और प्रेरणास्पद है। अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाना, चाहे वह किसी भी रूप में हो, आत्मसम्मान की रक्षा का कार्य है। हीरा–मोती ने न केवल अपमान सहा, बल्कि उस पर प्रतिक्रिया देकर यह दिखाया कि पशु भी आत्मसम्मान और न्याय के अधिकारी हैं। यह एक शिक्षाप्रद संदेश है कि चुप रहना हमेशा सही नहीं होता।
5. क्या आपको लगता है कि यह कहानी स्वतंत्रता की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है? कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, यह कहानी परोक्ष रूप से स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है। हीरा–मोती का विद्रोह, अन्याय के विरुद्ध खड़ा होना, और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष करना—यह सब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के मूल विचारों से मेल खाता है। कांजीहौस से भागकर बैलों का लौटना परतंत्रता से मुक्ति और अपने अधिकारों की पुनर्प्राप्ति का प्रतीक है।
6. कहानी में ‘ही’ और ‘भी’ जैसे निपातों का प्रयोग हुआ है—कहानी से पाँच वाक्य छाँटें जिनमें निपात प्रयोग हुआ हो।
उत्तर:
“वह आज ही गया के घर से लौट आए।”
“गया भी समझ गया कि अब कुछ नहीं हो सकता।”
“उसने कहा, ‘मैं ही तो हूँ जो इन्हें पहचानता हूँ।’”
“बैल चुपचाप खड़े थे, पर आँखें सब कह रही थीं ही।”
“यह काम कोई साधारण पशु के बस का भी नहीं था।”
7. दी गई पाँच वाक्यों को वाक्य‑भेद के अनुसार विभाजित करें तथा उपवाक्य पहचानें:
(क) दीवार का गिरना था कि अधमरे‑से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
→ मिश्र वाक्य; उपवाक्य: “दीवार का गिरना था”, “अधमरे-से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे”
(ख) सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया।
→ मिश्र वाक्य; उपवाक्य: “जिसकी आँखें लाल थीं”, “मुद्रा अत्यंत कठोर”
(ग) हीरा ने कहा– “गया के घर से नाहक भागे।”
→ संयुक्त वाक्य; उपवाक्य: “हीरा ने कहा”, “गया के घर से नाहक भागे”
(घ) “मैं बेचूँगा, तो बिकेंगे।”
→ संयुक्त वाक्य; उपवाक्य: “मैं बेचूँगा”, “तो बिकेंगे”
(ङ) “अगर वह मुझे पकड़े, तो मैं बे‑मारे न छोड़ता।”
→ संयुक्त वाक्य; उपवाक्य: “अगर वह मुझे पकड़े”, “तो मैं बे‑मारे न छोड़ता”
8. कहानी में उपयुक्त पाँच मुहावरों का चयन कीजिए तथा उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
नाक में दम करना – गया ने बैलों की ऐसी हालत की कि उनकी नाक में दम कर दिया।
आँखों का तारा – मोती झूरी का आँखों का तारा था।
सींग समेटना – अन्याय देख कर हीरा ने सींग समेट लिए और चुप रहा।
हाथ-पाँव फूलना – कांजीहौस के सिपाही को देखकर हीरा–मोती के हाथ-पाँव फूल गए।
दिल में उठना – बच्ची की करुणा देख मोती के दिल में ममता उठ आई।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
1–7: (MCQs)
1. ‘दो बैलों की कथा’ के लेखक कौन हैं?
A. सुभद्राकुमारी चौहान
B. प्रेमचंद
C. जयशंकर प्रसाद
D. रामधारी सिंह ‘दिनकर’
उत्तर: B. प्रेमचंद
2. कहानी में दोनों बैलों के नाम क्या हैं?
A. नंदन और मोहन
B. हीरा और मोती
C. राजा और रत्ना
D. रामू और श्यामू
उत्तर: B. हीरा और मोती
3. कहानी में हीरा और मोती किसके बैल हैं?
A. साहूकार
B. लेखक
C. झूरी किसान
D. पंडित
उत्तर: C. झूरी किसान
4. झूरी की पत्नी ने बैलों के साथ कैसा व्यवहार किया?
A. प्यार से
B. उदासीनता से
C. क्रोध में
D. बहुत अच्छा
उत्तर: C. क्रोध में
5. बैलों को किस गांव ले जाया गया?
A. झूरीपुर
B. गोधनपुर
C. सानीपुर
D. काशीपुर
उत्तर: C. सानीपुर
6. सानीपुर में बैलों के साथ कैसा व्यवहार किया गया?
A. सम्मान से
B. बहुत बुरा
C. आदर से
D. कुछ नहीं
उत्तर: B. बहुत बुरा
7. अंत में हीरा और मोती कहाँ पहुँचते हैं?
A. सानीपुर
B. जंगल
C. अपने मालिक झूरी के पास
D. नदी के पास
उत्तर: C. अपने मालिक झूरी के पास
8–14: (एक वाक्य/शब्द में उत्तर दीजिए)
8. झूरी का क्या व्यवसाय था?
उत्तर: वह एक किसान था।
9. कहानी में कौन से दो पशु मुख्य पात्र हैं?
उत्तर: हीरा और मोती बैल।
10. झूरी की पत्नी ने बैलों को क्यों घर से बाहर भेजा?
उत्तर: क्योंकि वह उनसे नाराज़ थी।
11. सानीपुर में बैलों को किसने पीटा?
उत्तर: सानीपुर का नया मालिक।
12. हीरा और मोती को अपने मालिक की कौन-सी बात सबसे अधिक प्रिय थी?
उत्तर: उसका स्नेह और प्यार।
13. बैलों ने खेत जोतने से इंकार कब किया?
उत्तर: जब उन्हें बुरी तरह पीटा गया।
14. बैल किस प्रकार के संबंध का प्रतीक हैं?
उत्तर: निष्ठा और आत्मबलिदान का।
15–18: (50–60 शब्दों में उत्तर दीजिए)
15. झूरी के चरित्र की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: झूरी एक सच्चा पशु-प्रेमी और सहनशील किसान था। उसने अपनी पत्नी के विरोध के बावजूद बैलों से स्नेह किया। वह उनकी पीड़ा को समझता था और उन्हें परिवार का हिस्सा मानता था।
16. हीरा और मोती की दोस्ती को आप कैसे वर्णित करेंगे?
उत्तर: हीरा और मोती में गहरी मित्रता थी। वे एक-दूसरे की भावनाओं को समझते थे और एक-दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ते थे। संकट के समय भी वे साथ रहते और निर्णय एकमत होकर लेते।
17. बैलों का संघर्ष हमें क्या सिखाता है?
उत्तर: यह संघर्ष आत्म-सम्मान, स्वतंत्रता और अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाने की प्रेरणा देता है। वे सिर्फ जानवर नहीं थे, बल्कि चेतन प्राणी थे जिन्होंने अन्याय के विरुद्ध विद्रोह किया।
18. कहानी में पशुओं को मानव तुल्य क्यों दिखाया गया है?
उत्तर: ताकि पाठकों में पशुओं के प्रति संवेदना जागे और वे समझें कि पशु भी भावना, सम्मान और प्रेम को समझते हैं। इससे पशु-क्रूरता के विरोध का संदेश मिलता है।
19–20: (120–150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
19. ‘दो बैलों की कथा’ में प्रेमचंद ने पशु पात्रों के माध्यम से क्या सामाजिक संदेश दिया है?
उत्तर: इस कहानी के माध्यम से प्रेमचंद ने पशुओं को भी चेतन प्राणी के रूप में चित्रित किया है। हीरा और मोती केवल बैल नहीं, बल्कि समाज में न्याय, आत्मसम्मान और मित्रता के प्रतीक हैं। लेखक यह संदेश देते हैं कि पशुओं में भी भावनाएँ होती हैं, वे अन्याय और अपमान को महसूस कर सकते हैं। सानीपुर में उन पर अत्याचार किया गया, तो उन्होंने प्रतिकार किया। यह कथा मनुष्यता, करुणा और सजीव संबंधों की महत्ता को दर्शाती है। कहानी यह भी दिखाती है कि एक पशु अपने मालिक के स्नेह को पहचानता है और विपत्ति में भी उसके पास लौट आता है। यह पाठक को पशु अधिकारों, संवेदना और न्याय के पक्ष में सोचने को प्रेरित करता है।
20. झूरी की पत्नी और झूरी के पशु-प्रेम के दृष्टिकोण में क्या अंतर था? समझाइए।
उत्तर: झूरी की पत्नी व्यवहार में कठोर और स्वभाव से क्रोधित थी। उसने बैलों को केवल कार्य के उपकरण की तरह समझा और जब वे उसकी बात नहीं माने, तो उन्हें घर से निकाल दिया। दूसरी ओर, झूरी का दृष्टिकोण मानवीय था। वह बैलों को परिवार का हिस्सा समझता था और उन्हें स्नेह, सम्मान तथा सहानुभूति देता था। झूरी उनके कष्ट को समझता था और उनके प्रति संवेदनशील था। यह अंतर यह दर्शाता है कि केवल उपयोगिता के आधार पर संबंध नहीं बनते, बल्कि समझ और स्नेह से स्थायी और गहरे संबंध बनते हैं। यह पाठक को यह सोचने पर मजबूर करता है कि पशुओं के साथ भी मानवीय व्यवहार आवश्यक है।
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